<p style=”text-align: justify;”><strong>Aligarh News Today:</strong> अलीगढ़ में इस बार क्रिसमस के अवसर पर बाजारों की रौनक फीकी पड़ गई है. जहां पहले दुकानदार हजारों क्रिसमस की पोशाक और अन्य सजावटी सामान बेच लिया करते थे, जबकि अब वे ग्राहकों की कमी से जूझ रहे हैं. तीस वर्ष से क्रिसमस का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि इस बार न सिर्फ बिक्री घटी है बल्कि त्योहार का उत्साह भी पहले जैसा नहीं रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अलीगढ़ के रामघाट रोड पर दुकानदार नवीन पिछले 30 सालों से क्रिसमस त्योहार से जुड़ा सामान बेच रहे हैं. नवीन का कहना है कि पहले क्रिसमस के त्योहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते थे. इस दौरान लोग घर सजाने के लिए खूब सामान खरीदते थे, साथ में इससे जुड़ी पोशाक, क्रिसमस ट्री, गिफ्ट्स और अन्य सजावटी सामानों की खूब डिमांड रहती थी, हालांकि इस बार ग्राहकों की कमी से दुकानदार मायूस नजर आ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिंदू त्योहारों और संस्कृति का असर?</strong><br />दुकानदारों का कहना है कि अब लोग क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए पहले जैसा उत्साह नहीं दिखा रहे हैं. कई लोगों का ध्यान अब हिंदू त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों की ओर बढ़ रहा है. एक दुकानदार ने कहा, “पहले लोग क्रिसमस के लिए पहले से ही तैयारी कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. बिक्री में भारी गिरावट आई है और लोग इस त्योहार को सीमित दायरे में मना रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामघाट रोड, जो कभी क्रिसमस के सामानों से सजी दुकानों और ग्राहकों की भीड़ के लिए जाना जाता था, अब सुनसान दिखाई पड़ रहा है. दुकानदारों ने बताया कि इस बार उन्होंने उम्मीद से बहुत कम स्टॉक मंगवाया था फिर भी अधिकांश सामान बिक नहीं पाया है. कई दुकानों पर क्रिसमस ट्री, लाइटें और सजावटी वस्तुएं बिना खरीदारों के कमी की वजह से पड़ी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्रिसमस के जश्न पर महंगाई की मार</strong><br />स्थानीय लोगों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और बदलती प्राथमिकताओं के कारण वे अब त्योहारों पर पहले जितना खर्च नहीं कर पाते. एक ग्राहक ने कहा, “क्रिसमस मनाना अच्छा लगता है, लेकिन अब चीजें महंगी हो गई हैं. त्योहार सादगी से मनाना ज्यादा सही लगता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>क्रिसमस के उत्साह में आई कमी सिर्फ बाजारों तक ही सीमित नहीं है. स्थानीय चर्चों और स्कूलों में भी इस बार कार्यक्रमों की संख्या कम हो गई है. हालांकि, कुछ परिवार और समुदाय अब भी क्रिसमस को पारंपरिक तरीके से मना रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कम होती जा रही है. दुकानदार अब नए साल की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दुकानदारों का कहना है कि अगर क्रिसमस में नुकसान हुआ है, तो शायद नए साल का बाजार कुछ राहत दे सके. एक अन्य दुकानदार ने कहा, “हम हर साल उम्मीद रखते हैं कि स्थिति बेहतर होगी. शायद आने वाले सालों में लोग फिर से इस त्योहार को उत्साह से मनाने लगें.” </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>ये भी पढ़ें: <a title=”रामायण- महाभारत पढ़ने पर फिर कुमार विश्वास ने दिया जोर, कहा- ‘मित्र दुर्योधन निकल जाए तो…'” href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/atal-bihari-vajpayee-jayanti-in-lucknow-kumar-vishwas-remarks-on-mahabharat-and-ramayana-study-2849767″ target=”_blank” rel=”noopener”>रामायण- महाभारत पढ़ने पर फिर कुमार विश्वास ने दिया जोर, कहा- ‘मित्र दुर्योधन निकल जाए तो…'</a></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Aligarh News Today:</strong> अलीगढ़ में इस बार क्रिसमस के अवसर पर बाजारों की रौनक फीकी पड़ गई है. जहां पहले दुकानदार हजारों क्रिसमस की पोशाक और अन्य सजावटी सामान बेच लिया करते थे, जबकि अब वे ग्राहकों की कमी से जूझ रहे हैं. तीस वर्ष से क्रिसमस का सामान बेचने वाले दुकानदारों का कहना है कि इस बार न सिर्फ बिक्री घटी है बल्कि त्योहार का उत्साह भी पहले जैसा नहीं रहा है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>अलीगढ़ के रामघाट रोड पर दुकानदार नवीन पिछले 30 सालों से क्रिसमस त्योहार से जुड़ा सामान बेच रहे हैं. नवीन का कहना है कि पहले क्रिसमस के त्योहार को लोग बहुत धूमधाम से मनाते थे. इस दौरान लोग घर सजाने के लिए खूब सामान खरीदते थे, साथ में इससे जुड़ी पोशाक, क्रिसमस ट्री, गिफ्ट्स और अन्य सजावटी सामानों की खूब डिमांड रहती थी, हालांकि इस बार ग्राहकों की कमी से दुकानदार मायूस नजर आ रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>हिंदू त्योहारों और संस्कृति का असर?</strong><br />दुकानदारों का कहना है कि अब लोग क्रिसमस का त्योहार मनाने के लिए पहले जैसा उत्साह नहीं दिखा रहे हैं. कई लोगों का ध्यान अब हिंदू त्योहारों और सांस्कृतिक आयोजनों की ओर बढ़ रहा है. एक दुकानदार ने कहा, “पहले लोग क्रिसमस के लिए पहले से ही तैयारी कर लेते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. बिक्री में भारी गिरावट आई है और लोग इस त्योहार को सीमित दायरे में मना रहे हैं.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>रामघाट रोड, जो कभी क्रिसमस के सामानों से सजी दुकानों और ग्राहकों की भीड़ के लिए जाना जाता था, अब सुनसान दिखाई पड़ रहा है. दुकानदारों ने बताया कि इस बार उन्होंने उम्मीद से बहुत कम स्टॉक मंगवाया था फिर भी अधिकांश सामान बिक नहीं पाया है. कई दुकानों पर क्रिसमस ट्री, लाइटें और सजावटी वस्तुएं बिना खरीदारों के कमी की वजह से पड़ी हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>क्रिसमस के जश्न पर महंगाई की मार</strong><br />स्थानीय लोगों का कहना है कि बढ़ती महंगाई और बदलती प्राथमिकताओं के कारण वे अब त्योहारों पर पहले जितना खर्च नहीं कर पाते. एक ग्राहक ने कहा, “क्रिसमस मनाना अच्छा लगता है, लेकिन अब चीजें महंगी हो गई हैं. त्योहार सादगी से मनाना ज्यादा सही लगता है.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>क्रिसमस के उत्साह में आई कमी सिर्फ बाजारों तक ही सीमित नहीं है. स्थानीय चर्चों और स्कूलों में भी इस बार कार्यक्रमों की संख्या कम हो गई है. हालांकि, कुछ परिवार और समुदाय अब भी क्रिसमस को पारंपरिक तरीके से मना रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या कम होती जा रही है. दुकानदार अब नए साल की तैयारियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. </p>
<p style=”text-align: justify;”>दुकानदारों का कहना है कि अगर क्रिसमस में नुकसान हुआ है, तो शायद नए साल का बाजार कुछ राहत दे सके. एक अन्य दुकानदार ने कहा, “हम हर साल उम्मीद रखते हैं कि स्थिति बेहतर होगी. शायद आने वाले सालों में लोग फिर से इस त्योहार को उत्साह से मनाने लगें.” </p>
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