<p style=”text-align: justify;”><strong>BHU News:</strong> काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. विश्वविद्यालय के 94 प्रोफेसर को विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से अनुशासनहीनता के मामले में नोटिस जारी किया गया है. हालांकि इसको लेकर जब BHU प्रशासन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है. नोटिस भेजा गया है अथवा नहीं भेजा गया है इस पर कुछ भी स्पष्ट कहने से प्रशासन ने साफ इनकार कर दिया. वहीं बीते दिनों हफ्तों तक अनशन करने वाले BHU – IMS के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख ओम शंकर का कहना है कि उनकी मांगों के समर्थन में साथ देने वाले 94 प्रोफेसर को कल नोटिस भेजी गई है और उनसे 7 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉ ओम शंकर BHU के मेडिकल विभाग में हृदय रोगियों के लिए आवंटित बेड को तत्काल उपलब्ध कराने और भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई से 30 मई तक आमरण अनशन पर थे. इस दौरान उनसे मिलने के लिए न केवल विश्वविद्यालय के शिक्षक कर्मचारी बल्कि कई राजनीतिक दल के नेता भी पहुंचे थे. चुनाव से कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया. हालांकि इस विषय को लेकर एक पक्ष का यह भी कहना था कि इनके द्वारा राजनीतिक मंशा के तहत चुनाव से ठीक पहले अनशन किया जा रहा है जिससे एक पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>”हम पीछे नहीं हटेंगे अपनी बात को रखेंगे”</strong><br />जब इस मामले को लेकर एबीपी लाइव ने BHU के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ ओम शंकर से बातचीत की तो उन्होंने नोटिस की बात को स्वीकारते हुए कहा कि 7 जून को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के IMS सहित अलग-अलग विभागों के 94 शिक्षकों को नोटिस भेजी गई है. बीते दिनों हमारे द्वारा मरीजों के स्वास्थ्य सुविधाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आवाज उठाई गई थी उसमें इन शिक्षकों द्वारा समर्थन किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सामूहिक रूप से इन साथियों ने यह माना था कि मरीजों के आवश्यक सुविधाओं और उनके जीवन से जुड़ी यह बेहद गंभीर विषय है. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 7 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है. हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम सभी मरीजों के हित के लिए और अपनी नैतिक जिम्मेदारी के तहत ही इस मांग को कर रहे हैं और हम बिल्कुल भी पीछे हटने वाले नहीं हैं. जो गलत करता है वह डरता है. हमने कहीं से भी गलत नहीं किया हैं, इसलिए हम नहीं डरेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>ये भी पढ़ें: <a href=”https://www.abplive.com/states/up-uk/basti-news-cdo-suspends-babu-for-molesting-basti-female-officer-and-investgating-ann-2710749″><strong>Basti News: बस्ती विकास भवन में महिला अधिकारी से छेड़छाड़, सीडीओ ने किया निलंबित</strong></a></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>BHU News:</strong> काशी हिंदू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. विश्वविद्यालय के 94 प्रोफेसर को विश्वविद्यालय प्रशासन की तरफ से अनुशासनहीनता के मामले में नोटिस जारी किया गया है. हालांकि इसको लेकर जब BHU प्रशासन से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय का आंतरिक मामला है. नोटिस भेजा गया है अथवा नहीं भेजा गया है इस पर कुछ भी स्पष्ट कहने से प्रशासन ने साफ इनकार कर दिया. वहीं बीते दिनों हफ्तों तक अनशन करने वाले BHU – IMS के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख ओम शंकर का कहना है कि उनकी मांगों के समर्थन में साथ देने वाले 94 प्रोफेसर को कल नोटिस भेजी गई है और उनसे 7 दिन के अंदर जवाब मांगा गया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>डॉ ओम शंकर BHU के मेडिकल विभाग में हृदय रोगियों के लिए आवंटित बेड को तत्काल उपलब्ध कराने और भ्रष्टाचार के खिलाफ 11 मई से 30 मई तक आमरण अनशन पर थे. इस दौरान उनसे मिलने के लिए न केवल विश्वविद्यालय के शिक्षक कर्मचारी बल्कि कई राजनीतिक दल के नेता भी पहुंचे थे. चुनाव से कुछ ही दिन पहले उन्होंने अपना अनशन समाप्त कर दिया. हालांकि इस विषय को लेकर एक पक्ष का यह भी कहना था कि इनके द्वारा राजनीतिक मंशा के तहत चुनाव से ठीक पहले अनशन किया जा रहा है जिससे एक पार्टी की छवि प्रभावित हो सकती है. </p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>”हम पीछे नहीं हटेंगे अपनी बात को रखेंगे”</strong><br />जब इस मामले को लेकर एबीपी लाइव ने BHU के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ ओम शंकर से बातचीत की तो उन्होंने नोटिस की बात को स्वीकारते हुए कहा कि 7 जून को काशी हिंदू विश्वविद्यालय के IMS सहित अलग-अलग विभागों के 94 शिक्षकों को नोटिस भेजी गई है. बीते दिनों हमारे द्वारा मरीजों के स्वास्थ्य सुविधाओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जो आवाज उठाई गई थी उसमें इन शिक्षकों द्वारा समर्थन किया गया था.</p>
<p style=”text-align: justify;”>सामूहिक रूप से इन साथियों ने यह माना था कि मरीजों के आवश्यक सुविधाओं और उनके जीवन से जुड़ी यह बेहद गंभीर विषय है. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा 7 दिनों में स्पष्टीकरण मांगा गया है. हम स्पष्ट कर देना चाहते हैं कि हम सभी मरीजों के हित के लिए और अपनी नैतिक जिम्मेदारी के तहत ही इस मांग को कर रहे हैं और हम बिल्कुल भी पीछे हटने वाले नहीं हैं. जो गलत करता है वह डरता है. हमने कहीं से भी गलत नहीं किया हैं, इसलिए हम नहीं डरेंगे.</p>
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