सोनीपत में ट्रक से टकराकर सुपरवाइजर की माैत:सड़क पर पड़ा रहा, मैक्स लेब में करता था जॉब, 3 बहनों का इकलौता भाई
सोनीपत में ट्रक से टकराकर सुपरवाइजर की माैत:सड़क पर पड़ा रहा, मैक्स लेब में करता था जॉब, 3 बहनों का इकलौता भाई हरियाणा के सोनीपत में ककरोई गांव के रहने वाले लैब सुपरवाइजर की सड़क हादसे में मौत हो गई। गांव गढ़ी बिंदरौली हाईवे पुल के पास एक तेज रफ्तार ट्रक ने उसे टक्कर मार दी। इलाज के दौरान बाइक सवार की मौत हो गई। आरोपी ट्रक ड्राइवर को मौके से अपना ट्रक छोड़कर भाग गया। पुलिस ने शव का पोस्टमॉर्टम करवाकर परिजनों को सौंप दिया है। मृतक सर्वोत्तम पराशर गांव ककरोई का रहने वाला था और वह हर रोज अपनी नौकरी के लिए गुरुग्राम जाता था। आज सुबह सात बजे घर से निकला था। अपने गांव से वाया बवाना होते हुए बादली मेट्रो स्टेशन तक जाता था। लेकिन गांव गढ़ी बिंदरौली हाईवे पुल के पास सड़क दुर्घटना में मौत हो गई। घटना की सूचना सुबह 7:30 बजे परिजनों को मिली। प्रत्यक्षदर्शी मंजीत के अनुसार, ट्रक चालक ने बिना इंडिकेटर दिए अचानक ब्रेक लगा दिए, जिससे सर्वोत्तम की बाइक ट्रक से टकरा गई। मृतक के पिता ओमप्रकाश ने चौकी इंचार्ज बारोटा को दी। शिकायत में ट्रक चालक पर तेज़ रफ्तारी, लापरवाही और गलती से ब्रेक लगाने का आरोप लगाया है। सूचना मिलते ही एएसआई सतपाल सिंह व उनकी टीम मौके पर पहुंची और कानूनी कार्रवाई शुरू की। थाना कुंडली में मामला दर्ज कर लिया गया है और आरोपी ट्रक चालक की तलाश जारी है। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। तीन भाइयों का इकलौता भाई पिता ओमप्रकाश ने बताया कि उनका बेटा सर्वोत्तम पाराशर तीन बहनों का इकलौता भाई था। चारों भाई बहनों की शादी हो रखी है। सर्वोत्तम के दो बेटे हैं जिनमें एक बेटे की उम्र 6 साल है तो दूसरा 2 साल का है। घर का इकलौता चिराग बुझ गया है। सर्वोत्तम ही परिवार में कमाने वाला था। उनके पिता छोटी सी दुकान चलाते हैं। मैक्स लैब में था सुपरवाइजर सर्वोत्तम पाराशर गुरुग्राम में मैक्स लैब में जॉब करता था। अलग-अलग जगहों पर कंपनी की लैब है। 40 लैब पर सर्वोत्तम सुपरवाइजर था। सभी लैब की निगरानी की जिम्मेदारी भी दी गई थी। लंबे समय से वह कंपनी में जॉब कर रहा था और परिवार का पालन पोषण कर रहा था। दुर्घटना के बाद खुद सर्वोत्तम ने पिता को करवाया फोन घटना के बाद सर्वोत्तम ने मौके पर खड़े एक युवक से मोबाइल फोन देकर अपने पिता को सूचना देने के लिए कहा और आखरी बार भी अपने पिता से वह बात नहीं कर पाया और करीबन 30 से 35 मिनट तक वहीं पर खून से लथपथ पड़ा रहा। अगर दुर्घटना के तुरंत बाद एम्बुलेंस की सुविधा उपलब्ध हो जाती तो सर्वोत्तम को बचाया जा सकता था।पिता को जैसे ही सूचना दी गई तो वह दुर्घटना स्थल पर पहुंचे और एम्बुलेंस में अपने बेटे को लेकर निजी अस्पताल में इलाज के लिए पहुंचे। जहां डॉक्टर ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।