हिमाचल में 3 दिन बाद फिर बारिश-बर्फबारी:वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होगा; 9 से 11 मार्च तक तक स्नोफॉल, 5 शहरों का माइनस में पारा

हिमाचल में 3 दिन बाद फिर बारिश-बर्फबारी:वेस्टर्न डिस्टरबेंस एक्टिव होगा; 9 से 11 मार्च तक तक स्नोफॉल, 5 शहरों का माइनस में पारा हिमाचल में तीन दिन बाद यानी 9 मार्च से वेस्टर्न डिस्टरबेंस दोबारा एक्टिव हो रहा है। इससे 11 मार्च तक बारिश और बर्फबारी के आसार है। 9 मार्च को अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ही मौसम खराब रहेगा। 10 मार्च को अधिक ऊंचे क्षेत्रों के साथ साथ मध्यम ऊंचाई वाले इलाकों में भी बारिश-बर्फबारी के आसार है। 11 मार्च को पूरे प्रदेश में मौसम खराब होगा। इस दिन अधिक ऊंचे क्षेत्रों में फिर से भारी बारिश-बर्फबारी हो सकती है। जाहिर है कि मार्च के दूसरे सप्ताह में भी ठंड से राहत मिलने के आसार नहीं है। वहीं बीते 24 घंटे के दौरान दिन में धूप खिलने से अधिकतम तापमान में उछाल आया है। मगर रात को मैदानी इलाकों में शीतलहर चलने से रातें ठंडी हुई है। 5 शहरों का माइनस में पारा मौसम विभाग की माने तो अगले तीन दिन भी प्रदेशभर में मौसम साफ रहने का अनुमान है। मनाली समेत प्रदेश के पांच शहरों का पारा माइनस में है। मनाली का न्यूनतम -0.9 डिग्री, कुकुमसेरी का न्यूनतम तापमान -12.5 डिग्री, ताबो का -10.2 डिग्री, भरमौर का -0.1 डिग्री और कल्पा का पारा -4.9 डिग्री सेल्सियस रह गया है। केलांग का अधिकतम तापमान भी माइनस में वहीं बीते 24 घंटे में अधिकतम में हल्का उछाल जरूर आया है। मगर अभी भी प्रदेश का औसत अधिकतम पारा नॉर्मल से 1.5 डिग्री कम है। डलहौजी का अधिकतम तापमान अभी भी नॉर्मल से 5.3 डिग्री की गिरावट के बाद 9.6 डिग्री, नाहन का तापमान 4.3 डिग्री की कम के साथ 18.4 डिग्री और केलांग का अधिकतम तापमान नॉर्मल से -4.2 डिग्री कम के साथ -2.2 डिग्री चल रहा है।

बड़ौली-रॉकी गैंगरेप केस में कसौली कोर्ट में सुनवाई:आज अदालत नहीं पहुंची रेप विक्टिम; दोबारा समन भेजा जाएगा, 12 मार्च को अगली पेशी

बड़ौली-रॉकी गैंगरेप केस में कसौली कोर्ट में सुनवाई:आज अदालत नहीं पहुंची रेप विक्टिम; दोबारा समन भेजा जाएगा, 12 मार्च को अगली पेशी हरियाणा के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली और सिंगर रॉकी मित्तल के गैंगरेप केस में आज हिमाचल के कसौली कोर्ट में सुनवाई हुई। मगर रेप विक्टिम आज कोर्ट में पेश नहीं हुई। अब अगली सुनवाई 12 मार्च को होगी। कोर्ट ने पिछली सुनवाई (18 फरवरी) में रेप विक्टिम को समन भेजकर आज कोर्ट में पेश होने को कहा था। मगर पीड़िता को समन ही रिसीव नहीं हो पाया। इसलिए कोर्ट ने आज महिला के दूसरे एड्रेस पर समन दोबारा भेजने को कहा है। अब अगली सुनवाई में पीड़ित महिला के बयान कलमबद्ध होंगे। इसके आधार पर कोर्ट क्लोजर रिपोर्ट पर फैसला करेगी, क्योंकि इस केस में कसौली पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट में दायर कर दी है। इसके पीछे पुलिस ने तर्क दिया कि जांच में महिला से रेप के साक्ष्य नहीं मिले। 13 दिसंबर को FIR दर्ज, 14 जनवरी को कॉपी ​​सामने आई बता दें कि पीड़ित महिला ने बड़ौली और रॉकी मित्तल के खिलाफ 13 दिसंबर, 2024 को सोलन जिले के कसौली पुलिस थाने में गैंगरेप (IPC की धारा 376D) की धाराओं के तहत FIR करवाई थी। 14 जनवरी, 2025 को इसकी कॉपी सामने आई। शिकायत में पीड़िता ने कहा, ‘मैं अपनी सहेली और बॉस अमित बिंदल के साथ कसौली घूमने गई थी। इस दौरान होटल में बड़ौली और रॉकी ने मुझे जबरन शराब पिलाई और सहेली के सामने ही हिमाचल टूरिज्म कॉर्पोरेशन के होटल रोज कॉमन में गैंगरेप किया। इसके बाद मारने की धमकी दी। फिर पंचकूला में बुलाकर झूठे केस में फंसाने की भी कोशिश की। पुलिस को सबूत नहीं मिले FIR होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। इस दौरान पुलिस ने 18 लोगों के बयान दर्ज किए। जिस होटल में रेप होने के आरोप लगाए गए, वहां से भी सबूत जुटाने के प्रयास किए। मगर पुलिस साक्ष्य नहीं जुटा पाई, क्योंकि महिला ने रेप के आरोप डेढ़ साल की देरी से लगाए हैं। इस वजह से होटल से सीसीटीवी फुटेज, शराब के गिलास, बेड शीट जैसे साक्ष्य नहीं मिल पाए। पुलिस के अनुसार, महिला भी मेडिकल करवाने के लिए मुकर गई थी। पीड़िता पर पंचकूला में हनीट्रैप का केस उधर, हिमाचल पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट से पहले ही पंचकूला में रेप पीड़िता, उसकी सहेली और उसके बॉस सोनीपत के भाजपा नेता अमित बिंदल के खिलाफ हनीट्रैप की FIR दर्ज की जा चुकी है। इसके बाद पीड़ित महिला को भी पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। ऐसे में इस हाई प्रो​​​​​​फाइल केस में सबकी नजरे कसौली पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट पर टिकी हैं।

हरियाणा में आज 12वीं फाइन आर्ट्स और डीएलएड एग्जाम:19,210 छात्र होंगे शामिल; बुधवार को 27 नकलची पकड़े, भिवानी चांग सेंटर का पेपर रद्द

हरियाणा में आज 12वीं फाइन आर्ट्स और डीएलएड एग्जाम:19,210 छात्र होंगे शामिल; बुधवार को 27 नकलची पकड़े, भिवानी चांग सेंटर का पेपर रद्द हरियाणा में गुरुवार को 12वीं की फाइन आर्ट्स और डीएलएड की परीक्षा होगी। परीक्षा में प्रदेशभर से कुल 19,210 विद्यार्थी शामिल होंगे। नकल रहित परीक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन सख्त कदम उठा रहा है। परीक्षा केंद्रों पर पुलिस की चौकसी भी बढ़ा दी गई है। लेकिन नकल के मामले अभी भी सामने आ रहे हैं। 6 मार्च को होने वाली सीनियर सेकेंडरी (शैक्षणिक/मुक्त विद्यालय) फाइन आर्ट्स की परीक्षा में 17961 विद्यार्थी और डीएलएड (पुनः परीक्षा/मर्सी चांस) समकालीन भारतीय समाज की परीक्षा में 1249 विद्यार्थी-अध्यापक शामिल होंगे। बुधवार को पकड़े गए 27 नकलची इससे पहले बुधवार को 10वीं व 12वीं (शैक्षिक/मुक्त विद्यालय) तथा डी.एल.एड (पुनः उपस्थिति/मर्सी चांस) की परीक्षाएं आयोजित की गई। बोर्ड द्वारा गठित विभिन्न उड़नदस्तों द्वारा निरीक्षण के दौरान कुछ परीक्षा केंद्रों पर अनुचित साधनों के 27 मामले दर्ज किए गए। सेकेंडरी (शैक्षिक/मुक्त विद्यालय) परीक्षा में 2 लाख 16 हजार 533, सीनियर सेकेंडरी (शैक्षिक/मुक्त विद्यालय) परीक्षा में 1561 तथा डी.एल.एड (पुनः उपस्थिति/मर्सी चांस) परीक्षा में 329 छात्र-अध्यापक शामिल हुए। चांग सेंटर का पेपर रद्द बोर्ड सचिव डॉ. मुनीश नागपाल ने बताया कि बोर्ड चेयरमैन के उड़नदस्ते ने जिला भिवानी के विभिन्न परीक्षा केंद्रों का अचानक निरीक्षण किया। जहां अनुचित साधनों के 5 मामले दर्ज किए गए। इसके अलावा परीक्षा केंद्र राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय चांग-1 में निरीक्षण के दौरान वस्तुनिष्ठ प्रश्न गलत पाए जाने के कारण इस परीक्षा केंद्र पर आज आयोजित सभी विषयों की परीक्षा रद्द कर दी गई। नकल रोकने के लिए नोडल अधिकारी तैनात बोर्ड सचिव डॉ. मुनीश नागपाल ने बोर्ड परीक्षाओं के सुचारू संचालन को लेकर बोर्ड के उच्च स्तरीय अधिकारियों की बैठक ली और दिशा-निर्देश दिए। बोर्ड प्रशासन ने प्रत्येक जिले में नकल रोकने के लिए जिला स्तर पर उच्च स्तरीय अधिकारियों को नोडल अधिकारी के रूप में तैनात किया है। जो सीधे सचिव को रिपोर्ट करेंगे और अपने जिले में पाई जाने वाली कमियों/अनियमितताओं/बाहरी हस्तक्षेप को दूर करने के लिए जिला प्रशासन से मदद लेंगे।

बुलंदशहर के बुलंद परांठों का 100 साल पुराना स्वाद:तवा नहीं तदूंर पर बनाते हैं, 50 वैरायटी के स्वाद ने बनाया लोगों को दीवाना

बुलंदशहर के बुलंद परांठों का 100 साल पुराना स्वाद:तवा नहीं तदूंर पर बनाते हैं, 50 वैरायटी के स्वाद ने बनाया लोगों को दीवाना बुलंदशहर के बुलंद परांठे…जिसकी महक लोगों को अपनी ओर खींच लाती है। इनकी खास बात है कि ये तवे में नहीं सेंके जाते। बल्कि, इसे तंदूर में बनाया जाता है। 100 सालों के परांठा बनाने के इस अंदाज से यहां के लोग भलि-भांति परिचित हैं। यहां के परांठों की खुशबू अब यूपी के बाहर अलग-अलग स्टेट में पहुंच चुकी है। स्वाद ऐसा कि जो इसे खाता है, वही गुणगान करता है। दैनिक भास्कर की स्पेशल सीरीज जायका में चखेंगे बुलंदशहर के परांठों का स्वाद… बुलंदशहर में जिला मुख्यालय से करीब 2 किमी दूर वलीपुरा नहर है। यहां करीब एक दर्जन ढाबे हैं, जो सिर्फ परांठों के लिए फेमस हैं। इन ढाबों में सबसे पुराना और प्रसिद्ध है सचिन का ढाबा। सचिन ढाबा के संचालक सुकेन्द्र पाल सिंह उर्फ गुड्डू भैया कहते हैं, हमारा ढाबा आजादी से पहले से चल रहा है। करीब 100 साल हो गए। आज चौथी पीढ़ी इस ढाबे को संभाल रही है। हमने आज तक अपनी क्वालिटी से समझौता नहीं किया। यही कारण है कि लोग दूर-दूर से परांठा खाने आते हैं। तंदूर पर परांठे बनाने के पीछे की वजह
इस सवाल के जवाब में सुकेन्द्र पाल सिंह मुस्कुराकर बोलते हैं- यही हमारे परांठों के स्वाद का असल राज है। मिट्टी की खुशबू जिस व्यंजन में लग जाए, वही स्वादिष्ट हो जाता है। वह कहते हैं- हमारा मानना है कि तवे में परांठे सही से पकते नहीं हैं, जबकि तंदूर में कोयले और लकड़ी की आंच बराबर से लगती है। हमारा तंदूर नियमित साफ होता है, इसमें मिट्टी का लेप लगाया जाता है। टेस्ट में इसका असर भी होता है। भूख मिटाने के लिए एक परांठा काफी है
सुकेंद्र पाल सिंह बताते हैं- हमारे परांठे का साइज काफी बड़ा होता है। हैवी भी। ये मान लीजिए कि 6 रोटी के बराबर एक पराठा। मतलब, एक परांठा ही भूख मिटाने के लिए काफी होता है। 50 किस्म के मिलते हैं परांठे
सचिन ढाबा के साथ-साथ सभी ढाबों में 50 किस्म के परांठे मिलते हैं। स्वाद में- आलू परांठा, आलू-प्याज, आलू पनीर, गोभी, मटर, प्याज पनीर परांठा, चकुंदर परांठा, लौकी परांठा, खीरा परांठा, मशरूम परांठा, मटर मशरूम परांठा, गाजर परांठा, गाजर प्याज परांठा मेन है। जिसकी जैसी डिमांड, उसे वैसा ही परांठा परोसा जाता है। परांठों के साथ लजीज हरी चटनी, आचार के अलावा रायता। एक नजर परांठों की कीमत पर
वलीपुरा नहर स्थित ढाबों में अलग-अलग दाम पर परांठे मिलते हैं। यहां कीमत 50 रुपए से लेकर 500 रुपए तक है। स्वाद की वैराइटी के हिसाब से ये कीमत हैं। जैसे सामान्य परांठा-50 रुपए प्लेट और पनीर या मशरूम परांठा 100 रुपए। इसी तरह स्पेशल थाली की कीमत- 500 तक। एक दिन में सचिन ढाबे में करीब 2 हजार से ज्यादा परांठों की बिक्री होती है। अगर पूरे एरिया में परांठे बिक्री पर नजर डाली जाए तो इसकी संख्या 10 हजार तक पहुंच जाती है। कस्टमर रिव्यू…. …………………. आप ‘जायका यूपी का’ सीरीज की ये 4 कहानियां भी पढ़ सकते हैं… 1.ठग्गू के लड्डू…ऐसा कोई सगा नहीं, जिसको हमने ठगा नहीं: 55 साल पुराना कनपुरिया जायका; स्वाद ऐसा कि पीएम मोदी भी मुरीद, सालाना टर्नओवर 5 करोड़ रुपए गंगा नदी के किनारे बसा कानपुर, स्वाद की दुनिया में भी खास पहचान रखता है। यहां का एक जायका 55 साल पुराना है। इसकी क्वालिटी और स्वाद आज भी वैसे ही बरकरार है। यूं तो आपने देश के कई शहरों में लड्डुओं का स्वाद चखा होगा। लेकिन गाय के शुद्ध खोए, सूजी और गोंद में तैयार होने वाले ठग्गू के लजीज लड्डुओं का स्वाद आप शायद ही भूल पाएंगे। पीएम मोदी जब कानपुर मेट्रो का उद्घाटन करने आए थे, तब उन्होंने मंच से इस लड्डू की तारीफ की थी। पढ़िए पूरी खबर… 2. बाजपेयी कचौड़ी…अटल बिहारी से राजनाथ तक स्वाद के दीवाने: खाने के लिए 20 मिनट तक लाइन में लगना पड़ता है, रोजाना 1000 प्लेट से ज्यादा की सेल बात उस कचौड़ी की, जिसकी तारीफ यूपी विधानसभा में होती है। अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव भी इसके स्वाद के मुरीद रह चुके हैं। दुकान छोटी है, पर स्वाद ऐसा कि इसे खाने के लिए लोग 15 मिनट तक खुशी-खुशी लाइन में लगे रहते हैं। जी हां…सही पहचाना आपने। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की बाजपेयी कचौड़ी की। पढ़िए पूरी खबर… 3. ओस की बूंदों से बनने वाली मिठाई: रात 2:30 बजे मक्खन-दूध को मथकर तैयार होती है, अटल से लेकर कल्याण तक आते थे खाने नवाबी ठाठ वाले लखनऊ ने बदलाव के कई दौर देखे हैं, पर 200 साल से भी पुराना एक स्वाद है जो आज भी बरकरार है। लखनऊ की रियासत के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह भी इसके मुरीद थे। अवध क्षेत्र का तख्त कहे जाने वाले लखनऊ के चौक पर आज भी 50 से ज्यादा दुकानें मौजूद हैं, जहां बनती है रूई से भी हल्की मिठाई। दिल्ली वाले इसे ‘दौलत की चाट’ कहते हैं। ठेठ बनारसिया इसे ‘मलइयो’ नाम से पुकारते हैं। आगरा में ‘16 मजे’ और लखनऊ में आकर ये ‘मक्खन-मलाई’ बन जाती है। पढ़िए पूरी खबर… 4. रत्तीलाल के खस्ते के दीवाने अमेरिका में भी: 1937 में 1 रुपए में बिकते थे 64 खस्ते, 4 पीस खाने पर भी हाजमा खराब नहीं होता मसालेदार लाल आलू और मटर के साथ गरमा-गरम खस्ता, साथ में नींबू, लच्छेदार प्याज और हरी मिर्च। महक ऐसी कि मुंह में पानी आ जाए। ये जायका है 85 साल पुराने लखनऊ के रत्तीलाल खस्ते का। 1937 में एक डलिये से बिकना शुरू हुए इन खस्तों का स्वाद आज ऑस्ट्रेलिया,अमेरिका और यूरोप तक पहुंच चुका है। पढ़िए पूरी खबर…

घर से बाहर निकलने पर नोंच–खा जाते हैं कुत्ते:बहराइच के गांवों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा; लाठी-डंडा लेकर निकल रहे लोग

घर से बाहर निकलने पर नोंच–खा जाते हैं कुत्ते:बहराइच के गांवों में सन्नाटा, बच्चों ने स्कूल छोड़ा; लाठी-डंडा लेकर निकल रहे लोग सावधान, सावधान, सावधान…आपको सुचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए हैं। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से जब भी निकलें तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर…ये कुत्ते झुंड में रहते हैं, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं। बहराइच जिला प्रशासन यह अनाउंसमेंट गांव-गांव तक करा रहा है। बहराइच में भेड़िए और तेंदुए के बाद अब कुत्तों का आतंक है। खैरीघाट इलाके के शिवपुर ब्लॉक के 4 गांव मटेरा कला, बक्शीपुरा, रखौना, खैरीघाट में ग्रामीण डरे हुए हैं। बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे। लोग घरों में कैद हैं।गांवों में सन्नाटा है। अगर घर से निकलते भी हैं तो समूह में, वो भी हाथ में लाठी-डंडा और बल्लम लेकर। कुत्ते बच्चों पर ज्यादा हमलावर हैं। प्रशासन कुत्तों को पकड़ने के लिए प्रयास तो कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है। लाउडस्पीकर से अनाउंसमेंट कराया जा रहा है। पिछले 10 दिनों से कुत्ते 4 अलग-अलग गांवों में हमले कर रहे हैं। एक मासूम को इतना नोचा कि उसकी मौत हो गई। चार गांवों में बच्चों समेत 15 से लोग घायल हैं। यहां पर कुत्तों को पकड़ने के लिए जाल लगाया गया है। फिर भी कुत्ते पकड़ में नहीं आ रहे हैं। आतंक बढ़ता देख प्रशासन लाउडस्पीकर से लोगों को सतर्क कर रहा है। दैनिक भास्कर की टीम बहराइच जिला मुख्यालय से करीब 45 किमी दूर उस गांव में पहुंची, जहां कुत्तों ने जीना मुश्किल कर दिया है। पढ़िए रिपोर्ट… पहले 2 तस्वीरें… कुत्तों ने बच्ची को नोच कर मार डाला
शिवपुर ब्लाक का मटेरा कला गांव। यह बहराइच जिला मुख्यालय से 45 किमी दूर है। गांव की आबादी करीब 1500 है। भास्कर की टीम यहां पहुंची। पता चला कि इन दिनों लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे हैं। गांव के बाहर प्रशासन ने जाल लगाया है। उसके बावजूद कुत्तों का आतंक रुक नहीं रहा है। 10 दिन से ज्यादा हो गए लेकिन अभी तक एक भी कुत्ता जाल में नहीं फंसा है। 24 फरवरी को गांव में पिंकी (9) शाम 4.30 बजे अपनी सहेलियों के साथ खेत की तरफ जा रही थी। तभी घर से 200 मीटर दूर रास्ते में कुत्तों ने हमला कर दिया। साथ गईं बच्चियां सहम गईं। वे दौड़ कर घर आईं और परिवार वालों को जानकारी दी। बच्ची के पिता दौड़ कर मौके पर पहुंचे। खून से लथपथ बच्ची बेहोश हो गई थी। आनन-फानन में बच्ची को अस्पताल लेकर भागे, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इसके बाद से गांव में खौफ है। बच्चे-बूढ़े घरों में कैद हैं। कुत्ते झुंड में हमला कर रहे हैं। प्रशासन भी इनके सामने नाकाम दिख रहा है। टीम से पिंकी के पिता राजेंद्र ने बताया- मेरी बच्ची गांव के प्राइमरी स्कूल में कक्षा तीन में पढ़ती थी। वह सुबह स्कूल गई, शाम में वापस आई। खाना खाकर वह घर के बाहर खेलने चली गई थी। गांव की कुछ और बच्चों के साथ वह खेत की तरफ जा रही थी। रास्ते में ही कुत्तों के झुंड ने उस पर अटैक कर दिया। मैं भागता हुआ पहुंचा। देखा कि बिटिया घायल पड़ी थी। खून से लथपथ थी। हमने बिटिया को गोद में उठाया, आवाज दी। वह नहीं बोली। उसे लेकर अस्पताल भागे, लेकिन उसकी जान जा चुकी थी। इसी गांव के ननकऊ बताते हैं कि बच्ची की चीखने की आवाज सुनकर मैं भी मौके पर पहुंचा। कुत्ते बच्ची को नोच रहे थे। बचाने के लए आगे बढ़ा तो कुत्ते आक्रामक हो गए। मेरे ऊपर दौड़ पड़े। बच्ची को बचाने का प्रयास किया लेकिन बच्ची पूरी तरह खून से लथपथ हो गई थी। कुत्तों ने काटा, गांव के लोग दौड़े तब बची जान मटेरा कला से निकलकर टीम बक्शीपुरा पहुंची। यहां की आबादी करीब 1200 है। यहां भी कुत्ते लगातार हमला कर रहे हैं। गांव के लोग पहरा दे रहे हैं। प्रशासन ने भी डेरा जमा रखा है। लेकिन कुत्तों को पकड़ने में नाकाम है। लोग खेत पर जाते हैं तो झुंड में जाते हैं। उसके बावजूद कुत्ते मौका पाकर हमला कर देते हैं। सबसे ज्यादा खतरा छोटे बच्चों को है। लोगों ने बताया, 26 फरवरी को इसी गांव में कुत्तों के झुंड ने मोहल्ले में खेल रहे बच्चों पर हमला कर दिया। चीख सुनकर दौड़े लोगों ने लाठी–डंडों से खदेड़ कर कुत्तों को भगाया। हमले में हुसैन रजा (8), शुभम , अजय, साक्षी, विकास शर्मा व मुशर्रफ अली समेत छह बच्चे घायल हो गए। कुत्तों के झुंड ने बच्चे अजय को काटा
घायल बच्चा अजय बताता है, मैं खेल कर आ रहा था। तभी 4 से 5 कुत्तों ने मेरे ऊपर हमला कर दिया। मैं चिल्ला कर भागा। उसके बावजूद एक कुत्ते ने मुझे काट लिया। जब गांव के लोग लाठी-डंडे लेकर पहुंचे तो कुत्ते भागे। तब मेरी जान बची। नहीं तो उस दिन कुत्तों का झुंड हमको नोच डालता। लाठी-डंडे लेकर रतजगा कर रहे गांव के लोग
गांव बक्शीपुरा के पास रखौना गांव। छोटा गांव है। आबादी करीब 900 की है। यहां के लोगों ने टीम से बताया कि उनका बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जब भी कोई घर से बाहर निकलता है तो हाथ में डंडा-लाठी लेकर। यहां प्रशासन से कोई इंतजाम नहीं किया है। गांव वाले खुद ही कुत्तों के हमले से बचने के लिए रात में पहरा देते हैं। झुंड बनाकर हाथ में लाठी-डंडे लेकर रात में कुत्तों को भगाते हैं। इसके बावजूद आदमखोर कुत्तों का आतंक रुक नहीं रहा है। 28 फरवरी को इसी गांव में 4 वर्षीय बच्ची आरती घर के बाहर खेल रही थी, तभी कुत्तों ने उस पर हमला कर दिया। बच्ची की चीखें सुनकर आसपास के लोग और परिजन दौड़े। उन्होंने लाठी-डंडों से कुत्तों को भगाया और बच्ची की जान बचाई। घायल आरती को अस्पताल ले जाया गया, अब उसकी स्थिति खतरे से बाहर है। इसके बाद से ग्रामीणों में आक्रोश है। गांव के बालक राम बताते हैं कि मेरी छोटी बच्ची आरती घर के बाहर खेल रही थी। हम लोग भी यहीं खड़े थे। तब तक कुत्तों का झुंड आया, हम लोग कुछ समझ पाते, कुत्तों के झुंड ने मेरी बच्ची पर हमला कर दिया। गांव के बाहर तक बच्ची को कुत्ते घसीटकर ले गए। बच्ची के शरीर पर घाव हो गए, हमें उसका बेहतर इलाज कराना पड़ा। मां के सामने बच्ची को उठा ले गए आवारा कुत्ते
​​​गांव रखौना से 2 किमी दूर खैरीघाट गांव है। यहां पर भी कुत्तों के हमले नहीं रुक रहे हैं। गांव के लोग परेशान हैं। घर में घुसकर कुत्ते छोटे-छोटे बच्चों को उठा ले जाते हैं। अगर कोई अकेला कहीं जा रहा है, तो कुत्ते उस पर हमला कर देते हैं। कुत्ते पीछे से आते हैं और हमला कर देते हैं। प्रशासन हमलावर कुत्तों को पकड़ने का प्रयास कर रहा है। लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही है। सोमवार 3 मार्च को खैरीघाट इलाके में ही कुत्तों ने 10 साल के मासूम अजय, शिवपुर निवासी ग्रामीण राम गोपाल (62), पुरुषोत्तम (65) और बबलू (35) पर हमला कर दिया। हमले में सभी लोग घायल हो गए। 2 साल की बच्ची को कुत्ते घसीटकर ले गए
गांव की गुड़िया ने बताया, मैं अपनी 2 साल की बच्ची लाडो को लेकर घर के बाहर पानी भरने गई थी। उसको बैठाकर पानी भरने लगी, तभी कुत्ते आए और उस पर हमला कर दिए। उसे जबड़े से पकड़कर घसीटकर ले जाने लगे। मैं चीख सुनकर दौड़ी। आवाज दी तो गांव वाले लाठी-डंडे लेकर पहुंचे। कुत्तों के पीछे गए। उसके बाद बच्ची को छुड़ाकर हम लोग लाए। ग्रामीण रमाशंकर बताते हैं कि कुत्ते इलाके में काफी दिनों से रह रहे हैं। लेकिन ये अचानक से हिंसक हो गए हैं। जिससे लोग भयभीत हैं। कुत्ते झुंड में आकर हमला कर देते हैं। चोरी छिपे आते हैं। एकदम हमलावर हो जाते हैं। कुत्ते आदमखोर हो गए हैं…
प्रशासन एक गाड़ी पर बाकायदा लाउडस्पीकर बांधकर अनाउंसमेंट करा रहा है। कहा जा रहा- सावधान, सावधान सावधान… आपको सुचित किया जाता है कि आपके गांव के कुत्ते आदमखोर हो गए है। हमला कर रहे हैं। आप सभी लोग घर से निकले तो हाथ में लाठी- डंडा लेकर। ये कुत्ते इतने आदमखोर हो गए हैं कि झुंड में रहते है, अकेले और निहत्था देखकर हमला कर देते हैं। आवारा कुत्ते इतने खूंखार क्यों? आवारा कुत्तों के हमलावर होने और खूंखार होने के पीछे कारण को जानने के लिए पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुराग से बातचीत की गई। उन्होंने इस पर विस्तार से बताया। 6 प्वाइंट में समझिए… इसी चार गांवों में सबसे ज्यादा हमले क्यों
शिवपुर ब्लाक जंगल से सटा हुआ है। यहां 4 गांवों में के आस-पास जंगल है। इसलिए यहां के कुत्ते ज्यादा हमलावर है। इससे पहले इन्हीं गांवों में भेड़ियों का आतंक था। इस वजह से लोगों में उसी प्रकार का डर है। प्रशासन एक्शन में आया, 3 कुत्ते पकड़े गए
शिवपुर ब्लाॅक में 10 दिन से आवारा कुत्तों के हमले हो रहे हैं, जिसके चलते कुत्तों को पकड़ने का अभियान चल रहा है। बुधवार को खंड विकास अधिकारी की अगुआई में टीम ने 3 आवारा कुत्तों को पकड़ा है। जिनका बंध्याकरण किया जाएगा। बंध्याकरण के बाद, पशु में टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम हो जाता है। इससे पशु कम आक्रामक हो जाता है। डीएम मोनिका रानी के दिशा-निर्देशन में अभियान चलाया जा रहा है। कुत्तों को पकड़कर पशु विभाग को दिया जा रहा है। इनका बंध्याकरण किया जाएगा। इसके कुछ दिन बाद फिर से गांव में छोड़ दिया जाएगा। कुत्तों के काटने पर क्या करना चाहिए इससे पहले यहां भेड़ियों का आतंक था
साल 2024 के जुलाई और अगस्त महीने में यहां भेड़ियों का मूवमेंट ज्यादा है। बहराइच जिले की महसी तहसील के हरदी इलाके के 50 गांवों को भेड़ियों ने अपना इलाका बना लिया था। ये बच्चों को टारगेट बना रहे थे। भेड़ियों को पकड़ने के लिए वन विभाग को 50 से ज्यादा टीमें बनानी पड़ी थीं। ये दिन-रात लाठी-डंडों और बंदूक से लैस होकर पहरा देती थीं। प्रशासन दो महीने तक परेशान रहा। ड्रोन से निगरानी की जा रही थी। कई बार ड्रोन में भेड़िए कैद भी हुए। विभाग के तीन डीएफओ (बाराबंकी, कतर्निया घाट, बहराइच) के साथ 350 कर्मी दिन रात कांबिंग में जुटे रहे। पूरे इलाके की ड्रोन से निगरानी की जा रही थी। इसके साथ ही भेड़िए को बेहोश करने के लिए भी एक्सपर्ट बुलाए गए। 35 किलोमीटर का एरिया भेड़िए के हमले से प्रभावित रहा। हरदी थाना क्षेत्र के 32 गांवों की 80 हजार आबादी प्रभावित थी। 18 अगस्त, 2024 तक 5 भेड़िए पकड़े गए। तब प्रशासन ने माना कि सभी भेड़िए पकड़ लिए गए हैं। ——————————— ये खबर भी पढ़ें… यूपी में मुखौटे भी तेंदुए से नहीं बचा पाए:स्कूल, खेत सब खाली पड़े; 6 साल में 59 को बाघ ने बनाया शिकार यूपी के बिजनौर में तेंदुए के खौफ से लोग सिर के पीछे मुखौटा लगाकर निकल रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। दो दिन पहले मुखौटा बांटने के बाद भी एक महिला को तेंदुए ने मार दिया। लगातार हो रहे हमलों से लोग खौफ में हैं। समूह बनाकर और हथियार लेकर ही घर से बाहर निकल रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…

लट्‌ठमार होली के लिए हुरियारन लाठी पर तेल लगा रहीं:डाइट में सूखे मेवा-दूध बढ़ाया, ताकि नंद गांव के ग्वालों को लाठियां मार सकें

लट्‌ठमार होली के लिए हुरियारन लाठी पर तेल लगा रहीं:डाइट में सूखे मेवा-दूध बढ़ाया, ताकि नंद गांव के ग्वालों को लाठियां मार सकें नंदगांव और बरसाना लट्‌ठमार होली के लिए तैयार है। नंदगांव यानी जहां श्रीकृष्ण ने अपना बचपन बिताया। प्रभु के सखा स्वरूप में ग्वाले 50Km दूर बरसाना पहुंचेंगे। यहां राधा रानी की सखियों के स्वरूप में हुरियारने उन पर लाठियां बरसाएंगी। शनिवार को दोपहर 12 बजे नंदगांव के हुरियारे बरसाना के पीली पोखर पहुंचेंगे। यहां पगड़ी बांधने और श्रृंगार के बाद वह लाडलीजी के दर्शन करेंगे। इसके बाद करीब 3km के दायरे में फैली कुंज गलियों से वह गुजरेंगे। जब हुरियारने ग्वालों पर लाठियां बरसा रही होंगी, तब उन्हें देखने के लिए करीब 10 लाख टूरिस्ट बरसाना में मौजूद रहेंगे। लट्‌ठमार होली की परंपरा क्या है? बरसाना और नंदगांव में तैयारियां कैसी चल रही हैं? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप टीम मथुरा जिला मुख्यालय से 50Km दूर राधा रानी के गांव बरसाना पहुंची। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… हुरियारनों की तैयारी पढ़िए… 15 दिन से लाठी पर सरसो का तेल लगा रहीं
बरसाना में एंट्री करते ही एक बड़ा सा गेट मिला। जिस पर लिखा था म्हारो प्यारो बरसाना। सबसे पहले हमने हुरियारनों की तलाश शुरू की, ताकि पता चल सके कि उनकी तैयारी कैसी चल रही है। कुछ लोग हमें एडवोकेट गोकुलेश कटारा के घर तक पहुंचा गए। यहां उनकी पत्नी राधा कटारा लाठी पर तेल लगाते हुए मिली। राधा ने बताया- मेरा मायका दिल्ली में है। केवल सुना था कि बरसाना की लट्ठमार होली होती है। अब जब शादी करके बरसाना ससुराल बनी, तो धन्य हो गई। हमने पूछा कि इस त्योहार के लिए तैयारी कैसे करते हैं। उन्होंने कहा- लट्ठमार होली के लिए लाठी पर करीब 15 दिन पहले से सरसो का तेल लगाना शुरू कर देते हैं। इससे लचक बढ़ जाती है। हुरियारन की लंबाई के हिसाब से तय होती हैं लाठियां
हमने पूछा कि लाठियों का साइज कैसे तय करते हैं। उन्होंने कहा- यह हुरियारन की लंबाई पर निर्भर करता है, ताकि वह आसानी से लाठी चला सके। साथ ही, सखियों की डाइट भी बदल जाती है। पौष्टिक आहार एक महीने पहले से बढ़ा देते हैं। ताकि लाठी की मार में दम लग सके और उस दिन थकावट न महसूस हो। सिर्फ बरसाना की बहू ही बनती है हुरियारन
आगे बढ़ने पर ब्रज दूल्हा मंदिर के सामने एक घर में महिलाएं होली के गीत, रसिया गाते हुए हाथों में लाठियां लिए हुए मिलीं। पता चला कि यहां लट्ठमार होली के लिए तैयारियां कर रही हैं। यहां कमरे में मौजूद विमला देवी ने कहा- बरसाना से करीब 1000 हुरियाने तैयार हो रही हैं। नए परिधान बनवाए जा रहे हैं। हमने पूछा- क्या कोई भी लड़की हुरियारन बन सकती है? विमला ने कहा- नहीं…। सिर्फ वही लड़की हुरियारन बनती है, जो बरसाना की बहू हो। कुंवारी लड़कियां इसमें शामिल नहीं होती। वो सिर्फ देखती हैं। बरसाना के सभी लोगों को इस त्योहार का पूरे साल इंतजार रहता है। तैयारियां भी महीने भर पहले से होती हैं। ऐसा लगता है कि सभी श्रीकृष्ण की सखियां हैं। ग्वाल चिढ़ाएंगे तो उन्हें सबक सिखाने का मौका मिलेगा। सबका यही भाव रहता है। बरसाना का माहौल जानिए… 50 हजार किलो गुलाल उड़ाने की तैयारी, सेल्फी पॉइंट बने
हुरियारनों से बात समझने के बाद हम आगे बढ़े तो रास्ते में मजदूर सड़क की मरम्मत करते दिखे। भीड़ नियंत्रण के लिए रेलिंग लगाई जा रही थी। मजदूरों ने बताया कि उन्हें यह काम 6 मार्च से पहले पूरा करना है। 8 मार्च को लट्‌ठमार होली खेली जानी है। इस बार उम्मीद है कि बरसाना में 50 हजार किलो गुलाल उड़ा दिया जाएगा। बरसाना में जगह-जगह सेल्फी पॉइंट बनाए गए हैं। स्वागत द्वार से करीब 100 मीटर की दूरी पर नया सेल्फी प्वाइंट है। यहां राधा रानी की प्रतिमा भी लगी है। सेल्फी प्वाइंट के आसपास दुकानों और ठेलों पर रंग, गुलाल बिक रहा है। दुकानदार होली के दौरान गुलाल बेचने के लिए छोटी-छोटी पैकिंग तैयार कर रहे हैं। नंदगांव के हुरियारे ढाल बरसाना में बनवाते हैं… कारीगर बोले- हुरियारे के शरीर पर निर्भर करता है ढाल का साइज
लट्ठमार होली की एक और खासियत यह है कि नंदगांव के हुरियारें ढाल तैयार करवाने के लिए बरसाना आते हैं। यहां एक एकमात्र रमेश मिस्त्री हैं, जो ढाल तैयार करते हैं। भास्कर टीम उनकी दुकान पहुंची। सामने आया कि सामान्य दिनों में वह गैस, गीजर, हीटर आदि की मरम्मत करते हैं, मगर होली से 45 दिन पहले ढाल बनाने और पुरानी ढालों की मरम्मत का काम शुरू कर देते हैं। रमेश मिस्त्री ने कहा- 70 सालों से हमारे परिवार में यही काम चलता आ रहा है। ढाल कैसे बनानी है, कैसे ठीक होगी? मजबूत ढाल के लिए क्या मेटेरियल बेहतर है? यह सब मैंने अपने पूर्वजों से सीखा। उन्होंने बताया कि ढाल करीब 8 Kg की होती है। इसलिए शरीर से ठीक-ठाक लोग ही इसको एक साथ से लेकर चल पाते हैं। ढाल का साइज छोटा-बड़ा हो सकता है, जोकि हुरियारे के शरीर पर निर्भर करता है। पहले एक ही तरह की ढाल बनती थी, जिनमें लेदर का इस्तेमाल होता था। अब ग्वाले तरह-तरह की ढालों की डिमांड करते हैं। इसमें हवा ढाल और LED लाइट ढाल की भी अब डिमांड होने लगी है। मगर सबसे ज्यादा सादी ढाल ही हुरियारे लेकर जाते हैं। ग्वाले पुरानी ढाल ठीक करवाने ज्यादा आते हैं
रमेश ने कहा- इन दिनों हम अपना हीटर-गीजर मरम्मत का काम छोड़कर ढाल बनाने पर ही फोकस करते हैं। परंपरा भी है और पूर्वजों की विरासत को आगे बढ़ाने में अच्छा भी लगता है। मेरे पास नंदगांव के हुरियारे ढाल बनवाने आते हैं। हर साल 2 तरह के ऑर्डर आते हैं। 15 से 20 नई ढाल बनाने के लिए। दूसरा पुरानी ढालों को रिपेयरिंग का, जोकि ज्यादा होता है। रिपेयरिंग में ढाल पर नए सिरे से लेदर चढ़ाया जाता है। जबकि नई ढाल बनाने में 1 दिन का समय लगता है। यह 8kg की होती है। इसकी कीमत 4000 से 4500 रुपए होती है। अब नंदगांव के हुरियारों की बात… श्रीकृष्ण के सखा श्रृंगार करके पहुंचते हैं, होता है सत्कार
नंदगांव के सुशील गोस्वामी ने कहा – श्रीमदभागवत में भी जिक्र मिलता है कि जब श्रीकृष्ण का राधा रानी से विवाह हुआ। उसके बाद जिस तरह वह दूल्हे की तरह सजकर पहुंचे थे। सखियां गीत गाती हैं- चल री सखी ठाकुरजी दूल्हा बनकर आए। तब कोठे पर चढ़ी सखियां श्याम सुंदर पर फूल मारती हैं। अब भी वही परंपरा चली आ रही है। आज भी हुरियारे श्रीकृष्ण के सखा के रूप में नंदगांव से बरसाना आते हैं, दूल्हा की तरह श्रृंगार करते हैं। यहां राधा रानी की सखियां उनके ऊपर प्रेम के साथ लाठी मारती हैं। श्रृंगार करने के बाद हुरियारे कुंज गलियों में निकलते हैं
नंदगांव के हुरियारे कृष्णा गोस्वामी बताते हैं- बरसाना में हुरियारे दोपहर 12 बजे तक पहुंच जाते हैं। सभी पीली पोखर पर इकट्‌ठा होते हैं। यहां पर हुरियारे पगड़ी बांधते हैं। श्रृंगार करते हैं। उनके आदर सत्कार में भोज की व्यवस्था होती है। पूरी तैयारी होने के बाद हुरियारे कुंज गलियों से होते हुए लाडली जी के मंदिर पहुंचते हैं। यहां दर्शन के बाद वह गोधुली बेला (जब सूरज ढलने लगता है) में कुंज गलियों में निकलते हैं। शाम के 4 बजे से लेकर 7 बजे तक गलियों से हुरियारे निकलते हैं। वहां पहले से खड़ी हुरियारने उनके ऊपर लाठियां बरसाती हैं। इस दौरान हुरियारे गीत गाते हैं। ऐसा करीब 3 घंटे तक चलता है। 7 बजे लाडलीजी के मंदिर पहुंचने के बाद लट्‌ठमार होली खत्म हो जाती है। गीत जो हुरियारे गाते हैं… गीत 1. वृंदावन बानिक बनो, भंवर करे गुंजार दुल्हन प्यारी राधिका, तूने नंदकुमार बजाए रहियो रहे…बंसिया
गीत 2. छोटो सा कन्हैया, जिनके बड़े-बड़े नैन बरसाने की कुंज गलियों में ठाड़े हमारे सैन टेसू के फूलों से रंग तैयार हो रहा… श्रीजी मंदिर की छत पर तैयार हो रहा टेसू के फूलों से रंग
हुरियारों की तैयारी को समझने के बाद हम बरसाना के श्रीजी मंदिर पहुंचे। यहां छत पर होली के लिए इको फ्रेंडली रंग तैयार किया जा रहा है। यहां मंदिर के गोस्वामी समाज के युवक बड़े-बड़े ड्रम में रंग घोल रहे हैं। चूल्हे पर बड़ी कढ़ाई में टेसू के फूलों को पानी में मिलाकर गर्म किया जा रहा है। जिससे यह चटक रंग दे सकें। गोस्वामी युवक कढ़ाई में तैयार कर रहे रंग को लगातार लकड़ी की मदद से चलाते रहते हैं। ताकि फूल पूरा रंग छोड़ दें। राकेश ब्रजवासी कहते हैं- प्राकृतिक रंगों को केवड़ा, टेसू के फूल, चंदन, इत्र और गुलाब के फूलों से तैयार होता है। एक महीने से तैयारी करते है, तब होली पर रंग तैयार होता है। 1 हजार क्विंटल फूल राजस्थान और हरियाणा से मंगवाए जाते हैं। गरम होने के बाद सफेदी डाली जाती है, जब ये रंग छोड़ देते हैं, फिर छान लेते हैं। इसी रंग का इस्तेमाल सभी ग्वाले करते हैं। लट्‌ठमार होली पर रंगीली गली भी तैयार…
गली सजी, मगर VIP के लिए रिजर्व
अब हम लोग रंगीली गली पहुंचे। जहां लट्ठमार होली खेली जाती है। पहले बरसाना आने वाले श्रद्धालु इसी जगह पर लट्ठमार होली देखते थे। अब यह जगह VIP मूवमेंट के लिए रिजर्व कर दी गई है। मगर लट्ठमार होली के लिए रंगीली गली को सजाया और संवारा जा रहा है। यहां गलियों की दीवार पर लट्ठमार होली की पेंटिंग बनाई जा रही है। सड़कों की मरम्मत के काम पूरे हो चुके हैं। लोग रंगीली गली के आसपास, सुदामा चौक, राधा रानी चौक और बृज दूल्हा गली पर लट्‌ठमार होली देख सकते हैं। हालांकि पुलिस प्रशासन ने भीड़ ज्यादा होने की वजह से ज्यादा देर एक जगह पर खड़े होने की मनाही की है। मतलब लोग भी इन गलियों में चलते रहेंगे। इस बार लोगों को छतों पर भी बैठने से मना कर दिया गया है। ताकि हादसे से बचाया जा सके। श्रीजी मंदिर में होली का रसिया गायन हो रहा
रंगीली गली से आगे बढ़ते हुए करीब 300 सीढ़ी चढ़कर श्रीजी मंदिर पहुंचे। यहां मंदिर के अंदर समाज गायन चल रहा था। मंदिर के गोस्वामी आंगन में बैठकर श्रीजी के सामने होली के पदों को गा रहे थे। यह सिलसिला होली तक प्रतिदिन इसी तरह चलता है। श्रद्धालु राधा रानी की एक झलक पाने को आतुर रहते हैं। ———————– ये भी पढ़ें : मथुरा में गोपियों ने कृष्ण को मारे लट्‌ठ:साधु-संतों ने 10 क्विंटल फूलों से खेली होली, आज बिरज में…गाने पर थिरके लोग मथुरा में सोमवार को श्रीकृष्ण सखियों के साथ होली खेल रहे हैं। राधा रानी और सखियां लट्‌ठ लेकर प्रभु के साथ होली खेलती है, ढाल लेकर कृष्ण खुद को बचाते हैं। यह दृश्य है मथुरा के रमण रेती का। पढ़िए पूरी खबर…

नाविक पिंटू की कहानी, जिसका जिक्र सीएम योगी ने किया:मां-पत्नी के जेवर गिरवी रख 70 नाव खरीदीं, महाकुंभ में कमाए 30 करोड़ रुपए

नाविक पिंटू की कहानी, जिसका जिक्र सीएम योगी ने किया:मां-पत्नी के जेवर गिरवी रख 70 नाव खरीदीं, महाकुंभ में कमाए 30 करोड़ रुपए तारीख- 4 मार्च…। जगह- यूपी विधानसभा। महाकुंभ में कारोबार का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा- ‘मैं एक नाविक परिवार की सक्सेस स्टोरी बता रहा हूं, जिनके पास 130 नौकाएं हैं। प्रयागराज महाकुंभ के 45 दिन में इन्होंने शुद्ध बचत 30 करोड़ रुपए की। यानी एक नाव से रोज 50 से 52 हजार रुपए इनकम थी।’ योगी ने जिस परिवार का जिक्र किया, उसकी पूरी कहानी क्या है? दैनिक भास्कर इसे जानने के लिए परिवार तक पहुंचा। परिवार के लोगों से बात की। सिलसिलेवार पढ़िए पूरी रिपोर्ट… अरैल घाट के करीब शकुलावती देवी का घर
प्रयागराज का नैनी इलाका, जो अरैल घाट के करीब है। यहीं पर शुकलावती देवी का घर है, जिनके बेटे पिंटू महरा और परिवार का जिक्र सीएम योगी ने सदन में किया। ये मूलतः निषाद परिवार से हैं। नदी आधारित कारोबार इनका पेशा है। शुकलावती के परिवार में दो बेटे पिंटू और सतीश हैं। नाविक पिंटू महरा का घर सामान्य लोगों की तरह ही है। मौजूदा समय में मकान के ऊपरी फ्लोर में मजदूर निर्माण के काम में लगे हैं। मकान के आगे वाले हिस्से में लोगों की भीड़ उसे बधाई देने के लिए बैठी है। मीडिया का भी जमावड़ा है। यहां हमारी मुलाकात सबसे पहले पिंटू (40) की मां शुकलावती (71) से हुई। वह बताती हैं, जून 2018 में पति बच्चा महरा की मौत ने पूरे परिवार को अनाथ कर दिया। बच्चों के सिर से पिता का साया क्या उठा, परिवार की 2 जून की रोटी का सहारा छिन गया था, लेकिन आज बेटे की मेहनत ने सारे जख्म अपनी मेहनत और लगन से भर दिए हैं। यह कहते हुए उनकी आंख में आंसू छलक आ गए। शुकलावती ने बताया, बेटे पिंटू ने पत्नी सुमन के जेवर गिरवी रखे। नाव तैयार करने के लिए रुपए कम पड़े तो मुझसे भी घर के कागज और जेवर मांगे। मैंने उससे कहा- ‘पागलपन न करो।’ डर था कि बेटे का कारोबार न चला तो सब लोग सड़क पर आ जाएगे। लेकिन पिंटू मेहनत के साथ नाव तैयार करने के लिए रुपए जुटाता रहा। पहले सिर्फ चार नाव थीं, सितंबर 2024 में घर के कागज-जेवर गिरवी रख उसने धीरे-धीरे कर 70 नाव तैयार कर लीं। शुकलावती ने कहा, पूरे परिवार ने महाकुंभ में बहुत मेहनत की, गंगा मैया ने हमारी बात सुन ली। हमारा कारोबार चमका और लोगों का आशीर्वाद भी हमें मिला। सीएम योगी ने जिस नाविक पिंटू का जिक्र किया, उसकी उम्र 40 साल है। हमने पिंटू से पूछा, महाकुंभ से पहले दिमाग में क्या चल रहा था? पिंटू ने बताया सूबे के मुख्यमंत्री ने जब साल 2019 का अर्धकुंभ कराया था, तभी से उसने प्लानिंग शुरू कर दी थी। जिस सरकार में अर्धकुंभ इतना शानदार व भव्य हो सकता है, उसमें महाकुंभ कितना भव्य-दिव्य होने वाला है। पिंटू ने महाकुंभ की सरकारी तैयारियों के बीच अपने प्लान को तैयार कर उसे हकीकत की जमीन पर उतारने की तैयारी शुरू कर दी। महाकुंभ आते-आते पिंटू ने 70 नाव खुद से खरीदीं। 100 लोगों के कुनबे के युवाओं को संगठित कर कुल मिलाकर 130 के करीब नाव महाकुंभ के लिए संगम की त्रिवेणी में श्रद्धालुओं को पुण्य की डुबकी लगवाने उतारीं। मां ने दी सीख- श्रद्धालुओं को सताकर पैसे मत लेना
मां शुकलावती ने पिंटू से कहा था, एक बात गांठ बांधकर रखा लो, गंगा मां के आंचल में उतरकर कारोबार करने जा रहे हो, कभी किसी श्रद्धालु को सताकर रुपए न लेना। पिंटू ने कहा- उसने मां की बात को जेहन में रखा। अपने परिवार व नाविक साथियों की मदद से किला घाट, वीवीआईपी घाट, वोट क्लब, अरैल समेत कई अन्य घाट पर श्रद्धालुओं के लिए नाव चलाईं। सरकार ने जितने रुपए निर्धारित किए थे, उतने लेकर श्रद्धालुओं को संगम में डुबकी लगवाई। पिंटू के अलावा परिवार में पत्नी और बेटा-बेटी हैं। घर में स्कॉर्पियो गाड़ी है। हमने पिंटू से उनके नाव के पूरे कारोबार के बारे में पूछा। पिंटू ने बताया, 1 नाव बनाने में 10 से 15 हजार रुपए खर्च किए। साथ ही 7 मोटर बोट खरीदने में 7 लाख रुपए खर्च किए। कुंभ से पहले उनके पास 12 नाव खुद की व परिवार के लोगों की मिलकर 80 नाव थीं। पिंटू से जब पूरी कमाई के बारे में पूछा गया तो उसने बताया कि 30 करोड़ उसने अकेले नहीं, पूरे कुनबे ने मिलकर कमाए हैं। उसने कितने कमाए? इस सवाल पर कहा कि अभी हिसाब नहीं किया। इतने रुपए का करेंगे क्या? इस सवाल पर कहा, सबसे पहले कर्ज चुकाएंगे, इसके बाद अन्य कारोबार में रुपए लगाएंगे। बच्चों की पढ़ाई को बेहतर करने का काम होगा। परिवार की सुख सुविधा पर खर्च करेंगे। ————— ये खबर भी पढ़ें… शिवपाल का योगी पर तंज-चाचा के पीछे वक्त गंवा रहे:मुद्दों पर बोलने से क्यों घबरा रहे? स्वामी ओमवेश बोले- महाना सुदर्शन चक्रधारी यूपी विधानमंडल का बजट सत्र संपन्न हो गया। बुधवार को विधानसभा और विधानसभा परिषद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई। आखिरी दिन दोनों उच्च सदन में सपा ने हंगामा किया। शिवपाल यादव ने चच्चू कहने पर सीएम योगी पर निशाना साधा। X पर लिखा- चाचा-भतीजा के पीछे वक्त गंवा रहे हो, मुद्दों पर बोलने से क्यों घबरा रहे हो? पढ़ें पूरी खबर

यूपी विधानसभा में गिद्ध-सूअर और लाश की एंट्री:सपा नेता को टांग ले गए मार्शल, थूक पर हंगामा; VIDEO में 11 दिन के टॉप मोमेंट्स

यूपी विधानसभा में गिद्ध-सूअर और लाश की एंट्री:सपा नेता को टांग ले गए मार्शल, थूक पर हंगामा; VIDEO में 11 दिन के टॉप मोमेंट्स गिद्ध, सूअर, लाश…। नोक-झोंक, शेरो-शायरी, हंगामा… और पान मसाले की पीक…जिस पर महाना का गुस्सा। ये नजारा था यूपी विधानसभा के बजट सत्र का। महाकुंभ पर उठाए गए विपक्ष के सवालों पर योगी ने कहा- जिसने जो तलाशा, उसको वह मिला। गिद्धों को केवल लाश मिली, सूअरों को गंदगी मिली। एक ऐसा वक्त आया, जब विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी को मार्शल टांग ले गए। सीएम योगी के दूसरे कार्यकाल में पहली बार ऐसा हुआ, जब सत्र आखिरी दिन तक चला। 18 फरवरी से 5 मार्च तक चला ये सबसे लंबा बजट सत्र भी रहा। 11 बैठकें हुईं। सदन की कार्रवाई 72 घंटे 56 मिनट की रही। 3 विधेयक भी पारित हुए। बजट सत्र के टॉप मोमेंट्स VIDEO में देखिए…

योगी क्यों बोले- बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखते मुसलमान:हिंदुओं से नफरत करता था या मंदिर बनवाए, अबू आजमी के बयान से जुड़ी पूरी कंट्रोवर्सी

योगी क्यों बोले- बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखते मुसलमान:हिंदुओं से नफरत करता था या मंदिर बनवाए, अबू आजमी के बयान से जुड़ी पूरी कंट्रोवर्सी मुगल बादशाह औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अबू आजमी के बयान से सियासी घमासान छिड़ा है। महाराष्ट्र विधानसभा ने उन्हें पूरे बजट सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया। आजमी के बयान पर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘ये लोग (सपा) औरंगजेब को अपना आदर्श मान रहे हैं। औरंगजेब के पिता शाहजहां ने अपनी जीवनी में उसे कोसते हुए लिखा- तुमसे अच्छे तो ये हिंदू हैं, जो जीते जी अपने मां-बाप की सेवा करते हैं। खुदा करे कि ऐसा कमबख्त किसी को पैदा न हो।’ योगी ने कहा, ‘कोई मुसलमान भी अपने बेटे का नाम औरंगजेब नहीं रखता। भारत की आस्था को रौंदने वाले का महिमामंडन करने वाले सदस्य को सपा को बाहर निकाल देना चाहिए।’ क्या है पूरी कंट्रोवर्सी, क्या औरंगजेब ने मंदिर बनवाए थे, भास्कर एक्सप्लेनर में जानिए… सवाल-1: सपा विधायक अबू आजमी ने औरंगजेब को लेकर क्या कहा, जिस पर विवाद हो गया है? जवाब : 3 मार्च को अबू आजमी ने कहा, हमें गलत इतिहास दिखाया जा रहा है। औरंगजेब ने कई मंदिर बनवाए। मैं उसे क्रूर शासक नहीं मानता। छत्रपति संभाजी महाराज और औरंगजेब के बीच धार्मिक नहीं, बल्कि सत्ता और संपत्ति के लिए लड़ाई थी। अगर कोई कहता है कि यह लड़ाई हिंदू और मुसलमान को लेकर थी, तो मैं इस पर विश्वास नहीं करता। अबू आजमी के बयान पर शिवसेना के लोकसभा सांसद नरेश म्हस्के ने उनके खिलाफ ठाणे (महाराष्ट्र) में FIR दर्ज करवाई। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 299, 302, 356 (1) और 356(2) के तहत मामला दर्ज हुआ। FIR में कहा गया है कि आजमी के बयानों ने धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाया है। इसके अलावा शिवसेना समर्थकों ने भी मरीन ड्राइव पुलिस स्टेशन में भी लिखित शिकायत दर्ज कराई। सवाल-2: विवाद बढ़ने पर अबू आजमी ने अब क्या सफाई दी है? जवाब: मामले ने तूल पकड़ा तो सपा विधायक ने कहा, औरंगजेब ने मंदिरों के साथ मस्जिदों को भी नष्ट किया। अगर वह हिंदुओं के खिलाफ होता, तो 34% हिंदू उसके साथ नहीं होते। उसके शासनकाल में भारत की सीमा अफगानिस्तान एवं बर्मा तक पहुंच गई थी। हमारा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विश्व सकल घरेलू उत्पाद का 24% था और भारत को (औरंगजेब के समय) सोने की चिड़िया कहा जाता था। इसे हिंदू-मुसलमान एंगल से नहीं देखना चाहिए। औरंगजेब ने 52 वर्ष शासन किया और अगर वह सच में हिंदुओं को मुसलमान में परिवर्तित करते, तो सोचिए कितने हिंदू परिवर्तित हो जाते। 1857 की विद्रोह में जब मंगल पांडे ने लड़ाई शुरू की, तो उसका सबसे पहले साथ मुसलमान बहादुर शाह जफर ने दिया था। अबू आजमी ने माफी मांगते हुए कहा, ‘मैंने सिर्फ वही कहा, जो इतिहासकारों ने लिखा, किसी भी महापुरुष के बारे में अपमानजनक टिप्पणी नहीं की है।’ सवाल-3: क्या औरंगजेब ने मंदिर बनवाए और हिंदुओं के लिए अच्छे काम किए? जवाब: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर रहे प्रदीप केसरवानी के मुताबिक, औरंगजेब ने मंदिर सिर्फ तोड़े नहीं, बल्कि बनवाए भी थे। उसके बनाए गए मंदिरों में बालाजी मंदिर चित्रकूट, उमानंद मंदिर गुवाहाटी शामिल हैं। इसी तरह कई मंदिरों जैसे महाकालेश्वर और सोमेश्वर मंदिर को उसने दान दिए थे। प्रदीप कहते हैं कि औरंगजेब और दूसरे मुगल शासकों ने हिंदू और मुस्लिम के बीच भाईचारा बढ़ाने की भी कोशिश की। वहीं, इतिहासकार इरफान हबीब कहते हैं कि औरंगजेब अपने शासनकाल के शुरू से अंत तक एक जैसा बना रहा। उसे लगता था कि उसे खुदा ने चुना है। इसलिए अब खुदा के प्रति हमेशा वफादार रहा। यह सच है कि उसने अपने शासनकाल के दौरान हिंदुओं के मंदिर तोड़े तो कुछ मंदिर बनवाए भी। औरंगजेब के फैसले को हिंदू-मुस्लिम से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। उस वक्त हर धर्म के राजा शासन चलाने के लिए तलवार का इस्तेमाल करते थे। जिस समय जो फैसला उनके हित में होता, वो वैसा कदम उठाते। सवाल-4: औरंगजेब और छत्रपति संभाजी के बीच दुश्मनी की क्या कहानी है? जवाब: लेखक शिवा जी सावंत की किताब छावां में जिक्र है कि संभाजी मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी के बड़े बेटे और साम्राज्य के उत्तराधिकारी थे। शिवाजी की मृत्यु के बाद वह मराठा साम्राज्य की गद्दी पर बैठे। 1681 से लेकर 1689 तक उन्होंने राज किया। उनके कार्यकाल के दौरान मराठा और मुगलों में सबसे अधिक संघर्ष हुए। तब मुगल साम्राज्य का शासक औरंगजेब था। एक तरफ संभाजी किसी भी तरह दक्कन में मुगलों का प्रसार रोकना चाहते थे। तो दूसरी तरफ औरंगजेब किसी भी कीमत पर मराठा साम्राज्य को खत्म करना चाहता था। इसी को लेकर संभाजी ने आज के मध्यप्रदेश के बुरहानपुर में आक्रमण किया, जो तब मुगलों के कब्जे में था। यह तब व्यापार का एक मुख्य केंद्र हुआ करता था। संभाजी के इस अभियान से औरंगजेब वहां से आगे नहीं बढ़ पाया। इसके बाद के सालों में भी कई बार मुगल और मराठा साम्राज्य आमने-सामने आए। तब आखिरकार 1 फरवरी 1689 में औरंगजेब ने धोखे से संभाजी को कैद कर लिया। औरंगजेब ने संभाजी को कई दिनों तक यातनाएं दी और फिर उनकी हत्या कर दी। सवाल-5: औरंगजेब हिंदुओं से नफरत करता था या उनके प्रति उदार था? जवाब: इतिहासकार इरफान हबीब अपनी किताबों में इसे लेकर तर्क देते हैं कि औरंगजेब ने अपने पिता शाहजहां को बंदी बनाया था और गद्दी के लिए अपने भाई दारा शिकोह की हत्या कर दी। वह हिंदुओं से नफरत की वजह से नहीं, बल्कि अपनी ताकत दिखाने के लिए मंदिरों को तोड़ता था और जहां जरूरत पड़ी, वहां बनवाया। उस समय हर राजा अपने साम्राज्य में मंदिर स्थापित करते थे। फिर दूसरे राजा इन मंदिरों को गिराकर अपनी ताकत का एहसास कराते थे। औरंगजेब के समय में सबसे ज्यादा हिंदू ही उसकी सेना में थे। वह चाहता तो इन सभी का धर्म परिवर्तन करा देता, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उसने सिर्फ अपने दुश्मनों को धर्म बदलने पर मजबूर किया। दूसरी तरफ इतिहासकार राम पुनियानी एक इंटरव्यू में कहते हैं कि औरंगजेब को हिंदू विरोधी माने जाने की दो वजहें हैं। पहली वजह- वह इस्लाम धर्म को मानने वाला कट्टर सुन्नी था। दूसरी वजह- वह मौलानाओं से प्रभावित होकर फैसला लेता था। राम पुनियानी भी औरंगजेब को हिंदुओं से नफरत करने वाला और कट्टर राजा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने हिंदुओं से नफरत के कारण नहीं, बल्कि राजाओं, जमींदारों और अपने विरोधियों को संदेश देने के लिए मंदिर गिरवाएं और जबरन धर्म परिवर्तन कराया। ——————- ये खबर भी पढ़ें…. यूपी में मुखौटे भी तेंदुए से नहीं बचा पाए:स्कूल, खेत सब खाली पड़े; 6 साल में 59 को बाघ ने बनाया शिकार यूपी के बिजनौर में तेंदुए के खौफ से लोग सिर के पीछे मुखौटा लगाकर निकल रहे हैं। हालांकि इसके बावजूद हमले रुकने का नाम नहीं ले रहे। दो दिन पहले मुखौटा बांटने के बाद भी एक महिला को तेंदुए ने मार दिया। लगातार हो रहे हमलों से लोग खौफ में हैं। समूह बनाकर और हथियार लेकर ही घर से बाहर निकल रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर

लखनऊ से गुजरेगी होली स्पेशल ट्रेन:आनंदविहार से जयनगर और सीतामढ़ी के लिए चलेंगी होली स्पेशल,ट्रैफिक ब्लॉक के चलते संचालन भी प्रभावित

लखनऊ से गुजरेगी होली स्पेशल ट्रेन:आनंदविहार से जयनगर और सीतामढ़ी के लिए चलेंगी होली स्पेशल,ट्रैफिक ब्लॉक के चलते संचालन भी प्रभावित होली पर ट्रेनों में लंबी वेटिंग से यात्रियों को राहत देने के लिए आनंद विहार से जयनगर व सीतामढ़ी के लिए वाया लखनऊ होली स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी। उत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि ट्रेन 04014 आनंद विहार-जयनगर स्पेशल ट्रेन 6, 10, 13 और 17 मार्च को आनंद विहार से सुबह पांच बजे चलकर दोपहर दो बजे चारबाग पहुंचेगी और यहां से रायबरेली, अमेठी, वाराणसी होते हुए अगली दोपहर 12 बजे जयनगर पहुंचेगी। वापसी में 04013 जयनगर-आनंद विहार स्पेशल सात, 11, 14 व 18 मार्च को जयनगर से शाम पांच बजे चलकर सुबह 10:40 बजे चारबाग व शाम 7:55 बजे आनंद विहार टर्मिनल पहुंचेगी। ट्रेन में एसी, स्लीपर व जनरल बोगियां रहेंगी। ट्रेन 04016 आनंद विहार-सीतामढ़ी फेस्टिवल स्पेशल सात, 11, 14 व 18 मार्च को आनंद विहार से रात 12:30 बजे चलकर चारबाग सुबह 9:25 बजे तथा सीतामढ़ी रात दो बजे पहुंचेगी। 04015 सीतामढ़ी-आनंद विहार स्पेशल आठ, 12, 15 व 19 मार्च को सीतामढ़ी से सुबह पांच बजे चलकर रात साढ़े आठ बजे चारबाग तथा सुबह छह बजे आनंद विहार पहुंचेगी। ट्रेन में स्लीपर व जनरल बोगियां होंगी। देरी से चलाई जाएंगी ये ट्रेनें पूर्वोत्तर रेलवे में ट्रैफिक ब्लॉक के चलते ट्रेनों का संचालन प्रभावित होगा। ट्रेन 13020 काठगोदाम-हावड़ा एक्सप्रेस गुरुवार को हावड़ा से डेढ़ घंटे की देरी से चलाई जाएगी। 02569 दरभंगा-नई दिल्ली स्पेशल शुक्रवार को दरभंगा से दो घंटे देरी से चलाई जाएगी।