49, 61 या 100, भगदड़ में मौतों का आंकड़ा क्या:महाकुंभ में एक नहीं 3 जगह भगदड़ हुई, GT रोड पर भी 5 मरे महाकुंभ में 28 जनवरी की देर रात करीब 1:30 बजे संगम नोज इलाके में भगदड़ हुई। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 30 लोगों की मौत हुई है और 60 लोग घायल हैं। भगदड़ सिर्फ एक जगह हुई और मरने वालों की संख्या सिर्फ 30 है, ये दोनों ही बातें सवालों के घेरे में है। दैनिक भास्कर ने इसकी छानबीन की। प्रशासन के दावों और आंकड़ों में कई लूप-होल्स नजर आते हैं। 29 जनवरी को कहा गया कि 30 मौतें हुई हैं, 25 की पहचान हो गई है। 30 जनवरी को भास्कर रिपोर्टर को मोतीलाल नेहरू कॉलेज में 24 लावारिस शव रखे मिले। अगर इनमें से बीते दिन 5 घटा भी दें तो नई 19 लाशें सामने थीं। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़कर 49 हो जाती है। छानबीन में दैनिक भास्कर टीम ने 2 सवालों के जवाब तलाशे। पढ़िए, इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट… सवाल नंबर-1आखिर मरने वालों की असली संख्या क्या है? जवाब की तलाश में 3 बातें पता चली हैं- 1. 30 नहीं, 49 मौतें हुई हैं दैनिक भास्कर रिपोर्टर फरहत खान 30 जनवरी को मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज पहुंचे। यहां गुरुवार दोपहर 24 लावारिस शवों की फोटो लगाई गईं। एक दिन पहले प्रशासन ने दावा किया था कि 30 लोगों की मौत हुई है और उनमें से 25 की पहचान कर ली गई है। सामने 24 लावारिस शवों की तस्वीरें थीं। अगर कल के 5 भी इनमें मिला लें तो भी यहां 19 नई लाशें आई हैं। अगर इन्हें 30 में जोड़ दें तो मरने वालों की संख्या 49 हो जाती है। फरहत ने कुछ अफसरों और कर्मचारियों से बात की और लावारिस लाशों की लिस्ट चेक करने की कोशिश की। एसडीएम आशुतोष मिश्रा से बातचीत में सामने आया कि 29 जनवरी को यहां 40 से 50 शव रखे थे। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज के पोस्टमार्टम हाउस में बैठे एक स्वास्थ्यकर्मी ने बताया कि 20 शव अब भी रखे हुए हैं। हालांकि इस दावे की पुष्टि नहीं की जा सकी। 2. देश के अलग-अलग राज्यों में कुंभ से अब तक 41 शव लौटे
भले ही प्रशासन मरने वालों का आंकड़ा 30 ही बता रहा हो लेकिन अब तक 41 शव देश के अलग-अलग इलाकों में पहुंच चुके हैं। अकेले यूपी के आठ जिलों में 16 शव पहुंचे हैं। इसमें गोरखपुर-बलिया में 4-4 , जौनपुर में 3, लखनऊ, मऊ, गोंडा, सिद्धार्थनगर और प्रयागराज में 1-1 शव लाए गए हैं। यूपी को छोड़, बाकी राज्यों में अब तक 25 शव जा चुके हैं। इनमें बिहार में 8, कर्नाटक 4, हरियाणा-राजस्थान में 3-3, झारखंड और पश्चिम बंगला में 2-2, असम, गुजरात और उत्तराखंड में 1-1 शव परिजनों के पास आए हैं। दैनिक भास्कर ने मृतकों के अलग-अलग आंकड़ों पर अपर मेलाधिकारी विवेक चतुर्वेदी से बात की। उन्होंने कहा कि उन्हें मरने वालों की कुल संख्या की जानकारी नहीं है और इस बारे में मेलाधिकारी से बात करने को कहा। 3. कफन पर लिखे नंबर-61 का मतलब
भगदड़ में जिन लोगों की मौत हुई है उन्हें बॉडी बैग में रखकर परिजनों को सौंपा जा रहा है या फिर उनके घर भेजा जा रहा है। छानबीन में दैनिक भास्कर को बैग नंबर 17, 39 और 61 तक के फोटो-वीडियो मिले हैं। सवाल है कि बॉडी बैग पर लिखे इन नंबर्स का मतलब क्या है। हालांकि, न तो प्रशासन और न ही अस्पताल में कोई भी इस नंबर का मतलब बताने को तैयार है। एक डॉक्टर ने ऑफ कैमरा बताया कि ये शवों की नंबरिंग ही है। बॉडी बैग पर नंबर इसलिए लिखा जाता है, ताकि लाशों कि पहचान की जा सके। सवाल नंबर-2: महाकुंभ में भगदड़ की कितनी घटनाएं हुई हैं? महाकुंभ में एक नहीं बल्कि तीन जगह भगदड़ हुई, हर जगह मौतें हुईं छानबीन में सामने आया है कि 28-29 जनवरी की रात संगम नोज इलाके के अलावा ओल्ड जीटी रोड और झूंसी साइड के ऐरावत द्वार के पास भी भगदड़ मची थी। ओल्ड जीटी रोड पर 5 मौत और ऐरावत द्वार पर 24 मौत होने की बात सामने आ रही है। प्रशासन ने सिर्फ संगम तट पर मची भगदड़ में 30 की मौत और 60 के घायल होने की बात स्वीकार की है। इन तीनों जगहों पर मौतों की संख्या जोड़ दी जाए तो यह संख्या 59 होती है। ओल्ड जीटी रोड पर गाड़ी ने 5 को कुचला, फिर भगदड़ हुई
29 जनवरी सुबह 8 से 9 बजे के बीच ओल्ड जीटी रोड की तरफ से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मेला क्षेत्र में आ रहे थे। इसी बीच मुक्ति मार्ग पर एक महामंडलेश्वर की गाड़ी वहां से गुजर रही थी। इस दौरान दो-तीन महिलाएं वहां गिर पड़ी। गाड़ी महिलाओं को रौंदते हुए निकल गई। इसके बाद भगदड़ जैसी स्थिति हो गई। इसमें 5 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। मृतकों में एक बच्ची भी शामिल थी। CO रुद्र प्रताप ने बताया- गाड़ी बैक करने के दौरान 5 लोग घायल हो गए थे। उन्हें इलाज के लिए स्वरूप रानी मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई। मरने वालों की शिनाख्त कराई जा रही है। झूंसी की भगदड़ में 24 मौतें होने का दावा
संगम नोज से दो किलोमीटर दूर झूंसी में ऐरावत द्वार के पास भी भगदड़ हुई थी। ये भगदड़ सुबह 6 बजे के आसपास हुई। लोगों से बातचीत के आधार पर दावा किया जा रहा है कि यहां 24 मौतें हुई थीं। दैनिक भास्कर के रिपोर्टर सचिन गुप्ता और विकास श्रीवास्तव ने यहां पड़ताल की। लापता व्यक्ति के बारे में पूछने के लिए रिपोर्टर सेक्टर-20 के पुलिस बूथ पर गए। वहां उन्होंने चार पुलिसकर्मियों से बात की और उन्हें लापता शख्स की तस्वीर दिखाई। पुलिसकर्मियों ने उन्हें सेक्टर-20 के खोया-पाया केंद्र पर जाने की सलाह दी। रिपोर्टर खोया-पाया केंद्र गए, लेकिन वहां लापता व्यक्ति का कोई डेटा नहीं मिला। फिर वे पास की पुलिस चौकी गए, जहां उन्होंने डेटा खंगाला। पता चला कि लापता व्यक्ति का मोबाइल पुलिसकर्मियों को ऐरावत द्वार घाट के पास पड़ा मिला था। वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने बताया कि भगदड़ में बहुत सारे बैग छूट गए थे और उन्होंने एक-एक बैग की तलाशी ली। एंबुलेंस ड्राइवर्स की माने तो मरने वाले 100 से ज्यादा
सेक्टर-20 सब सेंट्रल हॉस्पिटल में रिपोर्टर ने यहां तीन एंबुलेंस ड्राइवरों से बात की। एक ड्राइवर ने दावा किया कि 29 जनवरी की तड़के हॉस्पिटल में पैर रखने की जगह नहीं थी। वे लाशों को कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और पटना तक छोड़कर आए हैं। दूसरे ड्राइवर का दावा है कि भगदड़ के समय उनकी एंबुलेंस पर लोग जान बचाने के लिए चढ़ गए थे। उन्होंने कुछ बच्चों को बचाकर एंबुलेंस में बैठा लिया था। तीसरे ड्राइवर ने दावा किया है- सेक्टर-20 के हॉस्पिटल में करीब 25-30 लाशें आई थीं। एक डॉक्टर ने सभी लाशों के फोटो भी खींचे थे। हॉस्पिटल के एक कर्मचारी ने बताया कि उस दिन लगातार लाशें आ रही थीं, और सभी लाशों को बाद में एसआरएन सहित दूसरे अस्पतालों में भेज दिया गया। ऐरावत द्वार पर एक चाय दुकानदार ने बताया कि भगदड़ के बाद उनकी दुकान के बाहर ही 5 लाशें पड़ी थीं, जिनमें चार महिलाएं और एक पुरुष था। भीड़ ने उनकी पूरी दुकान लूट ली और 20 पेटी पानी की बोतलें उठा ले गए। उन्होंने बताया कि चौराहे पर 5 लाशें पड़ी थीं और लोगों के कपड़े, बिस्तर छूट गए थे। सेक्टर–2 स्थित सेंट्रल हॉस्पिटल में महाकुंभ में मरने वालों की संख्या को लेकर रिपोर्टर सचिन गुप्ता ने एबुलेंस ड्राइवरों से बात की। एक एंबुलेंस ड्राइवर ने दावा किया है कि सेंट्रल हॉस्पिटल में करीब 90 से 100 लाशें आई थीं। सभी को बड़े अस्पतालों की मोर्चरी में भेज दिया गया। (इसका ऑडियो दैनिक भास्कर के पास है) एंबुलेंस के ड्राइवरों ने यूपी के आजमगढ़ से लेकर कर्नाटक तक लाश छोड़कर आए हैं। महाकुंभ प्रशासन ने मौतों को लेकर क्या कहा
संगम तट पर मची भगदड़ के 17 घंटे बाद बुधवार शाम साढ़े छह बजे महाकुंभ नगर के पुलिस उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) वैभव कृष्ण और मेलाधिकारी विजय किरण आनंद मीडिया सेंटर के प्रेस कॉन्फ्रेंस हॉल में पहुंचे। वैभव कृष्ण ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर मुख्य स्नान था। ब्रह्म मुहूर्त से पहले, देर रात एक से दो बजे के बीच, मेला क्षेत्र के अखाड़ा मार्ग पर भारी भीड़ जमा हो गई। भीड़ के दबाव के कारण दूसरी ओर के बैरिकेड्स टूट गए। बैरिकेड्स तोड़कर दूसरी ओर पहुंचे लोगों ने ब्रह्म मुहूर्त के स्नान का इंतजार कर रहे श्रद्धालुओं को कुचलना शुरू कर दिया। उन्होंने बताया कि इसके बाद मेला प्रशासन ने तुरंत एक मार्ग बनाकर एंबुलेंस की मदद से 90 लोगों को अस्पताल पहुंचाया, जिनमें से 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। सरकार को भले ही 17 घंटे लगे यह बताने में कि भगदड़ में 30 लोगों की मौत हुई है, लेकिन दैनिक भास्कर रात 2 बजे से न सिर्फ इसकी पुष्टि कर रहा था, बल्कि मौतों का आंकड़ा भी सामने ला रहा था। —————————– यह खबर भी पढ़ें महाकुंभ में 30 मौतों के जिम्मेदार 6 अफसर, एक ने पुल बंद किए, एक ने भीड़ बढ़ने दी, एक बोला- उठो, भगदड़ मचने वाली है 28 जनवरी की देर रात करीब 1.30 बजे प्रयागराज के संगम नोज इलाके में भगदड़ मच गई। प्रशासन के मुताबिक 30, जबकि भास्कर रिपोर्टर्स के मुताबिक 35-40 लोगों की मौत हुई है। 29 जनवरी की दोपहर होते-होते मौनी अमावस्या का शाही स्नान भी हो गया, लेकिन इन मौतों के लिए जिम्मेदार कौन हैं, ये सवाल अब भी सामने है। पढ़िए दैनिक भास्कर की स्पेशल रिपोर्ट…