जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों:लखनऊ में मृतक की पत्नी बोलीं- क्या जान लेना इतना आसान; वकील का जवाब- यह मर्डर नहीं
जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों:लखनऊ में मृतक की पत्नी बोलीं- क्या जान लेना इतना आसान; वकील का जवाब- यह मर्डर नहीं ‘जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों मिली? क्या जान लेना इतना आसान होता है, वह तो मेरे पति को रौंदकर चली गई, अब मैं कहां जाऊं, क्या करूं?’ सरोज पांडेय रोते-चीखते यह बातें कहती हैं, फिर एकदम शांत हो जाती हैं। 4 दिन पहले उनके पति रविंद्र पांडेय को एक ब्रेजा कार ने कुचल दिया था। इस घटना में 2 अन्य लोग भी घायल हुए, जिनका इलाज चल रहा है। पुलिस ने महिला को गिरफ्तार किया, लेकिन 48 घंटे बाद ही उन्हें जमानत मिल गई। दैनिक भास्कर की टीम पीड़ित परिवार से मिलने उनके घर पहुंची। घायलों का हाल जाना। हम वकील से भी मिले और यह समझने की कोशिश की कि इस मामले में कानून क्या कहता है? पढ़िए पूरी रिपोर्ट… KGMU में संविदाकर्मी थे रविंद्र पांडेय
45 साल के रविंद्र पांडेय लखनऊ के मदेयगंज इलाके में रहते थे। किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज (KGMU) में वह संविदा कर्मचारी के तौर पर डीजी हॉस्टल में गार्ड का काम करते थे। 3 जून की सुबह वह नाइट शिफ्ट में ड्यूटी करके वापस घर पहुंचे थे। इसके बाद सो गए। उठे तो घर से जुड़े काम के लिए साइकिल निकाली और चले गए। वापस आते वक्त शिया कॉलेज के पास पहुंचे थे, तभी किसी का फोन आ गया। सड़क के किनारे खड़े होकर बात करने लगे। तभी पीछे से एक तेज रफ्तार ब्रेजा कार उन्हें रौंदते हुए सामने लगे पोल से जा टकराई। यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद हो गई। इस हादसे में रविंद्र पांडेय के अलावा 10 साल का दक्ष सोनकर और एक महिला भी बुरी तरह से घायल हो गए। तीनों को हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने रविंद्र को मृत घोषित कर दिया। दक्ष और महिला का इलाज शुरू किया गया। उसे कुछ देर बाद होश तो आया, लेकिन वह अभी लोगों को पहचान नहीं रहा है। हादसे की तीसरी शिकार एक महिला रमापति है, जो बाराबंकी की रहने वाली है। उसे मामूली चोट लगी थी। दूसरी तरफ गाड़ी चला रही तनु गुप्ता को पुलिस ने हिरासत में लिया और अगले दिन उन्हें जमानत मिल गई। आखिर महिला को जमानत क्यों मिली
हम रविंद्र पांडेय के घर पहुंचे। वहां हमारी मुलाकात उनकी पत्नी सरोज पांडेय से हुई। सरोज और रविंद्र की शादी 24 साल पहले साल-2001 में हुई थी। घटना को लेकर बात शुरू हुई। वह कहती हैं- रोज की तरह ही वह (पति) सुबह करीब 7 बजे आए थे। हम और बच्चे हनुमान मंदिर जा रहे थे। हमने उन्हें भी चलने के लिए कहा। इस पर उन्होंने कहा कि तुम लोग चले जाओ, हम नहीं जाएंगे। इसके बाद हम मंदिर चले गए। वापस आए, तो वह कहीं गए हुए थे। हम लोग थके थे, इसलिए सो गए। घर पर फोन आया कि पति का एक्सीडेंट हो गया है। हमको तो कुछ समझ ही नहीं आया कि क्या करें? हमारी तो उनसे आखिरी वक्त में कोई बात ही नहीं हो पाई थी। रो रही सरोज पांडेय से हमने कहा कि जिसने आपके पति को गाड़ी से टक्कर मारी, उसे जमानत मिल गई। वह नाराजगी में रोते हुए कहती हैं- क्यों जमानत मिली? जिसने मेरे पति की जान ली, उसे जमानत क्यों मिली? वह तो मेरे पति की जान लेकर निकल गई। अब मैं कहां जाऊं? क्या जान लेना इतना आसान होता है? वह तो मेरे पति को रौंद के चली गई, अब मैं कहां जाऊं? घर पर पिता की लाश, बेटा परीक्षा देने गया
रविंद्र का बेटा कृष्णा इस वक्त बीए कर रहा है। कृष्णा कहता है- 3 जून को पापा नाइट शिफ्ट की ड्यूटी करके साढ़े 6 बजे घर आए थे। कुछ देर बाद सो गए। हम लोग मंदिर चले गए। वापस आए, तो वह कहीं गए हुए थे। पीछे से आई कार ने उन्हें रौंद दिया। अगले दिन पापा की लाश घर पर आई। उस दिन कॉलेज में मेरा बीए सेकेंड सेमेस्टर का आखिरी पेपर था। आरोपी महिला को जमानत मिल गई? इस सवाल पर कृष्णा कहते हैं- यह हादसा तो था, लेकिन गाड़ी चला रही महिला की गलती साफ नजर आ रही है। उसे सजा मिलनी चाहिए। 5-6 साल की नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा सजा मिलनी चाहिए। रविंद्र की मां अपने बेटे कृष्णा के लिए नौकरी और आर्थिक मदद की मांग करती हैं। कहती हैं- हमारे घर में जो और बच्चे हैं, वह भी इतने सक्षम नहीं कि मदद कर पाएं। इन छोटे बच्चों के पास अब तो कोई सहारा ही नहीं बचा। हमसे किसी ने कोई संपर्क नहीं किया
रविंद्र के छोटे भाई सुनील पांडेय कहते हैं- जैसे ही हमें एक्सीडेंट की सूचना मिली, हम भागते हुए शिया कॉलेज के पास पहुंचे। वहां देखा तो मेरे भाई की सांस चल रही थी। गाड़ी के अंदर एक महिला थी, दूसरी महिला को शायद पुलिस अपने साथ चौकी पर ले गई थी। भाई को बलरामपुर हॉस्पिटल ले जाया गया। वहां पता चला कि उनकी मौत हो चुकी है। हम लोगों ने कहा कि फिर से जांच करिए। इस पर उन्होंने फिर से जांच की और कहा कि मौत हो चुकी है। हमने पूछा कि क्या जिसने टक्कर मारी वह या फिर उनकी तरफ से किसी ने आपसे संपर्क किया? सुनील कहते हैं- हमारी किसी से कोई बातचीत नहीं हुई। उधर से भी किसी ने कोई संपर्क नहीं किया। इस घटना में बांसमंडी भानू टोला का 10 साल का दक्ष भी घायल हुआ है। वह भी बलरामपुर हॉस्पिटल में भर्ती है। शुरुआत में वह किसी को पहचान नहीं रहा था, लेकिन अब स्थिति नॉर्मल है। जिस जगह यह घटना हुई वहां अगले दिन तक दुकानें बंद रही। अब फिलहाल दुकानें खुल गई हैं। वहां टूटे हुए कूलर और अलमारी अभी भी पड़े हुए हैं। जिन गाड़ियों में टक्कर मारी गई, वह जिनकी थी वो ले गए। आरोपी महिला शादी से लौट रही थी
इस मामले में सआदतगंज की तनु गुप्ता मुख्य आरोपी है। वही ब्रेजा गाड़ी चला रही थी। उसके साथ उसकी मां रजनी गुप्ता बैठी थी। घटना से एक दिन पहले उसके छोटे भाई दीपांशु की सुल्तानपुर रोड स्थिति एक रिसॉर्ट में शादी थी। सभी वहीं रातभर रहे। रजनी ने पुलिस को बताया कि रात में जागने के चलते तनु को झपकी आ गई थी। इसलिए उससे यह हादसा हुआ। तनु के पिता चीकू प्रॉपर्टी डीलर के साथ वकील भी हैं। तनु को 4 तारीख को हिरासत में लिया गया और 5 तारीख को जमानत मिल गई। अब परिवार इस घटना को लेकर मीडिया से बात नहीं कर रहा है। वकील बोले- यहां जानबूझकर नहीं मारा गया
हम इस पूरे मामले को लेकर लखनऊ की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात व्हीकल एक्ट से जुड़े मामलों के जानकार वकील हातिम बेग से हुई। वह कहते हैं- कानून एक्सीडेंट की किसी भी घटना में इंटेंशन देखता है। अगर जानबूझकर एक्सीडेंट नहीं किया गया, तो इसमें बीएनएस की धारा 106 के तहत कार्रवाई आगे बढ़ती है। पहले आईपीसी की धारा 304a लगती थी, उस वक्त 2 साल की सजा थी, अब 5 साल की सजा कर दी गई है। 7 साल के नीचे की सजा होने पर पुलिस अरेस्टिंग नहीं कर सकती। एक ही दिन में जमानत मिलने के सवाल पर वह कहते हैं- संभावना है कि महिला के पास गाड़ी के प्रॉपर कागज हों, ड्राइविंग लाइसेंस हो। अगर ऐसा नहीं होता, तो उसे जमानत नहीं मिलती। अब जो पीड़ित हैं, उनके पास इस मामले में क्लेम का विकल्प है। वो क्लेम करें, अगर गाड़ी का इंश्योरेंस होगा तो इंश्योरेंस कंपनी क्लेम भरेगी। अगर ऐसा नहीं होगा, तो तनु को भरना होगा। अगर व्यक्ति नौकरी कर रहा है, तो यह देखा जाता है कि आगे उसकी कितने वक्त तक नौकरी बची है? कितनी सैलरी है? उस हिसाब से क्लेम डिसाइड होता है। हातिम कहते हैं- एक्सीडेंट के मामले में सारा खेल इंटेंशन का होता है। यहां न महिला मृतक को जानती है और न मृतक महिला को जानता था। इसलिए यह मर्डर में नहीं आएगा। ————————- ये खबर भी पढ़ें… सेंगोल-संविधान के नाम पर भाजपा को घेर रही सपा, कहा- देश राजा के डंडे से नहीं चलेगा; क्या यह राहुल गांधी से मुद्दा झटकने की तैयारी? समाजवादी पार्टी ने संसद भवन से सेंगोल हटाकर उसकी जगह संविधान की कॉपी रखने की मांग फिर उठाई है। सपा सांसद आरके चौधरी ने इसके खिलाफ बाकायदा अभियान शुरू कर दिया है। हालांकि, ऐसा पहली बार नहीं है जब सपा ने सेंगोल का विरोध किया है। सपा सांसद आरके चौधरी पहले भी ये मुद्दा उठाते रहे हैं। लेकिन, बड़ा सवाल ये है कि संसद में स्थापना के 2 साल बाद इसे लेकर अब क्यों विवाद छिड़ा? पढ़ें पूरी खबर