महाकुंभ की महा-रसोई, 24 घंटे मिलता है खाना:एक बीघा में किचन, कड़ाह ऐसा कि 25 हजार लोगों के लिए साथ बनती है सब्जी एक बीघे में रसोई। 2000 सेवादार। कड़ाह ऐसे कि एक बार में डेढ़-दो क्विंटल चावल तैयार हो जाए। 25 से 30 हजार लोगों के लिए एक साथ सब्जी बन जाए। ये प्रयागराज महाकुंभ की सबसे बड़ी रसोई है। यहां से हर दिन तीन से साढ़े तीन लाख लोगों को मुफ्त भोजन कराया जा रहा है। महाकुंभ में कुल 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। ओम नमः शिवाय नाम से चर्चित लाल महेंद्र शिव शक्ति सेवा समिति कुंभ में आने वालों के लिए 24 घंटे भोजन की व्यवस्था कर रही है। यह पहली बार नहीं है। इसके पहले भी हर साल माघ मेले में यहां भंडारा चलता रहा है। 32 साल से होता आ रहा भंडारा
1992 में लाल महेंद्र ने शिव भक्ति के चलते आर्मी में कुक की नौकरी छोड़ दी थी। खुद के जीवन को भगवान शिव के नाम समर्पित कर दिया। लाल महेंद्र शिव शक्ति सेवा समिति नाम से ट्रस्ट बनाया। लोगों को प्रवचन देने लगे। हालांकि, वह साफ कहते कि हमारे यहां कोई तंत्र-मंत्र और आडंबर नहीं होता। भगवान शिव का ध्यान करने और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से जीवन अच्छा हो जाता है। उनके इस मंत्र के चलते ही आज उन्हें ओम नमः शिवाय बाबा के नाम से जाना जाता है। भंडारा स्थल पर जो बोर्ड लगते हैं, वहां भी ओम नमः शिवाय ही लिखा होता है। हम कुंभ मेला क्षेत्र के सेक्टर-1 पहुंचे। यहीं त्रिवेणी मार्ग पर ओम नमः शिवाय का कैंप लगा है। हमने देखा पूरा कैंप जालियों से ढंका गया है। अंदर दो जगहों पर 100-100 लोग बैठकर खाना खा रहे हैं। इतने ही लोग जाली के बाहर लाइन में खड़े हैं। जैसे ही ये लोग खाना खा लेंगे और दूसरी तरफ से बाहर जाएंगे, बाहर खड़े लोग अंदर आकर बैठेंगे और खाना खाएंगे। यह क्रम कभी बंद नहीं होता। मतलब, रात के 12 बजे भी यहां पहुंचे लोग भोजन कर रहे होते हैं। कुंभ में 7 जगह पर 24 घंटे भंडारा
हमारी मुलाकात यहां की व्यवस्था देख रहे विशाल श्रीवास्तव से हुई। विशाल ने हमारे नमस्कार का जवाब ओम नमः शिवाय से दिया। यहां से जुड़े जितने भी लोग हैं, वह नमस्कार की जगह ओम नमः शिवाय का ही प्रयोग करते हैं। विशाल करीब 20 साल से बाबा से जुड़े हैं। वह प्रयागराज में भंडारे की जिम्मेदारी देख रहे हैं। हमने उनसे पूरी व्यवस्था को समझा। विशाल बताते हैं- मुख्य भंडारा सेक्टर-1 में किला चौराहा, त्रिवेणी मार्ग पर चल रहा है। ये हमारा कुंभ का मुख्य भंडारा केंद्र है। यहां 4 दिसंबर से ही भंडारा शुरू कर दिया गया। इसके अलावा मेले में 6 और जगहों सेक्टर- 2 दारागंज संगम स्टेशन के पास, सेक्टर 6 नाग वासुकी, सेक्टर- 8, 12, 14 और सेक्टर- 16 में कैंप बनाया गया है। वहां भी भंडारे का आयोजन हो रहा है। पिछले 32 साल से हर साल यहां हमारे बाबा जी की तरफ से भंडारे का आयोजन होता रहा है। यहां एक बार भंडारा शुरू हो जाए तो फिर 24 घंटे चलता है। कोई व्यक्ति अगर रात 2 बजे या फिर भोर के 4 बजे भी आएगा, तो उसे प्रसाद के रूप में खाना खिलाया जाएगा। हमने विशाल से पूछा- क्या बाकी की जो 6 जगह हैं, वहां यहीं से खाना पहुंचता है? विशाल कहते हैं- यहां से खाना पहुंचाना संभव नहीं है। क्योंकि इस वक्त तो सड़क खाली है, लेकिन आने वाले दिनों में एक से दूसरी जगह गाड़ी से जाना संभव नहीं होगा। इसलिए सभी जगहों पर खाना तैयार होता है। फिर लोगों को बैठाकर खाना खिलाया जाता है। किसी से कोई पैसा नहीं लिया जाता। बर्तन ऐसे कि 25 हजार लोगों का खाना एक साथ बन जाए
हम जहां खाना तैयार हो रहा था, वहां पहुंचे। अंदर कुछ बाबा के भक्त खाना बना रहे थे। हमारी नजर वहां लगे तीन कड़ाह पर गई। उनका आकार हैरान करने वाला था। पहले कड़ाह में चावल तैयार हो रहा था। इसमें एक बार में एक से डेढ़ क्विंटल चावल तैयार हो जाता है। इसी के बगल जो दूसरा कड़ाह था, उसमें कढ़ी तैयार हो रही थी। जो किनारे कड़ाहा था, उसका आकार बाकी के दोनों कड़ाह से करीब 3 गुना था। उसमें एक साथ 25 से 30 हजार लोगों के लिए सब्जी तैयार हो जाती है। हमने खाना बनाने वाले कामेश्वर तिवारी से बात की। वह कहते हैं- हम तो सेवादार हैं। लखनऊ से यहां आए हैं। 2002 में बाबा से जुड़े थे। उसके बाद जहां भी सेवा का अवसर आता है, हम पहुंच जाते हैं। इसके बाद कामेश्वर अपने काम में जुट जाते हैं। उन्हें किसी तरह की कोई सैलरी नहीं मिलती। इसी तरह कुंभ में करीब 2 हजार लोग बाबा के इन केंद्रों से जुड़े हैं। वे सेवाभाव से लोगों के लिए खाना तैयार कर रहे और परोस रहे हैं। भक्तों के दान से चल रहा भंडारा
बाबा के कुल 4 आश्रम हैं। एक प्रयागराज, दूसरा लखनऊ, तीसरा अयोध्या और चौथा कानपुर में है। बाबा समय-समय पर हर आश्रम में रहते हैं। प्रयागराज में हर गुरुवार को बाबा अपने गऊ घाट वाले आश्रम में भक्तों से मिलते हैं और प्रवचन करते हैं। विशाल कहते हैं- बाबा के पास तमाम लोग अपनी समस्या लेकर आते हैं। गुरुजी किसी को कोई दवा नहीं देते, न ही किसी तरह का तंत्र-मंत्र करते हैं। वह भगवान शिव के उपासक हैं। महामृत्युंजय जाप के जरिए और कुछ पद्धतियां हैं, जिसके जरिए लोगों को ठीक करते हैं। गुरुजी के करोड़ों भक्त हैं। हजारों-लाखों लोग हर हफ्ते आश्रम आते हैं। गुरुजी कहते हैं, आप सुबह उठिए तो किसी गरीब के लिए 5 मुट्ठी चावल निकाल दीजिए। आप दिनभर में जितना भी भोजन करते हैं, उसका 10वां हिस्सा गरीब के लिए निकाल दीजिए। इसी तरह कोई 5 मुट्ठी चावल निकाल रहा तो कोई एक बोरी। कोई 10 रुपए दे रहा तो कोई 100 रुपए। यही भाव वह अपने शिष्यों को समझाते हैं और इसी तरह बहुत सारी चीजें इकट्ठा हो गईं। इसी से सभी आने वालों को खाना खिलाया जाता है। 20 करोड़ लोगों को खाना खिलाने का टारगेट
प्रसाद के रूप में सुबह लोगों को कभी रोटी-चावल के साथ दाल, कभी कढ़ी तो कभी छोले मिलते हैं। रात में अक्सर पूड़ी-सब्जी तैयार की जाती है। विशाल बताते हैं- कुंभ में हमारा टारगेट हर दिन 25 से 30 लाख लोगों को खाना खिलाने का है। पूरे कुंभ की बात करें, तो हमारा टारगेट 18 से 20 करोड़ लोगों का है। इस्कॉन हर दिन 1 लाख लोगों को खिला रहा खाना
ओम नमः शिवाय के अलावा इस्कॉन भी मेले में लोगों को खाना खिला रहा है। मेला क्षेत्र में सेक्टर- 18, सेक्टर- 19, डीएसए ग्राउंड, खुसरो पार्क और नेत्र कुंभ के अंदर रसोई बनी है। हर दिन 80 हजार से 1 लाख लोग भोजन कर रहे हैं। जिस दिन प्रमुख स्नान होते हैं, उस दिन यह संख्या 3 से 4 लाख तक पहुंच जाती है। रोज सुबह साढ़े 8 बजे से शुरू होने वाला यह भंडारा रात के 11 बजे तक चलता है। यहां भंडारे की रेसिपी रोज बदलती रहती है। मीठे में कभी हलवा तो कभी बर्फी शामिल होती है। यहां जो प्रसाद तैयार होता है, उसके लिए आधुनिक मशीनें रखी गई हैं। रोटी बनाने के लिए हर रसोई में मशीन लगी है। यह एक घंटे में एक हजार से ज्यादा रोटियां निकालती है। इस महाकुंभ में उद्योगपति गौतम अडाणी भी इस्कॉन से जुड़कर भंडारा कर रहे हैं। 21 जनवरी को वह कुंभ में आए। रसोई में पहुंचकर प्रसाद तैयार किया और लोगों में उसका वितरण किया। ———————— ये खबर भी पढ़ें… एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी महाकुंभ में महामंडलेश्वर बनीं, संगम तट पर पिंडदान किया, अब ममता नंद गिरि कहलाएंगी बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर बन गई हैं। उन्होंने शुक्रवार को प्रयागराज में संगम तट पर पिंडदान किया। अब वह यामाई ममता नंद गिरि कहलाएंगी। उनका सिर्फ पट्टाभिषेक रह गया है। 53 साल की ममता आज सुबह ही महाकुंभ में किन्नर अखाड़ा पहुंची थीं। उन्होंने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी से मुलाकात कर आशीर्वाद लिया। दोनों के बीच करीब एक घंटे तक महामंडलेश्वर बनने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद किन्नर अखाड़ा ने उन्हें महामंडलेश्वर की पदवी देने का ऐलान किया। पढ़ें पूरी खबर