यूपी पुलिस का मुखिया कौन? सस्पेंस बरकरार:तिलोत्मा वर्मा-दलजीत चौधरी सबसे प्रबल दावेदार; प्रशांत को एक्सटेंशन की उम्मीद यूपी पुलिस का नया मुखिया कौन होगा? इसको लेकर सस्पेंस बरकरार है। DGP प्रशांत कुमार आज रिटायर हो रहे हैं। उन्हें सेवा विस्तार (एक्सटेंशन) मिलेगा या नहीं, यह अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसी बीच, IPS दलजीत चौधरी अचानक सुर्खियों में आ गया। दलजीत ने गुरुवार को दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की है। ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि यूपी पुलिस की कमान उन्हें सौंपी जा सकती है। इधर, सीएम योगी ने सीनियर अफसरों से नए DGP को लेकर राय ली है। इसमें तिलोत्मा वर्मा का नाम सामने आया है। उनके बाद बीके मौर्य का नाम भी चर्चा में रहा। फिलहाल, प्रशांत कुमार के DGP बने रहने के लिए रात 12 बजे से पहले सेवा विस्तार से संबंधित दस्तावेज राज्य सरकार तक पहुंचना जरूरी है। ऐसे में इस समय गेंद केंद्र सरकार के पाले में है। अगर प्रशांत कुमार को सेवा विस्तार मिलता है तो यह यूपी में पहला मौका होगा, जब किसी कार्यवाहक DGP को सेवा विस्तार दिया जाएगा। फिलहाल, सीएम योगी ने भी इस संबंध में अपने पत्ते नहीं खोले हैं। DGP को लेकर क्या चल रहा, 3 पॉइंट में समझिए… अब इन 3 अफसरों के बारे में जानिए, जो DGP के लिए प्रबल दावेदार हैं— तिलोत्मा वर्मा: यूपी कैडर की अफसर हैं, लेकिन मूल कैडर से ज्यादा समय उन्होंने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर बिताया है। उनकी आखिरी फील्ड पोस्टिंग 2000 में एसपी सुल्तानपुर के पद पर थी। यानी वे पिछले 25 साल से फील्ड से दूर रही हैं। हालांकि, उन्हें सीबीआई में 5 साल और वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो में 8 साल का अनुभव है। बीके मौर्य:1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। वे मौजूदा समय में डीजी होमगार्ड के पद पर तैनात हैं। इसी साल जुलाई में रिटायर हो रहे हैं, इसलिए उम्मीद की जा रही है कि राजकुमार विश्वकर्मा की तर्ज पर उन्हें दो महीने का DGP कार्यकाल दिया जा सकता है। दलजीत चौधरी:1990 बैच के IPS अधिकारी हैं। इस समय BSF में DG पद पर तैनात हैं। वे अमित शाह के करीबी अफसरों में गिने जाते हैं। ऐसे में उन्हें यूपी DGP के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा है। प्रशांत कुमार को क्यों मिला सकता है सेवा विस्तार?
मुख्यमंत्री को फिलहाल प्रशांत कुमार का कोई विकल्प नजर नहीं आ रहा था, इसलिए वे भी चाहते थे कि प्रशांत कुमार को कम से कम 3 से 6 महीने और काम करने का मौका मिले। लेकिन बिना केंद्र की सहमति के ये मुमकिन नहीं हो सकता, क्योंकि अखिल भारतीय सेवा के अफसरों को सेवा विस्तार बिना केंद्र की अनुमति के नहीं मिल सकता। 29 मई को डीजीपी मुख्यालय पर इस विदाई समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें रिटायर हो रहे डीजी रैंक के अफसर पीवी रामाशास्त्री और संजय एम तरडे को तो विदाई दी गई, लेकिन डीजीपी के विदाई का कोई जिक्र नहीं हुआ। हालांकि डीजीपी ने इस विदाई समारोह में खुद कहा कि जब इस कार्यक्रम का होस्ट मैं खुद ही हूं तो मैं खुद को विदाई कैसे दे सकता हूं? उन्होंने यह भी कहा कि इसे लेकर तरह–तरह की चर्चाएं हो रही हैं जो निराधार हैं। उनका इशारा सेवा विस्तार की ओर था। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन की वजह से नहीं बन पाए स्थायी डीजीपी
प्रशांत कुमार के स्थायी डीजीपी नहीं बन पाने की वजह सुप्रीम कोर्ट का वह निर्णय है, जिसमें यूपीएससी यानी संघ लोक सेवा आयोग के माध्यम से राज्यों के डीजीपी की नियुक्ति का प्राविधान है। इसके तहत 30 साल की सेवा पूरी कर चुके अफसरों की डिटेल यूपीएससी को भेजी जाती है। यूपीएससी उन्हीं में से बेदाग तीन अफसरों के नाम का पैनल राज्य सरकार को भेज देता है, राज्य सरकार को इन्हीं अधिकारियों में से किसी एक को डीजीपी बनाना होता है। आम तौर पर वरिष्ठता के क्रम में तीन अफसरों के नाम राज्य को भेजे जाते हैं, जिनमें से किसी एक को डीजीपी बनाए जाने की बाध्यता होती है। हितेश चंद्र अवस्थी के रिटायरमेंट के समय यूपीएससी के माध्यम से मुकल गोयल की नियुक्ति डीजीपी के पद पर हुई थी, जिन्हें राज्य सरकार ने बीच में ही हटा दिया था। बिहार के रहने वाले हैं प्रशांत कुमार
उनका जन्म बिहार के सीवान में हुआ था। IPS अफसर बनने से पहले प्रशांत कुमार ने MSc, MPhil और MBA भी किया था। बतौर IPS प्रशांत कुमार का जब चयन हुआ था, तो उन्हें तमिलनाडु कैडर मिला था। हालांकि, 1994 में यूपी कैडर की IAS डिंपल वर्मा से उन्होंने शादी की। इसके बाद प्रशांत कुमार ने यूपी कैडर में ट्रांसफर ले लिया। क्या है डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया? उत्तर प्रदेश में डीजीपी की नियुक्ति के लिए 6 माह पहले नियमावली बनाई गई थी। हालांकि कैबिनेट से पास इस नियमावली को अब तक लागू नहीं किया गया है। इस नियमावली के तहत एक छह सदस्यीय समिति डीजीपी की नियुक्ति करेगी। इस समिति की अध्यक्षता हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे, और इसमें मुख्य सचिव, यूपीएससी का एक सदस्य, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या उनका नामित व्यक्ति, अपर मुख्य सचिव (गृह), और एक पूर्व डीजीपी शामिल होंगे। यह कमेटी सेवा रिकॉर्ड, अनुभव, और न्यूनतम छह महीने की शेष सेवा अवधि जैसे मानदंडों के आधार पर डीजीपी का चयन करेगी। डीजीपी की नियुक्ति दो वर्ष या रिटायरमेंट की अवधि तक इसमें जो पहले हो, की जा सकती है। साथ ही असंतोषजनक प्रदर्शन की स्थिति में सरकार उन्हें हटा भी सकती है। पहले की प्रक्रिया में, राज्य सरकार वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की सूची संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) को भेजती थी, जो तीन वरिष्ठतम अधिकारियों का पैनल तैयार करता था। केंद्र के डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग (डीओपीटी) और गृह मंत्रालय की सलाह के बाद अंतिम चयन होता था। ——————– यह खबर भी पढ़िए… कानपुर में मोदी बोले-दुश्मन कहीं भी हो, खत्म कर देंगे:पाकिस्तानी सेना गिड़गिड़ा रही थी, बेटियों के सिंदूर का आक्रोश दुनिया ने देखा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कानपुर में जनसभा की। 45 मिनट के भाषण में उन्होंने आतंक को लेकर पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। कहा, ‘बेटियों के सिंदूर का आक्रोश दुनिया ने देखा। हमारी सेना ने ऐसा पराक्रम दिखाया कि पाकिस्तानी सेना को गिड़गिड़ा कर युद्ध रोकने की मांग करने पर मजबूर होना पड़ा।’ ‘अगर मैं कनपुरिया अंदाज में कहूं तो- दुश्मन कहीं भी हो, हौंक दिया जाएगा। हमारे भारतीय हथियारों ने और ब्रह्मोस मिसाइल ने दुश्मन के घर में घुसकर तबाही मचाई है। आतंकियों के ठिकानों को सैकड़ों मील अंदर जाकर तबाह किए।’ इससे पहले, मोदी ने कानपुर एयरपोर्ट पर शुभम द्विवेदी के परिवार से मुलाकात की। मोदी ने शुभम द्विवेदी की पत्नी ऐशन्या, मां सीमा और पिता संजय द्विवेदी से मुलाकात की। शुभम के चाचा मनोज द्विवेदी ने बताया कि पीएम परिवार से मिलकर भावुक हो गए। पढ़ें पूरी खबर…