प्रेमानंद की ज्ञानानंद महाराज से मुलाकात,VIDEO:ब्रह्मलीन होने की अफवाह फैली, हाल जानने पहुंचे हरियाणा के गीता मनीषी; संत ने चरण धोकर किया स्वागत

प्रेमानंद की ज्ञानानंद महाराज से मुलाकात,VIDEO:ब्रह्मलीन होने की अफवाह फैली, हाल जानने पहुंचे हरियाणा के गीता मनीषी; संत ने चरण धोकर किया स्वागत वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज और हरियाणा के संत गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज की भेंट का वीडियो अनुयायियों में श्रद्धा का केंद्र बना है। इसमें ज्ञानानंद महाराज वृंदावन में प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य हाल पूछने गए। वहां संत ने चरण धोकर और दंडवत होकर स्वागत किया। वृंदावन की इस मुलाकात पर ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि प्रेमानंद महाराज एक ऐसे संत हैं, जिन्होंने समाज में नाम और भक्ति के प्रति गहरा भाव जगाया है। उन्होंने बताया कि जब वह वृंदावन पहुंचे तो प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही विनम्रता के साथ उनका स्वागत किया। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को जानने के लिए ही वह वृंदावन गए थे। वहां जाकर पता चला कि वह थोड़ा अस्वस्थ हैं, लेकिन वह मानसिक रूप से पूर्णतः स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा, “जब हम उनसे मिले तो उन्होंने गहरे भाव दिखाए, और हमें लगा कि यह उनका बड़प्पन है। जब संत अपने किसी भाव की स्थिति में होते हैं तो उनकी विनम्रता और भी बढ़ जाती है। प्रेमानंद महाराज का यही स्वभाव उनकी महानता को दर्शाता है।” प्रेमानंद से मुलाकात पर क्या बोले गीता मनीषी गीता के भाव पर हुई सात्विक चर्चा, समाज में सरल भाषा में गीता प्रचार पर हर्ष
ज्ञानानंद महाराज ने बताया कि उस समय वहां कई संत उपस्थित थे। चर्चा के दौरान प्रेमानंद महाराज ने कहा कि आप समाज में सरल भाषा में गीता का प्रचार कर रहे हैं, यह अत्यंत सराहनीय कार्य है। गीता के एक भाव पर सात्विक चर्चा भी हुई। दोनों संतों ने भगवत गीता के संदेशों को आज के समाज में लागू करने के महत्व पर विचार साझा किए। ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि उन्होंने प्रेमानंद महाराज के उत्तम स्वास्थ्य के लिए भगवान से विशेष प्रार्थना भी की। भगवान उन पर कृपा बनाए रखें और वे शारीरिक रूप से भी जल्द स्वस्थ हों, क्योंकि मानसिक रूप से वे पूर्णत: संतुलित और दृढ़ हैं। गीता मनीषी ने कहा- 20 को मनाएं दीवाली, 21 रात को अमावस्या का अंश नहीं
करनाल पहुंचे गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि कार्तिक मास में पांच दिनों का समय हनुमान जयंती, धनतेरस, दीवाली, अन्नकूट और भैया दूज, ये पांचों दिन विशेष माने जाते हैं। कभी कभी ऐसा हो जाता है कि अपने यहां त्योहारों का जो भाव होता है, वो केवल एक तारीख को लेकर नहीं होता। अपने यहां त्योहार तिथियों के अनुसार होता है और तिथियों में बहुत कुछ देखा जाता है, जिसमें नक्षत्र, लगन, ग्रह व अन्य कुछ बातों का ध्यान रखा जाता है। जहां तक दीवाली की बात है, वह 20 अक्टूबर को ही है। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि यदि हम अपने त्योहारों की एक कसौटी बना लें तो बहुत अच्छा रहेगा। जहां का जो त्योहार है यानी केंद्र वहां पर किस दिन त्योहार मनाया जा रहा है, उसके हिसाब से मनाएं। अयोध्या में 20 को ही दीवाली है, क्योंकि 21 अक्तूबर को रात को अमावस्या का अंश नहीं है। सोशल मीडिया और एआई पर बोले- हमारी संस्कृति में कुछ भी आर्टिफिशियल नहीं’
सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के सवाल पर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि आजकल सोशल मीडिया और एआई का दौर है, लेकिन हमारी संस्कृति में तो कुछ भी आर्टिफिशियल नहीं है। हम सनातन धर्मी हैं और वास्तविकता में जीने वाले लोग हैं। उन्होंने कहा- हमारी परंपराओं और ग्रंथों में सबकुछ सत्य और अनुभव पर आधारित है। जो लोग सोशल मीडिया के माध्यम से भ्रामक प्रचार करते हैं और नकारात्मक वातावरण बनाते हैं, उन्हें स्वयं पर ग्लानि होनी चाहिए। ज्ञानानंद महाराज ने यह भी कहा कि एआई के माध्यम से जो भ्रामक समाचार प्रेमानंद महाराज के स्वास्थ्य को लेकर फैलाए गए, वे अत्यंत निंदनीय हैं। इस तरह के झूठे प्रचार किसी के भी प्रति नहीं होने चाहिए, लेकिन जब यह किसी महापुरुष के बारे में किया जाए तो यह और भी बड़ा अपराध है। प्रेमानंद महाराज की दोनों किडनियां फेल, रोज डायलिसिस
प्रेमानंद महाराज पॉलिसिस्टिक किडनी डिजीज (PKD) जैसी गंभीर जेनेटिक बीमारी से जूझ रहे हैं। इस बीमारी के कारण उनकी दोनों किडनियां फेल हो चुकी हैं, और रोजाना डायलिसिस कराना पड़ता है। ताकि शरीर का खून साफ किया जा सके। यह स्थिति पिछले लगभग दो दशकों से बनी हुई है। उन्होंने अपनी किडनियों को ‘राधा’ और ‘कृष्णा’ नाम दिए हैं। डॉक्टरों के अनुसार, उनकी शेष जीवन संभाव्यता पहले केवल 2 से ढाई साल बताई गई थी, परंतु उनकी सकारात्मक सोच ने उन्हें वर्षों तक जीवित और मानसिक रूप से शांत बनाए रखा है। हालांकि, हाल ही में कुछ अफवाहें फैल गई थीं कि वग गंभीर रूप से बीमार हैं या ब्रह्मलीन हो गए हैं। इन अफवाहों का खंडन करते हुए, प्रेमानंद महाराज ने स्वयं कहा कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। हाल ही में, उन्होंने वृंदावन के राधा केली कुंज आश्रम से लगभग 200 मीटर की पदयात्रा की, जिससे उनके भक्तों को दर्शन मिल सके और अफवाहों को विराम मिला।

अखिलेश बोले- भाजपा मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे:फलाहारी बाबा ने की CBI जांच की मांग, बांके बिहारी के खजाने में खाली मिले बॉक्स

अखिलेश बोले- भाजपा मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे:फलाहारी बाबा ने की CBI जांच की मांग, बांके बिहारी के खजाने में खाली मिले बॉक्स वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर के तोशाखाने में खाली संदूक और आभूषणों के खाली डिब्बे मिलने का मामला राजनैतिक रंग लेने लगा है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने X पर लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। वहीं, श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर केस के याचिकाकर्ता दिनेश फलाहारी ने सीएम योगी को लेटर लिखकर पूरे मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है। बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने अपनी प्रतिक्रिया दी, उनके बारे में विस्तार से जानते हैं। सबसे पहले जानते हैं कि बांके बिहारी मंदिर के खजाने में पहले और दूसरे दिन क्या-क्या मिला। 18 अक्टूबर को पहले दिन क्या हुआ? बांके बिहारी मंदिर का खजाना 54 साल बाद 18 अक्टूबर को खोला गया। ये खजाना 160 साल पुराना है। खजाने के गेट को खोलने से पहले दिनेश गोस्वामी ने दीपक जलाया। इसके बाद अफसरों की मौजूदगी में दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया। फिर, खजाने की पहचान के लिए तय कमेटी के सारे मेंबर एक-एक करके अंदर गए। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और चारों गोस्वामी शामिल रहे। सभी ने मास्क लगाकर एंट्री की। टीम को शनिवार की सर्चिंग में 2 बक्से (एक लोहे और दूसरा लकड़ी का) और 3 कलश मिले हैं। लकड़ी के बक्से के अंदर ज्वेलरी के छोटे-बड़े कई खाली डिब्बे मिले। 4-5 ताले भी निकले हैं। बक्से में 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पत्र और एक चांदी का छोटा छत्र भी मिला था। अगले दिन 19 अक्टूबर को क्या मिला? रविवार को दूसरे दिन भी खजाना खोला गया। लॉक मुख्य दरवाजे को ग्राइंडर से काटने के बाद टीम और कमेटी अंदर गई। यहां सीढ़ियों के जरिए नीचे जाने वाला तहखाना मिला। खजाने में मुख्य दरवाजे के अंदर बने एक कमरे में लकड़ी के दो संदूक मिले, एक बड़ा और दूसरा छोटा। इस संदूक में कई बर्तन, कीमती नग और सिक्के मिले थे। कमरे में लकड़ी का लगभग एक मीटर लंबा और 4 मीटर चौड़ा बक्सा मिला। जिसमें सोने की चमचमाती छड़ी और गुलाल लगी हुई चांदी की 3 छड़ें मिलीं। टीम सीढ़ियों से नीचे उतरकर तहखाने में भी गई। एक-एक करके कमेटी के सभी सदस्य तहखाने में उतरे। तहखाना एकदम साफ मिला। वहां कुछ भी नहीं मिला। ठाकुर जी इन छड़ियों से होली खेलते थे खजाने के बारे में दिनेश गोस्वामी ने बताया- नीचे तहखाने तक सब क्लियर हो गया है। जो छड़ियां मिली हैं, उन्हें देखकर ऐसा लग रहा है कि मानो ठाकुर जी ने होली में चांदी की छड़ियों से रंग खेला होगा। होली के 4-5 दिन बाद धुरेली पर सोने की छड़ी धारण की होगी। अब जानते हैं, बांके बिहारी खजाने को लेकर किन-किन लोगों ने रिएक्शन दिया… अखिलेश यादव बोले- भाजपा सरकार मंदिरों के खजाने तो छोड़ दे बांके बिहारी मंदिर में लकड़ी के बक्से और ज्वेलरी के छोटे-बड़े लगभग सभी खाली डिब्बे मिले। इस पर अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए भाजपा सरकार पर तंज कसा। सपा प्रमुख ने पोस्ट में लिखा- भाजपा सरकार से करबद्ध आग्रह है कि कम से कम मंदिरों के खजाने तो छोड़ दें। इतना लालच अच्छा नहीं। फलाहारी बाबा बोले- पहले के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति जांचे मंदिर में कई वर्षों की दान की गई संपत्ति नहीं मिलने से गोवर्धन-श्रीकृष्ण जन्म भूमि संघर्ष न्यास के अध्यक्ष दिनेश फलाहारी महाराज ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा। फलाहारी बाबा ने कहा- मंदिर में भक्तों, राजा-महाराजाओं और आमजन ने वर्षों से करोड़ों की संपत्ति, हीरे-जवाहरात और आभूषण दान किए थे। लेकिन, अब उनके अभिलेख और संदूक खाली मिले हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि इतने सालों बाद खजाना खोले जाने की क्या जरूरत थी। इसके पीछे कौन लोग हैं। हमारी मांग है कि उस समय के मंदिर व्यवस्थापकों की संपत्ति की भी जांच की जाए। गोस्वामी ने खजाना खोले जाने की प्रक्रिया पर नाराजगी जताई खजाना खोले जाने की प्रक्रिया को लेकर अनंत गोस्वामी ने नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि लाइव के लिए टीवी नहीं लगाई गई। वीडियो रिकॉर्डिंग से क्या होगा? अनंत गोस्वामी से मीडिया ने सवाल पूछा- गोस्वामी जी, आप कमेटी के मेंबर हैं, आप क्यों बाहर हैं। इस पर गोस्वामी बोले- हमें शामिल ही नहीं किया गया। हमें क्या मीडिया को भी कवरेज नहीं करने दिया। आप लोगों के लिए लाइव चलना चाहिए था। अंदर क्या हो रहा है, ये हम लोगों का क्या पता। अंदर क्या निकल रहा है, क्या नहीं निकल रहा है। कैसे पता लगेगा। हम लोग भी अंदर नहीं जा पा रहे हैं। हमारे यहां होने का क्या मतलब है। मंदिर का जो पैसा है, उसे लाइव दिखाना चाहिए था। किस गोस्वामी को अंदर ले जाया गया है हमें कुछ पता ही नहीं है। कौन सी हाईपावर कमेटी अंदर गई है, किसी को नहीं पता। मनोज गोस्वामी बोले- गेट मत खोलो, अंदर दाढ़ी वाला नाग बैठा है मनोज गोस्वामी बोले- मंदिर की मर्यादा को मत तोड़ो। भक्तों को कोई परेशानी न हो। मंदिर की व्यवस्था बढ़िया से चलती रहे। हम हर तरह से तैयार है। 50 साल में कभी ये गेट नहीं खुला। ये पत्थर का गेट है। हम बचपन से सुनते आए हैं कि इसमें एक बड़ा विशाल दाढ़ी वाला नाग है। इसमें बिहारी जी का खजाना है। यहां मर्यादा भंग हो रही है, ये गेट खुलना नहीं चाहिए। ये कुबेर का खजाना है। ये हमारी चंदन वाली कोठी है। इस गेट को मत खोलो। आगे तुम्हारी मर्जी है। आज धन का दिन धनतेरस है। कुबेर का दिन है आगे तुम्हारी मर्जी है। …………………….. पढ़ें पूरी खबर… अयोध्या में योगी ने श्रीराम का रथ खींचा, VIDEO:राम मंदिर में CM ने दीप जलाए; काली बनीं कलाकार का तांडव अयोध्या में आज 9वां दीपोत्सव मनाया जा रहा है। सीएम योगी ने राम मंदिर में दीप जलाए। इसके बाद दीपोत्सव की शुरुआत की। इसी के साथ राम की पैड़ी पर दीये जलाने का काम शुरू हो गया है। इससे पहले साकेत महाविद्यालय से 22 झांकियां और शोभायात्रा निकाली गई। तीन किमी की दूरी तक कर शोभायात्रा रामकथा पार्क पहुंची। 22 झांकियों में 7 रामायण कांडों पर आधारित रहीं। अन्य झांकियां महाकुंभ, महिला शक्ति और यूपी सरकार की प्रमुख योजनाओं पर आधारित रहीं। मां काली के रौद्र रूप में असम से आए कलाकार ने जमकर तांडव किया। सड़क पर आग के गोलों में नृत्य किया। मुकुट से आग की लपटें निकलीं तो लोग दंग रह गए।…पढ़ें पूरी खबर

अखिलेश भैया ने गला दिए सोने के मुकुट:बृजभूषण बाबा ने राजभर को लपेटा, SP साहब ने हीरो लुक में मारी एंट्री

अखिलेश भैया ने गला दिए सोने के मुकुट:बृजभूषण बाबा ने राजभर को लपेटा, SP साहब ने हीरो लुक में मारी एंट्री ऊपर Video पर क्लिक करें और देखें… आज यूपी की राजनीति और सरकारी विभागों की कौन सी बात खरी है….

पति की नौकरी के लिए लेटकर परिक्रमा का VIDEO:महिला बोली- हर बार 1-2 नंबर से चूक जाते थे; मनोकामना मानी तो टीचर बन गए

पति की नौकरी के लिए लेटकर परिक्रमा का VIDEO:महिला बोली- हर बार 1-2 नंबर से चूक जाते थे; मनोकामना मानी तो टीचर बन गए प्रयागराज की विद्योत्तमा सिंह अपने पति के लिए चित्रकूट में विशाल कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा कर रही हैं। यह परिक्रमा चलते हुए नहीं, लेटकर कर रही हैं। वजह ,हैं उनके पति। विद्योत्तमा और श्याम नंदन सिंह पटेल की शादी 2012 में हुई थी। 2014 में एक बेटा भी हो गया। श्याम एमए-बीएड करने के बाद भी बेरोजगार थे। भर्ती निकलती तो कभी 1 नंबर से तो कभी 2 नंबर से छंट जाते थे। सिलेक्शन ही नहीं होता था। 2019 में विद्योत्तमा सिंह ने चित्रकूट में भगवान कामतानाथ के सामने हाथ जोड़े। मनोकामना मांगी कि पति की नौकरी लग जाएगी, तो मैं कामदगिरि पर्वत की तीन बार लेटकर परिक्रमा करूंगी। भगवान ने सुन लिया। नवंबर, 2021 में टीजीटी के जरिए टीचर बन गए। विद्योत्तमा की मनोकामना पूरी हो गई। पति के टीचर बनते ही विद्योत्तमा ने पहली बार परिक्रमा की। इसके बाद अब फिर से परिक्रमा कर रही हैं। विद्योत्तमा सिंह कहती हैं- हमारे बीच कभी कोई झगड़ा नहीं हुआ। हम प्रेम से रहते हैं। टीवी-अखबार में पति-पत्नियों के झगड़े देखते हैं, तो अजीब लगता है। हम तो यही चाहते हैं कि सब पति-पत्नी हमारे जैसे मिल-जुलकर रहें। विद्योत्तमा ने परिक्रमा के दौरान अपनी बातों को हमारे साथ साझा किया है। देखिए VIDEO…

यूपी में तंत्र क्रिया के लिए उल्लुओं की तस्करी:स्टिंग में देखिए सौदा; कैसे और कहां से लाते हैं, इसका पूरा खुलासा

यूपी में तंत्र क्रिया के लिए उल्लुओं की तस्करी:स्टिंग में देखिए सौदा; कैसे और कहां से लाते हैं, इसका पूरा खुलासा ‘ये देखिए… उल्लू, पैर बंधा नही है, निकालते समय सावधानी बरतिए। पैर बांध देना… नहीं तो उड़ जाएगा। उल्लू से बहुत बड़ी पूजा होती हैं। अपनी बलाएं लोग इसको दे देते हैं।’ ये कहना है शिकारियों का। दीपावली पर बलि के लिए ये उल्लू की तस्करी कर रहे हैं। तांत्रिक और अमीर लोग इनके बड़े ग्राहक हैं। ये एक उल्लू के 2000 से लेकर 1 लाख रुपए तक ले लेते हैं। हालांकि वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत उल्लू पकड़ना, बेचना-खरीदना और बलि देना गैरकानूनी है। ऐसा करने पर 7 साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके बाद भी यूपी में उल्लू की तस्करी दीपावली के 1 महीने पहले से शुरू हो गई। यह दिवाली पर महालक्ष्मी पूजा तक चलती रहेगी। उल्लुओं की तस्करी के इस खेल को समझने के लिए दैनिक भास्कर की टीम ने कुशीनगर, लखनऊ, उन्नाव, गोरखपुर, बनारस में 10 दिन तक इन्वेस्टिगेशन किया। पढ़िए, पूरा खुलासा… हमने सबसे पहले उल्लुओं की बिक्री को लेकर यूपी के महराजगंज, कुशीनगर और गोरखपुर के साथ बिहार के बगहा तक पता किया। कुशीनगर से 35 किमी दूर रामकोला में पक्षियों का शिकार करने वाले कुछ बहेलियों से हमने बात की… शिकारी ने हमें मेहंदीगंज (कुशीनगर) बुलाया… रिपोर्टर: भाई जी… नमस्कार, पक्षी चाहिए… मिल जाएगा क्या? मंजूर: आप कौन, कहां से…? रिपोर्टर: मैं शिवम पडरौना से…। मंजूर: हां, मिल जाएगा… 9 बजे मेहंदीगंज पहुंचिए… वहीं मिलकर बात होगी। हम 9 बजे पहुंचे। 1 घंटे चौराहे पर इंतजार के बाद मंजूर आया। उसने चौक पर लगे RO के पास बुलाया। वह हमें चाय की दुकान पर ले गया। मंजूर (दुकान पर बैठते हुए): तब का कह रहे हैं? रिपोर्टर: हमारे रिश्तेदार हैं, उनको पूजापाठ करना है। उल्लू की डिमांड है… मिल जाएगा क्या…? मंजूर: मिल जाएगा… लेकिन पैसा ज्यादा लगेगा। रिपोर्टर: कितना…? मंजूर: 1000 रुपए से कम नहीं लेंगे… 100-200 ज्यादा भी हो सकता है। रिपोर्टर: ठीक है दे दिया जाएगा। मंजूर: ठीक है… चलिए, आज ही करा देता हूं। रिपोर्टर: भैया, जल्दी करिएगा… क्योंकि संतकबीरनगर रिश्तेदार के यहां पहुंचाना है। मंजूर: ठीक है… हम बतिया ले रहे… मिल जाएगा। रिपोर्टर: पूजा में और क्या लगता है? मंजूर: पूजा-पाठ में परेवा (कबूतर), उल्लू लगते हैं। (फिर उसने किसी को फोन लगाया) मंजूर (फोन पर): सद्दाम हैं क्या…? बाबू, जो उल्लू पकड़े थे… वे हैं कि भाग गए….? एक भाई आए हैं… अर्जेंट है…। शाम तक पकड़कर दे दो… 100% मान लें… ठीक है…। रिपोर्टर: हो जाएगा? मंजूर: हां, आप जाइए…। जब फोन करेंगे तो आ जाइएगा, शाम को… हमने उससे कह दिया है कि एडवांस मिल गया है। जब आएगा, तो दे दिया जाएगा। रिपोर्टर: कहां मिलता है… बाहर से आएगा क्या? मंजूर: यहीं मिलेगा, लेकर आप चले जाइएगा… बोरे में व्यवस्था हो जाएगी। रिपोर्टर: कोई दिक्कत तो नहीं होगी…? मंजूर: नहीं, इतना बड़ा-बड़ा काम करते हैं, कोई दिक्कत नहीं होती। आपका तो छोटा-सा काम है…। जाइए, शाम को आइएगा। मंजूर के बताए समय पर हमने शाम को फोन किया तो उसने बताया- लड़का काम करने गया है, थोड़ी देर में आइए। जब थोड़ी देर बाद हम मौके पर पहुंचे तो मंजूर नहीं मिला। फोन पर बोला कि उल्लू पकड़ा नहीं जा सका है। आप वापस जाइए…। कल सुबह आपको उल्लू मिल जाएगा। इसके बाद रात 9:30 बजे मंजूर ने फोन किया। बोला- उल्लू मिल गया है, ले जाइए। नहीं तो सुबह 6 बजे ले जाना। 4 शिकारी एक झोला लेकर उल्लू डिलीवर करने आए सुबह 6 बजे हम कुशीनगर से 25 किलोमीटर दूर पहुंचे और मंजूर को फोन लगाया। वह बोला- वहीं रुकिए, सामान भेज रहा हूं। फिर उसने एक लड़के को कॉन्फ्रेंस पर लिया और उससे बात कराई। उसने चाय की दुकान पर बुलाया, हमने पूछा कि कोई दिक्कत होगी तो… क्योंकि भीड़ अधिक होती है। उसने कहा- कोई दिक्कत नहीं होगी। हम चाय की दुकान से कुछ दूर खड़े हो गए। तभी 4 लोग एक झोला लेकर हमारी तरफ आते दिखे। एक ने अपना नाम आमिर हसन बताया। रिपोर्टर: अरे भाई, कोई दिक्कत हो जाएगी…? आमिर: कोई दिक्कत नहीं होगी। रिपोर्टर: दिखाइए…। आमिर : पैर बंधा नहीं है, निकालते समय सावधानी बरतिए। साथ आया व्यक्ति बोला पैर बांध दो… नहीं तो इन लोगों से उड़ जाएगा। रिपोर्टर: इसका होता क्या हैं. बलि दी जाती हैं क्या..? आमिर का साथी: इससे बहुत बड़ी पूजा होती है। आमिर: अपनी बलाएं लोग इसको देकर पूजा कर उड़ा देते… इसको पूजा में सम्मिलित करना बड़ा ही कारगर होता है। आमिर: पैसा दीजिए…। रिपोर्टर: कितना…? आमिर: 2000 रुपए। रिपोर्टर: बात तो 1000 रुपए की हुई थी…? आमिर: अरे, बड़ी मेहनत और रिस्क होता है, साथ ही यह अपने पंजे से मारकर घायल कर देता है। रिपोर्टर: पकड़ते कैसे हो…? आमिर का साथी: बहुत बड़ी जाल है… चवर इलाके में लगा दिया जाता… ये दिन में नहीं, सिर्फ रात को मिलते हैं। पूरी रात 5 लोग जागते रहे। आमिर: सबकी मजदूरी भी देंगे तो 400 रुपए प्रति आदमी के हिसाब से 2000 रुपए हुए। रिपोर्टर: क्या आस-पास कोई जंगल है…? आमिर: नहीं, 7 किलोमीटर का चवर (लो-लैंड की ऊसर भूमि) है। वहां बहुत से बाहरी पक्षी आते हैं… खतरा तो है लेकिन लालधर और अन्य जो भी बाहरी पक्षी खाने के शौकीन हैं, उनके लिए कुछ मायने नहीं रखता… इधर उनकी डिमांड भी है। हमने 2000 रुपए दिए लेकिन उल्लू नहीं लिया स्टिंग कर हमारा उद्देश्य यह बताना था कि बलि देने के लिए उल्लुओं को बेचा और खरीदा जा रहा है। वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 का पालन करते हुए हमने उल्लू नहीं खरीदा। हालांकि शिकारियों को 2000 रुपए दे दिए। इस पर आमिर ने कहा– पैसे वापस नही होंगे और शाम तक आप नहीं आए तो इसे उड़ा दूंगा। इस पूरी बातचीत से यह साफ हो गया कि प्रतिबंधित पक्षियों का शिकार जाल और अन्य तरीके से हो रहा है। दीपावली पर उल्लुओं की डिमांड है। क्या उल्लू की तस्करी यूपी में और जिलों में भी हो रही है? इसके जवाब के लिए हमने राजधानी लखनऊ में इन्वेस्टिगेशन किया। यहां हम पुराने लखनऊ में पक्षी बेचने वालों और एक्वेरियम बेचने वालों की दुकानों पर पहुंचे। यहां कुछ दुकानदारों ने उल्लू दिलाने की बात कही। रिपोर्टर: उल्लू चाहिए? दुकानदार 1: मिल जाएगा। 2 हजार रुपए लगेंगे। अभी नहीं है, अगर होगा तो करा देंगे। रिपोर्टर: आज ही मिल जाएगा? दुकानदार 1: हम कह देंगे किसी से, तो वो घर पहुंचा देगा। दुकानदार 2: कितने चाहिए…? एक या दो। रिपोर्टर: एक ही चाहिए। दुकानदार 1: हम पूछकर देख लेते हैं, अगर रखा होगा तो आज ही दे देंगे। रिपोर्टर: कितना बड़ा होता है? दुकानदार 1: इतना बड़ा होता है। हल्की-सी सफेदी होती है। रिपोर्टर: पहले तो आसानी से मिलते थे? दुकानदार 2: कोई दुकानदार आपको जानता है, तो फट से दे देगा। रिपोर्टर: एडवांस दे दें। दुकानदार 1: एडवांस की बात नहीं। हम आपको सामान लाकर दे देंगे, आप पैसा दे दीजिए। बातचीत के बाद जब हम जाने लगे तो दुकानदारों ने हमें फिर बुलाया। हम वापस पहुंचे तो उन्होंने कहा- एक के पास उल्लू है। हम देखकर आते हैं, अगर होगा तो अभी दे देंगे। इसके बाद रात को फोन आया। दुकानदार ने कहा- उल्लू है, लेकिन 20 हजार रुपए लगेंगे। हमने लेने से इनकार कर दिया। उन्नाव में 5000 रुपए में बिक रहे उल्लू हम उन्राव जिले के आसीवन के मोहल्ला पीरजादा पहुंचे। यहां हमारी मुलाकात कल्लू, जाबिद, लियाकत और दानिश से हुई। इन्होंने उल्लुओं की तस्करी के बारे में विस्तार से बताया। कल्लू: उल्लू ऑर्डर पर मिलता है। ऑर्डर देने पर मंगवा दिया जाएगा। हमको ऑर्डर दे दो, हम मंगवा देंगे। रिपोर्टर: कब तक मिल जाएगा? कल्लू: कम से कम 8 से 10 दिन तो लगेंगे। उल्लू बहुत काम में आता है। नाखून बहुत काम में आते हैं। रिपोर्टर: कितने तक का मिल जाएगा? कल्लू: कम से कम 5 हजार का। हम यहीं मिलेंगे, यहीं मेरा मकान है। अपना एड्रेस, फोन नंबर और कुछ एडवांस पैसे दे दो। रिपोर्टर: देख लीजिए आप। कल्लू: अभी एक उल्लू था। एक औरत आई थी, उसके कहने पर पकड़ा था। वह 8 हजार का खरीद कर ले गई। उसने 5 हजार एडवांस दिए थे। बातचीत से साफ हो गया कि यहां उल्लू बिक रहे हैं। हम 5000 रुपए में उल्लू खरीदने की डील फाइनल किए बगैर ही यहां से निकल लिए। वाराणसी के पंडित ने कहा- उल्लू है, लेकिन किसी और के लिए हमें वाराणसी के पंडित का मोबाइल नंबर मिला, जो दिवाली पर उल्लू की पूजा कराते हैं। जब हमने उनसे वॉट्सऐप पर कॉल किया तो पहले तो उन्होंने इनकार किया। फिर बोले- हमारे बहुत कांटेक्ट हैं, लेकिन दो-चार दिन का समय चाहिए। बहेलिया लोग हैं, वे पकड़ते हैं। उनसे संपर्क करना पड़ेगा। अभी हमारे पास है, लेकिन वो किसी और के लिए है। हमने मंगवाया है। अब जानिए, मान्यता और अंधविश्वास मान्यता है, महालक्ष्मी की सवारी उल्लू है। दीपावली की रात मां लक्ष्मी उल्लू पर सवार होकर आती हैं। शास्त्रों में उल्लू की पूजा का विधान है, लेकिन कुछ लोग अंधविश्वास के चलते लोग इसकी बलि देने लगे, जो गलत है। यह गलत धारणा है कि दीपावली के दिन उल्लू की बलि देने से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है। इसलिए दुर्लभ प्रजाति है उल्लू
उल्लू की प्रजनन दर कम होती है। एक बार अंडा देने के बाद पालन-पोषण में वक्त लगता है, इसलिए आबादी जल्दी नहीं बढ़ती। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट की सूची में उल्लू शामिल है। इसलिए ये दुर्लभ प्रजाति हैं। उल्लू की आबादी बढ़ना जरूरी है, क्योंकि ये कीड़े और चूहे खाकर इनकी संख्या को नियंत्रित रखते हैं। उल्लू की तस्करी अपराध है
सीनियर एडवोकेट रवि शंकर पांडेय का कहना है कि उल्लू को पकड़ना, बेचना या मारना भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत पूरी तरह से गैरकानूनी है। इस कानून के उल्लंघन पर 7 साल तक की जेल और जुर्माना हो सकता है। वनरक्षक और रेंजर की टीम बनाई
लखनऊ वन विभाग के डीएफओ सितांशु पांडेय ने बताया- हमने आदेश बनवाया और मीटिंग भी की। इसमें सभी रेंजर्स को बताया कि उल्लू से संबंधित गतिविधियों को रोका जाए। इसके लिए दो वनरक्षक और रेंजर की टीम बनाई है। ये सूचना मिलते ही जाकर देखेंगे और जरूरी कार्रवाई करेंगे। ———————— ये खबर भी पढ़ें… दीपावली पर तांत्रिक परंपराएं और जीव बलि, उल्लू-कछुए जैसे जीवों के लिए क्यों काल बन जाती है अमावस्या की रात? दीपावली की रात तांत्रिक सिद्धियों के लिए जानी जाती है। मान्यता है, अमावस्या की रात तंत्र क्रियाओं से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। यही वजह है कि कुछ खास जीव-जंतुओं के लिए यह रात जानलेवा साबित होती है। विशेषकर उल्लू और कछुए जैसे जीवों के लिए। इनको मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। पढ़ें पूरी खबर

मिठाई कारोबारी का बेटा, नामी डॉक्टर का दामाद:जानिए कौन है डेढ़ करोड़ की जगुआर से 6 लोगों को रौंदने वाला रचित मध्यान

मिठाई कारोबारी का बेटा, नामी डॉक्टर का दामाद:जानिए कौन है डेढ़ करोड़ की जगुआर से 6 लोगों को रौंदने वाला रचित मध्यान प्रयागराज में रविवार शाम प्रयागराज के राजरूपपुर इलाके में हुई भीषण सड़क दुर्घटना ने पूरे शहर को झकझोर दिया। डेढ़ करोड़ की लग्जरी जगुआर कार से छह लोगों को कुचल देने वाला युवक कोई साधारण व्यक्ति नहीं, बल्कि शहर के नामी कारोबारी और प्रतिष्ठित परिवार से ताल्लुक रखता है। हादसे के बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, आरोपी की पहचान सामने आई जो रचित मध्यान है। वह शहर के प्रसिद्ध मिठाई व्यवसायी वासुदेव मध्यान का बेटा और कामधेनु स्वीट्स परिवार से जुड़ा है। मिठाई कारोबार से जुड़ा प्रतिष्ठित परिवार रचित मध्यान का परिवार प्रयागराज के खुल्दाबाद थाना क्षेत्र के लूकरगंज इलाके में रहता है। उसके पिता वासुदेव मध्यान और चाचा इंदल मध्यान, दोनों शहर के चर्चित कामधेनु स्वीट्स प्रतिष्ठान के मालिक हैं। यह मिठाई कारोबार प्रयागराज में दशकों से जाना जाता है और इस परिवार का नाम शहर के समृद्ध व्यापारिक घरानों में शुमार है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जिस जगुआर एफ-पेस (Jaguar F-Pace) कार से यह दर्दनाक हादसा हुआ, वह भी लूकरगंज पते पर ही रजिस्टर्ड है। नामी डॉक्टर का दामाद रचित मध्यान की पहचान केवल एक कारोबारी परिवार के बेटे के रूप में ही नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित मेडिकल फैमिली से भी जुड़ी है। वह प्रयागराज के नामी अस्पताल संचालक डॉ. एम.के. मदनानी का दामाद है। रचित की पत्नी अमृता मदनानी डर्मेटोलॉजिस्ट हैं और शहर में अपना क्लीनिक चलाती हैं। एलएलबी की पढ़ाई कर चुका, क्रिकेट टीम का कप्तान रचित ने एलएलबी की पढ़ाई की है और वह खुद को अधिवक्ता के रूप में परिचित कराता है। लेकिन कानून की पढ़ाई के साथ-साथ उसकी दिलचस्पी क्रिकेट में भी गहरी थी। वह एल्गिन क्लब इलाहाबाद क्रिकेट टीम का कप्तान है। रविवार को भी जब यह हादसा हुआ, तब रचित क्रिकेट मैच खेलकर लौट रहा था। 3.25 मिनट पर खत्म हुआ था मैच सूत्रों के अनुसार, रविवार दोपहर करीब 12 बजे एल्गिन क्लब इलाहाबाद और चंद्रकला यूनिवर्सल प्राइवेट लिमिटेड के बीच मुकाबला हुआ था। मैच 3:25 बजे समाप्त हुआ और इसके लगभग 20 मिनट बाद रचित अपनी जगुआर कार लेकर वहां से घर लौटने लगा। इसी दौरान राजरूपपुर इलाके में उसने नियंत्रण खो दिया और यह भीषण दुर्घटना हो गई, जिसमें छह लोगों की जान चली गई। मैच हारने से था तनाव में? सूत्रों का कहना है कि जिस मैच से लौटते वक्त यह हादसा हुआ, उसमें रचित की टीम को 56 रनों से हार का सामना करना पड़ा था। कप्तान होने के बावजूद रचित को बैटिंग का मौका नहीं मिला, जिससे वह बेहद निराश था। इससे पहले सुबह खेले गए मैच में उसने केवल 10 रन बनाए थे, हालांकि वह मैच उसकी टीम जीत गई थी। आशंका जताई जा रही है कि कहीं वह इस हार के चलते तनाव में तो नहीं था। कहीं इसी वजह से तो उसने तेज गति से कार चलाई, जिससे नियंत्रण खो बैठा। हादसे के बाद का घटनाक्रम प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हादसे के बाद रचित मौके से भागा नहीं, बल्कि खुद को कार के अंदर बंद कर लिया था। लोग जब तक उसके पास पहुंचे, तब तक पुलिस भी मौके पर आ गई। पुलिस ने उसे कार से बाहर निकालकर एंबुलेंस से अस्पताल भेजा। फिलहाल पुलिस ने वाहन को कब्जे में ले लिया है और आगे की विवेचना जारी है। फिलहाल देर रात उसे कॉल्विन और फिर एसआरएन अस्पताल भेजा गया, जहां से उसे देर रात लखनऊ रेफर किया गया। शहर में चर्चा का विषय बना हादसा राजरूपपुर की यह घटना केवल एक सड़क दुर्घटना नहीं, बल्कि शहर में चर्चा का बड़ा विषय बन गई है। एक प्रतिष्ठित कारोबारी परिवार का बेटा, नामी डॉक्टर का दामाद और सामाजिक रूप से पहचान रखने वाला युवक, ऐसे व्यक्ति से हुई लापरवाही ने सबको हैरान कर दिया है। पुलिस फिलहाल यह जांच कर रही है कि हादसे के समय रचित नशे में था या नहीं। इसके लिए उसका ब्लड सैंपल जांच के लिए भेजा गया है।

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल फ्री:बिना टोल दिए निकल गई हजारों गाड़ियां, कम बोनस देने पर कर्मचारियों ने उठा दिए बूम बैरियर

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर टोल फ्री:बिना टोल दिए निकल गई हजारों गाड़ियां, कम बोनस देने पर कर्मचारियों ने उठा दिए बूम बैरियर आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के कर्मचारियों ने दीपावली बोनस में कम मिलने पर कार्य बहिष्कार कर दिया। उन्होंने टोल के बूम बैरियर उठा दिए। इससे हजारों गाड़ियां बिना टोल दिए गुजर गईं। कर्मचारी टोल प्लाजा पर तैनात थे, लेकिन सबकुछ देखते रहे। सूचना पर पुलिस पहुंच गई, लेकिन वह भी कुछ न कर सकी। कंपनी अधिकारियों ने 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि का आश्वासन देकर स्थिति संभाली। रात 12 बजे से यहां फतेहाबाद टोल पर कार्य बहिष्कार शुरू हो गया। अब जानिए पूरा मामला
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के फतेहाबाद स्थित टोल प्लाजा के 21 कर्मचारी दीपावली का बोनस न मिलने पर हड़ताल करते हुए धरने पर बैठ गए। इससे शनिवार रात 12 बजे से टोल प्लाजा फ्री हो गया। वाहन बिना टोल दिए ही हजारों वाहन निकल गए। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर टोल संचालन का ठेका श्री साईं एंड दातार कंपनी देख रही है। कंपनी ने मार्च 2025 से ठेका संभाला था। दीपावली पर कर्मचारियों को 1100 रुपए का बोनस दिए जाने की जानकारी होते ही टोल प्लाजा के कर्मचारियों का आक्रोश भड़क गया। शनिवार रात 10 बजे से लखनऊ टोल पर कार्य बहिष्कार कर दिया। उन्होंने बूम बैरियर उठा दिए और गाड़ियों का टोल नहीं काटा। कर्मचारियों के प्रदर्शन की तस्वीरें 12 बजे से कर्मचारी वापस काम पर लौटे
बूम उठाए जाने के कारण आगरा की तरफ से जाने वाले वाहन बिना टोल टैक्स के गुजरने लगे। अधिकारियों ने कर्मचारियों से बात कर स्थिति संभाली। कार्य बहिष्कार की जानकारी होने पर फतेहाबाद टोल प्लाजा के कर्मचारियों ने काम बंद करते हुए टोल के बूम खोल दिए। पिछले साल मिला था 5 हजार का बोनस
कर्मचारियों का कहना था कि पिछले वर्ष कंपनी ने पांच हजार रुपए का बोनस दिया था। इस बार उनके साथ धोखा किया जा रहा है। टोल फ्री की जानकारी मिलते ही अधिकारियों ने संपर्क किया, लेकिन बात नहीं बनी। व्यवस्था संभालने के लिए दूसरे टोल प्लाजा पर काम करने वाले कर्मचारियों को बुलाया गया, लेकिन उन्हें स्थानीय कर्मचारियों से कार्य नहीं करने दिया। पांच हजार से अधिक गाड़ियां बिना टोल के निकल गई
रविवार सुबह कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर कृष्णा जुरैल ने कर्मचारियों को 10 प्रतिशत वेतन बढ़ोत्तरी का आश्वासन दिया। इसके बाद कर्मचारी रविवार सुबह 10 बजे काम पर लौटे आए। बताया जा रहा है कि लखनऊ की तरफ से आने वाले पांच हजार से अधिक गाड़ियां बिना टोल टैक्स के निकल गईं। तेज रफ्तार होने के फास्टैग नहीं हुआ स्कैन
प्रोजेक्ट मैनेजर जुरैल ने बताया- बूम हटाए जाने के बाद फास्टैग स्कैनर काम कर रहा था। तेज रफ्तार होने के कारण कई वाहनों के फास्टैग रीड नहीं हुए। नगद भुगतान देने वाले वाहन फ्री गुजर गए हैं। कितने वाहन फ्री गुजरे हैं, इसकी जानकारी जुटाई जा रही है। एक तरफ का 665 रुपए टैक्स
एक्सप्रेसवे पर आगरा से लखनऊ तक का कार से एक तरफ का 665 रुपए टैक्स लगता है। टोल टैक्स एक्जिट प्वाइंट पर कटता है। लखनऊ से आगरा आने वाले वाहनों का टोल टैक्स आगरा में कटेगा, जबकि आगरा से लखनऊ जाने वाले वाहन का टोल लखनऊ टोल प्लाजा पर कटेगा। —————— ये खबर भी पढ़ें… प्रयागराज में जगुआर ने 8 को रौंदा, 1 की मौत:7 गाड़ियों को टक्कर मारी, कार का VIP नंबर-0070; लोग बोले- नशे में था प्रयागराज में दिवाली मार्केट में एक तेज रफ्तार जगुआर कार घुस गई। कार ने पहले 2 चार पहिया और 5 दो पहिया गाड़ियों में टक्कर मारी। इसके बाद 8 लोगों को रौंद दिया। इससे एक इलेक्ट्रीशियन की मौत हो गई। 4 लोगों की हालत गंभीर है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घायलों में दो बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। पढे़ं पूरी खबर…

सोनभद्र में चाचा ने भतीजे की गर्दन काटी, मौत:एक्सीडेंट में बेटे की हुई थी मौत,  चाचा को था भाई के परिवार पर जादू-टोना का शक

सोनभद्र में चाचा ने भतीजे की गर्दन काटी, मौत:एक्सीडेंट में बेटे की हुई थी मौत,  चाचा को था भाई के परिवार पर जादू-टोना का शक सोनभद्र में चाचा ने भतीजे की हत्या कर दी। रविवार शाम को भतीजा घर के दरवाजा पर मोबाइल चला रहा था। चाचा ने धारदार हथियार से हमला करते हुए उसकी गर्दन पर वार किया। युवक जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। पास खड़ी बहन ने भाई को बचाने की कोशिश की तो चाचा ने उस पर भी वार कर दिया। चाचा के वार से बचने के लिए वह दूर भागी। उसने चिल्लाते हुए परिवार के लोगों को पुकारा। लेकिन तबतक हमलावर फरार हो गया। खून से लथपथ घायल युवक को लेकर परिवार के लोग स्थानीय सीएचसी पहुंचे। यहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने बताया- आरोपी के बेटे की मौत के बाद उसे अपने भाई के परिवार पर जादू-टोना कराए जाने का शक था। बेटे की मौत का बदला लेने के लिए उसने अपने भतीजे की हत्या की है। घटना दुद्धी थानाक्षेत्र के नगवा गांव की है। मृतक युवक का नाम जीत सिंह और उम्र 20 वर्ष है। आरोपी चाचा का नाम छोटू सिंह है। देखिए तीन तस्वीरें अब जानिए पूरा मामला आरोपी के बेटे की कुछ महीनों पहले हुई थी मौत नगवा गांव में पंचू सिंह खरवार और छोटू सिंह खरवार सगे भाई हैं। छोटू सिंह के बेटे की 19 फरवरी 2025 को एक एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। गांववाले बताते हैं कि 18 फरवरी को पंचू सिंह के बड़े बेटे अजीत सिंह की शादी की सालगिरह थी। कार्यक्रम में आर्केस्ट्रा भी बुलाया गया था। कार्यक्रम खत्म होने के बाद अगले दिन छोटू सिंह का बेटा दिनेश सिंह आर्केस्ट्रा की कलाकारों को छोड़ने गया था। लौटते वक्त लीलासी गांव में बिजली के खंभे से टकराने से उसकी मौत हो गई थी। बेटे की मौत के बाद छोटू सिंह अपने भाई के परिवार पर जादू-टोना कराकर बेटे को मारने का आरोप लगाने लगे। हालांकि, दिनेश सिंह की एक्सीडेंट में मौत के बाद गांव के लोगों ने पंचायत की। पंचायत ने तय किया कि पंचू सिंह, अपने भाई छोटू सिंह को पांच बिस्वा जमीन या एक लाख रुपए मुआवजा देंगे। लेकिन बताया जा रहा है कि पंचायत के फैसला को उन्होंने मान तो लिया लेकिन महज 10 हजार रुपए ही दिए। इससे वह लगातार नाराज चल रहे थे। बहन बोली- कंबल ओढ़कर चाचा आए और हत्या कर भाग गए मृतक की बहन सुनीता ने पुलिस को बताया- हम तीन भाई और एक बहन हैं। जिसमें वह दूसरे नंबर का था। हमें चाचा छोटू सिंह को कई महीनों से उनके परिवार पर शक था। चाचा आए दिन धमकी देते थे कि वह “घर का एक सदस्य लेकर रहेगा”। रविवार को मौका पाकर उन्होंने हमला कर दिया। वह कंबल ओढ़कर आए और भाई की हत्या कर फरार हो गए। सुनीता ने बताया कि वारदात के समय वह वहीं मौजूद थी। उसने कहा, “मैं भाई के पास ही खड़ी थी कि अचानक चाचा ने हमला कर दिया। जब मैंने बचाने की कोशिश की तो वह मेरे ऊपर भी टूट पड़ा। मैं किसी तरह जान बचाकर भागी और शोर मचाया, तब गांव वाले पहुंचे। तब तक चाचा भाग चुका था।” आरोपी पहले ही बोला था, आपका दूसरा लड़का जाएगा आरोपी चाचा छोटू सिंह अक्सर कहा करता था कि “मेरा दूसरा नंबर का लड़का जैसे गया है, वैसे ही तुम्हारे घर से भी मझला लड़का जाएगा।” वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि आरोपी छोटू सिंह किसी ओझा के संपर्क में था और संभवतः उसी के प्रभाव में आकर उसने यह घटना अंजाम दी। पुलिस ने हथियार कब्जे में लिया घटना की जानकारी मिलते ही अमवार चौकी प्रभारी अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने घटना की सूचना थाना प्रभारी दुद्धी और क्षेत्राधिकारी राजेश कुमार राय को दी। पुलिस ने मौके से धारदार हथियार बरामद किया गया है। ……………….. यह खबर भी पढ़ें बहन को धोखा दिया तो देवर का प्राइवेट पार्ट काटा:कमरे में सो रहा था, प्रयागराज में आधी रात भाभी ने चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया प्रयागराज में छोटी बहन को प्यार में धोखा देने पर भाभी ने चाकू से देवर का प्राइवेट पार्ट काट डाला। इसके बाद भाभी वहां से भाग निकली। देवर दर्द से छटपटाता रहा। शोर सुनकर परिजन भागते हुए आए। उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई। दरअसल, भाभी मंजू ने पूरी प्लानिंग के साथ आधी रात को देवर उमेश कुमार पर हमला किया। उमेश उस वक्त सो रहा था। तभी मंजू उसके कमरे में पहुंची और चाकू से उस पर ताबड़तोड़ हमला कर दिया। पढ़िए पूरी खबर

उन्नाव में महिला सिपाही की सड़क हादसे में मौत:अचानक बाइक फिसली, सिर में आई गंभीर चोट; ड्यूटी से लौटते समय हुआ हादसा

उन्नाव में महिला सिपाही की सड़क हादसे में मौत:अचानक बाइक फिसली, सिर में आई गंभीर चोट; ड्यूटी से लौटते समय हुआ हादसा उन्नाव में रविवार को सड़क हादसे में महिला सिपाही की मौत हो गई। महिला सिपाही जिला अस्पताल से एक नाबालिग लड़की का मेडिकल कराकर बाइक से लौट रही थीं। थाने से 30 किलोमीटर पहले सड़क पर बाइक फिसल गई। इस हादसे में महिला सिपाही को गंभीर चोट आई। मौके पर मौजूद लोगों ने एम्बुलेंस को सूचना दी। एम्बुलेंस घायल महिला सिपाही को जिला अस्पताल ले गई। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। 2018 बैच की महिला सिपाही मूलरूप से मऊ जनपद की रहने वाली थीं। दुर्घटना सफीपुर थाना क्षेत्र में हुई। अब पूरा मामला विस्तार से… रविवार सुबह 11 बजे महिला सिपाही प्रियंका यादव (29) बांगरमऊ थाने के एक नाबालिग लड़की का मेडिकल परीक्षण कराने के लिए उन्नाव जिला अस्पताल गईं। देर शाम तक लड़की का मेडिकल नहीं हो सका। इसके बाद लड़की को वन स्टॉप सेंटर में रोक दिया गया। इसके बाद शाम साढ़े 7 बजे प्रियंका लड़की के गांव के ही सुहेल (55) पुत्र मो. इस्माइल के साथ बाइक से थाने के लिए निकलीं। थाने से 30 किलोमीटर दूर सफीपुर के जमलद्दीपुर चौराहे के पास उनकी बाइक फिसल गई। पुलिसकर्मी और अफसर अस्पताल पहुंचे
महिला सिपाही की मृत्यु की सूचना मिलने पर बांगरमऊ कोतवाली के पुलिसकर्मी और अधिकारी अस्पताल पहुंचे। उन्होंने प्रियंका की मौत पर दुख जताया। सफीपुर पुलिस ने दुर्घटनास्थल का निरीक्षण कर आवश्यक कार्रवाई शुरू कर दी है। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। प्रियंका यादव बरकोला थाना घोसी की रहने वाली थीं। 10 जून 2023 को उनकी शादी बब्लू के साथ हुई। जो उत्कर्ष फाइनेंशियल बैंक में कार्यरत हैं। उनकी एक साल की बेटी वैष्णवी है। प्रियंका अपनी बेटी के साथ बांगरमऊ में रहती थीं। पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश सिंह ने घटना पर दुख जताते हुए कहा कि विभाग ने एक मेहनती और कर्तव्यनिष्ठ सिपाही को खो दिया है। उन्होंने परिजनों को हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया है। ——————————– यह खबर भी पढ़ें बहन को धोखा दिया तो देवर का प्राइवेट पार्ट काटा, कमरे में सो रहा था, प्रयागराज में आधी रात भाभी ने चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया प्रयागराज में छोटी बहन को प्यार में धोखा देने पर भाभी ने चाकू से देवर का प्राइवेट पार्ट काट डाला। इसके बाद भाभी वहां से भाग निकली। देवर दर्द से छटपटाता रहा। शोर सुनकर परिजन भागते हुए आए। उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई। पढ़ें पूरी खबर…

प्रयागराज में जगुआर कार ने 8 को रौंदा:1 की मौत, गाड़ी का नंबर-0070; 7 गाड़ियों को भी टक्कर मारी

प्रयागराज में जगुआर कार ने 8 को रौंदा:1 की मौत, गाड़ी का नंबर-0070; 7 गाड़ियों को भी टक्कर मारी प्रयागराज में दिवाली मार्केट में एक तेज रफ्तार जगुआर कार घुस गई। कार ने पहले 2 चार पहिया और 5 दो पहिया गाड़ियों में टक्कर मारी। इसके बाद 8 लोगों को रौंद दिया। इससे एक इसेक्ट्रीशियन की मौत हो गई। 4 लोगों की हालत गंभीर है, उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जिस जगुआर से यह हादसा हुआ, वह प्रयागराज के बड़े मिठाई कारोबारी कामधेनु स्वीट्स के परिवार की बताई जा रही है। इसी परिवार का एक युवक कार चला रहा था। वह भी गंभीर रूप से घायल हुआ है, क्योंकि कार का एयर बैग नहीं खुला। हादसे के बाद पहुंची पुलिस ने युवक को भी अस्पताल में भर्ती कराया। हादसा धूमनगंज थाना क्षेत्र के राजरूपपुर इलाके में हुआ। जगुआर का गेट अंदर से लॉक कर बैठा रहा ड्राइवर
बताया जा रहा है कि जगुआर कार चला रहा युवक पूरी तरह से नशे में धुत था। हादसे के बाद वह बुरी तरहसे डर गया और कार के गेट अंदर से लॉक कर लिए। बाहर मौजूद लोग उससे गेट खोलने के लिए कहते रहे, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। जब पुलिस आई, तब युवक को बाहर निकाला गया। इसके बाद उसे अस्पताल भेजा गया। जगुआर कार की कीमत 70 लाख से डेढ़ करोड़ के बीच है। अब तस्वीरें देखिए नशे में धुत था कार का ड्राइवर
घायलों में दो बच्चे भी शामिल हैं, जिनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। दरअसल, दिवाली की खरीदारी को लेकर बाजार में काफी भीड़ थी। इसी दौरान तेज रफ्तार कार ने अचानक नियंत्रण खो दिया। पहले उसने आगे जा रही 3 गाड़ियों को को टक्कर मारी। इसके बाद लोगों को रौंद दिया। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, हादसे के वक्त गाड़ी रचित मध्यान चला रहा था। वह लूकरगंज का रहने वाला है और कामधेनु स्वीट्स के परिवार का सदस्य है। वह नशे में धुत था और अकेले ही गाड़ी चला रहा था। कार की स्पीड काफी ज्यादा थी। हालांकि, कार केएसएन फूड एलएलपी के नाम पर रजिस्टर्ड है। आरटीओ के दस्तावेजों में इसका पता 122 लूकरगंज दर्ज है। हादसे के बाद मौके पर हड़कंप मच गया। लोगों ने जगुआर कार में तोड़-फोड़ कर दी। गुस्साए लोगों ने राजरूपपुर चौराहे पर रोड जाम कर दिया और जमकर नारेबाजी की। इस हादसे में मरने वाला प्रदीप पटेल इलेक्ट्रीशियन था। उसके परिजनों ने मृतक का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। सूचना पर पहुंचे पुलिस अधिकारी लोगों को शांत कराने में जुटे हैं। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से स्थिति को नियंत्रित कर यातायात बहाल किया। एक प्रत्यक्षदर्शी रामानंद अग्रहरि ने बताया कि जगुआर कार ड्राइवर बहुत ज्यादा नशे में था। करीब 100 की स्पीड से कार दौड़ा रहा था। गाड़ियों को टक्कर मारते हुए उसने 8 लोगों को रौंदा दिया। इसमें एक युवक की मौके पर ही मौत हो गई। एक अन्य प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि कार ने पहले चौराहे पर कटलेट के ठेले में टक्कर मारी। इस दौरान दुकानदार और उसका 10 साल का बेटा घायल हो गया। एक आदमी अपने घर से सामान लेने निकाला था। उसे भी कार ने रौंद दिया। खबर लगातार अपडेट हो रही है बहन को धोखा दिया तो देवर का प्राइवेट पार्ट काटा:कमरे में सो रहा था, प्रयागराज में आधी रात भाभी ने चाकू से ताबड़तोड़ हमला किया प्रयागराज में छोटी बहन को प्यार में धोखा देने पर भाभी ने चाकू से देवर का प्राइवेट पार्ट काट डाला। इसके बाद भाभी वहां से भाग निकली। देवर दर्द से छटपटाता रहा। शोर सुनकर परिजन भागते हुए आए। उसे एसआरएन अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई। पढ़ें पूरी खबर…