महाकुंभ में अबतक 15 करोड़ ने लगाई डुबकी, किसने-कैसे गिना?:143 साल पहले अंग्रेजों ने कराई थी गिनती; अफसर बोले- 100% सही आंकड़ा नहीं प्रयागराज महाकुंभ में 40 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है। करीब 15 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। 13 जनवरी से मेला शुरू हुआ, तो पहले दिन 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने स्नान किया। पहले दो दिन के आंकड़े सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट के जरिए बताए। इसके बाद हर दिन मेला प्रशासन आंकड़े जारी करता है। कुंभ में आए लोगों की गिनती कैसे होती है? प्रशासन किस टेक्नोलॉजी के जरिए गिनती करता है। दैनिक भास्कर की टीम ने अधिकारियों-एक्सपर्ट से बात कर यह जानने की कोशिश की। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… 2 दिन में 5 करोड़ 15 लाख ने किया स्नान
13 जनवरी से प्रयागराज महाकुंभ की शुरुआत हुई। पहले दिन पौष पूर्णिमा थी, मेले में अच्छी-खासी भीड़ दिखी। शाम को आंकड़ा आया कि पूरे दिन में 1 करोड़ 65 लाख लोगों ने स्नान किया। 14 जनवरी को मकर संक्रांति थी, यानी पहला अमृत स्नान। 13 जनवरी की रात से ही श्रद्धालुओं की भीड़ संगम जाने वाले हर रास्ते पर दिखने लगी। भोर के 3 बजे से ही संगम के सारे घाट फुल हो गए। पूरे दिन यही क्रम चला। जितने लोग घाट से निकलते गए, उससे ज्यादा लोग आते गए। सुबह के 11 बजकर 9 मिनट पर सीएम योगी के एक्स अकाउंट से पोस्ट करके बताया गया कि अब तक एक करोड़ 38 लाख लोगों ने स्नान कर लिया है। शाम साढ़े 5 बजे सीएम योगी के अकाउंट से कुंभ से जुड़ा एक और पोस्ट आया। उसमें बताया गया कि आज साढ़े तीन करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं और संतों ने कुंभ में स्नान किया। श्रद्धालुओं का यही आंकड़ा हर किसी ने ऑफिशियल माना। 23 जनवरी को कुंभ में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या 10 करोड़ पहुंच गई। हर दिन 10 लाख कल्पवासियों को भी जोड़ा जा रहा है। पहली बार बैरिकेड्स लगाकर गिनती की गई थी
हम मौजूदा वक्त की गिनती कैसे की जा रही है, इसके बारे में जानेंगे। लेकिन, पहले यह जानते हैं कि कुंभ में श्रद्धालुओं की गिनती की शुरुआत कब से हुई? मिले रिकॉर्ड के मुताबिक, कुंभ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं की पहली बार गिनती अंग्रेजों ने 1882 में की थी। उस वक्त प्रयागराज कुंभ में आने वाली हर सड़क पर बैरिकेड्स लगा दिए जाते थे। फिर हर आने वाले की गिनती होती थी। रेलवे स्टेशन के टिकट को भी जोड़ा जाता था। उस कुंभ में करीब 10 लाख लोग शामिल हुए थे। इसके बाद यह संख्या हर कुंभ में बढ़ती चली गई। लेकिन, गिनती का तरीका यही रहा। जानिए इस बार कैसे हो रही गिनती
2025 का कुंभ हाईटेक हो गया है। दिव्य-भव्य के साथ डिजिटल शब्द जुड़ गया है। डिजिटल कैमरों के जरिए गिनती करना थोड़ा-सा आसान हुआ है। यूपी सरकार ने इस साल पूरे शहर में 2700 कैमरे लगाए हैं। इनमें 1800 कैमरे मेला क्षेत्र में लगे हैं। 1100 परमानेंट और बाकी के 700 टेंपरेरी कैमरे हैं। 270 से ज्यादा कैमरे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस हैं। इन कैमरों की रेंज में जैसे ही कोई व्यक्ति आता है, उसकी गिनती हो जाती है। ये स्टेशन, मेला क्षेत्र के एंट्री पॉइंट, संगम एरिया और अखाड़ों के साइड में लगाए गए हैं। AI बेस्ड कैमरे मिनट दर मिनट आंकड़े अपडेट करते हैं। क्राउड मैनेजमेंट आसान हो गया
कुंभ मेला एसएसपी राजेश द्विवेदी कहते हैं- कैमरों से भीड़ मैनेज की जा रही है, साथ ही सुरक्षा में भी इनका अहम रोल है। इनमें नंबर प्लेट रिकग्निशन के साथ फेस रिकग्निशन भी है। इसके जरिए हार्ड कोर क्रिमिनल की पहचान की जा सकती है। किसी पार्किंग की कैपेसिटी अगर 2 हजार गाड़ियों की है, तो 1800 होने पर कंट्रोल रूम में अलार्म बज जाएगा। इसके बाद भीड़ का मूवमेंट बदल दिया जाएगा। अपर मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी कहते हैं- इन कैमरों से क्राउड एनालिटिक्स और भीड़ का नियंत्रण अच्छे से कर सकते हैं। कहीं भी अधिक भीड़ होगी तो अलर्ट जनरेट हो जाएगा। इसके बाद हम उसे मैनेज कर लेते हैं। कुंभ मेला एसएसपी और मेला अधिकारी की मानें, तो AI कैमरे भीड़ की गिनती करने में इस बार अहम भूमिका निभा रहे हैं। IPS बोले- कोई भी तरीका 100% एरर फ्री नहीं
हम और अधिक जानकारी के लिए कुंभ मेला प्राधिकरण पहुंचे। यहां पुलिस ने कुंभ कंट्रोल रूम बनाया है। सारे सीसीटीवी का एक्सेस यहां है। हम अंदर पहुंचे तो देखा कि चारों तरफ कैमरे चल रहे हैं। बीच में AI के जरिए जो काउंटिंग हो रही, उसका विजुअल चल रहा है। इसकी निगरानी IPS अमित कुमार कर रहे हैं। हमने क्राउड काउंटिंग के तरीकों के बारे में पूछा। अमित कुमार बताते हैं- हम कुल तीन तरह से गिनती करते हैं। पहला- मेला क्षेत्र में कितने लोग मौजूद हैं? दूसरा- कितने लोग चल रहे? तीसरा- कितने लोग स्नान कर रहे? जो व्यक्ति मेले में मौजूद है, वह दिन में एक बार काउंट होगा। लेकिन, अगर वही अगले दिन फिर आता है तो वह दोबारा भी काउंट होगा। अमित कहते हैं- पहली बार AI के जरिए गिनती कर रहे। यह एक इमर्जिंग टेक्नोलॉजी है, पहली बार इतने बड़े स्तर पर इसका प्रयोग हो रहा है। करीब सवा 2 सौ AI कैमरे लगे हैं। जो भी इसकी रेंज में आता है, उसकी गिनती होती है। हमने मेला क्षेत्र में और मेला क्षेत्र में पहुंचने वाले रास्तों पर इन्हें लगाया है। इसके अलावा हम पुराने तरीके से भी गिनती कर रहे हैं, वह गणित के एक फॉर्मूले के आधार पर होता है। हालांकि कोई भी तरीका किसी भी जगह 100% एरर फ्री नहीं होता। 2013 में कैसे हुई थी गिनती?
अमित कुमार ने गिनती के लिए गणित के जिस सांख्यिकीय फॉर्मूले (statistical formula) को बताया, उसी के जरिए 2013 में गिनती हुई थी। इस विधि के अनुसार यह माना जाता है कि एक व्यक्ति नहाने के लिए 0.25 मीटर की जगह लेगा। उसे घाट पर नहाने में कम से कम 15 मिनट का वक्त लगेगा। इसे अगर आधार बनाएं तो एक घंटे में एक घाट पर नहाने वाले लोगों की संख्या करीब 15 हजार होगी। इस बार कुल 44 घाट बनाए गए हैं। सभी पर अगर यही आंकड़ा जोड़ें तो कुल बताई गई संख्या से बहुत कम निकलेगा। गिनती का एक तरीका शहर में प्रवेश करने वाली भीड़ से जुड़ा है। जैसे प्रयागराज शहर में प्रवेश करने के कुल 7 प्रमुख रास्ते हैं। प्रमुख स्नान पर्व पर गाड़ियों को रोका जाता है। उस दिन शहर के अंदर प्रवेश करने वाले हर व्यक्ति को यह माना जाता है कि वह महाकुंभ में शामिल होने आया है। यही भीड़ मेला क्षेत्र में कुल 12 रास्तों से पहुंचती है। वहां भी क्षेत्रफल, घनत्व को मानक बनाकर एक मीटर में प्रति घंटे गुजरती भीड़ को आधार मानकर गिनती होती है। बाहर से आने वाले लोगों की संख्या के बाद ट्रेन से आने वाले लोगों की संख्या जोड़ी जाती है। मेले के लिए बनाई गई पार्किंग में खड़ी गाड़ियों को जोड़ा जाता है। मेला क्षेत्र में पहले से मौजूद साधु-संत और कल्पवासियों को भी सरकार द्वारा जारी किए जाने वाले आंकड़े में शामिल किया जाता है। हालांकि जो लोग शहर के ही होते हैं और गलियों के जरिए मेला क्षेत्र के घाटों तक पहुंचते हैं, उनकी गिनती नहीं हो पाती। वह अनुमानित संख्या में चले जाते हैं। एक्सपर्ट बोलीं- कोई भी मॉडल नहीं बना जो 100% सही आंकड़े दे
AI से गिनती कैसे होती है, इसे लेकर हमने बीबीडी यूनिवर्सिटी में AI पढ़ाने वाली एक्सपर्ट लवी शर्मा से बात की। वह कहती हैं- AI कैमरे कई फैक्टर्स पर काम करते हैं। मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बेस्ड होते हैं। 3-4 फैक्टर्स पर इनके सही आंकड़े निकाले जा सकते हैं। ये कैमरे फेस रिकग्निशन के जरिए आंकड़े देते हैं। इसे ऐसे समझिए- जितने भी लोग कैमरे के फ्रेम में आ रहे, सब काउंट हो रहे हैं। हां यह कन्फर्म नहीं कह सकते कि जो तरीका बनाया गया है, वह एकदम परफेक्ट हो। लवी से हमने पूछा-क्या जो व्यक्ति एक कैमरे में आ गया, वह दूसरे में आएगा तो गिनती नहीं होगी? वह कहती हैं, ऐसा संभव नहीं है। वह यूनिकली यानी आधार कार्ड जैसा काउंट नहीं हो रहा, वह नंबर में काउंट हो रहा। लवी से हमने पूछा कि जितने भी कैमरे लगे हैं, सबके आंकड़े मिलाकर क्या एक नंबर निकाला जा सकता है? वह कहती हैं- हां, अगर हर जगह के कैमरे के आंकड़े दिख रहे तो समझा जा सकता है। लेकिन, अगर कैमरे अलग-अलग जगह से एक्सेस हो रहे तो आंकड़े गलत होने की संभावना है। अब तक ऐसा कोई भी मॉडल नहीं बना जो 100% सही आंकड़े दे सके। ‘गिनती के लिए किसी के पास कोई मैकेनिज्म नहीं’
1989 से लगातार प्रयागराज कुंभ को कवर कर रहे एसके यादव से हमने बात की। एसके यादव इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के सीनियर फैकल्टी हैं। वह कहते हैं, सरकार जो आंकड़े देती है वही अब मीडिया में छपता है। पहले मीडिया भी अपने आधार पर आई भीड़ का आकलन करती थी। हालांकि न तो सरकार के पास और न ही मीडिया के पास कोई ऐसा मैकेनिज्म है, जिससे परफेक्ट गिनती निकाली जा सके। गिनती के लिए यह भी देखा जाना चाहिए कि कितनी स्पेशल ट्रेन चलीं, कितनी बसें चलीं? क्या यह संभव है कि एक करोड़ लोग ट्रेन और बस से आएं? इसके लिए तो कई हजार ट्रेन और बस की जरूरत पड़ेगी, लेकिन इतना ट्रांसपोर्ट नहीं चल रहा। एसके यादव आगे कहते हैं- दावा किया जा रहा कि मौनी अमावस्या पर 8 से 10 करोड़ लोग आएंगे। यह सही है कि मौनी अमावस्या पर सबसे अधिक भीड़ होती है। लेकिन 8 से 10 करोड़ लोगों के आने-जाने की व्यवस्था क्या है? क्या शहर इतना बड़ा है कि 24 घंटे के अंदर इतने लोग एक साथ समा सकते हैं? ऐसा हमें नहीं लगता, लेकिन अब मीडिया को जो आंकड़ा दिया जाएगा, वह छापा जाएगा। AI कैमरे की विश्वसनीयता परखने के लिए भी कोई तटस्थ एजेंसी नहीं है। ————————- ये खबर भी पढ़ें… मोनालिसा की ‘सुंदर आंखें’ मुसीबत बनीं, हठयोगी से पिटे यूट्यूबर्स, ममता कुलकर्णी का साध्वी रूप; महाकुंभ में जिन पर ज्यादा फोकस रहे कैमरे महाकुंभ में साधु-संन्यासियों का जमावड़ा लगा है। 13 जनवरी को पौष पूर्णिया से शुरू हुए इस मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु आ रहे हैं। अब तक करीब 12 करोड़ श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। 40 करोड़ से ज्यादा के आने की उम्मीद है। इन 14 दिनाें में कुछ चेहरे चर्चा में बने रहे। पढ़ें पूरी खबर…