78% संपत्ति वक्फ की नहीं…दावे को नकारा:लखनऊ के उलमा ने जताई नाराजगी, बोले-सरकारी दावे का कोई आधार नहीं, इमामबाड़ों के कागज मौजूद

78% संपत्ति वक्फ की नहीं…दावे को नकारा:लखनऊ के उलमा ने जताई नाराजगी, बोले-सरकारी दावे का कोई आधार नहीं, इमामबाड़ों के कागज मौजूद ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी गठित होने के बाद वक्फ संपत्ति को लेकर लगातार घमासान मचा हुआ है। लखनऊ में जेपीसी कमेटी की बैठक के बाद इस बात की चर्चा तेज हो गई कि 78% वक्फ संपत्ति सरकारी है। 14000 हेक्टेयर में 11000 हेक्टेयर जमीन वक्फ की नहीं है। इन आंकड़ों को लेकर लखनऊ के उलेमा ने नाराजगी जताई। शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड चेयरमैन ने ये दावा निराधार बताया। 21 जनवरी को लखनऊ के एक निजी होटल में वक्फ बोर्ड संशोधन विधेयक पर सुझाव लेने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की अंतिम बैठक थी। यूपी शासन की ओर से जेपीसी को बताया गया कि यूपी में वक्फ बोर्डों की 78 प्रतिशत जमीन सरकारी है। प्रदेश में कुल 14 हजार हेक्टयेर वक्फ भूमि है, जिसमें से 11 हजार हेक्टेयर से ज्यादा भूमि राजस्व रिकॉर्ड में सरकारी है। राजस्व विभाग ने भी किया था दावा बैठक में राजस्व विभाग के अधिकारी भी शामिल थे। कहा ये जा रहा है राजस्व ने अपना पक्ष रखते हुए बताया था कि 58 हजार वक्फ संपत्तियां राजस्व रिकॉर्ड में श्रेणी 5 व 6 की हैं। इन दोनों श्रेणियों में सरकारी और ग्राम सभा की जमीन दर्ज होती है। लखनऊ का बड़ा इमामबाड़ा, छोटा इमामबाड़ा और अयोध्या में स्थित बहू बेगम का मकबरा भी सरकारी जमीन में बने होने की चर्चा लगातार हो रही है। आंकड़ों का कोई आधार नहीं शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अली जैदी ने कहा कि 78 प्रतिशत संपत्ति सरकारी है। ये किस का आधिकारिक बयान है इसकी कोई जानकारी नहीं है। अगर ये आंकड़े सरकारी हैं तो कहां से और किसने जारी किया। जेपीसी कमेटी की बैठक में हम मौजूद थे वहां इस प्रकार की कोई बात नहीं हुई। हम खुद चिंता में हैं कि ये चर्चा का विषय कैसे बना। इमाम बाड़ा हुसैनाबाद ट्रस्ट में दर्ज अली जैदी ने कहा बड़ा इमामबाड़ा और छोटा इमामबाड़ा सरकारी जमीन पर है। ये किसका दावा है और किस आधार पर है इसकी भी कोई जानकारी नहीं। इमाम बाड़े का हुसैनाबाद ट्रस्ट एक्ट है। बादशाह मोहम्मद अली शाह की डीड है। इमामबाड़ा और वहां की संपत्तियां उसी के जरिए कंट्रोल होती हैं। हाईकोर्ट के आदेशानुसार जिलाधिकारी इसके अध्यक्ष हैं। डीड के अनुसार हुसैनाबाद ट्रस्ट सभी कार्य कर रहा है। पहले भी हुए हैं संशोधन वक्फ एक्ट में समय-समय पर संशोधन किए गए। एक बार फिर सरकार इसमें संशोधन लेकर आई है। जेपीसी कमेटी में पूरे देश में इसपर विरोध और सुझाव दोनों ही दर्ज किए गए। लखनऊ समेत विभिन्न जनपदों में वक्फ की संपत्ति पर अवैध कब्जों को खाली करवाया गया जिसमें मुख्य रूप से मेरठ, लखनऊ और प्रयागराज शामिल है। वक्फ बोर्ड में भ्रष्टाचार है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है। सरकार को वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जे और भ्रष्टाचार के विरुद्ध सख्त कदम उठाना चाहिए। अंग्रेजों का विरोध करने पर नजूल में चढ़ी संपत्ति मौलाना सैफ अब्बास ने कहा कि सरकार को गुमराह किया गया है। 78 प्रतिशत सरकार की संपत्ति है ये बिल्कुल गलत है। ये बात कही जा रही है कि नजूल में लिखा हुआ है इसलिए यह सरकारी संपत्ति है। 1857 में जब अंग्रेजों ने कब्जा किया उस समय जिन लोगों ने उनका समर्थन नहीं किया उनकी संपत्ति नजूल में डाल दी गई। नजूल का कानून अंग्रेजों का बनाया हुआ है, जो हमारा अधिकार है वो रहेगा। हमारे बुजुर्गों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी इसलिए उनकी संपत्ति नजूल में चढ़ाई गई। बुजुर्गों की दान की हुई संपत्ति है इस्लामिक सेंटर ऑफ़ इंडिया के प्रवक्ता मौलाना सुफियान निजामी ने कहा कि हमारे बुजुर्गों ने अपनी निजी संपत्ति को वक्फ किया है। मस्जिद, मदरसा और दरगाहों के रूप में इसका इस्तेमाल हो रहा है। यह किसी की संपत्ति पर कोई अवैध निर्माण नहीं है। सरकार का यह दावा है कि ढाई प्रतिशत संपत्ति सिर्फ वक्फ की है ये गलत आंकड़े हैं। सरकार की ओर से यह बात भी कही जा रही है कि मुसलमान की संपत्ति को ले लिया जाएगा। यह अन्याय है। ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी की रिपोर्ट को प्रदर्शित के साथ लाया जाए।

यात्री बोले- लगता ही नहीं, अमावस्या पर डुबकी लगा पाएंगे:महाकुंभ ट्रेनों में गेट से सीट तक ठसाठस भरे लोग; यूपी के 6 स्टेशनों से रिपोर्ट

यात्री बोले- लगता ही नहीं, अमावस्या पर डुबकी लगा पाएंगे:महाकुंभ ट्रेनों में गेट से सीट तक ठसाठस भरे लोग; यूपी के 6 स्टेशनों से रिपोर्ट ‘हमारा थर्ड AC में रिजर्वेशन है, लेकिन हम कोच में चढ़ भी नहीं पा रहे। ट्रेन के सारे दरवाजे पैक हैं। प्रयागराज महाकुंभ जाने वाले लोग बोगी के दरवाजों पर भी लटके हैं। GRP और RPF के जवान सीटी बजा रहे हैं, मगर कोई हटने को तैयार नहीं है।’ यह कहना है मुकुलानंद का। वे अपनी पत्नी के साथ कोलकाता से वाराणसी आए। अब रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर 4 से सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस से अब प्रयागराज जा रहे हैं। मगर, बोगी M-1 के दरवाजे पर पहुंचकर वो बेबस महसूस कर रहे हैं। GRP और RPF के जवानों से बहस कर रहे हैं। ये हाल सिर्फ मुकुलानंद नहीं हैं, प्रयागराज की तरफ जाने वाली ट्रेनों के ज्यादातर यात्रियों का है। ट्रेनें 6 से 10 घंटे लेट चल रही हैं। यात्रियों की मुश्किलों को दैनिक भास्कर डिजिटल ऐप ने वाराणसी, कानपुर, मुगलसराय, मिर्जापुर, जौनपुर, भदोही स्टेशनों से समझा। पढ़िए रिपोर्ट… वाराणसी स्टेशन बंद बोगी के गेट पर लोग हाथ पटक रहे
भास्कर टीम वाराणसी रेलवे स्टेशन पहुंची। यहां सामान्य दिनों में 80 हजार यात्रियों की आवाजाही होती है। मगर, 13 जनवरी यानी महाकुंभ शुरू होने के बाद हर दिन 1.5 लाख से 2 लाख लोग स्टेशन पर आ रहे हैं। 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के स्नान के लिए वाराणसी स्टेशन पर प्लेटफार्म-1 से लेकर 4 तक लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। तभी अचानक सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस के प्लेटफार्म नंबर 4 पर आने का ऐलान हुआ। ट्रेन 12.20 की जगह 12.56 बजे पहुंची। प्लेटफार्म पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। पैदल पुल पर पैर रखने को जगह नहीं थी। ट्रेन के ठहरते ही, सिर पर झोला और बैग लादे लोगों ने रिजर्वेशन वाली बोगी के बंद दरवाजे पीटने शुरू कर दिए। दरवाजा खुलते ही हाथापाई
एक बोगी का दरवाजा किसी तरह खुला तो यात्रियों में धक्का-मुक्की के बाद हाथापाई होने लगी। जिन यात्रियों का रिजर्वेशन था, वो बेबस दिखे। स्लीपर और AC बोगी के दरवाजे जबरदस्ती खुलवाने वाले अंदर दाखिल हो रहे थे, रिजर्वेशन वाले अंदर नहीं जा पाए। जनरल बोगी में लोग इमरजेंसी खिड़की से भी अंदर जाते दिखे। यात्रियों की बात… 1 महीने पहले रिजर्वेशन, मगर सीट पर दर्शनार्थी बैठे
प्रफुल्ल शुक्ला बिहार से आए हैं। काशी विश्वनाथ के दर्शन के बाद सारनाथ-दुर्ग एक्सप्रेस के स्लीपर कोच से उन्होंने भिलाई जाना था। रिजर्वेशन 1 महीने पहले कराया था। प्रफुल्ल ने बताया- सारनाथ एक्सप्रेस की बोगी नंबर एस-2 में मेरा और पत्नी का रिजर्वेशन है। ट्रेन आ गई है। मगर हम उसमें चढ़ नहीं पा रहे हैं। प्रयागराज जाने वाले दर्शनार्थी अंदर पहले से ही बैठे हुए हैं। क्या करें? अब हम समझ नहीं पा रहे हैं। पहले गेट नहीं खुले, जब खुले, तब तक छूटने का टाइम हो गया
वाराणसी में कोलकाता के मुकुलानंद का गुस्सा आरपीएफ कर्मियों पर फूट पड़ा। उन्होंने कहा- आप लोग कुछ नहीं कर पाए। अब आ रहे हैं, जब ट्रेन छूटने का टाइम हो गया। मुकुलानंद ने बताया- हमने प्रयागराज के लिए टिकट कराया था। यहां ट्रेन के सामने आए तो पहले तो दरवाजा नहीं खुला। फिर दरवाजा खुला तो उसमें वो लोग चढ़ गए, जिनका टिकट ही नहीं है। दिलीप बोले- कोच के अंदर दम घुट रहा
जयकेश कुमार मिश्रा ने बताया- एसी-3 में मेरा रिजर्वेशन है। लेकिन, हम कोच के गेट नहीं खुल पा रहे हैं। AC बोगी को जनरल बोगी बना दिया है। प्रशासन यहां सिर्फ सीटी मारने के लिए खड़ी है। दिलीप अग्रवाल को रायपुर अपनी पत्नी के साथ जाना था। उन्होंने कहा- एसी कोच के गेट पर और अंदर इस कदर लोग घुस गए हैं कि घुटन हो रही है। हमें बाहर निकलना पड़ा। हमने सारनाथ से ट्रेन पकड़ी थी। एसी में खिड़की खुल नहीं सकती। ऐसे में दम घुट जाएगा। ट्रेनें 30 से 45 मिनट लेट, स्पेशल 1 घंटे पर हो रही रवाना
वाराणसी जंक्शन पर प्रयागराज रूट पर चलने वाली डेली ट्रेनें 30 से 45 मिनट लेट चल रही हैं। वहीं, स्पेशल स्नान महाकुंभ ट्रेनें हर एक घंटे बाद वाराणसी से रवाना हो रही हैं। इसमें कुछ यहां से बनकर चल रही है। तो कुछ अन्य स्टेशनों से वाराणसी पहुंच रही हैं। कानपुर सेंट्रल स्टेशन ठसाठस भरी कामाख्या एक्सप्रेस में चढ़ने की होड़
कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन यात्री ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। कामाख्या आनंद विहार एक्सप्रेस प्लेटफार्म पर लगी। ट्रेन पूरी तरह से यात्रियों से भरी हुई थी। बावजूद इसके यात्रियों में पहले चढ़ने की होड़ मच गई। भास्कर टीम ने सफर कर रहे यात्री ओमप्रकाश से बात की। उन्होंने कहा- मैं S4 बोगी में हूं। पूरी बोगी ठसाठस भरी हुई है। स्लीपर और जनरल बोगी में कोई फर्क नहीं रह गया है। प्रयागराज जाने के लिए यात्री किसी तरह से कोच में चढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। AC बोगी के गेट बंद, यात्री परेशान
कालका एक्सप्रेस में चढ़ने की कोशिश में अनुज AC कोच का दरवाजा खुलवाने की जद्दो-जहद करते नजर आए। पूछने पर कहा- जो यात्री पहले से अंदर हैं, उन्होंने गेट बंद कर रखे हैं। हमें भी प्रयागराज जाना है, मगर कैसे जाएं। स्लीपर कोच में प्रयागराज के लिए सफर करने वाले यात्री इनाउल कहते हैं- ट्रेन में एक बार जहां पर बैठ गए, वहां से हिल पाना भी मुश्किल हो रहा है। ये सफर बहुत मुश्किल भरा लग रहा है। परेशान हो गए। सुशील बोले- बाथरूम कैसे जाएं, समझ नहीं आ रहा
नॉर्थ ईस्ट ट्रेन में सफर कर रहे सुशील पांडे ने कहा- मेरे पास रिजर्वेशन हैं, मगर ऐसा लग रहा है कि जनरल क्लास में सफर कर रहा हूं। बहुत परेशानी है। प्यास लगे तो पानी नहीं पी सकते। बाथरूम तक जाना भी मुश्किल है। यात्री बोले- ट्रेन का सफर मुश्किल
प्रयागराज महाकुंभ में स्नान करके वापस आए यात्रियों से भास्कर ने बातचीत शुरू की। इसमें कन्नौज के विकास ने कहा- मैं चोरी-चौरा एक्सप्रेस से कानपुर पहुंचा हूं। मेरा स्लीपर क्लास से रिजर्वेशन था। मगर, लोग हमारी बोगी में जबरदस्ती चढ़ आए। GRP ने ऐसे यात्रियों को हमारी बोगी से हटाकर नीचे उतारा। तब बैठने लायक जगह हुई। फर्रुखाबाद के उमेश चंद्र ने कहा- प्रयागराज के अंदर व्यवस्थाएं काफी बेहतर थीं। मगर ट्रेन का सफर मुश्किल हो गया है। प्लेटफार्म से लेकर ट्रेन तक लोग ही लोग हैं। मेरठ के मोनू बजरंगी कहते हैं- चोरी चौरा एक्सप्रेस से आया हूं। करोड़ों लोग प्रयागराज पहुंच गए हैं। लेकिन फिर भी प्रशासन की व्यवस्था अच्छी नजर आई। क्योंकि शाही स्नान है, मौनी अमावस्या है, इसलिए ट्रेनों में अधिक भीड़ चल रही है। मुगलसराय स्टेशन भीड़ देखकर लग नहीं रहा कि जा पाएंगे
रवि यादव कहते हैं- हमारी ट्रेन 30 मिनट लेट है, भीड़ देखकर लग नहीं रहा कि हम लोग जा पाएंगे। मगर जो भी कष्ट होगा, हम उठाते हुए जाना चाहते हैं। क्योंकि महाकुंभ 144 साल बाद आया है। हर कोई महाकुंभ जाना चाहता है। मुगलसराय के आशीष विश्वकर्मा कहते है- ट्रेनों में भीड़ ज्यादा चल रही है। 2 ट्रेन हम छोड़ चुके हैं। अब अगली ट्रेन का वेट कर रहे हैं। जाना तो है ही, हर हाल में प्रयागराज पहुंचेंगे। ट्रेनें 1 से 2 घंटा लेट चल रहीं
मुगलसराय स्टेशन पहुंची भास्कर टीम को यात्रियों ने बताया- ज्यादातर ट्रेनें 1 से 2 घंटा लेट चल रही हैं। महाकुंभ है, इसलिए ट्रेनों में भीड़ बहुत ज्यादा है। जो लोग प्लेटफार्म पर नजर आए, वह ट्रेन का इंतजार कर रहे थे। चहल-पहल बहुत ज्यादा थी। यात्रियों ने बताया कि ट्रेनों के टाइम टेबल में भी बदलाव हुए हैं। इससे यात्री और ज्यादा उलझन में हैं। 8 घंटे लेट पहुंची स्पेशल ट्रेन में बैठने को जगह नहीं
इसी दौरान टूंडला महाकुंभ मेला स्पेशल प्लेटफार्म पर लगी। यह ट्रेन 8 घंटा लेट चल रही थी। खिड़की से दिखा कि स्लीपर क्लास में भी लोग एक-दूसरे के ऊपर बैठे हुए हैं। यात्री आपस में बात करते हुए दिखे। बोले- महाकुंभ तो जाएंगे, चाहे कुछ भी हो जाए। जगह नहीं मिलेगी, तो चलकर जाएंगे। एसी क्लास में भी यह स्थिति कुछ अलग नहीं है। यात्रियों ने बताया कि दो-दो लोग एक सीट पर बैठकर यात्रा करने को मजबूर हैं। रिजर्वेशन का कोई मतलब नहीं रह गया है। लोग गार्ड रूम तक घुस चुके हैं। विशाल कहते हैं- हमने टिकट बुक किया था, लेकिन अब हमें खड़े होकर यात्रा करनी पड़ रही है। महाकुंभ जा रहे रोहित यादव कहते हैं- 144 साल बाद महाकुंभ आया है, बाद में क्या हम जिंदा भी रहेंगे। दोबारा तो जा नहीं पाएंगे, इसलिए जाएंगे जरूर। 42 ट्रेन प्रयागराज की तरफ जा रहीं
इसके बाद हम मुगलसराय स्टेशन की पूछताछ केंद्र पहुंचे। पता चला कि ज्यादातर ट्रेनें लेट चल रही हैं। इनमें 12938 गरबा एक्सप्रेस 5 घंटे, 14620 त्रिपुरा सुंदरी एक्सप्रेस 3 घंटे, 15657 ब्रह्मपुत्र मेल 4 घंटे, 08417 टूंडला महाकुंभ मेला स्पेशल 8 घंटे, 63557 बरकाखाना वाराणसी मेमू एक्सप्रेस 3 घंटे लेट चल रही हैं। डीडीयू नगर से 42 ट्रेन प्रयागराज के लिए चलाई जा रही हैं। अलग-अलग दिन प्रयागराज के लिए स्पेशल 42 ट्रेन चलाई जा रही हैं। भदोही स्टेशन पुजारी बोले- ट्रेनें आ रही, मगर चढ़ने की जगह नहीं
भदोही स्टेशन पर हमारी मुलाकात पुजारी कनौजिया से हुई। वह कहते हैं- प्रयागराज जाना है, 30 मिनट से खड़े हैं। जो ट्रेन आई थी, उसमें बैठने की जगह भी नहीं है। कोई दरवाजा तक नहीं खोल रहा है कि यात्री अंदर चढ़ सकें। ट्रेनें आ रही हैं, मगर सब में भीड़ है। बिहार से आए श्रद्धालु पंकज ने कहा- लोग भूसे की तरह ट्रेनों में भरे हुए हैं। महाकुंभ में जाने का उत्साह लोगों में देखा जा सकता है। बैठना छोड़िए, ट्रेनों में खड़े होने की जगह भी नहीं है। यात्री अवधेश कहते हैं- यात्री चढ़ नहीं पा रहे हैं। पवन एक्सप्रेस, अयोध्या स्पेशल और चौरी चौरा समेत कई ट्रेनें 5 से 7 घंटे की देरी से चल रही हैं। रेल प्रशासन यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने के लिए पूरा समय दे रहा है। यात्रियों ने सरकार से और अधिक ट्रेनें चलाने की मांग की है। कई परिवारों के सदस्य अलग-अलग ट्रेनों में यात्रा करने को मजबूर हैं, क्योंकि एक साथ जगह नहीं मिल पा रही है। हर 30 मिनट में स्पेशल ट्रेन, फिर भी यात्रियों के लिए जगह नहीं
मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए रेलवे प्रशासन ने हर 30 मिनट पर मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया है। लेकिन भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। भदोही स्टेशन पर ही वैसे ही हालात मिले। रेलवे 40 मेला स्पेशल ट्रेनों का संचालन कर रहा है। यात्रियों को घंटों इंतजार और भारी मशक्कत के बाद ही ट्रेन में जगह मिल पा रही है। सभी ट्रेनें इतनी भरी हुई हैं कि पैर रखने तक की जगह नहीं बच रही है। स्लीपर, एसी और दिव्यांग बोगी सहित सभी डिब्बे श्रद्धालुओं से खचाखच भरे हुए हैं। मिर्जापुर स्टेशन GRP जवान ट्रेनों का दरवाजा खुलवा रहे
15 से ज्यादा स्पेशल ट्रेन प्रयागराज कुंभ के लिए चलाई जा रही हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन से ही ट्रेनों के भर कर आने से यात्रियों को एंट्री नहीं मिल पा रही है। जीआरपी के जवान ट्रेन की बोगी खुलवाकर यात्रियों को किसी तरह प्रयागराज की ओर रवाना करने में लगे हैं। प्रयागराज कुंभ मेला के लिए दीनदयाल उपाध्याय जंक्शन और प्रयागराज के बीच 15 स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही हैं। हर 2 घंटे पर स्पेशल ट्रेनों को रवाना किया जा रहा है। इसके अलावा 120 ट्रेनों का ठहराव किया गया है। ट्रेनों के अंदर बैठे लोगों ने बोगी के गेट बंद कर दिए हैं। यात्रियों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। रिजर्व सीट होने के बावजूद मुंबई की ओर जाने वाले का यात्री अपनी ट्रेन पर सवार नहीं हो सके। लिहाजा उन्हें मायूस होकर अपनी यात्रा रद्द करनी पड़ी। बक्सर से प्रयागराज की तरफ सफर कर रहे गोपाल कहते हैं- ट्रेनों में बिल्कुल जगह नहीं है। हम लोग बहुत परेशान हो गए हैं, मगर यात्रा तो करनी है न…। हर हाल में जाएंगे। ट्रेन में सफर कर रहे यात्री अंकुश ने बताया- भीड़ अधिक देखकर दो ट्रेन छोड़ दिया। तीसरी में बैठे हैं, लेकिन इसमें भी तिल रखने भर की जगह नहीं है। जमालुद्दीन, अजय को अपनी मुंबई की यात्रा अंदर से बंद बोगी न खुलने के कारण रद्द करनी पड़ी। जौनपुर स्टेशन ट्रेनें 6-7 घंटे देरी से चल रही, सीट घेरने के लिए लोग घंटों पहले पहुंच रहे
प्रयागराज कुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के लिए श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ा है। मंगलवार को जौनपुर-प्रयागराज रूट पर चलने वाली सभी ट्रेनें खचाखच भरकर आईं। यात्रियों को सीट सुरक्षित करने के लिए 7 घंटे पहले से ही स्टेशन पर डेरा डालना पड़ रहा है। प्रयागराज जाने वाली ट्रेनें 6-7 घंटे देरी से चल रही हैं। जौनपुर से प्रयागराज के लिए एक ट्रेन गोदान और एक इलाहाबाद-प्रयागराज पैसेंजर और दो जोड़ी स्पेशल ट्रेन चल रही हैं। ट्रेन में चढ़ने के लिए धक्का-मुक्की
यात्री अनिकेत सिंह के कहा- शाम 6 बजे की ट्रेन में जगह पाने की आस में वे सुबह 11 बजे से ही स्टेशन पर पहुंच गए। भीड़ का आलम यह है कि यात्री एसी कोच से लेकर स्लीपर और गार्ड रूम तक में घुस रहे हैं। टिकट काउंटर पर यात्रियों के बीच धक्का-मुक्की की स्थिति बनी हुई है और सभी ट्रेनों में टिकट वेटिंग पर चल रहे हैं। जौनपुर स्टेशन अधीक्षक ने बताया- बढ़ती भीड़ को देखते हुए रेल प्रशासन ने गोदान एक्सप्रेस के अलावा दो अतिरिक्त स्पेशल ट्रेनों की सेवाएं शुरू की हैं। मौनी अमावस्या स्नान के लिए भीड़ अधिक है। रेलवे प्रशासन यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष इंतजाम कर रहा है, लेकिन अत्यधिक भीड़ के कारण व्यवस्था बनाए रखना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। प्रयागराज मंडल के PRO बोले- आउटर में ट्रेन न रोकनी पड़े, इसके अरेंजमेंट किए हैं
यात्रियों से बातचीत में सामने आया कि ट्रेनों को प्रयागराज के आउटर में खड़ा करना पड़ रहा है। ऐसे में दैनिक भास्कर ने प्रयागराज मंडल के जनसंपर्क अधिकारी अमित सिंह से बात की। उन्होंने कहा- प्रयागराज आने वाली रेगुलर ट्रेनों को आस-पास के दूसरे स्टेशनों पर शेड्यूल किया गया। कई ट्रेन कैंसिल भी करना पड़ा। ताकि मेला से जुड़ी ट्रेन लेट न हो। क्या आउटर में ट्रेन रोकनी पड़ रही है? जवाब में उन्होंने कहा कि प्रयागराज के आउटर में ट्रेन न रोकनी पड़े, इसके अरेंजमेंट किए जा रहे हैं। यह हो सकता है कि लंबे रूट की गाड़ियों को पास करने के लिए लोकल ट्रेनों को आउटर में रोका गया हो।
……………………. यह भी पढ़ें : महाकुंभ जा रही 2 ट्रेनों पर पथराव: कोच के गेट न खुलने से भड़के यात्री, शीशे-दरवाजे तोड़े; RPF बैकफुट पर महाकुंभ जा रही दो ट्रेनों में पथराव और तोड़फोड़ की गई। ट्रेन के अंदर पैर रखने की जगह नहीं थी। ऐसे में यात्रियों ने अंदर से दरवाजे बंद कर लिए। वीरांगना लक्ष्मीबाई झांसी-फतेहपुर पैसेंजर ट्रेन रात सोमवार रात हरपालपुर स्टेशन पर रुकी, यात्री चढ़ने के लिए गेट को धक्का देने लगे। जब गेट नहीं खुला तो पथराव शुरू कर दिया। ऐसा ही वाकया अंबेडकर नगर-प्रयागराज एक्सप्रेस में भी हुआ। यह ट्रेन मध्य प्रदेश के छतरपुर रेलवे स्टेशन पर रुकी थी। RPF भीड़ को संभाल नहीं पाई तो पुलिस को बुलाया। इसके बाद पुलिस ने भीड़ को शांत किया। पथराव में दोनों ट्रेनों की कई बोगियों के शीशे, दरवाजे और खिड़कियों को नुकसान पहुंचा है। पढ़िए पूरी खबर…

गीली मिट्‌टी, क्षमता से ज्यादा भक्त चढ़े, धंस गई बल्ली:क्राउड कंट्रोल के इंतजाम नहीं; बागपत हादसे के जिम्मेदार कौन?

गीली मिट्‌टी, क्षमता से ज्यादा भक्त चढ़े, धंस गई बल्ली:क्राउड कंट्रोल के इंतजाम नहीं; बागपत हादसे के जिम्मेदार कौन? बागपत में जैन धर्म के महोत्सव में 65 फीट ऊंचे मंच की सीढ़ियां टूट गईं। हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई। हादसा गीली मिट्‌टी और क्षमता से अधिक भक्तों के सीढ़ी पर चढ़ने की वजह से हुआ। भक्तों को 65 फिट लंबे मान स्तंभ तक ले जाने के लिए बल्लियों और बांस से सीढ़ियां बनाई गई। क्षमता 50 लोगों का भार सहने की थी, लेकिन 100 से ज्यादा लोग एक साथ चढ़ गए। ज्यादा वजन पड़ा और मिट्‌टी गीली होने से बल्ली धंस गई। 50 फीट की ऊंचाई पर एक बल्ली टूट गई। फिर क्या था बल्लियां खिसकने लगीं। देखते ही देखते रस्सियां खुली और ऊपर से सीढ़ियां खुलती चली गईं। लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे। भगदड़ जैसे हालात बन गए। हादसे में आयोजकों की बड़ी लापरवाही भी सामने आई है। सीढ़ियों पर भक्तों को चढ़ने से रोकने के लिए कोई इंतजाम नहीं था। पुलिस ने ठेकेदार पर केस दर्ज किया है। दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। हादसे की वजह, लापरवाही और सुरक्षा समेत सभी बिंदुओं की जांच-पड़ताल की। घायलों का पक्ष जाना। पढ़िए पूरी रिपोर्ट… पहले पढ़िए एक नजर में घटना… हादसा बागपत शहर से 20 किमी दूर बड़ौत तहसील में मंगलवार सुबह 7 से 8 बजे के बीच हुआ। महोत्सव में आदिनाथ भगवान को प्रसाद चढ़ाने का कार्यक्रम चल रहा था। 65 फीट ऊंचा लकड़ी का मंच बनाया था। उस पर भगवान की 4-5 फीट ऊंची प्रतिमा रखी थी। भक्त हाथ में लड्डू लेकर सीढ़ियों से आदिनाथ भगवान को भोग लगाने के लिए मचाननुमा सीढ़ियों से ऊपर चढ़ रहे थे। तभी अचानक से सीढ़ियों की एक बल्ली खिसकी और पूरा मचान नीचे गिर गया। हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि 80 से अधिक लोग घायल हो गए। दैनिक भास्कर की टीम मौके पर पहुंची। लोगों से बातचीत में पता चला कि निर्वाण महोत्सव का आयोजन 25 सालों से हो रहा है। ये 26वां आयोजन था। हर बार की तरह इस बार भी 65 फिट लंबे मान स्तंभ तक पहुंचने के लिए बल्ली और बांस की सीढ़ियां बनाई गई थीं। आयोजन में कोई बदलाव नहीं किया गया था। हर साल 300 से 400 लोग पहुंचते थे। इस बार 1000 से ज्यादा लोग पहुंच गए। वसीम पिछले 4 साल से सीढ़ी बना रहे
टीम उस जगह पर पहुंची, जहां सीढ़ी बनाई गई थी। पड़ताल में सामने आया कि जिस जगह पर बल्ली के सहारे सीढ़ी बनाई गई थी। वहां की मिट्‌टी गीली थी। बल्लियां मिट्‌टी में धंसी मिलीं। हादसे की यही वजह थी। आस-पास के लोगों ने बताया कि बरनावा के ठेकेदार वसीम पिछले 4 साल से इस आयोजन में सीढ़ियां बना रहे हैं। इस बार सीढ़ी बनाने का बजट 45 हजार रुपए था। एक हफ्ते में 8-10 लोगों की टीम ने सीढ़ियों को बनाकर तैयार किया था। इससे पहले इनके रिश्तेदार यहां सीढ़ियां बनाते थे। तब 41 हजार बजट हुआ करता था। अब पढ़िए प्रत्यक्षदर्शियों ने क्या कुछ बताया… घटनास्थल पर ही भास्कर की टीम प्रत्यक्षदर्शी राजेश से मिली। उन्होंने बताया- सभी लोग दर्शन के लिए जा रहे थे। बल्ली और बांस की सीढ़ियां बनाई गई थी। भक्त ऊपर चढ़ रहे थे, तभी अचानक एक बल्ली खिसक गई। उसके बाद एक-एक करके सभी बल्लियां खिसकने लगी। ये देखकर भगदड़ मच गई। कुछ लोग सीढ़ियों से लुढ़कते हुए नीचे आए। कुछ सीधे ऊपर से ही नीचे गिर गए। काफी लोग नीचे दबे थे। सभी लोग को मुश्किल से बाहर निकाला गया। अशोक जैन बोले- आयोजकों-ठेकेदार की लापरवाही से हादसा हुआ प्रत्यक्षदर्शी अशोक जैन ने कहा- बल्ली गिरने के बाद मौके पर चीख-पुकार मच गई। काफी देर तक समझ नहीं आया क्या करें? काफी लोग नीचे गिरे थे। कुछ नीचे दबे थे। सभी को बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया। प्रशासन ने बहुत सहयोग किया है। हादसा आयोजकों और ठेकेदार की लापरवाही की वजह से हुआ। पुलिसकर्मी पिंकी बोलीं- भगदड़ की चपेट में ज्यादा लोग आए
टीम घटनास्थल से निकल कर उस अस्पताल पहुंची, जहां घायलों का इलाज चल रहा है। यहां पहले हम घायल पुलिसकर्मी पिंकी से मिले। उन्होंने बताया, मेरी ड्यूटी आयोजन में लगी थी। जिस जगह हादसा हुआ, मैं वहां से थोड़ा दूर खड़ी हुई थी। एक दम से लोगों के चिल्लाने की आवाज आई तो हम लोग दौड़कर अंदर आए। वहां देखा कुछ लोग जमीन पर गिरे हुए हैं। उनको रौंदते हुए लोग भाग रहे हैं। हम लोग स्थिति संभाल रहे थे, तभी मैं भीड़ में गिर गई और लोगों ने मुझे भी रौंद दिया। जिसकी वजह से मेरे हाथ और पैर में गंभीर चोट आई है। मौके पर जो भगदड़ मची है, उसकी वजह से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। आयोजक की जुबानी हादसे की कहानी… आयोजकों की टीम के एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, जिस जगह ये सीढ़ियां बनाई गई थीं, वहां की मिट्टी कच्ची (गीली) थी। जिस वजह से जब बल्ली खिसकी और बैलेंस बिगड़ा तो नीचे सहारे के लिए लगी बल्ली मिट्टी में धंसने लगी और फिर टूट गई। इसके अलावा सीढ़ियों पर एक साथ भीड़ को चढ़ने से रोकने के कोई इंतजाम नहीं थे। इन सीढ़ियों की क्षमता एक साथ 50 लोगों के चढ़ने की थी, लेकिन 100 से ज्यादा लोग एक साथ चढ़ रहे थे। 50 फिट की ऊंचाई पर सीढ़ी टूटी थी। उसके बाद बल्लियां खिसकना शुरू हुईं। देखते ही देखते रस्सियां खुलीं और ऊपर से सीढ़ियां गिरनी शुरू हो गईं। जो लोग ऊंचाई पर थे, वो लोग वहीं से कूदने लगे। जहां पर ये मान स्तंभ बना है, उसके चारों ओर कांटे वाली जाली बनी हुई है। जब ऊपर से लोग नीचे कूदे तो उन्हें ये जालियां लग गई। इस वजह से वो लोग ज्यादा घायल हुए। बाकी कुछ लोग सीढ़ियों से गिरते हुए जमीन पर आ गए। बचने के लिए लोग एक दूसरे को धक्का देते हुए भाग रहे थे। जो नीचे गिरे हुए थे, वो उठ ही नहीं पा रहे थे। हम लोग भीड़ को कंट्रोल कर रहे थे। लेकिन कोई रुक नहीं रहा था। भगदड़ इतनी भयानक थी कि कुछ समझना मुश्किल था। हादसे में इनकी हुई माैत
हादसे में तरसपाल (66) पुत्र हुकमचंद गांधी रोड इमली वाली गली, अमित (35) पुत्र नरेश चंद, अरुण (48) पुत्र केशव राम, ऊषा (24) पत्नी सुरेंद्र, शिल्पी (24) पुत्री सुनील जैन, विनीत जैन (40) पुत्र सुरेंद्र, कमलेश जैन (65) पत्नी सुरेश चंद की माैत हुई है। पुलिस ने मान स्तंभ तक जाने वाली सीढ़ियां बनाने वाले ठेकेदार वसीम को गिरफ्तार कर लिया है। उसके खिलाफ FIR दर्ज की गई है। डीएम ने हादसे की मजिस्ट्रियल जांच करने के निर्देश दिए हैं। एक सप्ताह में रिपोर्ट देने का आदेश दिया है। ठेकेदार पर आरोप है कि उसने मिट्टी गीली होने पर भी इसकी जानकारी नहीं दी। अब पढ़िए स्तंभ का इतिहास….
दिगंबर जैन कॉलेज के सचिव डीके जैन ने बताया कि दिगंबर जैन कॉलेज प्रबंधन समिति ने 1999 में मान स्तंभ की स्थापना कराई थी। तभी से जैन समाज के लोग यहां पर लड्डू निर्माण महोत्सव का आयोजन करते हैं। बागपत के बड़ौत में श्री दिगंबर जैन का करीब 650 साल पुराना मंदिर है। इस मंदिर में कुल 7 वेदियां है, जिन पर अलग-अलग तीर्थंकरों की मूर्तियां विराजमान हैं। पहली वेदी पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा है। निर्वाण महोत्सव में शामिल होने के लिए कई जिलों के लोग आए थे। —————————- इस हादसे से जुड़ी यह खबर भी पढ़ें- बागपत में जैन धर्म के महोत्सव में हादसा, 7 मौतें:65 फीट ऊंचाई पर मंच, जाने के लिए लकड़ी की सीढ़ियां; भीड़ बढ़ी तो ढह गईं उत्तर प्रदेश के बागपत में मंगलवार को जैन समुदाय के निर्वाण महोत्सव के दौरान हादसा हो गया। यहां 65 फीट ऊंचे मंच की सीढ़ियां टूट गईं। इससे कई श्रद्धालु एक दूसरे पर गिरते चले गए। भगदड़ जैसे हालात हो गए। हादसे में 7 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। जबकि 80 से अधिक लोग घायल हो गए। गंभीर रूप से घायलों को इलाज के लिए अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती किया गया है। स्थानीय लोगों ने घटना में खून से लथपथ श्रद्धालुओं को ठेले से अस्पताल पहुंचाया। सीएम योगी ने मामले का संज्ञान लिया। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी भी घायलों से मिलने अस्पताल पहुंचे। यहां पढ़ें पूरी खबर

महाकुंभ जाना मालदीव, थाईलैंड से महंगा:दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से किराया 30 हजार तक पहुंचा, कनेक्टिंग फ्लाइट्स के टिकट 50 हजार से ज्यादा

महाकुंभ जाना मालदीव, थाईलैंड से महंगा:दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु से किराया 30 हजार तक पहुंचा, कनेक्टिंग फ्लाइट्स के टिकट 50 हजार से ज्यादा 13 जनवरी से महाकुंभ की शुरुआत के साथ ही प्रयागराज देशभर से आने वाले श्रद्धालुओं का केंद्र बना है। बड़ी संख्या में देश-विदेश से लोग प्रयागराज आ रहे हैं। ऐसे में, कई यात्रियों ने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय में (DGCA) प्रयागराज तक की फ्लाइट्स के किराए में भारी बढ़ोतरी की शिकायत की है। इसे लेकर 27 जनवरी को DGCA ने एयरलाइन कंपनियों से महाकुंभ के लिए हवाई किराया नहीं बढ़ाने को कहा। देश के प्रमुख शहरों से प्रयागराज आने वाली फ्लाइट्स के किराए में कितना उछाल आया? एयरलाइन कंपनियां कितना किराया वसूल रहीं? इसकी क्या वजह है? इस रिपोर्ट में पढ़िए- सबसे पहले जानिए पूरा मामला
महाकुंभ में इस समय हर दिन लाखों लोग पहुंच रहे हैं। ये लोग यहां पहुंच कैसे रहे हैं? तो जवाब है जिसकी जैसी आर्थिक सामर्थ्य है उसी के मुताबिक बसों, ट्रेनों और हवाई जहाज से यहां पहुंच रहे हैं। इसमें ट्रेनों का संचालन पूरी तरह सरकार के हाथ में है। इस लिहाज से रेलवे ने पहले से तैयारियां कीं और ट्रेनें बढ़ा दीं। सरकारी बसों की संख्या भी बढ़ाई गई। तीसरा साधन आता है हवाई जहाज, जहां सरकार का दायरा सिर्फ नियम-कानून बनाने तक सीमित है। संचालन उसके हाथ में नहीं। ऐसे में, एयरलाइन कंपनियों ने इस मौके का फायदा उठाते हुए देश के प्रमुख शहरों से फ्लाइट्स के टिकट बेतहाशा महंगे कर दिए। तब इसे लेकर कई यात्रियों ने DGCA में इसकी शिकायत की। यात्रियों ने बताया कि कैसे दिल्ली से प्रयागराज तक किराया 25 हजार रुपए तक वसूला जा रहा है। जबकि सामान्य रूप से यह 5 हजार रुपए तक रहता है। यात्रियों की शिकायत पर DGCA का एक्शन
लगातार मिल रही इन शिकायतों पर सोमवार (27 जनवरी) को DGCA ने एक्शन लिया। महानिदेशालय ने एयरलाइन कंपनियों से फ्लाइट्स का किराया नहीं बढ़ाने को कहा है। DGCA ने एयरलाइन कंपनियों से उड़ाने बढ़ाने के लिए भी कहा। बयान जारी कर महानिदेशालय ने कहा कि जनवरी के लिए प्रयागराज के लिए 81 अतिरिक्त उड़ानों को मंजूरी दी गई है। इससे पूरे देश से प्रयागराज के लिए उड़ानों की संख्या 132 हो गई है। इन शिकायतों को लेकर 23 जनवरी को महानिदेशालय के अफसरों ने एयरलाइन कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक भी की थी। देश के 7 बड़े शहरों से प्रयागराज के लिए 29 जनवरी के फ्लाइट टिकट की कीमतें मौनी अमावस्या के बाद 5 प्रमुख शहरों से प्रयागराज की फ्लाइट के टिकट की कीमतें बाली, मालदीव और थाईलैंड जाने से महंगा हुआ प्रयागराज जाना
आप अगर दिल्ली, बेंगलुरु या जयपुर जैसे शहरों से बाली, मालदीव और थाईलैंड जाना चाहते हैं तो यह महाकुंभ जाने की फ्लाइट टिकट से सस्ता पड़ेगा। इसे एक उदाहरण से समझते हैं। अगर बेंगलुरु से 31 जनवरी के दिन कोई प्रयागराज की कनेक्टिंग फ्लाइट बुक करता है तो उसे अधिकतम 94 हजार तक चुकाना पड़ सकता है। यह सिर्फ एक तरफ की कीमत है। इसी तरह डायरेक्ट फ्लाइट के लिए 30 से 35 हजार एक तरफ चुकाना पड़ेगा। यानी आना-जाना दोनों मिला दें तो करीब 60 से 70 हजार। अब दिल्ली या बेंगलुरु से मालदीव की फ्लाइट के टिकट का इसी तारीख में दाम देखें तो यह एक तरफ के लिए 16 से 17 हजार के बीच है। इसी तरह इन शहरों से इंडोनेशिया की राजधानी बाली के लिए डायरेक्ट फ्लाइट टिकट की कीमतें 25 से 30 हजार के बीच है। कुछ ऐसे ही हालात थाईलैंड जाने के भी हैं। मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को थाईलैंड 14 हजार में पहुंचा जा सकता है। लेकिन देश दिल्ली, बेंगलुरु और मुंबई से प्रयागराज नहीं। सामान्य दिनों की तुलना में 4 से 5 गुना बढ़े प्रयागराज की फ्लाइट टिकट के दाम
सामान्य दिनों में प्रयागराज के लिए दिल्ली से हवाई टिकट की कीमतें 5 हजार तक की होती हैं। इसी तरह पड़ोस के राज्यों जैसे मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से डायरेक्ट फ्लाइट की करीब 2500 रुपए, जयपुर से 5 से 7 हजार, अहमदाबाद से 6 से 7 हजार, बेंगलुरु से 8 से 10 रुपए तक टिकट की कीमतें होती हैं। कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों से जहां से प्रयागराज के लिए सीधी फ्लाइट नहीं है, वहां से सामान्य दिनों में टिकट की कीमतें 10 से 12 हजार के बीच होती हैं। लेकिन, महाकुंभ की वजह से प्रयागराज के लिए मांग बढ़ने पर इन शहरों से एयरलाइन कंपनियों ने टिकटों के दाम 4 से 5 गुना बढ़ा दिए हैं। कीमतें बढ़ने के पीछे क्या वजह?
प्रयागराज में महाकुंभ की वजह से इस शहर में देशभर से पहुंचने वाली डायरेक्ट और कनेक्टिंग फ्लाइट्स के दाम बढ़े हैं। इसके पीछे वजह है डिमांड के मुताबिक सप्लाई कम होना। DGCA की तरफ से जनवरी में 81 फ्लाइट्स की मंजूरी के बाद भी मांग पूरी नहीं हो पा रही। ट्रैवल पोर्टल इक्सिगो ने जनवरी महीने में ही एक सर्वे किया। उसमें निकलकर आया कि दिल्ली से प्रयागराज आने वाली फ्लाइट टिकटों के दाम 21% बढ़ गए। ———————————- यह खबर भी पढ़ें सास पीठ पर…5KM पैदल चलकर महाकुंभ पहुंची, 70 साल की मां को कांवड़ से लाया बेटा; मेले में दिल को छू लेने वाले दृश्य प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ में रिकॉर्ड तोड़ भीड़ हो रही है। लोगों का खाली हाथ और पैदल चलना भी मुश्किल है। इस आपाधापी के बीच ऐसी तस्वीरें भी सामने आ रही हैं, जिन्हें देखकर दिल को सुकून मिल रहा। जानिए ऐसे ही कुछ खास लोगों के बारे में…

महाकुंभ का मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान:अखाड़ा संगम के लिए निकला तो प्रशासन ने कुछ देर के लिए रोका, संतों की बैठक चल रही

महाकुंभ का मौनी अमावस्या पर अमृत स्नान:अखाड़ा संगम के लिए निकला तो प्रशासन ने कुछ देर के लिए रोका, संतों की बैठक चल रही प्रयागराज में महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान है। मौनी अमावस्या पर संगम में डुबकी लगाने के लिए भोर में अखाड़ों के नागा साधु और संन्यासी संगम निकले थे। भगदड़ की घटना के बाद प्रशासन ने अखाड़ों से अपील की कि अभी स्नान के लिए न जाएं। इसके बाद अखाड़े के साधु-संत शिविर में लौट आए। यहां साधु-संत बैठक कर रहे हैं। इसके बाद तय होगा कि अखाड़ों का स्नान कब होगा। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविंद्र पुरी ने कहा- मेला प्रशासन का मेरे पास फोन आया था। मुझसे जुलूस रोकने का आग्रह किया है। मैंने अपने अखाड़े का जुलूस अभी अंदर ही रोका है। अभी हम वेट एंड वॉच की स्थिति में हैं। 13 अखाड़ों में से सबसे पहले संन्यासी, बैरागी और फिर उदासीन अखाड़े को स्नान करना है। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्री शंभू पंचायती अटल अखाड़ा के नागा संन्यासी और संत स्नान करने के लिए भोर में सबसे पहले अखाड़े से निकले थे। इनकी स्नान की टाइमिंग 5 बजे की दी गई थी।

महाकुंभ- संगम तट पर भगदड़, 14 की मौत:प्रयागराज में श्रद्धालुओं की एंट्री रोकी; अखाड़ों का अमृत स्नान रद्द; मोदी-शाह ने योगी से की बात

महाकुंभ- संगम तट पर भगदड़, 14 की मौत:प्रयागराज में श्रद्धालुओं की एंट्री रोकी; अखाड़ों का अमृत स्नान रद्द; मोदी-शाह ने योगी से की बात प्रयागराज के संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात करीब डेढ़ बजे भगदड़ मच गई। इसमें 14 से अधिक लोगों की मौत की खबर है। 50 से ज्यादा घायल हैं। स्वरूपरानी अस्पताल में मौजूद भास्कर रिपोर्टर के मुताबिक- 14 शव पोस्टमॉर्टम के लिए लाए जा चुके हैं। हालांकि, प्रशासन ने मौत या घायलों की संख्या को लेकर कोई जानकारी नहीं दी। भगदड़ के बाद प्रशासन के अनुरोध पर सभी 13 अखाड़ों ने आज मौनी अमावस्या का अमृत स्नान रद्द कर दिया है। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा- संगम नोज पर अधिक भीड़ के कारण यह फैसला किया गया है। पीएम मोदी ने सीएम योगी से फोन पर घटना की जानकारी ली। ग्राउंड जीरो पर मौजूद दैनिक भास्कर के रिपोर्टर्स के मुताबिक, अफवाह के चलते संगम नोज पर भगदड़ मची। कुछ महिलाएं जमीन पर गिर गईं और लोग उन्हें कुचलते हुए निकल गए। हादसे के बाद 70 से ज्यादा एंबुलेंस संगम तट पर पहुंचीं। इनसे घायलों और मृतकों को अस्पताल ले जाया गया। हादसे के बाद संगम तट पर NSG कमांडो ने मोर्चा संभाल लिया। संगम नोज इलाके में आम लोगों की एंट्री बंद कर दी गई। भीड़ और न बढ़े, इसलिए प्रयागराज शहर में भी श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगा दी गई है। इसके लिए शहर की सीमा से सटे जिलों में प्रशासन को मुस्तैद कर दिया गया है। महाकुंभ में आज मौनी अमावस्या का स्नान है, जिसके चलते करीब 5 करोड़ श्रद्धालुओं के शहर में मौजूद होने का अनुमान है। प्रशासन के मुताबिक, संगम समेत 44 घाटों पर आज देर रात तक 8 से 10 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने का अनुमान है। इससे एक दिन पहले यानी मंगलवार को साढ़े 5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई। पूरे शहर में सुरक्षा के लिए 60 हजार से ज्यादा जवान तैनात हैं। हादसे के बाद के हालात तस्वीरों में देखिए… महाकुंभ में भगदड़ से जुड़े पल-पल के अपडेट्स के लिए नीचे लाइव ब्लॉग से गुजर जाइए…

बलरामपुर अस्पताल मेंं तीमारदार-सुरक्षा गार्ड के बीच जमकर मारपीट:एंट्री करने को लेकर हुआ बवाल,एक गार्ड का सिर फटा, दूसरे का पैर टूटा

बलरामपुर अस्पताल मेंं तीमारदार-सुरक्षा गार्ड के बीच जमकर मारपीट:एंट्री करने को लेकर हुआ बवाल,एक गार्ड का सिर फटा, दूसरे का पैर टूटा लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल में भर्ती मरीज के तीमारदार और गार्डों के बीच बड़ा बवाल हो गया। अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक (SSB) में इंट्री को लेकर हुई तीमारदार और सुरक्षा में लगे पूर्व सैनिकों के बीच देखते ही देखते मारपीट होने लगी। इस दौरान तीमारदार ने पूर्व सैनिक गार्ड को पटककर उसका पैर तोड़ दिया। बीच बचाव करने पहुंचे दूसरे सुरक्षा गार्ड पर तीमारदार ने डंडे से हमला बोल दिया, जिससे उसका सिर फट गया। अचानक अस्पताल परिसर में हुई घटना से हड़कंप मच गया। कर्मचारियों ने दोनों घायल सुरक्षा गार्ड को इमरजेंसी में भर्ती कराया, जहां से एक गार्ड को कमांड अस्पताल भेज दिया गया है। अस्पताल प्रशासन की ओर से मामले में मुकदमा दर्ज किए जाने के लिए वजीरगंज पुलिस को तहरीर दी गई है। एंट्री को लेकर हुआ बवाल बलरामपुर अस्पताल के एसएसबी ब्लॉक में तीमारदार दीपक के पिता भर्ती हैं। 26 जनवरी की शाम को वह वार्ड में पिता के पास तीमारदारी के लिए जा रहा था। एसएसबी के गेट पर मौजूद सुरक्षा गार्ड देवेंद्र सिंह ने उसको रोक लिया। परिसर में इंट्री को लेकर पहले तो गार्ड और दीपक के बीच तीखी झड़प होने लगी। पूर्व सैनिक सुरक्षा गार्ड ने तीमारदार को धक्का दे दिया। इससे नाराज तीमारदार ने गार्ड को पीटना शुरू कर दिया। इसी धक्का मुक्की में फिसलकर फर्श पर गिर गया और उसका पैर टूट गया। यह देख दूसरा गार्ड डंडा लेकर दौड़ा। तीमारदार ने उसका डंडा छीनकर सिर पर वार कर दिया। इससे सुरक्षा गार्ड का सिर फट गया। हंगामा होते देख वार्ड में तैनात दूसरे कर्मचारी पहुंच गए। उन लोगों ने दोनों गार्ड को जख्मी हालत में इमरजेंसी पहुंचाया। एक गार्ड को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई। वहीं, दूसरे सुरक्षा गार्ड को उसके तीमारदार कैंट स्थित कमांड हॉस्पिटल ले गए। मौके पर पहुंची वजीरगंज पुलिस ने आरोपी तीमारदार को हिरासत में ले लिया। FIR दर्ज करने के बाद, आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.संजय तेवतिया ने बताया कि रविवार को अचानक हुई इस घटना में 2 गार्ड घायल हो गए। मामले में FIR दर्ज करा दी गई है। आरोपी को पुलिस ने आज गिरफ्तार भी कर लिया है।

संगम में डुबकी के लिए 30KM का सफर:जिधर से श्रद्धालु आएंगे, पास के घाट पर स्नान कराकर लौटाएंगे, 10 जिलों के DM–SP बॉर्डर पर

संगम में डुबकी के लिए 30KM का सफर:जिधर से श्रद्धालु आएंगे, पास के घाट पर स्नान कराकर लौटाएंगे, 10 जिलों के DM–SP बॉर्डर पर प्रयागराज महाकुंभ में 29 जनवरी का दिन सबसे बड़ा है। मौनी अमावस्या पर स्नान के लिए रिकॉर्ड भीड़ प्रयागराज पहुंची है। 8 से 10 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज में रहेंगे। ऐसे में भीड़ को मैनेज करना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। प्रशासन ने एक दिन पहले हाई लेवल मीटिंग की और अपनी तैयारियों को और पुख्ता किया। वाहनों को शहर के बाहर रोक दिया गया है। इसकी वजह से श्रद्धालुओं को स्नान करने और फिर लौटने में 30 किलोमीटर का सफर करना पड़ेगा। मौनी अमावस्या पर आ रही भीड़ को संभालने के लिए क्या तैयारी है? कहां गाड़ियां रोकी जा रहीं? दैनिक भास्कर की रिपोर्ट में जानिए सबकुछ… मौनी अमावस्या से एक दिन पहले की भीड़ देखिए… 1- जिधर से श्रद्धालु आएंगे, उधर के घाट पर स्नान कराके लौटाने की तैयारी
मौनी अमावस्या पर स्नान करने के लिए दो दिन पहले से ही लोग कुंभ क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। हालत यह हो गई कि प्रशासन को दो दिन पहले ही 10 से ज्यादा पीपा पुल बंद करना पड़ा। ताकि भीड़ जिधर से आए उधर ही स्नान करके उसे वापस भेजा जा सके। प्रशासन ने क्षेत्र के अनुसार ही घाट बांट दिए हैं। जैसे बिहार, ओडिशा, बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को झूंसी साइड ही रोककर ऐरावत घाट पर स्नान करवाने की प्लानिंग है। वहीं एमपी, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, समेत दक्षिण भारत के राज्यों से आने वाले लोगों के लिए अरैल की तरफ ही घाट बनाए गए हैं। कोशिश यह है कि कम से कम लोग संगम की तरफ आएं। 2- इस बार नागा संतों के साथ श्रद्धालु नहीं कर पाएंगे स्नान
मौनी अमावस्या पर दूसरा अमृत स्नान है। इस दिन सभी नागा साधु-संत अमृत स्नान के लिए जाएंगे। इस बार प्रशासन ने बल्लियां बढ़ाई और लोहे की जाली लगाकर संगम के बड़े हिस्से को रिजर्व कर दिया है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति पर पहला अमृत स्नान हुआ। संगम के बड़े हिस्से को अखाड़ों के लिए रिजर्व कर दिया गया। बगल बल्लियां लगाकर जाली लगा दी गई, लेकिन जब नागा स्नान करने आए तो भीड़ ने उन्हें देखने के लिए बल्लियों और जालियों को फाड़ दिया। हालात ये हो गए कि जहां अखाड़ों के नागा साधु स्नान कर रहे थे, वहीं आम पब्लिक भी उनके साथ स्नान कर रही थी। बाद में साधुओं ने इस पर नाराजगी जताई थी। 3- हर घंटे सिर्फ संगम घाट पर 11 लाख लोग करेंगे स्नान
मेला क्षेत्र में 12 किलोमीटर के एरिया में कुल 44 घाट बनाए गए हैं। इन घाटों पर पहुंचने के लिए 14 प्रमुख मार्ग समेत कुल 32 मार्ग हैं। सभी पर इस वक्त बैरिकेडिंग की गई है, लोगों को पैदल ही जाने की अनुमति है। संगम पर हर घंटे 11 लाख लोग स्नान कर सकेंगे। 105 पार्किंग स्थल बनाए गए, बाहर वाले सभी फुल
प्रयागराज में एंट्री के लिए कुल 7 रास्ते हैं। बस और निजी वाहन से आने वाले लोग इन्हीं रास्तों से जिले में आ रहे। कुंभ क्षेत्र से करीब 15 किलोमीटर पहले ही गाड़ियों को रोक दिया जा रहा। यहां जो पार्किंग बनाए गए हैं ज्यादातर फुल हो गए हैं। लखनऊ-प्रतापगढ़ की तरफ से आने वाले लोगों को बेला कछार में रोका जा रहा। यहां एक साथ करीब 2 लाख गाड़ियों की पार्किंग हो सकती है। प्रशासन की जो 105 पार्किंग हैं, उसमें साढ़े सात लाख गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं। हालांकि जो मेला क्षेत्र में बनाई गई हैं, वह खाली हैं, क्योंकि यहां तक लोगों को पहुंचने ही नहीं दिया जा रहा। 108 स्पेशल ट्रेनें और एक हजार बसें
रेलवे मौनी अमावस्या के लिए 180 स्पेशल ट्रेनें चला रहा है। परिवहन विभाग 1000 अलग से बस चला रहा है। शहर में करीब 500 शटल बस चलाई जा रहीं, लेकिन भीड़ इतनी अधिक है कि वह भी अपने तय स्थान पर पहुंचने से पहले ही लोगों को उतारकर वापस जा रही हैं। कई जगहों पर तो नोंकझोक की स्थिति बन जा रही है। एक नाराज श्रद्धालु ने कहा- एक नेता के आने पर आप लोग सभी ब्रिज बंद कर दे रहे हैं। आप सब लोग नेताओं को सर्विस दे रहे हैं। हम लोग कहां जाएंगे। यहां पर सर्विस बहुत खराब है। मेरा एक छोटा बच्चा और फैमिली है। पुलिस वाले नेताओं की सर्विस में लगे हैं। मेले में आ रहे श्रद्धालु ने बताया कि महाकुंभ में आज खतरनाक भीड़ है। इस भीड़ में हमारी गाड़ी फंसी हुई है। हमारे पीछे भी काफी गाड़ियों की लाइन लगी हुई है। काफी देर से हम लोग एक ही जगह पर खड़े हैं। खुले आसमान के नीचे श्रद्धालुओं ने बिताई रात
प्रयागराज में कुल 10 लाख लोगों के रहने की व्यवस्था है। इसमें 100 रैन बसेरा है। सबकी कैपेसिटी अलग-अलग है। यहां करीब 25 हजार लोग रह सकते हैं। इसके अलावा स्टेशनों पर 5 लाख से ज्यादा लोग रह सकते हैं। शहर में 42 लग्जरी सहित करीब 100 होटल और इतने ही धर्मशाला हैं। जहां करीब 1 लाख लोग रह सकते हैं। मेले में डोम सिटी और टेंट सिटी बसाई गई है, लेकिन वह बहुत महंगी है और मौनी अमावस्या पर पहले से ही सभी पूरी तरह से बुक हैं। अब जो लोग आ रहे हैं, उन्हें रैन बसेरा और होटल से निराशा मिल रही है। इसलिए बहुत सारे ऐसे लोग हैं जिन्होंने पिछली रात सड़क के किनारे बिताई। रात में हम संगम पहुंचे। वहां हजारों की संख्या में लोग गंगा के किनारे पुआल पर सो रहे थे। उनके पास बिस्तर नहीं था, इसलिए उन्होंने ठंड से बचने के लिए पन्नी ही ओढ़ रखी थी। इसमें बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो दो दिन से इसी तरह से रात गुजार रहे हैं। डेढ़ लाख शौचालय, आधे की स्थिति खराब
शहर और मेला क्षेत्र में कुल डेढ़ लाख शौचालय बनाए गए हैं। पिछले 20 दिन से यह लगातार प्रयोग में आ रहे हैं, कई शौचालयों की स्थिति खराब हो गई है। कुछ की कुंडिया खराब हैं तो कुछ में टोटी ही नहीं बची। बहुत सारे ब्लॉक हो गए हैं, क्योंकि उनमें पानी की व्यवस्था ही नहीं है। लोग बाहर से पानी लेकर अंदर जा रहे हैं। इन सबको साफ करने के लिए करीब 5 हजार कर्मचारी लगाए गए हैं, लेकिन भीड़ इतनी है कि व्यवस्था ठप सी हो गई है। संगम के आसपास शौचालयों की स्थिति खराब हो गई है, आसपास इसकी वजह से बदबू आ रही है। प्रशासन के सामने तीन चुनौती 1- क्राउड मैनेजमेंटः लेटे हनुमान मंदिर और अक्षय वट मंदिर बंद
प्रशासन का पूरा फोकस जल्दी से स्नान करवाने के बाद लोगों को वापस भेजने में है। इसलिए हनुमान मंदिर और अक्षय वट मंदिर को बंद कर दिया गया है। श्रद्धालुओं को जिन रास्तों से मेले से बाहर निकाला जा रहा है, वह सीधे स्टेशन व बस स्टैंड से कनेक्ट हैं। अगर कोई व्यक्ति दोबारा मेले में आना चाहता है तो उसे करीब 5 किलोमीटर घूमकर पहुंचना होगा। स्टेशन पर रूट के हिसाब से लोगों को बैठाने की व्यवस्था की गई है। प्लेटफॉर्म पर उन्हीं लोगों को जाने दिया जा रहा, जिनकी ट्रेन आ रही होगी। बाकी लोगों को आश्रय स्थल पर रोका जा रहा। उसके भर जाने की स्थिति में लोगों को स्टेशन के बाहर ही खड़ा कर दिया जा रहा है। 2- प्रयागराज समेत बॉर्डर पर लगने वाले 10 जिलों के SP-DM तैनात
महाकुंभ मेला क्षेत्र में जो स्थिति है, इसी तरह से प्रयागराज बॉर्डर वाले जिलों की भी स्थिति है। पहली बार है जब 10 जिलों के डीएम और एसपी को भीड़ नियंत्रित करने के लिए लगाया गया है। प्रयागराज के बॉर्डर पर प्रतापगढ़, जौनपुर, वाराणसी, संत रविदास नगर, बांदा, फतेहपुर, मिर्जापुर, चित्रकूट और मध्य प्रदेश का रीवा जिला लगता है। ये सभी अधिकारी कुंभ में स्नान करने आ रही भीड़ को अपने जिले के बॉर्डर पर मैनेज करने में लगे हैं। 3- सुरक्षाः 60 हजार पुलिसकर्मी तैनात
करीब 60 हजार सुरक्षाकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। खुफिया विभाग के करीब 500 लोग अलग-अलग जगहों पर निगरानी कर रहे हैं। महाकुंभ कंट्रोल रूम से एआई कैमरों के जरिए संदिग्धों पर नजर रखी जा रही है। किसी की भी एक्टिविटी अजीब लगती है तो तुरंत संबंधित अधिकारियों को सूचित कर दिया जाता है। कई स्थानों पर श्रद्धालु पुलिसकर्मियों से बहस भी कर रहे हैं। 4-मौसम: ठंड को देखते हुए 2 हजार डॉक्टर-मेडिकल स्टाफ तैनात
मौसम, प्रशासन और श्रद्धालुओं के लिए बड़ी चुनौती है। रात में पारा 10 डिग्री तक था, नदी के चलते ठिठुरन थी। दोपहर में यही तापमान 25 डिग्री तक पहुंच जाता है। उस वक्त इतनी धूप और उमस में आम आदमी की स्थिति खराब हो जाती है। इसलिए मेले में तैनात डॉक्टरों को हर स्थिति में अपडेट रहने को कहा गया है। डॉक्टर और स्टाफ की कुल संख्या 2 हजार से ज्यादा है। —————————— महाकुंभ से जुड़ी ये खबर भी पढ़ें: महाकुंभ में सबसे बड़े जमावड़े की 10 तस्वीरें:चारों तरफ सिर्फ लोग ही लोग; पैदल चलना मुश्किल; ड्रोन से जमीन तक नहीं दिख रही महाकुंभ में मौनी अमावस्या से पहले जनसैलाब उमड़ पड़ा है। भीड़ का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि मंगलवार दोपहर तक करीब ढाई करोड़ लोग स्नान कर चुके हैं। संगम क्षेत्र के 15KM एरिया में जाम ही जाम है। पैर रखने तक की जगह नहीं है। सड़कें-गलियां सब खचाखच भरी हुई हैं। ड्रोन तस्वीरों में ऐसा लग रहा है कि यात्री रेंगते हुए चल रहे हैं। (पढ़ें पूरी खबर)

धीरेंद्र शास्त्री बोले- जो महाकुंभ नहीं आएगा, देशद्रोही कहलाएगा:संगम में लगाई 5 डुबकी, कहा- हम सनातन का परचम लहराने आए हैं

धीरेंद्र शास्त्री बोले- जो महाकुंभ नहीं आएगा, देशद्रोही कहलाएगा:संगम में लगाई 5 डुबकी, कहा- हम सनातन का परचम लहराने आए हैं बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने मंगलवार को महाकुंभ में डुबकी लगाई। इसके बाद सभी देशवासियों से महाकुंभ में आने और पवित्र स्नान करने की अपील की। उन्होंने कहा- मैंने सभी के साथ पवित्र डुबकी लगाई है, चाहे वह देशवासी हों, विदेशी हों, बागेश्वर धाम के लोग हों। महाकुंभ में हर व्यक्ति को आना चाहिए। जो नहीं आएगा वह पछताएगा और देशद्रोही कहलाएगा। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा- मैंने परमार्थ निकेतन आश्रम के प्रमुख स्वामी चिदानंद सरस्वती और हमारे सभी शिष्यों के साथ संगम में डुबकी लगाई। हमारे साथ 40-50 विदेशी भक्तों ने भी डुबकी लगाई। धीरेंद्र शास्त्री के स्नान की तीन तस्वीरें… धीरेंद्र शास्त्री ने महाकुंभ में लगाईं 5 डुबकी
पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने संगम में डुबकी लगाने के बाद कहा- हमने 5 डुबकी लगाई हैं। एक हिंदू राष्ट्र के नाम, जिससे हिंदू राष्ट्र बने। दूसरी बागेश्वर धाम के नाम, तीसरी पूरे बागेश्वर धाम परिवार से जुड़े लोगों के नाम। चौथी भारत के सभी महात्मा सुरक्षित रहें और सनातन का परचम लहराता रहे। पांचवीं डुबकी हिंदुत्व, सनातन और जो विश्व का भला चाहता हो, वह दीर्घायु हो। बोले- अनूठी और अद्भुत व्यवस्था है
अव्यवस्था को लेकर किए गए सवाल पर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- अनूठी और अद्भुत व्यवस्था है। हमारे अंदर तो आस्था है, आस्था में हर जगह व्यवस्था है। भारत के जितने भी लोग आ रहे, जिनके अंदर विरोध का कीड़ा नहीं है। उन्हें व्यवस्था और आस्था नजर आ रही है। जिनके अंदर आस्था नहीं है, वही अव्यवस्था देख रहे हैं। हम यहां पर व्यवस्था लेने थोड़ी आए हैं। हम यहां तो सनातन का परचम लहराने आए हैं। अपनी गंगा मैया में डुबकी लगाने आए हैं। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे के गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी नहीं जाएंगी के सवाल पर दिया जवाब
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी नहीं जाएंगी के सवाल पर भी धीरेंद्र शास्त्री ने जवाब दिया। कहा- क्या हज जाने से गरीबी चली जाती है? क्या कैंडल जलाने से गरीबी चली जाती है? क्या अपने पिता को पिता कहने से गरीबी चली जाती है?। कोई खाना खाता है तो क्या गरीबी चली जाती है? हर काम गरीबी मिटाने के लिए नहीं होने चाहिए। यह हमारी आस्था है। यहां पर हर तरफ हिंदुत्व का परचम लहरा रहा है। कुछ लोग कह रहे हैं कि यहां बीमारियों फैल रही है। कहां बीमारियां हैं? हर तरफ भक्ति बह रही है। उन्होंने कहा- हमारे साथ 40 से 50 देशों के लोगों ने गंगा में स्नान किया। इनमें पेरिस, रूस, लंदन सहित बड़े-बड़े देशों के लोग शामिल है। हर देशों के लोगों ने आस्था के साथ स्नान किया है। महाकुंभ में हर तरफ सनातन का जय-जयकार हो रही है। ———————– यह खबर भी पढ़ें… धीरेंद्र शास्त्री बोले- शहाबुद्दीन ने छेड़ा तो छोड़ेंगे नहीं, दिक्कत है तो मेरा वीडियो मत देखो; हम टारगेट उनको करते हैं जो देशद्रोही शहाबुद्दीन, मैं इतने कमजोर पर टारगेट नहीं करता। हम अपने पवित्र मुंह से नाम ले रहे हैं, बस ये कृपा समझो। हम टारगेट उनको करते हैं जो देशद्रोही हैं, जो रामद्रोही हैं और अकबर से मोहब्बत करते हैं। भूल कर भी आप हमको छेड़ना मत, हम छोड़ेंगे नहीं। शहाबुद्दीन साहब, दिक्कत होती है तो मेरा वीडियो न देखना। पढ़ें पूरी खबर…

भाजपा का झंडा लगी स्कॉर्पियो ने दो युवकों को रौंदा:एक मौत, बाइक से साथ जा रहे थे, टक्कर लगते ही दूर जा कर गिरे

भाजपा का झंडा लगी स्कॉर्पियो ने दो युवकों को रौंदा:एक मौत, बाइक से साथ जा रहे थे, टक्कर लगते ही दूर जा कर गिरे लखनऊ में सर्वोदयनगर बंधे के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पियो ने बाइक सवार युवकों को टक्कर मार दी। हादसे में एक की मौत हो गई। जबकि दूसरे का गंभीर हालत में इलाज चल रहा है। पुलिस मुकदमा दर्ज करके जांच कर रही है। सारन बिहार का रहने वाला अकरम (24) अली पुत्र असलम अली प्लंबर का काम करता था। लखनऊ में सर्वोदयनगर इलाके में लाल बाउंड्री विकास भवन के पीछे किराए के मकान में रहता था। सोमवार रात करीब 9 बजे पड़ोस में रहने वाले शानू (16) पुत्र वसीम के साथ बाइक से काम से निकला था। सर्वोदयनगर बंधे के पास पहुंचा था। तभी गोमतीनगर की तरफ से आ रही तेज रफ्तार स्कॉर्पियो यूपी 32 बीएल 1111 ने टक्कर मार दी। जिससे दोनों उछलकर दूर जाकर गिरे। घटना के बाद आसपास भीड़ जमा हो गई। पुलिस की मदद से दोनों को इलाज के लिए लोहिया पहुंचाया गया। जहां डॉक्टर ने एक को मृत घोषित कर दिया। इंस्पेक्टर गाजीपुर का कहना है कि अकरम के परिजन उसे लोहिया अस्पताल से इलाज के दौरान निजी अस्पताल लेकर चले गए थे। जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। परिवार आपस में बातचीत कर शव सीधे पैतृक आवास बिहार लेकर निकल गया। मंगलवार को उनसे संपर्क किया गया तो पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया। वहीं स्कॉर्पियो को कब्जे में लेकर मुकदमा दर्ज किया गया है। आगे की जांच की जा रही है। परिवार ने लगाया पुलिस पर लापरवाही का आरोप शानू के परिजनों का कहना है पुलिस ने घटना के बाद लापरवाही बरती है। अकरम को इलाज के लिए लोहिया ले गए। पांच घंटे भर्ती रहा लेकिन कोई डॉक्टर नहीं आया। तब उसके चाचा निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां उसकी मौत हो गई। जिसके बाद गाजीपुर पुलिस को सूचना दी गई। लेकिन जब पुलिस नहीं पहुंची तो परिवार परेशान होकर अपने घर बिहार लेकर निकल गया। गाड़ी पर बीजेपी का झंडा गाड़ी पर हरदोई का नंबर है, जिस पर बीजेपी का झंडा लगा है। गाड़ी अजय कुमार सिंह के नाम पर है। जिसे शुभम श्रीवास्तव चला रहा था।