राहुल-सोनिया को विदेशी खून बताने वाले को मायावती माफ करेंगी:लखनऊ में पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश की आज होगी घर वापसी

राहुल-सोनिया को विदेशी खून बताने वाले को मायावती माफ करेंगी:लखनऊ में पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयप्रकाश की आज होगी घर वापसी बहुजन समाज पार्टी की रविवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है। इसमें कई अहम फैसले के साथ पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर रहे जयप्रकाश सिंह की घर वापसी पर भी मुहर लग सकती है। एक सोर्स का दावा है कि जयप्रकाश की एक बड़े नेता के जरिए बसपा सुप्रीमो मायावती से बात हो चुकी है। हालांकि, जयप्रकाश खुद ऐसी किसी मुलाकात को खारिज कर रहे हैं। दैनिक भास्कर से बातचीत में ये जरूर कहा कि उन्होंने पार्टी में वापसी के लिए बसपा प्रमुख मायावती से अपील की है। अपनी पुरानी गलतियों के लिए माफी भी मांगी है। जानिए कौन हैं जयप्रकाश सिंह जाटव समाज से आने वाले गौतमबुद्धनगर में जन्मे 40 साल के जयप्रकाश सिंह के पिता शिक्षक और भाई सरकारी वकील हैं। एलएलएम डिग्री धारक जयप्रकाश ने साल-2009 में घर-परिवार छोड़कर खुद को बहुजन आंदोलन के लिए समर्पित कर दिया था। बसपा के कद्दावर नेताओं में शामिल धर्मवीर अशोक के जरिए जयप्रकाश की बसपा में एंट्री हुई थी। पहले वह बसपा कार्यालय में बैठते थे। वहीं से वह मायावती के छोटे भाई आनंद के संपर्क में आए। बसपा के लिए समर्पित और अविवाहित जयप्रकाश सिंह ने बहुत कम समय में मायावती के खास लोगों में अपनी गिनती करा ली। मायावती ने पहले उन्हें धर्मवीर अशोक के साथ हरियाणा में लगाया, फिर राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी। मायावती ने जयप्रकाश का कद बढ़ाते हुए राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और नेशनल कोऑर्डिनेटर बना दिया। बसपा से निकाले जाने से पहले तक वह इसी पद पर थे। मायावती अक्सर अपनी सभाओं में कहती रहती थीं कि उनका उत्तराधिकारी जाटव हाेगा। उसकी उम्र मुझसे 20-30 साल छोटी होगी। तब लोग कयास लगाते थे कि ये चेहरा जयप्रकाश सिंह ही होंगे। जयप्रकाश सिंह को यही मुगालता भारी पड़ा। राहुल-सोनिया को विदेशी मूल का कहने पर हुआ था निष्कासन
मायावती को करीब से जानने वाले कहते हैं कि वह अनुशासन के मामले में काफी कठोर हैं। पिछले लोकसभा में उन्होंने भतीजे आकाश को सिर्फ इस वजह से निष्कासित कर दिया था कि वे चुनाव में पीएम मोदी को टारगेट कर रहे थे। 8 साल पहले इसी तरह के फैसले में जयप्रकाश सिंह का भी निष्कासन हुआ था। 17 जुलाई, 2018 को जयप्रकाश लखनऊ में बसपा के कोऑर्डिनेटरों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने इस बैठक में सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर जमकर हमला बोला था। जयप्रकाश ने कहा था कि राहुल गांधी अगर अपने पिता पर गए होते तो कुछ उम्मीद भी थी, लेकिन वो अपनी मां पर गए हैं। उसकी मां सोनिया गांधी विदेशी हैं, उसमें भी विदेशी खून है। इसलिए मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि वो भारतीय राजनीति में कभी सफल नहीं हो सकता। जयप्रकाश ने तब राहुल गांधी के पीएम की दावेदारी को खारिज करते हुए कहा था कि भारत का प्रधानमंत्री पेट से नहीं, बल्कि पेटी (बैलेट बाक्स) से निकलेगा। अब गांधी की टोपी में वोट नहीं बचा, वोट अंबेडकर के कोट में भरा पड़ा है। वेद, मनुस्मृति, गीता, रामायण सारे के सारे खोखले पड़ गए। एक पलड़े पर सारे ग्रंथ रख दीजिए और दूसरे पर संविधान, तो संविधान ही सब पर भारी है। जयप्रकाश ने मुख्यमंत्री योगी पर भी टिप्पणी करते हुए कहा था कि मंदिर में शक्ति होती, तो योगी गोरखपुर का मंदिर छोड़कर मुख्यमंत्री न बनते। उन्होंने स्वामी चिन्मयानंद और उमा भारती का भी उदाहरण देते हुए कहा था कि इन सभी धार्मिक लोगों ने अपना मठ छोड़कर आप लोगों को मंदिर की घंटी बजाने में लगा दिया। उस समय हरियाणा और राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए बसपा का कांग्रेस से गठबंधन होने की बात चल रही थी। मायावती ने इस बयान के बाद जयप्रकाश को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पार्टी के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर पद से हटाने के साथ ही निष्कासित भी कर दिया था। तब मायावती ने कार्रवाई करते हुए कहा था कि मुझे बसपा के राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर जय प्रकाश सिंह के भाषण के बारे में पता चला। जिसमें उन्होंने बसपा की विचारधारा के खिलाफ बात कही है। उन्होंने दूसरे दलों के नेतृत्व के खिलाफ व्यक्तिगत टिप्पणी भी की। यह उनकी व्यक्तिगत राय है, जिससे पार्टी सहमत नहीं। ऐसे में उन्हें तत्काल सभी पदों से हटाया जाता है। 2021 में बसपा के नाम पर बटोर रहे थे चंदा, पुलिस से शिकायत हुई थी
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह 2021 में एक बार फिर सुर्खियों में तब जाए, जब उन पर खुद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने चंदा वसूली का आरोप लगाया। मायावती ने सोशल मीडिया पर लिखा था कि जयप्रकाश सिंह पार्टी से निष्कासित होने के बाद उन्हें सीएम बनाने के नाम पर घूम-घूमकर चंदा मांग रहे हैं। यह घोर अनुचित है। जयप्रकाश सिंह बसपा के मूवमेंट सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय की सोच से भटके हुए हैं। इसके बाद बसपा की नोएडा में तत्कालीन जिलाध्यक्ष रहीं लक्ष्मी सिंह ने बादलपुर थाने में इसकी शिकायत की थी। इसमें कहा था कि 19 जुलाई, 2021 को सोशल मीडिया के जरिए पता चला है कि पार्टी से निष्कासित जयप्रकाश और अन्य लोग पूर्व सीएम मायावती का नाम, फोटो और पार्टी के झंडे-बैनर का जाली तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही पार्टी के कार्यकर्ताओं से झूठ बोलकर चंदा वसूल रहे हैं। तब उन्होंने चंदे के नाम ठगी करते हुए एक बस को रथ बनाकर (कांशीराम विचार यात्रा) शुरू की थी। निष्कासन के बाद आकाश पर अक्सर करते रहते थे हमले
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश अक्सर मायावती के भतीजे आकाश पर सियासी वार करते रहते थे। वे सोशल मीडिया और कई मीडिया इंटरव्यू में दावे के साथ कहते थे कि बसपा को चंदे के रूप में मिले पैसे को आकाश करोड़ों के मकान बनाने और फैक्ट्री खोलने में खर्च कर रहे हैं। फिर इन फैक्ट्री में घाटा बताकर वह बहन मायावती से और पैसे मांगते हैं। इसके लिए उन्हें फिर चंदा लेना पड़ता है। एक इंटरव्यू में तो उन्होंने यहां तक दावा किया था कि पूरे यूपी को दो हिस्सों में बांट कर एक मुझे दे दो। दूसरा आकाश को दे दो। वे दावा करते थे कि मैं अपने आधे हिस्से को जीत कर अकेले मायावती को सीएम बना सकता हूं। कुछ महीने से सोशल मीडिया पर हृदय परिवर्तन दिखा रहे
बसपा से निकाले जाने के बाद जयप्रकाश सिंह जिस तेजी से आगे बढ़े थे, उसी तेजी से फर्श पर आ गए। बीच में चंद्रशेखर की तारीफ करने लगे थे। पिछले कुछ दिनों से वे सोशल मीडिया पर बसपा की तारीफ में जुटे हैं। मायावती ने जब 9 अक्टूबर के कार्यक्रम की घोषणा की थी, तो वे इसे सफल बनाने के लिए भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं से भी अपील करते हुए सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गए थे। अपने कई वीडियो में वे कह रहे थे कि राजनीतिक रूप से बसपा ही दलितों की एकमात्र पार्टी है। वैचारिक रूप से हमारे अलग-अलग संगठन हो सकते हैं। वे 2027 के विधानसभा चुनाव में भीम आर्मी और आजाद समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी बसपा के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं। बसपा से जुड़े एक पदाधिकारी की मानें, तो ऐसा वो घर वापसी के लिए कर रहे हैं। हालांकि उनकी ये कोशिश रंग लाती हुई दिख रही है। सूत्रों की मानें, तो उनकी घर वापसी की पूरी पटकथा लिखी जा चुकी है। वे माफी मांगते हुए पार्टी में वापसी की अपील कर चुके हैं। बस उस पर बसपा प्रमुख मायावती का सार्वजनिक मुहर लगाना बाकी है। क्यों अहम है बसपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक
बसपा सुप्रीमो मायावती 9 अक्टूबर के सफल कार्यक्रम के बाद अब अपने संगठन को धार देने में जुटी हैं। 16 अक्टूबर को वह यूपी-उत्तराखंड के पदाधिकारियों की बैठक लेकर संगठन से जुड़े अभियानों की समीक्षा कर चुकी हैं। इन दोनों राज्यों में बसपा ने 2027 का चुनाव अकेले लड़ने का निर्णय लिया है। रविवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई है। सुबह 11 बजे बैठक लखनऊ में ही पार्टी मुख्यालय में शुरू होगी। इस कार्यकारिणी की बैठक में यूपी-उत्तराखंड को छोड़कर देश भर के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य प्रभारी सहित अन्य महत्वपूर्ण पदाधिकारी मौजूद रहेंगे। मायावती की इस राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में राष्ट्रीय समन्वयक बनाए गए आकाश आनंद भी शामिल होंगे। 16 अक्टूबर की बैठक में स्वास्थ्य कारणों से वह शामिल नहीं हो पाए थे। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में बिहार चुनाव के साथ अगले साल मई-जून में होने वाले राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल व पुडुचेरी के विधानसभा को लेकर चर्चा होगी। पार्टी इन राज्यों में अपना जनाधार बढ़ाने के साथ विधानसभा चुनाव में भी मजबूती से उतरने की रणनीति बनाने में जुटी है। 2027 में यूपी-उत्तराखंड सहित कई राज्यों में चुनाव
राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में 2027 में होने वाले यूपी-उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव के साथ गोवा, मणिपुर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और साल के आखिरी में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव को लेकर अहम निर्णय लिए जाएंगे। 2028 मार्च में मेघालय, नगालैंड, त्रिपुरा में तो कर्नाटक में मई में विधानसभा चुनाव होने हैं। अगले 3 साल तक लगातार विधानसभा चुनाव और फिर 2029 में लोकसभा चुनाव होने हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तय होगा कि बसपा कितने राज्यों में अकेले और कहां गठबंधन के साथ आगे बढ़ेगी। ————————— ये खबर भी पढ़ें… मैंने पति खोया, ससुराल में सुहाग तक उतरने नहीं दिया, यूपी में मॉब लिंचिंग के शिकार दलित युवक की पत्नी का दर्द ‘मैंने अपना पति खोया। ससुराल पहुंची तो ननद, सास, देवर ने मेरी गर्दन दबाते हुए मारपीट शुरू कर दी। मेरा सुहाग तक नहीं उतरने दिया और घर से भगा दिया…बेटी को लेकर पिता के घर में रह रही हूं। सरकार ने मुझे नौकरी का आश्वासन दिया था। पर नौकरी ननद को दे दी गई। मेरे ससुर सरकारी पेंशन पाते हैं। ननद कल को शादी के बाद अपने घर चली जाएगी। कल को मेरे पिता नहीं रहे, तो मैं बेटी को लेकर कहां जाऊंगी?’ ये कहते हुए माॅब लिंचिंग के शिकार हरिओम वाल्मीकि की पत्नी संगीता उर्फ रिंकी फफक पड़ती हैं। पढ़ें पूरी खबर

दीपावली पर तांत्रिक परंपराएं और जीव बलि:उल्लू-कछुए जैसे जीवों के लिए क्यों काल बन जाती है अमावस्या की रात?

दीपावली पर तांत्रिक परंपराएं और जीव बलि:उल्लू-कछुए जैसे जीवों के लिए क्यों काल बन जाती है अमावस्या की रात? दीपावली की रात तांत्रिक सिद्धियों के लिए जानी जाती है। मान्यता है, अमावस्या की रात तंत्र क्रियाओं से मां लक्ष्मी को प्रसन्न किया जा सकता है। यही वजह है कि कुछ खास जीव-जंतुओं के लिए यह रात जानलेवा साबित होती है। विशेषकर उल्लू और कछुए जैसे जीवों के लिए। इनको मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। लोक मान्यता है कि इनकी बलि देने या इन्हें तांत्रिक क्रियाओं में शामिल करने से धन, वैभव और सिद्धियां प्राप्त होती हैं। इस बार संडे स्टोरी में पढ़िए दीपावली की रात तांत्रिक अनुष्ठान की मान्यता क्या है? किन जीव-वनस्पतियों का इस्तेमाल इन अनुष्ठान में किया जाता है? तांत्रिक और ज्योतिष से जुड़े जानकार इसे लेकर क्या कहते हैं? जानिए किन जीव और वनस्पतियों पर संकट यूपी में प्रमुख तांत्रिक केंद्र अब जानिए ज्योतिष के विद्वान क्या कहते हैं? बलि से नहीं, सच्ची शुभता सही कर्म, पूजा, दान और भक्ति से आती है
बीएचयू के ज्योतिषशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पांडेय बताते हैं- कुछ तांत्रिक मानते हैं कि किसी जीव की बलि देने से मंत्र या जादुई शक्तियां बढ़ती हैं। वे सोचते हैं कि यह राक्षस या नकारात्मक ऊर्जा को नियंत्रित करने का तरीका है। कुछ लोग कहते हैं कि बलि देने से धन, प्रेम, काम या शक्ति संबंधी इच्छाएं पूरी होती हैं। यह पूरी तरह से मानसिक और आस्था पर आधारित होता है। इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। तांत्रिक कभी-कभी लोगों को डराकर या भय दिखाकर बलि देने को कहते हैं। जिससे लोग उनका सम्मान या पालन करें। पुराने समय में कुछ संस्कृतियों में बलि होती थी, लेकिन आज इसे गैरकानूनी और अमानवीय माना जाता है। डॉ. विनय कुमार पांडेय बताते हैं- आधुनिक तंत्र में बलि की जरूरत नहीं, बल्कि मंत्र, पूजा और ध्यान से ही कार्य सिद्ध हो सकते हैं। बलि देना गलत है, क्योंकि उल्लू को लक्ष्मी का वाहन बताते हैं। इसी वजह से कुछ लोगों को लगता है कि उल्लू को रख लेंगे तो लक्ष्मी हमेशा रहेंगी। लेकिन, ऐसा करने से लक्ष्मी रहती नहीं, चली जाती हैं। कुछ जगहों पर मान्यता है कि दीपावली की रात उल्लू की बलि देने से घर में धन, सौभाग्य और बुरी आत्माओं से सुरक्षा मिलती है। लेकिन, यह कानूनी और नैतिक रूप से गलत है। किसी जानवर की बलि देने से सकारात्मक ऊर्जा या शुभता नहीं आती। सच्ची शुभता सही कर्म, पूजा, दान और भक्ति से आती है। दीपावली की रात जीवित कछुए को अपने घर में रखने से लक्ष्मी ठहर जाती हैं। इसे लेकर डॉ. विनय कुमार पांडेय का कहना है कि यह मान्यता अंधविश्वास और शास्त्र विरुद्ध है। जीवित प्राणी को कैद या कष्ट देना पाप और कानूनी अपराध दोनों है। शास्त्रों में वर्णित सात्विक विधि-विधान सभी सामान्य जन के लिए उपयोगी हितकारक एंव प्रकृति के अनुकूल है। ग्रंथों में उल्लू की बलि का कोई विधान नहीं
कामाख्या संप्रदाय में अभिषिक्त तांत्रिक साकेत कुमार मिश्रा के अनुसार, इंद्रजाल के आधार पर टोना-टोटका और तांत्रिक प्रयोगों का उल्लेख मिलता है। दीपावली की रात को कुछ तांत्रिक लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए उल्लू की बलि देते हैं। ऐसा माना जाता है कि उल्लू माता लक्ष्मी का वाहन है। इसलिए उसकी बलि से तंत्र सिद्धि या धन प्राप्ति होती है। हालांकि, शास्त्रीय दृष्टि से यह पूरी तरह अमान्य और अनुचित है। वैदिक या धर्मशास्त्रीय ग्रंथों में उल्लू की बलि का कोई विधान नहीं है। यह प्रथा केवल इंद्रजाल तंत्र जैसी लोक-मान्य और अप्रामाणिक पुस्तकों में वर्णित है। जिनमें सोखा, ओझा या तांत्रिक रात्रि के निशा काल (रात 11 बजे के बाद) में ऐसे कर्म करते हैं। वास्तव में, शास्त्रीय ग्रंथों में केवल भैंसे या बकरी की बलि का उल्लेख है। वह भी विशिष्ट देवताओं की उपासना या तंत्र साधना के संदर्भ में, न कि लक्ष्मी पूजन के लिए। बलि प्रतीकात्मक इसका मतलब भेंट-अर्पण
तांत्रिक आयुष रुद्रा बताते हैं- तंत्र के तीन अलग-अलग तरीके हैं। टीवी पर जो तंत्र दिखाया जाता है, ऐसे होता नहीं है। दीपावली के दिन दो तरह की पूजा होती है। इच्छा पूर्ति के लिए और सिद्धि के लिए। इच्छा की कामना के लिए बलि दी जाती है। लेकिन बलि का मतलब भेंट-अर्पण होता है। दीपावली के लिए दिन जो धन वैभव के लिए पूजा की जो भेंट दी जाती है, उसमें फल कद्दू लौकी की बलि दी जाती है। कामाख्या तारापीठ में बलि का प्रावधान है। हालांकि, वहां के तरीके अलग हैं। कहीं भी नरबलि या जानवर बलि का प्रावधान नहीं है। जिनको जानकारी नहीं है, वो ऐसी चीजों को बढ़ावा देकर लाइम लाइट में रहते हैं। तंत्र एक विज्ञान है। लेकिन, लोगों ने इसको गलत तरीके से पेश करके गलत बना दिया है। लोग दुष्प्रचार कर जीवों की बलि जैसी बातें जोड़ते हैं
काशी अघोर पीठ के कपाली बाबा बताते हैं- दीपावली की रात को तंत्र साधना और पूजा के कई प्रकार होते हैं। लेकिन, वर्तमान में सोशल मीडिया और लोक कथाओं में कई भ्रांतियां फैल रही हैं। तांत्रिक परंपरा के विशेषज्ञों के अनुसार, दीपावली की रात के तंत्र प्रयोग शास्त्रीय और अहिंसात्मक होते हैं। इसमें कभी भी जीव हत्या या उल्लू की बलि शामिल नहीं होती। कपाली बाबा बताते हैं- दीपावली की रात 3 तरह के तांत्रिक प्रयोग होते हैं। आम का बांदा, कद्दू और लौकी जैसी वनस्पतियां त्रयोदशी की रात लाकर चतुर्दशी को पूजा में प्रयोग की जाती हैं। इसका उद्देश्य व्यापार और आर्थिक वृद्धि होता है। बंगाली तंत्र और कामाख्या तंत्र में पीला सिंदूर और प्रतीकात्मक सियार की सींग का प्रयोग लक्ष्मी प्राप्ति के लिए किया जाता है। इसमें श्रीयंत्र या श्री चक्र की पूजा की जाती है। देवी की अर्चना 8 प्रकार से की जाती है। कपाली बाबा बताते हैं- काली कुल के याचक और यम द्वितीया पूजा अगले दिन तक चलती हैं। कई अबोध लोग इन प्रयोगों का गलत विवरण फैलाते हैं और जीवों की बलि देने जैसी बातें जोड़ते हैं। यह केवल सनसनी फैलाने और फेमस होने के लिए किया जाता है। शास्त्रीय और वैदिक परंपरा में दीपावली की रात का तंत्र प्रयोग सुरक्षित, प्रतीकात्मक और अहिंसात्मक होता है। इसका मुख्य उद्देश्य धन, वैभव और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना है। तंत्र विद्या को लेकर क्या कहता है साइंस
ज्योतिषाचार्य श्रीधर पांडेय बताते हैं- तंत्र विद्या को अक्सर रहस्यमय और अंधविश्वासी माना जाता है। लेकिन, इसके पीछे वास्तविक विज्ञान और मनोविज्ञान मौजूद हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, तंत्र केवल मंत्र, यंत्र और पूजन का समूह नहीं है। यह ऊर्जा, मानसिक एकाग्रता और वातावरणीय संतुलन पर आधारित प्रणाली है। तंत्र में इस्तेमाल मंत्र और यंत्र, हमारे मस्तिष्क और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा और कंपन पैदा करते हैं। ध्यान और विजुलाइजेशन जैसी क्रियाएं मानसिक शक्ति और फोकस बढ़ाती हैं। वहीं दीपक, धूप और जल के प्रयोग से शरीर में मूड सुधारने वाले हार्मोन सक्रिय होते हैं और तनाव कम होता है। वन विभाग के डीएफओ सितांशु पांडेय कहते हैं दीपावली पर तांत्रिक क्रियाओं के नाम पर प्रतिबंधित प्रजातियों का अवैध शिकार और व्यापार चरम पर पहुंच जाता है। हमने रेंज के सभी वन कर्मियों को स्थानीय सूचना तंत्र मजबूत करने, सघन गश्त और रात्रि निगरानी के सख्त निर्देश जारी किए हैं। …………….. ये खबर भी पढ़ें… बागपत में चिताओं से अस्थियां गायब हो रहीं:8 महीने से गांववाले परेशान; क्या दिवाली पर तंत्र–मंत्र के लिए तांत्रिक चुरा रहे यूपी में बागपत के हिम्मतपुर सूजती गांव में लोग डरे हुए हैं। श्मशान घाट से अस्थियां गायब हो रही हैं। कुछ दिन पहले एक व्यक्ति का अंतिम संस्कार हुआ। परिवार जब तीसरे दिन अस्थियां लेने गया, तो चिता के पास दीपक जल रहा था, उपले सुलग रहे थे और तंत्र-मंत्र का सामान बिखरा हुआ था। अस्थियां गायब थीं। पिछले आठ महीनों से श्मशान में ऐसी ही घटनाएं हो रही हैं। गांव वाले बताते हैं- पहले लगता था किसी जानवर का काम होगा, लेकिन हर बार चिता के पास पूजा-सामग्री, अगरबत्ती, नींबू और राख मिलती है। प्रशासन का कहना है कि ऐसी शिकायतें मिल रही हैं, हमारी टीम जांच कर रही है। पढ़िए पूरी खबर…

यूपी में अयोध्या दीपोत्सव, उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव:धामी का दावा- 4 साल में पहुंचे 24 करोड़ श्रद्धालु, मंदिरों का हो रहा विकास

यूपी में अयोध्या दीपोत्सव, उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव:धामी का दावा- 4 साल में पहुंचे 24 करोड़ श्रद्धालु, मंदिरों का हो रहा विकास उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में इस बार दीपोत्सव तो मनाया जाएगा लेकिन दोनों का अंदाज अलग होगा। एक ओर उत्तरप्रदेश सरकार इस बार दीपोत्सव में ग्रीन आतिशबाज़ी’ से अयोध्या को जगमगाने की तैयारी में है तो वहीं उत्तराखंड सरकार ने इस बार “विकास दीपोत्सव” मनाने की परंपरा शुरू की है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है, ट्वीट में उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा- उत्तराखंड मना रहा है विकास का दीपोत्सव, हमारी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों पर किए गए समग्र विकास कार्यों के परिणामस्वरूप लगभग प्रत्येक तीर्थस्थल पर श्रद्धालुओं की रिकॉर्ड संख्या पहुंच रही है। दोनों राज्यों के कार्यक्रमों में मुख्य अंतर यह है कि यूपी में यह दीपोत्सव भव्यता और पर्यावरण के संतुलन का संदेश दे रहा है, जबकि उत्तराखंड में विकास दीपोत्सव के माध्यम से पर्यटन, सुरक्षा और तीर्थाटन के स्तर को बढ़ाया जा रहा है। पहले सरयू तट पर होने वाले दीपोत्सव के बारे में जानिए… अयोध्या दीपोत्सव 2025 इस बार न केवल आस्था और भव्यता का प्रतीक बनेगा, बल्कि पर्यावरण-संवेदनशील नवाचार का भी संदेश देगा। 19 अक्टूबर को सरयू तट पर जब असंख्य दिये जलेंगे और आकाश में ग्रीन आतिशबाज़ी का दिव्य दृश्य खिलेगा, तो धुआँ और प्रदूषण की जगह केवल स्वच्छ प्रकाश फैलेगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस आयोजन के लिए विशेष रूप से ग्रीन पटाखों और इको-आतिशबाज़ी तकनीक अपनाने के निर्देश दे दिए हैं। इसमें पारंपरिक रासायनिक तत्वों की जगह कम-कार्बन और कम-धुआं उत्सर्जित करने वाले यौगिकों का प्रयोग किया जाएगा। परिणामस्वरूप, यह दीपोत्सव न केवल आस्था का प्रतीक होगा, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता का भी संदेश देगा। सरयू के ऊपर खिलेगा “ग्रीन सूर्य”, जो न तो धुआं उत्पन्न करेगा और न ही शोर करेगा। लाखों मिट्टी और गोबर मिश्रित बायोडिग्रेडेबल दीये जलेंगे, जिससे स्थानीय कुम्हार और ग्रामीण महिलाएं आर्थिक रूप से सशक्त होंगी। उत्तराखंड में सरकार क्यों मना रही विकास दीपोत्सव, हर धाम के विकास से समझिए… केदारनाथ केदारनाथ में करीब 500 करोड़ रुपए की लागत से विकास कार्य चल रहे हैं। पहले चरण में 125 करोड़, दूसरे में 200 करोड़ और तीसरे चरण में 175 करोड़ का काम शामिल है। तीसरे चरण का निर्माण वर्तमान में प्रगति पर है। सोनप्रयाग और केदारनाथ के बीच भारत का पहला ट्राई-केबल रोपवे बनने की योजना है। यह 12.9 किलोमीटर लंबा होगा और श्रद्धालु केवल 36 मिनट में सफर पूरा कर सकेंगे। यह रोपवे सुरक्षा और आधुनिक तकनीक के मामले में दुनिया में सबसे आगे होगा। बद्रीनाथ बद्रीनाथ में मास्टर प्लान के तहत विकास कार्य चल रहे हैं, जिनकी अनुमानित लागत लगभग 600 करोड़ रुपए है। 2025-26 के बजट में मंदिर समिति को 127 करोड़ रुपए आवंटित थे, जिनमें से 64 करोड़ रुपए का उपयोग बद्रीनाथ मंदिर के विकास में किया गया। सरकार चरणबद्ध तरीके से निर्माण कर रही है और बढ़ती तीर्थाटन संख्या को देखते हुए यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा रही है। यमुनोत्री यमुनोत्री धाम तक पैदल यात्रा मार्ग को वैष्णो देवी मार्ग की तरह सुरक्षित और आधुनिक बनाने की योजना है। 170 करोड़ की लागत से एक रूप परियोजना शुरू हुई है, जिसकी लंबाई लगभग 3.9 किलोमीटर है। इस परियोजना से यात्रियों के लिए पैदल मार्ग अधिक सुरक्षित, सुविधाजनक और तीर्थाटन के अनुकूल होगा। गंगोत्री गंगोत्री धाम में सड़क मरम्मत, बिजली आपूर्ति और तीर्थाटन सुविधाओं का विकास किया गया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि तीर्थ यात्री आरामदायक और सुरक्षित यात्रा का अनुभव प्राप्त कर सकें।सरकार ने गंगोत्री में बुनियादी ढांचे का नया रूप देते हुए, तीर्थाटन की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता दी है। धामों के विकास से लोगों को मिल रहा रोजगार उत्तराखंड में पिछले चार वर्षों में सरकार के प्रचार और निवेश के कारण लगभग 25 करोड़ श्रद्धालु प्रदेश के धार्मिक स्थलों पर पहुंचे हैं।बढ़ती तीर्थाटन संख्या ने स्थानीय लोगों के लिए रोजगार और आजीविका के नए अवसर सृजित किए हैं। पंच केदार के प्रचार प्रसार के प्रयासों से तीर्थ यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। राज्य अलग लेकिन मुखियाओं की जन्मभूमि एक पुष्कर सिंह धामी कुमाउं मंडल में आने वाले पिथौरागढ़ जिले के टुंडी गांव से हैं। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से मानव संसाधन प्रबंधन और एलएलबी की पढ़ाई की और 2021 में प्रदेश के सीएम बन गए। तो वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की जन्मभूमि भी उत्तराखंड ही है, वह गढ़वाल मंडल के पौड़ी गढ़वाल जिले के पंचुर गांव में जन्में हैं। उनकी पढ़ाई भी उत्तराखंड में ही हुई है, हालांकि संन्यास लेने के बाद वह गोरखनाथ मठ के महंत बन गए और अब दूसरी बार उत्तरप्रदेश के सीएम हैं।

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत का मेरठ में एक्सीडेंट:सिर में लगी चोट, काफिले के आगे गाड़ी चला रही महिला ने अचानक मारा ब्रेक

उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत का मेरठ में एक्सीडेंट:सिर में लगी चोट, काफिले के आगे गाड़ी चला रही महिला ने अचानक मारा ब्रेक उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मेरठ में एक्सीडेंट हो गया। हादसे में उनके सिर में हल्की चोट आई है। हालांकि वह बाल-बाल बच गए। उनका एक गनर भी घायल हुआ है। हादसे के बाद करीब आधे घंटे तक हरीश रावत रुके रहे। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दूसरी गाड़ी की व्यवस्था कराई। इसके बाद देहरादून के लिए रवाना हुए। हरीश रावत का काफिला शनिवार शाम नेशनल हाईवे-58 से देहरादून की तरफ जा रहा था। देर शाम 8 बजे कंकरखेड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत खड़ोली के निकट उनके काफिले के आगे एक महिला गाड़ी चला रही थी। महिला ने अचानक ब्रेक मारा। इसके बाद हरीश रावत के काफिले की गाड़ियां आपस में टकरा गईं। इसमें रावत की भी गाड़ी थी। 2 तस्वीरें देखिए अब पढ़िए पूरा मामला… गनीमत रही सीट बेल्ट लगाए थे
पूर्व मुख्यमंत्री फॉरच्यूनर गाड़ी में मौजूद थे और ड्राइवर के बराबर वाली आगे की सीट पर बैठे हुए थे। वह सीट बेल्ट लगाए थे। ब्रेक लगते ही उनका सिर डैश-बोर्ड से टकराया। गनीमत रही उनके सिर में गंभीर चोट नहीं लगी। हालांकि ड्राइवर ने गाड़ी को काफी संभाला, जिस कारण उनको गंभीर चोट नहीं आई है। इस हादसे में उनकी गाड़ी का अगला हिस्सा डैमेज हो गया। काफिले में मौजूद कांग्रेस कार्यकर्ता दौड़कर पूर्व मुख्यमंत्री की गाड़ी के पास पहुंचे और उनका हाल जाना। कार्यकर्ताओं ने डॉक्टर को बुलाने की बात कही, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री ने मना कर दिया। इसके बाद दूसरी गाड़ी से वह देहरादून के लिए रवाना हो गए। कंकरखेड़ा थाना प्रभारी विनय कुमार सिंह ने बताया- शनिवार होने के कारण हाईवे पर गाड़ियों का दबाव ज्यादा था। काफिला हूटर बजाते हुए आगे बढ़ रहा था। तभी उनकी गाड़ी के आगे चल रही एक कार को चला रही महिला ने अचानक ब्रेक लगा दिया। पूर्व सीएम की कार, जो उनके ठीक पीछे थी, उसे नियंत्रण खो दिया और एस्कॉर्ट से जा टकराई। गाड़ी का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त
हादसे के तुरंत बाद पूर्व सीएम को क्षतिग्रस्त फॉर्च्यूनर कार से निकालकर काफिले की दूसरी कार में बैठाया गया। गाड़ी का अगला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। सूचना मिलते ही एसपी यातायात राघवेंद्र मिश्रा ने हरीश रावत से फोन पर बात की, जिसमें पूर्व सीएम ने खुद के पूरी तरह स्वस्थ होने की पुष्टि की। एसएसपी डॉ. विपिन ताडा ने बताया- एस्कॉर्ट की गाड़ी के अचानक ब्रेक लगाने से यह टक्कर हुई। पूर्व मुख्यमंत्री पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। उन्हें एस्कार्ट के साथ सुरक्षित देहरादून के लिए निकाला गया है। क्षतिग्रस्त कार को परतापुर पुलिस की मदद से टोयटा की एजेंसी में खड़ा करा दिया गया है। ——————— ये खबर भी पढ़ें…
फर्रुखाबाद की ऑयल फैक्ट्री में भीषण आग:25 मीटर ऊंची लपटें, सिलेंडरों में हो रहा ब्लास्ट; टैंक में है 3 हजार लीटर डीजल फर्रुखाबाद में एक ऑयल फैक्ट्री में शनिवार देर शाम भीषण आग लग गई। कुछ की पल में आग ने विकराल रूप ले लिया। आग की सूचना मिलते ही क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। फैक्ट्री के आस-पास रहने वाले अपना घर छोड़कर भागे। पढ़ें पूरी खबर…

राजा भैया ने खरीदी ढाई करोड़ की कार:यूपी की पहली रेंज रोवर डिफेंडर भी काफिले में; हर गाड़ी का नंबर 1 है

राजा भैया ने खरीदी ढाई करोड़ की कार:यूपी की पहली रेंज रोवर डिफेंडर भी काफिले में; हर गाड़ी का नंबर 1 है रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ने 4 सीटर Lexus LM350h लग्जरी गाड़ी खरीदी है। इस गाड़ी की कीमत है, ₹2.15 करोड़ से शुरू होती है, जो 7-सीटर VIP वेरिएंट के लिए है। वहीं, 4-सीटर अल्ट्रा लग्जरी वेरिएंट की एक्स-शोरूम कीमत ₹2.69 करोड़ है। 16 अक्टूबर को खरीदी गई यह गाड़ी 4-सीटर अल्ट्रा लग्जरी वेरिएंट है। दरअसल, राजा भैया लग्जरी गाड़ियों के शौकीन हैं। उनकी कुंडा की हवेली से लेकर लखनऊ के बंगले तक में करोड़ों की कीमत की गाड़ियां खड़ी हैं। इसके साथ ही उन्हें गाड़ी के नंबर में भी खासी दिलचस्पी है। उनके काफिले की गाड़ियों का नंबर 0001 ही रहता है। इससे पहले पूर्वांचल के बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने भी लैंड क्रूजर और वेलफायर गाड़ियां खरीदी थीं। पहले जानिए लेक्सस के फीचर के बारे में लेक्‍सस के निर्माताओं की ओर से हाल में ही Lexus LM 350h को अपडेट किया गया है। इसमें कई बेहतरीन फीचर्स को ऑफर कर डिलीवरी भी शुरू कर दी गई है। इसमें E20-अनुरूप इंजन, रियर कंसोल पर पावर स्लाइडिंग डोर स्विच, ऑटो-डिमिंग ORVM जैसे फीचर्स शामिल हैं। इसमें काले या सफेद रंग के विकल्‍प के साथ सीटों को भी चुना जा सकता है। साथ ही इसमें 14 इंच का इंफोटेनमेंट सिस्‍टम, एपल कार प्‍ले, एंड्राइड ऑटो फ्रंट में दिया गया है। वहीं रियर में 48 इंच का बड़ा डिस्‍प्‍ले, 23 स्‍पीकर के साथ ऑडियो सिस्‍टम दिया गया है। इसके अलावा इसमें फोल्‍डेबल टेबल, वैनिटी मिरर, छोटा फ्रिज भी दिया गया है। लग्जरी गाड़ियों के शौकीन हैं राजा भैया
राजा भैया के पास पहले से रेंज रोवर आटोबायोग्राफी जैसी लग्जरी कार है। यह गाड़ी राजा भैया ने 2023 में खरीदी थी। इसकी जानकारी उन्होंने सोशल मीडिया पर दी थी। साल 2020 में भी उन्होंने करीब 3 करोड़ रुपए की रेंज रोवर डिंफेडर (Range Rover Defender) खरीदी थी। वह उस वक्त पूरे यूपी की पहली डिफेंडर गाड़ी थी। यह गाड़ी सिर्फ दिखने में ही नहीं, बल्कि फीचर्स के मामले में भी किसी शेर से कम नहीं। इसमें पी300, 2 लीटर टर्बोचार्ज इंजन दिया गया है, जो पेट्रोल और डीजल दोनों वेरिएंट्स में आता है। ऑल-टेरेन व्हीकल होने की वजह से इसे किसी भी रास्ते पर चलाया जा सकता है, चाहे हाईवे हो या पहाड़ी ट्रेल्स। इसके एडवांस फीचर्स और टेक्नोलॉजी के चलते ये गाड़ी 2020 में चर्चा का विषय बनी रही थी। कहा जाता है, राजा भैया ने जब इसे खरीदा था, तब यूपी में ऐसी गाड़ी किसी के पास नहीं थी। राजा भैया के काफिले में कई गाड़ियां शामिल
राजा भैया के काफिले में 35 लाख से लेकर ढाई करोड़ तक की गाड़ियां शामिल हैं। टोयोटा की लैंड क्रूजर, लैंड रोवर डिफेंडर, मर्सिडीज, दो फॉरच्यूनर और जीप की रैंगलर गाड़ी राजा भैया के पास है। लैंड क्रूजर और लैंड रोवर को कई बार खुद राजा भैया खुद चलते दिखे हैं। इसी तरह राजा भैया की गाड़ियों की सीरीज में बाइक भी देखने को मिलती है। इनमें बुलेट और जावा की बाइक शामिल हैं। राजा भैया को गाड़ियों के नंबर का भी शौक है
अपने चुनावी हलफनामे में राजा भैया ने बताया कि उनके पास टोयोटा की जो कार है, उसका नंबर भी 0001 है। कार के साथ ही राजा भैया की बाइक के नंबर में भी 0001 है। प्रतापगढ़ में राजा भैया की गाड़ियों के नंबर से ही लोग पहचान जाते हैं कि ये किसकी कार है? राजा भैया को हथियारों का भी शौक, पत्नी ने लगाए थे आरोप
राजा भैया की पत्नी भानवी सिंह ने 3 जून, 2025 को पीएमओ में लेटर दिया था। इसमें उन्होंने राजा भैया पर आरोप लगाया था कि उनके पास अवैध विदेशी हथियारों का जखीरा है। इसमें कुछ ऐसे हथियार हैं, जिनसे मास डिस्ट्रक्शन हो सकता है। मतलब- हमले में तमाम लोग मारे जा सकते हैं। राजा भैया के करीबी कुंवर अक्षय प्रताप सिंह उर्फ गोपाल जी ने इन सभी आरोपों को बेबुनियाद और फेक बताया था। 18 सितंबर को गोपाल जी के बयान के बाद भानवी सिंह ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर हथियारों की फोटो शेयर की और फिर कार्रवाई की मांग की थी। 24 सितंबर को भानवी ने बाहुबली विधायक के अवैध हथियारों के जखीरे का वीडियो शेयर किया था। उन्होंने हथियारों के साथ एक न्यूड लड़की की तस्वीर भी पोस्ट की थी। इसमें वह असलहे के साथ नजर आ रही है। भानवी ने X पर लिखा था- जब से मैंने पीएमओ और गृह मंत्रालय से शिकायत की, तब से मेरे चरित्र हनन के लिए पानी की तरह पैसा बहाया जा रहा था। इसके बाद दशहरे पर राजा भैया ने अपने हथियारों का प्रदर्शन भी किया था। बाहुबली नेता धनंजय सिंह ने खरीदी थी लैंड क्रूजर की 300 सीरीज
पूर्वांचल के बाहुबली नेता धनंजय सिंह की फ्लीट में दो अल्ट्रा लग्जरी गाड़ियां शामिल हुई हैं। दोनों गाड़ियों की कीमत पौने 4 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। धनंजय ने जो गाड़ियां खरीदीं, उनके नाम लैंड क्रूजर और वेलफायर हैं। धनंजय सिंह ने दोनों गाड़ियों को एक साथ खरीदा, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर जमकर चर्चा हो रही है। गाड़ियों के नंबर को लेकर भी धनंजय चर्चा में रहे हैं। टोयोटा लैंड क्रूजर 300 सीरीज भारत में हाल ही में लॉन्च हुई है। इस कार की कीमत करीब 2.50 करोड़ रुपए है। यह गाड़ी अपनी दमदार ऑफ-रोड क्षमताओं और बेहतरीन फीचर्स के लिए जानी जाती है। वहीं, टोयोटा वेलफायर एमपीवी की कीमत करीब 1.25 करोड़ रुपए है। ये हाइब्रिड टेक्नोलॉजी, डुअल सनरूफ और रियर सीटों पर ऑटोमन-स्टाइल कंफर्ट के साथ आती है। ——————————- ये खबर भी पढ़ें… बाहुबली धनंजय का भौकाल, 4 करोड़ की दो गाड़ियां खरीदीं, दबदबा दिखाने को काफिले में शामिल किया भौकाल हो तो बाहुबली धनंजय सिंह जैसा। एक साथ दो-दो नई गाड़ियां। पूर्वांचल के बाहुबली नेता धनंजय सिंह की फ्लीट में दो अल्ट्रा लग्जरी गाड़ियां शामिल हुईं। दोनों गाड़ियों की कीमत पौने 4 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है। धनंजय ने जो गाड़ियां खरीदी हैं, उनके नाम लैंड क्रूजर और वेलफायर हैं। पढ़िए पूरी खबर…

महिला स्टेनो कोर्ट की छठी मंजिल से कूदी, मौत:कानपुर में नाना बोले- धक्का देकर हत्या की, 4 महीने पहले नौकरी लगी थी

महिला स्टेनो कोर्ट की छठी मंजिल से कूदी, मौत:कानपुर में नाना बोले- धक्का देकर हत्या की, 4 महीने पहले नौकरी लगी थी कानपुर कोर्ट में छठी मंजिल से कूदकर महिला स्टेनो ने जान दे दी। महिला के गिरते ही कोर्ट परिसर में भगदड़ मच गई। पुलिसकर्मियों ने लहूलुहान हालत में जमीन पर पड़ी महिला को अस्पताल पहुंचाया।जहां इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया। बताया जा रहा है कि महिला किसी मामले की पैरवी को लेकर लंबे समय से परेशान चल रही थी। इसी के चलते उसने यह कदम उठाया। मृतका के नाना ने कोर्ट के कर्मचारियों पर हैरेसमेंट का आरोप लगाया। उनका कहना है कि 4 महीने पहले ही नातिन की नौकरी लगी थी। उसने अपनी मां को कॉल करके सब बताया था। नाना के मुताबिक, उनकी नातिन ने सुसाइड नहीं किया। छठी मंजिल से फेंककर उसकी हत्या की गई है। पूरे मामले की जांच होनी चाहिए। सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस और फोरेंसिक टीम ने मौके पर जांच की। इसके बाद शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवा दिया। पहले देखिए 3 तस्वीरें… अब पूरा मामला पढ़िए घाटमपुर के कोटरा मकरंदपुर निवासी नेहा संखवार (30) कानपुर के सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में स्टेनो थी। नेहा बर्रा बाईपास स्थित शनिदेव मंदिर के पास किराए पर रहती थी। रोज की तरह शनिवार को भी वह कोर्ट में आई थी। दोपहर करीब 2.30 बजे कोर्ट की छठवीं मंजिल से कूदकर उसने जान दे दी। मामले की जानकारी मिलते ही कोर्ट परिसर में अफरा-तफरी मच गई। स्टेनो को उर्सला अस्पताल भेजा गया। सूचना पर कोतवाली थाने की पुलिस और फोरेंसिक टीम के साथ ही पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल, डीसीपी ईस्ट सत्यजीत गुप्ता मौके पर पहुंचे। घटनास्थल की जांच पड़ताल की। ‘मेरी नातिन कूदी नहीं, उसे फेका गया’
परिजनों में सबसे पहले युवती के नाना जय प्रकाश संखवार मौके पर पहुंचे। नाना ने बताया- मेरी नातिन नेहा ने हैरसमेंट के चलते ये कदम उठाया है। मेरी नातिन कूदी नहीं, उसे फेका गया है। हमें बताया कि एक्सीडेंट हुआ है, कोर्ट में कहां एक्सीडेंट हो जाएगा। हम उर्सला देखने आए तो यहां पर नातिन का शव मिला है। फिलहाल पूरे मामले में पुलिस कमिश्नर रघुवीर लाल ने जांच का आदेश दिया है। मौत की खबर सुनते ही मां बेहोश
नेहा के पिता गोविंद प्रसाद फतेहपुर में कानूनगो हैं। जबकि भाई भानु प्रताप दरोगा है। मौजूदा समय में भाई भानु की तैनाती इटावा में है। जबकि छोटी बहन निशा अभी तैयारी कर रही है। मामले की जानकारी मिलते ही कोहराम मच गया। जो जहां पर था वहां से कानपुर के लिए रवाना हो गया। मां मनोज बेटी की मौत की खबर सुनते ही बेहोश हो गईं। जबकि भाई भानु और बहन निशा भी रो-रो कर बेहाल हो गईं। पुलिस आयुक्त रघुबीर लाल ने बताया- घटना की सूचना पर पुलिस और फोरेंसिक टीम मौके पहुंची, जांच-पड़ताल जारी है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, मृतका कानपुर की रहने वाली थी और सिविल जज (सीनियर डिवीजन) न्यायालय में स्टेनोग्राफर के पद पर कार्यरत थी। आज महिला ने छठी मंजिल पर जाकर छलांग लगा दी, जिससे उसकी मौत हो गई। परिजन मौके पर पहुंच गए हैं। छलांग लगाने की घटना के कारणों का अभी तक स्पष्ट पता नहीं चल सका है, पुलिस द्वारा आवश्यक जांच-पड़ताल और कानूनी कार्रवाई की जा रही है। —————— ये खबर भी पढ़ें… सपा नेता की सगाई पर हंगामा, पद से हटाया:मेरठ में महिला बोली- 4 साल शोषण किया, अब छिपकर शादी कर रहा मेरठ में सपा युवजन सभा के जिलाध्यक्ष दीपक गिरी को पार्टी ने पद से हटा दिया। दीपक की दो दिन पहले यानी 15 अक्टूबर को कांग्रेस नेत्री पूनम पंडित के साथ सगाई हुई थी। दीपक ने सगाई की तस्वीरें अपने सोशल मीडिया में पोस्ट की थी। पढे़ं पूरी खबर

बांके बिहारी का खजाना 54 साल बाद खोला गया:3 कलश और खाली बक्से मिले, दम घुटने से बाहर निकले पुजारी

बांके बिहारी का खजाना 54 साल बाद खोला गया:3 कलश और खाली बक्से मिले, दम घुटने से बाहर निकले पुजारी वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर का खजाना शनिवार को 54 साल बाद खोला गया। ये खजाना 160 साल पुराना है। अभी तक की सर्चिंग में टीम को 2 बक्से (एक लोहे और दूसरा लकड़ी का) और 3 कलश मिले हैं। लकड़ी के बक्से के अंदर ज्वेलरी के छोटे-बड़े कई खाली डिब्बे मिले। 4-5 ताले भी निकले हैं। बक्से में 2 फरवरी, 1970 का लिखा हुआ एक पत्र और एक चांदी का छोटा छत्र भी मिला। वहीं, खजाने तक पहुंचने के लिए गेट में एंट्री करने से पहले दिनेश गोस्वामी ने दीपक जलाया। अफसरों की मौजूदगी में दरवाजे को ग्राइंडर से काटा गया। इसके बाद खजाने की पहचान के लिए तय कमेटी के सारे मेंबर एक-एक करके अंदर गए। कमेटी में सिविल जज, सिटी मजिस्ट्रेट, एसपी सिटी, सीओ वृंदावन, सीओ सदर और चारों गोस्वामी शामिल रहे। सभी ने मास्क लगाकर एंट्री की। कमेटी के सदस्य दिनेश गोस्वामी ने बताया- अभी किसी को भी नहीं पता कि खजाने का असली दरवाजा कहां है? हमने सुना था कि दरवाजा फर्श के अंदर है। उसके ऊपर एक पत्थर रखा हुआ है। वो अभी किसी को नहीं मिला है। धूल से हमारी हालत खराब हो गई, इसलिए हम बाहर आ गए। अंदर इतनी ज्यादा मिट्टी है। जैसे किसी ने जानबूझकर भरा हो। पहले दिन की सर्चिंग पूरी होने के बाद सीओ सदर संदीप कुमार सिंह ने बताया- अंदर जो चीजें मिली हैं। उनकी लिस्टिंग कर ली गई है। अभी जो सामान जहां था, वहीं पर रखा हुआ है। खजाने के लिए दोबारा कब गेट खोला जाएगा, यह समिति की मीटिंग के बाद तय होगा। अब 3 तस्वीरें देखिए… गर्भगृह के पास बने जिस कमरे में खजाना रखा था, उसके अंदर सांप-बिच्छू होने की आशंका जताई गई थी। इसलिए वन विभाग की टीम स्नैक कैचर लेकर पहुंची थी। टीम की सर्चिंग के दौरान 2 सांप के बच्चे भी मिले। बांके बिहारी का खजाना खोलने का निर्णय 29 सितंबर को लिया गया था। 17 अक्टूबर को कमेटी के सचिव और डीएम चंद्र प्रकाश सिंह ने खजाना खोलने का आदेश जारी किया था। खजाना खोले जाने से जुड़े पल-पल अपडेट के लिए LIVE ब्लॉग से गुजर जाइए…