7 साल, 30 आंदोलन…हमेशा निराश शिक्षक लौटे अभ्यर्थी:बोले- चाहे जितनी परीक्षा लो, भर्ती करो, दावा-1.83 लाख पद खाली ‘2019 में हमारा डीएलएड पूरा हुआ। इसके बाद टेट-सीटेट भी पास कर लिया। प्राइमरी-अपर प्राइमरी दोनों के लिए एलिजिबल हूं। लेकिन, 7 साल से भर्ती ही नहीं आई। एक टाइम के बाद लगता है कि हमें आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए। कब तक मां-बाप पर निर्भर रहेंगे? अब तो घर से पैसा मांगने में भी शर्म आती है। सरकार भर्ती निकाले, चाहे जितने एग्जाम करवाना हो करवाए और फिर हमारी भर्ती कर ले।’ जौनपुर की अंतिमा विश्वकर्मा इतना कहने के बाद सरकार और अधिकारियों को कोसने लगती हैं। वह प्रयागराज में यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग के बाहर धरने पर बैठी हैं। उन्हीं की तरह 500 से ज्यादा युवा शिक्षक भर्ती को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। यह पहला आंदोलन नहीं है। पिछले 7 साल में 30 से ज्यादा बार आंदोलन हो चुका है। कभी युवा निराश होकर लौट जाते हैं, तो कभी आश्वासन पाकर कि भर्ती आने वाली है। 28 मई से धरना चल रहा। युवाओं का कहना है कि अबकी लड़ाई आर-पार की है। जब तक भर्ती का विज्ञापन जारी नहीं होता, वापस नहीं जाएंगे। दैनिक भास्कर की टीम युवाओं के बीच पहुंची। उनसे बात की। सरकारी आंकड़े निकाले। खाली पदों के बारे में जानकारी हासिल की। शिक्षक भर्ती का ऐलान, फिर ट्वीट डिलीट से शुरू हुई सियासत
21 मई, 2025 को यूपी सरकार के सोशल मीडिया X हैंडल से सुबह-सुबह एक ट्वीट किया गया। इसमें लिखा गया- प्रदेश सरकार जल्द ही शिक्षकों के 1.93 लाख पदों पर भर्ती करने जा रही है। यह भर्ती तीन चरणों में होगी। हर चरण में करीब 65 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी। इस संबंध में दिल्ली में केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के साथ हुई प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक में वार्षिक कार्य योजना पेश की।’ इस ट्वीट के बाद युवा उत्साह से भर गए। लेकिन, उनका यह उत्साह दोपहर 1 बजे खत्म हो गया। सरकार का यह ट्वीट डिलीट हो गया। भर्ती की बात खारिज कर दी गई। विपक्ष ने इसे मुद्दा बनाया। शिक्षक अभ्यर्थी युवाओं ने आंदोलन शुरू कर दिया। 28 मई से प्रयागराज के एलनगंज में शिक्षा निदेशालय के बाहर धरने पर बैठ गए। इसी आंदोलन में शामिल गोरखपुर के प्रमोद मौर्य कहते हैं- 2019 में मैंने डीएलएड पूरा कर लिया। 2021 में टेट भी पास हो गया। इसके बाद भर्ती के लिए हमारा संघर्ष शुरू हुआ। प्रयागराज से लखनऊ तक अब तक 30 से 40 बार आंदोलन कर चुके हैं। उस दिन 1.93 लाख शिक्षक भर्ती का ट्वीट देखा तो साथियों के साथ सीधा आयोग आया था। लेकिन, तब तक पता चला कि ट्वीट ही डिलीट कर दिया गया। प्रमोद कहते हैं- यह हमारा आखिरी आंदोलन है। हम लोग मर मिटेंगे, लेकिन हटेंगे नहीं। हमारे पास खोने को कुछ नहीं है। हम गरीब वर्ग से हैं। गेहूं बेचकर पैसा लाते हैं, हमारे पिता मजदूरी करके पैसा देते हैं। 30 से ज्यादा बार आंदोलन, हर बार निराशा
प्रयागराज में शिक्षक भर्ती आंदोलन का प्रतिनिधित्व डीएलएड (डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजुकेशन) मोर्चा के अध्यक्ष रजत सिंह कर रहे हैं। रजत कहते हैं- पिछले 7 साल में हमने प्रयागराज, लखनऊ और अन्य जिलों में 100 से ज्यादा बार प्रदर्शन किया। इसमें पोस्टर अभियान चलाया, सोशल मीडिया अभियान शुरू किया। साथियों के साथ मुंडन करवाया, जल सत्याग्रह किया। कान पकड़कर मुर्गा बना, लेकिन भर्ती नहीं आई। इस बार हमारे पास उम्मीद है, तथ्य है। पीएबी (प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड) की रिपोर्ट है। रजत इस रिपोर्ट को लेकर कहते हैं- इस रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 1 लाख 81 हजार 276 पद खाली हैं। इस रिपोर्ट को तैयार करने में बेसिक शिक्षा विभाग के अफसर ही रहे। इन लोगों ने सोचा कि इसे बाद में बताया जाएगा, इसका चुनावी फायदा लिया जाएगा, लेकिन उसके पहले ही यह सामने आ गई। डीएलएड मोर्चा के उपाध्यक्ष विशु यादव कहते हैं- हर साल हम 3 से 4 बार बड़ा आंदोलन करते हैं। इस तरह से 7 साल में 30 बार से ज्यादा आंदोलन कर चुके हैं। हर बार निराश होकर घर जाते हैं। हम लोगों के माता-पिता बूढ़े हो रहे हैं। हम बेरोजगार हैं, इसलिए शादी भी नहीं कर रहे। आखिर पत्नी का खर्च कैसे संभालेंगे? हमारे ही जैसे पूरे प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा युवा बीटीसी, डीएलएड, टेट और सीटेट पास हैं। सरकार ने कोर्ट में बताया कि पद खाली हैं
2019 में यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में बताया था कि शिक्षकों के 51 हजार 112 पद खाली हैं। अयोध्या के अवनीश कहते हैं- 2019 से कोई भर्ती नहीं हुई। हर साल 10 हजार टीचर रिटायर हो रहे। 27 हजार 713 पद अलग से खाली हैं। अगर सभी को जोड़ दें, तो डेढ़ लाख पद होते हैं। अमेठी की ऋतिका मिश्रा भी बिहार के मुद्दे को उठाती हैं। वह कहती हैं- 2019 में मेरा डीएलएड पूरा हो गया था। पिछले 6 महीने से प्रयागराज में आकर तैयारी कर रही हूं। घर रायबरेली और ससुराल अमेठी में है। हमारे घर में लड़कियों को इतना पढ़ाया नहीं जाता। हमने तो किसी तरह से कमाई करके खुद पढ़ाई कर ली है। अब भर्ती देना चाहिए। ऋतिका के बगल बैठी जौनपुर की अंतिमा विश्वकर्मा कहती हैं- 2019 में हमारा डीएलएड पूरा हो गया। टेट-सीटेट भी पास कर लिया। एक टाइम के बाद लगता है कि अब आत्मनिर्भर हो जाना चाहिए। कब तक मां-बाप पर निर्भर रहेंगे? लेकिन, भर्ती नहीं आने से हम आज भी उन्हीं के ऊपर निर्भर हैं। सरकार कहती है कि योग्य शिक्षक नहीं मिल रहे। यूपी में शिक्षकों के कितने पद खाली?
प्रदेश में शिक्षकों के कुल कितने पद खाली हैं, इसके अलग-अलग डेटा मौजूद हैं। अगर मौजूदा केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड (PAB) की मानें, तो 1.83 लाख पद खाली हैं। चूंकि यह रिपोर्ट अभी पब्लिक में नहीं आई है, तो हम शिक्षा मंत्री के बयान को ले सकते हैं। पिछले साल 6 फरवरी को शिक्षा मंत्री संदीप सिंह से सदन में शिक्षकों के कुल पद और खाली पदों को लेकर सवाल पूछा गया था। उस वक्त शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया था, ‘इस वक्त बेसिक में 30 छात्र पर एक टीचर तय है, अपर प्राइमरी में 35 छात्रों पर एक टीचर तय है। इस अनुपात को हम लोग बराबर कर रखे हुए हैं। अनुपात बराबर है तो पठन-पाठन के काम में कोई दिक्कत नहीं आ रही। प्रदेश में प्रधानाचार्य और सहायक अध्यापकों के कुल 85 हजार 152 पद खाली हैं। लेकिन, शिक्षामित्रों और अनुदेशकों के जरिए छात्र-शिक्षक अनुपात को पूरा किया जा रहा है। इससे पढ़ाई-लिखाई में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं आ रही।’ 2022 से सदन की हर कार्रवाई में शिक्षक भर्ती से जुड़ा सवाल पूछा जाता रहा है। शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने हर बार शिक्षक-छात्र अनुपात के बराबर होने की बात कही। 19 से 23 दिसंबर, 2022 को मानसून सत्र चला था। कुल शिक्षकों की संख्या पर सवाल पूछा गया तो शिक्षा मंत्री ने कहा- इस वक्त 6 लाख 28 जार 915 शिक्षक हैं। अजीब यह है कि 6 फरवरी, 2024 को जब सदन में फिर कुल टीचर्स की संख्या के बारे में बात हुई, तो उनका जवाब यही नंबर था- 6 लाख 28 हजार, 915 शिक्षक। अब सवाल है कि क्या एक साल के दौरान किसी टीचर का रिटायरमेंट नहीं हुआ? 2021 में भर्ती का ऐलान, लेकिन पूरी नहीं हुई
2022 की जनवरी में यूपी विधानसभा चुनाव की घोषणा होनी थी। दिसंबर, 2021 के आखिरी सप्ताह में उस वक्त के शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने 17 हजार पदों पर भर्ती का ऐलान किया। विज्ञापन जारी हो गया। इसमें 6800 सीटें 69 हजार शिक्षक भर्ती में हुई आरक्षण की अनियमितता के चलते दी गई थीं। चुनाव की घोषणा के बाद इसकी चर्चा थम गई। चुनाव हुआ, बीजेपी की दोबारा सरकार बनी। लेकिन, इस भर्ती का कहीं कोई जिक्र नहीं हुआ। अगर भर्ती नहीं देनी, तो डीएलएड क्यों करवा रहे
आंदोलन में शामिल पंकज पांडेय कहते हैं- 5 दिन से हम लगातार धरने में आ रहे हैं। मैंने खुद बीएड किया है। प्राइमरी की नौकरी से बाहर हूं, लेकिन युवाओं के साथ खड़ा हूं। अब अगर 7-7 साल से भर्ती नहीं देना है, तो फिर डीएलएड बंद करवा दीजिए। क्योंकि इसे करने से कोई और विकल्प तो होता नहीं, फिर क्यों करवाया जा रहा। सरकार अनुपात-समानुपात के लिए जिन्हें जोड़ती है, उन्हें सैलरी देने के वक्त टीचर नहीं मानती। ऐसे कैसे चलेगा। 2027 में यह युवा इस सरकार का अनुपात-समानुपात सही करेगा। अब सवाल है कि हर साल कितने युवा डीएलएड कर रहे? असल में यूपी में डीएलएड की कुल सीट 2 लाख 42 हजार हैं। इसमें 10 हजार युवाओं का सिलेक्शन सरकारी कॉलेज में होता है। वो वहां ट्रेनिंग लेते हैं। बाकी के 2 लाख 32 हजार अभ्यर्थी प्राइवेट संस्थानों से डीएलएड करते हैं। यहां पर इसकी सालाना फीस 50 से 60 हजार रुपए के बीच होती है। इस कोर्स को करने के बाद सरकारी नौकरी के रूप में सिर्फ बेसिक शिक्षा विभाग में ही मौका होता है। पिछले 7 साल का ही डेटा देखा जाए तो 14 लाख से ज्यादा अभ्यर्थी डीएलएड प्रशिक्षित हो चुके हैं। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद एलिजिबिलिटी टेस्ट यानी टेट पास करना होता है। यूपी में टेट पास अभ्यर्थियों की कुल संख्या 20 लाख पहुंच गई है। इसमें 5 लाख से ज्यादा बीएड अभ्यर्थी हैं, जो अब बेसिक शिक्षा विभाग में टीचर बनने के एलिजिबल नहीं हैं। —————————- ये खबर भी पढ़ें… यूपी DGP राजीव कृष्ण और IRS मीनाक्षी सिंह की लवस्टोरी, बरेली में पहली बार मिले, एक जैसी सोच ने बनाया वो साल 1991 था, जब 22 साल की उम्र में राजीव कृष्ण ने UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) की कठिन परीक्षा को पहली बार में ही पास कर लिया और भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में चयनित हो गए। उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर मिला। उनकी यात्रा शुरू हुई, मुरादाबाद पुलिस ट्रेनिंग सेंटर से, जहां उन्होंने अपनी प्रारंभिक ट्रेनिंग पूरी की। 1992 में उनकी पहली तैनाती प्रयागराज में हुई, इसके बाद वे हैदराबाद ट्रेनिंग पर चले गए। अक्टूबर, 1993 में ट्रेनिंग से लौटे तो उन्हें बतौर ASP पोस्टिंग बरेली जिले में मिली। यहां से उनकी जिंदगी का एक नया अध्याय शुरू होने वाला था। पढ़ें पूरी खबर