हिमाचल प्रदेश के उपचुनाव में चार सीटों पर बागी कांग्रेस विधायकों की बगावत का जनता ने करारा जवाब दिया है। बागियों के खिलाफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आक्रामक अभियान ने छह में से चार पूर्व विधायकों को घर भेज दिया है। इससे कांग्रेस सरकार पर आया राजनीतिक संकट टल गया है। अब कांग्रेस का अगला लक्ष्य तीन निर्दलीय पूर्व विधायकों की सीटों पर होने वाले उपचुनाव को जीतना है। कुटलैहड़ की जनता ने दिसंबर 2022 में देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट में चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति में रवि ठाकुर, बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल, धर्मशाला में सुधीर शर्मा और सुजानपुर में राजेंद्र राणा को पांच साल के लिए विधानसभा में भेजा है। इसके महज 15 महीने बाद ही उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी। राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ वोट दिया और सरकार गिराने के लिए विपक्ष का साथ दिया। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। बागी विधायक की जमानत तक जब्त अब राजेंद्र राणा जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए। यही नहीं लाहौल स्पीति में कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक रवि ठाकुर की बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जमानत तक जब्त हो गई। गगरेट में पिछला चुनाव 15 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले चैतन्य शर्मा भी इस बार 7000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए। धर्मशाला में सुधीर शर्मा और बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल को जरूर जनता से दोबारा से मौका दिया है। “ऑपरेशन लोटस’ कामयाब नहीं होगा बेशक, लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस की करारी हार हुई है। मगर विधानसभा की चार सीटें जीतने के बाद तय है कि हिमाचल में “ऑपरेशन लोटस’ कामयाब नहीं होगा। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी चार जून को हिमाचल में सरकार बनाने का दावा किया था। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तो लंबे समय से यही बात कह रहे थे। मगर उप चुनाव की जीत से कांग्रेस सरकार को संजीवनी मिली है। इससे कांग्रेस आने वाले दिनों में तीन ओर सीटों पर उप चुनाव को ज्यादा मजबूती से लड़ेगी। विधानसभा में दलीय स्थिति हिमाचल में विधानसभा सदस्यों की संख्या 68 है। छह सीटों पर पिछले कल ही विधानसभा उप चुनाव हो गया है। इनकी शपथ के बाद 65 विधायक हो जाएंगे। बहुमत के लिए कांग्रेस को 33 चाहिए, जबकि कांग्रेस के पास तीन की शपथ के साथ ही बहुमत से ज्यादा यानी 38 विधायक हो जाएंगे। नालागढ़, देहरा और हमीरपुर में 3 उप चुनाव तय है। कांग्रेस इन चुनाव को जीतकर विधायकों की संख्या 41 पहुंचाकर मजबूती का संदेश देना चाहेगी। साल 2022 में जब कांग्रेस सरकार बनी थी तो उस दौरान कांग्रेस के 40 विधायक जीते थे। क्या बीजेपी तीनों निर्दलीय को टिकट देगी बता दें कि राज्यसभा चुनाव प्रकरण के बाद नालागढ़ के विधायक केएल ठाकुर, देहरा के विधायक होशियार सिंह और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने बीते 22 मार्च अपने पदों से इस्तीफा दिया। 23 मार्च को इन्होंने दिल्ली में बीजेपी जॉइन की। बीजेपी ने तब इन्हें पार्टी टिकट देने का भरोसा दिया। मगर तब इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होने की वजह से छह विधानसभा सीटों के सात उप चुनाव नहीं कराए जा सके। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि चार सीटों पर मिली हार को देखते हुए क्या बीजेपी इन्हें टिकट देगी। हिमाचल प्रदेश के उपचुनाव में चार सीटों पर बागी कांग्रेस विधायकों की बगावत का जनता ने करारा जवाब दिया है। बागियों के खिलाफ मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के आक्रामक अभियान ने छह में से चार पूर्व विधायकों को घर भेज दिया है। इससे कांग्रेस सरकार पर आया राजनीतिक संकट टल गया है। अब कांग्रेस का अगला लक्ष्य तीन निर्दलीय पूर्व विधायकों की सीटों पर होने वाले उपचुनाव को जीतना है। कुटलैहड़ की जनता ने दिसंबर 2022 में देवेंद्र कुमार भुट्टो, गगरेट में चैतन्य शर्मा, लाहौल स्पीति में रवि ठाकुर, बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल, धर्मशाला में सुधीर शर्मा और सुजानपुर में राजेंद्र राणा को पांच साल के लिए विधानसभा में भेजा है। इसके महज 15 महीने बाद ही उन्होंने पार्टी से बगावत कर दी। राज्यसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशी के खिलाफ वोट दिया और सरकार गिराने के लिए विपक्ष का साथ दिया। पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया। बागी विधायक की जमानत तक जब्त अब राजेंद्र राणा जैसे दिग्गज भी चुनाव हार गए। यही नहीं लाहौल स्पीति में कांग्रेस के पूर्व बागी विधायक रवि ठाकुर की बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए जमानत तक जब्त हो गई। गगरेट में पिछला चुनाव 15 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीतने वाले चैतन्य शर्मा भी इस बार 7000 से अधिक मतों के अंतर से हार गए। धर्मशाला में सुधीर शर्मा और बड़सर में इंद्रदत्त लखनपाल को जरूर जनता से दोबारा से मौका दिया है। “ऑपरेशन लोटस’ कामयाब नहीं होगा बेशक, लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस की करारी हार हुई है। मगर विधानसभा की चार सीटें जीतने के बाद तय है कि हिमाचल में “ऑपरेशन लोटस’ कामयाब नहीं होगा। चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने भी चार जून को हिमाचल में सरकार बनाने का दावा किया था। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर तो लंबे समय से यही बात कह रहे थे। मगर उप चुनाव की जीत से कांग्रेस सरकार को संजीवनी मिली है। इससे कांग्रेस आने वाले दिनों में तीन ओर सीटों पर उप चुनाव को ज्यादा मजबूती से लड़ेगी। विधानसभा में दलीय स्थिति हिमाचल में विधानसभा सदस्यों की संख्या 68 है। छह सीटों पर पिछले कल ही विधानसभा उप चुनाव हो गया है। इनकी शपथ के बाद 65 विधायक हो जाएंगे। बहुमत के लिए कांग्रेस को 33 चाहिए, जबकि कांग्रेस के पास तीन की शपथ के साथ ही बहुमत से ज्यादा यानी 38 विधायक हो जाएंगे। नालागढ़, देहरा और हमीरपुर में 3 उप चुनाव तय है। कांग्रेस इन चुनाव को जीतकर विधायकों की संख्या 41 पहुंचाकर मजबूती का संदेश देना चाहेगी। साल 2022 में जब कांग्रेस सरकार बनी थी तो उस दौरान कांग्रेस के 40 विधायक जीते थे। क्या बीजेपी तीनों निर्दलीय को टिकट देगी बता दें कि राज्यसभा चुनाव प्रकरण के बाद नालागढ़ के विधायक केएल ठाकुर, देहरा के विधायक होशियार सिंह और हमीरपुर के विधायक आशीष शर्मा ने बीते 22 मार्च अपने पदों से इस्तीफा दिया। 23 मार्च को इन्होंने दिल्ली में बीजेपी जॉइन की। बीजेपी ने तब इन्हें पार्टी टिकट देने का भरोसा दिया। मगर तब इनका इस्तीफा स्वीकार नहीं होने की वजह से छह विधानसभा सीटों के सात उप चुनाव नहीं कराए जा सके। ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि चार सीटों पर मिली हार को देखते हुए क्या बीजेपी इन्हें टिकट देगी। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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रक्षाबंधन पर बना रहीं हैं वेस्ट मैटेरियल से राखी:बांस की टोकरी और आचार बनाकर कमा लेती हैं 1 लाख
रक्षाबंधन पर बना रहीं हैं वेस्ट मैटेरियल से राखी:बांस की टोकरी और आचार बनाकर कमा लेती हैं 1 लाख हिमाचल प्रदेश की महिलाएं मेहनतकश हैं और पढ़ी-लिखी भी। प्रदेश सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वरोजगार से संबंधित योजनाओं से लाभ प्राप्त कर वे आत्मनिर्भर एवं सशक्त बनने की राह पर अग्रसर हैं। जिला मंडी के उपमंडल पधर की ग्राम पंचायत डलाह के गांव कोठी की महिलाएं वेस्ट से बेस्ट तैयार कर स्वावलंबन की नई इबारत लिख रही हैं।
स्वयं सहायता समूह के रूप में संगठित यह महिलाएं आचार, बांस से बनी टोकरी, किरडु के साथ ही आजकल राखी के त्योहार में घर के वेस्ट मैटेरियल से राखी बनाने का काम कर रही हैं। 13 साल पहले बनाई थीं संगठन समूह की सदस्य अंजली कुमारी, कामेश्वरी और कुसमा कहती हैं कि उन्होंने 2011 में समूह का गठन किया, जिसमें 9 सदस्य हैं। पहले वह केवल बचत ही करती थीं, लेकिन बाद में प्रदेश सरकार की तरफ से उन्हें 15 हजार रूपए का रिवाल्विंग फंड मिला और 2500 रूपए स्टार्टअप फंड भी मिला। इसके बाद ग्रुप की महिलाओं ने आय बढ़ाने के लिए छोटे-छोटे कार्य शुरू किए। हाथ से बनाती हैं टोकरी और किरडु समूह की महिलाओं ने मिलकर बांस से बने उत्पाद जैसे टोकरी, किरडु तथा खाने के लिए बड़ियां व अचार का उत्पादन शुरू किया। आजकल वह राखी के त्यौहार के लिए घर के वेस्ट मैटीरियल से राखी बना रहीं हैं। जिसे पधर में द्रंग ब्लॉक की तरफ से दी गई हिम ईरा शॉप में बिक्री के लिए रखा गया है। पधर के द्रंग ब्लॉक में राखी का स्टाल भी लगाई गईं हैं। छोटी शुरूआत से बढ़ रहीं आत्मनिर्भरता की ओर वह कहती हैं कि इन सभी उत्पादों से उन्हें सालाना लगभग 1 लाख रुपए तक की आमदनी हो जाती है, जिससे वह आत्मनिर्भर हो रही हैं। इसके लिए वह प्रदेश सरकार का धन्यवाद करती हैं, जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर सहायता प्रदान कर रही है। खंड विकास अधिकारी विनय चौहान ने कहा कि द्रंग ब्लॉक में 613 स्वयं सहायता समूह कार्य कर रहे हैं जिन्हें सरकार की तरफ से 15 हजार रूपए रिवाल्विंग फंड और 2500 रुपए स्टार्टअप फंड मिला है। सभी महिलाएं स्वयं समूहों के जरिए आत्मनिर्भर हो रही हैं।