हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के DC अमित शर्मा के लापता चल रहे पिता का बीती शाम को क्षत-विक्षत हालत में शव बरामद कर दिया गया है। उनके शव को जंगली जानवरों द्वारा नोचा हुआ लग रहा है। पुलिस के अनुसार, ऐसा लग रहा है कि भानी दास शर्मा की मौत गिरकर हुई है। भानी शर्मा के शव की परिजनों ने पहचान कर दी है। एसएचओ भरमौर ने इसकी पुष्टि की है। डीसी अमित शर्मा के 67 वर्षीय पिता भानी दास शर्मा बीते 10 सितंबर से धन्छो नामक जगह से लापता थे। वह सात सितंबर को अपने जान-पहचान के लोगों के साथ मणिमहेश यात्रा पर निकले थे। भानी दास की तलाश में चंबा जिला प्रशासन ने 10 दिन से सर्च अभियान चला रखा था। माउंटेनियरिंग संस्थान, NDRF, SDRF और पुलिस की टीमें तलाश करने में जुटी थी। मणिमहेश में डल झील से भरमौर तक, भरमौर से पंजाब की सीमा तक उनकी की गई। कार्तिक स्वामी टैंपल कुगती तक भी खोजा गया। मगर उनका शव बीते शुक्रवार को हड़सर के अढाई किलोमीटर नाले में मिला है। परिजनों ने की थी 2.50 की इनाम की घोषणा भानी शर्मा मूल रूप से धर्मशाला के साथ सटे सुधेढ़ गांव के रहने वाले थे। उनके परिजनों ने उनकी सूचना देने वालों को नगद इनाम की भी घोषणा की थी और कहा था कि जो भी व्यक्ति भानी शर्मा की जानकारी देगा, उन्हें 2.50 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा। इस बीच दो दिन पहले खबर आई कि अमृतसर में भानी शर्मा का बैग और मोबाइल मिला है। पुलिस के अनुसार, यह खबर सही नहीं थी। अब हड़सर के साथ शव मिलने के बाद यह खबर गलत साबित हुई है। हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिला के DC अमित शर्मा के लापता चल रहे पिता का बीती शाम को क्षत-विक्षत हालत में शव बरामद कर दिया गया है। उनके शव को जंगली जानवरों द्वारा नोचा हुआ लग रहा है। पुलिस के अनुसार, ऐसा लग रहा है कि भानी दास शर्मा की मौत गिरकर हुई है। भानी शर्मा के शव की परिजनों ने पहचान कर दी है। एसएचओ भरमौर ने इसकी पुष्टि की है। डीसी अमित शर्मा के 67 वर्षीय पिता भानी दास शर्मा बीते 10 सितंबर से धन्छो नामक जगह से लापता थे। वह सात सितंबर को अपने जान-पहचान के लोगों के साथ मणिमहेश यात्रा पर निकले थे। भानी दास की तलाश में चंबा जिला प्रशासन ने 10 दिन से सर्च अभियान चला रखा था। माउंटेनियरिंग संस्थान, NDRF, SDRF और पुलिस की टीमें तलाश करने में जुटी थी। मणिमहेश में डल झील से भरमौर तक, भरमौर से पंजाब की सीमा तक उनकी की गई। कार्तिक स्वामी टैंपल कुगती तक भी खोजा गया। मगर उनका शव बीते शुक्रवार को हड़सर के अढाई किलोमीटर नाले में मिला है। परिजनों ने की थी 2.50 की इनाम की घोषणा भानी शर्मा मूल रूप से धर्मशाला के साथ सटे सुधेढ़ गांव के रहने वाले थे। उनके परिजनों ने उनकी सूचना देने वालों को नगद इनाम की भी घोषणा की थी और कहा था कि जो भी व्यक्ति भानी शर्मा की जानकारी देगा, उन्हें 2.50 लाख रुपए इनाम दिया जाएगा। इस बीच दो दिन पहले खबर आई कि अमृतसर में भानी शर्मा का बैग और मोबाइल मिला है। पुलिस के अनुसार, यह खबर सही नहीं थी। अब हड़सर के साथ शव मिलने के बाद यह खबर गलत साबित हुई है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।
हिमाचल में 9वें दिन भी 42 लोगों का सुराग नहीं:8 शवों की शिनाख्त होनी बाकी; डीएनए से होगी पहचान, 40 के सैंपल लिए गए
हिमाचल में 9वें दिन भी 42 लोगों का सुराग नहीं:8 शवों की शिनाख्त होनी बाकी; डीएनए से होगी पहचान, 40 के सैंपल लिए गए हिमाचल प्रदेश में 9 दिन बाद भी 42 लापता लोगों सुराग नहीं लग पाया है। शिमला जिला के रामपुर के समेज, कुल्लू के निरमंड के बागीपुल व सिंघगाड़ और मंडी की चौहारघाटी में लापता लोगों का तलाश में रेस्क्यू जारी है। रामपुर के समेज से सुन्नी के कोड डैम तक चल रहे सर्च ऑपरेशन के दौरान 9 दिन में 10 शव बरामद हुए है। इनमें से अभी दो की ही पहचान हो पाई है। हालांकि दो दिन पहले तीसरे लापता इंजीनियर सिद्धार्थ की पहचान का रिश्तेदारों ने दावा किया था। मगर बीती को शाम को सिद्धार्थ के पिता ने जब शव देखा तो उन्होंने कहा ये उनका बेटा नहीं है। अन्य शवों की पहचान के लिए पुलिस 40 से ज्यादा लोगों के डीएनए सैंपल ले चुकी है। रामपुर के समेज से कुल 36 लोग लापता हुए थे। यहां कुछ शव जरूर मिले है, लेकिन सबकी पहचान नहीं हो सकी। इस लिहाज से 34 व्यक्ति अभी भी लापता है। मंडी की चौहारघाटी के राजबन गांव में भी 11 लोग मलबे में दब गए थे। एक को जिंदा निकाला गया, जबकि 9 लोगों के शव बरामद कर लिए गए है। राजबन में अभी भी 1 युवक लापता है। बागीपुल में 5 लोगों का अभी भी सुराग नहीं कुल्लू के निरमंड के बागीपुल में 31 जुलाई की आधी रात को कुर्पण खड्ड में आए सैलान से 7 लोग बाढ़ में बह गए थे। इनमें से 2 के शव मिल गए है, जबकि 5 अभी भी लापता है। श्रीखंड के पहले पड़ाव सिंघगाड़ से भी 2 व्यक्ति लापता है। इनका भी अब तक सुराग नहीं लग पाया है। 300 जवान रेस्क्यू में जुटे लापता लोगों की तलाश में सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस, होमगार्ड के 300 से ज्यादा जवान लगे हुए हैं। अब तक रेस्क्यू दल का ज्यादा फोकस समेज क्षेत्र था। मगर बीते एक सप्ताह के दौरान ज्यादातर शव कोड डैम और सतलुज नदी के किनारे मिले है। लिहाजा रेस्क्यू दल अब सतलुज नदी के तटों और कोल डैम में तलाश कर रहा है। बीच बीच में हो रही बारिश सर्च ऑपरेशन में बाधा उत्पन्न कर रही है। अब सतलुज किनारे सर्च ऑपरेशन पर जोर: डीसी डीसी शिमला अनुपंम कश्यप ने बताया कि समेज में लगभग 95 प्रतिशत क्षेत्र की खुदाई कर दी गई है। इस दौरान कुछ सामान जरूर मिला है। मगर लापता व्यक्ति यहां नहीं मिल पाए। उन्होंने बताया कि अब तक जो शव मिले है, उनमें ज्यादा कोल डैम में बरामद किए गए। प्रदेश में 42 लोग अभी भी लापता 6 दिन से सर्च ऑपरेशन के बाद समेज में 34, चौहारघाटी में 1, कुल्लू के बाघीपुल में 5 और श्रीखंड के सिंघगाड़ से 2 व्यक्ति अभी भी लापता है। प्रदेश में कुल मिलाकर 42 लोगों का अभी भी सुराग नहीं लग पाया है। अब तक कहां कितने शव मिले मंडी की चौहारघाटी में 9 शव मिले है। कुल्लू के बागीपुल में 2 शव मिले है, यहां पर भी अभी 5 लोग लापता है। समेज में 36 लोग लापता थे। इनमें से 2 के शवों की पहचान और अंतिम संस्कार कर दिया गया है। ग्रामीणों की संतुष्ट तक जारी रहेगा सर्च ऑपरेशन सर्च ऑपरेशन में करीब डेढ़ सौ से अधिक सदस्य व आठ मशीनें मौके पर खोजबीन में जुटी हुई है। समेज में जारी सर्च ऑपरेशन के तहत अभी तक सभी संभव स्थानों पर हर तकनीक के माध्यम से लापता लोगों की खोज की जा चुकी है, लेकिन असफल रहे। अब समेज में हुई घटना के शवों के सुन्नी में मिलने से अंदाजा लगाया जा सकता है की उस दिन किस वेग के साथ पानी ने मार की होगी। बहरहाल जब तक स्थानीय ग्रामीण संतुष्ट नहीं हो जाते तब तक समेज में घटनास्थल पर सर्च ऑपरेशन जारी रहेगा।
हिमाचल में मानसून फिर पकड़ेगा रफ्तार:10 जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट, 5 में फ्लैश फ्लड की संभावना
हिमाचल में मानसून फिर पकड़ेगा रफ्तार:10 जिलों में भारी बारिश का येलो अलर्ट, 5 में फ्लैश फ्लड की संभावना हिमाचल प्रदेश में मानसून एक बार रफ्तार पकड़ने वाला है। मौसम विज्ञान केंद्र ने आगामी 2 दिनों तक प्रदेश के 10 जिलों के लिए भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। इस दौरान प्रदेश के 5 जिलों में अचानक बाढ़ आने की संभावना जताई है। मौसम विज्ञान केंद्र का पूर्वानुमान है कि प्रदेश के निम्म और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में अधिकतम स्थानों पर बारिश हो सकती है। प्रदेश के 10 जिलों में बारिश का येलो अलर्ट मौसम विज्ञान केंद्र शिमला द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में आगामी दो दिनों तक के 10 जिलों में बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। ऊंचाई वाले किन्नौर और लाहौल स्पीति को छोड़कर प्रदेश के बाकी सभी जिलों में बारिश होने की संभावना जताई है। IMD का पूर्वानुमान है कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, सोलन, शिमला, मंडी, कुल्लू, कांगड़ा, चंबा, हमीरपुर, ऊना और बिलासपुर के निम्न व मध्यम गति की बारिश हो सकती है। कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी देखने को मिल सकती है । 5 जिलों में फ्लैश फ्लड की संभावना मौसम विज्ञान केंद्र ने पूर्वानुमान लगाया है कि भारी बारिश के कारण प्रदेश के 5 जिलों में फ्लैश फ्लड आने की भी संभावना है। IMD के अनुसार आगामी 24 घंटों में मंडी, चंबा, कुल्लू, शिमला और सिरमौर में भारी बारिश के कारण अचानक बाढ़ आ सकती है। विभाग ने सभी लोगों से सतर्क रहने की अपील की है। ऊना में सबसे ज्यादा तापमान मानसून में अब तक 1173.60 करोड़ का नुकसान हिमाचल प्रदेश में इस मानसून के सीजन में अब तक 1173.60 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। PWD विभाग को अकेले सबसे ज्यादा 500 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हुआ है। प्रदेश में अलग अलग आपदाओं में 225 लोग जान गंवा चुके है। सड़कों के खुलने और बन्द होने का क्रम लगातार जारी है। हिमाचल प्रदेश में अभी भी 51 सड़कें बन्द पड़ी हुई है।