अब डिप्टी सीए से मिले संजय निषाद:NDA में गुटबाजी, केशव को OBC का ब्रांड एंबेसडर बनाने की तैयारी यूपी में सियासी खींचतान के बीच प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी और सरकार के मंत्री डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के पास अपनी हाजिरी लगा रहे हैं। यह सिर्फ औपचारिक मुलाकात ही नहीं, बल्कि सरकार और संगठन के बीच चल रही लड़ाई में शक्ति प्रदर्शन भी है। बीते 10 दिनों में निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने दो बार केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की। प्रदेश में बीजेपी के सभी सहयोगी और ओबीसी चेहरे लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ आरक्षण में भेदभाव का आरोप लगाते नजर आए हैं। बीते दिनों केशव प्रसाद मौर्य ने भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्मिक विभाग को पत्र लिखकर संविदा और आउटसोर्सिंग से होने वाली भर्तियों में आरक्षण को लेकर जवाब मांगा था। इसके बाद चर्चाएं तेज हो गईं थी कि सीएम और डिप्टी सीएम के बीच आरक्षण को लेकर कोल्ड वॉर चल रहा है। इसी दौरान प्रदेश सरकार में मंत्री और ओबीसी चेहरे माने जाने वाले ओपी राजभर और संजय निषाद ने केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात करके अफवाहों का बाजार और भी ज्यादा गर्म कर दिया कि केंद्र के इशारे पर सहयोगी लगातार केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात कर रहे हैं। सोमवार को राजभर और मंगलवार को संजय निषाद ने की मुलाकात सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें पंचायती राज मंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। राजभर सोमवार शाम को डिप्टी सीएम केशव मौर्य से मिलने पहुंच गए थे। वहीं मंगलवार को निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद ने डिप्टी सीएम केशव से मुलाकात की। इसके बाद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर फोटो साझा करते हुए लिखा, कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद एवं निषाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रविंद्र मणि निषाद से शिष्टाचार भेंटकर विभिन्न विषयों पर वार्ता की। केंद्र के सपोर्ट पर सहयोगी कर रहे केशव से मुलाकात दरअसल, उत्तर प्रदेश में बीजेपी के सहयोगी सभी पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष लगातार उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ लेटरबाजी और बयानबाजी करते नजर आ रहे हैं। अगर जानकारों की माने तो लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद केंद्र और राज्य सरकार में सब कुछ ठीक नहीं है। दरअसल, बीते लोकसभा चुनाव में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को यकीन था कि यूपी की 80 सीटों पर जीत हासिल होगी। लेकिन विपक्ष के पीडीए के सामने यह विश्वास टूट गया। यूपी में काफी नुकसान झेलना पड़ा। जिसका कारण केंद्र, प्रदेश सरकार को मान रही। यही कारण है कि डायरेक्ट सरकार पर निशाना न साधते हए यूपी में अपने सहयोगियों के जरिए यह काम करवा रही है। अब आपको बताते हैं कि प्रदेश सरकार के फैसलों और कामकाज का किन – किन सहयोगियों ने विरोध किया…. पहला विरोध अनुप्रिया पटेल ने किया उत्तर प्रदेश सरकार के ऊपर ओबीसी आरक्षण में भेदभाव करने का आरोप सबसे पहले 27 जून को अपना दल की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल ने किया । दरअसल अनुप्रिया ने सीएम योगी को लेटर लिखकर भर्तियों में आरक्षण का पालन न करने का आरोप लगाया। इसको उन्होंने चुनाव में एनडीए के प्रदर्शन से जोड़ दिया। दूसरा विरोध संजय निषाद ने किया उसके बाद निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने भी योगी सरकार को निशाने पर लिया। उन्होंने कहा था कि कुछ अधिकारी अंदर से साइकिल, हाथी और पंजे वाले हैं और ऊपर कमल है। वो मौका पाते ही, डस लेते हैं। सीएम योगी के बुलडोजर नीति पर भी सवाल खड़े करते हुए संजय निषाद ने कहा था कि इस वक्त पर आप बुलडोजर चलवाएंगे, लोगों के घर गिराएंगे, तो वे वोट देंगे क्या? इसके अलावा वे ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर योगी सरकार को घेरते हुए नजर आए थे। तीसरा विरोध केशव प्रसाद मौर्य ने किया प्रदेश की योगी सरकार में भाजपा कार्यकर्ताओं कि नहीं सुनी जाती है इस आरोप को और योगी सरकार के कामकाज को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने लखनऊ में 14 जुलाई को आयोजित भाजपा प्रदेश कार्य समिती की बैठक में संगठन सरकार से बड़ा है के बयान के साथ ही कटघरे में खड़ा कर दिया। चौथा विरोध ओपी राजभर ने केशव के बयान का समर्थन करके किया केशव प्रसाद मौर्य के सुर में सुर मिलाते हुए सुभासपा के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि कोई भी संगठन कार्यकर्ता से होता है, निश्चित तौर पर संगठन से ही सरकार बनती है। इसलिए जब संगठन नहीं होगा तो सरकार भी नहीं खड़ी रहेगी। उन्होंने कहा कि डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने जो कहा था संगठन सरकार से बड़ा होता है, तो यह बात बिलकुल सही है, वे इसका समर्थन करते है। पांचवा विरोध जयंत ने नेम प्लेट फैसले का किया प्रदेश की योगी सरकार ने कावड़ यात्रा के रूट में पड़ने वाले ढाबे, दुकान और खाने-पीने के ठेलों पर दुकानदार के नाम लिखने का आदेश जारी किया। जिसे लेकर विपक्ष ही नहीं बल्कि बीजेपी की सहयोगी आरएलडी ने भी सवाल खड़े कर दिए। आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कहा कि,”कांवड़ यात्री जाति और धर्म की पहचान कर किसी दुकान पर सेवा नहीं लेता है इस मुद्दे को धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए।अभी भी समय है सरकार को फैसला वापस ले लेना चाहिए। केशव को यूपी में ओबीसी चेहरों का ब्रांड एंबेसडर बनाने की तैयारी सूत्रों की माने तो उत्तर प्रदेश में विपक्ष के फैलाए गए पीडीए के मकड़जाल को काटने के लिए बीजेपी का सिर्फ नेतृत्व केशव प्रसाद मौर्य को पर्दे के पीछे से सपोर्ट करता नजर आ रहा है। यही कारण है की केंद्र की मर्जी से यूपी बीजेपी के सहयोगी बने मंत्रियों के द्वारा खुलकर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी का विरोध और डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का सपोर्ट करते नज़र आ रहे है। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया की प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी के राज मे एक बड़ा परसेप्शन यह बन गया है कि यहां पर अगड़ों की खास करके ठाकुरों की सरकार है। ऐसे में इस परसेप्शन को तोड़ना काफी महत्वपूर्ण है अन्यथा आगामी चुनाव और भी ज्यादा चुनौतीपूर्ण होंगे। और अगर ऐसा ना होता तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य के बयान के बाद जब उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी तभी संगठन और सरकार की लड़ाई पर विराम लग गया होता। योगी और केशव में खींचतान…तीन दिन में दो नए मामले 14 जुलाई को लखनऊ में भाजपा कार्य समिति की बैठक हुई थी। उसके बाद से दोनों नेताओं के बीच खींचतान खुलकर सामने आई। अगले दिन केशव दिल्ली चले गए। वहां राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। माना जा रहा था कि केंद्रीय नेतृत्व से मुलाकात के बाद दोनों के बीच दूरियां कुछ कम होगी। हालांकि, दो दिन में दो मामले में दोनों के बीच खींचतान दिखी। 1- केशव ने योगी के विभाग से आरक्षण पर पूछा सवाल डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्ष की तरह अपनी ही सरकार से सवाल भी पूछा। उन्होंने सरकारी विभागों में संविदा और आउटसोर्सिंग से हुई नियुक्तियों की रिपोर्ट मांगी है। पूछा- इसमें रिजर्वेशन के नियम का कितना पालन किया गया? केशव ने संविदा भर्ती में रिजर्वेशन के 2008 के शासनादेश का पालन करने के भी निर्देश दिए। यह विभाग सीएम योगी के पास है। इसको लेकर केशव ने 15 जुलाई को नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग (डीओएपी) के अपर मुख्य सचिव देवेश चतुर्वेदी को पत्र लिखा। इसमें उन्होंने कहा- विधान परिषद के प्रश्नों की ब्रीफिंग के दौरान कार्मिक विभाग के अधिकारियों से आउटसोर्सिंग और संविदा पर कार्यरत कुल अधिकारियों और कर्मचारियों की जानकारी मांगी थी। लेकिन यह जानकारी कार्मिक विभाग के पास नहीं थी। 2- मंत्री नंदी के बेटे का रिसेप्शन, योगी के प्रयागराज पहुंचने से पहले केशव रवाना हुए शनिवार को प्रयागराज में कैबिनेट मिनिस्टर नंद गोपाल गुप्ता नंदी के बेटे की शादी का रिसेप्शन था। सीएम योगी और केशव मौर्य कार्यक्रम में शामिल होने के लिए प्रयागराज पहुंचे। सीएम ने कार्यक्रम में जाने से पहले प्रयागराज सर्किट हाउस में अफसरों के साथ बैठक की, लेकिन केशव बैठक में शामिल नहीं हुए। वह योगी के प्रयागराज पहुंचने से पहले ही कौशांबी के लिए निकल गए। केशव से जब मीडिया कर्मियों ने पूछा- सरकार और संगठन में क्या चल रहा है? कुछ अफवाहें आ रही हैं? इस पर क्या कहेंगे? केशव ने मुस्कराते हुए कहा- कुछ नहीं, कोई अफवाह नहीं है…धन्यवाद। केशव ने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा 14 जुलाई को लखनऊ में भाजपा कार्य समिति की बैठक में केशव ने तेवर दिखाए थे। उन्होंने कार्य समिति की बैठक के बाद देर रात ‘X’ पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। मेरे घर के दरवाजे सबके लिए खुले हैं। केशव के इस बयान को योगी को संदेश देने से भी जोड़ कर देखा गया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि लोकसभा चुनाव में सीट कम आने के बाद सीएम योगी और केशव में दूरियां बढ़ गई हैं। इसीलिए वह किसी भी बैठक में शामिल नहीं हो रहे। नड्डा से मिले केशव, बगावती तेवर बरकरार केशव मौर्य ने नाराजगी की खबरों के बीच ही 16 जुलाई को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। आलाकमान ने नसीहत दी कि सरकार-संगठन में तालमेल बनाकर रखें, बयानबाजी से भी बचें। इसके बावजूद उनके बगावती तेवर बरकरार हैं। नड्डा से मिलने के 15 घंटे बाद मौर्य ने फिर से X पर लिखा- संगठन सरकार से बड़ा होता है। आखिर क्यों नाराज हैं केशव? •2017 में यूपी विधानसभा चुनाव के समय केशव मौर्य भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष थे। पार्टी को बंपर चुनावी कामयाबी मिली, लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी योगी आदित्यनाथ को मिल गई। केशव को डिप्टी सीएम बनकर संतोष करना पड़ा। इसके बाद अक्सर केशव और योगी के बीच मन-मुटाव की खबरें आती रहीं। •2022 के विधानसभा चुनाव में केशव अपनी विधानसभा सीट सिराथू से भी हार गए। इस चुनाव से पहले भी योगी और केशव के बीच अनबन की खबरें सामने आती रहीं। इन चर्चाओं को रोकने के लिए योगी खुद केशव के घर गए और साथ में भोजन किया। •2022 के विधानसभा चुनावों में केशव की हार को उस वक्त भी पार्टी में दबी आवाज में कहा गया कि वो हारे नहीं, साजिश के तहत हराए गए। इसके बाद पार्टी में केशव की स्थिति कमजोर मानी गई। अब लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद पार्टी के अंदरखाने योगी की स्थिति कमजोर मानी जा रही है। इसके चलते फिर से योगी और केशव के बीच मतभेद की खबरें सामने आ रही हैं। •केशव ने 14 जुलाई को प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में यह कहकर सियासी हलचल बढ़ा दी कि सरकार से बड़ा संगठन है। उन्होंने कहा था- संगठन सरकार से बड़ा था, बड़ा है और हमेशा बड़ा रहेगा। मैं उपमुख्यमंत्री बाद में हूं, पहले कार्यकर्ता हूं। •ऐसा पहली बार नहीं है, जब मौर्य ने संगठन को सरकार से बड़ा बताया। 2 साल पहले 21 अगस्त, 2022 को भी मौर्य ने यही बयान दिया था। उस समय कौशांबी की सिराथू विधानसभा सीट से चुनाव हारने के 5 महीने बाद उनका ये पहला बयान था। तब भी योगी और सरकार के प्रति मौर्य की नाराजगी की चर्चा थी। इस लिंक को भी पढ़ें… राजभर सीएम की मीटिंग में नहीं गए…केशव से मिलने पहुंचे:सरकार में खींचतान के बीच अब मंत्रियों में गुटबाजी के संकेत यूपी में सीएम योगी और केशव मौर्य के बीच खींचतान बढ़ती दिख रही है। मामला अब मंत्रियों के बीच भी गुटबाजी तक पहुंच गया है। सोमवार को सीएम योगी ने आजमगढ़ में अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की। इसमें पंचायती राजमंत्री और सुभासपा प्रमुख ओम प्रकाश राजभर को भी बुलाया था। मगर वह नहीं पहुंचे। पढ़ें पूरी खबर…