‘मेरी बेटी का सपना IAS बनने का था। हमने भी बेटी को कह दिया था कि खूब पढ़ो। तुम्हारी पढ़ाई के लिए अगर पैसे कम पड़े तो जमीन बेच देंगे। तुम अधिकारी बनोगी, हमारा नाम रोशन होगा, गांव का नाम होगा। हां…कर तो दिया मेरा नाम रोशन अपनी जान देकर। ऐसे कौन नाम रोशन करता है।’ यह कहते हुए हरिशंकर यादव फफक-फफककर रोने लगे। फिर खुद को संभालते हुए बोले- मेरी बेटी जब भी गांव आती, बच्चों के साथ खूब हंसती-खेलती। कभी लगा ही नहीं कि उसे कोई दिक्कत थी। वहीं, मां ने कहा, बेटी को उसका IAS बनने का सपना ही खा गया। यह दर्द उस पिता का है, जिसकी बेटी ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। IAS की तैयारी कर रही बेटी क्यों परेशान थी? वह घर कब आई थी? क्या माता-पिता को कभी कोई परेशानी बताई? और उसने ऐसा आत्मघाती कदम क्यों उठाया? दैनिक भास्कर एप की टीम ये जानने के लिए उनके घर पहुंची? पढ़िए रिपोर्ट…? सबसे पहले पढ़िए स्टूडेंट की हथेली पर क्या लिखा था… मैं अपनी समझ से सुसाइड कर रही हूं, किसी का कोई दबाव नहीं है। मेरा जिंदगी से मोह खत्म हो गया है। यही कारण है कि मैं अपनी जान दे रही हूं। अब पढ़िए पूरा मामला हरिशंकर यादव का घर आजमगढ़ जिले के कप्तानगंज इलाके के बिलारी गांव में पड़ता है। उनकी सबसे छोटी बेटी चंद्रकला (22) ने शुक्रवार को ताप्ती गंगा एक्सप्रेस के आगे कूदकर जान दे दी। सरायमीर रेलवे मास्टर ने लाश देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंच कर जांच कर रही थी, तभी छात्रा के मोबाइल नंबर पर उसके एक रिश्तेदार का फोन आया। पुलिस ने रिश्तेदार को मौत के बारे में बताया। इसके बाद रिश्तेदार ने छात्रा के घर वालों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे रिश्तेदार मुरली यादव ने बताया कि मृतका उसकी मौसेरी बहन चंद्रकला थी। वह IAS बनना चाहती थी। दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रही थी। पिता हरिशंकर भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव की शिनाख्त की। गमगीन माहौल में पिता बात करते हुए रो पड़ते हैं… 40 किमी. दूर घर पहुंची टीम, मां रोती मिलीं
दैनिक भास्कर एप की टीम जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर चंद्रकला के घर पहुंची। यहां गांव वालों की भीड़ लगी हुई थी। घर के बाहर कुछ लोग तख्त और कुर्सियों पर बैठे हुए थे। जो पिता हरिशंकर को सांत्वना दे रहे थे। वहीं घर के बरामदे में चंद्रकला की मां मनभावती देवी जोर-जोर से रो रही थीं। गांव की महिलाएं उन्हें बार-बार चुप करातीं और उनके आंसू पोंछ रही थीं। उनकी हर चीख पर एक ही सवाल था कि बेटी…ऐसी क्या परेशानी थी? जो हमें नहीं बता पाई। वह तो सभी को बहुत खुश रखती थी। कहती थी एक दिन बड़ा नाम करूंगी। पिता बोले- कुंभ स्नान कर आया, बेटी जिदंगी भर का दुख दे गई
भास्कर रिपोर्टर ने आस-पास के लोगों से बातचीत करने के बाद चंद्रकला के पिता से बातचीत शुरू की। गमगीन माहौल में उनसे कोई भी सवाल पूछना बड़ा मुश्किल था। किसी तरह हिम्मत जुटाकर बातचीत शुरू हुई। पिता हरिशंकर ने बताया- मैं शुक्रवार दोपहर को खेत में पानी भरने गया था। इसी बीच दोपहर 12 बजे मेरी बेटी खाना देने खेत पर आई। उसने कहा कि मुझे किताब खरीदनी है, मैं जा रही हूं। फिर वह स्कूटी लेकर चली गई। इसके बाद उसके मौत की खबर आई। मुझे क्या पता था कि वह जिदंगी भर का दुख दे जाएगी। उसे कोई दिक्कत थी तो मुझसे कहती। उसके लिए तो सबकुछ करने को तैयार था। उससे बोला भी था। बेटी 26 जनवरी को दिल्ली से घर आई थी। 27 जनवरी को बेटी के साथ मैं और पत्नी प्रयागराज कुंभ स्नान करने गए। 29 जनवरी को घर वापस आ गए। 30 जनवरी को बेटी ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट भी दिया। 31 जनवरी को बेटी का दिल्ली वापसी का टिकट था। मगर…वह तो कहीं और ही चली गई। यह कहते हुए हरिशंकर की आंखों से आंसू बहने लगे। बोले- 31 जनवरी को दोपहर 3 बजे जब बेटी की मौत की सूचना मिली तो दिमाग पूरी तरह से शून्य हो गया। समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या करें। 6 महीने पहले बेटी तबीयत खराब हो गई थी
आंसू पोछते हुए चंद्रकला के पिता बोले- मेरी पत्नी हाउसवाइफ हैं। बेटी दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर चुकी है। इसके साथ ही बीएड का कोर्स भी कर रही थी। 6 महीने पहले उसकी तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद वह आजमगढ़ वापस आ गई थी। उसे हमेशा पढ़ाई की चिंता लगी रहती थी, हम लोग उसे समझाते रहते थे। उसकी तबीयत भी कुछ खराब रहने लगी थी। डॉक्टर को भी दिखाया था। हमने बहुत पूछा, लेकिन वह कुछ बताती नहीं थी। उसे लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनिल कुमार गंगवार को भी दिखाया। उन्होंने कहा कि आपकी बेटी को कोई दिक्कत नहीं है। डॉ. अनिल कुमार गंगवार ने बताया था कि बेटी को कुछ साइकोलॉजिकल दिक्कत दिख रही हैं। इसके बाद आजमगढ़ में डॉक्टर विंध्य प्रकाश राय को दिखाया। उन्होंने मेरी बेटी को पढ़ाई 1 साल रोकने की बात कही थी। मगर बेटी नहीं मानी। पिता कहते हैं- वह हमेशा पढ़ाई की बात करती थी और कहती थी कि एक दिन आपका नाम रोशन करूंगी। हमारा पूरा गांव अपने घर के नाम से जाना जाएगा। इसीलिए वह पूरी शिद्दत से IAS की तैयारी में लगी रहती थी। हम लोगों ने बेटी को कभी पैसे की कमी नहीं खलने दी। ऐसा लगता है कि उसका सपना ही उसकी जिंदगी को खा गया। वह उस सपने के दबाव के नीचे हमें अपनी परेशानी भी नहीं बता पाई। मां बोली- उसकी अटैची तैयार है, वो कब ले जाएगी
चंद्रकला की मां मनभावती देवी भावुक होकर रोते हुए कहती हैं- मेरी बेटी को कुछ भी नहीं हुआ था। जहां उसका मन होता था। स्कूटी लेकर चली जाती थी। मेरी बेटा इंजीनियर है। वह हमेशा बहन की मदद करता था। परिवार में एक दरोगा भी हैं। वह किसी से नहीं डरती थी। यह कहते हुए मां कमरे के अंदर गईं और एक अटैची लेकर आईं। रोते हुए बोलीं- देखिए ये अटैची, उसी की है। एक दिन पहले ही तैयार कर के रख ली थी। अब इसे खोलने की भी हिम्मत नहीं हो रही। मेरी बेटी को क्या दिक्कत थी, उसने मुझे क्यों नहीं बताया। कुछ बताती तो हम लोग उसकी मदद करते। अपना दर्द अपने साथ ले गई वो…यह कहते-कहते मनभावती जोर-जोर से रोने लगीं। गांव की औरतों ने उन्हें पकड़कर जमीन पर बैठाया और आंसू पोछे। 12 वीं टॉप करने पर बेटी ने दिलाया था सम्मान चंद्रकला के पिता हरिशंकर यादव बताते हैं कि हम खेती-किसानी कर आजीविका चलाते हैं। बेटी ने 2017 में जनता इंटर कॉलेज अहिरौला से हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। जबकि 2019 में इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप किया। इसके लिए उसे स्कूल में सम्मानित भी किया गया था। वह पढ़ने में होशियार थी। ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और बनारस यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा दी थी। बेटी का तीनों जगह ही सिलेक्शन हो गया था। इसके बाद हमने अपनी बेटी का एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में कराया था। जहां से ग्रेजुएशन करने के बाद B.Ed का कोर्स कर रही थी। ——————- यह खबर भी पढ़ें… हथेली पर लिखा- पापा मेरी मौत के जिम्मेदार, उन्होंने गर्लफ्रेंड के लिए डेढ़ बीघा जमीन बेच दी; झांसी में लटकी मिली लाश झांसी में 10वीं कक्षा के एक छात्र ने सुसाइड कर लिया। हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में पिता को मौत का जिम्मेदार ठहराया। पिता ने 1.5 बीघा जमीन बेच दी थी। परिवार के किसी सदस्य को इस बारे में पता नहीं था। मामला खुलने के बाद छात्र नाराज था, उसने फंदे पर लटककर सुसाइड कर लिया। पूरी खबर पढ़ें… ‘मेरी बेटी का सपना IAS बनने का था। हमने भी बेटी को कह दिया था कि खूब पढ़ो। तुम्हारी पढ़ाई के लिए अगर पैसे कम पड़े तो जमीन बेच देंगे। तुम अधिकारी बनोगी, हमारा नाम रोशन होगा, गांव का नाम होगा। हां…कर तो दिया मेरा नाम रोशन अपनी जान देकर। ऐसे कौन नाम रोशन करता है।’ यह कहते हुए हरिशंकर यादव फफक-फफककर रोने लगे। फिर खुद को संभालते हुए बोले- मेरी बेटी जब भी गांव आती, बच्चों के साथ खूब हंसती-खेलती। कभी लगा ही नहीं कि उसे कोई दिक्कत थी। वहीं, मां ने कहा, बेटी को उसका IAS बनने का सपना ही खा गया। यह दर्द उस पिता का है, जिसकी बेटी ने ट्रेन के आगे कूदकर जान दे दी। IAS की तैयारी कर रही बेटी क्यों परेशान थी? वह घर कब आई थी? क्या माता-पिता को कभी कोई परेशानी बताई? और उसने ऐसा आत्मघाती कदम क्यों उठाया? दैनिक भास्कर एप की टीम ये जानने के लिए उनके घर पहुंची? पढ़िए रिपोर्ट…? सबसे पहले पढ़िए स्टूडेंट की हथेली पर क्या लिखा था… मैं अपनी समझ से सुसाइड कर रही हूं, किसी का कोई दबाव नहीं है। मेरा जिंदगी से मोह खत्म हो गया है। यही कारण है कि मैं अपनी जान दे रही हूं। अब पढ़िए पूरा मामला हरिशंकर यादव का घर आजमगढ़ जिले के कप्तानगंज इलाके के बिलारी गांव में पड़ता है। उनकी सबसे छोटी बेटी चंद्रकला (22) ने शुक्रवार को ताप्ती गंगा एक्सप्रेस के आगे कूदकर जान दे दी। सरायमीर रेलवे मास्टर ने लाश देखकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंच कर जांच कर रही थी, तभी छात्रा के मोबाइल नंबर पर उसके एक रिश्तेदार का फोन आया। पुलिस ने रिश्तेदार को मौत के बारे में बताया। इसके बाद रिश्तेदार ने छात्रा के घर वालों को सूचना दी। मौके पर पहुंचे रिश्तेदार मुरली यादव ने बताया कि मृतका उसकी मौसेरी बहन चंद्रकला थी। वह IAS बनना चाहती थी। दिल्ली में रहकर पढ़ाई कर रही थी। पिता हरिशंकर भी मौके पर पहुंचे। उन्होंने शव की शिनाख्त की। गमगीन माहौल में पिता बात करते हुए रो पड़ते हैं… 40 किमी. दूर घर पहुंची टीम, मां रोती मिलीं
दैनिक भास्कर एप की टीम जिला मुख्यालय से करीब 40 किमी दूर चंद्रकला के घर पहुंची। यहां गांव वालों की भीड़ लगी हुई थी। घर के बाहर कुछ लोग तख्त और कुर्सियों पर बैठे हुए थे। जो पिता हरिशंकर को सांत्वना दे रहे थे। वहीं घर के बरामदे में चंद्रकला की मां मनभावती देवी जोर-जोर से रो रही थीं। गांव की महिलाएं उन्हें बार-बार चुप करातीं और उनके आंसू पोंछ रही थीं। उनकी हर चीख पर एक ही सवाल था कि बेटी…ऐसी क्या परेशानी थी? जो हमें नहीं बता पाई। वह तो सभी को बहुत खुश रखती थी। कहती थी एक दिन बड़ा नाम करूंगी। पिता बोले- कुंभ स्नान कर आया, बेटी जिदंगी भर का दुख दे गई
भास्कर रिपोर्टर ने आस-पास के लोगों से बातचीत करने के बाद चंद्रकला के पिता से बातचीत शुरू की। गमगीन माहौल में उनसे कोई भी सवाल पूछना बड़ा मुश्किल था। किसी तरह हिम्मत जुटाकर बातचीत शुरू हुई। पिता हरिशंकर ने बताया- मैं शुक्रवार दोपहर को खेत में पानी भरने गया था। इसी बीच दोपहर 12 बजे मेरी बेटी खाना देने खेत पर आई। उसने कहा कि मुझे किताब खरीदनी है, मैं जा रही हूं। फिर वह स्कूटी लेकर चली गई। इसके बाद उसके मौत की खबर आई। मुझे क्या पता था कि वह जिदंगी भर का दुख दे जाएगी। उसे कोई दिक्कत थी तो मुझसे कहती। उसके लिए तो सबकुछ करने को तैयार था। उससे बोला भी था। बेटी 26 जनवरी को दिल्ली से घर आई थी। 27 जनवरी को बेटी के साथ मैं और पत्नी प्रयागराज कुंभ स्नान करने गए। 29 जनवरी को घर वापस आ गए। 30 जनवरी को बेटी ने ड्राइविंग लाइसेंस के लिए टेस्ट भी दिया। 31 जनवरी को बेटी का दिल्ली वापसी का टिकट था। मगर…वह तो कहीं और ही चली गई। यह कहते हुए हरिशंकर की आंखों से आंसू बहने लगे। बोले- 31 जनवरी को दोपहर 3 बजे जब बेटी की मौत की सूचना मिली तो दिमाग पूरी तरह से शून्य हो गया। समझ में ही नहीं आ रहा कि क्या करें। 6 महीने पहले बेटी तबीयत खराब हो गई थी
आंसू पोछते हुए चंद्रकला के पिता बोले- मेरी पत्नी हाउसवाइफ हैं। बेटी दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन कर चुकी है। इसके साथ ही बीएड का कोर्स भी कर रही थी। 6 महीने पहले उसकी तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद वह आजमगढ़ वापस आ गई थी। उसे हमेशा पढ़ाई की चिंता लगी रहती थी, हम लोग उसे समझाते रहते थे। उसकी तबीयत भी कुछ खराब रहने लगी थी। डॉक्टर को भी दिखाया था। हमने बहुत पूछा, लेकिन वह कुछ बताती नहीं थी। उसे लखनऊ के मेडिकल कॉलेज में डॉ. अनिल कुमार गंगवार को भी दिखाया। उन्होंने कहा कि आपकी बेटी को कोई दिक्कत नहीं है। डॉ. अनिल कुमार गंगवार ने बताया था कि बेटी को कुछ साइकोलॉजिकल दिक्कत दिख रही हैं। इसके बाद आजमगढ़ में डॉक्टर विंध्य प्रकाश राय को दिखाया। उन्होंने मेरी बेटी को पढ़ाई 1 साल रोकने की बात कही थी। मगर बेटी नहीं मानी। पिता कहते हैं- वह हमेशा पढ़ाई की बात करती थी और कहती थी कि एक दिन आपका नाम रोशन करूंगी। हमारा पूरा गांव अपने घर के नाम से जाना जाएगा। इसीलिए वह पूरी शिद्दत से IAS की तैयारी में लगी रहती थी। हम लोगों ने बेटी को कभी पैसे की कमी नहीं खलने दी। ऐसा लगता है कि उसका सपना ही उसकी जिंदगी को खा गया। वह उस सपने के दबाव के नीचे हमें अपनी परेशानी भी नहीं बता पाई। मां बोली- उसकी अटैची तैयार है, वो कब ले जाएगी
चंद्रकला की मां मनभावती देवी भावुक होकर रोते हुए कहती हैं- मेरी बेटी को कुछ भी नहीं हुआ था। जहां उसका मन होता था। स्कूटी लेकर चली जाती थी। मेरी बेटा इंजीनियर है। वह हमेशा बहन की मदद करता था। परिवार में एक दरोगा भी हैं। वह किसी से नहीं डरती थी। यह कहते हुए मां कमरे के अंदर गईं और एक अटैची लेकर आईं। रोते हुए बोलीं- देखिए ये अटैची, उसी की है। एक दिन पहले ही तैयार कर के रख ली थी। अब इसे खोलने की भी हिम्मत नहीं हो रही। मेरी बेटी को क्या दिक्कत थी, उसने मुझे क्यों नहीं बताया। कुछ बताती तो हम लोग उसकी मदद करते। अपना दर्द अपने साथ ले गई वो…यह कहते-कहते मनभावती जोर-जोर से रोने लगीं। गांव की औरतों ने उन्हें पकड़कर जमीन पर बैठाया और आंसू पोछे। 12 वीं टॉप करने पर बेटी ने दिलाया था सम्मान चंद्रकला के पिता हरिशंकर यादव बताते हैं कि हम खेती-किसानी कर आजीविका चलाते हैं। बेटी ने 2017 में जनता इंटर कॉलेज अहिरौला से हाईस्कूल की परीक्षा पास की थी। जबकि 2019 में इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप किया। इसके लिए उसे स्कूल में सम्मानित भी किया गया था। वह पढ़ने में होशियार थी। ग्रेजुएशन के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और बनारस यूनिवर्सिटी में प्रवेश परीक्षा दी थी। बेटी का तीनों जगह ही सिलेक्शन हो गया था। इसके बाद हमने अपनी बेटी का एडमिशन दिल्ली यूनिवर्सिटी में कराया था। जहां से ग्रेजुएशन करने के बाद B.Ed का कोर्स कर रही थी। ——————- यह खबर भी पढ़ें… हथेली पर लिखा- पापा मेरी मौत के जिम्मेदार, उन्होंने गर्लफ्रेंड के लिए डेढ़ बीघा जमीन बेच दी; झांसी में लटकी मिली लाश झांसी में 10वीं कक्षा के एक छात्र ने सुसाइड कर लिया। हथेली पर लिखे सुसाइड नोट में पिता को मौत का जिम्मेदार ठहराया। पिता ने 1.5 बीघा जमीन बेच दी थी। परिवार के किसी सदस्य को इस बारे में पता नहीं था। मामला खुलने के बाद छात्र नाराज था, उसने फंदे पर लटककर सुसाइड कर लिया। पूरी खबर पढ़ें… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर