वाराणसी के IIT-BHU में गैंगरेप केस में पीड़िता की वर्चुअल पेशी के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वर्चुअल पेशी रोकने की गुहार लगाई है। आरोपियों का कहना है कि पीड़िता का वर्चुअल बयान न्याय संगत नहीं है। पीड़िता विधिक मदद लेना चाहती है। आरोपियों के वकील ने मुख्तार अंसारी की नजीर कोर्ट में पेश की। बताया कि गाजीपुर MP-MLA कोर्ट के जज दुर्गेश कुमार ने मुख्तार अंसारी को गवाही के लिए वर्चुअली बुलाया था। पूर्व MLC ब्रजेश सिंह जिस उसरी चट्टी कांड में आरोपी थे और गवाही देने कई बार गाजीपुर गए थे। उस केस में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी वादी थे। केस में गवाहों के बयान के दौरान वादी वर्चुअल कार्रवाई में शामिल हुए, लेकिन गवाही के लिए कोर्ट ने उन्हें फिजिकली ही बुलाया था। कोर्ट में गैंगरेप की पहली वर्चुअल पेशी के खिलाफ स्टे अपील दाखिल करते हुए गवाही को फिजिकली कराने की बात कही। आरोपियों ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पीड़िता की फिजिकली मौजूदगी में जिरह कराने की याचिका लगाई है। आरोपियों ने सुनवाई टालने के लिए कहा
इसके अलावा एक अन्य केस की डिटेल भी नजीर के रूप में पेश की। इस केस में फीरोजाबाद जिले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई एडिशनल अटर्नी जनरल अनवर हुसैन को सुना गया था, लेकिन गवाही फिजिकल हुई। गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल ने अप्लीकेशन देकर वाराणसी में हाईकोर्ट का फैसला ना आने तक सुनवाई टालने या फिर फिजिकली बुलाने की अपील भी की है। कोर्ट ने जमानत के बाद पीड़िता को असुरक्षित माना
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने उसको असुरक्षित माना है। पीड़िता की सुरक्षा के लिए FTC कोर्ट के जज कुलदीप सिंह ने वर्चुअल पेशी कराए जाने का आदेश दिया था, जिस पर आरोपियों ने हाईकोर्ट में विरोध दर्ज कराया। बता दें कि गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल भाजपा में सक्रिय पदाधिकारी थे और महानगर भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। जिसके साथ उनके फोटो भी सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद हैं। मुख्य आरोपी कुणाल पांडे बोला-वर्चुअल पेशी के लिए हम सहमत नहीं
कोर्ट में आरोपी कुणाल पांडेय की ओर से आपत्ति प्रस्तुत करते हुए वकील ने दलील दी। कहा कि पीड़िता ने अपने प्रार्थना पत्र में खुद को असुरक्षित बताया है। जबकि पीड़िता बीएचयू वाराणसी से पुलिस की सुरक्षा में न्यायालय में आती है और जाती थी। पीड़िता कहीं से भी असुरक्षित की श्रेणी में नहीं आती है। पीड़िता वर्तमान समय में न ही विदेश में है और न ही बाहर रही है, बल्कि वह परिसर में है। पीड़िता कैमरे के सामने जहां से बैठकर प्रश्नों का उत्तर देगी, कैमरे में उतना ही स्थल कवर होगा। अगर कैमरे के फ्रेम से बाहर कोई उसे विधिक सहायता दे तो यह तथ्य कैमरे में कवर नहीं हो सकता। विधिक सहायता लेने के लिए पीड़िता ने ऐसा किया है। कोर्ट ऐसे मामले में तभी वीडियो कान्फ्रेंस दे जब पीड़िता जेल में हो, या अस्पताल में। पीड़िता किसी भी तरह से असुरक्षित की श्रेणी में नहीं आती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दोनों पक्षों की रजामंदी होनी होती है। इसके लिए हम सहमत नहीं हैं। सह आरोपी आनंद चौहान और सक्षम पटेल ने जताई आपत्ति
गैंगरेप केस के आरोपी आनन्द चौहान उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल की ओर से भी आपत्ति जताई गई। कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही पेशी होगी यह अनिवार्य प्रावधान नहीं है। पीड़िता चालाकी से ऑप्शनल प्रावधानों का फायदा लेकर विधि व्यवस्था को गलत ढंग से प्रभावित करना चाहती है। इसलिए पीड़िता की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए। देशभर में सुर्खियों में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को कोर्ट में अपनी दुश्वारियां गिनाई, ऐप्लीकेशन देकर अपना दर्द बताया। छात्रा ने वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है। कोर्ट की तारीखों में परीक्षा की तैयारी उलझ गई है, न्याय के लिए इंतजार भी लंबा होता नजर आ रहा है। जब हम आते हैं तो बहुत से लोगों की नजरों से गुजरते हैं, हर बार आने-जाने पर सामाजिक उपेक्षा का एहसास होता है। वहीं कोर्ट में आरोपी भी सामने खड़े होते हैं। कोर्ट मेरी मनोदशा समझे, हमारे बयान-जिरह के साथ ही हर पेशी को ऑनलाइन किया जाए। ताकि कैंपस से ही जुड़कर कोर्ट कार्रवाई का हिस्सा बन सकें। मैं इन आरोपियों का समाना नहीं करना चाहती हू, बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना मुश्किल भरा होता जा रहा है। अब उसकी परीक्षाएं खत्म हो रही हैं तो जनवरी से इंटर्नशिप एकेडमिक और फील्ड के लिए समय देगी और कोर्ट में बहुत समय लग रहा है। बीएचयू के आईआईटी कैंपस में उपयुक्त साधन और संसाधन उपलब्ध हैं, जो उसके कोर्ट की परेशानियों को कम करेंगे। हालांकि जज ने उस साफ्टवेयर को अस्वीकारते हुए कोर्ट परिसर के विशेष वल्नरेबल विटनेस रूम से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। पीड़िता की मां की हाईकोर्ट से गुहार… मां ने लिखा- आरोपियों की जमानत से बेटी पर गहरा असर
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और वाराणसी के जिला जज को मेल भेजकर बताया कि मेरा परिवार बेंगलुरु में रहता है। देश के कानून के भरोसे अपनी 20 वर्षीय बेटी का दाखिला IIT-BHU वाराणसी में कराया था। 2 नवंबर, 2023 को मेरी बेटी के साथ दरिंदगी की गई। लंका थाने में केस दर्ज कराया गया, लेकिन आरोपी नहीं मिले। लगभग 2 महीने बाद 3 आरोपी कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान उर्फ अभिषेक चौहान को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप जैसी धाराओं में 6 महीने के अंदर ही आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, जो कई सवाल खड़े करती हैं। इस जमानत के बाद मेरी बेटी पर गहरा असर पड़ा है। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब
जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। अदालत के चक्कर में छूट गई परीक्षाएं और क्लास
मां ने बताया कि गैंगरेप के बाद बेटी पूरी तरह से टूट गई, तब परिवार और करीबियों ने उसे संभाला। बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना करना, उसके लिए मुश्किल भरा है। वह सुनवाई के दौरान नियमित पढ़ाई और क्लास छोड़ दीं, पढ़ाई पर वह फोकस नहीं कर पा रही थी। नवंबर और दिसंबर में होने वाली परीक्षाएं भी बहुत बेहतर नहीं हुईं। गैंगरेप, कोर्ट केस का उस पर गहरा असर पड़ा। जिससे पढ़ाई, प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप सत्र और सेमेस्टर परीक्षाएं प्रभावित हुई। वह अच्छा महसूस नहीं कर रही। अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही है। …………. ये भी पढ़ें :
4 करोड़ की पड़ी IIT-BHU गैंगरेप आरोपियों की जमानत, घर-प्लाट के कागज लगे, जेल जाने के बाद रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ा IIT-BHU गैंगरेप कांड के आरोपी कुणाल पांडे और आनंद अभिषेक चौहान जेल से बाहर आ गए। लेकिन, उनको बाहर लाने में परिवार वालों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। कोर्ट ने भले ही 1-1 लाख रुपए के जमानतदार मांगे। पढ़िए पूरी खबर.. वाराणसी के IIT-BHU में गैंगरेप केस में पीड़िता की वर्चुअल पेशी के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वर्चुअल पेशी रोकने की गुहार लगाई है। आरोपियों का कहना है कि पीड़िता का वर्चुअल बयान न्याय संगत नहीं है। पीड़िता विधिक मदद लेना चाहती है। आरोपियों के वकील ने मुख्तार अंसारी की नजीर कोर्ट में पेश की। बताया कि गाजीपुर MP-MLA कोर्ट के जज दुर्गेश कुमार ने मुख्तार अंसारी को गवाही के लिए वर्चुअली बुलाया था। पूर्व MLC ब्रजेश सिंह जिस उसरी चट्टी कांड में आरोपी थे और गवाही देने कई बार गाजीपुर गए थे। उस केस में पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी वादी थे। केस में गवाहों के बयान के दौरान वादी वर्चुअल कार्रवाई में शामिल हुए, लेकिन गवाही के लिए कोर्ट ने उन्हें फिजिकली ही बुलाया था। कोर्ट में गैंगरेप की पहली वर्चुअल पेशी के खिलाफ स्टे अपील दाखिल करते हुए गवाही को फिजिकली कराने की बात कही। आरोपियों ने कार्रवाई को असंवैधानिक बताते हुए पीड़िता की फिजिकली मौजूदगी में जिरह कराने की याचिका लगाई है। आरोपियों ने सुनवाई टालने के लिए कहा
इसके अलावा एक अन्य केस की डिटेल भी नजीर के रूप में पेश की। इस केस में फीरोजाबाद जिले में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई एडिशनल अटर्नी जनरल अनवर हुसैन को सुना गया था, लेकिन गवाही फिजिकल हुई। गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल ने अप्लीकेशन देकर वाराणसी में हाईकोर्ट का फैसला ना आने तक सुनवाई टालने या फिर फिजिकली बुलाने की अपील भी की है। कोर्ट ने जमानत के बाद पीड़िता को असुरक्षित माना
दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट से तीनों आरोपियों को जमानत मिलने के बाद पीड़िता की याचिका पर कोर्ट ने उसको असुरक्षित माना है। पीड़िता की सुरक्षा के लिए FTC कोर्ट के जज कुलदीप सिंह ने वर्चुअल पेशी कराए जाने का आदेश दिया था, जिस पर आरोपियों ने हाईकोर्ट में विरोध दर्ज कराया। बता दें कि गैंगरेप के तीनों आरोपी कुणाल पांडेय, अभिषेक उर्फ आनंद चौरसिया, सक्षम पटेल भाजपा में सक्रिय पदाधिकारी थे और महानगर भाजपा IT सेल से जुड़े थे। सरकार के मंत्री-विधायक समेत बड़े नेताओं के संपर्क में थे। जिसके साथ उनके फोटो भी सोशल मीडिया साइट्स पर मौजूद हैं। मुख्य आरोपी कुणाल पांडे बोला-वर्चुअल पेशी के लिए हम सहमत नहीं
कोर्ट में आरोपी कुणाल पांडेय की ओर से आपत्ति प्रस्तुत करते हुए वकील ने दलील दी। कहा कि पीड़िता ने अपने प्रार्थना पत्र में खुद को असुरक्षित बताया है। जबकि पीड़िता बीएचयू वाराणसी से पुलिस की सुरक्षा में न्यायालय में आती है और जाती थी। पीड़िता कहीं से भी असुरक्षित की श्रेणी में नहीं आती है। पीड़िता वर्तमान समय में न ही विदेश में है और न ही बाहर रही है, बल्कि वह परिसर में है। पीड़िता कैमरे के सामने जहां से बैठकर प्रश्नों का उत्तर देगी, कैमरे में उतना ही स्थल कवर होगा। अगर कैमरे के फ्रेम से बाहर कोई उसे विधिक सहायता दे तो यह तथ्य कैमरे में कवर नहीं हो सकता। विधिक सहायता लेने के लिए पीड़िता ने ऐसा किया है। कोर्ट ऐसे मामले में तभी वीडियो कान्फ्रेंस दे जब पीड़िता जेल में हो, या अस्पताल में। पीड़िता किसी भी तरह से असुरक्षित की श्रेणी में नहीं आती है। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के लिए दोनों पक्षों की रजामंदी होनी होती है। इसके लिए हम सहमत नहीं हैं। सह आरोपी आनंद चौहान और सक्षम पटेल ने जताई आपत्ति
गैंगरेप केस के आरोपी आनन्द चौहान उर्फ अभिषेक चौहान और सक्षम पटेल की ओर से भी आपत्ति जताई गई। कहा कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से ही पेशी होगी यह अनिवार्य प्रावधान नहीं है। पीड़िता चालाकी से ऑप्शनल प्रावधानों का फायदा लेकर विधि व्यवस्था को गलत ढंग से प्रभावित करना चाहती है। इसलिए पीड़िता की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाए। देशभर में सुर्खियों में रहने वाले गैंगरेप पीड़िता ने फास्ट ट्रैक कोर्ट के जज को कोर्ट में अपनी दुश्वारियां गिनाई, ऐप्लीकेशन देकर अपना दर्द बताया। छात्रा ने वर्चुअल पेशी की मांग करते हुए बताया कि उसकी परीक्षाएं चल रही हैं। कैंपस से कोर्ट के चक्कर लगाना परेशानी भरा है। इससे पढ़ाई और एग्जाम पर असर पड़ रहा है। कोर्ट की तारीखों में परीक्षा की तैयारी उलझ गई है, न्याय के लिए इंतजार भी लंबा होता नजर आ रहा है। जब हम आते हैं तो बहुत से लोगों की नजरों से गुजरते हैं, हर बार आने-जाने पर सामाजिक उपेक्षा का एहसास होता है। वहीं कोर्ट में आरोपी भी सामने खड़े होते हैं। कोर्ट मेरी मनोदशा समझे, हमारे बयान-जिरह के साथ ही हर पेशी को ऑनलाइन किया जाए। ताकि कैंपस से ही जुड़कर कोर्ट कार्रवाई का हिस्सा बन सकें। मैं इन आरोपियों का समाना नहीं करना चाहती हू, बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना मुश्किल भरा होता जा रहा है। अब उसकी परीक्षाएं खत्म हो रही हैं तो जनवरी से इंटर्नशिप एकेडमिक और फील्ड के लिए समय देगी और कोर्ट में बहुत समय लग रहा है। बीएचयू के आईआईटी कैंपस में उपयुक्त साधन और संसाधन उपलब्ध हैं, जो उसके कोर्ट की परेशानियों को कम करेंगे। हालांकि जज ने उस साफ्टवेयर को अस्वीकारते हुए कोर्ट परिसर के विशेष वल्नरेबल विटनेस रूम से वर्चुअल पेशी और जिरह की अनुमति दी। तय किया कि पहले कमरे में चारों तरफ कैमरा घुमाकर कोर्ट यह देखेगा कि पीड़िता के अलावा उस कमरे में अन्य कोई व्यक्ति तो नहीं है। पीड़िता की मां की हाईकोर्ट से गुहार… मां ने लिखा- आरोपियों की जमानत से बेटी पर गहरा असर
पीड़िता की मां ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस और वाराणसी के जिला जज को मेल भेजकर बताया कि मेरा परिवार बेंगलुरु में रहता है। देश के कानून के भरोसे अपनी 20 वर्षीय बेटी का दाखिला IIT-BHU वाराणसी में कराया था। 2 नवंबर, 2023 को मेरी बेटी के साथ दरिंदगी की गई। लंका थाने में केस दर्ज कराया गया, लेकिन आरोपी नहीं मिले। लगभग 2 महीने बाद 3 आरोपी कुणाल पांडे, सक्षम पटेल और आनंद चौहान उर्फ अभिषेक चौहान को गिरफ्तार किया गया। गैंगरेप जैसी धाराओं में 6 महीने के अंदर ही आरोपी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से जमानत मिल गई, जो कई सवाल खड़े करती हैं। इस जमानत के बाद मेरी बेटी पर गहरा असर पड़ा है। 8 महीने बाद ट्रायल, 12 बार जिरह में तलब
जिला एवं सत्र न्यायालय की फास्ट ट्रैक कोर्ट में मामले की सुनवाई शुरू हुई। 18 जुलाई, 2024 से ट्रायल हुआ। इस सुनवाई के दौरान उसने अपना बयान 22 अगस्त तक दर्ज कराया, इसी बीच आरोपियों को जमानत मिल गई। आरोपियों की मौजूदगी में जुलाई से दिसंबर तक बेटी को 12 बार कोर्ट में तलब किया जा चुका है। कोर्ट उससे 8 बार जिरह कर चुकी है। वहीं चार बार अलग-अलग कारणों से वह नहीं आ सकी। कभी आरोपियों की ओर से अपील तो कभी अगली तारीख, इन सब के बीच अब तक उसके बयान पर जिरह पूरी नहीं हो सकी। अदालत के चक्कर में छूट गई परीक्षाएं और क्लास
मां ने बताया कि गैंगरेप के बाद बेटी पूरी तरह से टूट गई, तब परिवार और करीबियों ने उसे संभाला। बार-बार कोर्ट आना और रेप के आरोपियों से सामना करना, उसके लिए मुश्किल भरा है। वह सुनवाई के दौरान नियमित पढ़ाई और क्लास छोड़ दीं, पढ़ाई पर वह फोकस नहीं कर पा रही थी। नवंबर और दिसंबर में होने वाली परीक्षाएं भी बहुत बेहतर नहीं हुईं। गैंगरेप, कोर्ट केस का उस पर गहरा असर पड़ा। जिससे पढ़ाई, प्रोजेक्ट वर्क, इंटर्नशिप सत्र और सेमेस्टर परीक्षाएं प्रभावित हुई। वह अच्छा महसूस नहीं कर रही। अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पा रही है। …………. ये भी पढ़ें :
4 करोड़ की पड़ी IIT-BHU गैंगरेप आरोपियों की जमानत, घर-प्लाट के कागज लगे, जेल जाने के बाद रिश्तेदारों ने मुंह मोड़ा IIT-BHU गैंगरेप कांड के आरोपी कुणाल पांडे और आनंद अभिषेक चौहान जेल से बाहर आ गए। लेकिन, उनको बाहर लाने में परिवार वालों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी। कोर्ट ने भले ही 1-1 लाख रुपए के जमानतदार मांगे। पढ़िए पूरी खबर.. उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर