KGMU के MBBS छात्रों ने सेरेब्रल पॉल्सी से जुड़े शुरूआती बायोमार्कर को खोजने में कामयाबी हासिल की हैं। ये बायोमार्कर बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी के प्रारंभिक संकेत के रूप में काम करते हैं। इसका शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोध की अगुवाई MBBS छात्र विनय सुरेश ने किया। KGMU के प्रवक्ता डॉ.सुधीर सिंह के मुताबिक टीम ने एक मेटा विश्लेषण के जरिए मातृ बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की खोज की। जिससे पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लाज्मा प्रोटीन-ए का स्तर कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा-एचसीजी के स्तर में कमी से सेरेब्रल पॉल्सी का खतरा अधिक रहता हैं। ये निष्कर्ष गर्भावस्था देखभाल में अहम सुधार ला सकते हैं। सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम को कम कर सकते हैं। डॉ.सुधीर ने बताया कि अध्ययन में सेरेब्रल पॉल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कर के स्तर के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है। मस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। जो बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करता है। जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था। उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी का जोखिम अधिक था। इसमें पांच अलग-अलग अध्ययन शामिल थे। जिनमें 1552 मामलों और अन्य तथ्यों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन टीम सदस्य KGMU न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग और डॉ. हारदीप सिंह मल्होत्रा ने सहयोग किया। पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ.अरिशा आलम और एम्स दिल्ली की डॉ.शेफाली गुलाटी, MBBS छात्र शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, वैभव जैन, मलविका जयन, मदीहा सुब्हान वलीद, नेहा जो, विवेक सैंकर, मुहम्मद आकिब शमिम, अरविंद पी गांधी, प्रियंका रॉय और मैनक बर्धन छात्रों ने सहयोग दिया। KGMU के MBBS छात्रों ने सेरेब्रल पॉल्सी से जुड़े शुरूआती बायोमार्कर को खोजने में कामयाबी हासिल की हैं। ये बायोमार्कर बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी के प्रारंभिक संकेत के रूप में काम करते हैं। इसका शोध बाल न्यूरोलॉजी के प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित किया गया है। शोध की अगुवाई MBBS छात्र विनय सुरेश ने किया। KGMU के प्रवक्ता डॉ.सुधीर सिंह के मुताबिक टीम ने एक मेटा विश्लेषण के जरिए मातृ बायोमार्कर स्तरों और सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम के बीच महत्वपूर्ण संबंध की खोज की। जिससे पता चला कि पहले ट्राइमेस्टर में गर्भावस्था संबंधित प्लाज्मा प्रोटीन-ए का स्तर कम होना और पहले और दूसरे ट्राइमेस्टर में बीटा-एचसीजी के स्तर में कमी से सेरेब्रल पॉल्सी का खतरा अधिक रहता हैं। ये निष्कर्ष गर्भावस्था देखभाल में अहम सुधार ला सकते हैं। सेरेब्रल पॉल्सी के जोखिम को कम कर सकते हैं। डॉ.सुधीर ने बताया कि अध्ययन में सेरेब्रल पॉल्सी और गर्भावस्था के दौरान माताओं में पाए जाने वाले बायोमार्कर के स्तर के बीच संबंध को समझने का प्रयास करता है। मस्तिष्क पक्षाघात या सेरेब्रल पॉल्सी एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है। जो बच्चों की मांसपेशियों की गतिविधियों को प्रभावित करता है। जिन माताओं के शरीर में पहले तिमाही के दौरान पीएपीपी-ए नामक प्रोटीन का स्तर कम था। उनमें जन्म लेने वाले बच्चों में सेरेब्रल पॉल्सी का जोखिम अधिक था। इसमें पांच अलग-अलग अध्ययन शामिल थे। जिनमें 1552 मामलों और अन्य तथ्यों का विश्लेषण किया गया। अध्ययन टीम सदस्य KGMU न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. आरके गर्ग और डॉ. हारदीप सिंह मल्होत्रा ने सहयोग किया। पीडियाट्रिक्स विभाग की डॉ.अरिशा आलम और एम्स दिल्ली की डॉ.शेफाली गुलाटी, MBBS छात्र शिवा गुप्ता, यशिता खुलबे, वैभव जैन, मलविका जयन, मदीहा सुब्हान वलीद, नेहा जो, विवेक सैंकर, मुहम्मद आकिब शमिम, अरविंद पी गांधी, प्रियंका रॉय और मैनक बर्धन छात्रों ने सहयोग दिया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
Related Posts
जालंधर में AAP प्रत्याशी के घर का होगा घेराव:बरनाला में शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापक यूनियन की बैठक, बोले- मांगे पूरी नहीं कर रही सरकार
जालंधर में AAP प्रत्याशी के घर का होगा घेराव:बरनाला में शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापक यूनियन की बैठक, बोले- मांगे पूरी नहीं कर रही सरकार शिक्षा प्रोवाइडर टीचर्स यूनियन पंजाब द्वारा अपनी मांगों को लेकर पंजाब सरकार के खिलाफ आरपार की लडाई का ऐलान किया गया है। जिसके अंतर्गत अब शिक्षा प्रोवाइडर टीचर्स ने जालंधर उप चुनाव में आम आदमी पार्टी के विरोध का ऐलान किया है। शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापकों ने 30 जून को जालंधर उप चुनाव लड़ रहे आप प्रत्याशी महिंदर भगत के घर का घेराव करने का फैसला लिया है। बरनाला में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए जिला शिक्षा प्रोवाइडर अध्यापक यूनियन के अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह भोतना ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने 8736 कच्चे अध्यापकों को केवल कागजों, बोर्डों, बैनरों और भाषणों में नियमित किया है, जबकि हकीकत में वेतनवृद्धि तक का नाम नहीं लिया गया है। क्योंकि रेगुलर अध्यापकों को सभी सुविधाओं (ग्रेड-पे आदि) से वंचित रखा गया है। तब भी गांव टंकी पर लंबे संघर्ष के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री ने संगठन को बुलाकर वादा किया था कि आप संघर्ष खत्म करो, मैं पूरा करूंगा। उन्होंने कहा कि, सीएम ने आश्वासन दिया था कि लोकसभा चुनाव के तुरंत बाद सभी अधूरी मांगें मानी जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा के बाद भी मुख्यमंत्री ने न तो कोई बैठक की और न ही कोई संतोषजनक समाधान निकाला। इसलिए संगठन अब अपने वादे को याद दिला रहा है कि मुख्यमंत्री अपना वादा पूरा करें। उन्होंने कहा कि 30 जून को पंजाब भर से शिक्षा प्रोवाइडर टीचर्स आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी महिंदर भगत के घर का घेराव करेंगे।
अखिलेश ने माता प्रसाद से साधा 2027 का समीकरण:सत्तापक्ष के लिए कोई दांव छोड़ना नहीं चाहते; पीडीए फार्मूले के साथ अगड़ों को भी तरजीह
अखिलेश ने माता प्रसाद से साधा 2027 का समीकरण:सत्तापक्ष के लिए कोई दांव छोड़ना नहीं चाहते; पीडीए फार्मूले के साथ अगड़ों को भी तरजीह हमेशा M-Y (मुस्लिम-यादव) की राजनीति करने वाली सपा ने लोकसभा चुनाव से पहले PDA की बात की। जब लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आया, तो अखिलेश यादव का दांव सटीक बैठा। इस बीच, रविवार को अखिलेश ने एक बार फिर अपने फैसले से सबको चौंका दिया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के लिए उम्मीद थी कि कोई पीडीए से नेता होगा। लेकिन, अखिलेश ने सबको दरकिनार करते हुए ब्राह्मण चेहरे पर दांव लगाया। लेकिन, अखिलेश यादव ने ऐसे ही ब्राह्मण को विधानसभा नेता प्रतिपक्ष नहीं बना दिया। उन्होंने विधानमंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष, मुख्य सचेतक, उप-सचेतक और अधिष्ठाता मंडल का भी ऐलान किया। इसमें अखिलेश ने पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (PDA) के फार्मूले को ही आगे बढ़ाया। विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया। विधानसभा में मुस्लिम समुदाय के कमाल अख्तर को मुख्य सचेतक बनाया। महबूब अली को अधिष्ठाता मंडल में नियुक्ति दी है। उप मुख्य सचेतक पद पर कुर्मी समाज के बड़े चेहरे डॉ. आरके वर्मा को नियुक्त किया है। दरअसल, अखिलेश ने न केवल विधानसभा की 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव की रणनीति तैयार की, 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए भी साफ संदेश दिया। सपा ने विधान परिषद और विधानसभा में मनोनयन पर M-Y (मुस्लिम-यादव) के साथ PDA और अगड़ा की रणनीति अपनाई। उप-चुनाव में होगा फायदा
जल्द ही अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकरनगर की कटेहरी, प्रयागराज की फूलपुर, भदोही की मझवां, अलीगढ़ की खैर, मुजफ्फरनगर की मीरापुर, गाजियाबाद, मैनपुरी, कानपुर की सीसामऊ और मुरादाबाद की कुंदरकी सीट पर उप-चुनाव होना है। जानकार मानते हैं कि विधानमंडल के दोनों सदनों में नेता प्रतिपक्ष और अन्य पदों पर मनोनयन से सपा को इन 10 सीटों पर होने वाले उप-चुनाव में फायदा हो सकता है। खासतौर पर कुर्मी और ब्राह्मण वोट बैंक सपा की ओर कदम बढ़ा सकता है। सरकार का मुकाबला नहीं कर पाते सरोज
सपा मुखिया इंद्रजीत सरोज को नेता प्रतिपक्ष बनाना चाहते थे। लेकिन सपा विधायकों का एक बड़ा वर्ग इससे नाराज था। उनका मानना था कि इंद्रजीत सरोज सदन में सरकार का मुकाबला नहीं कर पाएंगे। सदन में सरकार उन्हें दबाने में सफल हो जाएगी। इसलिए शिवपाल नहीं बने नेता प्रतिपक्ष
अखिलेश यादव यूं भी चाचा शिवपाल का राजनीतिक कद बढ़ाने के पक्षधर नहीं रहते हैं। अब तर्क दिया जा रहा है कि विधान परिषद में लाल बिहारी यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। ऐसे में अगर विधानसभा में भी शिवपाल यादव को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाता, तो सपा पर परिवारवाद का आरोप लगता। साथ ही विपक्ष यह नरेटिव सेट करता कि सपा के PDA में पिछड़े केवल यादव ही हैं। सरकार से मुकाबला कर पाएंगे माता प्रसाद
अखिलेश का मानना है कि 7वीं बार विधायक बने माता प्रसाद पांडेय सदन में सरकार से मुकाबला कर पाएंगे। विधायक और विधानसभा अध्यक्ष पद का लंबा अनुभव होने से वह संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना और नेता सदन योगी आदित्यनाथ से सवाल-जवाब भी कर पाएंगे। ब्राह्मणों को संदेश देने की कोशिश
सिद्धार्थनगर के रहने वाले माता प्रसाद पांडेय पूर्वांचल के ब्राह्मण नेता हैं। विधानसभा अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने ब्राह्मण वर्ग में अपना वर्चस्व बढ़ाया था। जानकार मानते हैं, माता प्रसाद की नियुक्ति से ब्राह्मण वर्ग में सपा का सीधा संदेश जाएगा। ऐसे में भाजपा से नाराज चल रहे ब्राह्मण सपा की ओर आकर्षित होंगे। जानकार यह भी मानते हैं कि पूर्व मुख्य सचेतक मनोज पांडेय के सपा छोड़कर भाजपा में शामिल होने से ब्राह्मण समाज में सपा के प्रति गलत संदेश गया था। ब्राह्मण समाज मानने लगा था कि सपा केवल पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग पर फोकस करती हैं। सपा को ब्राह्मण वोट बैंक की जरूरत नहीं है। अब माता प्रसाद को नेता प्रतिपक्ष बनाने से ब्राह्मणों में संदेश जाएगा कि सपा भी उन्हें महत्व दे रही है। सत्ता पक्ष के हाथ दांव नहीं छोड़ना चाहते अखिलेश
इस बार लोकसभा चुनाव में सपा ने यूपी में भाजपा पर बढ़त बनाई। जानकार मानते हैं, इस जीत से सपा नेतृत्व खुशी से लबरेज हैं। जीत के इस सिलसिले को आगे जारी रखने के लिए अखिलेश अब एक-एक कदम सधे हुए राजनेता की तरह रख रहे हैं। वह अब भाजपा के हाथ एक भी मुद्दा नहीं देना चाहते। यही वजह है, अखिलेश ने PDA को आगे बढ़ाने के साथ ब्राह्मण चेहरे को मौका दिया। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक आनंद राय कहते हैं- सपा ने 7 बार के विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद को यूं ही नेता प्रतिपक्ष नहीं बनाया। माता प्रसाद सदन में विपक्ष की आवाज को मजबूत करने में सक्षम हैं। विधानसभा अध्यक्ष रहने के नाते सदन के नियम-कायदों के अच्छे जानकार हैं। दलित हो सकता है उपनेता प्रतिपक्ष
सपा विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष पद पर दलित वर्ग के इंद्रजीत सरोज या डॉ. रागिनी सोनकर को नियुक्त करने पर मंथन कर रही है। इसके बाद ही सपा का PDA सही साबित होगा। वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक रतनमणिलाल कहते हैं- ऐसा माना जाता था कि सपा केवल PDA पर ही फोकस करेगी। एक समय था कि सपा में बड़े पद अगड़े वर्ग को दिए जाते थे। अखिलेश यादव ने बहुत सोच-समझकर ब्राह्मणों को संदेश देने के लिए यह निर्णय लिया है। लेकिन केवल इससे काम नहीं चलेगा, दूसरी जगहों पर भी मौका देना होगा। यूपी में 14 फीसदी है ब्राह्मण वोट बैंक
यूपी में 115 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जिन पर ब्राह्मण वोटरों का अच्छा प्रभाव है। 14 फीसदी से ज्यादा ब्राह्मण वोट वाले 12 जिले हैं। इनमें बलरामपुर, बस्ती, संत कबीरनगर, महराजगंज, गोरखपुर, देवरिया, जौनपुर, अमेठी, वाराणसी, चंदौली, कानपुर, प्रयागराज शामिल हैं। यही वजह है कि सभी पार्टियों ने इस वर्ग के नेताओं को तवज्जो दी है। यही वजह है कि यूपी के 21 में से 6 मुख्यमंत्री ब्राह्मण रहे हैं। सपा ने पहली बार अगड़े को बनाया नेता प्रतिपक्ष
1993 में बानी समाजवादी पार्टी के पास विधानसभा में 7 बार नेता प्रतिपक्ष चुनने का मौका रहा। 2 बार मुलायम सिंह यादव, एक-एक बार धनीराम वर्मा, आजम खान, शिवपाल सिंह, रामगोविंद चौधरी और अखिलेश यादव नेता प्रतिपक्ष रहे। मतलब 4 बार मुलायम परिवार ने नेता प्रतिपक्ष के पद अपने पास रखा। पार्टी के इतिहास में पहली बार किसी अगड़े को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष का ओहदा दिया गया है। ये खबर भी पढ़ें… अखिलेश ने चाचा को क्यों किया दरकिनार; नेता प्रतिपक्ष के लिए माता प्रसाद ही क्यों मुफीद सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के लोकसभा जाने के बाद यूपी में सबसे ज्यादा चर्चा नेता प्रतिपक्ष के चेहरे को लेकर थी। पहले तीन नाम सामने आए। पहला- शिवपाल यादव, दूसरा- इंद्रजीत सरोज और तीसरा- तूफानी सरोज। बैठक में इन नामों पर चर्चा भी हुई। माता प्रसाद पांडेय के नाम की दूर-दूर चर्चा नहीं थी, लेकिन अखिलेश ने सबको चौंकाते हुए पार्टी के पुराने नेताओं में शामिल 81 साल के माता प्रसाद पांडेय को नेता प्रतिपक्ष का पद दे दिया। घोषणा के समय शिवपाल यादव नहीं थे। पूरी खबर पढ़ें…
घरौंडा में पिटबुल कुत्ते ने पड़ोसी को काटा:शिकायत पर मालिक ने पीटा; पत्नी गली में हुई बेसुध, पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई
घरौंडा में पिटबुल कुत्ते ने पड़ोसी को काटा:शिकायत पर मालिक ने पीटा; पत्नी गली में हुई बेसुध, पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई हरियाणा के करनाल के घरौंडा में जैल सिंह कालोनी निवासी संजीव और उसके परिवार पर पिटबुल कुत्ते का आतंक बरपा है। संजीव ने आरोप लगाया कि उसके पड़ोसी ने उसे और उसके परिवार को कुत्ते से कटवाया और फिर मारपीट की। पीड़ित का कहना है कि पुलिस और अस्पताल दोनों ने उनकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की। कुत्ते ने किया हमला, पत्नी और बच्ची को भी नहीं बख्शा घटना 3 अगस्त की है। संजीव, जो दिहाड़ी मजदूरी करता है, ने बताया कि उसका पड़ोसी अक्सर छत से कचरा फैंकता है। कई बार समझाने पर भी पड़ोसी नहीं माने और उल्टा झगड़ा करने लगे। उनके पास एक पिटबुल कुत्ता है, जिसे वे अक्सर खुला छोड़ देते हैं। यह कुत्ता पहले भी संजीव की पांच साल की बच्ची को काट चुका है और दो महीने पहले खुद संजीव को भी काटा था। तीसरी बार हमला, जानलेवा साबित हुआ 4 अगस्त को पिटबुल ने फिर से संजीव पर हमला कर दिया। जब संजीव ने पड़ोसियों से शिकायत की, तो वे गाली-गलौज करने लगे और फिर मारपीट पर उतर आए। संजीव की पत्नी रितू को बुरी तरह पीटा गया और उनकी पांच वर्षीय बेटी जानवी के पैर पर लोहे की रॉड से हमला किया गया। रितू बेहोश हो गई और जानवी दर्द से कराह उठी। पुलिस और अस्पताल ने दिखाई बेरुखी संजीव ने तुरंत डायल-112 पर कॉल किया। पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि थाने में जाकर शिकायत करें। संजीव ने बताया कि पहले भी दो बार शिकायत की थी, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस के रवैये से निराश संजीव अपने परिवार का मेडिकल करवाने घरौंडा के सरकारी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां भी कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार, उन्हें करनाल अस्पताल जाना पड़ा, जहां उनका मेडिकल हुआ। वीडियो आया सामने, डीएसपी ने दिया आश्वासन घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें संजीव की पत्नी जमीन पर पड़ी है और उनकी बच्ची दर्द से कराह रही है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए डीएसपी मनोज कुमार ने कहा कि पीड़ित की शिकायत दर्ज की जाएगी और जहां भी लापरवाही हुई है, उस पर कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया और कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।