Maharashtra: संजय राउत का बड़ा खुलासा, ‘राज ठाकरे को लेकर उद्धव ठाकरे बहुत…’

Maharashtra: संजय राउत का बड़ा खुलासा, ‘राज ठाकरे को लेकर उद्धव ठाकरे बहुत…’

<p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में मौजूदा समय में एक चर्चा जोरों पर है. शिवसेना (यूबीटी) चीफ और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की नजदीकियों की खबरों ने राज्य का सियासी माहौल गरमा दिया है. बीजेपी से लेकर एनसीपी तक सभी दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस बीच एक बार फिर उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बयान देकर दोनों भाइयों के साथ आने की अटकलों को हवा दे दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उद्धव ठाकरे बेहद सकारात्मक- संजय राउत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संजय राउत ने मंगलवार (22 अप्रैल) को दावा किया कि उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मेल-मिलाप को लेकर बेहद सकारात्मक हैं. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि इस संभावित मेल-मिलाप को लेकर अब आंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोग और दल भी संपर्क में हैं और वे इस नये राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा बनने में रुचि दिखा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने &lsquo;&lsquo;संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन&rsquo;&rsquo; का भी नेतृत्व किया था और ‘मराठी मानुष’ की एकता के प्रयास किए थे. 1950 में चले इस आंदोलन का उद्देश्य मराठी भाषी लोगों के लिए एक पृथक महाराष्ट्र राज्य की स्थापना करना था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’किसी तीसरे की जरूरत नहीं है'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राउत ने कहा, &lsquo;&lsquo;उद्धव और राज के बीच चर्चा में किसी तीसरे की जरूरत नहीं है. मैं जानता हूं कि उनके मन में एक-दूसरे और परिवार के लिए क्या भावनाएं हैं. राजनीति के कारण रिश्ते नहीं टूटते. उद्धव इस मेल-मिलाप को लेकर बहुत सकारात्मक हैं. महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हित में उनका रुख बेहद सकारात्मक है.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>करीब दो दशक पहले हुए विभाजन के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उद्धव और राज ठाकरे के बयानों से दोनों के मेल-मिलाप की अटकलें तेज हो गई हैं. दोनों ने संकेत दिए हैं कि वे &lsquo;छोटी बातों&rsquo; को नजरअंदाज कर मराठी हित के लिए साथ आ सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एक होना मुश्किल नहीं- राज ठाकरे ने कहा था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे कह चुके हैं कि मराठी मानुष के हित में एक होना मुश्किल नहीं है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी बातों को भूलने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र-विरोधी तत्वों को जगह न दी जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर 2006 में अपनी पार्टी एमएनएस की स्थापना की थी. इसके बाद उन्होंने समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का विरोध भी किया और साथ भी दिया. बीजेपी कभी उद्धव ठाकरे की पार्टी की सहयोगी रही है.</p> <p style=”text-align: justify;”>महाराष्ट्र के सियासी गलियारे में मौजूदा समय में एक चर्चा जोरों पर है. शिवसेना (यूबीटी) चीफ और महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की नजदीकियों की खबरों ने राज्य का सियासी माहौल गरमा दिया है. बीजेपी से लेकर एनसीपी तक सभी दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इस बीच एक बार फिर उद्धव ठाकरे गुट के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बयान देकर दोनों भाइयों के साथ आने की अटकलों को हवा दे दी है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उद्धव ठाकरे बेहद सकारात्मक- संजय राउत</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>संजय राउत ने मंगलवार (22 अप्रैल) को दावा किया कि उद्धव ठाकरे अपने चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ मेल-मिलाप को लेकर बेहद सकारात्मक हैं. पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने दावा किया कि इस संभावित मेल-मिलाप को लेकर अब आंबेडकरी आंदोलन से जुड़े लोग और दल भी संपर्क में हैं और वे इस नये राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा बनने में रुचि दिखा रहे हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज्यसभा सदस्य राउत ने कहा कि भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने &lsquo;&lsquo;संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन&rsquo;&rsquo; का भी नेतृत्व किया था और ‘मराठी मानुष’ की एकता के प्रयास किए थे. 1950 में चले इस आंदोलन का उद्देश्य मराठी भाषी लोगों के लिए एक पृथक महाराष्ट्र राज्य की स्थापना करना था.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>’किसी तीसरे की जरूरत नहीं है'</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>राउत ने कहा, &lsquo;&lsquo;उद्धव और राज के बीच चर्चा में किसी तीसरे की जरूरत नहीं है. मैं जानता हूं कि उनके मन में एक-दूसरे और परिवार के लिए क्या भावनाएं हैं. राजनीति के कारण रिश्ते नहीं टूटते. उद्धव इस मेल-मिलाप को लेकर बहुत सकारात्मक हैं. महाराष्ट्र और मराठी मानुष के हित में उनका रुख बेहद सकारात्मक है.&rsquo;&rsquo;</p>
<p style=”text-align: justify;”>करीब दो दशक पहले हुए विभाजन के बाद राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी उद्धव और राज ठाकरे के बयानों से दोनों के मेल-मिलाप की अटकलें तेज हो गई हैं. दोनों ने संकेत दिए हैं कि वे &lsquo;छोटी बातों&rsquo; को नजरअंदाज कर मराठी हित के लिए साथ आ सकते हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>एक होना मुश्किल नहीं- राज ठाकरे ने कहा था</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>जहां एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे कह चुके हैं कि मराठी मानुष के हित में एक होना मुश्किल नहीं है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी बातों को भूलने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र-विरोधी तत्वों को जगह न दी जाए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर 2006 में अपनी पार्टी एमएनएस की स्थापना की थी. इसके बाद उन्होंने समय-समय पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का विरोध भी किया और साथ भी दिया. बीजेपी कभी उद्धव ठाकरे की पार्टी की सहयोगी रही है.</p>  महाराष्ट्र Bihar Politics: ‘अगर निशांत नहीं आए तो JDU खत्म, पार्टी में कोई किसी की नहीं सुनेगा’- गोपाल मंडल