हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एसएसपी को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा 24 फसलों पर एमएसपी देने के दावे की पोल एक बार फिर खुल गई है। क्योंकि सरकार किसानों को सरसों का एमएसपी नहीं दे रही है। हमारे पास बाकायदा किसानों ने सरसों खरीद की रसीद भेजकर अपना दुखड़ा सुनाया है। सरसों की एमएसपी 5 हजार 960 है, लेकिन मंडी में खरीद 5 हजार 400 में की जा रही है, यानी किसानों को लगभग ₹500 प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। पिछली बार धान की खरीद भी एमएसपी से कम रेट पर की गई और इस बार सरसों की खरीद में भी किसानों को लूटने का खेल शुरू हो गया है। BJP ने चुनाव में MSP पर खरीद का किया था वादा बीजेपी ने चुनाव से पहले किसानों को धान और गेहूं जैसी फसलों पर एमएसपी से भी ज्यादा रेट देने का वादा किया था। धान की फसल पर बीजेपी ने ₹3100 रेट का वादा किया था। बीजेपी ने सरकार बनने के बाद यह वादा नहीं निभाया और ना ही इस बार के बजट में ऐसा कोई प्रावधान रखा। इतना ही नहीं, खुद सरकार द्वारा पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार ने किसी भी फसल की खरीद एमएसपी पर नहीं की है। सरकार ने मात्र 61 प्रतिशत सरसों, 55 प्रतिशत गेहूं, 25 प्रतिशत मूंग, 18 प्रतिशत जौं, 9 प्रतिशत कपास, सिर्फ 29 और 23 प्रतिशत बाजरा और मकी की एमएसपी पर खरीद की है। सूरजमुखी की 5 प्रतिशत एमएसपी पर हुई खरीद सूरजमुखी की भी सिर्फ 5 प्रतिशत खरीद एमएसपी पर हुई है। यानी सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं कि यह सरकार ज्यादातर किसानों को ज्यादातर फसलों पर एमएसपी नहीं दे रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा का कड़वा सच भी आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में स्पष्ट नजर आ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने अब तक लगभग 62 प्रतिशत यानी 588 करोड़ रुपए का मुआवजा किसानों को नहीं दिया है। किसानों के साथ जोर जबरदस्ती गलत पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार द्वारा किसानों के धरने को बलपूर्वक खत्म करवाने को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को अनसुना करना और दिल्ली जाने से रोकना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। बीजेपी सरकार को उनकी मांगें मानते हुए एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए। हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एसएसपी को लेकर प्रदेश की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। हुड्डा ने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा 24 फसलों पर एमएसपी देने के दावे की पोल एक बार फिर खुल गई है। क्योंकि सरकार किसानों को सरसों का एमएसपी नहीं दे रही है। हमारे पास बाकायदा किसानों ने सरसों खरीद की रसीद भेजकर अपना दुखड़ा सुनाया है। सरसों की एमएसपी 5 हजार 960 है, लेकिन मंडी में खरीद 5 हजार 400 में की जा रही है, यानी किसानों को लगभग ₹500 प्रति क्विंटल का घाटा हो रहा है। पिछली बार धान की खरीद भी एमएसपी से कम रेट पर की गई और इस बार सरसों की खरीद में भी किसानों को लूटने का खेल शुरू हो गया है। BJP ने चुनाव में MSP पर खरीद का किया था वादा बीजेपी ने चुनाव से पहले किसानों को धान और गेहूं जैसी फसलों पर एमएसपी से भी ज्यादा रेट देने का वादा किया था। धान की फसल पर बीजेपी ने ₹3100 रेट का वादा किया था। बीजेपी ने सरकार बनने के बाद यह वादा नहीं निभाया और ना ही इस बार के बजट में ऐसा कोई प्रावधान रखा। इतना ही नहीं, खुद सरकार द्वारा पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण में दिए गए आंकड़ों से स्पष्ट है कि सरकार ने किसी भी फसल की खरीद एमएसपी पर नहीं की है। सरकार ने मात्र 61 प्रतिशत सरसों, 55 प्रतिशत गेहूं, 25 प्रतिशत मूंग, 18 प्रतिशत जौं, 9 प्रतिशत कपास, सिर्फ 29 और 23 प्रतिशत बाजरा और मकी की एमएसपी पर खरीद की है। सूरजमुखी की 5 प्रतिशत एमएसपी पर हुई खरीद सूरजमुखी की भी सिर्फ 5 प्रतिशत खरीद एमएसपी पर हुई है। यानी सरकारी दस्तावेज बता रहे हैं कि यह सरकार ज्यादातर किसानों को ज्यादातर फसलों पर एमएसपी नहीं दे रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा का कड़वा सच भी आर्थिक सर्वेक्षण 2023-24 में स्पष्ट नजर आ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने अब तक लगभग 62 प्रतिशत यानी 588 करोड़ रुपए का मुआवजा किसानों को नहीं दिया है। किसानों के साथ जोर जबरदस्ती गलत पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब सरकार द्वारा किसानों के धरने को बलपूर्वक खत्म करवाने को निंदनीय बताया। उन्होंने कहा कि किसानों को अनसुना करना और दिल्ली जाने से रोकना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। बीजेपी सरकार को उनकी मांगें मानते हुए एमएसपी की गारंटी देनी चाहिए। हरियाणा | दैनिक भास्कर
