प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलिंपिक के भारतीय दल से मुलाकात की है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के उभरते स्टार रेसलर अमन सहरावत से भी बातचीत की। अमन सहरावत ने पेरिस ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। लेकिन जब पीएम मोदी ने मुलाकात के दौरान उनसे पूछा कि उन्होंने घर जाकर क्या पसंदीदा चीज खाई है। उस पर अमन सहरावत का जवाब सुनकर प्रधानमंत्री मोदी और वहां मौजूद खिलाड़ी भी हंस पड़े। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहलवान अमन सहरावत से टूर्नामेंट से लौटने पर पूछा कि अभी मूड क्या है? इस पर अमन ने जो जवाब दिया, उसे भी सुनकर सभी हंसने लगे। अमन की बातों में उनकी मासूमियत, संघर्ष, मौजूदा हालातों का साफ पता लग रहा था। पीएम मोदी और अमन के बीच हुई बातचीत पूरे देश में सुर्खियां बटोर रही है। पीएम मोदी और पहलवान अमन सहरावत के बीच बातचीत के मुख्य अंश पीएम: आप तो यंगेस्ट थे। सब कहते होंगे कि ये मत करो, वो मत करो। तो आप डर जाते होंगे। अमन: नमस्कार सर, मैंने तो बहुत बुरा समय देखा है। जब मैं 10 साल का था, मेरे मम्मी-पापा मुझे छोड़कर चले गए थे। वो मुझे देश को सौंप गए थे। उनका ये ही सपना था कि मैं ओलिंपिक में मेडल लेकर आऊं। मेरा भी यही सपना था कि मैं मैंने देश को ओलिंपिक में मेडल देना है। बस ये ही सोच कर प्रैक्टिस करता रहा। टॉप्स, साई, इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन और WFI का मेरे इस मेडल में बहुत योगदान रहा है। पीएम: अभी मूड़ क्या है ?
अमन: बहुत अच्छा है जी, काफी अच्छा लग रहा है। पीएम: कोई पसंद की चीज घर आकर खाई या नहीं ?
अमन: अभी तो घर गए ही नहीं सर। पीएम: घर गए ही नहीं, हमें बोलते तो हम बनवा देते कुछ भाई
अमन: घर जाकर चूरमा खाऊंगा सर। पेरिस जाने वाले इकलौते पुरुष पहलवान
भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हरियाणा के अमन सहरावत ने प्यूर्टो रिको के डरलिन तुई क्रूज को 13-5 से हरा कर ओलिंपिक में भारत को कुश्ती में पहला मेडल दिलाया। अमन ने ब्रॉन्ज मेडल अपने दिवंगत माता-पिता को समर्पित किया है। भारत की तरफ से पेरिस ओलिंपिक में भारत के 6 पहलवान खेलने के लिए गए थे। इनमें अमन सहरावत, विनेश फोगाट, अंतिम पंघाल, अंशु मलिक, निशा दहिया और रीतिका हुड्डा शामिल रही। अमन, सभी 6 रेसलर्स में से इकलौते पुरुष पहलवान रहे। पिता का सपना था- घर में कोई मेडल जीते
अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को झज्जर जिले के भिड़होड गांव में हुआ था। अमन ने 8 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की थी। अमन जब 11 साल के थे, तब उनकी मां कमलेश की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद उसके पिता सोमवीर सहरावत भी बीमार रहने लगे। 6 महीने के बाद पिता का भी देहांत हो गया। अमन की मौसी सुमन बतातीं है कि अमन का मन बचपन से ही खेलकूद में लगता था। वह मौसेरे भाई दीपक के साथ रनिंग और अखाड़े में कुश्ती का अभ्यास करने लगा। अमन के पिता चाहते थे कि घर में कोई पहलवानी करे और देश के लिए मेडल जीते। खेतों की ढाणी में रहता है परिवार
अमन का परिवार खेती करता है। उनके हिस्से में केवल ढाई एकड़ जमीन आती है। अमन की बहन पूजा बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ रही है। अमन के दादा मांगे राम, ताऊ सुधीर, जयवीर व चाचा रणवीर, कर्मवीर, वेद प्रकाश आदि ने उनकी परवरिश की। उनका परिवार गांव से 2 किलोमीटर दूर नौगांव की तरफ जाने वाले कच्चे रास्ते पर बनी ढाणी में रहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस ओलिंपिक के भारतीय दल से मुलाकात की है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के उभरते स्टार रेसलर अमन सहरावत से भी बातचीत की। अमन सहरावत ने पेरिस ओलिंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीता है। लेकिन जब पीएम मोदी ने मुलाकात के दौरान उनसे पूछा कि उन्होंने घर जाकर क्या पसंदीदा चीज खाई है। उस पर अमन सहरावत का जवाब सुनकर प्रधानमंत्री मोदी और वहां मौजूद खिलाड़ी भी हंस पड़े। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी ने पहलवान अमन सहरावत से टूर्नामेंट से लौटने पर पूछा कि अभी मूड क्या है? इस पर अमन ने जो जवाब दिया, उसे भी सुनकर सभी हंसने लगे। अमन की बातों में उनकी मासूमियत, संघर्ष, मौजूदा हालातों का साफ पता लग रहा था। पीएम मोदी और अमन के बीच हुई बातचीत पूरे देश में सुर्खियां बटोर रही है। पीएम मोदी और पहलवान अमन सहरावत के बीच बातचीत के मुख्य अंश पीएम: आप तो यंगेस्ट थे। सब कहते होंगे कि ये मत करो, वो मत करो। तो आप डर जाते होंगे। अमन: नमस्कार सर, मैंने तो बहुत बुरा समय देखा है। जब मैं 10 साल का था, मेरे मम्मी-पापा मुझे छोड़कर चले गए थे। वो मुझे देश को सौंप गए थे। उनका ये ही सपना था कि मैं ओलिंपिक में मेडल लेकर आऊं। मेरा भी यही सपना था कि मैं मैंने देश को ओलिंपिक में मेडल देना है। बस ये ही सोच कर प्रैक्टिस करता रहा। टॉप्स, साई, इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन और WFI का मेरे इस मेडल में बहुत योगदान रहा है। पीएम: अभी मूड़ क्या है ?
अमन: बहुत अच्छा है जी, काफी अच्छा लग रहा है। पीएम: कोई पसंद की चीज घर आकर खाई या नहीं ?
अमन: अभी तो घर गए ही नहीं सर। पीएम: घर गए ही नहीं, हमें बोलते तो हम बनवा देते कुछ भाई
अमन: घर जाकर चूरमा खाऊंगा सर। पेरिस जाने वाले इकलौते पुरुष पहलवान
भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे हरियाणा के अमन सहरावत ने प्यूर्टो रिको के डरलिन तुई क्रूज को 13-5 से हरा कर ओलिंपिक में भारत को कुश्ती में पहला मेडल दिलाया। अमन ने ब्रॉन्ज मेडल अपने दिवंगत माता-पिता को समर्पित किया है। भारत की तरफ से पेरिस ओलिंपिक में भारत के 6 पहलवान खेलने के लिए गए थे। इनमें अमन सहरावत, विनेश फोगाट, अंतिम पंघाल, अंशु मलिक, निशा दहिया और रीतिका हुड्डा शामिल रही। अमन, सभी 6 रेसलर्स में से इकलौते पुरुष पहलवान रहे। पिता का सपना था- घर में कोई मेडल जीते
अमन सहरावत का जन्म 16 जुलाई 2003 को झज्जर जिले के भिड़होड गांव में हुआ था। अमन ने 8 साल की उम्र में कुश्ती शुरू की थी। अमन जब 11 साल के थे, तब उनकी मां कमलेश की हार्ट अटैक से मौत हो गई। इसके बाद उसके पिता सोमवीर सहरावत भी बीमार रहने लगे। 6 महीने के बाद पिता का भी देहांत हो गया। अमन की मौसी सुमन बतातीं है कि अमन का मन बचपन से ही खेलकूद में लगता था। वह मौसेरे भाई दीपक के साथ रनिंग और अखाड़े में कुश्ती का अभ्यास करने लगा। अमन के पिता चाहते थे कि घर में कोई पहलवानी करे और देश के लिए मेडल जीते। खेतों की ढाणी में रहता है परिवार
अमन का परिवार खेती करता है। उनके हिस्से में केवल ढाई एकड़ जमीन आती है। अमन की बहन पूजा बीए फर्स्ट ईयर में पढ़ रही है। अमन के दादा मांगे राम, ताऊ सुधीर, जयवीर व चाचा रणवीर, कर्मवीर, वेद प्रकाश आदि ने उनकी परवरिश की। उनका परिवार गांव से 2 किलोमीटर दूर नौगांव की तरफ जाने वाले कच्चे रास्ते पर बनी ढाणी में रहते हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर