<p style=”text-align: justify;”><strong>Prashant Kishor News:</strong> दो अक्टूबर 2024 को ‘जन सुराज’ दल बनने जा रहा है. इस अभियान की शुरुआत करने वाले प्रशांत किशोर ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसी क्रम में रविवार (28 जुलाई) को पटना के बापू सभागार में प्रशांत किशोर ने एक कार्यशाला को संबोधित किया. इसमें जिला और प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान पीके ने खुद बताया कि दल का नेतृत्व किसके हाथों में होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पांच वर्गों को मिलेगा दल के नेतृत्व का अवसर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशांत किशोर ने बताया कि जन सुराज दल बनता है तो जेनरल, ओबीसी, मुस्लिम इस तरह करके कुल पांच वर्गों में इसे बांटा जाएगा. कहा, “दल के नेतृत्व पर गहन चर्चा हुई है. मैं आपसे साझा करना चाहता हूं. यह तय किया गया है कि हर बार पांच वर्गों में से एक वर्ग को दल के नेतृत्व करने का अवसर दिया जाए. दल का लीडर कौन होगा या किस वर्ग से होगा? तो यह सबने तय किया कि इन पांचों वर्गों को दल का नेतृत्व करने का अवसर दिया जाए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कितने दिन के लिए मिलेगा नेतृत्व का मौका</strong><strong>?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पीके ने कहा, “दो सवाल है, पहला मौका किसको मिलेगा? कितने दिन के लिए मिलेगा? तो कितने दिन के लिए मिलेगा यह आप तय कर लीजिए. एक सुझाव ये है कि जो दल का नेतृत्व करेगा उसको एक साल का अवसर दिया जाएगा ताकि पांच साल में पांचों वर्गों के लोगों को एक-एक साल दल का नेतृत्व करने का अवसर मिले. दूसरा सुझाव है कि दो-दो साल का मौका मिले, क्योंकि एक साल में तो ज्यादा काम नहीं कर पाएगा, लेकिन जो लोग एक साल के पक्ष में हैं उससे यह है कि पांच साल में सभी वर्गों को काम करने का मौका मिल जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>आगे कहा, “जो लोग दो साल के पक्ष में हैं तो परेशानी ये है कि अगर एक बार दलित समाज का अध्यक्ष बन गया तो आठ साल के बाद ही उसको फिर अवसर मिलेगा.” इस कार्यशाला में आए जन सुराज के पदाधिकारियों से प्रशांत किशोर ने पूछा कि अब आप बताइए कि दल के अध्यक्ष की समय-सीमा एक साल होनी चाहिए या दो साल? इस पर सबने कहा एक साल.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि दल बनाने की तैयारी के लिए बिहार भर के अभियान से जुड़े डेढ़ लाख से अधिक पदाधिकारियों की कुल 8 अलग-अलग राज्य स्तरीय बैठकें की जा रही हैं. इन बैठकों में सभी पदाधिकारियों के साथ दल के बनाने की प्रक्रिया, इसके नेतृत्व, संविधान और दल की प्राथमिकताओं को तय किया जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>यह भी पढ़ें- <a href=”https://www.abplive.com/states/bihar/bihar-union-minister-chirag-paswan-on-opposition-boycott-of-niti-aayog-meeting-ann-2747691″>’ये विपक्ष की सोची समझी रणनीति…’, बोले चिराग पासवान- नीति आयोग की बैठक को डाइवर्ट करना था मकसद</a><br /></strong></p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Prashant Kishor News:</strong> दो अक्टूबर 2024 को ‘जन सुराज’ दल बनने जा रहा है. इस अभियान की शुरुआत करने वाले प्रशांत किशोर ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. इसी क्रम में रविवार (28 जुलाई) को पटना के बापू सभागार में प्रशांत किशोर ने एक कार्यशाला को संबोधित किया. इसमें जिला और प्रखंड स्तर के सभी पदाधिकारियों ने हिस्सा लिया. इस दौरान पीके ने खुद बताया कि दल का नेतृत्व किसके हाथों में होगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>पांच वर्गों को मिलेगा दल के नेतृत्व का अवसर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>प्रशांत किशोर ने बताया कि जन सुराज दल बनता है तो जेनरल, ओबीसी, मुस्लिम इस तरह करके कुल पांच वर्गों में इसे बांटा जाएगा. कहा, “दल के नेतृत्व पर गहन चर्चा हुई है. मैं आपसे साझा करना चाहता हूं. यह तय किया गया है कि हर बार पांच वर्गों में से एक वर्ग को दल के नेतृत्व करने का अवसर दिया जाए. दल का लीडर कौन होगा या किस वर्ग से होगा? तो यह सबने तय किया कि इन पांचों वर्गों को दल का नेतृत्व करने का अवसर दिया जाए.”</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>कितने दिन के लिए मिलेगा नेतृत्व का मौका</strong><strong>?</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पीके ने कहा, “दो सवाल है, पहला मौका किसको मिलेगा? कितने दिन के लिए मिलेगा? तो कितने दिन के लिए मिलेगा यह आप तय कर लीजिए. एक सुझाव ये है कि जो दल का नेतृत्व करेगा उसको एक साल का अवसर दिया जाएगा ताकि पांच साल में पांचों वर्गों के लोगों को एक-एक साल दल का नेतृत्व करने का अवसर मिले. दूसरा सुझाव है कि दो-दो साल का मौका मिले, क्योंकि एक साल में तो ज्यादा काम नहीं कर पाएगा, लेकिन जो लोग एक साल के पक्ष में हैं उससे यह है कि पांच साल में सभी वर्गों को काम करने का मौका मिल जाएगा.”</p>
<p style=”text-align: justify;”>आगे कहा, “जो लोग दो साल के पक्ष में हैं तो परेशानी ये है कि अगर एक बार दलित समाज का अध्यक्ष बन गया तो आठ साल के बाद ही उसको फिर अवसर मिलेगा.” इस कार्यशाला में आए जन सुराज के पदाधिकारियों से प्रशांत किशोर ने पूछा कि अब आप बताइए कि दल के अध्यक्ष की समय-सीमा एक साल होनी चाहिए या दो साल? इस पर सबने कहा एक साल.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बता दें कि दल बनाने की तैयारी के लिए बिहार भर के अभियान से जुड़े डेढ़ लाख से अधिक पदाधिकारियों की कुल 8 अलग-अलग राज्य स्तरीय बैठकें की जा रही हैं. इन बैठकों में सभी पदाधिकारियों के साथ दल के बनाने की प्रक्रिया, इसके नेतृत्व, संविधान और दल की प्राथमिकताओं को तय किया जाएगा.</p>
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