वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार सुबह छात्र कॉलेज के बाहर पहुंच गए। यहां जय श्रीराम के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। 500 से अधिक छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस उन्हें लगातार रोकने की कोशिश कर रही है। इस दौरान पुलिस की छात्रों से झड़प हो गई। छात्रों ने कॉलेज परिसर से मस्जिद को हटाने की मांग की है। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल का दावा है कि 1990 से पहले मस्जिद का कोई अस्तित्व नहीं था। 35 साल पहले कैंपस में लाइब्रेरी के समीप एक मिट्टी का चबूतरा हुआ करता था। इस चबूतरे ने पहले पक्की मजार का रूप लिया। इसके बाद उसके बगल में करीब छह बिस्वा में एक मस्जिद बनाकर तैयार कर दी गई। वहीं यूपी कॉलेज परिसर स्थित मजार और मस्जिद के बाहर हंगामा और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार समेत 12 पर FIR दर्ज की गई है। यह कार्रवाई कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर हुई है। 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात, छात्रों का प्रदर्शन 06 दिसंबर को हिन्दू पक्ष विजय दिवस के रूप में कॉलेज के बाहर पहुंच रहे थे। यूपी कालेज में कई हिंदूवादी संगठनों के साथ ही विभिन्न यूनिवर्सिटी के छात्रों के आने की सूचना पर पुलिस अलर्ट हो गई। बिना चेकिंग के कैम्पस में दाखिल होने पर रोक लगा दी। इसी बात पर छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। भगवा झंडा लेकर जय श्रीराम के नारे लगाते हुए कॉलेज की ओर बढ़ने लगे। उन्होंने कैंपस से मजार और मस्जिद को हटाने की मांग की। छात्र समीर सिंह ने कहा, अब नमाज पढ़ी गई तो वे भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। पुलिस ने भोजुबीर इलाके की तरफ छात्रों को खदेड़ दिया। यहां पर कॉलेज में हॉस्टल के बाहर, मस्जिद के चारों तरफ, कॉलेज के तीन प्रवेश द्वार, लाइब्रेरी से लेकर कॉलेज कैम्पस के बाहर आसपास के इलाके में 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात हैं। कुछ जवानों के पास टियर गैस फायर है। सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार समेत 12 पर FIR यूपी कॉलेज परिसर स्थित मजार और मस्जिद में के बाहर हंगामा और माहौल बिगाड़ने के आरोप में पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोपियों के खिलाफ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार मुख्तार अहमद अंसारी का नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा मस्जिद से जुड़े अलावल और गुलाम रसूल को नामजद किया है। वहीं अन्य 10 आरोपियों को अज्ञात में शामिल किया है। इन सभी का कॉलेज परिसर में प्रवेश रोकने की मांग और कठोर कार्रवाई की मांग की है। इन सभी पर गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराएं कायम की गई हैं। वहीं, मौके के वीडियो, मीडिया और सोशल मीडिया में बयानबाजी के यू-ट्यूब लिंक भी पुलिस को उपलब्ध कराए हैं। अलावल, मुख्तार अहमद और गुलाम रसूल के बयान पर साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है। कॉलेज के प्राचार्य ने परिसर में मौजूद मस्जिद को लेकर एतराज जताया मुस्लिम समुदाय द्वारा कॉलेज में नमाज अदा करने को लेकर छात्रों में आक्रोश था। उन्होंने वक्फ बोर्ड का पुतला जलाकर हंगामा किया और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। इस मामले में पुलिस ने सात छात्रों को हिरासत में ले लिया। हालांकि शाम को उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद छात्र लगातार कॉलेज के कैंपस के बाहर प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग करते रहे। छात्रों पर हुए मुकदमे को वापस लेने की मांग करते हैं। साथ ही छात्रों ने कॉलेज परिसर से मस्जिद और मजार को हटाने की मांग शुरू कर दी। छात्रों के बाद कॉलेज के प्राचार्य ने भी परिसर में मौजूद मस्जिद को लेकर एतराज जताया और पुलिस प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। …पहले जानते हैं उस मस्जिद और मजार के बारे में जो कॉलेज कैंपस में है 06 बिस्वा में बाउंड्रीवाल, 600 स्क्वायर फीट का हाल यूपी कॉलेज में जिस मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, उसे मुस्लिम पक्ष नवाब टोंक मसारत हुजरा की छोटी मस्जिद कहकर बुलाते हैं। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि 1990 से पहले इस मस्जिद का कोई अस्तित्व ही नहीं था। इन 35 सालों में धीरे धीरे लगभग छह बिस्वा एरिया में मस्जिद खड़ी हो गई। 15 फ़ीट ऊंची चहारदीवारी से घिरी मस्जिद में दक्षिण दिशा की तरफ से लोग नमाज अदा करने जाते हैं। कॉलेज की लाइब्रेरी के समीप पूर्व दिशा में भी एक गेट है, लेकिन वह बंद रहता है। जब भी इस गेट को मुस्लिम पक्ष ने खोलने की कोशिश की, छात्रों से झड़प हो गई। अब इस गेट के समीप बने एक कमरे में पुलिस के जवान रहते हैं। जिनकी 24 घंटे मस्जिद और मजार की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इस कमरे में दो दरवाजे हैं, एक दरवाजा मस्जिद तो दूसरा मजार की तरफ खुलता है। मस्जिद परिसर में लगभग 600 स्क्वायर फीट एरिया में हॉल है। जहां लोग इबादत करते हैं। बीच में एक पक्का कमरा है, जिसमें 20 से 25 लोग बैठ सकते हैं। हॉल में दो तरफ टीन शेड हैं। जहां 600 से अधिक लोग बैठ सकते हैं। मस्जिद में 12 फ़ीट ऊंचे लोहे के गेट से प्रवेश करते ही बाएं तरफ वजूखाना है और उसके बगल में स्नानघर व चार शौचालय हैं। पहले था मिट्टी का चबूतरा, मजार बनाकर दे दिया कचनार शहीद बाबा का नाम मस्जिद का निर्माण तो बीते तीन दशक में हुआ लेकिन उससे पहले के दशक में कॉलेज की लाइब्रेरी के समीप पूरब दिशा में एक मिट्टी का चबूतरा हुआ करता था। जहां शाम को अक्सर आसपास के मुस्लिम और हिन्दू वर्ग के लोग अपनी अपनी मान्यता के अनुसार दिया जलाने आते थे। चार दशक पहले हिंदुओं ने यहां आना बंद कर दिया, लेकिन आसपास के मुस्लिम सुबह शाम आने लगे। यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने बताया कि पूर्व में यहां तैनात रहे शिक्षकों व छात्रों से जानकारी करने पर मालूम हुआ कि मुस्लिम पक्ष ने जब भी उस चबूतरा को पक्के निर्माण का स्वरूप देने की कोशिश की। छात्रों ने विरोध करते हुए कई बार तोड़फोड़ की। बाद में किन्ही कारणों से उस चबूतरे ने 150 स्क्वायर फ़ीट में मजार का स्वरूप ले लिया। मुस्लिम पक्ष ने उसे कचनार शहीद बाबा की मजार का नाम दे दिया। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का दावा है कि मस्जिद या मजार की जमीन को लेकर मुस्लिम पक्ष के पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जबकि उनके पास बतौर साक्ष्य सारे पेपर्स हैं। कॉलेज ने काटी बिजली तो लगवा लिया सोलर यूपी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने छात्रों के विरोध के चलते दो साल पहले मस्जिद को दिया गया विद्युत कनेक्शन वापस ले लिया था। मस्जिद से जुड़े लोगों से कह दिया गया था कि वो अपने दस्तावेज के आधार पर बिजली विभाग से कनेक्शन हासिल करें। बिजली विभाग ने बिना वैध दस्तावेज के कनेक्शन देने से इनकार किया तो मस्जिद में एक सोलर पैनल लगाया गया, जिससे वहां बल्ब और पंखे चलते हैं। अब पढ़िए क्यों खड़ा हुआ विवाद और कब-कब क्या हुआ 25 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापन दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए थे। वह कॉलेज को स्टेट यूनिवर्सिटी की मान्यता देने का आश्वासन देते हैं। 26 नवंबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वर्ष 2018 में यूपी कॉलेज को जारी एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल होता है। नोटिस का संबंध वसीम अहमद के उस दावे से था। जिसमें कहा गया था कि मस्जिद और कचनार शाह की मजार नवाब टोंक की जमीन पर है, इसलिए इसे वक्फ बोर्ड अपने नियंत्रण में लें। कॉलेज प्रशासन की तरफ से इस मामले में एक सप्ताह के भीतर वक्फ बोर्ड को जवाब भी दे दिया गया था। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने वक्फ बोर्ड को उसकी नोटिस का जवाब देते हुए कहा गया कि दावे के संदर्भ में अगर कोई वैध दस्तावेज है तो प्रस्तुत करें। उधर बवाल की आशंका पर कैम्पस में पुलिस तैनात कर दी गई। 29 नवंबर को अचानक से कॉलेज परिसर में आसपास के इलाके से लेकर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से 500 से अधिक मुस्लिम कालेज परिसर में दाखिल हो गए और दोपहर की नमाज अदा की। भारी संख्या में मुस्लिम पक्ष के कॉलेज परिसर में आने से छात्र उद्वेलित हो गए। इससे तनाव बढ़ गया। कॉलेज के प्राचार्य डीके सिंह ने पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन को इसकी जानकारी देते हुए भारी संख्या में नमाज अदा करने के लिए कॉलेज परिसर में मुस्लिम पक्ष के आने पर एतराज जताया। 02 दिसंबर को कालेज के छात्रों ने परिसर का माहौल खराब करने की साजिश, व वक्फ बोर्ड की वायरल नोटिस के विरोध में प्रदर्शन किया और वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। कालेज में बढ़ते तनाव को देखते हुए एक प्लाटून पीएसी के साथ तीन थाने की पुलिस फोर्स तैनात हुई। 03 दिसंबर को सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने कॉलेज परिसर में अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मस्जिद से 50 मीटर दूर कालेज गेट के समीप हनुमान चालीसा का पाठ किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प होने पर छात्रसंघ अध्यक्ष समेत सात छात्रनेता गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। देर शाम उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। बवाल की आशंका पर मुस्लिम पक्ष को कैम्पस में नमाज से रोका गया 04 दिसंबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का 03 दिसंबर को जारी पत्र कॉलेज के प्राचार्य को मिलता है। वक्फ बोर्ड के विधि अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि 2018 में जारी नोटिस को तीन वर्ष पूर्व 2021 में ही खारिज किया जा चुका है। कॉलेज परिसर में मौजूद किसी भी जमींन पर उसका कोई दावा नहीं है। 05 दिसंबर को तीसरे दिन छात्रों के विरोध के चलते मुस्लिम पक्ष कॉलेज परिसर में मौजूद मस्जिद में कोई नमाज अदा करने नहीं आया। वाराणसी के उदय प्रताप कॉलेज में मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार सुबह छात्र कॉलेज के बाहर पहुंच गए। यहां जय श्रीराम के नारे लगाते हुए प्रदर्शन किया। 500 से अधिक छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं। पुलिस उन्हें लगातार रोकने की कोशिश कर रही है। इस दौरान पुलिस की छात्रों से झड़प हो गई। छात्रों ने कॉलेज परिसर से मस्जिद को हटाने की मांग की है। वहीं कॉलेज के प्रिंसिपल का दावा है कि 1990 से पहले मस्जिद का कोई अस्तित्व नहीं था। 35 साल पहले कैंपस में लाइब्रेरी के समीप एक मिट्टी का चबूतरा हुआ करता था। इस चबूतरे ने पहले पक्की मजार का रूप लिया। इसके बाद उसके बगल में करीब छह बिस्वा में एक मस्जिद बनाकर तैयार कर दी गई। वहीं यूपी कॉलेज परिसर स्थित मजार और मस्जिद के बाहर हंगामा और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार समेत 12 पर FIR दर्ज की गई है। यह कार्रवाई कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर हुई है। 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात, छात्रों का प्रदर्शन 06 दिसंबर को हिन्दू पक्ष विजय दिवस के रूप में कॉलेज के बाहर पहुंच रहे थे। यूपी कालेज में कई हिंदूवादी संगठनों के साथ ही विभिन्न यूनिवर्सिटी के छात्रों के आने की सूचना पर पुलिस अलर्ट हो गई। बिना चेकिंग के कैम्पस में दाखिल होने पर रोक लगा दी। इसी बात पर छात्रों ने हंगामा शुरू कर दिया। भगवा झंडा लेकर जय श्रीराम के नारे लगाते हुए कॉलेज की ओर बढ़ने लगे। उन्होंने कैंपस से मजार और मस्जिद को हटाने की मांग की। छात्र समीर सिंह ने कहा, अब नमाज पढ़ी गई तो वे भी हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे। पुलिस ने भोजुबीर इलाके की तरफ छात्रों को खदेड़ दिया। यहां पर कॉलेज में हॉस्टल के बाहर, मस्जिद के चारों तरफ, कॉलेज के तीन प्रवेश द्वार, लाइब्रेरी से लेकर कॉलेज कैम्पस के बाहर आसपास के इलाके में 500 से ज्यादा पुलिस जवान तैनात हैं। कुछ जवानों के पास टियर गैस फायर है। सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने में ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार समेत 12 पर FIR यूपी कॉलेज परिसर स्थित मजार और मस्जिद में के बाहर हंगामा और माहौल बिगाड़ने के आरोप में पुलिस ने मुस्लिम पक्ष के 12 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। आरोपियों के खिलाफ कॉलेज के प्राचार्य प्रो. धर्मेंद्र कुमार सिंह की तहरीर पर शिवपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें ज्ञानवापी मस्जिद केस के पैरोकार मुख्तार अहमद अंसारी का नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा मस्जिद से जुड़े अलावल और गुलाम रसूल को नामजद किया है। वहीं अन्य 10 आरोपियों को अज्ञात में शामिल किया है। इन सभी का कॉलेज परिसर में प्रवेश रोकने की मांग और कठोर कार्रवाई की मांग की है। इन सभी पर गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी कर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की धाराएं कायम की गई हैं। वहीं, मौके के वीडियो, मीडिया और सोशल मीडिया में बयानबाजी के यू-ट्यूब लिंक भी पुलिस को उपलब्ध कराए हैं। अलावल, मुख्तार अहमद और गुलाम रसूल के बयान पर साइबर सेल ने जांच शुरू कर दी है। कॉलेज के प्राचार्य ने परिसर में मौजूद मस्जिद को लेकर एतराज जताया मुस्लिम समुदाय द्वारा कॉलेज में नमाज अदा करने को लेकर छात्रों में आक्रोश था। उन्होंने वक्फ बोर्ड का पुतला जलाकर हंगामा किया और आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की। इस मामले में पुलिस ने सात छात्रों को हिरासत में ले लिया। हालांकि शाम को उन्हें छोड़ दिया गया। इसके बाद छात्र लगातार कॉलेज के कैंपस के बाहर प्रदर्शन कर कार्रवाई की मांग करते रहे। छात्रों पर हुए मुकदमे को वापस लेने की मांग करते हैं। साथ ही छात्रों ने कॉलेज परिसर से मस्जिद और मजार को हटाने की मांग शुरू कर दी। छात्रों के बाद कॉलेज के प्राचार्य ने भी परिसर में मौजूद मस्जिद को लेकर एतराज जताया और पुलिस प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की। …पहले जानते हैं उस मस्जिद और मजार के बारे में जो कॉलेज कैंपस में है 06 बिस्वा में बाउंड्रीवाल, 600 स्क्वायर फीट का हाल यूपी कॉलेज में जिस मस्जिद को लेकर विवाद खड़ा हो गया है, उसे मुस्लिम पक्ष नवाब टोंक मसारत हुजरा की छोटी मस्जिद कहकर बुलाते हैं। कॉलेज प्रशासन का कहना है कि 1990 से पहले इस मस्जिद का कोई अस्तित्व ही नहीं था। इन 35 सालों में धीरे धीरे लगभग छह बिस्वा एरिया में मस्जिद खड़ी हो गई। 15 फ़ीट ऊंची चहारदीवारी से घिरी मस्जिद में दक्षिण दिशा की तरफ से लोग नमाज अदा करने जाते हैं। कॉलेज की लाइब्रेरी के समीप पूर्व दिशा में भी एक गेट है, लेकिन वह बंद रहता है। जब भी इस गेट को मुस्लिम पक्ष ने खोलने की कोशिश की, छात्रों से झड़प हो गई। अब इस गेट के समीप बने एक कमरे में पुलिस के जवान रहते हैं। जिनकी 24 घंटे मस्जिद और मजार की सुरक्षा की जिम्मेदारी है। इस कमरे में दो दरवाजे हैं, एक दरवाजा मस्जिद तो दूसरा मजार की तरफ खुलता है। मस्जिद परिसर में लगभग 600 स्क्वायर फीट एरिया में हॉल है। जहां लोग इबादत करते हैं। बीच में एक पक्का कमरा है, जिसमें 20 से 25 लोग बैठ सकते हैं। हॉल में दो तरफ टीन शेड हैं। जहां 600 से अधिक लोग बैठ सकते हैं। मस्जिद में 12 फ़ीट ऊंचे लोहे के गेट से प्रवेश करते ही बाएं तरफ वजूखाना है और उसके बगल में स्नानघर व चार शौचालय हैं। पहले था मिट्टी का चबूतरा, मजार बनाकर दे दिया कचनार शहीद बाबा का नाम मस्जिद का निर्माण तो बीते तीन दशक में हुआ लेकिन उससे पहले के दशक में कॉलेज की लाइब्रेरी के समीप पूरब दिशा में एक मिट्टी का चबूतरा हुआ करता था। जहां शाम को अक्सर आसपास के मुस्लिम और हिन्दू वर्ग के लोग अपनी अपनी मान्यता के अनुसार दिया जलाने आते थे। चार दशक पहले हिंदुओं ने यहां आना बंद कर दिया, लेकिन आसपास के मुस्लिम सुबह शाम आने लगे। यूपी कॉलेज के प्रिंसिपल डीके सिंह ने बताया कि पूर्व में यहां तैनात रहे शिक्षकों व छात्रों से जानकारी करने पर मालूम हुआ कि मुस्लिम पक्ष ने जब भी उस चबूतरा को पक्के निर्माण का स्वरूप देने की कोशिश की। छात्रों ने विरोध करते हुए कई बार तोड़फोड़ की। बाद में किन्ही कारणों से उस चबूतरे ने 150 स्क्वायर फ़ीट में मजार का स्वरूप ले लिया। मुस्लिम पक्ष ने उसे कचनार शहीद बाबा की मजार का नाम दे दिया। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन का दावा है कि मस्जिद या मजार की जमीन को लेकर मुस्लिम पक्ष के पास कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जबकि उनके पास बतौर साक्ष्य सारे पेपर्स हैं। कॉलेज ने काटी बिजली तो लगवा लिया सोलर यूपी कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने छात्रों के विरोध के चलते दो साल पहले मस्जिद को दिया गया विद्युत कनेक्शन वापस ले लिया था। मस्जिद से जुड़े लोगों से कह दिया गया था कि वो अपने दस्तावेज के आधार पर बिजली विभाग से कनेक्शन हासिल करें। बिजली विभाग ने बिना वैध दस्तावेज के कनेक्शन देने से इनकार किया तो मस्जिद में एक सोलर पैनल लगाया गया, जिससे वहां बल्ब और पंखे चलते हैं। अब पढ़िए क्यों खड़ा हुआ विवाद और कब-कब क्या हुआ 25 नवंबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ यूपी कॉलेज के 115वें संस्थापन दिवस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि आए थे। वह कॉलेज को स्टेट यूनिवर्सिटी की मान्यता देने का आश्वासन देते हैं। 26 नवंबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से वर्ष 2018 में यूपी कॉलेज को जारी एक नोटिस सोशल मीडिया पर वायरल होता है। नोटिस का संबंध वसीम अहमद के उस दावे से था। जिसमें कहा गया था कि मस्जिद और कचनार शाह की मजार नवाब टोंक की जमीन पर है, इसलिए इसे वक्फ बोर्ड अपने नियंत्रण में लें। कॉलेज प्रशासन की तरफ से इस मामले में एक सप्ताह के भीतर वक्फ बोर्ड को जवाब भी दे दिया गया था। कॉलेज एडमिनिस्ट्रेशन ने वक्फ बोर्ड को उसकी नोटिस का जवाब देते हुए कहा गया कि दावे के संदर्भ में अगर कोई वैध दस्तावेज है तो प्रस्तुत करें। उधर बवाल की आशंका पर कैम्पस में पुलिस तैनात कर दी गई। 29 नवंबर को अचानक से कॉलेज परिसर में आसपास के इलाके से लेकर पूर्वांचल के विभिन्न जिलों से 500 से अधिक मुस्लिम कालेज परिसर में दाखिल हो गए और दोपहर की नमाज अदा की। भारी संख्या में मुस्लिम पक्ष के कॉलेज परिसर में आने से छात्र उद्वेलित हो गए। इससे तनाव बढ़ गया। कॉलेज के प्राचार्य डीके सिंह ने पुलिस एडमिनिस्ट्रेशन को इसकी जानकारी देते हुए भारी संख्या में नमाज अदा करने के लिए कॉलेज परिसर में मुस्लिम पक्ष के आने पर एतराज जताया। 02 दिसंबर को कालेज के छात्रों ने परिसर का माहौल खराब करने की साजिश, व वक्फ बोर्ड की वायरल नोटिस के विरोध में प्रदर्शन किया और वक्फ बोर्ड का पुतला फूंका। कालेज में बढ़ते तनाव को देखते हुए एक प्लाटून पीएसी के साथ तीन थाने की पुलिस फोर्स तैनात हुई। 03 दिसंबर को सैकड़ों की संख्या में छात्रों ने कॉलेज परिसर में अंदर और बाहर विरोध प्रदर्शन किया और मस्जिद से 50 मीटर दूर कालेज गेट के समीप हनुमान चालीसा का पाठ किया। प्रदर्शन के दौरान पुलिस से झड़प होने पर छात्रसंघ अध्यक्ष समेत सात छात्रनेता गिरफ्तार कर लिए जाते हैं। देर शाम उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। बवाल की आशंका पर मुस्लिम पक्ष को कैम्पस में नमाज से रोका गया 04 दिसंबर को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का 03 दिसंबर को जारी पत्र कॉलेज के प्राचार्य को मिलता है। वक्फ बोर्ड के विधि अधिकारी द्वारा जानकारी दी गई कि 2018 में जारी नोटिस को तीन वर्ष पूर्व 2021 में ही खारिज किया जा चुका है। कॉलेज परिसर में मौजूद किसी भी जमींन पर उसका कोई दावा नहीं है। 05 दिसंबर को तीसरे दिन छात्रों के विरोध के चलते मुस्लिम पक्ष कॉलेज परिसर में मौजूद मस्जिद में कोई नमाज अदा करने नहीं आया। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर
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<p>आम आदमी पार्टी ने एक्स पोस्ट पर लिखा है कि दिल्लीवालों को उनके हक का पानी दिलाने के लिए जल मंत्री आतिशी जी का ‘अनिश्चितकालीन अनशन’ चौथे दिन भी जारी है. डॉक्टरों के सुझाव के उलट आतिशी का कहना है कि मेरा अनिश्चितकाल अनशन तब तक जारी रहेगा, जब तक हरियाणा सरकार 28 लाख लोगों के हक का पानी नहीं छोड़ देती है. मेरा स्वास्थ्य कितना भी बिगड़ जाए, लेकिन मैं दिल्लीवालों को उनके हक का पानी दिलाकर रहूंगी. </p>
<blockquote class=”twitter-tweet”>
<p dir=”ltr” lang=”hi”>दिल्लीवालों को उनके हक़ का पानी दिलाने के लिए जल मंत्री <a href=”https://twitter.com/AtishiAAP?ref_src=twsrc%5Etfw”>@AtishiAAP</a> जी का ‘अनिश्चितकालीन अनशन’ चौथे दिन भी है जारी<br /><br />दिल्ली का सारा पानी पड़ोसी राज्यों से आता है। हरियाणा की BJP सरकार ने दिल्ली के हक़ का 100 MGD अर्थात 46 करोड़ लीटर से ज़्यादा पानी रोक रखा है। यह एक दिन में 28 लाख… <a href=”https://t.co/GHqBAleXA9″>pic.twitter.com/GHqBAleXA9</a></p>
— AAP (@AamAadmiParty) <a href=”https://twitter.com/AamAadmiParty/status/1805101264222691578?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 24, 2024</a></blockquote>
<p>
<script src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” async=”” charset=”utf-8″></script>
</p>
<p>उन्होंने कहा है कि दिल्ली का सारा पानी पड़ोसी राज्यों से आता है. हरियाणा की BJP सरकार ने दिल्ली के हक का 100 एमजीडी पानी (46 करोड़ लीटर) से ज्यादा पानी रोक रखा है. यह एक दिन में 28 लाख से ज्यादा लोगों के काम आता है.</p>
<p><strong><a title=”जल संकट पर मंत्रियों ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी, ‘…वरना दिल्ली में त्राहि त्राहि मच जाएगी'” href=”https://www.abplive.com/states/delhi-ncr/delhi-water-crisis-arvind-kejriwal-ministers-letter-to-pm-modi-2722101″ target=”_blank” rel=”noopener”>जल संकट पर मंत्रियों ने लिखी पीएम मोदी को चिट्ठी, ‘…वरना दिल्ली में त्राहि त्राहि मच जाएगी'</a></strong></p>
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उज्जैन स्टेशन से महाकाल मंदिर पल भर में पहुंचेंगे भक्त, जानें कब से शुरू होगा रोपवे का निर्माण कार्य?
उज्जैन स्टेशन से महाकाल मंदिर पल भर में पहुंचेंगे भक्त, जानें कब से शुरू होगा रोपवे का निर्माण कार्य? <p style=”text-align: justify;”><strong>MP News:</strong> भगवान महाकाल का दर्शन करने उज्जैन आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी है. रोपवे प्रोजेक्ट को गति देने के लिए आज (शुक्रवार) प्रशासनिक संकुल भवन में बैठक हुई. बैठक में मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम के अविनाश लवानिया, कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड के सीईओ प्रकाश गौर मौजूद रहे. प्रकाश गौर ने बताया कि महाकाल रोपवे प्रोजेक्ट का काम अक्टूबर 2024 से शुरू हो जाएगा.</p>
<p style=”text-align: justify;”>रोपवे प्रोजेक्ट को पूरा करने की अवधि अक्टूबर 2026 निर्धारित है. रेलवे स्टेशन से त्रिवेणी होते हुए गणेश कॉलोनी तक 1.76 किलोमीटर लंबा रोपवे बनेगा. रोपवे में 3 स्टेशन, 13 टावर और 48 केबिन स्थापित किए जाएंगे. प्रत्येक केबिन में लगभग 10 लोग बैठ सकेंगे.</p>
<p style=”text-align: justify;”>श्रद्धालुओं को महाकालेश्वर मंदिर तक पहुंचने में लगने वाला समय घट जायेगा. रोपवे के जरिये 7 मिनट में श्रद्धालु रेलवे स्टेशन से महाकालेश्वर मंदिर पहुंचेंगे. अधिकारी ने बताया कि रोपवे में मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाएगा. इंटीग्रेटेड और वर्टिकल रेस्क्यू सिस्टम से लैस रोपवे की क्षमता लगभग एक घंटे में दो हजार यात्री प्रति दिशा होगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>उज्जैन आने वाले महाकाल के भक्तों को बड़ी सौगात</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>गौरतलब है कि महाकाल रोपवे प्रोजेक्ट में नोडल विभाग मध्यप्रदेश सड़क विकास निगम, कंसल्टेंसी एजेंसी नेशनल हाईवे लॉजिस्टिक्स मैनेजमेंट लिमिटेड और निर्माण एजेंसी एमएसइंफ्रा लिमिटेड को बनाया गया है. एमपीआरडीसी के प्रबंधक लवानिया ने निर्माण एजेंसी एमएस इंफ्रा लिमिटेड को निर्धारित समय सीमा में गुणवत्तापूर्ण रोपवे प्रोजेक्ट का कार्य पूरा करने को कहा. उन्होंने कहा कि आने वाली समस्याओं का आपसी समन्वय से त्वरित निराकरण किया जाए. रेलवे, नगर निगम, एमपीईबी, स्मार्ट सिटी यूटिलिटी शिफ्टिंग और आवश्यक अनुमति जारी करने का कार्य तेजी से हो. रोपवे प्रोजेक्ट से महाकालेश्वर मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को काफी फायदा पहुंचाने वाला है. वक्त की बचत के साथ श्रद्धालुओं को यातायात बाधित होने की समस्या से भी छुटकारा मिल जाएगा.</p>
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