<p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Amendment Bill 2025:</strong> वफ्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह से पास कर दिया गया है. अब औपचारिक प्रक्रिया है राष्ट्रपति के साइन की वह भी पूरी हो जाएगी. कहा जाए तो वफ्फ संशोधन कानून पर मुहर लग गई है. अब बिहार में आगामी 7 महीने बाद विधानसभा का चुनाव होना है, ऐसे में विपक्ष लगातार एनडीए सरकार पर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रही है. क्योंकि सीएम नीतीश को सेकुलर माना जाता है, लेकिन उनकी पार्टी ने भी इस बिल का समर्थन किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नीतीश कुमार को घेरने में लगा विपक्ष</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बिल पर जेडीयू के समर्थन के अब पूरा विपक्ष नीतीश कुमार को घेरने में लगा है. अब सोंचने वाली बात है कि करीब 18% मुस्लिम आबादी वाले बिहार में क्या एनडीए को चुनाव में बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को थमने नहीं देगा, तो क्या महागठबंधन को इसका विशेष लाभ मिल जाएगा यह समझने वाली बात है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नीतीश कुमार 2005 से लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं. इसमें वह दो टर्म में तीन से चार साल तक महागठबंधन के साथ रहे हैं. बाकी सभी दिनों तक वह बीजेपी के साथ एनडीए में ही रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी की छवि से सेक्युलर वाली रही है. उनका मुस्लिम वोट भी मिलता रहा है. 2010 में उन्हें पूरा मुस्लिम वोट और सपोर्ट मिला था और उनकी पार्टी के छह मुस्लिम विधायक थे. 2005 में भी चार मुस्लिम विधायक थे. उसके बावजूद नीतीश कुमार मुस्लिम के विरोध में क्यों आ गए. अब 2025 में मुस्लिम वोट निश्चित तौर पर महागठबंधन के खाते में जाएगा तो क्या एनडीए सत्ता में आने से पीछे रह जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे ने कहा कि चुनाव में वफ्फ संसोधन मुद्दे को लेकर विपक्ष निश्चित तौर पर सरकार पर हमला करेगी और उसका लाभ विपक्ष को मिलेगा भी, लेकिन जहां तक बात 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के जीत हार की है तो उससे एनडीए को कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला है. कहा जाए तो बीजेपी अपने मकसद में कामयाब होती दिख रही है. हां यह अलग बात है कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर होगी, लेकिन पिछले आंकड़ों पर गौर किया जाए तो नीतीश कुमार पूरी रणनीति के साथ इसका समर्थन किए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि 2005 में मुस्लिम का कुछ वोट नीतीश को मिला था, उसके बाद नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए बहुत सारे काम किए. करीब 6 हजार कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाई. इससे मुस्लिम प्रभावित हुए और 2010 में मुसलमानों का अच्छा सपोर्ट मिला. 2015 में वह आरजेडी के साथ महागठबंधन में थे, लेकिन 2020 में मुस्लिम वोट उन्हें नहीं मिला था. यही वजह थी कि 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार जेडीयू ने उतारे थे, लेकिन एक भी सीट जीत कर नहीं आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नीतीश कुमार इस वक्त यह जान रहे हैं कि एनडीए में साथ रहने पर मुस्लिम वोट उन्हें मिलने वाला नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार अंतिम पड़ाव में चल रहे हैं ऐसे में बीजेपी का साथ रहना उनकी मजबूरी है. तो हिंदू वोटरों में पिछड़ा अति पिछड़ा वोटो को, महिला वोटरों को साधने के लिए बीजेपी को भी उन्हें साथ रखना जरूरी है. चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में साथ है. तो जातीय ध्रुवीकरण के हिसाब से अगर एमवाय समीकरण को छोड़ भी दिया जाए तो एनडीए मजबूत स्थिति में है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि बीजेपी मुस्लिम वोटो को नहीं मानकर हमेशा चलती है और उसकी रणनीति है कि मुस्लिम वोटो में विभाजन हो, जो वफ्फ संसोधन बिल आया है उसमें गरीब और पसमांदा मुस्लिम को विशेष फायदा होगा. अब बीजेपी इसे भुनाने का काम करेगी और पसमांदा मुस्लिम और और अगड़ी जाति के मुस्लिम को तोड़ने की राजनीति करेगी. बीजेपी हमेशा से हिंदुत्व का नारा लगाते आई है और हिंदू वोटरों को एकजुट करने की राजनीति करती है. अगर हिंदू को एकजुट करना और मुस्लिम वोटों के विभाजन की राजनीति सफल हुई तो बिहार ही नहीं कई राज्यों में बीजेपी सफल हो सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के बाद पश्चिम बंगाल और केरल में भी चुनाव होने हैं. अभी केंद्र मेंचार साल बीजेपी सत्ता में रहेगी, इस दौरान अब इस बिल पर पूरा फोकस मुस्लिम विभाजन का रहेगा. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भी ऐसी बात नहीं है कि पूरा का पूरा मुस्लिम वोट आरजेडी, कांग्रेस को मिलने जा रहा है. प्रशांत किशोर ने भी ऐलान किया है कि हम विधानसभा में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतरेंगे. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम बिहार में सक्रिय रूप से है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बीजेपी की पूरा फोकस हिंदू वोटों पर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछली बार वह 5 सीटों पर चुनाव जीत चुकी थी तो मुस्लिम वोटो में भी बिखराव होते हैं, इसका फायदा एनडीए को होगा. बीजेपी की पूरा फोकस हिंदू वोटों को एकजुट करने का है और यही वजह है कि <a title=”अमित शाह” href=”https://www.abplive.com/topic/amit-shah” data-type=”interlinkingkeywords”>अमित शाह</a> जब पटना आए तो उन्होंने कहा कि हम लोग चुनाव <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> के नाम और नीतीश कुमार के काम पर लड़ेंगे. हिंदू वोट में अगर यादव को छोड़ दिया जाए तो अनुसूचित जाति, पिछड़ा अति पिछड़ा एवं अगड़ी जाति के वोट में बिखराव ना हो और पूरा का पूरा एनडीए के पास जाए इसकी पूरी कोशिश में बीजेपी लगी हुई है और इस बात को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Waqf Amendment Bill 2025:</strong> वफ्फ संशोधन बिल लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह से पास कर दिया गया है. अब औपचारिक प्रक्रिया है राष्ट्रपति के साइन की वह भी पूरी हो जाएगी. कहा जाए तो वफ्फ संशोधन कानून पर मुहर लग गई है. अब बिहार में आगामी 7 महीने बाद विधानसभा का चुनाव होना है, ऐसे में विपक्ष लगातार एनडीए सरकार पर और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला कर रही है. क्योंकि सीएम नीतीश को सेकुलर माना जाता है, लेकिन उनकी पार्टी ने भी इस बिल का समर्थन किया है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>नीतीश कुमार को घेरने में लगा विपक्ष</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>इस बिल पर जेडीयू के समर्थन के अब पूरा विपक्ष नीतीश कुमार को घेरने में लगा है. अब सोंचने वाली बात है कि करीब 18% मुस्लिम आबादी वाले बिहार में क्या एनडीए को चुनाव में बड़ा खामियाजा भुगतना पड़ेगा. क्योंकि विपक्ष इस मुद्दे को थमने नहीं देगा, तो क्या महागठबंधन को इसका विशेष लाभ मिल जाएगा यह समझने वाली बात है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नीतीश कुमार 2005 से लगातार मुख्यमंत्री बने हुए हैं. इसमें वह दो टर्म में तीन से चार साल तक महागठबंधन के साथ रहे हैं. बाकी सभी दिनों तक वह बीजेपी के साथ एनडीए में ही रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी की छवि से सेक्युलर वाली रही है. उनका मुस्लिम वोट भी मिलता रहा है. 2010 में उन्हें पूरा मुस्लिम वोट और सपोर्ट मिला था और उनकी पार्टी के छह मुस्लिम विधायक थे. 2005 में भी चार मुस्लिम विधायक थे. उसके बावजूद नीतीश कुमार मुस्लिम के विरोध में क्यों आ गए. अब 2025 में मुस्लिम वोट निश्चित तौर पर महागठबंधन के खाते में जाएगा तो क्या एनडीए सत्ता में आने से पीछे रह जाएगी.</p>
<p style=”text-align: justify;”>इस पर राजनीतिक जानकार और वरिष्ठ पत्रकार अरुण कुमार पांडे ने कहा कि चुनाव में वफ्फ संसोधन मुद्दे को लेकर विपक्ष निश्चित तौर पर सरकार पर हमला करेगी और उसका लाभ विपक्ष को मिलेगा भी, लेकिन जहां तक बात 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के जीत हार की है तो उससे एनडीए को कोई विशेष फर्क नहीं पड़ने वाला है. कहा जाए तो बीजेपी अपने मकसद में कामयाब होती दिख रही है. हां यह अलग बात है कि नीतीश कुमार और चिराग पासवान के लिए थोड़ी मुश्किल जरूर होगी, लेकिन पिछले आंकड़ों पर गौर किया जाए तो नीतीश कुमार पूरी रणनीति के साथ इसका समर्थन किए हैं.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि 2005 में मुस्लिम का कुछ वोट नीतीश को मिला था, उसके बाद नीतीश कुमार ने मुसलमानों के लिए बहुत सारे काम किए. करीब 6 हजार कब्रिस्तान की घेराबंदी करवाई. इससे मुस्लिम प्रभावित हुए और 2010 में मुसलमानों का अच्छा सपोर्ट मिला. 2015 में वह आरजेडी के साथ महागठबंधन में थे, लेकिन 2020 में मुस्लिम वोट उन्हें नहीं मिला था. यही वजह थी कि 11 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार जेडीयू ने उतारे थे, लेकिन एक भी सीट जीत कर नहीं आए.</p>
<p style=”text-align: justify;”>नीतीश कुमार इस वक्त यह जान रहे हैं कि एनडीए में साथ रहने पर मुस्लिम वोट उन्हें मिलने वाला नहीं है, लेकिन नीतीश कुमार अंतिम पड़ाव में चल रहे हैं ऐसे में बीजेपी का साथ रहना उनकी मजबूरी है. तो हिंदू वोटरों में पिछड़ा अति पिछड़ा वोटो को, महिला वोटरों को साधने के लिए बीजेपी को भी उन्हें साथ रखना जरूरी है. चिराग पासवान, जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में साथ है. तो जातीय ध्रुवीकरण के हिसाब से अगर एमवाय समीकरण को छोड़ भी दिया जाए तो एनडीए मजबूत स्थिति में है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>उन्होंने कहा कि बीजेपी मुस्लिम वोटो को नहीं मानकर हमेशा चलती है और उसकी रणनीति है कि मुस्लिम वोटो में विभाजन हो, जो वफ्फ संसोधन बिल आया है उसमें गरीब और पसमांदा मुस्लिम को विशेष फायदा होगा. अब बीजेपी इसे भुनाने का काम करेगी और पसमांदा मुस्लिम और और अगड़ी जाति के मुस्लिम को तोड़ने की राजनीति करेगी. बीजेपी हमेशा से हिंदुत्व का नारा लगाते आई है और हिंदू वोटरों को एकजुट करने की राजनीति करती है. अगर हिंदू को एकजुट करना और मुस्लिम वोटों के विभाजन की राजनीति सफल हुई तो बिहार ही नहीं कई राज्यों में बीजेपी सफल हो सकती है.</p>
<p style=”text-align: justify;”>बिहार के बाद पश्चिम बंगाल और केरल में भी चुनाव होने हैं. अभी केंद्र मेंचार साल बीजेपी सत्ता में रहेगी, इस दौरान अब इस बिल पर पूरा फोकस मुस्लिम विभाजन का रहेगा. उन्होंने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में भी ऐसी बात नहीं है कि पूरा का पूरा मुस्लिम वोट आरजेडी, कांग्रेस को मिलने जा रहा है. प्रशांत किशोर ने भी ऐलान किया है कि हम विधानसभा में 40 मुस्लिम उम्मीदवार उतरेंगे. असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम बिहार में सक्रिय रूप से है.</p>
<p style=”text-align: justify;”><strong>बीजेपी की पूरा फोकस हिंदू वोटों पर</strong></p>
<p style=”text-align: justify;”>पिछली बार वह 5 सीटों पर चुनाव जीत चुकी थी तो मुस्लिम वोटो में भी बिखराव होते हैं, इसका फायदा एनडीए को होगा. बीजेपी की पूरा फोकस हिंदू वोटों को एकजुट करने का है और यही वजह है कि <a title=”अमित शाह” href=”https://www.abplive.com/topic/amit-shah” data-type=”interlinkingkeywords”>अमित शाह</a> जब पटना आए तो उन्होंने कहा कि हम लोग चुनाव <a title=”नरेंद्र मोदी” href=”https://www.abplive.com/topic/narendra-modi” data-type=”interlinkingkeywords”>नरेंद्र मोदी</a> के नाम और नीतीश कुमार के काम पर लड़ेंगे. हिंदू वोट में अगर यादव को छोड़ दिया जाए तो अनुसूचित जाति, पिछड़ा अति पिछड़ा एवं अगड़ी जाति के वोट में बिखराव ना हो और पूरा का पूरा एनडीए के पास जाए इसकी पूरी कोशिश में बीजेपी लगी हुई है और इस बात को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं. </p> बिहार Waqf Amendment Bill: तो क्या बलियावी भी छोड़ देंगे जेडीयू? 10 अप्रैल को इदार-ए-शरिया लेगा बड़ा फैसला
Waqf Amendment Bill: वफ्फ बोर्ड मुद्दे से बिहार चुनाव में किसे होगा फायदा, किसके चक्रव्यूह में कौन? पढ़िए इनसाइड स्टोरी
