अमृतसर में मेयर के लिए बदल सकते नियम:बहुमत का आंकड़ा 46 की जगह 47 होगा, AAP-कांग्रेस की नजर निर्दलीयों पर

अमृतसर में मेयर के लिए बदल सकते नियम:बहुमत का आंकड़ा 46 की जगह 47 होगा, AAP-कांग्रेस की नजर निर्दलीयों पर

नगर निगम चुनाव संपन्न हुए 8 दिन बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि अमृतसर के मेयर की गद्दी पर कौन बैठेगा। दरअसल, अमृतसर में अभी तक कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। मौजूदा संख्या बल और संभावित गठबंधन ने इस चुनाव को थोड़ा दिलचस्प बना दिया है। लेकिन नगर निगम इस कुर्सी की राह को थोड़ा और कठिन बनाने की तैयारी में है। मौजूदा हालात के मुताबिक माना जा रहा है कि नगर निगम में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के बहुमत के लिए 46 पार्षदों की जरूरत होगी। लेकिन कुछ कानूनी जानकारों का कहना है कि नगर निगम में उस इलाके के पार्षदों के वोट भी जुड़ते हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के बूथ हैं। लेकिन जब से नगर निगम का विस्तार हुआ है, अटारी और जंडियाला गुरु विधानसभा क्षेत्र के कुछ बूथ भी नगर निगम क्षेत्र में आते हैं। अगर इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो मेयर चुनने के लिए नगर निगम हाउस के 92 सदस्य हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में विधायक भी आम आदमी पार्टी के हैं। तो बहुमत के लिए 47 सदस्यों की जरूरत होगी। ऐसे में यह सब तो मेयर चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। बहुमत न मिलने से मुकाबला रोचक हो गया अमृतसर नगर निगम के मेयर का चुनाव किसी भी पार्टी के पास बहुमत न होने से पेचीदा हो गया है। चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी के 40, आम आदमी पार्टी के 24, भाजपा के 9, शिअद के 4 और 8 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के सबसे ज्यादा 40 पार्षद जीते हैं। इसके बावजूद पार्टी मेयर की कुर्सी से काफी दूर नजर आ रही है। हालांकि शहर के राजनीतिक हालात लगातार बदल रहे हैं। आप बढ़ा रही है चिंता आम आदमी पार्टी के पास मौजूदा 24 पार्षदों के साथ 5 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस जिन नवनियुक्त पार्षदों को अपने पक्ष में करने की बात कर रही है, वे मौजूदा आप सरकार के खिलाफ नहीं जाना चाहते। कांग्रेस के सामने बहुमत हासिल करने की चुनौती तो है ही, साथ ही आम आदमी पार्टी का बढ़ता प्रभाव भी बड़ी चिंता का विषय है। नगर निगम अमृतसर के मेयर को चुनने में कांग्रेस पार्टी लगातार बैकफुट पर जा रही है। कांग्रेस नेता लगातार यह कह कर जिम्मेदारी से बच रहे हैं कि मेयर का नाम हाईकमान तय करेगा। लेकिन बहुमत का आंकड़ा कैसे पहुंचेगा, इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर, आप को सत्ता में होने का फायदा मिल रहा है। नवनियुक्त पार्षद भी समझते हैं कि नगर निगम से विकास कार्यों की मांग करने के बाद पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग से इसकी मंजूरी लेनी होगी। जिसमें शहर के विधायकों की अहम भूमिका होगी। नगर निगम चुनाव संपन्न हुए 8 दिन बीत चुके हैं। लेकिन अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि अमृतसर के मेयर की गद्दी पर कौन बैठेगा। दरअसल, अमृतसर में अभी तक कोई भी पार्टी बहुमत हासिल नहीं कर पाई है। मौजूदा संख्या बल और संभावित गठबंधन ने इस चुनाव को थोड़ा दिलचस्प बना दिया है। लेकिन नगर निगम इस कुर्सी की राह को थोड़ा और कठिन बनाने की तैयारी में है। मौजूदा हालात के मुताबिक माना जा रहा है कि नगर निगम में मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के बहुमत के लिए 46 पार्षदों की जरूरत होगी। लेकिन कुछ कानूनी जानकारों का कहना है कि नगर निगम में उस इलाके के पार्षदों के वोट भी जुड़ते हैं, जिनके विधानसभा क्षेत्र में नगर निगम के बूथ हैं। लेकिन जब से नगर निगम का विस्तार हुआ है, अटारी और जंडियाला गुरु विधानसभा क्षेत्र के कुछ बूथ भी नगर निगम क्षेत्र में आते हैं। अगर इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों के विधायकों को भी जोड़ दिया जाए तो मेयर चुनने के लिए नगर निगम हाउस के 92 सदस्य हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में विधायक भी आम आदमी पार्टी के हैं। तो बहुमत के लिए 47 सदस्यों की जरूरत होगी। ऐसे में यह सब तो मेयर चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही स्पष्ट हो पाएगा। बहुमत न मिलने से मुकाबला रोचक हो गया अमृतसर नगर निगम के मेयर का चुनाव किसी भी पार्टी के पास बहुमत न होने से पेचीदा हो गया है। चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस पार्टी के 40, आम आदमी पार्टी के 24, भाजपा के 9, शिअद के 4 और 8 निर्दलीय उम्मीदवार जीते हैं। हालांकि कांग्रेस पार्टी के सबसे ज्यादा 40 पार्षद जीते हैं। इसके बावजूद पार्टी मेयर की कुर्सी से काफी दूर नजर आ रही है। हालांकि शहर के राजनीतिक हालात लगातार बदल रहे हैं। आप बढ़ा रही है चिंता आम आदमी पार्टी के पास मौजूदा 24 पार्षदों के साथ 5 विधायकों का समर्थन है। कांग्रेस जिन नवनियुक्त पार्षदों को अपने पक्ष में करने की बात कर रही है, वे मौजूदा आप सरकार के खिलाफ नहीं जाना चाहते। कांग्रेस के सामने बहुमत हासिल करने की चुनौती तो है ही, साथ ही आम आदमी पार्टी का बढ़ता प्रभाव भी बड़ी चिंता का विषय है। नगर निगम अमृतसर के मेयर को चुनने में कांग्रेस पार्टी लगातार बैकफुट पर जा रही है। कांग्रेस नेता लगातार यह कह कर जिम्मेदारी से बच रहे हैं कि मेयर का नाम हाईकमान तय करेगा। लेकिन बहुमत का आंकड़ा कैसे पहुंचेगा, इस पर कोई भी बोलने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर, आप को सत्ता में होने का फायदा मिल रहा है। नवनियुक्त पार्षद भी समझते हैं कि नगर निगम से विकास कार्यों की मांग करने के बाद पंजाब सरकार के स्थानीय निकाय विभाग से इसकी मंजूरी लेनी होगी। जिसमें शहर के विधायकों की अहम भूमिका होगी।   पंजाब | दैनिक भास्कर