लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा ने आज शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान के 25वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार संभाला। देवेंद्र शर्मा मेयो कॉलेज, अजमेर, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं। जनरल ऑफिसर प्रतिष्ठित ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ के प्राप्तकर्ता हैं और उन्हें 19 दिसंबर 1987 को ‘द सिंध हॉर्स’ में कमीशन मिला था। लगभग चार दशकों के करियर में जनरल ने विभिन्न संवेदनशील ऑपरेशनल क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी माहौल और उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में महत्वपूर्ण कमान नियुक्तियों को संभाला है। उन्होंने ‘द सिंध हॉर्स’ को कमांड किया, स्ट्राइक कोर के हिस्से के रूप में एक आर्मड ब्रिगेड और पश्चिमी मोर्चे पर एक इन्फैंट्री डिवीजन और एक कोर को भी कमांड किया। जीओसी-इन-सी आरट्रैक का पदभार संभालने से पहले जनरल पश्चिमी कमान के मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ थे। NDA में प्रशिक्षक भी रह चुके अपनी सेवा के दौरान, जनरल देवेंद्र शर्मा एनडीए में प्रशिक्षक भी रहे हैं। इम्ट्राट, भूटान में ऑपरेशन्स के स्टाफ ऑफिसर के रूप में एवं कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के मुख्य सैन्य कार्मिक अधिकारी के रूप में तैनात रहें हैं। जनरल ने रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, उच्च रक्षा प्रबंधन कोर्स और लोक प्रशासन में उन्नत व्यावसायिक कार्यक्रम जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित कोर्सेज किए हैं। अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित राष्ट्र के प्रति उनके अनुकरणीय नेतृत्व और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए, जनरल को 2022 में अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया । उन्होंने काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस में ऑपरेशन रक्षक में इन्फैंट्री के साथ काम किया, जहां उन्हें वीरता के लिए सेना मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया और उनको सेंट्रल आर्मी कमांडर के प्रशस्ति पत्र एवं संयुक्त राष्ट्र फोर्स कमांडर के प्रशंसा पत्र से भी सम्मानित किया गया है। लेफ्टिनेंट जनरल देवेंद्र शर्मा ने आज शिमला स्थित सेना प्रशिक्षण कमान के 25वें जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ का पदभार संभाला। देवेंद्र शर्मा मेयो कॉलेज, अजमेर, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के पूर्व छात्र हैं। जनरल ऑफिसर प्रतिष्ठित ‘स्वॉर्ड ऑफ ऑनर’ के प्राप्तकर्ता हैं और उन्हें 19 दिसंबर 1987 को ‘द सिंध हॉर्स’ में कमीशन मिला था। लगभग चार दशकों के करियर में जनरल ने विभिन्न संवेदनशील ऑपरेशनल क्षेत्रों, आतंकवाद विरोधी माहौल और उच्च ऊंचाई वाले इलाकों में महत्वपूर्ण कमान नियुक्तियों को संभाला है। उन्होंने ‘द सिंध हॉर्स’ को कमांड किया, स्ट्राइक कोर के हिस्से के रूप में एक आर्मड ब्रिगेड और पश्चिमी मोर्चे पर एक इन्फैंट्री डिवीजन और एक कोर को भी कमांड किया। जीओसी-इन-सी आरट्रैक का पदभार संभालने से पहले जनरल पश्चिमी कमान के मुख्यालय के चीफ ऑफ स्टाफ थे। NDA में प्रशिक्षक भी रह चुके अपनी सेवा के दौरान, जनरल देवेंद्र शर्मा एनडीए में प्रशिक्षक भी रहे हैं। इम्ट्राट, भूटान में ऑपरेशन्स के स्टाफ ऑफिसर के रूप में एवं कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र मिशन के मुख्य सैन्य कार्मिक अधिकारी के रूप में तैनात रहें हैं। जनरल ने रक्षा सेवा स्टाफ कॉलेज, उच्च रक्षा प्रबंधन कोर्स और लोक प्रशासन में उन्नत व्यावसायिक कार्यक्रम जैसे विभिन्न प्रतिष्ठित कोर्सेज किए हैं। अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित राष्ट्र के प्रति उनके अनुकरणीय नेतृत्व और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए, जनरल को 2022 में अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया गया । उन्होंने काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशंस में ऑपरेशन रक्षक में इन्फैंट्री के साथ काम किया, जहां उन्हें वीरता के लिए सेना मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया और उनको सेंट्रल आर्मी कमांडर के प्रशस्ति पत्र एवं संयुक्त राष्ट्र फोर्स कमांडर के प्रशंसा पत्र से भी सम्मानित किया गया है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल: BJP में ब्राह्मण, महिलाएं और SC हाशिए पर:शिमला लोकसभा में SC की आबादी 29%, 1 को भी अध्यक्ष नहीं बनाया, राजपूतों का बोलबाला
हिमाचल: BJP में ब्राह्मण, महिलाएं और SC हाशिए पर:शिमला लोकसभा में SC की आबादी 29%, 1 को भी अध्यक्ष नहीं बनाया, राजपूतों का बोलबाला हिमाचल प्रदेश के शिमला संसदीय क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के ब्लॉक व जिला अध्यक्ष चुनाव में महिलाओं के साथ साथ जातीय समीकरण का ध्यान नहीं रखा गया। संसदीय क्षेत्र के 4 जिलाध्यक्ष में न तो महिला, न SC, न OBC और न ही ब्राह्मण को जगह मिल पाई है। 3 जिलाध्यक्ष राजपूत और 1 बनिया समुदाय में से है। खासकर SC और ब्राह्मण समुदाय के पार्टी वर्कर इससे अंदरखाते मायूस है। शिमला संसदीय क्षेत्र में BJP के 4 संगठनात्मक जिला (शिमला, महासू, सोलन व सिरमौर) है। शिमला जिला का अध्यक्ष केशव चौहान को चुना गया है। महासू जिला का अध्यक्ष अरुण फाल्टा, सोलन जिला का रत्न पाल सिंह और सिरमौर जिला का अध्यक्ष धीरज गुप्ता को चुना गया है। इनमें से धीरज गुप्ता बनिया और बाकी तीनों राजपूत कम्युनिटी से है। यानी पूरे संसदीय क्षेत्र में एक भी महिला, ब्राह्मण और SC को अध्यक्ष नहीं बनाया गया, जबकि शिमला लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा अनुसूचित जाति की आबादी है। यहां लगभग 29 प्रतिशत SC की आबादी है। सिरमौर जिला में यह 30.34 प्रतिशत, शिमला जिला में 26.51 और सोलन जिला में 28.35 प्रतिशत है। फिर भी भाजपा के 4 संगठनात्मक जिलों में एक भी SC को कमान नहीं मिल पाई। एससी की ज्यादा आबादी के कारण ही शिमला लोकसभा सीट इस श्रेणी के लिए आरक्षित है। मंडल अध्यक्ष चुनाव में भी अनदेखी जिला अध्यक्ष के साथ साथ मंडल अध्यक्ष के चुनाव में भी महिलाओं, SC, ब्राह्मण व OBC की अनदेखी की गई। शिमला संसदीय क्षेत्र में BJP के 44 मंडल है। इनमें से 41 के चुनाव हो गए है, जबकि रोहड़ू, राजगढ़ और दून तीन ब्लॉक के चुनाव अभी रहते हैं। शिमला जिला में 6 मंडल, महासू में 13, सिरमौर में 13 और सोलन में 12 मंडल है। इनमें से लगभग 41 मंडलों में अध्यक्ष का चुनाव हो गया है। शिमला जिला के 6 ब्लॉक में 1 भी SC को अध्यक्ष नहीं बनाया शिमला जिला की बात करें तो यहां 6 ब्लाक में से एक भी अध्यक्ष SC समुदाय का नहीं बन पाया। महासू जिला के 13 ब्लाक में SC समुदाय से एक अध्यक्ष ठियोग में बनाया गया है, वो भी राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी राधा मोहन की लताड़ के बाद ठियोग ब्लॉक की कमान SC समुदाय से संबंध रखने वाले दुनीचंद को दी गई। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दुनीचंद से पहले पार्टी ने एक राजपूत नेता का नाम फाइनल कर दिया था। महासू जिला के ब्लॉक के चुनाव में ब्राह्मण की भी अनदेखी हुई है। सिरमौर में ब्राह्मणों से पार्टी का किनारा सिरमौर जिला के 13 ब्लॉक के चुनाव में भी ब्राह्मणों की अनदेखी हुई है। यहां पर भी ब्राह्मण को नेतृत्व नहीं मिल पाया। हालांकि सिरमौर जिला में 2 महिलाओं और 1 एससी को जरूर अध्यक्ष बनाया गया है। सोलन जिला में ब्राह्मण को जरूर नेतृत्व मिला है, मगर यहां SC को एक भी ब्लॉक में कमान नहीं मिली। अपील कमेटी के पास शिकायत करें वर्कर वहीं हिमाचल के चुनाव अधिकारी डॉ. राजीव भारद्वाज ने बताया कि जिन वर्कर को कोई आपत्ति है, वह अपील कमेटी के पास अपनी आपत्ति जताई सकते हैं। सुंदरनगर से विधायक राकेश जम्वाल की अध्यक्षता में इसके लिए कमेटी गठित कर रखी है। पार्टी वर्कर कमेटी के पास अपनी शिकायत दर्ज करवाए। पार्टी इस पर गंभीरता से विचार करेगी।
हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली
हिमाचल में आर्थिक संकट के बीच सैलरी-पेंशन पर संकट:कल दिनभर इंतजार करते रहे कर्मचारी-पेंशनर; पहली बार 1 तारीख को नहीं मिली हिमाचल प्रदेश में आर्थिक संकट के बीच कर्मचारी-पेंशनर की सैलरी व पेंशन पर संकट आ गया है। प्रदेश में पहली बार ऐसा हुआ है जब कर्मचारियों व पेंशनरों को 1 तारीख को सैलरी-पेंशन नहीं मिली। इससे राज्य के 2 लाख से ज्यादा कर्मचारियों और लगभग 1.50 लाख पेंशनरों की चिंताएं बढ़ गई है। कर्मचारी-पेंशनर बीते कल को दिनभर सैलरी-पेंशन के मैसेज का इंतजार करते रहे। मगर देर रात तक मैसेज नहीं आया। हालांकि बीते कल रविवार था। मगर पहले भी रविवार को कर्मचारी-पेंशनर को सैलरी-पेंशन मिलती रही है। एक तारीख को यदि रविवार आ रहा हो तो उस सूरत में सरकार शनिवार को ही ट्रैज़री में सैलरी-पेंशन डाल देती थी और रविवार को सैलरी-पेंशन क्रेडिट हो जाती थी। मगर आर्थिक संकट के बीच इस बार ऐसा नहीं हुआ। अगस्त महीने की सैलरी-पेंशन के लिए कर्मचारी-पेंशनर इंतजार में है। यह गंभीर आर्थिक संकट का इशारा है। पेंशनर वेलफेयर एसोसिएशन शिमला शहरी इकाई के महासचिव सुभाष वर्मा ने बताया कि आज तक ऐसा कभी नहीं हुआ, जब उन्हें एक तारीख को सैलरी और पेंशन न मिली हो। उन्होंने बताया कि पेंशनर कल दिनभर पेंशन का इंतजार करते रहे। उन्होंने सरकार से आज पेंशन का जल्द भुगतान करने की मांग की है। आर्थिक संकट के बीच सैलरी डैफर कर चुके CM-मंत्री-CPS आर्थिक संकट के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू, कैबिनेट मंत्री व मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) ने 2 महीने का वेतन डैफर कर चुके हैं। यानी अगस्त और सितंबर की सैलरी अक्टूबर महीने में लेंगे। CM सुक्खू का दावा है कि इससे अर्थव्यवस्था को बूस्ट मिलेगा। सीएम आर्थिक संकट जैसी स्थिति से साफ इनकार कर चुके हैं। इससे डगमगा रही अर्थव्यवस्था हिमाचल की अर्थव्यवस्था बढ़ते कर्ज और रेवेन्यू डेफिसिएट ग्रांट (RDG) के निरंतर कम होने से डगमगा रही है। 14वें वित्त आयोग में हिमाचल को RDG में 40624 करोड़ रुपए मिले थे। 15वें वित्त आयोग में यह बढ़ने के बजाय कम होकर 37199 करोड़ रह गया। साल 2021-22 में RDG में हिमाचल को केंद्र से 10249 करोड़ मिले। जो कि अगले वित्त वर्ष 2025-26 में 3257 करोड़ की रह जाएगी। GTS प्रतिपूर्ति राशि और NPS मैचिंग ग्रांट भी बंद GST प्रतिपूर्ति राशि भी भारत सरकार ने जून 2022 में बंद कर दी है, जोकि देश में GST लागू होने के बाद से हर साल 3000 करोड़ रुपए से ज्यादा मिल रही थी। न्यू पेंशन स्कीम (NPS) के बदले हिमाचल को हर साल मिलने वाली मैचिंग ग्रांट भी केंद्र सरकार ने बंद कर दी है। राज्य सरकार हर साल मार्च में 1780 करोड़ रुपए NPA के तौर पर PFRDA के पास जमा कराता था, लेकिन बीते साल अप्रैल से हिमाचल में ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) बहाल कर दी गई है। इसलिए अप्रैल 2023 से NPA में स्टेट और कर्मचारियों का शेयर PFRDA के पास जमा नहीं होगा। इसे देखते हुए केंद्र ने इसकी मैचिंग ग्रांट भी रोक दी है। लोन लेने की सीमा 5% से 3.5% की पूर्व BJP सरकार के कार्यकाल में हिमाचल को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का 5% तक लोन लेने की छूट थी, जो अब घटाकर 3.5% कर दी गई है। केंद्र ने हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के बाद ही कर्ज लेने की सीमा को घटा दिया था। यानी 2022 तक हिमाचल को लगभग 14,500 करोड़ रुपए सालाना का लोन लेने की छूट थी। मगर अब 9000 करोड़ रुपए सालाना लोन लेने की छूट है। 94 हजार करोड़ पहुंचा कर्च छोटे से पहाड़ी राज्य हिमाचल पर लगभग 94 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की कर्मचारियों की देनदारी बकाया है। इससे प्रति व्यक्ति 1.17 लाख रुपए कर्ज चढ़ चुका है, जो कि देश में अरुणाचल प्रदेश के बाद दूसरा सबसे ज्यादा है। इसलिए आय का ज्यादातर हिस्सा पुराना कर्ज चुकाने, ब्याज देने, कर्मचारियों-पेंशनर की सैलरी पर पर खर्च हो रहा है। विकास कार्य के लिए बहुत कम पैसा बच पा रहा है। इससे आमदन्नी अठन्नी और खर्चा रुपया वाली स्थिति हो गई। इन सब वजह से हिमाचल की अर्थव्यवस्था डगमगा लगी है। चिंता इस बात की है कि कर्मचारियों-पेंशनर का लगभग 10 हजार करोड़ रुपए का एरियर सरकार के पास बकाया है। प्रदेश की पूर्व सरकार ने सभी कर्मचारियों-पेंशनर को जनवरी 2016 से नए वेतनमान के लाभ तो दे दिए। मगर इसका एरियर अभी भी बकाया पड़ा है। दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव से पहले 30 से 40 हजार रुपए की एरियर की एक किश्त जरूर दी गई है। मगर यह ऊंट के मुंह में जीरा समान है। कई कर्मचारियों व पेंशनर का तीन-चार लाख रुपए से भी ज्यादा का एरियर बकाया है। जिसका कर्मचारी-पेंशनर बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। सुक्खू सरकार ने 75 साल या इससे अधिक आयु के पेंशनर को जरूर एरियर देने की नोटिफिकेशन की है। ऐसे बढ़ रहा कर्ज राज्य सरकार द्वारा बजट सत्र के दौरान लाए गए व्हाइट पेपर के अनुसार, पूर्व वीरभद्र सरकार के कार्यकाल तक प्रदेश पर लगभग 47 हजार करोड़ का कर्ज था। जब प्रदेश की सत्ता से पूर्व बीजेपी सरकार बाहर हुई तो राज्य पर लगभग 76 हजार करोड़ का कर्ज चढ़ चुका था। 10 हजार करोड़ की कर्मचारियों की देनदानी बकाया था। अब यह कर्ज लगभग 94 हजार करोड़ हो गया है।
हिमाचल युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनी साक्षी शर्मा:बोलीं- पार्टी को जमीनी स्तर पर करेंगे मजबूत, रुके विकास कार्यों को सरकार के समक्ष उठाएंगे
हिमाचल युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनी साक्षी शर्मा:बोलीं- पार्टी को जमीनी स्तर पर करेंगे मजबूत, रुके विकास कार्यों को सरकार के समक्ष उठाएंगे हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले की डलहौजी के सलूणी गांव की साक्षी शर्मा प्रदेश युवा कांग्रेस की उपाध्यक्ष निर्वाचित हुई है। वह छत्र सिंह के साथ हिमाचल प्रदेश युवा कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगी। छात्र राजनीति से निकली साक्षी अब प्रदेश में युवा कांग्रेस को मजबूत करेगी। साक्षी के प्रदेश युवा उपाध्यक्ष निर्वाचित होने पर उनके क्षेत्र में खुशी की लहर है। उन्हें बधाईयां देने वालों का तांता लगा है। चंबा के सलूणी से एक महिला का युवा कांग्रेस में प्रदेश स्तर पर प्रतिनिधित्व होने से पूरे चंबा में खुशी की लहर है। 2015 में ज्वाइन की थी NSUI इससे पहले साक्षी शर्मा NSUI यूथ कांग्रेस के अलग-अलग पदों पर रहे चुकीं हैं। साक्षी शर्मा ने साल 2015 में बतौर वालंटियर NSUI में काम करना शुरू किया था। जिसके बाद उन्हें 2017 में जिला महासचिव नियुक्त किया गया। इसके बाद 2023 में साक्षी शर्मा को स्टेट कोऑर्डिनेटर शक्ति सुपर सी के लिए नियुक्त किया गया। उपाध्यक्ष निर्वाचित होने से पहले साक्षी शर्मा युवा कांग्रेस में स्टेट जनरल सेक्रेटरी और स्टेट कोऑर्डिनेटर शक्ति सुपर सी में काम कर रही थीं। पार्टी को जमीनी स्तर पर करेंगे मजबूत- शर्मा प्रदेश युवा कांग्रेस उपाध्यक्ष बनने पर साक्षी शर्मा ने कहा है कि पार्टी को जमीनी स्तर पर मजबूत करने के लिए युवा कांग्रेस ग्रास रूट से काम करेगी। उन्होंने कहा है कि उनका लक्ष्य अधिक से अधिक महिलाओं को संगठन व पार्टी से जोड़ना रहेगा। इसके लिए वह कॉलेज स्तर से ही छात्राओं को संगठन व पार्टी विचारधारा से जोड़ने के लिए काम करेगी। साक्षी ने कहा कि अपने विधानसभा क्षेत्र में रुके विकास कार्यों को सरकार के समक्ष प्राथमिकता से उठाने का प्रयास करेंगे। साथ ही अधिकारियों व कर्मचारियों के रिक्त चल रहे पदों को भरने के लिए सरकार को अवगत कराएंगे। ताकि यहां की जनता को काम करवाने के लिए किसी भी तरह की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े।