हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला मुख्यालय में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब गायनी वार्ड में अचानक आग लग गई। गायनी वार्ड के दो कमरों के बीच स्थापित बिजली के कंट्रोल पैनल में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण पूरा वार्ड धुएं से भर गया। घटना के समय वार्ड में तीन दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु और प्रसूताएं महिलाएं मौजूद थी। अस्पताल में तैनात होमगार्ड जवानों और नर्सिंग स्टाफ ने तत्परता दिखाते हुए सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला और हाईटेक इमरजेंसी के पीछे स्थित दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया। सूचना मिलते ही वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. विकास चौहान सहित अन्य डॉक्टर भी मौके पर पहुंचे। इसके बाद दमकल विभाग की मदद से आग पर काबू पाया गया। इससे पहले पहले ही बिजली की आपूर्ति बंद करने से बड़ा हादसा टल गया है और आग से क्षतिग्रस्त उपकरणों को हटाया दिया गया है। सभी मरीज और परिजन सुरक्षित- MS अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय मनकोटिया ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से लगी आग पर काबू पा लिया गया। उन्होंने क्षतिग्रस्त उपकरणों को तत्काल बदलने के निर्देश जारी किए हैं। घटना में सभी मरीज और उनके परिजन सुरक्षित हैं। यह घटना अस्पताल की बिजली व्यवस्था की जांच की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हिमाचल प्रदेश के ऊना जिला मुख्यालय में स्थित क्षेत्रीय अस्पताल में बुधवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब गायनी वार्ड में अचानक आग लग गई। गायनी वार्ड के दो कमरों के बीच स्थापित बिजली के कंट्रोल पैनल में शॉर्ट सर्किट से आग लगने के कारण पूरा वार्ड धुएं से भर गया। घटना के समय वार्ड में तीन दर्जन से अधिक गर्भवती महिलाएं, नवजात शिशु और प्रसूताएं महिलाएं मौजूद थी। अस्पताल में तैनात होमगार्ड जवानों और नर्सिंग स्टाफ ने तत्परता दिखाते हुए सभी मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला और हाईटेक इमरजेंसी के पीछे स्थित दूसरे वार्ड में स्थानांतरित किया। सूचना मिलते ही वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. विकास चौहान सहित अन्य डॉक्टर भी मौके पर पहुंचे। इसके बाद दमकल विभाग की मदद से आग पर काबू पाया गया। इससे पहले पहले ही बिजली की आपूर्ति बंद करने से बड़ा हादसा टल गया है और आग से क्षतिग्रस्त उपकरणों को हटाया दिया गया है। सभी मरीज और परिजन सुरक्षित- MS अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. संजय मनकोटिया ने बताया कि शॉर्ट सर्किट से लगी आग पर काबू पा लिया गया। उन्होंने क्षतिग्रस्त उपकरणों को तत्काल बदलने के निर्देश जारी किए हैं। घटना में सभी मरीज और उनके परिजन सुरक्षित हैं। यह घटना अस्पताल की बिजली व्यवस्था की जांच की आवश्यकता को रेखांकित करती है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में जेपी नड्डा के मंत्री बनने से खुशी:CM सुक्खू और भाजपा नेताओं ने दी बधाई; शपथ ग्रहण समारोह में दिल्ली गए 200 पदाधिकारी हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले जगत प्रकाश नड्डा के केंद्रीय मंत्री बनने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने उन्हें बधाई दी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, नड्डा प्रदेश की कठिन भौगोलिक स्थितियों से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि वह प्रदेश के लोगों की विकासात्मक मांगों को पूरा करने के लिए कार्य करेंगे। उन्होंने नरेंद्र मोदी को भी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर बधाई दी। केंद्रीय मंत्री बने जेपी नड्डा को नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी बधाई दी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल, महामंत्री त्रिलोक कपूर, बिहारी लाल शर्मा, राज्यसभा सांसद सिकंदर कुमार, मुख्य प्रवक्ता राकेश जम्वाल, मीडिया प्रभारी कर्ण नंदा, त्रिलोक जम्वाल, संदीपनी भारद्वाज, विनोद कुमार, जनक राज, हर्ष महाजन, इंदु गोस्वामी, विपिन सिंह परमार, बिक्रम ठाकुर, गोविंद ठाकुर, सुखराम चौधरी, रीना कश्यप, सूरत नेगी, वीरेंद्र कश्यप, लखविंदर राणा, राकेश शर्मा, संजय शर्मा, सुधीर शर्मा, लोकिंदर कुमार, दीपराज कपूर, दिलीप ठाकुर ने भी यहां जारी संयुक्त बयान में नड्डा के मंत्री बनने पर खुशी जाहिर की और उन्हें बधाई दी। यही नहीं हिमाचल भाजपा के 200 से ज्यादा पदाधिकारी प्रधानमंत्री मोदी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए दिल्ली गए हैं। प्रधानमंत्री मोदी कैबिनेट के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हिमाचल भाजपा के नेता एवं जुब्बल कोटखाई विधानसभा से बीजेपी प्रत्याशी रहे चेतन बरागटा व अन्य। नड्डा ने ABVP से जुड़कर राजनीतिक करियर की शुरुआत नड्डा ने 1978 में एबीवीपी से जुड़कर छात्र राजनीति से करियर की शुरुआत की और दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के सरदार बने। अब वह दूसरी बार केंद्र में मंत्री बनने हैं। 3 बार विधायक, 3 बार राज्यसभा सांसद चुने गए जेपी नड्डा हिमाचल की बिलासपुर सदर सीट से तीन बार 1994, 1998 और 2007 में विधायक रह चुके हैं। तीन बार राज्यसभा सांसद, 1998 और 2007 में हिमाचल में दो बार कैबिनेट मंत्री, 1994 में हिमाचल में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं। अध्यक्ष के तौर पर 30 जून को कार्यकाल पूरा हो रहा बतौर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष नड्डा का कार्यकाल 30 जून को पूरा हो रहा है। इससे पहले ही प्रधानमंत्री मोदी ने नड्डा को कैबिनेट में जगह दी है। इससे प्रदेश भाजपा नेताओं में खुशी की लहर है।
हिमाचल के 1100 स्कूलों में ठप पड़ी वोकेश्नल शिक्षा:2174 टीचर आज से हड़ताल पर; शिमला के चौड़ा मैदान में करेंगे प्रदर्शन
हिमाचल के 1100 स्कूलों में ठप पड़ी वोकेश्नल शिक्षा:2174 टीचर आज से हड़ताल पर; शिमला के चौड़ा मैदान में करेंगे प्रदर्शन हिमाचल प्रदेश के 1100 से ज्यादा सरकारी स्कूलों में आज से वोकेश्नल सब्जेक्ट की पढ़ाई पूरी तरह ठप पड़ गई है। वोकेश्नल टीचर सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों को बाहर करने, समय पर सैलरी देने और दिवाली पर भी एरियर नहीं देने से नाखुश है। इस वजह से शिमला के चौड़ा मैदान में आज और कल प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है। प्रदेश के सरकारी हाई व सेकेंडरी स्कूलों में साल 2013 से वोकेश्नल सब्जेक्ट 9वीं से 12वीं कक्षा तक के छात्र-छात्राओं को पढ़ाया जा रहा है। इन पाठ्यक्रमों में 80 हजार से ज्यादा छात्र पंजीकृत है। मगर आज तक वोकेश्नल टीचर की सेवाएं निजी कंपनियों के माध्यम से ली जा रही है। शिक्षा विभाग ने 17 कंपनियां पंजीकृत कर रखी हैरानी इस बात की है कि शिक्षा विभाग ने इसके लिए एक-दो नहीं बल्कि पूरी 17 कंपनियां पंजीकृत कर रखी है। वोकेश्नल टीचर एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्वनी ने बताया कि अधिकांश कंपनियों ने दिवाली पर भी उनका एरियर नहीं दिया, जबकि शिक्षा निदेशक ने 5 अक्टूबर को एक ऑर्डर जारी किए थे, जिसमें कहा गया कि 20 अक्टूबर तक सभी वोकेश्नल टीचर को सैलरी का एरियर एकमुश्त दिया जाए। उन्होंने बताया कि कुछ कंपनियों ने एक-दो महीने का एरियर दिया है, जबकि शिक्षा निदेशक के ऑर्डर के मुताबिक छह माह के एरियर का भुगतान एकमुश्त होना था। सैलरी भी 28 अक्टूबर को नहीं दी गई राज्य सरकार ने अपने सभी कर्मचारियों को दिवाली को देखते हुए 28 अक्टूबर को सैलरी का भुगतान किया है। मगर वोकेश्नल टीचर को अब तक अक्टूबर की सैलरी नहीं मिल पाई। अश्वनी कुमार ने बताया, आज और कल शिमला के चौड़ा मैदान में वोकेश्नल टीचर प्रदर्शन करेंगे। यदि उनकी मांगे नहीं मानी गई तो वह हड़ताल को आगामी दिनों में भी जारी रख सकते हैं। दक्ष कामगार तैयार करने को वोकेश्नल पाठयक्रम सरकारी स्कूलों में वोकेश्नल टीचर केंद्र सरकार की स्कूलों में दक्ष कामगार तैयार करने की योजना के तहत रखे गए हैं। इनमें 90 प्रतिशत बजट केंद्र और 10 फीसदी बजट राज्य सरकार देती है। सरकार ने इस साल इनका मानदेय अप्रैल माह में बढ़ा दिया था। इसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया था। इसे देखते हुए शिक्षा निदेशक ने 20 अक्टूबर तक कंपनियों को बढ़े हुए वेतन का एरियर देने के आदेश जारी किए थे। कई सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों ने विभाग के आदेशों की भी परवाह नहीं की और टीचरों को दिवाली पर भी एरियर नहीं दिया गया।
हिमाचल में बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ाएगी पतंगबाजी:2 फरवरी को पतंग महोत्सव का आयोजन, चाइनीज डोर और प्लास्टिक पतंग पर प्रतिबंध
हिमाचल में बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ाएगी पतंगबाजी:2 फरवरी को पतंग महोत्सव का आयोजन, चाइनीज डोर और प्लास्टिक पतंग पर प्रतिबंध हिमाचल प्रदेश की छोटी काशी मंडी में बच्चों से मोबाइल की लत छुड़ाने के लिए नगर निगम (MC) नई पहल शुरू करने जा रहा है। मंडी में पहली बार पतंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसका उद्देश्य बच्चों को मोबाइल की दुनिया से बाहर निकालकर खुले आसमान के नीचे लाना है। यह कार्यक्रम 2 फरवरी को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे तक मंडी के पड्डल मैदान में होगा। मंडी MC के मेयर वीरेंद्र भट ने बताया कि प्रतियोगिता में 16 वर्ष से कम आयु के बच्चे और इससे अधिक आयु के सभी स्त्री-पुरुष बिना किसी प्रवेश शुल्क के भाग ले सकते हैं। रैंकर वैली क्लासेज द्वारा प्रायोजित इस कार्यक्रम में विजेताओं को आकर्षक पुरस्कार दिए जाएंगे। पहला पुरस्कार पाने वाले को 2100 रुपए इनाम पतंग महोत्सव में प्रथम स्थान पर रहने वाले प्रतिभा को 2100 रुपए पुरस्कार दिया जाएगा। द्वितीय स्थान पाने वाले को 1500 रुपए और तृतीय स्थान पर रहने वाले प्रतिभागी को 1100 रुपए का नकद पुरस्कार दिया जाएगा। पतंग और डोर अपनी लानी होगी प्रतिभागियों को अपनी पतंग और डोर खुद लानी होगी, लेकिन चाइनीज डोर और प्लास्टिक की पतंग पर प्रतिबंध रहेगा। सभी प्रतिभागियों को प्रशस्ति पत्र दिए जाएंगे और 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों को पहचान पत्र लाना अनिवार्य होगा। महोत्सव के दौरान लजीज व्यंजन परोसे जाएंगे कार्यक्रम के दौरान स्वयं सहायता समूहों द्वारा मंडी के प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजन जैसे सिड्डू, कचौरी और गलगल का छाछ के स्टॉल भी लगाए जाएंगे। पतंगबाजी में निपुण शहरवासी निर्णायक मंडल की भूमिका निभाएंगे। कार्यक्रम का एक अन्य महत्वपूर्ण उद्देश्य पुरानी परंपराओं को संजोना और युवाओं को नशे के दुष्प्रभावों से बचाने के प्रति जागरूक करना भी है।