यूपी के चित्रकूट जेल में तीन गैंगस्टर कैदियों की मौत मामले की जांच रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई। रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत ने अपनी जांच में पुलिस की थ्योरी पर मुहर लगाई है। रिपोर्ट में बताया गया कि गैंगस्टर अंशू दीक्षित ने पहले मुकीम काला को 10 गोलियां मारीं। फिर मेराज की हत्या की। अंशू दीक्षित ने डबल मर्डर करने के बाद कई बंदियों को बंधक बना लिया था। फायरिंग की सूचना पाकर पहुंची पुलिस के साथ अंशू की मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में अंशू दीक्षित मारा गया। अंशू बोला-एक देशद्रोही तो दूसरा मुख्तरवा का आदमी
चश्मदीद पंकज ने आयोग को बताया- अंशू ने जब बंदियों को बंधक बना लिया, तब जेल वार्डर जगमोहन सिंह सीढ़ियों के सहारे दीवार पर चढ़ गए। अंशू से बोला- भाई किसी को मारो नहीं। अंशू ने जवाब दिया- भाई यह काम सिस्टम का है। आप तो जानते ही हो कि एक देशद्रोही (आतंकी) है और दूसरा मुख्तरवा (मुख्तार अंसारी) का आदमी है। अब मैं किसी को नहीं मारूंगा। जेल वार्डर ने फिर कहा- अब किसी को नहीं मारना, चाहो तो मुझे ही मार दो। इस पर अंशू ने कहा- अरे नहीं भाई, अब मैं किसी को नहीं मारूंगा। आप दस मिनट बाद आएं और पिस्टल ले जाएं। इसके बाद जेल वार्डर वहां नहीं दिखे। अब पढ़िए आयोग को कहां-कहां मिली कमियां जेल कर्मियों की कमियों की नतीजा था चित्रकूट जेल का शूट आउट
रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस शशिकांत ने जेल कर्मियों की लापरवाही को उजागर किया है। कहा- चित्रकूट जेल में शूट आउट कर्मियों की कमियों का नतीजा था। सही से तलाशी नहीं ली जा रही थी, जिससे जेल में हथियार पहुंचा। सुरक्षा में चूक हुई और अधिकारियों की लापरवाही रही। जिसके कारण इतनी बड़ी घटना हुई। आयोग ने 7 कमियां बताईं पुलिस और नेताओं की मिलीभगत के कोई सुबूत नहीं
जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शशिकांत ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- मुकीम काला, मेराज अहमद और अंशू दीक्षित की हत्या के लिए प्रशासनिक, पुलिस, कारागार के अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों के बीच बड़ा षडयंत्र और किसी मिलीभगत के सबूत नहीं मिले हैं। मारे गए बंदियों के घरवालों ने जो आरोप लगाए हैं, वह बिना किसी ठोस साक्ष्य के हैं। जिनका कोई आधार नहीं है। जेल कर्मियों के साथ साजिश से इंकार नहीं
मुकीम काला और मेराज अहमद की हत्या जिन परिस्थितियों में की गई है, उसमें साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ जेल कर्मियों और अन्य के साथ बंदी अंशू दीक्षित के किसी षडयंत्र की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। इस संबंध में पुष्टि लंबित जांच में हो सकता है। आयोग ने सुधार के लिए दिए सुझाव अब तीनों गैंगस्टर्स के बारे में पढ़िए
चित्रकूट जेल में 14 मई, 2021 को कैदी अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी गैंग के मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में जेलकर्मियों और पुलिस से हुई मुठभेड़ में अंशु भी मारा गया था। वेस्ट यूपी का कुख्यात गैंगस्टर मुकीम काला: मुकीम काला वेस्ट UP का कुख्यात और एक लाख रुपए का इनामी गैंगस्टर था। सहारनपुर में तनिष्क शोरूम में इंस्पेक्टर की वर्दी में 10 करोड़ की डकैती डाली थी। पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से एके-47 बरामद की थी। काला शामली जिले के कैराना थाना क्षेत्र के जहानपुरा गांव का रहने वाला था। उस पर 61 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। मुकीम काला के दूसरे भाई वसीम काला को 2017 में STF यूनिट ने मेरठ में मुठभेड़ में मारा था। अंशु ने काला को मारने की सुपारी ली थी: सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया। 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया था। 2019 में दिसंबर में सुल्तानपुर जेल में वीडियो वायरल होने के बाद चित्रकूट जेल भेजा गया था। अंशु मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। 27 अक्टूबर 2013 को उसने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश STF पर गोलियां चलाई थीं। मेराज पहले मुन्ना बजरंगी और मुख्तार के लिए काम करता था: मेराज वाराणसी का रहने वाला था। पहले मुन्ना बजरंगी का खास था, फिर मुख्तार से जुड़ा। इसकी अंशु दीक्षित से तनातनी रहती थी। बनारस में उसे मेराज भाई नाम से जाना जाता था। मेराज अपने गैंग के लिए हथियारों का इंतजाम करता था। वह फर्जी दस्तावेजों पर असलहों का लाइसेंस बनवाने का मास्टरमाइंड था। अक्टूबर, 2020 में जैतपुरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। छानबीन में फर्जी तरीके से बनवाए गए 9 लाइसेंसी पिस्टल और राइफल की जानकारी मिली थी। इसमें उसने एक नगालैंड से मंगवाई थी। यूपी के चित्रकूट जेल में तीन गैंगस्टर कैदियों की मौत मामले की जांच रिपोर्ट बुधवार को विधानसभा में पेश की गई। रिटायर्ड जस्टिस शशिकांत ने अपनी जांच में पुलिस की थ्योरी पर मुहर लगाई है। रिपोर्ट में बताया गया कि गैंगस्टर अंशू दीक्षित ने पहले मुकीम काला को 10 गोलियां मारीं। फिर मेराज की हत्या की। अंशू दीक्षित ने डबल मर्डर करने के बाद कई बंदियों को बंधक बना लिया था। फायरिंग की सूचना पाकर पहुंची पुलिस के साथ अंशू की मुठभेड़ हुई। मुठभेड़ में अंशू दीक्षित मारा गया। अंशू बोला-एक देशद्रोही तो दूसरा मुख्तरवा का आदमी
चश्मदीद पंकज ने आयोग को बताया- अंशू ने जब बंदियों को बंधक बना लिया, तब जेल वार्डर जगमोहन सिंह सीढ़ियों के सहारे दीवार पर चढ़ गए। अंशू से बोला- भाई किसी को मारो नहीं। अंशू ने जवाब दिया- भाई यह काम सिस्टम का है। आप तो जानते ही हो कि एक देशद्रोही (आतंकी) है और दूसरा मुख्तरवा (मुख्तार अंसारी) का आदमी है। अब मैं किसी को नहीं मारूंगा। जेल वार्डर ने फिर कहा- अब किसी को नहीं मारना, चाहो तो मुझे ही मार दो। इस पर अंशू ने कहा- अरे नहीं भाई, अब मैं किसी को नहीं मारूंगा। आप दस मिनट बाद आएं और पिस्टल ले जाएं। इसके बाद जेल वार्डर वहां नहीं दिखे। अब पढ़िए आयोग को कहां-कहां मिली कमियां जेल कर्मियों की कमियों की नतीजा था चित्रकूट जेल का शूट आउट
रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस शशिकांत ने जेल कर्मियों की लापरवाही को उजागर किया है। कहा- चित्रकूट जेल में शूट आउट कर्मियों की कमियों का नतीजा था। सही से तलाशी नहीं ली जा रही थी, जिससे जेल में हथियार पहुंचा। सुरक्षा में चूक हुई और अधिकारियों की लापरवाही रही। जिसके कारण इतनी बड़ी घटना हुई। आयोग ने 7 कमियां बताईं पुलिस और नेताओं की मिलीभगत के कोई सुबूत नहीं
जांच आयोग के अध्यक्ष जस्टिस शशिकांत ने अपनी रिपोर्ट में लिखा- मुकीम काला, मेराज अहमद और अंशू दीक्षित की हत्या के लिए प्रशासनिक, पुलिस, कारागार के अधिकारियों और राजनीतिक व्यक्तियों के बीच बड़ा षडयंत्र और किसी मिलीभगत के सबूत नहीं मिले हैं। मारे गए बंदियों के घरवालों ने जो आरोप लगाए हैं, वह बिना किसी ठोस साक्ष्य के हैं। जिनका कोई आधार नहीं है। जेल कर्मियों के साथ साजिश से इंकार नहीं
मुकीम काला और मेराज अहमद की हत्या जिन परिस्थितियों में की गई है, उसमें साजिश से इंकार नहीं किया जा सकता है। कुछ जेल कर्मियों और अन्य के साथ बंदी अंशू दीक्षित के किसी षडयंत्र की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। इस संबंध में पुष्टि लंबित जांच में हो सकता है। आयोग ने सुधार के लिए दिए सुझाव अब तीनों गैंगस्टर्स के बारे में पढ़िए
चित्रकूट जेल में 14 मई, 2021 को कैदी अंशु दीक्षित ने मुख्तार अंसारी गैंग के मेराज और बदमाश मुकीम काला की गोली मारकर हत्या कर दी थी। बाद में जेलकर्मियों और पुलिस से हुई मुठभेड़ में अंशु भी मारा गया था। वेस्ट यूपी का कुख्यात गैंगस्टर मुकीम काला: मुकीम काला वेस्ट UP का कुख्यात और एक लाख रुपए का इनामी गैंगस्टर था। सहारनपुर में तनिष्क शोरूम में इंस्पेक्टर की वर्दी में 10 करोड़ की डकैती डाली थी। पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उसके पास से एके-47 बरामद की थी। काला शामली जिले के कैराना थाना क्षेत्र के जहानपुरा गांव का रहने वाला था। उस पर 61 से अधिक आपराधिक मुकदमे दर्ज थे। मुकीम काला के दूसरे भाई वसीम काला को 2017 में STF यूनिट ने मेरठ में मुठभेड़ में मारा था। अंशु ने काला को मारने की सुपारी ली थी: सीतापुर जिले के मानकपुर कुड़रा बनी का रहने वाला अंशु दीक्षित लखनऊ विश्वविद्यालय में छात्र के रूप में दाखिला लेने के बाद अपराधियों के संपर्क में आया। 2008 में वह गोपालगंज (बिहार) के भोरे में अवैध हथियारों के साथ पकड़ा गया था। 2019 में दिसंबर में सुल्तानपुर जेल में वीडियो वायरल होने के बाद चित्रकूट जेल भेजा गया था। अंशु मुख्तार अंसारी का खास व शार्प शूटर था। 27 अक्टूबर 2013 को उसने मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश STF पर गोलियां चलाई थीं। मेराज पहले मुन्ना बजरंगी और मुख्तार के लिए काम करता था: मेराज वाराणसी का रहने वाला था। पहले मुन्ना बजरंगी का खास था, फिर मुख्तार से जुड़ा। इसकी अंशु दीक्षित से तनातनी रहती थी। बनारस में उसे मेराज भाई नाम से जाना जाता था। मेराज अपने गैंग के लिए हथियारों का इंतजाम करता था। वह फर्जी दस्तावेजों पर असलहों का लाइसेंस बनवाने का मास्टरमाइंड था। अक्टूबर, 2020 में जैतपुरा पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। छानबीन में फर्जी तरीके से बनवाए गए 9 लाइसेंसी पिस्टल और राइफल की जानकारी मिली थी। इसमें उसने एक नगालैंड से मंगवाई थी। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर