शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अंतरिम कमेटी की बैठक आज सोमवार होने जा रही है। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सजा सुनाए जाने और सुखबीर बादल पर हमले के बाद ये पहली बैठक है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा भी सुखबीर बादल पर हुआ हमला ही रखा गया है। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जानी है। इस बैठक की घोषणा से पहले कमेटी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और घोषणा के बाद अंतरिम कमेटी के सदस्य श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मिलने भी पहुंचे थे। वहीं, सुखबीर बादल की सजा अभी भी चल रही है। तीन गुरुद्वारों पर सेवा के बाद अब दमदमा साहिब और श्री मुक्तसर साहिब में सुखबीर बादल को सजा पूरी करने के लिए जाना है। विज्ञापन का 90 लाख भी वसूलना है एसजीपीसी ने सुखबीर बादल को सजा सुनाए जाने के बाद डेरा सच्चा साध की सजा माफी के बाद दिए गए 90 लाख के विज्ञापन पर भी श्री अकाल तख्त साहिब ने टिप्पणी की थी। श्री अकाल तख्त साहिब ने साफ किया था कि सुखबीर बादल व उनके सहयोगियों से ब्याज सहित इस राशि को वसूला जाना है। इस पैसे को वसूलने की जिम्मेदारी एसजीपीसी को दी गई है। अनुमान है कि इस बैठक में ये पैसा वापस लेने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की जाएगी। 13 दिसंबर को होगी सुखबीर बादल की सजा पूरी सुखबीर बादल की सजा 3 दिसंबर को गोल्डन टेंपल से शुरू हुई थी, जो 13 दिसंबर को पूरी होगी। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सुखबीर बादल व अन्य के दिए गए इस्तीफों को परवान करने और इसकी रिपोर्ट भेजने का भी आदेश दिया गया है। लेकिन अकाली दल ने सजा के चलते श्री अकाल तख्त साहिब से इसे मंजूर करने व रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांग लिया था और उनकी इस मांग को श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से मान भी लिया गया है। वहीं, सुखबीर बादल का इस्तीफा मंजूर करने में देरी पर बागी गुट एक बार फिर अलग नजर आया। बागी गुट ने सुखबीर बादल के इस्तीफे को मंजूर करने में देरी को श्री अकाल तख्त साहिब के हुकमों का निरादर बताया है। बादल सरकार को 4 मामलों में सजा मिली 1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ली- 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। इस पर राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने माफी दिलवाई थी- श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिखों के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई- बादल सरकार के कार्यकाल के दौरान 1 जून 2015 को कुछ लोगों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को इंसाफ नहीं दे पाए- अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। उन्हें राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने का दोषी माना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अंतरिम कमेटी की बैठक आज सोमवार होने जा रही है। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सजा सुनाए जाने और सुखबीर बादल पर हमले के बाद ये पहली बैठक है। इस बैठक का मुख्य एजेंडा भी सुखबीर बादल पर हुआ हमला ही रखा गया है। इसके अलावा कुछ अन्य मुद्दों पर भी चर्चा की जानी है। इस बैठक की घोषणा से पहले कमेटी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी और घोषणा के बाद अंतरिम कमेटी के सदस्य श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मिलने भी पहुंचे थे। वहीं, सुखबीर बादल की सजा अभी भी चल रही है। तीन गुरुद्वारों पर सेवा के बाद अब दमदमा साहिब और श्री मुक्तसर साहिब में सुखबीर बादल को सजा पूरी करने के लिए जाना है। विज्ञापन का 90 लाख भी वसूलना है एसजीपीसी ने सुखबीर बादल को सजा सुनाए जाने के बाद डेरा सच्चा साध की सजा माफी के बाद दिए गए 90 लाख के विज्ञापन पर भी श्री अकाल तख्त साहिब ने टिप्पणी की थी। श्री अकाल तख्त साहिब ने साफ किया था कि सुखबीर बादल व उनके सहयोगियों से ब्याज सहित इस राशि को वसूला जाना है। इस पैसे को वसूलने की जिम्मेदारी एसजीपीसी को दी गई है। अनुमान है कि इस बैठक में ये पैसा वापस लेने की प्रक्रिया पर भी चर्चा की जाएगी। 13 दिसंबर को होगी सुखबीर बादल की सजा पूरी सुखबीर बादल की सजा 3 दिसंबर को गोल्डन टेंपल से शुरू हुई थी, जो 13 दिसंबर को पूरी होगी। श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से सुखबीर बादल व अन्य के दिए गए इस्तीफों को परवान करने और इसकी रिपोर्ट भेजने का भी आदेश दिया गया है। लेकिन अकाली दल ने सजा के चलते श्री अकाल तख्त साहिब से इसे मंजूर करने व रिपोर्ट दाखिल करने के लिए समय मांग लिया था और उनकी इस मांग को श्री अकाल तख्त साहिब की तरफ से मान भी लिया गया है। वहीं, सुखबीर बादल का इस्तीफा मंजूर करने में देरी पर बागी गुट एक बार फिर अलग नजर आया। बागी गुट ने सुखबीर बादल के इस्तीफे को मंजूर करने में देरी को श्री अकाल तख्त साहिब के हुकमों का निरादर बताया है। बादल सरकार को 4 मामलों में सजा मिली 1. राम रहीम के खिलाफ शिकायत वापस ली- 2007 में सलाबतपुरा में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने सिखों के 10वें गुरू श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की परंपरा का अनुकरण करते हुए उन्हीं की तरह कपड़े पहनकर अमृत छकाने का स्वांग रचा था। इस पर राम रहीम के खिलाफ पुलिस केस दर्ज किया गया था, लेकिन बादल सरकार ने सजा देने की जगह इस मामले को ही वापस ले लिया। 2. डेरा मुखी को सुखबीर बादल ने माफी दिलवाई थी- श्री अकाल तख्त साहिब ने कार्रवाई करते हुए राम रहीम को सिख पंथ से निष्कासित कर दिया था। सुखबीर ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए राम रहीम को माफी दिलवा दी थी। इसके बाद अकाली दल और शिरोमणि कमेटी के नेतृत्व को सिखों के गुस्से और नाराजगी का सामना करना पड़ा। अंत में श्री अकाल तख्त साहिब ने राम रहीम को माफी देने का फैसला वापस लिया। 3. बेअदबी की घटनाओं की सही जांच नहीं हुई- बादल सरकार के कार्यकाल के दौरान 1 जून 2015 को कुछ लोगों ने बुर्ज जवाहर सिंह वाला (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ चुराई। फिर 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी (फरीदकोट) के गुरुद्वारा साहिब से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के 110 अंग चुरा लिए और बाहर फेंक दिए। इससे सिख पंथ में भारी आक्रोश फैल गया। अकाली दल सरकार और तत्कालीन गृह मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने इस मामले की समय रहते जांच नहीं की। दोषियों को सजा दिलाने में असफल रहे। इससे पंजाब में हालात बिगड़ गए। 4. झूठे केसों में मारे गए सिखों को इंसाफ नहीं दे पाए- अकाली दल सरकार ने सुमेध सैनी को पंजाब का DGP नियुक्त किया गया। उन्हें राज्य में फर्जी पुलिस मुठभेड़ों को अंजाम देकर सिख युवाओं की हत्या करने का दोषी माना जाता था। पूर्व DGP इजहार आलम, जिन्होंने आलम सेना का गठन किया, उनकी पत्नी को टिकट दिया और उन्हें मुख्य संसदीय सचिव बनाया। पंजाब | दैनिक भास्कर
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पंजाब में नामांकन वापसी का आखिरी दिन:4 विधानसभा सीटों पर होने हैं उपचुनाव, शाम को जारी होंगे चुनाव चिन्ह पंजाब की चार विधानसभा सीटों पर 13 नवंबर को होने वाले उपचुनाव के लिए नामांकन वापस लेने का आज (बुधवार) आखिरी दिन है। उम्मीदवार दोपहर 3 बजे तक चुनाव कार्यालय पहुंचकर अपना नामांकन वापस ले सकेंगे। अभी तक 48 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इसके बाद जो उम्मीदवार बचेंगे उन्हें चुनाव आयोग की ओर से चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे। राज्य की बरनाला, डेरा बाबा नानक, चब्बेवाल और गिद्दड़बाहा विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं। क्योंकि इन सीटों के विधायक अब सांसद बन चुके हैं। ऐसे में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद चुनाव आयोग की ओर से इन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा की गई है। लेकिन दिलचस्प बात यह है कि जो लोग सांसद बन चुके हैं। उनके करीबी या परिवार के सदस्य इस बार चुनावी मैदान में हैं। गिद्दड़बाहा सीट से सांसद बने अमरिंदर सिंह राजा वडिंग की पत्नी कांग्रेस की टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। इसी तरह डेरा बाबा नानक से सांसद सुखजिंदर सिंह रंधावा की पत्नी जतिंदर कौर और चब्बेवाल से सांसद डॉ. राज कुमार चब्बेवाल के बेटे इंशाक चब्बेवाल भी मैदान में हैं। जहां तक इन चारों सीटों का सवाल है तो बरनाला सीट को छोड़कर बाकी सभी सीटें पहले कांग्रेस के कब्जे में थीं। चार सीटों पर उम्मीदवारों की सूची बरनाला हरिंदर सिंह धालीवाल -आप कुलदीप सिंह काका ढिल्लों – कांग्रेस केवल सिंह ढिल्लो – बीजेपी गोबिंद सिंह संधू – शिरोमणि अकाली दल अमृतसर जय राम – RSP यादविंदर सिंह -AKP सरदूल सिंह -निर्दलीय सुखचैन सिंह -निर्दलीय गुरदीप सिंह बाठ -निर्दलीय गुरप्रीत सिंह -निर्दलीय जगमोहन सिंह – निर्दलीय तरसेम सिंह – निर्दलीय पप्पू कुमार – निर्दलीय बग्गा सिंह – निर्दलीय राजू – निर्दलीय डेरा बाबा नानक गुरदीप सिंह – AAP जतिंदर कौर – कांग्रेस रविकरण सिंह काहलों – बीजेपी अयुब मसीह – RSP लखविंदर सिंह – शिरोमणि अकाली दल अमृतसर बावा सिंह – निर्दलीय प्रेम चंद – निर्दलीय रंजीत सिंह – निर्दलीय रेशम सिंह – निर्दलीय सुखमीत सिंह – निर्दलीय कुलवीर सिंह -निर्दलीय लखवीर सिंह -निर्दलीय चब्बेवाल इशांक चब्बेवाल – AAP सोहन सिंह – भाजपा रनजीत कुमार – कांग्रेस दविंदर कुमार – SBM रोहित कुमार – निर्दलीय दविंदर सिंह – निर्दलीय गिद्दड़बाहा अमृता वड़िंग – कांग्रेस हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों – AAP मनप्रीत सिंह बादल – बीजेपी सुख राजन सिंह – शिरोमणि अकाली दल अमृतसर टेक चंद सूबेदार – RLP प्रताप चंद – निर्दलीय सुरजीत सिंह – निर्दलीय जस्सा सिंह – निर्दलीय सुखदेव सिंह – निर्दलीय लक्षमन सिंह – निर्दलीय गुरदीप सिंह – निर्दलीय रघबीर सिंह – निर्दलीय नरेंद्र सिंह – निर्दलीय अमर नाथ – निर्दलीय
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थाना मेहरबान में उक्त मामले के जांच अधिकारी ASI राधेश्याम ने सिविल अस्पताल की दो एसएमओ व दो डॉक्टरों पर बदतमीजी का आरोप लगाया है। उसने पूरी घटना रोजनामचे में दर्ज कर दी है। राधेश्याम के मुताबिक कोर्ट के आदेशों पर वह बच्ची को गर्भपात के लिए बुधवार दोपहर को सिविल अस्पताल एडमिट करवा गए थे। बाद में डॉक्टरों ने टैस्ट में बच्ची में खून महज 6 ग्राम पाए जाने पर परिजनों से बी पॉजीटिव ब्लड मांगा और कहा कि वह डोनर लेकर आएं, तभी ब्लड मिलेगा। गुरुवार सुबह बच्ची की बहन ने फोन कर अपनी परेशानी बताई, तो मैंने ब्लड बैंक से स्टॉक पता किया और फोन पर डॉक्टर से बात करवाने को कहा लेकिन डॉक्टर ने बात करने से इंकार कर दिया। राधेश्याम के मुताबिक इसके बाद वह सिविल अस्पताल में पहुंचे, तो वहां एक डॉक्टर आते ही उस पर भड़क गई और कहा कि वह उनके काम में दखलअंदाजी करने वाला कौन होता है। राधे श्याम मुताबिक उसने उन्हें कोर्ट के आदेश दिखाए तो वह मुझे बुरा-भला बोलते हुए ऑर्डर भी साथ ले गई। इसके बाद वह एसएमओ से बात करने गया। वहां पर एक और एसएमओ भी मौजूद थी। उन्होंने एक लेडी डॉक्टर को बुलाया तो वह आते ही मुझ पर भड़क गईं, और उलटा मुझ पर जूनियर डॉक्टर को धक्के मारने का आरोप लगाने लगी। राधे श्याम के मुताबिक उन्होंने पूरी घटना को डीडीआर(रोजनामचे) में लिखकर अधिकारियों को सूचना दे दी है। पीड़ित को दिया गया ब्लड-SMO डॉ.मनदीप कौर सिद्धू
पीड़ित को ब्लड दे दिया गया है। जहां तक र्दुव्यवहार के आरोपों की बात है, एएसआई या बच्ची के परिजनों से किसी ने गलत व्यवहार नहीं किया बल्कि उल्टा एएसआई ने हमारे स्टाफ से र्दुव्यवहार किया था।