ऑपरेशन सिंदूर- कर्नल सोफिया का कानपुर में ननिहाल:मामी बोलीं- बचपन में बंदूकों से खेलती थीं, बुआ ने कहा- कौम का नाम रोशन किया

ऑपरेशन सिंदूर- कर्नल सोफिया का कानपुर में ननिहाल:मामी बोलीं- बचपन में बंदूकों से खेलती थीं, बुआ ने कहा- कौम का नाम रोशन किया

भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद दो नाम पूरे देश की जुबान पर है। वह हैं- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। 7 मई को यूपी से जुड़ी ये दो महिला अफसर ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग के लिए देश के सामने आईं। कर्नल सोफिया कुछ समय तक झांसी में मेजर पद पर तैनात रहीं। उनका बचपन कानपुर के घाटमपुर और मुरादाबाद में ही बीता है। कानपुर में सोफिया का ननिहाल है। यही वजह है कि बचपन में छुट्टियां बिताने यहां आती थीं। वहीं, मुरादाबाद में उनकी सगी बुआ रहती हैं। बुआ कहती हैं- सोफिया का बचपन का नाम सूफिया था। उसने हमेशा सिर्फ सेना में जाने का सपना देखा। दैनिक भास्कर ऐप की टीम कानपुर से 60Km दूर लहुरीमऊ गांव पहुंची, यहां सोफिया का ननिहाल है। पहले जानिए गांव का माहौल… मामी ने कहा- उसको देशसेवा विरासत में मिली
गांव में हम कर्नल सोफिया का नाम लेकर पहुंचे। लोग हमें एक बाइक रिपेयरिंग की दुकान तक लेकर गए। यहां आयशा बेगम बैठी मिलीं। हमें बताया गया कि यही सोफिया की मामी हैं। हमने पूछा- सोफिया की मां के बारे में कुछ बताइए? आयशा कहती हैं- उनकी मां हलीमा की शादी मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के नौगवां में हुई थी। उनके पिता ताज मोहम्मद भी सेना में रहे हैं। शुरू से ही घर का माहौल ऐसा था कि सोफिया राष्ट्रसेवा की बातें ही करती थी। यह सब उसको विरासत में मिला है। क्या वो बचपन से ही सेना में जाना चाहती थीं? उन्होंने कहा- जब दूसरे बच्चे खेल-खिलौने की बातें करते थे, वह बॉर्डर पर देशसेवा की बातें करती थी। क्या वो जुड़वां बहनें हैं? आयशा कहती हैं- जी, बिल्कुल सही बात है। वो जुड़वां बहनें हैं। हलीमा की दो बेटियां सोफिया और सायना जुड़वां हैं। वह पढ़ने में कैसी थीं? उन्होंने कहा- सोफिया अपने बचपन से बहुत अनुशासित थी। उसको गाइड नहीं करना पड़ता था। वह पढ़ाई में अव्वल थी, बहुत कॉन्फिडेंट थी। उसको बहुत कुछ बताना नहीं पड़ता था। भाई बोले- सोफिया ने बेटियों के लिए बहुत कुछ साबित किया
यहीं हमारी मुलाकात कर्नल सोफिया के ममेरे भाई एजाज और शहनाद से हुई। शहजाद कहते हैं- सोफिया ने सबको बता दिया कि बेटियां सिर्फ चूल्हा-चौका नहीं, अब बॉर्डर की सुरक्षा को भी संभाल रही हैं। पाकिस्तान पर बार-बार एयर स्ट्राइक करने की बजाय बड़ा हमला करना चाहिए। पाकिस्तान को खत्म करके भारत की सीमाएं बढ़ा लेनी चाहिए। पड़ोसी ने कहा- यही सामने कुएं पर सोफिया खेलती रहती थी
इसी गांव में सोफिया के पड़ोसी शरीफ कहते हैं- आपके लिए वो कर्नल सोफिया होंगी। हमारे लिए तो सिर्फ सोफिया है। बचपन में मेरे घर पर खेलने आती थी। बचपन से ही बहुत समझदार बच्ची थी। ये घर के पास जो कुआं देखते हैं, इसी कुआं पर वह अपनी बहन के साथ खेला करती थी। गांव में आज भी पुराना कुआं मौजूद है। सोफिया को बचपन से बंदूक से खेलने का शौक था। वह कहा करती थी कि मैं बड़ी होकर देश की सेवा करूंगी। अब मुरादाबाद में सोफिया की बुआ के घर चलते हैं… बुआ हाथों में सोफिया की तस्वीर लेकर बैठी मिलीं
हाजरा बेगम का परिवार मुरादाबाद शहर में इंद्रा चौक के पास मोहल्ला मकबरा में रहता है। हाजरा बेगम का कहना है कि वो कर्नल सोफिया की सगी बुआ हैं। वह हमें कर्नल सोफिया की तस्वीर हाथ में लेकर बैठी मिलीं। हाजरा कहती हैं- कर्नल सोफिया मेरी सगी भतीजी हैं। वह पूना में पैदा हुई थी। मेरी भतीजी ने आज अपने घर-परिवार का ही नहीं, पूरी कौम का नाम रोशन किया है। वो मुस्लिम बेटियों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर सामने आई हैं। सोफिया का बचपन का नाम सूफिया था। वो बचपन से ही अपने पिता की तरह फौज में जाना चाहती थीं। मेरे 3 भाई, सभी फौज में हैं
हाजरा बेगम कहती हैं- मेरे तीन भाई हैं। तीनों फौज में हैं। उन्हें देखकर सोफिया का भी बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपना था। 1996-97 में उनका सेना में चयन हुआ। हाजरा कहती हैं- मैं तो ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाई, लेकिन अपनी पोती को पढ़ा-लिखाकर किसी काबिल जरूर बनाऊंगी। हाजरा बेगम कहती हैं- कर्नल सोफिया के पिता सूबेदार मोहम्मद ताज कुरैशी उनके सगे भाई हैं। हाजरा के बेटे गालिब कहते हैं कि उनकी लगातार फोन पर अपने मामा से बात होती है। छुटि्टयों में उनके घर आना-जाना भी होता है। गालिब का मुरादाबाद में पीतल और शीशे का काम है। पढ़े क्या है पूरा मामला… सोफिया और व्योमिका के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर अंजाम दिया गया
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने 7 मई को पहलगाम हमले का बदला लिया। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की। 9 टारगेट पर 24 मिसाइलें दागकर 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा किया। इस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम दिया गया, जिसे कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। कर्नल सोफिया कुरैशी गुजरात की रहने वाली हैं, लेकिन उनका यूपी से भी खास कनेक्शन है। झांसी के सदर बाजार स्थित भट्टागांव में उनकी चचेरी बहन शबाना रहती हैं। जबकि हमीरपुर के किंग रोड पर उनकी बड़ी मौसी जन्नतुन खातून अपने बेटे मोहम्मद अशरफ और बहू के साथ रहती हैं। वहीं घाटमपुर के लहरीमऊ गांव में उनका ननिहाल है। यहां पर उनकी मामी आयशा बेगम अपने दो बेटों के साथ रहती है। जानें कौन हैं, कर्नल सोफिया कुरैशी… कर्नल कुरैशी सिग्नल कोर में सर्विस देती हैं, जो आर्मी कम्युनिकेशन में एक्सपर्टीज रखती हैं। उनके कामों में शामिल है… 1. कांगो ऑपरेशन : साल 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में महिलाओं और बच्चों को हिंसा से बचाने को लेकर एक सैन्य टीचर के तौर पर काम किया है। 2. ऑपरेशन पराक्रम : 2001-2002 में पंजाब सीमा पर तैनात होने पर उन्हें उनकी समर्पित सेवा के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। 3. पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियान : आपदा राहत के दौरान कम्युनिकेशन के जरिए उनके असाधारण काम के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ से प्रशस्ति पत्र मिला। ……………………….. यह भी पढ़ें : सरकार बोली- आतंकी हमला हुआ तो उसे युद्ध माना जाएगा, ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों में कंधार हाईजैक-मुंबई हमले के मास्टरमाइंड केंद्र सरकार ने कहा, अगर भविष्य में भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर (युद्ध) माना जाएगा। हमले का जवाब भी वैसे ही दिया जाएगा। न्यूज एजेंसी ANI ने सरकार के सूत्रों के हवाले से यह खबर दी। उधर, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था। न्यूज एजेंसी ANI ने खुफिया एजेंसियों के हवाले से शनिवार को इनमें से 5 आतंकियों की लिस्ट जारी की। पढ़िए पूरी खबर… भारतीय सेना के ऑपरेशन ‘सिंदूर’ के बाद दो नाम पूरे देश की जुबान पर है। वह हैं- कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह। 7 मई को यूपी से जुड़ी ये दो महिला अफसर ऑपरेशन सिंदूर की मीडिया ब्रीफिंग के लिए देश के सामने आईं। कर्नल सोफिया कुछ समय तक झांसी में मेजर पद पर तैनात रहीं। उनका बचपन कानपुर के घाटमपुर और मुरादाबाद में ही बीता है। कानपुर में सोफिया का ननिहाल है। यही वजह है कि बचपन में छुट्टियां बिताने यहां आती थीं। वहीं, मुरादाबाद में उनकी सगी बुआ रहती हैं। बुआ कहती हैं- सोफिया का बचपन का नाम सूफिया था। उसने हमेशा सिर्फ सेना में जाने का सपना देखा। दैनिक भास्कर ऐप की टीम कानपुर से 60Km दूर लहुरीमऊ गांव पहुंची, यहां सोफिया का ननिहाल है। पहले जानिए गांव का माहौल… मामी ने कहा- उसको देशसेवा विरासत में मिली
गांव में हम कर्नल सोफिया का नाम लेकर पहुंचे। लोग हमें एक बाइक रिपेयरिंग की दुकान तक लेकर गए। यहां आयशा बेगम बैठी मिलीं। हमें बताया गया कि यही सोफिया की मामी हैं। हमने पूछा- सोफिया की मां के बारे में कुछ बताइए? आयशा कहती हैं- उनकी मां हलीमा की शादी मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के नौगवां में हुई थी। उनके पिता ताज मोहम्मद भी सेना में रहे हैं। शुरू से ही घर का माहौल ऐसा था कि सोफिया राष्ट्रसेवा की बातें ही करती थी। यह सब उसको विरासत में मिला है। क्या वो बचपन से ही सेना में जाना चाहती थीं? उन्होंने कहा- जब दूसरे बच्चे खेल-खिलौने की बातें करते थे, वह बॉर्डर पर देशसेवा की बातें करती थी। क्या वो जुड़वां बहनें हैं? आयशा कहती हैं- जी, बिल्कुल सही बात है। वो जुड़वां बहनें हैं। हलीमा की दो बेटियां सोफिया और सायना जुड़वां हैं। वह पढ़ने में कैसी थीं? उन्होंने कहा- सोफिया अपने बचपन से बहुत अनुशासित थी। उसको गाइड नहीं करना पड़ता था। वह पढ़ाई में अव्वल थी, बहुत कॉन्फिडेंट थी। उसको बहुत कुछ बताना नहीं पड़ता था। भाई बोले- सोफिया ने बेटियों के लिए बहुत कुछ साबित किया
यहीं हमारी मुलाकात कर्नल सोफिया के ममेरे भाई एजाज और शहनाद से हुई। शहजाद कहते हैं- सोफिया ने सबको बता दिया कि बेटियां सिर्फ चूल्हा-चौका नहीं, अब बॉर्डर की सुरक्षा को भी संभाल रही हैं। पाकिस्तान पर बार-बार एयर स्ट्राइक करने की बजाय बड़ा हमला करना चाहिए। पाकिस्तान को खत्म करके भारत की सीमाएं बढ़ा लेनी चाहिए। पड़ोसी ने कहा- यही सामने कुएं पर सोफिया खेलती रहती थी
इसी गांव में सोफिया के पड़ोसी शरीफ कहते हैं- आपके लिए वो कर्नल सोफिया होंगी। हमारे लिए तो सिर्फ सोफिया है। बचपन में मेरे घर पर खेलने आती थी। बचपन से ही बहुत समझदार बच्ची थी। ये घर के पास जो कुआं देखते हैं, इसी कुआं पर वह अपनी बहन के साथ खेला करती थी। गांव में आज भी पुराना कुआं मौजूद है। सोफिया को बचपन से बंदूक से खेलने का शौक था। वह कहा करती थी कि मैं बड़ी होकर देश की सेवा करूंगी। अब मुरादाबाद में सोफिया की बुआ के घर चलते हैं… बुआ हाथों में सोफिया की तस्वीर लेकर बैठी मिलीं
हाजरा बेगम का परिवार मुरादाबाद शहर में इंद्रा चौक के पास मोहल्ला मकबरा में रहता है। हाजरा बेगम का कहना है कि वो कर्नल सोफिया की सगी बुआ हैं। वह हमें कर्नल सोफिया की तस्वीर हाथ में लेकर बैठी मिलीं। हाजरा कहती हैं- कर्नल सोफिया मेरी सगी भतीजी हैं। वह पूना में पैदा हुई थी। मेरी भतीजी ने आज अपने घर-परिवार का ही नहीं, पूरी कौम का नाम रोशन किया है। वो मुस्लिम बेटियों के लिए एक रोल मॉडल के तौर पर सामने आई हैं। सोफिया का बचपन का नाम सूफिया था। वो बचपन से ही अपने पिता की तरह फौज में जाना चाहती थीं। मेरे 3 भाई, सभी फौज में हैं
हाजरा बेगम कहती हैं- मेरे तीन भाई हैं। तीनों फौज में हैं। उन्हें देखकर सोफिया का भी बचपन से ही सेना की वर्दी पहनने का सपना था। 1996-97 में उनका सेना में चयन हुआ। हाजरा कहती हैं- मैं तो ज्यादा पढ़-लिख नहीं पाई, लेकिन अपनी पोती को पढ़ा-लिखाकर किसी काबिल जरूर बनाऊंगी। हाजरा बेगम कहती हैं- कर्नल सोफिया के पिता सूबेदार मोहम्मद ताज कुरैशी उनके सगे भाई हैं। हाजरा के बेटे गालिब कहते हैं कि उनकी लगातार फोन पर अपने मामा से बात होती है। छुटि्टयों में उनके घर आना-जाना भी होता है। गालिब का मुरादाबाद में पीतल और शीशे का काम है। पढ़े क्या है पूरा मामला… सोफिया और व्योमिका के नेतृत्व में ऑपरेशन सिंदूर अंजाम दिया गया
22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की हत्या कर दी गई थी। भारत ने 7 मई को पहलगाम हमले का बदला लिया। पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक की। 9 टारगेट पर 24 मिसाइलें दागकर 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा किया। इस ऑपरेशन को ‘सिंदूर’ नाम दिया गया, जिसे कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह के नेतृत्व में अंजाम दिया गया। कर्नल सोफिया कुरैशी गुजरात की रहने वाली हैं, लेकिन उनका यूपी से भी खास कनेक्शन है। झांसी के सदर बाजार स्थित भट्टागांव में उनकी चचेरी बहन शबाना रहती हैं। जबकि हमीरपुर के किंग रोड पर उनकी बड़ी मौसी जन्नतुन खातून अपने बेटे मोहम्मद अशरफ और बहू के साथ रहती हैं। वहीं घाटमपुर के लहरीमऊ गांव में उनका ननिहाल है। यहां पर उनकी मामी आयशा बेगम अपने दो बेटों के साथ रहती है। जानें कौन हैं, कर्नल सोफिया कुरैशी… कर्नल कुरैशी सिग्नल कोर में सर्विस देती हैं, जो आर्मी कम्युनिकेशन में एक्सपर्टीज रखती हैं। उनके कामों में शामिल है… 1. कांगो ऑपरेशन : साल 2006 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में महिलाओं और बच्चों को हिंसा से बचाने को लेकर एक सैन्य टीचर के तौर पर काम किया है। 2. ऑपरेशन पराक्रम : 2001-2002 में पंजाब सीमा पर तैनात होने पर उन्हें उनकी समर्पित सेवा के लिए जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ द्वारा प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। 3. पूर्वोत्तर भारत में बाढ़ राहत अभियान : आपदा राहत के दौरान कम्युनिकेशन के जरिए उनके असाधारण काम के लिए उन्हें सिग्नल ऑफिसर-इन-चीफ से प्रशस्ति पत्र मिला। ……………………….. यह भी पढ़ें : सरकार बोली- आतंकी हमला हुआ तो उसे युद्ध माना जाएगा, ऑपरेशन सिंदूर में मारे गए आतंकियों में कंधार हाईजैक-मुंबई हमले के मास्टरमाइंड केंद्र सरकार ने कहा, अगर भविष्य में भारत पर कोई भी आतंकी हमला होता है तो इसे एक्ट ऑफ वॉर (युद्ध) माना जाएगा। हमले का जवाब भी वैसे ही दिया जाएगा। न्यूज एजेंसी ANI ने सरकार के सूत्रों के हवाले से यह खबर दी। उधर, भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पीओके में 100 से ज्यादा आतंकियों को मार गिराया था। न्यूज एजेंसी ANI ने खुफिया एजेंसियों के हवाले से शनिवार को इनमें से 5 आतंकियों की लिस्ट जारी की। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर