बेजुबान जानवरों की ‘मां’ बनी लॉ स्टूडेंट:घर के 3 फ्लोर बीमार जानवरों के लिए रिजर्व; कहा- स्ट्रीट एनिमल लवर से ही शादी करूंगी

बेजुबान जानवरों की ‘मां’ बनी लॉ स्टूडेंट:घर के 3 फ्लोर बीमार जानवरों के लिए रिजर्व; कहा- स्ट्रीट एनिमल लवर से ही शादी करूंगी

प्रयागराज की वंशिका बेजुबान जानवरों की ‘मां’ कहलाने में खुशी महसूस करती हैं। सिर्फ 28 साल की वंशिका ने पिछले 10 सालों में 20 हजार से ज्यादा जानवरों का रेस्क्यू किया। घायल जानवरों की मरहम पट्‌टी करके उन्हें फिर आजाद कर देना ही उनका डेली रूटीन है। इस वक्त उनके घर की 3 मंजिल के सभी कमरे जानवरों की सेवा के लिए रिजर्व हैं। बेजुबान जानवर की मां बनने के सफर की शुरुआत तब हुई, जब वंशिका सिर्फ 18 साल की थीं। उन्होंने पहली बार एक बीमार पपी (कुत्ते के बच्चे) को रेस्क्यू किया। उसके शरीर पर बाल नहीं थे, स्किन इन्फेक्शन था, हालत बेहद खराब थी। वंशिका कहती हैं- उस वक्त मैंने उसको अपने ही कमरे में रखा, मगर घर के सदस्यों को यह बात पसंद नहीं आई। मां पहले जानवरों को घर में लाने के लिए तैयार नहीं हुई, लेकिन धीरे-धीरे वह मेरी भावनाओं को समझने लगीं। वंशिका क्यों 10 साल से जानवरों की सेवा कर रही हैं, वो खुद क्या करती हैं, इसके लिए फंड कहां से आता है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम लॉ स्टूडेंट वंशिका के घर पहुंची। उनके घर म्योराबाद पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… जानवरों को लेकर पुलिस केस तक हुआ
वंशिका से पूछा कि पहली बार आप पपी लेकर आईं, तब क्या समस्याएं सामने आई? वह कहती हैं- मम्मी ने पपी को देखते ही कहा कि इसको घर से बाहर रखो। अब मैं परेशान थी कि उसे दवा, देखभाल और प्यार की जरूरत थी, अब मैं क्या करती। शुरुआत में समय-समय पर घर से बाहर के जानवरों को बचाने पर ऐसे ही एतराज हुआ। कहा जाता कि शाम 6 बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकलना है। जानवरों की सेवा करती तो उन्हें रखने की जगह नहीं मिलती। ऐसी ही तमाम समस्याएं मेरे सामने आती थीं। मेरा ये सफर आसान नहीं था। पड़ोसियों ने पहले सिर्फ खाना खिलाने पर एतराज जताया, फिर जानवरों की मौजूदगी पर। कई बार मारपीट तक हुई, पुलिस केस हुआ। सिर्फ इस वजह से कि मैं गली के कुत्तों को खाना क्यों खिला रही हूं। जख्मी जानवरों का इलाज कैसे करती हैं?
वंशिका कहती हैं- मेरे पिता होम्योपैथी के डॉक्टर हैं। घर में शुरू से मेडिकल और मेडिसिन की बातें होती थीं। हम सभी लोगों को बेसिक जानकारी थी। पापा-मम्मी खुद भी किसी घायल जानवर को देख लेते तो घर ले आते। मगर जब रेस्क्यू किए गए जानवरों की संख्या बढ़ने लगी तो घर में भी असुविधा होने लगी, तब सब रोक दिया गया। घर की कितनी जगह जानवरों के लिए दी गई?
इसपर वंशिका कहती हैं कि हमारा 4 मंजिल का मकान है। आज मेरे रेस्क्यू किए गए जानवरों का घर बन चुका है। सेंसिटिव जानवर मेरे साथ रहते हैं, जिन्हें विशेष देखभाल चाहिए। बाकी फ्लोर्स में हमने केटेगरी वाइज़ जानवरों को रखा है। जैसे एक फ्लोर पर सिर्फ पैरालाइज्ड जानवर हैं, एक में सिर्फ बिल्लियां हैं। क्योंकि वह दूसरे जानवरों के साथ नहीं रह पाती हैं। आपने अभी तक कितने जानवरों का रेस्क्यू किया है?
वंशिका कहती हैं- मेरे पास कुत्ते, बिल्ली, गाय, घोड़ा, खच्चर, बकरी, मुर्गी, कबूतर, चील, गिद्ध, सियार, बंदर, यहां तक कि सांप और मछलियों का भी रेस्क्यू किया है। ये जानवर अपनी तकलीफ नहीं कह सकते, उनके लिए हमें बोलना होगा। मैं इनका दर्द महसूस करती हूं। कोशिश करूंगी कि मेरी शादी भी किसी स्ट्रीट एनिमल लवर से हो, ताकि हमारी मैरिज लाइफ पर असर न पड़े। इसके लिए फंड कहां से आता है?
वंशिका कहती हैं- पहले अपनी पाकेट मनी से जानवरों की सेवा करती थी। मगर फिर समझ आया कि यह बहुत खर्चे वाला काम है। इसलिए पापा और रिश्तेदारों से मदद ली। बाद में मैंने एक NGO खोल ली। इसके जरिए लोग ही मेरी मदद करते हैं। मैं सिर्फ जानवरों की सेवा करना चाहती हूं। इसलिए मेरा काम आसान करने के लिए बहुत सारे लोग सामने आ रहे हैं। …………. यह भी पढ़ें : यूपी में ढाबे पर रुके सैनिकों पर फूल बरसाए:लखनऊ में चौराहों पर बनाए गए 46 बंकर; नेपाल बॉर्डर पर हाई अलर्ट भारत-पाकिस्तान के बीच करीब 5 बजे सीजफायर की घोषणा होने से पहले यूपी में माहौल गरमाया रहा। पूरे यूपी में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। झांसी और गाजियाबाद में ड्रोन उड़ाने पर रोक लगा दी गई। लखनऊ में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 46 जगहों पर अस्थायी बंकर और निगरानी पोस्ट बनाए गए। प्रमुख चौराहों, संवेदनशील इलाकों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ये बंकर बनाए गए। पढ़िए पूरी खबर… प्रयागराज की वंशिका बेजुबान जानवरों की ‘मां’ कहलाने में खुशी महसूस करती हैं। सिर्फ 28 साल की वंशिका ने पिछले 10 सालों में 20 हजार से ज्यादा जानवरों का रेस्क्यू किया। घायल जानवरों की मरहम पट्‌टी करके उन्हें फिर आजाद कर देना ही उनका डेली रूटीन है। इस वक्त उनके घर की 3 मंजिल के सभी कमरे जानवरों की सेवा के लिए रिजर्व हैं। बेजुबान जानवर की मां बनने के सफर की शुरुआत तब हुई, जब वंशिका सिर्फ 18 साल की थीं। उन्होंने पहली बार एक बीमार पपी (कुत्ते के बच्चे) को रेस्क्यू किया। उसके शरीर पर बाल नहीं थे, स्किन इन्फेक्शन था, हालत बेहद खराब थी। वंशिका कहती हैं- उस वक्त मैंने उसको अपने ही कमरे में रखा, मगर घर के सदस्यों को यह बात पसंद नहीं आई। मां पहले जानवरों को घर में लाने के लिए तैयार नहीं हुई, लेकिन धीरे-धीरे वह मेरी भावनाओं को समझने लगीं। वंशिका क्यों 10 साल से जानवरों की सेवा कर रही हैं, वो खुद क्या करती हैं, इसके लिए फंड कहां से आता है? यह जानने के लिए दैनिक भास्कर ऐप टीम लॉ स्टूडेंट वंशिका के घर पहुंची। उनके घर म्योराबाद पहुंची। पढ़िए रिपोर्ट… जानवरों को लेकर पुलिस केस तक हुआ
वंशिका से पूछा कि पहली बार आप पपी लेकर आईं, तब क्या समस्याएं सामने आई? वह कहती हैं- मम्मी ने पपी को देखते ही कहा कि इसको घर से बाहर रखो। अब मैं परेशान थी कि उसे दवा, देखभाल और प्यार की जरूरत थी, अब मैं क्या करती। शुरुआत में समय-समय पर घर से बाहर के जानवरों को बचाने पर ऐसे ही एतराज हुआ। कहा जाता कि शाम 6 बजे के बाद घर से बाहर नहीं निकलना है। जानवरों की सेवा करती तो उन्हें रखने की जगह नहीं मिलती। ऐसी ही तमाम समस्याएं मेरे सामने आती थीं। मेरा ये सफर आसान नहीं था। पड़ोसियों ने पहले सिर्फ खाना खिलाने पर एतराज जताया, फिर जानवरों की मौजूदगी पर। कई बार मारपीट तक हुई, पुलिस केस हुआ। सिर्फ इस वजह से कि मैं गली के कुत्तों को खाना क्यों खिला रही हूं। जख्मी जानवरों का इलाज कैसे करती हैं?
वंशिका कहती हैं- मेरे पिता होम्योपैथी के डॉक्टर हैं। घर में शुरू से मेडिकल और मेडिसिन की बातें होती थीं। हम सभी लोगों को बेसिक जानकारी थी। पापा-मम्मी खुद भी किसी घायल जानवर को देख लेते तो घर ले आते। मगर जब रेस्क्यू किए गए जानवरों की संख्या बढ़ने लगी तो घर में भी असुविधा होने लगी, तब सब रोक दिया गया। घर की कितनी जगह जानवरों के लिए दी गई?
इसपर वंशिका कहती हैं कि हमारा 4 मंजिल का मकान है। आज मेरे रेस्क्यू किए गए जानवरों का घर बन चुका है। सेंसिटिव जानवर मेरे साथ रहते हैं, जिन्हें विशेष देखभाल चाहिए। बाकी फ्लोर्स में हमने केटेगरी वाइज़ जानवरों को रखा है। जैसे एक फ्लोर पर सिर्फ पैरालाइज्ड जानवर हैं, एक में सिर्फ बिल्लियां हैं। क्योंकि वह दूसरे जानवरों के साथ नहीं रह पाती हैं। आपने अभी तक कितने जानवरों का रेस्क्यू किया है?
वंशिका कहती हैं- मेरे पास कुत्ते, बिल्ली, गाय, घोड़ा, खच्चर, बकरी, मुर्गी, कबूतर, चील, गिद्ध, सियार, बंदर, यहां तक कि सांप और मछलियों का भी रेस्क्यू किया है। ये जानवर अपनी तकलीफ नहीं कह सकते, उनके लिए हमें बोलना होगा। मैं इनका दर्द महसूस करती हूं। कोशिश करूंगी कि मेरी शादी भी किसी स्ट्रीट एनिमल लवर से हो, ताकि हमारी मैरिज लाइफ पर असर न पड़े। इसके लिए फंड कहां से आता है?
वंशिका कहती हैं- पहले अपनी पाकेट मनी से जानवरों की सेवा करती थी। मगर फिर समझ आया कि यह बहुत खर्चे वाला काम है। इसलिए पापा और रिश्तेदारों से मदद ली। बाद में मैंने एक NGO खोल ली। इसके जरिए लोग ही मेरी मदद करते हैं। मैं सिर्फ जानवरों की सेवा करना चाहती हूं। इसलिए मेरा काम आसान करने के लिए बहुत सारे लोग सामने आ रहे हैं। …………. यह भी पढ़ें : यूपी में ढाबे पर रुके सैनिकों पर फूल बरसाए:लखनऊ में चौराहों पर बनाए गए 46 बंकर; नेपाल बॉर्डर पर हाई अलर्ट भारत-पाकिस्तान के बीच करीब 5 बजे सीजफायर की घोषणा होने से पहले यूपी में माहौल गरमाया रहा। पूरे यूपी में सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। झांसी और गाजियाबाद में ड्रोन उड़ाने पर रोक लगा दी गई। लखनऊ में भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए। 46 जगहों पर अस्थायी बंकर और निगरानी पोस्ट बनाए गए। प्रमुख चौराहों, संवेदनशील इलाकों और भीड़भाड़ वाले स्थानों पर ये बंकर बनाए गए। पढ़िए पूरी खबर…   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर