हरियाणा के 5 बार CM रहे ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का आज रविवार को आखिरी दिन है। यात्रा सुबह 9 बजे से पानीपत के PWD रेस्ट हाउस से शुरू होगी, जो 8 जिलों को कवर करते हुए पंचकूला में खत्म होगी। तीसरे दिन यात्रा सभी 22 जिले कवर कर लेगी। ओपी चौटाला का 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हुआ था। उनकी रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को चौधरी देवीलाल स्टेडियम, सिरसा में होगी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। पहले दिन 6 और दूसरे दिन 7 जिलों से गुजरी
ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा पहले दिन फतेहाबाद से शुरू हुई। यहां उनके विधायक पोते अर्जुन चौटाला और विधायक भतीजे आदित्य देवीलाल चौटाला ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद यात्रा हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ (नारनौल), रेवाड़ी से होते हुए गुरुग्राम पहुंची। गुरुग्राम में यात्रा का रात्रि ठहराव हुआ। दूसरे दिन यात्रा गुरुग्राम से शुरू हुई और 7 जिले कवर किए। फरीदाबाद, पलवल, मेवात, झज्जर, रोहतक, सोनीपत होते हुए यात्रा पानीपत पहुंची। यहां यात्रा का रात्री ठहराव था। अस्थि कलश यात्रा के सियासी मायने इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा का कहना है कि ये यात्रा उन लोगों के लिए निकाली जा रही है, जो लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। हालांकि, इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। पहला इनेलो के कैडर वोट बैंक को एकजुट करना है। दरअसल, 2018 में अजय चौटाला के अलग जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाने के बाद इनेलो का वोट बैंक बंट गया। कुछ इनेलो के साथ रहे, लेकिन कुछ JJP के साथ चले गए। परिवार की लड़ाई में कई बड़े नेता भी पार्टी छोड़ गए। दूसरा, विधानसभा चुनाव में इसी साल कांग्रेस की लगातार तीसरी हार हुई। ऐसे में इनेलो को लगता है कि अब वोटर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को विकल्प नहीं मान रहा। ऐसे में इनेलो की वापसी हो सकती है। इसी साल चुनाव में जहां JJP जीरो सीट पर सिमट गई, वहीं इनेलो 2 सीटें जीतने में कामयाब रही। भले ही अभय चौटाला खुद चुनाव हार गए, लेकिन उनके उम्मीदवार ज्यादातर जगहों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे। तीसरा, इनेलो के ऊपर पार्टी का चुनाव चिन्ह चश्मा के छिनने का भी खतरा मंडरा रहा है। इस बार इनेलो को इसे बचाने के लिए विधानसभा चुनाव में 6% वोट की जरूरत थी, लेकिन वह सिर्फ 4.14% वोट ही पा सकी। अगर चुनाव चिन्ह ही छिन गया तो इनेलो के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। हरियाणा के 5 बार CM रहे ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा का आज रविवार को आखिरी दिन है। यात्रा सुबह 9 बजे से पानीपत के PWD रेस्ट हाउस से शुरू होगी, जो 8 जिलों को कवर करते हुए पंचकूला में खत्म होगी। तीसरे दिन यात्रा सभी 22 जिले कवर कर लेगी। ओपी चौटाला का 89 साल की उम्र में गुरुग्राम में निधन हुआ था। उनकी रस्म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा 31 दिसंबर को चौधरी देवीलाल स्टेडियम, सिरसा में होगी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो सकते हैं। पहले दिन 6 और दूसरे दिन 7 जिलों से गुजरी
ओपी चौटाला की अस्थि कलश यात्रा पहले दिन फतेहाबाद से शुरू हुई। यहां उनके विधायक पोते अर्जुन चौटाला और विधायक भतीजे आदित्य देवीलाल चौटाला ने इसकी शुरुआत की। इसके बाद यात्रा हिसार, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ (नारनौल), रेवाड़ी से होते हुए गुरुग्राम पहुंची। गुरुग्राम में यात्रा का रात्रि ठहराव हुआ। दूसरे दिन यात्रा गुरुग्राम से शुरू हुई और 7 जिले कवर किए। फरीदाबाद, पलवल, मेवात, झज्जर, रोहतक, सोनीपत होते हुए यात्रा पानीपत पहुंची। यहां यात्रा का रात्री ठहराव था। अस्थि कलश यात्रा के सियासी मायने इनेलो के प्रदेश अध्यक्ष रामपाल माजरा का कहना है कि ये यात्रा उन लोगों के लिए निकाली जा रही है, जो लोग अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुए। हालांकि, इसके सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं। पहला इनेलो के कैडर वोट बैंक को एकजुट करना है। दरअसल, 2018 में अजय चौटाला के अलग जननायक जनता पार्टी (JJP) बनाने के बाद इनेलो का वोट बैंक बंट गया। कुछ इनेलो के साथ रहे, लेकिन कुछ JJP के साथ चले गए। परिवार की लड़ाई में कई बड़े नेता भी पार्टी छोड़ गए। दूसरा, विधानसभा चुनाव में इसी साल कांग्रेस की लगातार तीसरी हार हुई। ऐसे में इनेलो को लगता है कि अब वोटर भाजपा के मुकाबले कांग्रेस को विकल्प नहीं मान रहा। ऐसे में इनेलो की वापसी हो सकती है। इसी साल चुनाव में जहां JJP जीरो सीट पर सिमट गई, वहीं इनेलो 2 सीटें जीतने में कामयाब रही। भले ही अभय चौटाला खुद चुनाव हार गए, लेकिन उनके उम्मीदवार ज्यादातर जगहों पर दूसरे या तीसरे स्थान पर रहे। तीसरा, इनेलो के ऊपर पार्टी का चुनाव चिन्ह चश्मा के छिनने का भी खतरा मंडरा रहा है। इस बार इनेलो को इसे बचाने के लिए विधानसभा चुनाव में 6% वोट की जरूरत थी, लेकिन वह सिर्फ 4.14% वोट ही पा सकी। अगर चुनाव चिन्ह ही छिन गया तो इनेलो के लिए अस्तित्व बचाना मुश्किल हो जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर