ओपी चौटाला की सियासी विरासत पर बेटों में लड़ाई छिड़ी:JJP का पोस्टर में फोटो लगाने का ऐलान; अभय बोले- पूर्व CM ने इन्हें गद्दार कहा था

ओपी चौटाला की सियासी विरासत पर बेटों में लड़ाई छिड़ी:JJP का पोस्टर में फोटो लगाने का ऐलान; अभय बोले- पूर्व CM ने इन्हें गद्दार कहा था

हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला के निधन के 5 महीने बाद उनकी विरासत को लेकर बेटों में सियासी लड़ाई छिड़ गई है। एक तरफ बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने ऐलान किया कि पार्टी के पोस्टर में स्व. ओपी चौटाला की फोटो लगाएंगे। इसका पता चलते ही इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष व स्व. चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला भड़क गए। उन्होंने कहा कि जब ये इनेलो छोड़कर गए थे तो चौधरी ओपी चौटाला ने इन्हें गद्दार कहा था। गद्दार उनकी फोटो कैसे लगा सकते हैं।
अभय चौटाला यहीं नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कहा- ‘’यदि वह पोस्टर लगाते हैं, तो मेरे पैर में जूत है। अपनी बात रिपीट करते हुए अभय ने फिर कहा- वह यदि चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का पोस्टर लगाएंगे तो मेरे पैर में जूत आता है। अजय चौटाला ने फोटो लगाने का ऐलान किया
JJP ने रोहतक में प्रदेश कार्यालय खोला है। इसके उद्घाटन पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला ने कहा कि पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला सभी के पूजनीय हैं। अब से JJP के सभी पोस्टरों में डॉ. भीमराव अंबेडकर, चौधरी देवीलाल, सर छोटूराम, शहीद भगत सिंह के साथ ओपी चौटाला की तस्वीर भी लगाई जाएगी। चौटाला परिवार में फूट कैसे पड़ी, दोनों भाई अलग कैसे हुए?
इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई। जब ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए तो इनेलो की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई। 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए। 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने। उसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव आए और इनेलो हार गई। दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी 2 खेमों में बंट गई थी। एक गुट अभय चौटाला के साथ खड़ा था और दूसरा दुष्यंत के साथ। खींचतान के बीच पार्टी चलती रही। फिर अक्टूबर 2018 में इनेलो की गोहाना में रैली थी। ओमप्रकाश चौटाला और अभय चौटाला के सामने यहां दुष्यंत चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगने लगे। इस पर ओमप्रकाश चौटाला नाराज हो गए। उन्होंने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए अपने बड़े बेटे अजय चौटाला को बेटों दुष्यंत और दिग्विजय समेत पार्टी से निकाल दिया। बड़े बेटे ने अलग होकर नई पार्टी बनाई, 2019 में किंगमेकर बने
इसके बाद 2018 में इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला ने जनता जननायक पार्टी बना ली। 2019 में चुनाव हुए तो JJP 10 सीटें जीत गई। इनेलो सिर्फ अभय चौटाला वाली ऐलनाबाद सीट ही जीत सकी।
भाजपा तब 90 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 40 सीटें ही जीत सकीं। जिसके बाद जजपा किंगमेकर बनी और दुष्यंत ने भाजपा के साथ सरकार में शामिल होकर महज 31 साल की उम्र में हरियाणा के डिप्टी सीएम बन गए। चौटाला के निधन पर साथ दिखे, मगर सियासी दूरी बरकरार रही
ओपी चौटाला का 20 दिसंबर 2024 को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। इसके बाद पूर्व सीएम की अंतिम विदाई के मौके पर पूरा परिवार इकट्‌ठा दिखा। सबको उम्मीद थी कि वे एकजुट हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ओपी चौटाला के निधन के बाद छोटे बेटे अभय ने पार्टी की कमान पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली। इसी साल 25 मार्च को पार्टी की संसदीय कार्य समिति की बैठक हुई। जिसमें अभय चौटाला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया। हरियाणा के 5 बार मुख्यमंत्री रहे ओमप्रकाश चौटाला के निधन के 5 महीने बाद उनकी विरासत को लेकर बेटों में सियासी लड़ाई छिड़ गई है। एक तरफ बड़े बेटे डॉ. अजय चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) ने ऐलान किया कि पार्टी के पोस्टर में स्व. ओपी चौटाला की फोटो लगाएंगे। इसका पता चलते ही इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष व स्व. चौटाला के छोटे बेटे अभय चौटाला भड़क गए। उन्होंने कहा कि जब ये इनेलो छोड़कर गए थे तो चौधरी ओपी चौटाला ने इन्हें गद्दार कहा था। गद्दार उनकी फोटो कैसे लगा सकते हैं।
अभय चौटाला यहीं नहीं रुके। उन्होंने यहां तक कहा- ‘’यदि वह पोस्टर लगाते हैं, तो मेरे पैर में जूत है। अपनी बात रिपीट करते हुए अभय ने फिर कहा- वह यदि चौधरी ओम प्रकाश चौटाला का पोस्टर लगाएंगे तो मेरे पैर में जूत आता है। अजय चौटाला ने फोटो लगाने का ऐलान किया
JJP ने रोहतक में प्रदेश कार्यालय खोला है। इसके उद्घाटन पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अजय चौटाला ने कहा कि पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला सभी के पूजनीय हैं। अब से JJP के सभी पोस्टरों में डॉ. भीमराव अंबेडकर, चौधरी देवीलाल, सर छोटूराम, शहीद भगत सिंह के साथ ओपी चौटाला की तस्वीर भी लगाई जाएगी। चौटाला परिवार में फूट कैसे पड़ी, दोनों भाई अलग कैसे हुए?
इसकी शुरुआत साल 2013 में हुई। जब ओमप्रकाश चौटाला और अजय चौटाला जेबीटी घोटाले में 10 साल के लिए जेल गए तो इनेलो की कमान अभय चौटाला के हाथ में आ गई। 2014 के चुनाव में अजय चौटाला के बड़े बेटे दुष्यंत चौटाला राजनीति में आए। 2014 में दुष्यंत हिसार लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और कुलदीप बिश्नोई को हराकर सबसे युवा सांसद बने। उसके बाद राज्य में विधानसभा चुनाव आए और इनेलो हार गई। दुष्यंत के सांसद बनने के बाद पार्टी 2 खेमों में बंट गई थी। एक गुट अभय चौटाला के साथ खड़ा था और दूसरा दुष्यंत के साथ। खींचतान के बीच पार्टी चलती रही। फिर अक्टूबर 2018 में इनेलो की गोहाना में रैली थी। ओमप्रकाश चौटाला और अभय चौटाला के सामने यहां दुष्यंत चौटाला को अगला मुख्यमंत्री बनाने के नारे लगने लगे। इस पर ओमप्रकाश चौटाला नाराज हो गए। उन्होंने इसे अनुशासनहीनता बताते हुए अपने बड़े बेटे अजय चौटाला को बेटों दुष्यंत और दिग्विजय समेत पार्टी से निकाल दिया। बड़े बेटे ने अलग होकर नई पार्टी बनाई, 2019 में किंगमेकर बने
इसके बाद 2018 में इनेलो से अलग होकर अजय चौटाला ने जनता जननायक पार्टी बना ली। 2019 में चुनाव हुए तो JJP 10 सीटें जीत गई। इनेलो सिर्फ अभय चौटाला वाली ऐलनाबाद सीट ही जीत सकी।
भाजपा तब 90 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 40 सीटें ही जीत सकीं। जिसके बाद जजपा किंगमेकर बनी और दुष्यंत ने भाजपा के साथ सरकार में शामिल होकर महज 31 साल की उम्र में हरियाणा के डिप्टी सीएम बन गए। चौटाला के निधन पर साथ दिखे, मगर सियासी दूरी बरकरार रही
ओपी चौटाला का 20 दिसंबर 2024 को 89 साल की उम्र में निधन हो गया। इसके बाद पूर्व सीएम की अंतिम विदाई के मौके पर पूरा परिवार इकट्‌ठा दिखा। सबको उम्मीद थी कि वे एकजुट हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ओपी चौटाला के निधन के बाद छोटे बेटे अभय ने पार्टी की कमान पूरी तरह से अपने हाथ में ले ली। इसी साल 25 मार्च को पार्टी की संसदीय कार्य समिति की बैठक हुई। जिसमें अभय चौटाला को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर