हरियाणा के करनाल जिले के बस्तली गांव के कई लोगों के साथ विदेश भेजने का झांसा देकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पीड़ितों ने वीजा सपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी पर 22.49 लाख रुपए हड़पने का आरोप लगाया है। यह कंपनी खुद को विदेश में पढ़ाई और नौकरी के लिए वीजा प्रोसेसिंग में विशेषज्ञ बताकर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा रही थी। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता ने बताई आपबीती गांव बस्तली के जोगिंद्र ने बताया कि वह अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहते थे। सोशल मीडिया पर वीजा सपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की विज्ञापन देखकर उन्होंने संपर्क किया। कंपनी का पुराना ऑफिस सेक्टर-8, चंडीगढ़ में था, जहां सिमरनजीत कौर नाम की महिला से उनकी बातचीत हुई। कंपनी ने 11 हजार 600 रुपए ऑफर लेटर के लिए और फिर अलग-अलग किस्तों में कुल 7 लाख 18 हजार 864 रुपए जमा करवा लिए। बलवान सिंह और सागर शर्मा ने भी इसी कंपनी पर विश्वास करते हुए क्रमशः 10 लाख 55 हजार 040 रुपए और 4 लाख 75 हजार रुपए दिए। तीनों शिकायतकर्ताओं से कुल 22.49 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई। फर्जी निकला कंपनी का नया ऑफिस जब पीड़ित चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में बताए गए नए कार्यालय पहुंचे, तो वहां ताला लगा मिला। तब उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। कंपनी के खिलाफ पहले से कई शिकायतें दर्ज थीं और एक आरोपी सतबीर पहले ही जेल में है। बाकी आरोपी सिमरनजीत कौर, विक्रमजीत, वारिस चौहान, कर्ण, मनजोत, और किरण की तलाश जारी है। पुलिस ने क्या कहा? थाना निसिंग में एसआई रमेश चंद ने मामला दर्ज किया है। जांच अधिकारी ने बताया कि विदेश भेजने वाली कंपनी पर लाखों रुपए हड़पने के आरोप लगाए गए है। शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है। कंपनी से जुड़े अन्य आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। हरियाणा के करनाल जिले के बस्तली गांव के कई लोगों के साथ विदेश भेजने का झांसा देकर लाखों रुपए की धोखाधड़ी का मामला सामने आया है। पीड़ितों ने वीजा सपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी पर 22.49 लाख रुपए हड़पने का आरोप लगाया है। यह कंपनी खुद को विदेश में पढ़ाई और नौकरी के लिए वीजा प्रोसेसिंग में विशेषज्ञ बताकर भोले-भाले लोगों को अपने जाल में फंसा रही थी। पीड़ित ने मामले की शिकायत पुलिस को की है। पुलिस ने शिकायत के आधार पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। शिकायतकर्ता ने बताई आपबीती गांव बस्तली के जोगिंद्र ने बताया कि वह अपनी बेटी को पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया भेजना चाहते थे। सोशल मीडिया पर वीजा सपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड नामक कंपनी की विज्ञापन देखकर उन्होंने संपर्क किया। कंपनी का पुराना ऑफिस सेक्टर-8, चंडीगढ़ में था, जहां सिमरनजीत कौर नाम की महिला से उनकी बातचीत हुई। कंपनी ने 11 हजार 600 रुपए ऑफर लेटर के लिए और फिर अलग-अलग किस्तों में कुल 7 लाख 18 हजार 864 रुपए जमा करवा लिए। बलवान सिंह और सागर शर्मा ने भी इसी कंपनी पर विश्वास करते हुए क्रमशः 10 लाख 55 हजार 040 रुपए और 4 लाख 75 हजार रुपए दिए। तीनों शिकायतकर्ताओं से कुल 22.49 लाख रुपए की धोखाधड़ी की गई। फर्जी निकला कंपनी का नया ऑफिस जब पीड़ित चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में बताए गए नए कार्यालय पहुंचे, तो वहां ताला लगा मिला। तब उन्हें एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। कंपनी के खिलाफ पहले से कई शिकायतें दर्ज थीं और एक आरोपी सतबीर पहले ही जेल में है। बाकी आरोपी सिमरनजीत कौर, विक्रमजीत, वारिस चौहान, कर्ण, मनजोत, और किरण की तलाश जारी है। पुलिस ने क्या कहा? थाना निसिंग में एसआई रमेश चंद ने मामला दर्ज किया है। जांच अधिकारी ने बताया कि विदेश भेजने वाली कंपनी पर लाखों रुपए हड़पने के आरोप लगाए गए है। शिकायत के आधार पर आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच जारी है। कंपनी से जुड़े अन्य आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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भाजपा से मिला धोखा, कांग्रेस से है सावित्री को आस:टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय लड़ेंगी चुनाव, बेटे ने दी कांग्रेस में ना जाने की सलाह हरियाणा में हिसार से भाजपा की टिकट ना मिलने पर नाराज चल रही भारत की चौथी सबसे अमीर महिला सावित्री जिंदल अब कांग्रेस से टिकट की आस लगाकर बैठी हैं। अगर कांग्रेस भी उन्हें टिकट नहीं देती तो वह निर्दलीय चुनाव लड़ेंगी। जिंदल समर्थक रोजाना जिंदल हाउस फोन मिलाकर पूछ रहे हैं कि मैडम कब नामांकन भरेंगी? मगर जिंदल हाउस के अंदर अभी तक किसी के पास भी इस बात का जवाब नहीं है। सबकी निगाहें अब कांग्रेस पर आकर टिक गई हैं। चूंकी जिंदल परिवार पहले कांग्रेस में ही था इसलिए उन्हें उम्मीद है कि कांग्रेस उन्हें हिसार से टिकट जरूर देगी। सावित्री जिंदल 2 बार कांग्रेस की टिकट पर ही हिसार से विधायक बनी थी। इससे पहले इनके पति ओमप्रकाश जिंदल हिसार से ही विधायक रहे हैं। अपने पुराने रिकॉर्ड के हिसाब से जिंदल परिवार को कांग्रेस से टिकट मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद सावित्री जिंदल आगे का फैसला करेंगी। हालांकि सावित्री जिंदल के बेटे नवीन जिंदल लगातार अपनी मां को कांग्रेस में ना जाने की सलाह दे रहे हैं। जिंदल हाउस पर पसरा सन्नाटा
भाजपा से टिकट कटने के बाद ही सावित्री जिंदल हिसार से बाहर हैं और लगातार दिल्ली में सक्रिय हैं। वो चुनाव लड़ने का फैसला ले चुकी हैं और चुनावी रण में उतरने के लिए पूरी तरह से तैयार नजर आ रही हैं। हालांकि जिंदल हाउस पर सन्नाटा पसरा है, किसी को नहीं पता कि सावित्री जिंदल का अगला कदम क्या होगा। 6 दिन बाद भी किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा जिंदल परिवार
बता दें कि भाजपा ने 4 सितंबर को 67 कैंडिडेट की लिस्ट जारी की थी। लिस्ट आते ही पार्टी में बगावत शुरू हो गई थी। कई पदाधिकारियों ने सोशल मीडिया पर ही इस्तीफा दे दिया था। वहीं, 5 सितंबर की सुबह सावित्री जिंदल ने भी बगावत कर दी है। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद उन्होंने हिसार से निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। सावित्री जिंदल ने समर्थकों से कहा था कि- मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्य नहीं हूं। मैं चुनाव न लड़ने के बारे में बोलने के लिए दिल्ली से वापस आई थी, लेकिन आपका प्यार और विश्वास देखकर मैं चुनाव लड़ूंगी। सावित्री मशहूर उद्योगपति और कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं। हिसार सीट पर उनका मुकाबला भाजपा के प्रत्याशी मंत्री डॉ. कमल गुप्ता से होगा। चुनाव लड़ा तो कड़ी टक्कर दे सकती हैं सावित्री जिंदल
सावित्री जिंदल अगर हिसार विधानसभा से निर्दलीय चुनाव लड़ती हैं तो विरोधियों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। जिंदल परिवार 1991 से हिसार सीट से चुनाव लड़ता आ रहा है। सबसे पहले स्व. ओपी जिंदल ने चौधरी बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी की टिकट पर हिसार से चुनाव लड़ा और पहले ही चुनाव में जीत दर्ज की थी। जिंदल परिवार राजनीति के साथ ही समाजसेवा से भी जुड़ा हुआ है। हिसार में उन्होंने कई स्कूल और अस्पताल खोले हुए हैं। इसके अलावा हिसार में जिंदल इंडस्ट्रीज में कई स्थानीय लोगों को नौकरी भी दी है। जिंदल परिवार का कोर वोटर हिसार में हैं जो सिर्फ जिंदल हाउस के कहने पर ही चलता है। डॉ. कमल गुप्ता मंत्री पद जरूर रहे लेकिन हिसार में उनके प्रति नाराजगी लगातार सामने आती रही है और इसका फायदा भी सावित्री जिंदल को मिल सकता है। सावित्री जिंदल 2.77 लाख करोड़ की मालकिन
जिंदल परिवार की मुखिया और जिंदल समूह की चेयरपर्सन सावित्री जिंदल फॉर्च्यून इंडिया की लिस्ट के मुताबिक, देश में चौथे नंबर पर सबसे अमीर हैं। इसके अलावा वह देश की सबसे अमीर महिला भी हैं। सावित्री जिंदल हरियाणा के हिसार की रहने वाली हैं और स्टील किंग स्व. ओपी जिंदल की पत्नी हैं। फॉर्च्यून इंडिया की सूची के मुताबिक, 74 वर्षीय सावित्री देवी जिंदल लगभग 2.77 लाख करोड़ रुपए की मालकिन हैं।
करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस की रणनीति:4 प्रमुख दावेदारों पर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय, भाजपा के लिए होगा चुनौतीपूर्ण मुकाबला
करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस की रणनीति:4 प्रमुख दावेदारों पर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय, भाजपा के लिए होगा चुनौतीपूर्ण मुकाबला करनाल विधानसभा सीट हरियाणा की सबसे हॉट सीटों में से एक बनी हुई है। भाजपा के लिए इस सीट पर अपनी पकड़ बनाए रखने की चुनौती है, जबकि कांग्रेस इसे जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। कांग्रेस के 23 दावेदारों में से 4 प्रमुख चेहरे उभर कर सामने आए है। मनोज वाधवा, सुमिता सिंह, तरलोचन सिंह, और अशोक खुराना। इन चारों नेताओं के राजनीतिक करियर और उनकी संभावनाओं पर राजनीतिक विशेषज्ञों ने अपनी राय दी है। मनोज वाधवा: सबसे बड़ा पंजाबी चेहरा और राजनीतिक सक्रियता मनोज वाधवा का करनाल के पंजाबी समाज में गहरा प्रभाव है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत INLD से की थी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था। पूर्व डिप्टी मेयर और मेयर चुनाव में उनकी पत्नी की उम्मीदवारी ने उन्हें करनाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण चेहरा बना दिया है। वाधवा का कांग्रेस में शामिल होना और उनकी सक्रियता उन्हें इस चुनाव में एक बड़ा उम्मीदवार बनाती है। राजनीतिक विश्लेषक प्रोफेसर आरपी सैनी का कहना है कि मनोज वाधवा कांग्रेस के सबसे बड़े पंजाबी चेहरे के रूप में उभर सकते हैं। उनका राजनीतिक अनुभव और पंजाबी समाज में पकड़ कांग्रेस के लिए बेहद लाभकारी हो सकती है। वाधवा का नाम कांग्रेस के लिए एक मजबूत दावेदारी पेश करता है और यह भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। सुमिता सिंह: अनुभवी नेतृत्व और करनाल की राजनीति में प्रभाव सुमिता सिंह करनाल की राजनीति में एक अनुभवी और जाना-पहचाना नाम हैं। उन्होंने 10 वर्षों तक विधायक के रूप में सेवा की है और करनाल की राजनीतिक और सामाजिक स्थितियों पर गहरी पकड़ रखती हैं। सुमिता सिंह का नाम कांग्रेस के संभावित उम्मीदवारों में सबसे आगे है, क्योंकि उनका पंजाबी समाज के साथ-साथ अन्य समुदायों में भी अच्छा खासा वोट बैंक है। वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक एडवोकेट संजीव मंगलोरा का मानना है कि सुमिता सिंह का करनाल की राजनीति में एक अलग ही स्थान है। उनका अनुभव और स्थानीय जुड़ाव कांग्रेस के लिए बहुत महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। पंजाबी समाज और अन्य समुदायों में उनकी लोकप्रियता कांग्रेस की जीत की संभावनाओं को मजबूत करती है। अशोक खुराना: लंबा अनुभव और सामाजिक जुड़ाव अशोक खुराना ने 1994 में पार्षद के रूप में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत की और तब से करनाल की राजनीति में सक्रिय रहे हैं। उन्होंने अपनी पंजाबी बिरादरी में मजबूत पकड़ बनाई है और उनके पास स्थानीय राजनीति का लंबा अनुभव है। उनकी गिनती कांग्रेस के हुड्डा खेमे के वफादार कार्यकर्ताओं में होती है। राजनीतिक विश्लेषक संजीव मंगलोरा ने कहा कि अशोक खुराना का करनाल की राजनीति में लंबा अनुभव और पंजाबी बिरादरी में उनकी पकड़ कांग्रेस के लिए एक मजबूत स्थिति तैयार कर सकती है। खुराना की गिनती हुड्डा के वफादार कार्यकर्ताओं में होती है, जिससे उनकी दावेदारी और मजबूत हो जाती है। तरलोचन सिंह: दो बार सीएम के सामने लड़ चुके हैं चुनाव तरलोचन सिंह करनाल से कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। उन्होंने दो बार मुख्यमंत्रियों (मनोहरलाल खट्टर और नायब सिंह सैनी) के खिलाफ चुनाव लड़ा है और उनके पास करनाल की राजनीति का गहरा अनुभव है। कांग्रेस के पुराने सिपाही होने के नाते उन्होंने पार्टी के मुद्दों को प्रमुखता से उठाया है। राजनीतिक विशेषज्ञ अनुज सैनी का मानना है कि तरलोचन सिंह कांग्रेस के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। दो बार मुख्यमंत्रियों के सामने चुनाव लड़ चुके तरलोचन का अनुभव कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति है। उनकी लोकल पहचान और पार्टी के प्रति निष्ठा उन्हें एक प्रमुख उम्मीदवार बनाते हैं। भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण मुकाबला राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस के 4 प्रमुख दावेदार भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं। खासकर, पंजाबी मतदाताओं पर इन नेताओं की पकड़ भाजपा के लिए मुश्किलें बढ़ा सकती है। करनाल में 63,000 से अधिक पंजाबी मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, और कांग्रेस की सक्रिय रणनीति भाजपा के लिए मुकाबला कठिन बना सकती है। कुल मिलाकर, राजनीतिक विशेषज्ञों की नजर में करनाल विधानसभा सीट पर कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होने की उम्मीद है। किसका चेहरा जनता की उम्मीदों पर खरा उतरेगा और कौन सी पार्टी करनाल में जीत हासिल करेगी, यह चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।