हरियाणा में लोकसभा की 5 सीटें जीत चुकी कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद नजर आने लगी है। 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इन्कंबेंसी और सत्ताविरोधी रूझान को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को लग रहा है कि बदलाव के इस माहौल में उसका नंबर लग सकता है। इसी क्रम में पार्टी ने हाल में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक अपने नेताओं से टिकट के लिए आवेदन मांगे थे। कांग्रेस नेतृत्व को 90 सीटों पर 25 सौ से अधिक दावेदारों के आवेदन मिले हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने टिकट दावेदारों की लंबी-चौड़ी फौज के बीच सभी सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों का पता लगाने के लिए दो प्राइवेट एजेंसियों से सर्वे कराने का फैसला लिया है। ये दोनों सर्वे अलग-अलग होंगे और ग्राउंड जीरो पर इनका काम शुरू हो चुका है। दोनों एजेंसियां विधानसभा सीटवाइज सबसे मजबूत तीन-तीन दावेदारों के नाम पार्टी को सौंपेगी। ये नाम कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखे जाएंगे। उसके बाद कमेटी टिकटों पर फाइनल फैसला लेगी। जल्द से जल्द टिकट अनाउंस करने की कोशिश केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम दो दिन हरियाणा का दौरा कर, पुलिस-प्रशासनिक अफसरों और पार्टियों के साथ मीटिंग करके लौट चुकी है। विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी समय किया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश है कि जल्द से जल्द टिकटों का ऐलान कर दिया जाए ताकि प्रत्याशियों को अपने-अपने एरिया में प्रचार करने के लिए अधिक से अधिक समय मिल पाए। एक सर्वे पूरा, दो का काम जारी कांग्रेस पार्टी हरियाणा में टिकटों के ऐलान से पहले एक सर्वे पूरा करवा चुकी है। टिकट आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने और 25 सौ से अधिक दावेदारों के एप्लीकेशन मिलने के बाद पार्टी नेतृत्व किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। इसी वजह से अब दो अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों से दो और सर्वे करवाने का फैसला लिया गया है। इन सर्वे का काम शुरू हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने फैसला लिया है कि दोनों एजेंसियों की सर्वे रिपोर्ट देखने के बाद ही टिकटों के बारे में आगे विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। नए सिरे से सर्वे की जानकारी मिलते ही टिकट के लिए अप्लाई करने वाले नेता भी अपने-अपने इलाके में सक्रिय हो गए हैं। निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए एजेंसियों के नाम सीक्रेट रखने की रणनीति कांग्रेस हाईकमान ने सर्वे के लिए जिन दो एजेंसियों को हायर किया है, उनसे जुड़ी डिटेल्स गोपनीय रखने पर खास फोकस है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि इन एजेंसियों की रिपोर्ट निष्पक्ष रहनी चाहिए इसलिए एजेंसियों के नाम भी गुप्त रखे गए हैं। जिताऊ उम्मीदवारों की पहचान के लिए एजेंसियां अपने सर्वे में कई प्वाइंट्स पर जानकारियां जुटा रही हैं। इसके बाद वह सीटवाइज तीन-तीन सबसे मजबूत नेताओं के नाम प्रपोज करेंगी। इन नामों पर कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में चर्चा होगी और उसके बाद टिकटों का ऐलान किया जाएगा। पहले सर्वे में पॉजिटिव रिस्पांस से पार्टी उत्साहित सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने हरियाणा में जो पहला सर्वे करवाया, उसमें राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर आम वोटर का मिजाज भांपने की कोशिश की गई। पार्टी नेतृत्व ने यह जानने का प्रयास किया कि आम लोग BJP सरकार के दस साल के कामकाज से कितने संतुष्ट और कितने नाखुश हैं। साथ ही वोटर इस बार के चुनाव को लेकर क्या सोचता है? इस सर्वे में कांग्रेस के प्रति पॉजिटिव रिस्पांस और BJP के खिलाफ बदलाव की लहर का संकेत मिलने से पार्टी नेतृत्व उत्साहित है। शुरुआती सर्वे में कांग्रेस को 55 से 60 सीट मिलने की उम्मीद जताई गई। पूर्ण बहुमत से 10-15 सीटें अधिक मिलने के संकेतों के बाद कांग्रेस में टिकट के लिए मारामारी बढ़ गई है। 2 चुनाव हारने वालों के नाम कटे तो हुड्डा होंगे कमजोर कांग्रेस में इस बात पर भी गंभीरता से विचार-मंथन चल रहा है कि 2014 और 2019 यानि लगातार दो चुनाव हार चुके नेताओं को तीसरी बार टिकट दिया जाए या नहीं? पार्टी सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समेत एक धड़ा इस पक्ष में है कि जनता की ओर से दो बार खारिज किए जा चुके नेताओं की जगह इस बार नए चेहरों को मौका दिया जाना चाहिए। अगर सैलजा कैंप की ये मुहिम सिरे चढ़ गई तो इसका सबसे बड़ा नुकसान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके खेमे के नेताओं को होगा। लगातार पिछले दो चुनाव हारने वाले दर्जनभर नेता हुड्डा खेमे से ही ताल्लुक रखते हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने वाले कांग्रेस नेताओं में नारनौल से राव नरेंद्र सिंह, कोसली से राव यादवेंद्र सिंह, पटौदी से सुधीर चौधरी, पृथला से रघुवीर तेवतिया, फतेहाबाद से प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, टोहाना से परमवीर सिंह, बाढ़ड़ा से रणबीर महेंद्रा, बवानीखेड़ा से रामकिशन फौजी, जुलाना से धर्मेंद्र सिंह ढुल, नरवाना से विद्यारानी, रतिया से जरनैल सिंह, गुहला से दिल्लूराम बाजीगर, पेहवा से मनदीप सिंह चट्ठा और लोहारू से सोमवीर सिंह शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर हुड्डा कैंप के हैं। BJP की बंद कमरों में मीटिंग्स जारी राज्य में 10 साल से सरकार चला रही भाजपा को भी ग्राउंड जीरो के हालात की भनक है और वह बदलाव के माहौल का तोड़ निकालने की कोशिश में जुटी है। हालांकि यह बात भी काफी हद तक सही है कि खुद बीजेपी के अंदर इस बार 2014 और 2019 जैसा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा। पार्टी के तमाम रणनीतिकार और बड़े नेता बंद कमरों में मीटिंग्स करने में व्यस्त हैं। हरियाणा में लोकसभा की 5 सीटें जीत चुकी कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद नजर आने लगी है। 10 साल से सरकार चला रही BJP के प्रति एंटी इन्कंबेंसी और सत्ताविरोधी रूझान को देखते हुए कांग्रेस नेतृत्व को लग रहा है कि बदलाव के इस माहौल में उसका नंबर लग सकता है। इसी क्रम में पार्टी ने हाल में विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक अपने नेताओं से टिकट के लिए आवेदन मांगे थे। कांग्रेस नेतृत्व को 90 सीटों पर 25 सौ से अधिक दावेदारों के आवेदन मिले हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने टिकट दावेदारों की लंबी-चौड़ी फौज के बीच सभी सीटों पर जिताऊ उम्मीदवारों का पता लगाने के लिए दो प्राइवेट एजेंसियों से सर्वे कराने का फैसला लिया है। ये दोनों सर्वे अलग-अलग होंगे और ग्राउंड जीरो पर इनका काम शुरू हो चुका है। दोनों एजेंसियां विधानसभा सीटवाइज सबसे मजबूत तीन-तीन दावेदारों के नाम पार्टी को सौंपेगी। ये नाम कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी के सामने रखे जाएंगे। उसके बाद कमेटी टिकटों पर फाइनल फैसला लेगी। जल्द से जल्द टिकट अनाउंस करने की कोशिश केंद्रीय चुनाव आयोग की टीम दो दिन हरियाणा का दौरा कर, पुलिस-प्रशासनिक अफसरों और पार्टियों के साथ मीटिंग करके लौट चुकी है। विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान किसी भी समय किया जा सकता है। ऐसे में कांग्रेस नेतृत्व की कोशिश है कि जल्द से जल्द टिकटों का ऐलान कर दिया जाए ताकि प्रत्याशियों को अपने-अपने एरिया में प्रचार करने के लिए अधिक से अधिक समय मिल पाए। एक सर्वे पूरा, दो का काम जारी कांग्रेस पार्टी हरियाणा में टिकटों के ऐलान से पहले एक सर्वे पूरा करवा चुकी है। टिकट आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने और 25 सौ से अधिक दावेदारों के एप्लीकेशन मिलने के बाद पार्टी नेतृत्व किसी तरह का कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। इसी वजह से अब दो अलग-अलग प्राइवेट एजेंसियों से दो और सर्वे करवाने का फैसला लिया गया है। इन सर्वे का काम शुरू हो चुका है। पार्टी नेतृत्व ने फैसला लिया है कि दोनों एजेंसियों की सर्वे रिपोर्ट देखने के बाद ही टिकटों के बारे में आगे विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। नए सिरे से सर्वे की जानकारी मिलते ही टिकट के लिए अप्लाई करने वाले नेता भी अपने-अपने इलाके में सक्रिय हो गए हैं। निष्पक्ष रिपोर्ट के लिए एजेंसियों के नाम सीक्रेट रखने की रणनीति कांग्रेस हाईकमान ने सर्वे के लिए जिन दो एजेंसियों को हायर किया है, उनसे जुड़ी डिटेल्स गोपनीय रखने पर खास फोकस है। पार्टी नेतृत्व चाहता है कि इन एजेंसियों की रिपोर्ट निष्पक्ष रहनी चाहिए इसलिए एजेंसियों के नाम भी गुप्त रखे गए हैं। जिताऊ उम्मीदवारों की पहचान के लिए एजेंसियां अपने सर्वे में कई प्वाइंट्स पर जानकारियां जुटा रही हैं। इसके बाद वह सीटवाइज तीन-तीन सबसे मजबूत नेताओं के नाम प्रपोज करेंगी। इन नामों पर कांग्रेस स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में चर्चा होगी और उसके बाद टिकटों का ऐलान किया जाएगा। पहले सर्वे में पॉजिटिव रिस्पांस से पार्टी उत्साहित सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस ने हरियाणा में जो पहला सर्वे करवाया, उसमें राज्य की सभी विधानसभा सीटों पर आम वोटर का मिजाज भांपने की कोशिश की गई। पार्टी नेतृत्व ने यह जानने का प्रयास किया कि आम लोग BJP सरकार के दस साल के कामकाज से कितने संतुष्ट और कितने नाखुश हैं। साथ ही वोटर इस बार के चुनाव को लेकर क्या सोचता है? इस सर्वे में कांग्रेस के प्रति पॉजिटिव रिस्पांस और BJP के खिलाफ बदलाव की लहर का संकेत मिलने से पार्टी नेतृत्व उत्साहित है। शुरुआती सर्वे में कांग्रेस को 55 से 60 सीट मिलने की उम्मीद जताई गई। पूर्ण बहुमत से 10-15 सीटें अधिक मिलने के संकेतों के बाद कांग्रेस में टिकट के लिए मारामारी बढ़ गई है। 2 चुनाव हारने वालों के नाम कटे तो हुड्डा होंगे कमजोर कांग्रेस में इस बात पर भी गंभीरता से विचार-मंथन चल रहा है कि 2014 और 2019 यानि लगातार दो चुनाव हार चुके नेताओं को तीसरी बार टिकट दिया जाए या नहीं? पार्टी सांसद कुमारी सैलजा और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला समेत एक धड़ा इस पक्ष में है कि जनता की ओर से दो बार खारिज किए जा चुके नेताओं की जगह इस बार नए चेहरों को मौका दिया जाना चाहिए। अगर सैलजा कैंप की ये मुहिम सिरे चढ़ गई तो इसका सबसे बड़ा नुकसान पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके खेमे के नेताओं को होगा। लगातार पिछले दो चुनाव हारने वाले दर्जनभर नेता हुड्डा खेमे से ही ताल्लुक रखते हैं। लगातार दो विधानसभा चुनाव हारने वाले कांग्रेस नेताओं में नारनौल से राव नरेंद्र सिंह, कोसली से राव यादवेंद्र सिंह, पटौदी से सुधीर चौधरी, पृथला से रघुवीर तेवतिया, फतेहाबाद से प्रहलाद सिंह गिल्लाखेड़ा, टोहाना से परमवीर सिंह, बाढ़ड़ा से रणबीर महेंद्रा, बवानीखेड़ा से रामकिशन फौजी, जुलाना से धर्मेंद्र सिंह ढुल, नरवाना से विद्यारानी, रतिया से जरनैल सिंह, गुहला से दिल्लूराम बाजीगर, पेहवा से मनदीप सिंह चट्ठा और लोहारू से सोमवीर सिंह शामिल हैं। इनमें से ज्यादातर हुड्डा कैंप के हैं। BJP की बंद कमरों में मीटिंग्स जारी राज्य में 10 साल से सरकार चला रही भाजपा को भी ग्राउंड जीरो के हालात की भनक है और वह बदलाव के माहौल का तोड़ निकालने की कोशिश में जुटी है। हालांकि यह बात भी काफी हद तक सही है कि खुद बीजेपी के अंदर इस बार 2014 और 2019 जैसा उत्साह देखने को नहीं मिल रहा। पार्टी के तमाम रणनीतिकार और बड़े नेता बंद कमरों में मीटिंग्स करने में व्यस्त हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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