हरियाणा में कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं कर पाई है। 13 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसी बीच शुक्रवार (8 नवंबर) को कांग्रेस प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के लिए केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा है। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को जल्द कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन सकती है। उधर, हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि अभी हाईकमान की तरफ से कोई नाम फाइनल होकर नहीं आया है। वहीं इन सब चर्चाओं के बीच कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे। विधानसभा सत्र की तारीख की घोषणा होते ही कांग्रेस पर दबाव है कि उसे जल्द विधायक दल का नेता चुनना चाहिए। विधानसभा बैठक में हिस्सा लेने से पहले स्पीकर को भी बताना पड़ता है कि विधायक दल के नेता कौन हैं। तभी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाता है। 20 साल में पहली बार नेता प्रतिपक्ष चुनने में इतना लंबा समय हरियाणा में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। इतने दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई थी। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्तूबर को 4 पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। इसके बाद से कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पाया है। ऑब्जर्वर सभी विधायकों से बात करके गए 18 अक्टूबर को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल हुए। मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने सभी विधायकों से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल करने के लिए वन टू वन बातचीत कर उनकी राय जानी। मीटिंग के बाद अशोक गहलोत और अजय माकन ने कहा- ‘विधायक दल के नेता का चयन हाईकमान करेगा। विधायकों की राय हाईकमान तक पहुंचा दी जाएगी।’ हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान 2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले 31 विधायक इकट्ठा कर हुड्डा दिल्ली में अपनी ताकत दिखा चुके हैं। हरियाणा में कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं कर पाई है। 13 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसी बीच शुक्रवार (8 नवंबर) को कांग्रेस प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के लिए केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा है। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को जल्द कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन सकती है। उधर, हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि अभी हाईकमान की तरफ से कोई नाम फाइनल होकर नहीं आया है। वहीं इन सब चर्चाओं के बीच कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे। विधानसभा सत्र की तारीख की घोषणा होते ही कांग्रेस पर दबाव है कि उसे जल्द विधायक दल का नेता चुनना चाहिए। विधानसभा बैठक में हिस्सा लेने से पहले स्पीकर को भी बताना पड़ता है कि विधायक दल के नेता कौन हैं। तभी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाता है। 20 साल में पहली बार नेता प्रतिपक्ष चुनने में इतना लंबा समय हरियाणा में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। इतने दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई थी। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्तूबर को 4 पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। इसके बाद से कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पाया है। ऑब्जर्वर सभी विधायकों से बात करके गए 18 अक्टूबर को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल हुए। मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने सभी विधायकों से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल करने के लिए वन टू वन बातचीत कर उनकी राय जानी। मीटिंग के बाद अशोक गहलोत और अजय माकन ने कहा- ‘विधायक दल के नेता का चयन हाईकमान करेगा। विधायकों की राय हाईकमान तक पहुंचा दी जाएगी।’ हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान 2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले 31 विधायक इकट्ठा कर हुड्डा दिल्ली में अपनी ताकत दिखा चुके हैं। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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हरियाणा कांग्रेस में टिकट के लिए बड़े नेता आमने-सामने:भाजपा सांसद के भाई ने तोशाम से मांगा टिकट, जेजेपी विधायक की डिमांड शाहबाद सीट
हरियाणा कांग्रेस में टिकट के लिए बड़े नेता आमने-सामने:भाजपा सांसद के भाई ने तोशाम से मांगा टिकट, जेजेपी विधायक की डिमांड शाहबाद सीट हरियाणा विधानसभा चुनाव की घोषणा अब कभी भी हो सकती है। राजनीति पार्टियां अपनी तरफ से तैयारियों में लगी है। वहीं कांग्रेस ने हरियाणा की कुल 90 विधानसभा सीटों पर हुए आवेदन के हिसाब से दूसरा सर्वे शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने 10 अगस्त तक आवेदन मांगे थे। इसमें 90 सीटों पर 2556 दावेदार सामने आए हैं। कांग्रेस के आवेदन सूची में चौंकाने वाले नाम भी हैं। सबसे बड़ा चौंकाने वाला नाम सांसद चौधरी धर्मबीर के भाई राजबीर लाला का है। राजबीर लाला भाजपा के भिवानी-महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धर्मबीर का पूरा चुनाव प्रचार भी संभालते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि धर्मबीर के भाई ने किरण चौधरी के सामने तोशाम से कांग्रेस का टिकट मांगा है। इसी सीट पर बंसीलाल के पौते अनिरुद्ध ने भी टिकट के लिए आवेदन किया है। दूसरा चौंकाने वाला नाम शाहबाद के मौजूदा विधायक रामकरण काला का है। रामकरण काला JJP के विधायक हैं। JJP विधायक ने कांग्रेस की टिकट के लिए आवेदन किया है। तोशाम और टोहाना सीट पर मचेगा घमासान
किरण चौधरी के भाजपा में जाने के बाद तोशाम सीट पर चौधरी बंसीलाल के पौते और रणबीर महेंद्रा के बेटे अनिरुद्ध चौधरी ने आवेदन किया है। वहीं चौधरी धर्मबीर के भाई राजबीर लाला ने भी यहां से आवेदन किया है। रणबीर महेंद्रा के परिवार ने इस बार बाढ़डा सीट से परिवार ने दावेदारी पेश नहीं की है। पिछले बार अनिरुद्ध चौधरी के पिता रणबीर महेंद्रा नैना चौटाला के सामने बाढड़ा विधानसभा से लड़े और वह दूसरे नंबर पर रहे थे। नैना चौटाला से हार के बाद अबकी बार रणबीर महेंद्रा अपनी पारंपरिक सीट पर शिफ्ट हो गया है। कांग्रेस बंसीलाल की पुत्रवधु किरण चौधरी के सामने पौते अनिरुद्ध चौधरी को लड़ाएगी या धर्मबीर के भाई राजबीर को इस पर पार्टी का फैसला करना आसान नहीं होगा। वहीं जजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ने देवेंद्र बबली के इलाके टोहाना से कांग्रेस का टिकट मांगा है। देवेंद्र बबली की भी कांग्रेस से चुनाव लड़ने की चर्चाएं हैं। बबली सैलजा के भरोसे टिकट के लिए बैठे हैं वहीं निशान सिंह को कांग्रेस में लाने वाले भूपेंद्र हुड्डा हैं। ऐसे में पार्टी किसे टिकट देगी किसे नाराज करेगी। यह आने वाला समय बताएगा। हुड्डा अपनी सीट पर अकेले दावेदार, सुरजेवाला ने पत्ते नहीं खोले
बता दें कि पूर्व भूपेंद्र सिंह हुड्डा की गढ़ी सांपला किलोई से महज 1 आवेदन आया है। हुड्डा अपनी सीट पर अकेले दावेदार हैं। वहीं कांग्रेस नेता अवतार सिंह भड़ाना ने 3 जगह से दावेदारी जताई है। अवतार भड़ाना ने नांगल चौधरी, पुन्हाना और एनआईटी फरीदाबाद से दावेदारी ठोकी है। भाजपा सरकार से समर्थन वापस लेने वाले निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान ने चरखी दादरी से कांग्रेट का टिकट के लिए आवेदन किया है। सबसे खास बात है कि कैथल विधानसभा से रणदीप सिंह सुरजेवाला ने अपने किसी समर्थक का आवेदन नहीं करवाया है। चर्चाएं हैं कि सुरजेवाला खुद या बेटे आदित्य सुरजेवाला को यहां से चुनाव लड़वा सकते हैं मगर सुरजेवाला परिवार में किसी ने आवेदन नहीं किया है। रिजर्व सीटों पर सर्वाधिक नामांकन
खास बात यह है कि हरियाणा की 14 रिजर्व सीटों पर सबसे ज्यादा दावेदार हैं। लोकसभा चुनाव में भाजपा रिजर्व सीटों पर पिछड़ गई थी यही कारण है कि हरियाणा की रिजर्व सीटों पर सबसे ज्यादा दावेदार हैं। रिजर्व सीटों को देखें तो मुलाना विधानसभा में 45, शाहबाद में 56, गुहला में 45, नीलोखेड़ी में 88, इसराना में 33, खरखौदा 54, नरवाना 44, रतिया 38, कालांवाली 14, बवानीखेड़ा 75, कलानौर 55, झज्जर 12 बावल 52 और पटौदी में 42 आवेदन कांग्रेस के आए हैं। इसके अलावा कांग्रेस की नीलोखेड़ी सीट पर सबसे अधिक 88 आवेदन आए हैं। इसके बाद जुलाना से 86, बवानीखेड़ा से 78, बाढ़डा से 60 और उकलाना से 57 लोगों ने आवेदन किया है। किसी ने 2 से 3 सीटों पर तो कहीं पिता-पुत्र, पति-पत्नी ने दावेदारी जताई
विधानसभा में कई सीटें ऐसी हैं जहां पिता-पुत्र, पति-पत्नी ने एक ही सीट पर दावेदारी जताई है तो कुछ लोगों ने एक से अधिक सीटों पर दावेदारी जताई है। सिरसा में 3 पिता-पुत्रों ने दावेदारी जताई है। इसमें राजकुमार शर्मा उनके बेटे मोहित शर्मा, वीरभान मेहता और बेटे राजन मेहता, अमीरचंद चावला, करण चावला ने आवेदन किया है। नलवा सीट पर पूर्व मंत्री प्रो. संपत सिंह और उनके बेटे गौरव सिंह ने आवेदन किया है। फतेहाबाद में प्रह्लाद सिंह गिल्लाखेड़ा और उनके बेटे ने एक सीट से ही दावेदारी जताई है। हांसी में पूर्व मंत्री सुभाष गोयल और उनके बेटे सुशील गोयल ने आवेदन किया है। हिसार में हनुमान ऐरन और उनकी पत्नी रेखा ऐरन ने आवेदन किया है। जजपा विधायकों वाली सीट पर अधिक आवेदन
खास बात है कि जिन सीटों पर जजपा के विधायक हैं उन सीटों पर कांग्रेस की ओर से ज्यादा आवेदन हैं। इसका कारण है कि जजपा के वोट बैंक में कांग्रेस सेंधमारी कर चुकी है। लोकसभा चुनाव में भी जजपा के अधिकांश सीटों में कांग्रेस आगे रही थी। टोहाना, नारनौंद, उचाना, जुलाना, बाढड़ा, उकलाना, नरवाना, शाहबाद और गुहला जैसी सीटों पर कांग्रेस को बढ़त मिली थी। टोहाना में कांग्रेस के 21, उचाना में 17, जुलाना में 86, बाढड़ा में 60, शाहबाद में 56, गुहला में 45, उकलाना में 57, नरवाना में 44 और बरवाला में 55 लोगों ने आवेदन किया है।
हरियाणा में HSSC ने ग्रुप-D भर्ती रिजल्ट जारी किया:13,536 सरकारी नौकरियां मिलेंगी; 10 साल बाद JBT टीचर्स भी भर्ती होंगे, नोटिफिकेशन जारी
हरियाणा में HSSC ने ग्रुप-D भर्ती रिजल्ट जारी किया:13,536 सरकारी नौकरियां मिलेंगी; 10 साल बाद JBT टीचर्स भी भर्ती होंगे, नोटिफिकेशन जारी हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) ने ग्रुप डी का रिजल्ट जारी कर दिया है। 2023 में निकाली गई इस ग्रुप की भर्ती के लिए 21-22 सितंबर 2023 को सीईटी एग्जाम कराया गया था। आयोग ने रिजल्ट श्रेणी और रोल नंबर वार कट ऑफ जारी किया गया है। प्रत्येक श्रेणी को कोष्ठक में दिखाया गया है। आयोग ने कहा कि सिलेक्ट हुए अभ्यर्थियों की अनुशंसा खेल विभाग द्वारा सत्यापन के बाद ही संबंधित विभागों को भेजी जाएगी। इसलिए हुई देरी
ग्रुप डी के बचे हुए पदों का रिजल्ट जारी होने में देरी का कारण पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के केस को बताया जा रहा है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने 31 मई को सामाजिक-आर्थिक मापदंड के अंकों को 31 मई 2024 तक खत्म करने का फैसला सुनाया था, इसलिए राज्य सरकार ने करीब 300 नए पदों की सूची भेजी थी। शुक्रवार देर शाम से इन पदों को शामिल कर बचे हुए पदों का रिजल्ट जारी करने की कोशिश की जा रही थी। सभी तकनीकी दिक्कतों को दूर करने के बाद यह रिजल्ट जारी किया गया है। जेबीटी टीचर की 10 साल बाद निकली भर्ती
वहीं हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग (HSSC) ने 1456 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया है। जब से मौलिक शिक्षा विभाग ने पीआरटी पदों की भर्ती के लिए HSSC को अनुरोध पत्र भेजा था, तभी से जेबीटी के संभावित अभ्यर्थी विज्ञापन का इंतजार कर रहे थे। आयोग ने सबसे पहले इन पदों के लिए विज्ञापन तैयार कर मौलिक शिक्षा विभाग को भेजा था। वहां से देरी होने पर सरकार ने एचटीईटी को आजीवन घोषित कर दिया, तो विज्ञापन में थोड़ा संशोधन करना पड़ा। यह संशोधन मौलिक शिक्षा निदेशालय को भेजा गया, अब वहां फाइनल होने के बाद भर्ती के लिए विज्ञापन जारी कर दिया गया। युवा जेबीटी पदों के लिए विज्ञापन का इंतजार इसलिए कर रहे थे, क्योंकि 10 साल के भीतर एक भी जेबीटी शिक्षक पद पर भर्ती नहीं हुई। एमपीएचडब्ल्यू भर्ती अटकी
हरियाणा स्वास्थ्य विभाग ने मल्टी परपज हेल्थ वर्कर (एमपीएचडब्ल्यू) पुरुष पदों पर भर्ती के लिए हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को अनुरोध पत्र भेजा था, लेकिन इस पद के लिए पात्र अभ्यर्थी विज्ञापन जारी होने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि, इन पदों की भर्ती से संबंधित नियमों में संशोधन किया जाना था और विभाग ने अभी तक नियमों के लिए हरी झंडी नहीं दी है। इसलिए फिलहाल इन पदों के लिए विज्ञापन जारी होने की कोई संभावना नहीं है। ग्रुप D भर्ती का पूरा रिजल्ट देखें…
करनाल में CM का सुरजेवाला के बयान पर पलटवार:बोले- कांग्रेस का खत्म हो चुका करियर, रणदीप निकाल रहे फ्रस्ट्रेशन
करनाल में CM का सुरजेवाला के बयान पर पलटवार:बोले- कांग्रेस का खत्म हो चुका करियर, रणदीप निकाल रहे फ्रस्ट्रेशन हरियाणा के CM नायब सिंह सैनी ने कांग्रेस नेता रणदीप सूरजेवाला के बयान पर पलटवार किया है। सूरजेवाला ने नौकरियों के सब्जबाज दिखाकर युवाओं का भविष्य खराब करने वाले CM नायब सैनी से इस्तीफे की मांग की, इस पर सैनी ने पलटवार किया और कहा कि कांग्रेस का कैरियर खत्म हो चुका है और अब सूरजेवाला की फ्रस्ट्रेशन निकल रही है। सूरजेवाला को यह ध्यान नहीं है कि जिस सरकार में वह मंत्री था, उस सरकार के अंदर किस आधार और किस मैरिट पर युवाओं को रोजगार मिलता था। कितना रोजगार दिया है और किस आधार पर दिया है। माननीय कोर्ट ने जो इनकी प्रक्रिया होती थी, जिसमें सूरजेवाला शामिल होता था, उसमें कोर्ट ने 5 साल और दस साल के बाद बाहर का रास्ता युवाओं को दिखाया था। उनके भविष्य को चौपट करने का काम सूरजेवाला की सरकार ने किया है, जिसके मुखिया भूपेंद्र हुड्डा थे। पारदर्शिता के आधार पर दिया रोजगार सैनी के कहा कि उनके टाइम पर किस तरह से पर्ची और खर्ची पर रोजगार मिलता था, यह भी सूरजेवाला को बताना चाहिए। मैं आश्वस्त हूं कि इस सरकार ने कांग्रेस से ज्यादा युवाओं को रोजगार देने का काम किया है और वह भी पारदर्शिता के आधार पर दिया गया है। उसका लाभ युवाओं को मिला है। हाईकोर्ट की डबल बैंच ने जो फैसला दिया है उसका भी सम्मान करते है और इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में रखने का काम हरियाणा सरकार मजबूती से करेगी। केजरीवाल पर कसा तंज केजरीवाल ने अपने कार्यकर्ताओं को मतगणना के दौरान चौकस रहने के निर्देश दिए है, इस पर CM ने जवाब दिया कि अच्छी बात है, केजरीवाल को भी चौकस रहना चाहिए जेल में पड़े पड़े। केजरीवाल को जेल में भी कोई दिक्कत नहीं है और बाहर भी कोई दिक्कत नहीं है। अच्छा बात है कि वे चौकस रहे, नहीं तो वे कल को ईवीएम का रोना रोएंगे, क्योंकि देश के लोग मोदी जी से प्यार करते है और उनकी ईमानदारी का परिणाम आएगा। सूरजेवाला चाहते सस्ती लोकप्रियता सीएम ने सूरजेवाला पर तंज कसा और कहा कि सूरजेवाला सस्ती लोकप्रियता हासिल करना चाहते है। उनको तो सिर्फ टीवी पर दिखना है, कैमरे पर दिखना है। राहुल गांधी भी झूठ बोलते है और उसी थाली में सूरजेवाला खाता है, दो-तीन दिन पहले राहुल गांधी कबाब खा रहा था, कहीं सूरजेवाला ने भी कबाब न खा लिए हो। परंतु सूरजेवाला को कहना चाहता हूं कि कांग्रेस सरकार में आप मंत्री थे और अपना श्वेत पत्र जारी करे कि हरियाणा के कितने युवाओं को रोजगार दिया और किस आधार पर दिया। गरीबों नहीं देते थे अपनी कोठी घुसने गरीब व्यक्ति के युवाओं की वोट तो सूरजेवाला ले लेता था, लेकिन जब नौकरियों की बात आती थी तो सूरजेवाला उन गरीब लोगों को अपनी कोठी में भी घुसने नहीं देते थे। उन गरीबों के कपड़ों से तो बदबू आती थी सूरजेवाला को। यह तो पीएम नरेंद्र मोदी और सीएम मनोहर लाल की सरकार ने सिस्टम बनाया, जिसमें आज गरीब तबके को भी योग्यता के आधार पर नौकरियां मिल रही है। जब कांग्रेस के नेताओं से पूछा जाता था कि आपकी सरकार में पर्ची और खर्ची चलती थी तो कांग्रेस के नेता झूंझला जाते थे और जवाब देते हुए भी चेहरे का रंग उड़ जाता था, लेकिन आज गरीबों का सपना सच किया है तो वह डबल इंजन की सरकार ने किया है।