कांग्रेस प्रवक्ता बोले- हुड्‌डा नहीं बनेंगे नेता प्रतिपक्ष:सिर्फ 2 ही नामों पर विचार हुआ, अरोड़ा विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं

कांग्रेस प्रवक्ता बोले- हुड्‌डा नहीं बनेंगे नेता प्रतिपक्ष:सिर्फ 2 ही नामों पर विचार हुआ, अरोड़ा विधायक दल के नेता चुने जा सकते हैं

हरियाणा में कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं कर पाई है। 13 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसी बीच शुक्रवार (8 नवंबर) को कांग्रेस प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा का नाम नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के लिए केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा है। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को जल्द कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन सकती है। उधर, हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि अभी हाईकमान की तरफ से कोई नाम फाइनल होकर नहीं आया है। वहीं इन सब चर्चाओं के बीच कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे। विधानसभा सत्र की तारीख की घोषणा होते ही कांग्रेस पर दबाव है कि उसे जल्द विधायक दल का नेता चुनना चाहिए। विधानसभा बैठक में हिस्सा लेने से पहले स्पीकर को भी बताना पड़ता है कि विधायक दल के नेता कौन हैं। तभी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाता है। 20 साल में पहली बार नेता प्रतिपक्ष चुनने में इतना लंबा समय हरियाणा में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। इतने दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई थी। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्तूबर को 4 पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। इसके बाद से कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पाया है। ऑब्जर्वर सभी विधायकों से बात करके गए 18 अक्टूबर को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल हुए। मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने सभी विधायकों से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल करने के लिए वन टू वन बातचीत कर उनकी राय जानी। मीटिंग के बाद अशोक गहलोत और अजय माकन ने कहा- ‘विधायक दल के नेता का चयन हाईकमान करेगा। विधायकों की राय हाईकमान तक पहुंचा दी जाएगी।’ हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान 2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले 31 विधायक इकट्‌ठा कर हुड्डा दिल्ली में अपनी ताकत दिखा चुके हैं। हरियाणा में कांग्रेस अभी तक विधायक दल के नेता का नाम फाइनल नहीं कर पाई है। 13 नवंबर से विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। इसी बीच शुक्रवार (8 नवंबर) को कांग्रेस प्रवक्ता बालमुकुंद शर्मा ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा का नाम नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में नहीं है। नेता प्रतिपक्ष के लिए केवल 2 नामों पर ही विचार चल रहा है। इसमें पहला नाम अशोक अरोड़ा और दूसरा नाम पूर्व सीएम चौधरी भजनलाल के बड़े बेटे चंद्रमोहन बिश्नोई का है। अशोक अरोड़ा को जल्द कांग्रेस विधायक दल का नेता चुन सकती है। उधर, हरियाणा कांग्रेस के सह प्रभारी जितेंद्र बघेल ने कहा कि अभी हाईकमान की तरफ से कोई नाम फाइनल होकर नहीं आया है। वहीं इन सब चर्चाओं के बीच कांग्रेस विधायक अशोक अरोड़ा ने कहा कि उन्हें किसी पद की कोई लालसा नहीं है। पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे निभाएंगे। विधानसभा सत्र की तारीख की घोषणा होते ही कांग्रेस पर दबाव है कि उसे जल्द विधायक दल का नेता चुनना चाहिए। विधानसभा बैठक में हिस्सा लेने से पहले स्पीकर को भी बताना पड़ता है कि विधायक दल के नेता कौन हैं। तभी नेता प्रतिपक्ष का पद दिया जाता है। 20 साल में पहली बार नेता प्रतिपक्ष चुनने में इतना लंबा समय हरियाणा में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनाव परिणाम जारी हुए थे और 17 अक्टूबर को हरियाणा सरकार का गठन हुआ था। इतने दिन बीत जाने के बाद भी कांग्रेस विधायक दल का नेता नहीं चुन पाई है। 20 साल में ऐसा पहली बार हो रहा कि हरियाणा को नेता प्रतिपक्ष के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। इसका मुख्य कारण पिछले 3 चुनाव में कांग्रेस को लगातार मिली हार है। 2009 में भी कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, लेकिन बहुमत से पीछे रह गई थी। 2005, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव परिणाम के बाद करीब 15 दिन के अंदर नेता प्रतिपक्ष चुन लिए गए थे। नेता चुनने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने 18 अक्तूबर को 4 पर्यवेक्षक भेजे थे, लेकिन विधायक दल की बैठक में हाईकमान पर फैसला छोड़ दिया गया। इसके बाद से कांग्रेस हाईकमान कोई फैसला नहीं ले पाया है। ऑब्जर्वर सभी विधायकों से बात करके गए 18 अक्टूबर को हरियाणा में कांग्रेस विधायक दल का नेता चुनने को लेकर चंडीगढ़ में मीटिंग हुई। करीब डेढ़ घंटे चली मीटिंग में ऑब्जर्वर के तौर पर राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, राज्यसभा सांसद अजय माकन, पंजाब के नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा के अलावा छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव शामिल हुए। मीटिंग में ऑब्जर्वरों ने सभी विधायकों से विधायक दल के नेता का नाम फाइनल करने के लिए वन टू वन बातचीत कर उनकी राय जानी। मीटिंग के बाद अशोक गहलोत और अजय माकन ने कहा- ‘विधायक दल के नेता का चयन हाईकमान करेगा। विधायकों की राय हाईकमान तक पहुंचा दी जाएगी।’ हुड्डा और सैलजा गुट में खींचतान 2019 में विपक्ष का नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बनाया गया था। हालांकि इस बार विधानसभा चुनाव में हुई हार के लिए हुड्डा को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। ऐसे में सिरसा सांसद कुमारी सैलजा का गुट हुड्डा को फिर विपक्षी दल नेता बनाने का विरोध कर रहा है। इसे देखते हुए कुछ दिन पहले 31 विधायक इकट्‌ठा कर हुड्डा दिल्ली में अपनी ताकत दिखा चुके हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर