कानपुर में इस बार मानसून की समय से एंट्री हुई, लेकिन बारिश ज्यादा नहीं हो रही है। मानसून में सबसे ज्यादा बारिश जुलाई माह में होती है, लेकिन जुलाई माह बीत गया, लेकिन कानपुर में 39 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। जबकि 1 जून से अब तक 45 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है। बीते 1 हफ्ते में 56 फीसदी कम बारिश
IMD के आंकड़ों के मुताबिक कानपुर में बीते 1 हफ्ते के दौरान 56 फीसदी कम बारिश हुई। वहीं पूरे जुलाई माह में इस बार कम बारिश दर्ज हुई है। औसतन जहां 216.5 मिमी. दर्ज की जाती थी, लेकिन इस बार 132.3 मिमी. बारिश ही दर्ज हुई। वहीं 1 जून से 31 जुलाई तक औसतन 294.8 मिमी. रिकॉर्ड की जाती थी। मगर, इस बार 162.8 मिमी. बारिश दर्ज की जा सकी है। बुधवार से फिर मानसून हुआ एक्टिव
बुधवार से मानसून दोबारा सक्रिय हुआ तो बारिश के आसार बढ़ गए हैं। बुधवार को कानपुर में तेज हवा के साथ झमाझम बारिश हुई। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अगले दो से तीन दिनों तक मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है। रुक-रुक कर हल्की से तेज बारिश हो सकती है। दक्षिण की तरफ चले गए थे बादल
जुलाई के दूसरे सप्ताह के बाद बादल दक्षिण की तरफ चले गए थे। इसकी वजह से मानसून कमजोर पड़ गया औ बारिश रुक गई। अब मानसून एक बार फिर एक्टिव हो गया है। इससे बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। बारिश से गर्मी से राहत मिलेगी। मानसून का आधा सीजन बीत चुका
सीएसए यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का आधा सीजन बीत चुका है। इस समय मानसून की स्थिति काफी अनिश्चित है। उत्तर प्रदेश में बारिश का वितरण असमान रूप से हुआ है। वहीं, कम से कम 11 मौसम संबंधी उप-विभाजनों में 30% -40% तक बारिश की कमी दर्ज की गई है। असमान बारिश का प्रभाव
इस वर्ष के मानसून में स्थान और समय के आधार पर भारी अंतर देखा गया है। कुछ क्षेत्रों में बारिश की कमी होने से फसलों और जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ सकता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति भी बनी हुई है। इस तरह बारिश का अनिश्चित और असमान वितरण मानसून की भविष्यवाणी (पूर्वानुमान) और इसके प्रभावों के आकलन में चुनौतियां पेश कर रहा है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश
कानपुर मंडल सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में बारिश की कमी के साथ कानपुर मैं दस से बारह दिन बिलकुल बारिश नहीं हुई। जो रिकॉर्ड की गई वो भी पॉकेट रेन के रूप मैं कहीं हुई कहीं नहीं। धान की फसल को हो रहा है नुकसान
बारिश के इस असमान वितरण और कमी ने देश के धान उत्पादक क्षेत्रों किसानों और सरकार दोनों को तनाव में डाल दिया है। किसानों को सिंचाई के लिए ज्यादा लागत खर्च करनी पड़ रही है। आलम ये है कि कम बारिश के चलते ज्यादातर किसान इस बार धान की फसल न करने का मन बना चुके हैं। कानपुर में इस बार मानसून की समय से एंट्री हुई, लेकिन बारिश ज्यादा नहीं हो रही है। मानसून में सबसे ज्यादा बारिश जुलाई माह में होती है, लेकिन जुलाई माह बीत गया, लेकिन कानपुर में 39 फीसदी कम बारिश दर्ज की गई है। जबकि 1 जून से अब तक 45 फीसदी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है। बीते 1 हफ्ते में 56 फीसदी कम बारिश
IMD के आंकड़ों के मुताबिक कानपुर में बीते 1 हफ्ते के दौरान 56 फीसदी कम बारिश हुई। वहीं पूरे जुलाई माह में इस बार कम बारिश दर्ज हुई है। औसतन जहां 216.5 मिमी. दर्ज की जाती थी, लेकिन इस बार 132.3 मिमी. बारिश ही दर्ज हुई। वहीं 1 जून से 31 जुलाई तक औसतन 294.8 मिमी. रिकॉर्ड की जाती थी। मगर, इस बार 162.8 मिमी. बारिश दर्ज की जा सकी है। बुधवार से फिर मानसून हुआ एक्टिव
बुधवार से मानसून दोबारा सक्रिय हुआ तो बारिश के आसार बढ़ गए हैं। बुधवार को कानपुर में तेज हवा के साथ झमाझम बारिश हुई। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक अगले दो से तीन दिनों तक मौसम ऐसा ही रहने का अनुमान है। रुक-रुक कर हल्की से तेज बारिश हो सकती है। दक्षिण की तरफ चले गए थे बादल
जुलाई के दूसरे सप्ताह के बाद बादल दक्षिण की तरफ चले गए थे। इसकी वजह से मानसून कमजोर पड़ गया औ बारिश रुक गई। अब मानसून एक बार फिर एक्टिव हो गया है। इससे बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। बारिश से गर्मी से राहत मिलेगी। मानसून का आधा सीजन बीत चुका
सीएसए यूनिवर्सिटी के मौसम विज्ञानी डा. एसएन सुनील पांडेय ने बताया कि दक्षिण-पश्चिम मानसून का आधा सीजन बीत चुका है। इस समय मानसून की स्थिति काफी अनिश्चित है। उत्तर प्रदेश में बारिश का वितरण असमान रूप से हुआ है। वहीं, कम से कम 11 मौसम संबंधी उप-विभाजनों में 30% -40% तक बारिश की कमी दर्ज की गई है। असमान बारिश का प्रभाव
इस वर्ष के मानसून में स्थान और समय के आधार पर भारी अंतर देखा गया है। कुछ क्षेत्रों में बारिश की कमी होने से फसलों और जल संसाधनों पर प्रभाव पड़ सकता है, जबकि कुछ क्षेत्रों में सामान्य से अधिक बारिश होने के कारण बाढ़ जैसी स्थिति भी बनी हुई है। इस तरह बारिश का अनिश्चित और असमान वितरण मानसून की भविष्यवाणी (पूर्वानुमान) और इसके प्रभावों के आकलन में चुनौतियां पेश कर रहा है। कहीं ज्यादा तो कहीं कम बारिश
कानपुर मंडल सहित उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में बारिश की कमी के साथ कानपुर मैं दस से बारह दिन बिलकुल बारिश नहीं हुई। जो रिकॉर्ड की गई वो भी पॉकेट रेन के रूप मैं कहीं हुई कहीं नहीं। धान की फसल को हो रहा है नुकसान
बारिश के इस असमान वितरण और कमी ने देश के धान उत्पादक क्षेत्रों किसानों और सरकार दोनों को तनाव में डाल दिया है। किसानों को सिंचाई के लिए ज्यादा लागत खर्च करनी पड़ रही है। आलम ये है कि कम बारिश के चलते ज्यादातर किसान इस बार धान की फसल न करने का मन बना चुके हैं। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर