कानपुर में आजादी के जश्न से जुड़ी एक अनोखी परंपरा देश के आजादी के समय से आज भी कायम है। कानपुर में 14 अगस्त की आधी रात 12 बजते ही हर बार की तरह ध्वजारोहण किया और आजादी का जश्न मनाया गया। इसके बाद सुबह भी ध्वजारोहण किया जाता है। रात में 12 बजे ध्वजारोहण की परंपरा 1947 से चली आ रही है। मेस्टन रोड पर हुआ कार्यक्रम
कानपुर के मेस्टन रोड पर एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को ही झंडा फहराने की परंपरा है। रात के 12 बजे देश-भक्ति गीतों के बीच आजादी के महोत्सव का आयोजन शुरू हो जाता है। लोगों ने आतिशबाजी कर आजादी का पर्व मनाया। एक-दूसरे को बधाई भी दी। कांग्रेस कमेटी की ओर से हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। 15 तारीख लग जाती है
कानपुर कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष नौशाद आलम ने बता कि 14 अगस्त की रात 12 बजते ही 15 अगस्त की तारीख लग जाती है। घड़ी की सुई अपना पहला सेकेंड 15 अगस्त को टच करती है और यहां झंडा फहरा दिया जाता है। कानपुर में रात 12 बजे से ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है और झंडा फहराया जाता है। राष्ट्र गीत गाए जाते हैं। यह परंपरा 1947 से चली आ रही
नौशाद आलम ने बताया कि कानपुर शहर के मेस्टन रोड के बीच वाले मंदिर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के पास यह परंपरा 1947 से चली आ रही है। ध्वजारोहण में शहर के सभी वर्ग के लोगों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी भाग लेते हैं। दावा है कि हिंदुस्तान जब आजाद हुआ तो देश में सबसे पहला तिरंगा कानपुर में ही फहराया गया था। तब शिव नारायण टंडन ने यहां ध्वजारोहण किया था। कानपुर में आजादी के जश्न से जुड़ी एक अनोखी परंपरा देश के आजादी के समय से आज भी कायम है। कानपुर में 14 अगस्त की आधी रात 12 बजते ही हर बार की तरह ध्वजारोहण किया और आजादी का जश्न मनाया गया। इसके बाद सुबह भी ध्वजारोहण किया जाता है। रात में 12 बजे ध्वजारोहण की परंपरा 1947 से चली आ रही है। मेस्टन रोड पर हुआ कार्यक्रम
कानपुर के मेस्टन रोड पर एक दिन पहले यानी 14 अगस्त को ही झंडा फहराने की परंपरा है। रात के 12 बजे देश-भक्ति गीतों के बीच आजादी के महोत्सव का आयोजन शुरू हो जाता है। लोगों ने आतिशबाजी कर आजादी का पर्व मनाया। एक-दूसरे को बधाई भी दी। कांग्रेस कमेटी की ओर से हर वर्ष इसका आयोजन किया जाता है। 15 तारीख लग जाती है
कानपुर कांग्रेस कमेटी के जिलाध्यक्ष नौशाद आलम ने बता कि 14 अगस्त की रात 12 बजते ही 15 अगस्त की तारीख लग जाती है। घड़ी की सुई अपना पहला सेकेंड 15 अगस्त को टच करती है और यहां झंडा फहरा दिया जाता है। कानपुर में रात 12 बजे से ही स्वतंत्रता दिवस का जश्न शुरू हो जाता है और झंडा फहराया जाता है। राष्ट्र गीत गाए जाते हैं। यह परंपरा 1947 से चली आ रही
नौशाद आलम ने बताया कि कानपुर शहर के मेस्टन रोड के बीच वाले मंदिर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा के पास यह परंपरा 1947 से चली आ रही है। ध्वजारोहण में शहर के सभी वर्ग के लोगों के साथ-साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी भाग लेते हैं। दावा है कि हिंदुस्तान जब आजाद हुआ तो देश में सबसे पहला तिरंगा कानपुर में ही फहराया गया था। तब शिव नारायण टंडन ने यहां ध्वजारोहण किया था। उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर