किन्नौर जिला के रारंग की मूल निवासी डॉ. मनीषा नेगी ने मृदा विज्ञान में प्रतिष्ठित कृषि अनुसंधान सेवा (एआरएस) वैज्ञानिक परीक्षा उत्तीर्ण की है। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) द्वारा आयोजित यह परीक्षा इस क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है। जिसका उद्देश्य पूरे भारत में अनुसंधान संस्थानों के लिए शीर्ष वैज्ञानिकों का चयन करना है। डॉ. नेगी की शैक्षणिक यात्रा उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने डॉ. वाईएस. परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन से मृदा विज्ञान में स्नातकोत्तर और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए उन्हें “अकादमिक उत्कृष्टता पुरस्कार” से सम्मानित किया गया, जिसे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने प्रदान किया। इससे पहले, उन्होंने भारत के प्रमुख कृषि विश्वविद्यालयों में से एक, बैंगलोर के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में बीएससी. की पढ़ाई की। अपने शैक्षणिक जीवन के दौरान, डॉ. नेगी कई प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियों और फेलोशिप की प्राप्तकर्ता रही हैं। उन्हें बीएससी के लिए आईसीएआर अंडरग्रेजुएट छात्रवृत्ति, एमएससी के लिए आईसीएआर जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और पीएचडी के लिए यूजीसी नेशनल फेलोशिप फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब्स (एनएफएसटी) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें डॉक्टरेट की पढ़ाई के दौरान यूनिवर्सिटी मेरिट स्कॉरशिप भी मिली। डॉ. मनीषा नेगी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों के सहयोग और मार्गदर्शन को देती हैं। उनकी उपलब्धि छात्रों और युवा शोधकर्ताओं, खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। किन्नौर जिला के रारंग की मूल निवासी डॉ. मनीषा नेगी ने मृदा विज्ञान में प्रतिष्ठित कृषि अनुसंधान सेवा (एआरएस) वैज्ञानिक परीक्षा उत्तीर्ण की है। कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड (एएसआरबी) द्वारा आयोजित यह परीक्षा इस क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं में से एक है। जिसका उद्देश्य पूरे भारत में अनुसंधान संस्थानों के लिए शीर्ष वैज्ञानिकों का चयन करना है। डॉ. नेगी की शैक्षणिक यात्रा उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ता और उत्कृष्टता के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण है। उन्होंने डॉ. वाईएस. परमार बागवानी और वानिकी विश्वविद्यालय, नौनी, सोलन से मृदा विज्ञान में स्नातकोत्तर और पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। उनके असाधारण प्रदर्शन के लिए उन्हें “अकादमिक उत्कृष्टता पुरस्कार” से सम्मानित किया गया, जिसे हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल ने प्रदान किया। इससे पहले, उन्होंने भारत के प्रमुख कृषि विश्वविद्यालयों में से एक, बैंगलोर के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में बीएससी. की पढ़ाई की। अपने शैक्षणिक जीवन के दौरान, डॉ. नेगी कई प्रतिष्ठित छात्रवृत्तियों और फेलोशिप की प्राप्तकर्ता रही हैं। उन्हें बीएससी के लिए आईसीएआर अंडरग्रेजुएट छात्रवृत्ति, एमएससी के लिए आईसीएआर जूनियर रिसर्च फेलोशिप (जेआरएफ) और पीएचडी के लिए यूजीसी नेशनल फेलोशिप फॉर शेड्यूल्ड ट्राइब्स (एनएफएसटी) से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें डॉक्टरेट की पढ़ाई के दौरान यूनिवर्सिटी मेरिट स्कॉरशिप भी मिली। डॉ. मनीषा नेगी अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों के सहयोग और मार्गदर्शन को देती हैं। उनकी उपलब्धि छात्रों और युवा शोधकर्ताओं, खासकर ग्रामीण और पहाड़ी क्षेत्रों के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
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हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला
हिमाचल में हाटी समुदाय से जुड़ा मुद्दा फिर गरमाया:कानून बनने के बाद भी लोगों को नहीं मिल रहा लाभ, हाईकोर्ट में लटका मामला हिमाचल प्रदेश जिला सिरमौर के गिरी पार हाटी समुदाय के करीब तीन लाख लोगों से जुड़ा अनुसूचित जनजाति का मामला एक बार फिर गरमा गया है। यह मामला हिमाचल हाईकोर्ट में विचाराधीन है। हाटी समुदाय के लोग इसको जल्दी निपटाने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि एक साल से ज्यादा का समय केंद्र से कानून बनने के बाद भी लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधि मंडल मंगलवार देर शाम कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मिला। जिसके बाद मंत्री ने प्रतिनिधिमंडल के साथ हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता के साथ एक संयुक्त बैठक की। इस बैठक में उन्होंने हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति से जुड़े मामले को हाईकोर्ट से जल्द निपटाने को लेकर चर्चा की। मामले का जल्द निपटारा करने की मांग
कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने को लेकर सरकार का पक्ष साफ है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले में असमंजस की स्थिति केंद्र सरकार की अधिसूचना की वजह से हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र का जैसे ही इस मामले में स्पष्टीकरण आया, हिमाचल सरकार ने 24 घंटे के भीतर उसको लागू किया। मगर मामला कोर्ट पहुंच गया जिसके कारण यह लंबित हो गया और इसके लिए उन्होंने लोगों के साथ मिलकर एडवोकेट जनरल से बैठक की है। उनसे आग्रह किया कि इस मामले को जल्द से जल्द निपटाया जाए। मंत्री ने कहा कि इसके लिए एक अच्छा वकील हायर करेंगे, जो मजबूती से हाटी समुदाय का पक्ष रखेंगे, सरकार पूरी मदद करेगी। मंत्री हर्षवर्धन ने भाजपा पर बोला हमला
इस दौरान मंत्री हर्ष वर्धन चौहान ने भाजपा पर भी जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस मामले को हाई जैक करने का प्रयास किया। लेकिन यह मामला राजनीतिक नहीं है, सभी लोगों ने इसके लिए काम किया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय हाटी संघर्ष समिति आज भाजपा का पिट्ठू बनी हुई है। समिति जनता से हाटी के नाम पर इसलिए पैसे इकट्ठे कर रही है कि सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। उन्होंने कहा कि समिति के लोग सुप्रीम कोर्ट की बात सिर्फ इसलिए करते हैं क्योंकि उन्होंने अपनी राजनीति चमकानी है। परंतु हाटी कल्याण मंच इस लड़ाई को हाईकोर्ट में मजबूती से लड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस लड़ाई के लिए बहुत लोगों ने काम किया है जो आज इस दुनिया में नहीं हैं वह उन्हें नमन करता है। कैबिनेट मंत्री ने दिया मदद का आश्वासन
वहीं हाटी कल्याण मंच गिरी पार के अध्यक्ष प्रताप सिंह तोमर ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने बताया कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा देने के मामले की वर्तमान स्थिति को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल ने कैबिनेट मंत्री हर्षवर्धन चौहान से मुलाकात की। उन्होंने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति दर्जा लागू करने को लेकर हाईकोर्ट के स्टे को हटाया जाए। इसको लेकर हाईकोर्ट में एडवोकेट जनरल के साथ विस्तृत रूप से चर्चा की। प्रताप सिंह तोमर ने कहा कि कैबिनेट मंत्री की ओर से उन्हें आश्वासन दिया गया है, कि इस मामले में सरकार हाटी समुदाय की पूरी तरह से मदद करने का प्रयास करेगी। 21 नवंबर को मामले की होगी सुनवाई
वहीं हिमाचल हाईकोर्ट में महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा प्रदेश में लागू करने के मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है। अनूप ने बताया कि आज एक प्रतिनिधि मंडल ने उनसे मुलाकात की है। वह दलीलों के जरिए जल्द से जल्द इस मामले का निपटारा करने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बताया कि 21 नवंबर को इस मामले में सुनवाई होनी है। मगर सरकार न्यायालय से दरख़्वास्त करेगी कि जल्द से जल्द मामले को सुना जाए। क्या है मामला.?
बता दें कि हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के ट्रांसगिरी क्षेत्र में हाटी समुदाय के लोग 1967, यानी 55 सालों से उत्तराखंड के जौनसार बाबर को जनजाति दर्जा मिलने के बाद से उसी तर्ज पर जनजाति दर्जे की मांग को लेकर संघर्षरत हैं। केंद्रीय कैबिनेट ने हाटी समुदाय की मांग को 14 सितंबर 2022 को अपनी मंजूरी दी थी। उसके बाद 16 दिसंबर 2022 को यह बिल लोकसभा से पारित हुआ और जुलाई 2023 में राज्यसभा से भी पारित हो गया। बाद में इसे राष्ट्रपति के लिए भेजा गया था, जहां 9 दिनों में ही राष्ट्रपति ने भी विधेयक पर मुहर लगा दी। लेकिन फिर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया और तब से लंबित पड़ा है। इसका लाभ लोगों को नही मिल रहा है। बता दें कि सिरमौर जिले के हाटी समुदाय में करीब तीन लाख लोग, शिलाई, श्रीरेणुकाजी, पच्छाद और पांवटा साहिब विधानसभा क्षेत्रों में रहते हैं। जिला सिरमौर की कुल 269 पंचायतों में से ट्रांसगिरी में 154 पंचायतें आती हैं। इन 154 पंचायतों की 14 जातियों तथा उप जातियों को एसटी संशोधित विधेयक में शामिल किया गया है।
हिमाचल स्पीकर की विपक्ष के नेता को चेतावनी:बोले-भाषा पर नियंत्रण रखें जयराम, नहीं तो नियमों के तहत हो सकती है कार्रवाई
हिमाचल स्पीकर की विपक्ष के नेता को चेतावनी:बोले-भाषा पर नियंत्रण रखें जयराम, नहीं तो नियमों के तहत हो सकती है कार्रवाई हिमाचल विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष पर पलटवार करते हुए उन्हें सदन की अवमानना का कंटेम्पट करने की चेतावनी दी। शिमला में स्पीकर ने प्रेस कॉफ्रेंस बुलाकर कहा, नेता प्रतिपक्ष अपनी मर्यादा भूल रहे हैं। सदन में नियमों के तहत लिए गए उन फैसले को लेकर पब्लिक डोमेन में गलत बयानाजी कर रहे हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट और हिमाचल हाईकोर्ट भी सही ठहरा चुका है। जयराम ठाकुर ने ऐसी बयानबाजी बंद नहीं की तो उनके खिलाफ भी नियमों के तहत कार्रवाई हो सकती है। दरअसल, जयराम ठाकुर ने स्पीकर पर सरकार की कठपुतली बनकर काम करने का आरोप लगाया था। इस पर स्पीकर ने जयराम ठाकुर को अपनी भाषा पर नियंत्रण रखने की सलाह दी। स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि उन्होंने संविधान के तहत छह विधायकों को निष्कासित किया। इसके बाद तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे भी कानून के तहत स्वीकार किए गए। इन फैसलों को कोर्ट भी सही ठहरा चुका है। उन्होंने कहा, यदि नेता प्रतिपक्ष को इन फैसलों पर बात करनी है तो वह सदन में हो सकती है। इस तरह बाहर बात करना उचित नहीं है। निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को इस्तीफा दे दिया था पठानिया ने कहा, कानून के अनुसार निर्दलीय विधायक किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं हो सकते। हिमाचल के तीन निर्दलीय विधायकों ने 22 मार्च को इस्तीफा दे दिया और 23 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए थे। इस मामले में भी दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला लिया गया। उन्होंने कहा, हिमाचल के मुख्य न्यायाधीश ने भी अपने फैसले में कहा कि कोर्ट स्पीकर के संवैधानिक अधिकारों में दखल नहीं दे सकता। कुलदीप पठानिया ने कहा कि कोर्ट ने स्पीकर के अधिकारों को सही करार दिया है। ऐसे में नेता प्रतिपक्ष द्वारा उन पर लगाए जा रहे आरोप सही नहीं हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसा न हो कि उन्हें दोबारा नियमों के तहत कार्रवाई करनी पड़े। आखिर में स्पीकर ने कहा, उन्हें जयराम ठाकुर से किसी तरह के सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। बीजेपी के 9 विधायकों की सदस्यता पर बोले स्पीकर भारतीय जनता पार्टी के नौ विधायकों के खिलाफ याचिका से जुड़े सवाल के जवाब में स्पीकर ने कहा, विधानसभा सचिवालय प्रशासन के पास याचिका अभी लंबित है। इस पर विचार हो रहा है। भाजपा के विधायक अपना जवाब दे चुके हैं। उपयुक्त समय आने पर इस पर फैसला होगा। क्या इन 9 विधायकों की सदस्यता जाएगी? इस सवाल पर स्पीकर ने कहा, प्रेस कॉफ्रेस में इस स्टेज पर कुछ कहना गलत है। याचिका पर नियमों के तहत ही कार्रवाई की जाएगी।