किरण चौधरी की एंट्री से BJP में बगावती सुर:3 बार के सांसद बोले- अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा; किरण-श्रुति की वजह छोड़ी थी कांग्रेस

किरण चौधरी की एंट्री से BJP में बगावती सुर:3 बार के सांसद बोले- अगला चुनाव नहीं लड़ूंगा; किरण-श्रुति की वजह छोड़ी थी कांग्रेस

हरियाणा में BJP के भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार सांसद बने चौधरी धर्मवीर सिंह ने सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा- 2024 में यह मेरा आखिरी चुनाव था। इसके बाद मैं कोई इलेक्शन नहीं लड़ूंगा। चौधरी धर्मवीर की नाराजगी को किरण चौधरी से जोड़कर देखा जा रहा है। धर्मवीर को पूर्व सीएम बंसीलाल की बहू किरण चौधरी का कट्‌टर विरोधी माना जाता है। किरण की बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट मिलने की वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी। अब किरण और श्रुति भाजपा में आ चुकी हैं। उनकी इस भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर लोकसभा टिकट की भी दावेदारी हो चुकी है। इतना ही नहीं चौधरी धर्मवीर सिंह ने राव इंद्रजीत को राज्य मंत्री बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए। धर्मवीर ने कहा- हमारे इलाके (अहीरवाल) के लोगों में थोड़ी नाराजगी है। राव इंद्रजीत सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। मंत्रीपद की दौड़ में थे, गैर जाट पॉलिटिक्स की वजह से रह गए
दरअसल, चौधरी धर्मवीर ने परिवारिक सदस्य के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा- ये उनकी मर्जी है कि वो चुनाव लड़े या ना लड़े। धर्मवीर सिंह ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि प्रदेश में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। धर्मवीर को भी इस बार केंद्र में मंत्रीपद की दौड़ में माना जा रहा था। हालांकि हरियाणा में भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स की वजह से वह पिछड़ गए और पंजाबी चेहरे खट्‌टर, गुर्जर समुदाय से कृष्णपाल गुर्जर और अहीर समाज से राव इंद्रजीत को मंत्री बना दिया गया। धर्मबीर जाट कम्युनिटी से हैं। लगातार तीसरी बार सांसद बने धर्मबीर
बता दें कि चौधरी धर्मबीर सिंह भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। दशकों तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले धर्मबीर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह की तरह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। राव इंद्रजीत सिंह की पैरवी पर ही तीनों बार पार्टी हाईकमान ने धर्मबीर सिंह को टिकट दी। दो बार 2014 और 2019 में तो धर्मबीर सिंह असानी से जीत गए, लेकिन इस बार कांग्रेस की तरफ से राव दान सिंह को कैंडिडेट बनाए जाने से धर्मबीर सिंह कांटे के मुकाबले में फंस गए थे। चौधरी धर्मबीर सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए राव इंद्रजीत सिंह को ही मैदान में उतरना पड़ा था। राव इंद्रजीत सिंह ने प्रचार के दौरान चौधरी धर्मबीर को अपना साथी बताते हुए अहीरवाल में उन्हें जिताने की अपील की थी। राव इंद्रजीत सिंह की अपील का काफी हद तक महेंद्रगढ़ इलाके में असर भी दिखाई दिया, जिसकी वजह से आखिरी वक्त में पासा पलट गया और चौधरी धर्मबीर सिंह लोकसभा का चुनाव जीत गए। धर्मबीर के लिए अड़े रहे राव इंद्रजीत सिंह
बता दें कि चौधरी धर्मबीर सिंह इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थे। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर बीजेपी की टिकट के लिए कई हैवीवेट नेताओं ने पुरजोर कोशिश भी की। लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने चौधरी धर्मबीर सिंह के नाम की सिफारिश की और उनकी बदौलत पार्टी ने चौधरी धर्मबीर सिंह को टिकट दी। चौधरी धर्मबीर सिंह हरियाणा की राजनीति में भी काफी एक्टिव रहे। बंसीलाल की तीन 3 पीढ़ियों को हराया चुनाव
अपने राजनीतिक जीवन के दौरान, वह पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल परिवार की 3 पीढ़ियों को हराने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1987 में लोकदल के उम्मीदवार के रूप में तोशाम विधानसभा सीट से खुद बंसीलाल को हराकर चौंका दिया था। उन्होंने 2000 में तोशाम से बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र को हराया और बाद में बंसीलाल की पोती (सुरेंद्र की बेटी) श्रुति चौधरी को 2014 और 2019 में भाजपा के सदस्य के रूप में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर हराया। हरियाणा में BJP के भिवानी-महेंद्रगढ़ से लगातार तीसरी बार सांसद बने चौधरी धर्मवीर सिंह ने सबको चौंका दिया है। उन्होंने कहा- 2024 में यह मेरा आखिरी चुनाव था। इसके बाद मैं कोई इलेक्शन नहीं लड़ूंगा। चौधरी धर्मवीर की नाराजगी को किरण चौधरी से जोड़कर देखा जा रहा है। धर्मवीर को पूर्व सीएम बंसीलाल की बहू किरण चौधरी का कट्‌टर विरोधी माना जाता है। किरण की बेटी श्रुति चौधरी को भिवानी-महेंद्रगढ़ से टिकट मिलने की वजह से उन्होंने कांग्रेस छोड़ी थी। अब किरण और श्रुति भाजपा में आ चुकी हैं। उनकी इस भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर लोकसभा टिकट की भी दावेदारी हो चुकी है। इतना ही नहीं चौधरी धर्मवीर सिंह ने राव इंद्रजीत को राज्य मंत्री बनाए जाने पर भी सवाल खड़े किए। धर्मवीर ने कहा- हमारे इलाके (अहीरवाल) के लोगों में थोड़ी नाराजगी है। राव इंद्रजीत सिंह को राज्यमंत्री बनाया गया है। जबकि लोगों को उम्मीद थी कि इस बार उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा। मंत्रीपद की दौड़ में थे, गैर जाट पॉलिटिक्स की वजह से रह गए
दरअसल, चौधरी धर्मवीर ने परिवारिक सदस्य के चुनाव लड़ने के सवाल पर कहा- ये उनकी मर्जी है कि वो चुनाव लड़े या ना लड़े। धर्मवीर सिंह ने हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कहा कि प्रदेश में लगातार तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। धर्मवीर को भी इस बार केंद्र में मंत्रीपद की दौड़ में माना जा रहा था। हालांकि हरियाणा में भाजपा की गैर जाट पॉलिटिक्स की वजह से वह पिछड़ गए और पंजाबी चेहरे खट्‌टर, गुर्जर समुदाय से कृष्णपाल गुर्जर और अहीर समाज से राव इंद्रजीत को मंत्री बना दिया गया। धर्मबीर जाट कम्युनिटी से हैं। लगातार तीसरी बार सांसद बने धर्मबीर
बता दें कि चौधरी धर्मबीर सिंह भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट से लगातार तीसरी बार सांसद चुने गए हैं। दशकों तक कांग्रेस की राजनीति करने वाले धर्मबीर 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले राव इंद्रजीत सिंह की तरह कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। राव इंद्रजीत सिंह की पैरवी पर ही तीनों बार पार्टी हाईकमान ने धर्मबीर सिंह को टिकट दी। दो बार 2014 और 2019 में तो धर्मबीर सिंह असानी से जीत गए, लेकिन इस बार कांग्रेस की तरफ से राव दान सिंह को कैंडिडेट बनाए जाने से धर्मबीर सिंह कांटे के मुकाबले में फंस गए थे। चौधरी धर्मबीर सिंह की जीत सुनिश्चित करने के लिए राव इंद्रजीत सिंह को ही मैदान में उतरना पड़ा था। राव इंद्रजीत सिंह ने प्रचार के दौरान चौधरी धर्मबीर को अपना साथी बताते हुए अहीरवाल में उन्हें जिताने की अपील की थी। राव इंद्रजीत सिंह की अपील का काफी हद तक महेंद्रगढ़ इलाके में असर भी दिखाई दिया, जिसकी वजह से आखिरी वक्त में पासा पलट गया और चौधरी धर्मबीर सिंह लोकसभा का चुनाव जीत गए। धर्मबीर के लिए अड़े रहे राव इंद्रजीत सिंह
बता दें कि चौधरी धर्मबीर सिंह इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने के मूड में नहीं थे। भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर बीजेपी की टिकट के लिए कई हैवीवेट नेताओं ने पुरजोर कोशिश भी की। लेकिन राव इंद्रजीत सिंह ने चौधरी धर्मबीर सिंह के नाम की सिफारिश की और उनकी बदौलत पार्टी ने चौधरी धर्मबीर सिंह को टिकट दी। चौधरी धर्मबीर सिंह हरियाणा की राजनीति में भी काफी एक्टिव रहे। बंसीलाल की तीन 3 पीढ़ियों को हराया चुनाव
अपने राजनीतिक जीवन के दौरान, वह पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल परिवार की 3 पीढ़ियों को हराने के लिए प्रसिद्ध हैं। उन्होंने 1987 में लोकदल के उम्मीदवार के रूप में तोशाम विधानसभा सीट से खुद बंसीलाल को हराकर चौंका दिया था। उन्होंने 2000 में तोशाम से बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र को हराया और बाद में बंसीलाल की पोती (सुरेंद्र की बेटी) श्रुति चौधरी को 2014 और 2019 में भाजपा के सदस्य के रूप में भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट पर हराया।   हरियाणा | दैनिक भास्कर