हिमाचल के कुल्लू मनाली में देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक, 800 मेगावाट पार्वती परियोजना-2 का निर्माण कार्य जल्द ही पूर्ण होने की ओर है। इस परियोजना की 32 किलोमीटर लंबी सुरंग को विश्व की सबसे लंबी सुरंग माना जा रहा है। इस मौके पर एनएचपीसी लिमिटेड के निदेशक उत्तम लाल ने शक्तिपीठ श्री नैना देवी में माता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और परियोजना की सफलता की प्रार्थना की। प्रोजेक्ट की सफलता के लिए माता का लिया आशीर्वाद श्री नैना देवी मंदिर में दर्शन के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए उत्तम लाल ने कहा कि पार्वती परियोजना-2 का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के उद्देश्य से वे माता के दरबार में आशीर्वाद लेने आए हैं। उत्तम लाल ने विश्वास व्यक्त किया कि NHPC इस परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा करेगी और यह देश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। अश्वनी कुमार ने उत्तम लाल चुनरी भेंटकर किया सम्मानित इस अवसर पर मंदिर न्यास की ओर से अधीक्षक अश्वनी कुमार ने उत्तम लाल को माता की चुनरी और फोटो भेंट कर सम्मानित किया। उनके साथ एनएचपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, जैसे डॉ. ज्योतिर्मय जैन (महाप्रबंधक, चिकित्सा) भी मौजूद रहे। इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने से देश की ऊर्जा क्षमता में वृद्धि होगी और हिमाचल प्रदेश में विकास की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी। एनएचपीसी के इस प्रयास को लेकर क्षेत्र में सकारात्मक उत्साह देखा जा रहा है। हिमाचल के कुल्लू मनाली में देश की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक, 800 मेगावाट पार्वती परियोजना-2 का निर्माण कार्य जल्द ही पूर्ण होने की ओर है। इस परियोजना की 32 किलोमीटर लंबी सुरंग को विश्व की सबसे लंबी सुरंग माना जा रहा है। इस मौके पर एनएचपीसी लिमिटेड के निदेशक उत्तम लाल ने शक्तिपीठ श्री नैना देवी में माता के दर्शन कर आशीर्वाद लिया और परियोजना की सफलता की प्रार्थना की। प्रोजेक्ट की सफलता के लिए माता का लिया आशीर्वाद श्री नैना देवी मंदिर में दर्शन के उपरांत पत्रकारों से बातचीत करते हुए उत्तम लाल ने कहा कि पार्वती परियोजना-2 का कार्य लगभग पूर्णता की ओर है। उन्होंने बताया कि इस परियोजना को सफलतापूर्वक पूर्ण करने के उद्देश्य से वे माता के दरबार में आशीर्वाद लेने आए हैं। उत्तम लाल ने विश्वास व्यक्त किया कि NHPC इस परियोजना को निर्धारित समय पर पूरा करेगी और यह देश के विकास में मील का पत्थर साबित होगी। अश्वनी कुमार ने उत्तम लाल चुनरी भेंटकर किया सम्मानित इस अवसर पर मंदिर न्यास की ओर से अधीक्षक अश्वनी कुमार ने उत्तम लाल को माता की चुनरी और फोटो भेंट कर सम्मानित किया। उनके साथ एनएचपीसी के अन्य वरिष्ठ अधिकारी, जैसे डॉ. ज्योतिर्मय जैन (महाप्रबंधक, चिकित्सा) भी मौजूद रहे। इस परियोजना के सफलतापूर्वक पूरा होने से देश की ऊर्जा क्षमता में वृद्धि होगी और हिमाचल प्रदेश में विकास की नई संभावनाएं उत्पन्न होंगी। एनएचपीसी के इस प्रयास को लेकर क्षेत्र में सकारात्मक उत्साह देखा जा रहा है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
कंगना के बाद विक्रमादित्य ने मंडी में खोला कैंप ऑफिस:बोले- सांसद कार्यालय के मुकाबले को नहीं खोला; जनता से किया वादा निभाया
कंगना के बाद विक्रमादित्य ने मंडी में खोला कैंप ऑफिस:बोले- सांसद कार्यालय के मुकाबले को नहीं खोला; जनता से किया वादा निभाया भाजपा सांसद कंगना रनोट के बाद मंडी में विक्रमादित्य सिंह ने भी अपना दफ्तर खोल दिया है। PWD मंत्री एवं लोकसभा चुनाव में कंगना के प्रतिद्वंदी विक्रमादित्य ने बुधवार को राज महल कॉम्प्लेक्स में अपना कैंप ऑफिस खोला। पूजा-पाठ करके इसका शुभारंभ किया गया। इस मौके पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह भी विक्रमादित्य के साथ मौजूद रही। इससे पहले बीते 12 जुलाई को सांसद कंगना रनोट भी मंडी में अपना दफ्तर खोल चुकी हैं। विक्रमादित्य ने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने मंडी की जनता से कार्यालय खोलने का वादा किया था, जिसे पूरा कर लिया गया है। मंडी संसदीय क्षेत्र के लोग इस कार्यालय में आकर अपनी समस्याएं बता सकते हैं। उन्होंने कहा, जो विभाग उनके पास हैं, उनका समाधान वह खुद करेंगे, जबकि दूसरे विभागों से जुड़ी समस्याएं सरकार के समक्ष उठाई जाएगी। सरकार खर्च से नहीं चलेगा कार्यालय: विक्रमादित्य विक्रमादित्य ने कहा, उनके लिए चुनाव में हार-जीत मायने नहीं रखती। उनके पिता स्व. वीरभद्र सिंह का मंडी की जनता से विशेष लगाव रहा है। उन्होंने कहा, यह कार्यालय किसी सरकारी खर्च पर नहीं चलेगा बल्कि इसका सारा खर्च वे स्वयं वहन करेंगे। कंगना के कार्यालय से मुकाबले को नहीं खोला दफ्तर विक्रमादित्य ने एक सवाल के जवाब में कहा, कंगना एक चुनी हुई सांसद हैं। यह दफ्तर उनके कार्यालय के मुकाबले में नहीं खोला गया, बल्कि अपना वादा पूरा करने के लिए खोला गया है। हाल ही में केंद्र से PWD महकमा सड़क निर्माण के लिए 300 करोड़ की राशि लाने में कामयाब रहा हैं। भाजपा नेताओं को भी इसमें सहयोग करना चाहिए। भविष्य में कंगना को भी चाहिए कि वह भी प्रदेश के लिए केंद्र से मदद लेकर आए और उसमें दलगत राजनीति से ऊपर उठकर कार्य किया जाएगा।
हिमाचल में मजबूत नेता के तौर उभरे सुक्खू:उप चुनाव के नतीजों ने बचाई CM की कुर्सी; पार्टी में अंदरुनी बगावत शांत
हिमाचल में मजबूत नेता के तौर उभरे सुक्खू:उप चुनाव के नतीजों ने बचाई CM की कुर्सी; पार्टी में अंदरुनी बगावत शांत हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोकसभा चुनाव की परीक्षा में फेल हुए। मगर विधानसभा उप चुनाव में छह में से चार सीटों पर जीतकर सुक्खू मजबूत नेता के तौर पर उभरे हैं। इस जीत ने पार्टी के भीतर भी विरोध के स्वरों पर विराम लगाया है। सरकार पर आया सियासी संकट भी टला है। यही वजह है कि दो रोज पहले कांग्रेस विधायक दल ने भी प्रस्ताव पारित कर मुख्यमंत्री सुक्खू के नेतृत्व में भरोसा जाहिर किया और चट्टान की तरह मुख्यमंत्री के साथ खड़े होने का दावा किया। सुक्खू सरकार को आगामी 10 जुलाई को एक ओर इम्तिहान देना है। इस इम्तिहान में भी सबसे ज्यादा साख सीएम सुक्खू की दाव पर लगी हुई है, क्योंकि हमीरपुर और देहरा दो विधानसभा सीटें मुख्यमंत्री सुक्खू के गृह संसदीय क्षेत्र हमीरपुर में पड़ती है। 2022 में इन सीटों पर कांग्रेस को मिली थी हार इन दोनों सीटों पर 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार हुई थी और इस बार लोकसभा चुनाव में भी इन दोनों सीटों से बीजेपी प्रत्याशी अनुराग ठाकुर को बढ़त मिली है। अब इन सीटों पर सत्तारूढ़ कांग्रेस को चुनाव लड़ना है। देहरा और हमीरपुर के अलावा नालागढ़ में भी सरकार की परीक्षा होने वाली है। इन चुनाव में कांग्रेस जीतती है तो हिमाचल से पूरे देश में कांग्रेस की मजबूती का संदेश जाएगा। 6 बागियों की बगावत भी काम नहीं आई राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस के छह बागी विधायकों की बगावत के बाद सरकार पर सियासी संकट टालना आसान नहीं था। उप चुनाव में कांग्रेस की हार हुई तो CM सुक्खू की कुर्सी खतरे में पड़ जाती। मगर अब 65 विधायकों वाली विधानसभा में पूर्ण बहुमत के आंकड़े से कांग्रेस के पास 5 विधायक ज्यादा हो गए हैं। यदि 10 जुलाई को प्रस्तावित तीनों सीटों पर कांग्रेस उप चुनाव हार भी जाती है तब भी कांग्रेस के पास पूर्ण बहुमत से तीन विधायक ज्यादा हो गए हैं। कांग्रेस के पास अभी 38 विधायक और भाजपा के पास 27 MLA है, जबकि तीन पर उप चुनाव चल रहा है। भविष्य में कोई विधायक बगावत की हिम्मत नहीं कर पाएगा: संजीव हिमाचल के वरिष्ठ पत्रकार संजीव शर्मा ने बताया कि लोकसभा चुनाव में जरूर कांग्रेस की हार हुई है। मगर विधानसभा उप चुनाव में सत्तारूढ़ कांग्रेस का अच्छा प्रदर्शन रहा। इससे कांग्रेस बहुमत में आ गई है। अब सरकार पर कोई खतरा नहीं रहा। उन्होंने बताया कि जिस तरह छह विधायक अनसीट किए गए, उससे आगे भी कोई विधायक पार्टी छोड़ने या बगावत कि हिम्मत नहीं करेगा। बीजेपी ने भी अब हिमाचल सरकार बदलेगा, यह कहना छोड़ दिया है। लोकसभा में इसलिए हुई सुक्खू सरकार की किरकिरी लोकसभा चुनाव की बात करें तो सत्तारूढ़ कांग्रेस व मुख्यमंत्री की देशभर में किरकिरी हुई है, क्योंकि पूरे देश में जब I.N.D.I.A. गठबंधन ने शानदार प्रदर्शन किया है। ऐसे में हिमाचल की सत्तारूढ़ कांग्रेस से गठबंधन को बहुत ज्यादा उम्मीदें थी। मगर प्रदेश की जनता ने लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार कांग्रेस का सुपड़ा साफ किया है। आर्थिक मोर्चे पर घिरेंगे सुक्खू जानकारों की माने तो उप चुनाव के नतीजों से सरकार पर सियासी संकट तो टाल दिया है। मगर आर्थिक मोर्चे पर सुक्खू सरकार की मुश्किलें बढ़नी तय है। प्रदेश सरकार पर लगभग 85 हजार करोड़ रुपए का कर्ज हो गया है। लगभग 11 हजार करोड़ रुपए की कर्मचारियों व पेंशनर के छठे वेतनमान के एरियर की देनदारी बकाया है। इस बीच सरकार ने 18 साल से अधिक आयु की सभी महिलाओं को 1500 रुपए देने की घोषणा और इसकी नोटिफिकेशन जारी कर रखी है। इससे सरकार पर वित्तीय बोझ ओर बढ़ेगा। मुख्यमंत्री सुक्खू के सामने अब सबसे बड़ी चुनौती कर्मचारियों की सैलरी व पेंशनर की पेंशन देने और विकास कार्य निरंतर जारी रखने की होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया
सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम का फैसला किया रद्द:2 जिला जलों की प्रमोशन का मामला; शीर्ष अदालत ने पहली बार ऐसा फैसला दिया सुप्रीम कोर्ट (SC) ने हिमाचल प्रदेश कॉलेजियम के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें पदोन्नति के लिए 2 वरिष्ठ जिला जजों की दावेदारी को नजरअंदाज किया था। SC ने 32 सीनियर जिला जजों की याचिका को स्वीकार करते हुए इस साल की शुरुआत में हुई कॉलेजियम की चयन प्रक्रिया को रद्द कर दिया। बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियम के फैसले को चुनौती दी थी। इनकी याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ऋषिकेष रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की बैंच ने कहा, परामर्श के अभाव में कॉलेजियम का निर्णय इसलिए प्रभावित हुआ, क्योंकि हिमाचल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस ने निजी तौर पर 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार नहीं करने का निर्णय लिया था। कोर्ट ने कहा, ऐसा लग रहा है यह अकेले मुख्य न्यायाधीश का निर्णय है। कॉलेजियम को सामूहिक रूप से विचार विमर्श करना होगा। बताया जा रहा है कि कॉलेजियम के फैसले में SC के हस्तक्षेप का पहला उदाहरण है। इस तरह के मामलों को आमतौर पर अदालत द्वारा प्रशासनिक रूप से निपटाया जाता है। जिला जजों के नाम पर पुनर्विचार करने को कहा कॉलेजियम के फैसलों के खिलाफ याचिकाओं पर विचार करते समय व्यावहारिक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। डबल बैंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कॉलेजियममें अन्य जजों से सलाह लेनी चाहिए थी। कोर्ट ने निर्देश दिया कि हाईकोर्ट कॉलेजियम को अब निर्धारित मानदंडों के अनुसार 2 जिला जजों के नामों पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह प्रक्रिया मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के तहत होनी चाहिए, जो संवैधानिक अदालतों में जजों की नियुक्ति का मार्गदर्शन करती है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचे 2 जिला जज बता दें कि हिमाचल के बिलासपुर के डिस्ट्रिक्ट जज चिराग भानु सिंह और सोलन के जिला जज अरविंद मल्होत्रा बीते मई माह में सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने कॉलेजियमके फैसले को चुनौती देते हुए कहा था, कि हिमाचल हाईकोर्ट कॉलेजियम ने उनकी मेरिट और सीनियारिटी दोनों को नजरअंदाज किया। हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की स्पेसिफिक रेकमेंडेशन को भी मानने से इनकार कर दिया। क्या बोले जिला जजों के एडवोकेट जिला जजों की तरफ से सीनियर एडवोकेट अरविंद दातार ने तर्क दिया कि जूनियर न्यायिक अधिकारियों की सिफारिश इन-सर्विस कोटा के तहत हाईकोर्ट के जज के पद के लिए की गई। इस क्रम में याचिकाकर्ताओं की अनदेखी की गई, जो अधिक सीनियर थे। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सलाह और बाद में केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा सिंह और मल्होत्रा के नामों पर पुनर्विचार करने के अनुरोध पर भी ध्यान नहीं दिया।