कुल्लू जिला के काईस में एक युवक का शव पेड़ से लटकता मिला, युवक संदिग्ध परिस्थितियों में अपने घर से लापता हो गया था। शव मिलने के बाद परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शव का पोस्टमॉर्टम करवाया और परिजनों को सौंप दिया। कुल्लू जिला के काईस गांव में गुरुवार को प्रेमचंद घर से बिना कुछ बताए कहीं चला गया। जब काफी देर तक वापस नहीं लौटा तो, परिजनों ने उसकी तलाश करना शुरू कर दिया। साथ ही गांव के लोगों ने भी युवक को काफी ढूंढने का प्रयास किया। युवक की उम्र 28 साल है, हालांकि ये अभी स्पष्ट नहीं है कि प्रेम ने सुसाइड किस वजह से किया। प्रेमचंद शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। वह खेती बाड़ी का काम करता था। शाम के वक्त घर के ही पीछे लोगों ने देखा कि युवक प्रेमचंद का शव एक पेड़ से लटक रहा था। पेड़ से शव को लटकता देख लोगों में हड़कंप मच गया, लोगों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतार कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवाया। पोस्टमॉर्टम के बाद शुक्रवार को शव परिजनों को सौंप दिया गया। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है। कुल्लू जिला के काईस में एक युवक का शव पेड़ से लटकता मिला, युवक संदिग्ध परिस्थितियों में अपने घर से लापता हो गया था। शव मिलने के बाद परिजनों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर शव का पोस्टमॉर्टम करवाया और परिजनों को सौंप दिया। कुल्लू जिला के काईस गांव में गुरुवार को प्रेमचंद घर से बिना कुछ बताए कहीं चला गया। जब काफी देर तक वापस नहीं लौटा तो, परिजनों ने उसकी तलाश करना शुरू कर दिया। साथ ही गांव के लोगों ने भी युवक को काफी ढूंढने का प्रयास किया। युवक की उम्र 28 साल है, हालांकि ये अभी स्पष्ट नहीं है कि प्रेम ने सुसाइड किस वजह से किया। प्रेमचंद शादीशुदा है और उसके दो बच्चे हैं। वह खेती बाड़ी का काम करता था। शाम के वक्त घर के ही पीछे लोगों ने देखा कि युवक प्रेमचंद का शव एक पेड़ से लटक रहा था। पेड़ से शव को लटकता देख लोगों में हड़कंप मच गया, लोगों ने तुरंत इसकी सूचना पुलिस को दी। जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और शव को फंदे से उतार कर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजवाया। पोस्टमॉर्टम के बाद शुक्रवार को शव परिजनों को सौंप दिया गया। फिलहाल पुलिस इस मामले की जांच में जुटी है। हिमाचल | दैनिक भास्कर
Related Posts
हिमाचल के 9 होटलों पर आज जड़ना होगा ताला:हाईकोर्ट के आदेश; चिंता में 200 कर्मचारी, घाटे को लेकर झूठे आंकड़े देने का आरोप
हिमाचल के 9 होटलों पर आज जड़ना होगा ताला:हाईकोर्ट के आदेश; चिंता में 200 कर्मचारी, घाटे को लेकर झूठे आंकड़े देने का आरोप हिमाचल हाईकोर्ट के आदेशों पर आज हिमाचल पर्यटन विकास निगम (HPTDC) 9 होटलों पर आज ताला जड़ा जाना है। मगर इसे लेकर होटल कर्मियों को अब तक क्लियर दिशा-निर्देश नहीं दिए गए। इससे इन होटलों के 200 से ज्यादा कर्मचारी अभी असमंजस में है। इन्हें दूसरी यूनिट में भी अभी ट्रांसफर नहीं किया गया। हाईकोर्ट ने इन होटलों को घाटे का तर्क देकर बंद करने के फरमान जारी किए है। वहीं HPTDC कर्मियों ने निगम प्रबंधन पर झूठे आंकड़े पेश करने का आरोप लगाया है। कर्मचारियों का आरोप है कि HPTDC के इन होटल को प्राइवेट हाथों में देने की मंशा से घाटे में दिखाया गया है। इसे देखते हुए निगम कर्मियों ने हाईकोर्ट से भी 9 होटलों को खुला रखने की मोहलत मांगी है। HPTDC के आग्रह पर कोर्ट ने बीते शुक्रवार को 9 होटल 31 मार्च 2025 तक खुला रखने की इजाजत दे दी है। अब 9 होटल ऐसे बचे हैं, जिन पर आज ताला जड़ा जाना है। इन होटल को बंद करने व खुला छोड़ने की मोहलत बता दें कि हाईकोर्ट ने बीते सप्ताह HPTDC के 18 होटल को सफेद हाथी बताते हुए 25 नवंबर तक बंद करने के आदेश दिए थे। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल बीते शुक्रवार को द पैलेस होटल चायल, चंद्रभागा केलांग, होटल देवदार खजियार, होटल मेघदूत कियारीघाट, होटल लॉग हट्स मनाली, होटल कुंजुम मनाली, होटल भागसू मैक्लोडगंज, कैसल नागर और धौलाधार को खुला रखने की इजाजत दे दी है। मगर होटल गीतांजलि डलहौजी, होटल बाघल दाड़लाघाट, होटल कुणाल धर्मशाला, होटल कश्मीर हाउस धर्मशाला, होटल एप्पल ब्लॉसम फागू, होटल गिरीगंगा खड़ापत्थर, होटल सरवरी कुल्लू, होटल हडिम्बा कॉटेज मनाली, होटल शिवालिक परवाणू को बंद करने के आदेश दिए। 70 करोड़ से ज्यादा के घाटे में निगम हाईकोर्ट ने ये आदेश HPTDC के पेंशनर की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए थे, क्योंकि 70 करोड़ से ज्यादा के घाटे में चल रहा निगम अपने पेंशनर को वित्तीय लाभ नहीं दे पा रहा। कोर्ट ने घाटे में चल रहे इन होटलों को सफेद हाथी बताते हुए कहा, ऐसा करना इसलिए जरूरी है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन निगम इनके रखरखाव में सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी न करें। ये होटल राज्य पर बोझ हैं। कोर्ट सफेद हाथी बता चुका कोर्ट ने कहा, निगम अपनी संपत्तियों का उपयोग लाभ कमाने के लिए नहीं कर पाया है। इन संपत्तियों का संचालन जारी रखना राज्य के खजाने पर बोझ के अलावा और कुछ नहीं है और न्यायालय इस तथ्य का न्यायिक संज्ञान ले सकता है कि राज्य सरकार अदालत के समक्ष आए वित्त से जुड़े मामलों में दिन प्रतिदिन वित्तीय संकट की बात कहती रहती है। प्रदेश में HPTDC के 56 होटल प्रदेश में HPTDC के कुल 56 होटल चल रहे है। मगर ज्यादातर होटल कई सालों से घाटे में है।
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान
हिमाचल प्रदेश में सेब प्रोडक्शन में लगातार गिरावट:हर साल बढ़ रहा रकबा, घट रहा उत्पादन, इस बार 2.91 करोड़ पेटी का अनुमान हिमाचल में प्राकृतिक आपदाओं के कारण हर साल सेब का उत्पादन गिर रहा है। सेब का रकबा बढ़ने के बावजूद उत्पादन कम हो रहा है। इस बार भी बागवानी विभाग ने 2.81 करोड़ पेटी सेब आने का अनुमान जताया है। प्रदेश में 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सेब की खेती हो रही है। वर्ष 2009-10 में सेब का रकबा 99564 हेक्टेयर था, उस दौरान 5 करोड़ 11 लाख पेटी सेब का उत्पादन हुआ था। वर्ष 2022-23 में सेब का रकबा बढ़कर 1.15 लाख हेक्टेयर हो गया और उत्पादन घटकर 2.11 करोड़ पेटी रह गया। वर्ष 2010 के बाद पांच करोड़ तो छोड़िए, चार करोड़ पेटी सेब का उत्पादन भी नहीं हो सका। दूसरी सबसे अधिक फसल 11 साल पहले यानी 2013 में 3.69 करोड़ पेटी हुई थी। साल 2010 में हुई थी रिकॉर्ड प्रोडक्शन साल कितनी पेटी 2010 5.11 करोड़
2011 1.38 करोड़
2012 1.84 करोड़
2013 3.69 करोड़
2014 2.80 करोड़
2015 3.88 करोड़
2016 2.40 करोड़
2017 2.08 करोड़
2018 1.65 करोड़
2019 3.24 करोड़
2020 2.40 करोड़
2021 3.05 करोड़
2022 3.36 करोड़
2023 2.11 करोड़ विश्व बैंक की 1134 करोड़ की परियोजना भी नहीं बढ़ा पाई उत्पादन सेब उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से राज्य में विश्व बैंक की 1134 करोड़ रुपये की परियोजना भी लागू की गई थी। वर्ष 2017 में जब इस परियोजना को मंजूरी मिली थी, तब दावा किया गया था कि औसत सेब उत्पादन 8 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर हो जाएगा, जो 2017 में भी 6 मीट्रिक टन था। इसमें अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। सेब उत्पादन पर मौसम का असर : डॉ. भारद्वाज बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया कि सेब उत्पादन पूरी तरह मौसम पर निर्भर है। पिछले कुछ सालों से मौसम सेब के अनुकूल नहीं रहा है। सर्दियों में अच्छी बर्फबारी न होना, फ्लावरिंग के दौरान बारिश-बर्फबारी और ओलावृष्टि या सूखे जैसे कारणों से सेब का अच्छा उत्पादन नहीं हो पा रहा है। बर्फबारी का ट्रेंड बदलने से फसल पर बुरा असर हिमाचल में बीते एक दशक के दौरान बर्फबारी का ट्रेंड बदला है। आमतौर पर प्रदेश में दिसंबर से 15 फरवरी के बीच बर्फबारी होती थी। मगर पिछले कुछ सालों के दौरान फरवरी से मार्च में बर्फ गिरती रही है। कई ऊंचे क्षेत्रों में तो अप्रैल में भी बर्फबारी रिपोर्ट हुई है। इसका असर सेब की खेती पर पड़ रहा है, क्योंकि मार्च-अप्रैल में बर्फ के बाद अचानक ठंड पड़ने से सेब की फ्लावरिंग प्रभावित होती है। ठंडे मौसम में मधुमक्खियां परागण नहीं कर पाती और अच्छी फ्लावरिंग भी नहीं हो पाती। इसकी मार फसल पर पड़ती है। इसके विपरीत साल दर साल सेब पर उत्पादन लागत हर साल बढ़ती जा रही है और उत्पादन कम हो रहा है। इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब का पूर्वानुमान: नेगी बागवानी मंत्री जगत नेगी ने कहा, इस बार 2.91 करोड़ पेटी सेब होने का पूर्वानुमान है। सेब की खेती मौसम पर निर्भर करती है। आने वाले दिनों में सेब के अच्छे साइज व रंग के लिए बारिश के साथ साथ धूप खिलना भी जरूरी है।
कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर 3 माह रहेगा बंद:गर्भगृह में नहीं होंगे दर्शन; पुजारी बोले- 250 देवी-देवता रहेंगे स्वर्ग प्रवास पर
कुल्लू में बिजली महादेव मंदिर 3 माह रहेगा बंद:गर्भगृह में नहीं होंगे दर्शन; पुजारी बोले- 250 देवी-देवता रहेंगे स्वर्ग प्रवास पर कुल्लू जिले में रविवार से बिजली महादेव सहित जिले के करीब 250 मंदिरों के कपाट 3 माह के लिए बंद कर दिए गए हैं। पुजारी मदन ने कहा कि देव मान्यता अनुसार देवी-देवता 3 महीने के लिए स्वर्ग प्रवास पर रहेंगे। कई देवालयों के कपाट अब माघ मास की संक्रांति को और कई मंदिर फाल्गुन मास की संक्रांति को खुलेंगे । बिजली महादेव मंदिर के कपाट भी रविवार को बंद हो गए। लोग मंदिर के पास जाकर माथा टेक सकेंगे। लेकिन गर्भगृह नहीं खोला जाएगा । बिजली महादेव के पुजारी मदन ने बताया कि देव आज्ञा का सदियों से निर्वहन किया जा रहा है। अब तीन माह तक देवता बिजली महादेव के कपाट बंद होने से सैलानियों व श्रद्धालुओं को ऐतिहासिक शिवलिंग के दर्शन नहीं होंगे। आराध्य देवता थिरमल नारायण व मां देवी नागिन सहित कई देवालयों के कपाट भी बंद हो गए हैं। वहीं बंजार, आनी सहित निरमंड के कई मंदिर भी बंद रहेंगे। पुजारी मदन बताते हैं कि इस अवधि में देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर जाते हैं। देव-दानव युद्ध भी इस अवधि में होता है। 3 माह बाद देवता करेंगे भविष्यवाणी पुजारी मदन ने कहा कि जब देवालयों के कपाट खुलेंगे तब देवी-देवता अपने गुर के माध्यम से हार-जीत के बारे में बताते हैं और आगामी भविष्यवाणी करते हैं। देवी-देवता कारदार संघ के अध्यक्ष दोत राम ठाकुर ने बताया कि हर वर्ष देवालयों के कपाट कुछ अवधि के लिए बंद होते हैं। इस अवधि में देवी-देवता स्वर्ग प्रवास पर रहते हैं । लिहाजा रविवार से जिला के अन्य देवी देवताओं के साथ कुल्लू घाटी के आराध्य देवता बिजली महादेव भी स्वर्ग प्रवास के लिए रवाना हो गए हैं। इस दौरान तीन माह तक उनके कपाट बंद रहेंगे ।