कूड़े के ढेर में मिली ‘पार्वती’ की बदली जिंदगी:मेरठ में दिन-रात सेवा कर रहे विजयपाल-राधा; बोले-रोज भोले से मांगते थे…इस सावन में मिल गई

कूड़े के ढेर में मिली ‘पार्वती’ की बदली जिंदगी:मेरठ में दिन-रात सेवा कर रहे विजयपाल-राधा; बोले-रोज भोले से मांगते थे…इस सावन में मिल गई

मेरठ में सामान्य मजदूरी कर गुजारा करने वाले विजयपाल को एक लावारिस बच्ची कचरे के ढेर में पड़ी मिली। महज 9 दिनों के साथ में विजयपाल और उसकी पत्नी राधा के लिए ये बच्ची जिगर का टुकड़ा बन चुकी है। सोते-जागते दोनों एक पैर पर बच्ची के लिए खड़े रहते हैं। इनका एक-एक पल इस बच्ची का चेहरा देखकर गुजर रहा। लेकिन, मन में घबराहट है कि बच्ची को कोई छीन न ले जाए। पति-पत्नी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। राधा के पहले पति ने उसे घर से मारपीट कर निकाल दिया था। फिर विजयपाल ने हाथ थामा। दोनों की हसरत थी, एक बच्चा हो जाए। इसके लिए मंदिर-मंदिर माथा टेकते थे। दैनिक भास्कर लावारिस बच्ची को जिगर का टुकड़ा बनाने वाले विजयपाल के घर पहुंचा। उनसे पूरी कहानी जानी, पढ़िए… हस्तिनापुर के राठौरा खुर्द गांव में विजयपाल और उसकी पत्नी राधा रहते हैं। बातचीत में विजयपाल ने हमें राधा से अपनी शादी से लेकर अब तक की जिंदगी की बहुत-सी बातें बताई। 45 साल के विजयपाल ने 15 साल पहले गांव में ही रहने वाली राधा से लव-मैरिज की थी। विजयपाल ने बताया- राधा पहले से शादीशुदा थी। उसके बड़े-बड़े बच्चे भी थे। लेकिन पति ने दहेज के कारण उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। साथ ही पहले पति ने राधा को खर्चा-पानी भी नहीं दिया। बच्चे भी उससे छीन लिए। पति से अलग होकर राधा अपने मायके में रहने लगी। उसके घर में मेरा आना-जाना था। इससे हम दोनों में बातचीत होती थी। मेरी शादी भी नहीं हुई थी। धीरे-धीरे मुझे राधा से मोहब्बत हो गई। कुछ दिन बाद मैंने राधा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। वह भी शादी के लिए तैयार हो गई। इसके बाद मैंने बिना दहेज के शादी कर ली। तभी से हम दोनों खुशी-खुशी रहते हैं। डॉक्टर बोले- पत्नी मां नहीं बन पाएगी
विजयपाल का कहना है- मुझे पहले से पता था कि राधा से शादी के बाद भी हमारा आंगन सूना रहेगा। शादी के बाद हमने डॉक्टर को दिखाया। कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उन्होंने कह दिया शारीरिक परेशानियों के चलते राधा अब मां नहीं बन पाएगी। क्योंकि, पहले ही उसके 4 बड़े ऑपरेशन हो चुके हैं। इसके बाद हम लोगों ने तो उम्मीद छोड़ दी थी कि कभी हमारा घर भी किलकारी से गूंजेगा। हालांकि, इसके बाद हमने बच्चा गोद लेने का प्रयास किया। रिश्तेदारों से भी कहा, लेकिन बच्चा नहीं मिला। बस हम दोनों दिन-रात भगवान से प्रार्थना करते हमारी भी गोद भर जाए…और भगवान ने हमारी सुन ली। बच्चे की आस लिए हम दोनों पिछले 10 साल से हर सावन में हरिद्वार नहाने जाते हैं। इस बार भी जाने वाले थे। कांवड़ शिविर में भोलों की सेवा कर रहे थे। लेकिन, इस बार शिव-शंभू ने सुन ली और ये बच्ची हमें मिल गई। हमने बहुत आवाजें लगाईं। लोगों से पूछा कि बच्ची के माता-पिता मिल जाएं। जब कोई नहीं मिला, तो हम बच्ची को अपना समझकर साथ ले आए। अब ये हमारी जिंदगी है, इसे अफसर बनाऊंगा
विजयपाल ने बताया- अब ये बच्ची हमारी जिंदगी बन चुकी है। ये किस जाति, बिरादरी, धर्म की है, हमें इससे मतलब नहीं। बच्ची को किसी ने बहुत बुरी हालत में कचरे में डाला था। हम किसी तरह वहां से बच्ची को लाए। अब केवल इसके असली मां-बाप को ही बच्ची वापस देंगे। नहीं तो हम इसे कानूनन गोद लेंगे। मैं चाहता हूं, बच्ची को बहुत अच्छी परवरिश दूं। इसे पैदा नहीं किया, लेकिन हर खुशी देकर पालना चाहता हूं। चाहता हूं, अच्छे संस्कार दूं। मन है, बच्ची को इतना पढ़ाऊं कि ये सरकारी अफसर बन जाए। इसको अच्छी जिंदगी मिले। मैं इसकी यशोदा हूं, ये मेरी बेटी है
विजयपाल की पत्नी राधा कहती है- पता नहीं वो कैसे माता-पिता हैं, जो इस नन्ही-सी जान को इतनी गंदी तरह मरने को छोड़ गए। अच्छा रहा ये हमें मिली। मैंने भले इसे जन्म नहीं दिया, लेकिन यशोदा बनकर पालूंगी। ये ही मेरे जीने का सहारा है। भगवान ने हमें अपनी कृपा दी है। पिछले 9 दिन से हमारा दिन-रात कब हो रहा है, हमें नहीं पता। हमें सारे दिन बच्ची को देखना होता है। विजयपाल पिछले 9 दिन से काम पर भी नहीं गया। हम दोनों इतने खुश हैं कि अपना खाना-पीना भी भूल गए हैं। हमें हर वक्त बस पार्वती का ख्याल रहता है कि इसे कोई परेशानी न हो। इसके असली मां-पिता आ गए, तब तो बच्ची हमें देनी पड़ेगी। नहीं तो हम इसे गोद लेना चाहते हैं। हर समय बस बच्ची की बातचीत करते हैं दंपती
विजयपाल की पत्नी राधा तो इस डेढ़ साल की बच्ची को हर वक्त अपने सीने से चिपकाए रहती है। बच्ची दोनों के जिगर का टुकड़ा बन चुकी है। दोनों लोग पल-पल बच्ची को देखते हैं। उसके खाने-पीने, नहाने से लेकर हर चीज का ख्याल रखते हैं। बच्ची को नहलाना, तैयार करना उसके साथ हर समय खेलना, अब यही इनकी जिंदगी बन चुकी है। दोनों के बीच 24 घंटे बस बच्ची की बात होती है। उसे अपने बीच सुलाते हैं। नए कपड़े पहनाकर खिलौनों से खिलाते हैं, बोतल से दूध पिलाते हैं। 9 दिन में हजारों रुपए कर दिए खर्च
विजयपाल एक सामान्य मजदूर है। घर में बस इतनी आमदनी है कि पति-पत्नी का गुजारा चल जाता है। लेकिन बच्ची को लेकर विजयपाल का प्यार इतना है कि 9 दिन में हजारों रुपए खर्च कर चुका है। बच्ची के लिए 10 जोड़े से ज्यादा नए कपड़े लाया है। सुंदर-सुंदर फ्रॉक, कार, गुडि़या, बैटरी के खिलौने, बच्ची की साइकिल, पालना और झूला तक ले आया है। दूध की बोतल, हाथों की चूड़ियां, गले की माला से लेकर बच्चे को लगाने वाला पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी शैंपू, बेबी सोप हर चीज ब्रांडेड लाया है। पति-पत्नी बच्ची की तेल मालिश भी करते हैं। उसको डॉक्टर को दिखाकर प्रॉपर चेकअप, इम्युनाइजेशन भी कराया है। बच्ची खाने-पीने में जो पसंद करती है, वही खिलाते हैं। दूध, मैंगो शेक, मिठाई खिलाते हैं। बिजली चली जाती है, तो उस पर हाथ से पंखा झलते हैं। यह खबर भी पढ़ें कांवड़ियों की सेवा के दौरान मिली लावारिस बच्ची:दंपती ने कहा- भोलेनाथ का आशीर्वाद मिला, नाम रखा पार्वती मेरठ में कांवड़ सेवा शिविर में शिवभक्तों की सेवा करते-करते एक निसंतान दंपती को लावारिस बच्ची मिली है। बच्ची कूड़े के ढेर पर मिली। बच्ची के ऊपर मक्खी, मच्छर भिनक रहे थे। शिविर में सेवा कर रहे दंपती ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर उसे उठाया और घर ले आए। शनिवार को दंपत्ति बच्ची को लेकर समाधान दिवस में पहुंचे। जहां सीओ सौरभ सिंह ने बच्ची को लीगली अडॉप्ट करने की जानकारी दी। दंपती को बच्ची की सुरक्षा करने पर सराहा। सीओ ने कहा कि चाइल्ड लाइन को बच्ची की जानकारी दे दी है। पूरी खबर पढ़ें मेरठ में सामान्य मजदूरी कर गुजारा करने वाले विजयपाल को एक लावारिस बच्ची कचरे के ढेर में पड़ी मिली। महज 9 दिनों के साथ में विजयपाल और उसकी पत्नी राधा के लिए ये बच्ची जिगर का टुकड़ा बन चुकी है। सोते-जागते दोनों एक पैर पर बच्ची के लिए खड़े रहते हैं। इनका एक-एक पल इस बच्ची का चेहरा देखकर गुजर रहा। लेकिन, मन में घबराहट है कि बच्ची को कोई छीन न ले जाए। पति-पत्नी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं। राधा के पहले पति ने उसे घर से मारपीट कर निकाल दिया था। फिर विजयपाल ने हाथ थामा। दोनों की हसरत थी, एक बच्चा हो जाए। इसके लिए मंदिर-मंदिर माथा टेकते थे। दैनिक भास्कर लावारिस बच्ची को जिगर का टुकड़ा बनाने वाले विजयपाल के घर पहुंचा। उनसे पूरी कहानी जानी, पढ़िए… हस्तिनापुर के राठौरा खुर्द गांव में विजयपाल और उसकी पत्नी राधा रहते हैं। बातचीत में विजयपाल ने हमें राधा से अपनी शादी से लेकर अब तक की जिंदगी की बहुत-सी बातें बताई। 45 साल के विजयपाल ने 15 साल पहले गांव में ही रहने वाली राधा से लव-मैरिज की थी। विजयपाल ने बताया- राधा पहले से शादीशुदा थी। उसके बड़े-बड़े बच्चे भी थे। लेकिन पति ने दहेज के कारण उसे मारपीट कर घर से निकाल दिया। साथ ही पहले पति ने राधा को खर्चा-पानी भी नहीं दिया। बच्चे भी उससे छीन लिए। पति से अलग होकर राधा अपने मायके में रहने लगी। उसके घर में मेरा आना-जाना था। इससे हम दोनों में बातचीत होती थी। मेरी शादी भी नहीं हुई थी। धीरे-धीरे मुझे राधा से मोहब्बत हो गई। कुछ दिन बाद मैंने राधा के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। वह भी शादी के लिए तैयार हो गई। इसके बाद मैंने बिना दहेज के शादी कर ली। तभी से हम दोनों खुशी-खुशी रहते हैं। डॉक्टर बोले- पत्नी मां नहीं बन पाएगी
विजयपाल का कहना है- मुझे पहले से पता था कि राधा से शादी के बाद भी हमारा आंगन सूना रहेगा। शादी के बाद हमने डॉक्टर को दिखाया। कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन उन्होंने कह दिया शारीरिक परेशानियों के चलते राधा अब मां नहीं बन पाएगी। क्योंकि, पहले ही उसके 4 बड़े ऑपरेशन हो चुके हैं। इसके बाद हम लोगों ने तो उम्मीद छोड़ दी थी कि कभी हमारा घर भी किलकारी से गूंजेगा। हालांकि, इसके बाद हमने बच्चा गोद लेने का प्रयास किया। रिश्तेदारों से भी कहा, लेकिन बच्चा नहीं मिला। बस हम दोनों दिन-रात भगवान से प्रार्थना करते हमारी भी गोद भर जाए…और भगवान ने हमारी सुन ली। बच्चे की आस लिए हम दोनों पिछले 10 साल से हर सावन में हरिद्वार नहाने जाते हैं। इस बार भी जाने वाले थे। कांवड़ शिविर में भोलों की सेवा कर रहे थे। लेकिन, इस बार शिव-शंभू ने सुन ली और ये बच्ची हमें मिल गई। हमने बहुत आवाजें लगाईं। लोगों से पूछा कि बच्ची के माता-पिता मिल जाएं। जब कोई नहीं मिला, तो हम बच्ची को अपना समझकर साथ ले आए। अब ये हमारी जिंदगी है, इसे अफसर बनाऊंगा
विजयपाल ने बताया- अब ये बच्ची हमारी जिंदगी बन चुकी है। ये किस जाति, बिरादरी, धर्म की है, हमें इससे मतलब नहीं। बच्ची को किसी ने बहुत बुरी हालत में कचरे में डाला था। हम किसी तरह वहां से बच्ची को लाए। अब केवल इसके असली मां-बाप को ही बच्ची वापस देंगे। नहीं तो हम इसे कानूनन गोद लेंगे। मैं चाहता हूं, बच्ची को बहुत अच्छी परवरिश दूं। इसे पैदा नहीं किया, लेकिन हर खुशी देकर पालना चाहता हूं। चाहता हूं, अच्छे संस्कार दूं। मन है, बच्ची को इतना पढ़ाऊं कि ये सरकारी अफसर बन जाए। इसको अच्छी जिंदगी मिले। मैं इसकी यशोदा हूं, ये मेरी बेटी है
विजयपाल की पत्नी राधा कहती है- पता नहीं वो कैसे माता-पिता हैं, जो इस नन्ही-सी जान को इतनी गंदी तरह मरने को छोड़ गए। अच्छा रहा ये हमें मिली। मैंने भले इसे जन्म नहीं दिया, लेकिन यशोदा बनकर पालूंगी। ये ही मेरे जीने का सहारा है। भगवान ने हमें अपनी कृपा दी है। पिछले 9 दिन से हमारा दिन-रात कब हो रहा है, हमें नहीं पता। हमें सारे दिन बच्ची को देखना होता है। विजयपाल पिछले 9 दिन से काम पर भी नहीं गया। हम दोनों इतने खुश हैं कि अपना खाना-पीना भी भूल गए हैं। हमें हर वक्त बस पार्वती का ख्याल रहता है कि इसे कोई परेशानी न हो। इसके असली मां-पिता आ गए, तब तो बच्ची हमें देनी पड़ेगी। नहीं तो हम इसे गोद लेना चाहते हैं। हर समय बस बच्ची की बातचीत करते हैं दंपती
विजयपाल की पत्नी राधा तो इस डेढ़ साल की बच्ची को हर वक्त अपने सीने से चिपकाए रहती है। बच्ची दोनों के जिगर का टुकड़ा बन चुकी है। दोनों लोग पल-पल बच्ची को देखते हैं। उसके खाने-पीने, नहाने से लेकर हर चीज का ख्याल रखते हैं। बच्ची को नहलाना, तैयार करना उसके साथ हर समय खेलना, अब यही इनकी जिंदगी बन चुकी है। दोनों के बीच 24 घंटे बस बच्ची की बात होती है। उसे अपने बीच सुलाते हैं। नए कपड़े पहनाकर खिलौनों से खिलाते हैं, बोतल से दूध पिलाते हैं। 9 दिन में हजारों रुपए कर दिए खर्च
विजयपाल एक सामान्य मजदूर है। घर में बस इतनी आमदनी है कि पति-पत्नी का गुजारा चल जाता है। लेकिन बच्ची को लेकर विजयपाल का प्यार इतना है कि 9 दिन में हजारों रुपए खर्च कर चुका है। बच्ची के लिए 10 जोड़े से ज्यादा नए कपड़े लाया है। सुंदर-सुंदर फ्रॉक, कार, गुडि़या, बैटरी के खिलौने, बच्ची की साइकिल, पालना और झूला तक ले आया है। दूध की बोतल, हाथों की चूड़ियां, गले की माला से लेकर बच्चे को लगाने वाला पाउडर, बेबी ऑयल, बेबी शैंपू, बेबी सोप हर चीज ब्रांडेड लाया है। पति-पत्नी बच्ची की तेल मालिश भी करते हैं। उसको डॉक्टर को दिखाकर प्रॉपर चेकअप, इम्युनाइजेशन भी कराया है। बच्ची खाने-पीने में जो पसंद करती है, वही खिलाते हैं। दूध, मैंगो शेक, मिठाई खिलाते हैं। बिजली चली जाती है, तो उस पर हाथ से पंखा झलते हैं। यह खबर भी पढ़ें कांवड़ियों की सेवा के दौरान मिली लावारिस बच्ची:दंपती ने कहा- भोलेनाथ का आशीर्वाद मिला, नाम रखा पार्वती मेरठ में कांवड़ सेवा शिविर में शिवभक्तों की सेवा करते-करते एक निसंतान दंपती को लावारिस बच्ची मिली है। बच्ची कूड़े के ढेर पर मिली। बच्ची के ऊपर मक्खी, मच्छर भिनक रहे थे। शिविर में सेवा कर रहे दंपती ने बच्ची के रोने की आवाज सुनकर उसे उठाया और घर ले आए। शनिवार को दंपत्ति बच्ची को लेकर समाधान दिवस में पहुंचे। जहां सीओ सौरभ सिंह ने बच्ची को लीगली अडॉप्ट करने की जानकारी दी। दंपती को बच्ची की सुरक्षा करने पर सराहा। सीओ ने कहा कि चाइल्ड लाइन को बच्ची की जानकारी दे दी है। पूरी खबर पढ़ें   उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर