<p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से आज (27 नवंबर) इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल को इस्तीफा भेज दिया है. कुछ दिन पहले ही उन्होंने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके अगले ही दिन बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. </p> <p style=”text-align: justify;”><strong>Delhi News:</strong> दिल्ली के पूर्व मंत्री कैलाश गहलोत (Kailash Gahlot) ने दिल्ली विधानसभा की सदस्यता से आज (27 नवंबर) इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने विधानसभा स्पीकर रामनिवास गोयल को इस्तीफा भेज दिया है. कुछ दिन पहले ही उन्होंने आम आदमी पार्टी की प्राथमिक सदस्यता और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके अगले ही दिन बीजेपी ज्वाइन कर ली थी. </p> दिल्ली NCR किस बात को लेकर है सुर्खियों में राजस्थान का उदयपुर राजपरिवार, जानें विवाद की मूल वजह
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न्यू हाईस्कूल की संपत्ति खुर्दबुर्द के केस में कमेटी ने दर्ज किए बयान
न्यू हाईस्कूल की संपत्ति खुर्दबुर्द के केस में कमेटी ने दर्ज किए बयान लुधियाना| प्रशासन ने न्यू हाईस्कूल की संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने और दुरुपयोग करने के मामले में जांच शुरू कर दी है। इस मामले में जांच के लिए गठित एसआईटी ने बयान दर्ज किए हैं। जानकारी के अनुसार न्यू हाई स्कूल एलुमनी एसोसिएशन की ओर से डिप्टी कमिश्नर साक्षी साहनी को शिकायत की गई थी। शिकायत में पुराने छात्रों ने स्कूल प्रबंधन पर न्यू हाईस्कूल की संपत्ति के दुरुपयोग करने, कोठी बनाकर किराया वसूलने आदि को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। डीसी ने इस मामले में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम का गठन किया है जिसका चेयरमैन एसडीएम विकास हीरा को बनाया है। एसआईटी के चेयरमैन एसडीएम ईस्ट विकास हीरा ने न्यू हाई स्कूल एलुमनी एसोसिएशन के सदस्यों को बयान देने के लिए वीरवार को बुलाया था। एसोसिएशन के प्रधान राजेश गर्ग अन्य मेंबरों के साथ बयान देने के लिए डीसी ऑफिस पहुंचे थे जहां उन्होंने और सदस्यों ने बयान दर्ज करवाए हैं।
हिमाचल सरकार राधा स्वामी सत्संग ब्यास के आगे झुकी:लैंड-सीलिंग एक्ट बदलने की तैयारी; विपक्ष में रहते किया था विरोध, दान की जमीन पर नजरें
हिमाचल सरकार राधा स्वामी सत्संग ब्यास के आगे झुकी:लैंड-सीलिंग एक्ट बदलने की तैयारी; विपक्ष में रहते किया था विरोध, दान की जमीन पर नजरें हिमाचल प्रदेश में राधा स्वामी सत्संग ब्यास, लोगों द्वारा दान की गई जमीन को सोसाइटी के नाम ट्रांसफर करने के लिए सरकार पर दबाव बना रहा है। धार्मिक संस्था के दबाव में कांग्रेस सरकार भी लैंड सीलिंग एक्ट बदलने जा रही है। एक्ट बदला गया तो हिमाचल में दूसरी धार्मिक संस्थाएं भी अपनी जमीन बेचने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी। इसकी आड़ में चाय के बागान बेचने की भी अनुमति देनी पड़ सकती है, क्योंकि प्रदेश में समय समय पर चाय के बागान बेचने की अनुमति की मांग उठती रही है। राधा स्वामी सत्संग ब्यास पांच-छह साल से हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होर्डिंग्स एक्ट 1972 की धारा 5 की उप धारा 5(आई) को हटाने की मांग कर रहा है। कानून के जानकार बताते हैं कि राधा स्वामी सत्संग ब्यास और दूसरी धार्मिक संस्थाएं जमीन को न बेच सकती है, न गिफ्ट कर सकती है और न ही सोयासटी के नाम जमीन ट्रांसफर कर सकती है। यदि धार्मिक संस्था द्वारा ऐसा किया जाता है तो वह जमीन सरकार में निहित (वेस्ट) हो जाती है। सरकार ने एक्ट में 5(आई) जोड़कर सीलिंग में दी थी छूट दरअसल, राज्य सरकार ने साल 2014 में हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होर्डिंग एक्ट 1972 की धारा 5 में 5(आई) जोड़कर सीलिंग में छूट दी और धार्मिक संस्थाओं द्वारा जमीन बेचने पर इसे सरकार में निहित करने का प्रावधान किया। इससे धार्मिक संस्थाएं तिलमिला गई। धार्मिक संस्थाएं सरकार पर इस प्रावधान को हटाने का बार बार दबाव बना रही हैं। कैबिनेट नहीं दे सकती छूट जानकारों की माने तो राज्य कैबिनेट भी छूट नहीं दे सकती है। एक्ट में संशोधन किए बगैर धार्मिक संस्था को जमीन बेचने व हस्तांतरित करने की अनुमति देना संभव नहीं है। राज्य सरकार यदि एक्ट में संशोधन कर भी देती है तो भी इसमें राष्ट्रपति की मंजूरी अनिवार्य है। लोगों ने सैकड़ों बीघा जमीन कर रखी है दान प्रदेश में अलग-अलग क्षेत्रों लोगों ने धार्मिक संस्थाओं को सैकड़ों बीघा जमीन दान कर रखी है। अभी लोगों द्वारा दान दी गई जमीन धार्मिक संस्थाओं के नाम है। कुछेक संस्थाएं अब इन्हें बेचकर मुनाफा कमाना चाह रही है, लेकिन लैंड सीलिंग एक्ट इसकी इजाजत नहीं देता। धार्मिक संस्था को छूट दी गई तो यह फैसला देवी-देवताओं और उन लोगों के साथ धोखा साबित होगा, जिनकी हजारों बीघा जमीन सीलिंग एक्ट के कारण सरकार में वेस्ट हुई है। बता दें कि हिमाचल में सीलिंग एक्ट की वजह से सैकड़ों लोगों की हजारों बीघा जमीन सरकार में वेस्ट की जा चुकी है। धार्मिक संस्थाओं को इसमें छूट केवल इस्तेमाल के लिए दी गई थी। बेचने के लिए नहीं। सीलिंग से ज्यादा जमीन को किया गया सील हिमाचल के पहले मुख्यमंत्री डा.वाइएस परमार के समय हिमाचल प्रदेश सीलिंग ऑन लैंड होल्डिंग एक्ट इसलिए बनाया गया, ताकि भूमि के व्यक्तिगत उपयोग की सीमा तय की जा सके। यह भू-सुधारों में सबसे बड़ा कदम था। इसमें बोनाफाइड हिमाचलियों के लिए भी लैंड होल्डिंग की सीमा निर्धारित है। कोई भी व्यक्ति या परिवार राज्य में पानी लगने वाली जमीन सिर्फ 50 बीघा, एक फसल देने वाली जमीन 75 बीघा और बगीचा 150 बीघा और ट्राइबल एरिया में 350 बीघा जमीन ही रख सकता है। जिनके लोगों के पास इससे ज्यादा जमीन थी, उनकी जमीन सरकार में वेस्ट हो गई थी। हिमाचल के लैंड सीलिंग एक्ट को संविधान की प्रोटेक्शन प्राप्त है। इस एक्ट की धारा 5 के अनुसार राज्य और केंद्र सरकार, सहकारी समितियों, सहकारी बैंकों, स्थानीय निकायों, चाय बागानों, उद्योगों, जल विद्युत परियोजनाओं और राधा स्वामी सत्संग ब्यास की जमीन को सीलिंग से छूट दी गई है।
प्रयागराज में 25Km में 1.5 लाख लोग पानी में घिरे:2 श्मशान घाट डूबे, सड़क पर जल रही लाशें; यहां भी 3 घंटे की वेटिंग
प्रयागराज में 25Km में 1.5 लाख लोग पानी में घिरे:2 श्मशान घाट डूबे, सड़क पर जल रही लाशें; यहां भी 3 घंटे की वेटिंग प्रयागराज में गंगा नदी उफान पर है। 25 Km के इलाके में करीब 1.5 लाख लोग पानी में फंसे हैं। बुनियादी सुविधाओं के लिए उन्हें जूझना पड़ रहा है। गंगा-यमुना का वाटर लेवल बढ़ने के बाद घाट डूब गए हैं। 10-10 फीट पानी भरा हुआ हैं, जोकि हर घंटे बढ़ रहा है। बिगड़े हुए हालात के बीच हम श्मशान घाटों पर हालात देखने पहुंचे। अब जगह नहीं बची हैं, 1 साथ सिर्फ 8-10 लाख जलाई जा रही है। सड़क पर भी लाशें जलती हुई मिलीं। संगम नगरी में दाह संस्कार के लिए 3 घंटे तक की वेटिंग चल रही है। बारिश से लकड़ी भीग चुकी हैं, ऐसे में शवदाह में दिक्कत हो रही है। आने वाले 48 घंटे में क्या हालात हो सकते हैं? बाढ़ जैसे हालात कब तक काबू में आएंगे? यह जानने के लिए हम दारागंज और रसूलाबाद श्मशान घाट पहुंचे। पढ़िए ये रिपोर्ट… पैर रखने तक की जगह नहीं
जब हम दारागंज घाट पहुंचे, तब एक साथ 6 अर्थियां लाई गईं। एक गमगीन परिवार से पूछा तो सुमित ने बताया-जौनपुर से आए हैं। एक रिश्तेदार की अर्थी है। लेकिन, यहां पैर रखने तक की जगह नहीं दिख रही। अभी तो घाट तक पहुंचने में मशक्कत करनी पड़ रही है। वहीं कुछ लोग दाह संस्कार वाली जगह से नीचे उतरते दिखे। पूछने पर बोले- अभी दाह संस्कार हुआ नहीं है। श्रद्धांजलि देकर लौट रहे हैं। हमारे परिवार में मिट्टी हुई थी। इसके बाद हम उस जगह पर पहुंचे, जहां अब चिता जलाई जा रही है। यहां जगह सिर्फ इतनी है कि एक बार में 10 लाशें ही जल सकती हैं। इनके बीच ही अर्थियां रखी हुई हैं। हालत यह है कि 2 मिनट में जिंदा आदमी का शरीर तपने लगता है। आशीष बोले – मेरे घर का ग्राउंड फ्लोर डूबा नागवासुकि के पास रहने वाले आशीष त्रिपाठी बताते हैं कि दशाश्वमेघ घाट के पास उनका घर है, जो पहला तल पानी में डूब गया है। यहां पर हालत इस समय इतने खराब हैं कि लोग घर के सामने अंतिम संस्कार करते जा रहे हैं। इससे परिवार वालों को दिक्कत हो रही है। मना करने पर कुछ लोग लड़ने लगते हैं। 3 से 4 घंटे की वेटिंग के बाद दाह संस्कार
अल्लापुर से अपने रिश्तेदार का अंतिम संस्कार करने आए अंकित ने बताया-हम लोग करीब 3 घंटे से लाश लेकर यहां बैठे रहे। इसके बाद जगह मिल पाई। फिर अंतिम संस्कार किया गया। पानी होने की वजह से लकड़ी भी गीली है। लोग लाश लेकर सड़क पर ही बैठे रहते हैं, चिता लगाने के लिए जगह मिलते ही वह अंत्येष्टि करते हैं। दारागंज घाट पर सिर्फ प्रयागराज ही नहीं बल्कि जौनपुर, प्रतापगढ़ समेत अन्य पड़ोसी शहरों से भी लोग डेड बॉडी लेकर अंत्येष्टि के लिए आते हैं। पहले जब गंगा किनारे अंत्येष्टि हो रही थी, तो वहां पर जगह ज्यादा होने से तत्काल स्थान मिल जाता था। लेकिन, पिछले दिनों से पूरा घाट ही पानी में डूब गया, तो लोगों की मुश्किलें बढ़ गई। ज्यादातर लोग घर छोड़कर जा रहे हैं सनी निषाद कहते हैं कि हमारे घर तक पानी आ गया है। ज्यादातर छात्र यहां रहते हैं वह यहां से कहीं चले गए हैं। जलस्तर बढ़ने से(84.36 मीटर) गंगा किनारे बसे दारागंज, छोटा बघाड़ा, सलोरी, बेली कछार व अन्य कुछ कछारी इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। नागवासुकि मंदिर के आसपास की स्थिति यह है कि यहां सैकड़ों घरों का पहला मंजिला पूरा पानी में डूब गया है। ज्यादा लोग घर खाली करके सुरक्षित स्थानों पर गए हैं, या तो घर के दूसरे या तीसरे मंजिले पर ठिकाना बना लिए हैं। जो जहां जगह पा रहा, वहीं जला दे रहा
कोरांव क्षेत्र से आए जयहिंद पटेल ने बताया-अपने परिवार के ही एक सदस्य की मौत के बाद परिवार हम लोग दारागंज घाट पर पहुंचे, तो यहां भयावह स्थिति दिखी। अव्यवस्थाओं के बीच हम लोगों को लकड़ी तो मिल गई है। लेकिन, शव को जलाने के लिए स्थान नहीं मिला। सड़क पर लाशें जल रही थीं और कोई विकल्प न होने की वजह से हम लोग भी शव लेकर कतार में लग गए। तीन घंटे बाद जब पहले से जल रही लाश पूरी तरह जल गई तो हम लोगों को स्थान मिल पाया। कई कुछ ऐसे हैं, जिनको जहां जगह मिली रही है। वहीं पर वो जला रहे हैं। रसूलाबाद घाट से वापस किए जा रहे शव
रसूलाबाद घाट का संचालन महराजिन बुआ सेवा समिति की ओर से किया जा रहा है। समिति के अध्यक्ष जगदीश त्रिपाठी ने बताया-रसूलाबाद घाट पूरी तरह से पानी में डूब गया है। यही कारण है कि सोमवार को यहां एक भी शव नहीं जलाया जा सका। यहां आने वाले शवों को शंकरघाट पर स्थित विद्युत शवदाह गृह भेजा जा रहा है। सामान्य दिनों में यहां प्रतिदिन 20 से 30 शव जलाए जा रही थे। लेकिन, अब एक भी शव नहीं जल रहे हैं। यही कारण है कि अब ज्यादातर शव लेकर दारागंज जा रहे हैं। यहां भी घाट डूबने की वजह से सड़क पर शवों को जलाया जा रहा है। टॉयलेट और साफ-सफाई की व्यवस्था ठप
लकड़ी व्यापारी धनीराम ने बताया-प्रशासन और सरकार क्या एक टॉयलेट तक नहीं बनवा सकती? यहां आने-जाने वाले विदेशी पर्यटक भी काफी निराश हो जाते हैं। दाह संस्कार में इस्तेमाल होने वाली लकड़ियों को भी छतों और गलियों में शिफ्ट किया गया है। नीचे जो लकड़ी है, वो गीली हाे रही है। इससे जलने में दिक्कत आ रही है। पहले 3 घंटे में लकड़ियां जलती थीं, अब 4 घंटे तक लग जा रहे हैं। इसलिए भी दाह संस्कार में देरी हो रही है। बाढ़ शरणालय भेजे गए 1640 लोग
एडीएम विनय कुमार सिंह ने बताया कि बाढ़ को देखते हुए कुल 7 बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं। इसमें बाढ़ से पीड़ित 374 परिवारों को सुरक्षित शिफ्ट कराया गया है जिसमें करीब 1700 से ज्यादा लोग ठहरे हुए हैं। 4 घंटे में तीन सेमी. बढ़ रहीं गंगा
रविवार रात गंगा का जलस्तर 83.95 मीटर तक पहुंचा था, जबकि डेंजर लेवल 84.734 मीटर पर निर्धारित है। उम्मीद है कि आज (16 सिंतबर) जलस्तर डेंजर लेवल को पार कर जाएगा। यहां प्रति चार घंटे में तीन सेंटीमीटर जलस्तर बढ़ रहा है। पश्चिमी यूपी व उत्तराखंड में हो रही तेज बारिश का असर यहां दिख रहा है। अभी एक या दो दिन इसी तरह से जलस्तर में वृद्धि होने की उम्मीद है।