हरियाणा के सोनीपत की खरखौदा विधानसभा सीट पर निवर्तमान विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी जयवीर वाल्मीकि पर अपनी सीट को बचाने का दबाव है। यहां पर भाजपा के पवन खरखौदा उनको कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर थी। तब पवन जेजेपी की टिकट पर मैदान में थे और मात्र 1544 वोटों से हारे थे। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार यहां कांग्रेस की राह आसान नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का दारोमदार पूरी तरह से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के कंधों पर है। वहीं पवन को अपनी पर्सनल वोटों के अलावा भाजपा के कैडर वोट के सहारे जीत की उम्मीद है। खरखौदा में जजपा ने पूर्व विधायक रमेश खटक को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन ने प्रीतम खोखर को और आप ने मनजीत फरमाणा को कैंडिडेट बनाया है। कांग्रेस व भाजपा के कैंडिडेट को छोड़ कर अन्य प्रत्याशियों को लोग ज्यादा गंभीरता से नहीं लग रहे। इनको वोट काटू भी नहीं मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में है। भूपेंद्र हुड्डा क्षेत्र में रोड शो कर चुके हैं, वहीं 23 सितंबर को कार्यकारी सीएम नायब सैनी की सभा थी, लेकिन वो नहीं आए। सभा को पूर्व सांसद अशोक तंवर ने संबोधित किया। हालांकि मंगलवार रात को सीएम नायब सैनी ने यहां का दौरा किया और भाजपा वर्करों को साधा। खरखौदा रिजर्व सीट है और 2009 से पहले ये रोहट विधानसभा क्षेत्र के नाम से थी। कांग्रेस के जयवीर वाल्मीकि 2009, 2014 व 2019 में लगातार 3 बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं। इस बार वे चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी पवन खरखौदा का ये तीसरा चुनाव है। पवन खरखौदा 2014 में निर्दलीय कैंडिडेट थे और जयवीर से 14,182 वोटों से हारे। 2019 में वे जेजेपी के प्रत्याशी रहे और जयवीर की जीत का अंतर 1,544 वोट रहा। इस बार वे अंतर को पाटने के लिए जी जान लगाए हैं। खरखौदा विधानसभा सीट पर करीब 1 लाख 79 हजार वोटर हैं। यहां करीब 75 हजार वोट जाट समाज की हैं और शेष करीब 1 लाख वोट अन्य सभी जातियों में बंटी है। खरखौदा एससी रिजर्व सीट है और रोहतक से सटी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का यहां वोटरों पर सीधा प्रभाव है। हुड्डा के हलका किलोई-सांपला भी खरखौदा के साथ ही लगता है। 3 चुनाव में लगातार घटा कांग्रेस की जीत का मार्जिन खरखौदा विधानसभा क्षेत्र में 2009 से कांग्रेस के जयवीर सिंह वाल्मीकि लगातार चुनाव जीत रहे हैं। लेकिन एक सत्य यह भी है कि हुड्डा के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के जीत का मार्जिन हर बार कम हो रहा है। 2009 में जहां जयवीर सिंह 25,284 वोटों से जीते थे। वहीं 2014 में उनकी जीत का मार्जिन घट कर 14,182 रह गया था। 2019 का चुनाव तो और कड़ा रहा और जयवीर केवल 1,544 वोटों से जीत पाए। पवन ने पिछले दो चुनाव में लगातार बढ़त हासिल की है। 12 में से 6 चुनावों में कड़ा मुकाबला खरखौदा (पहले रोहट) विधानसभा में अभी तक कुल 12 चुनाव हो चुके हैं। यहां पांच बार कांग्रेस जीती है। चौटाला परिवार का भी इस सीट पर जबरदस्त प्रभाव रहा है। 6 चुनाव में तो इस सीट पर कांटे का मुकाबला रहा है। 1991 में कांग्रेस के हुकुम सिंह ने जनता पार्टी के मोहिंद्र सिंह को मात्र 38 वोटों से हराया था। 1972 में INC(O) के फूल चंद मात्र 523 वोटों से जीते थे। इसी प्रकार 1996 में हविपा प्रत्याशी 2123 वोटों, 1968 में कांग्रेस 1622 वोट और 2019 में कांग्रेस 1544 वोटों से चुनाव जीती। जयवीर वाल्मीकि के पक्ष में ये… पवन खरखौदा के पक्ष में ये… न पानी निकासी सही, न सरकारी कॉलेज खरखौदा में लोगों से बात करें तो वे कई समस्याओं का जिक्र करते हैं। कहते हैं कि न तो कांग्रेस सरकार और न ही भाजपा सरकार में उनकी पानी निकासी की व्यवस्था पर काम हुआ। कस्बे में बस स्टैंड के पीछे गंदा पानी एकत्रित हो रहा है और यहां गंदे पानी का बड़ा तालाब बन गया है। लोगों की दूसरी बड़ी मांग है कि खरखौदा में सरकारी कॉलेज हो। यहां प्राइवेट कॉलेज चल रहा है। यहां के बच्चों को शिक्षा के लिए सोनीपत या फिर रोहतक जाना पड़ता है। चुनाव में किए वादे पूरे नहीं होते। खरखौदा (2005 तक रोहट) सीट का इतिहास… हरियाणा के सोनीपत की खरखौदा विधानसभा सीट पर निवर्तमान विधायक एवं कांग्रेस प्रत्याशी जयवीर वाल्मीकि पर अपनी सीट को बचाने का दबाव है। यहां पर भाजपा के पवन खरखौदा उनको कड़ी टक्कर दे रहे हैं। 2019 के विधानसभा चुनाव में भी दोनों के बीच कांटे की टक्कर थी। तब पवन जेजेपी की टिकट पर मैदान में थे और मात्र 1544 वोटों से हारे थे। राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो इस बार यहां कांग्रेस की राह आसान नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी की जीत का दारोमदार पूरी तरह से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा के कंधों पर है। वहीं पवन को अपनी पर्सनल वोटों के अलावा भाजपा के कैडर वोट के सहारे जीत की उम्मीद है। खरखौदा में जजपा ने पूर्व विधायक रमेश खटक को चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं इनेलो-बसपा गठबंधन ने प्रीतम खोखर को और आप ने मनजीत फरमाणा को कैंडिडेट बनाया है। कांग्रेस व भाजपा के कैंडिडेट को छोड़ कर अन्य प्रत्याशियों को लोग ज्यादा गंभीरता से नहीं लग रहे। इनको वोट काटू भी नहीं मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि यहां सीधा मुकाबला कांग्रेस-भाजपा में है। भूपेंद्र हुड्डा क्षेत्र में रोड शो कर चुके हैं, वहीं 23 सितंबर को कार्यकारी सीएम नायब सैनी की सभा थी, लेकिन वो नहीं आए। सभा को पूर्व सांसद अशोक तंवर ने संबोधित किया। हालांकि मंगलवार रात को सीएम नायब सैनी ने यहां का दौरा किया और भाजपा वर्करों को साधा। खरखौदा रिजर्व सीट है और 2009 से पहले ये रोहट विधानसभा क्षेत्र के नाम से थी। कांग्रेस के जयवीर वाल्मीकि 2009, 2014 व 2019 में लगातार 3 बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं। इस बार वे चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी पवन खरखौदा का ये तीसरा चुनाव है। पवन खरखौदा 2014 में निर्दलीय कैंडिडेट थे और जयवीर से 14,182 वोटों से हारे। 2019 में वे जेजेपी के प्रत्याशी रहे और जयवीर की जीत का अंतर 1,544 वोट रहा। इस बार वे अंतर को पाटने के लिए जी जान लगाए हैं। खरखौदा विधानसभा सीट पर करीब 1 लाख 79 हजार वोटर हैं। यहां करीब 75 हजार वोट जाट समाज की हैं और शेष करीब 1 लाख वोट अन्य सभी जातियों में बंटी है। खरखौदा एससी रिजर्व सीट है और रोहतक से सटी है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा का यहां वोटरों पर सीधा प्रभाव है। हुड्डा के हलका किलोई-सांपला भी खरखौदा के साथ ही लगता है। 3 चुनाव में लगातार घटा कांग्रेस की जीत का मार्जिन खरखौदा विधानसभा क्षेत्र में 2009 से कांग्रेस के जयवीर सिंह वाल्मीकि लगातार चुनाव जीत रहे हैं। लेकिन एक सत्य यह भी है कि हुड्डा के प्रभाव वाली इस सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के जीत का मार्जिन हर बार कम हो रहा है। 2009 में जहां जयवीर सिंह 25,284 वोटों से जीते थे। वहीं 2014 में उनकी जीत का मार्जिन घट कर 14,182 रह गया था। 2019 का चुनाव तो और कड़ा रहा और जयवीर केवल 1,544 वोटों से जीत पाए। पवन ने पिछले दो चुनाव में लगातार बढ़त हासिल की है। 12 में से 6 चुनावों में कड़ा मुकाबला खरखौदा (पहले रोहट) विधानसभा में अभी तक कुल 12 चुनाव हो चुके हैं। यहां पांच बार कांग्रेस जीती है। चौटाला परिवार का भी इस सीट पर जबरदस्त प्रभाव रहा है। 6 चुनाव में तो इस सीट पर कांटे का मुकाबला रहा है। 1991 में कांग्रेस के हुकुम सिंह ने जनता पार्टी के मोहिंद्र सिंह को मात्र 38 वोटों से हराया था। 1972 में INC(O) के फूल चंद मात्र 523 वोटों से जीते थे। इसी प्रकार 1996 में हविपा प्रत्याशी 2123 वोटों, 1968 में कांग्रेस 1622 वोट और 2019 में कांग्रेस 1544 वोटों से चुनाव जीती। जयवीर वाल्मीकि के पक्ष में ये… पवन खरखौदा के पक्ष में ये… न पानी निकासी सही, न सरकारी कॉलेज खरखौदा में लोगों से बात करें तो वे कई समस्याओं का जिक्र करते हैं। कहते हैं कि न तो कांग्रेस सरकार और न ही भाजपा सरकार में उनकी पानी निकासी की व्यवस्था पर काम हुआ। कस्बे में बस स्टैंड के पीछे गंदा पानी एकत्रित हो रहा है और यहां गंदे पानी का बड़ा तालाब बन गया है। लोगों की दूसरी बड़ी मांग है कि खरखौदा में सरकारी कॉलेज हो। यहां प्राइवेट कॉलेज चल रहा है। यहां के बच्चों को शिक्षा के लिए सोनीपत या फिर रोहतक जाना पड़ता है। चुनाव में किए वादे पूरे नहीं होते। खरखौदा (2005 तक रोहट) सीट का इतिहास… हरियाणा | दैनिक भास्कर
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