हरियाणा के सोनीपत में गन्नौर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस तिकोने मुकाबले में फंस गई है। इस सीट पर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे देवेंद्र कादियान ने जाट वोट बैंक और पिछड़े वर्ग में सेंध लगा कर BJP के देवेंद्र कौशिक और कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को कड़ी चुनौती दी है। गन्नौर सीट पर हर चुनाव में प्रत्याशियों में कड़ा मुकाबला रहा है। 13 चुनाव में से 6 चुनाव में प्रत्याशी 2 हजार वोटों से कम के अंतर में जीते हैं। कुलदीप व देवेंद्र के लिए एक समस्या यह भी है कि दोनों ही ब्राह्मण समाज से हैं और अपने समाज को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों का पूरा जोर लगा है। इन सबके बीच हलके में या तो भीड़ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सभाओं में देखने को मिल रही है या फिर निर्दलीय देवेंद्र कादियान की सभा में। भीड़ को वोट मे कौन बदल पाता है, ये यहां देखने वाली बात होगी। गन्नौर विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने निर्वतमान विधायक निर्मल चौधरी की टिकट काट कर नए चेहरे देवेंद्र कौशिक को मैदान में उतारा है। देवेंद्र कौशिक के भाई रमेश कौशिक सांसद एवं विधायक रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने यहां से विधायक व स्पीकर रह चुके कुलदीप शर्मा पर ही दांव खेला है। भाजपा सरकार में युवा आयोग के चेयरमैन रहे देवेंद्र कौशिक टिकट कटने के बाद भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा पर टिकट 100 करोड़ में बेचने के सनसनीखेज आरोप तक लगा चुके हैं। गन्नौर विधानसभा में कुल 1 लाख 95 हजार के करीब वोटर हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो यहां पर जाट वोटरों की संख्या 60 हजार से ज्यादा है। मुस्लिम समाज भी यहां करीब 17-18 हजार वोटों के साथ निर्णायक की भूमिका में है। वहीं ब्राह्मण समाज के वोटों की संख्या 22 हजार से ज्यादा मानी जा रही है। पट्टी ब्राह्मण, खेड़ी तगा, सनपेड़ा जैसे कई गांव में ब्राह्मण बाहुल्य हैं। अन्य वोट एससी-बीसी समाज के हैं। हुड्डा पर बाजी पलटने का दारोमदार गन्नौर हलके में जाट समाज को कांग्रेस अपना सबसे मजबूत कैडर मान कर चली रही है। इसका सबसे बड़ा कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा को माना जा रहा है। कभी दीपेंद्र हुड्डा के खास रहे देवेंद्र कादियान ही अब कांग्रेस को इस वर्ग में चुनौती दे रहे हैं। करनाल में रहने वाले पूर्व विधायक कुलदीप शर्मा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक के साथ अपने समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में मान रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा यहां लगातार दौरे कर कुलदीप के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। भाजपा वरिष्ठ नेता प्रचार से दूर भाजपा गन्नौर में तिकोने मुकाबले में तो खड़ी है, लेकिन फिलहाल इसकी स्थिति चुनाव जीतने जैसी नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता फिलहाल गन्नौर में वोट की अपील के लिए नहीं पहुंचे हैं। देवेंद्र कौशिक व इनके भाई पूर्व सांसद रमेश कौशिक लोगों के बीच में है। भाजपा के सीएम चेहरे व कार्यकारी सीएम नायब सैनी यहां भाजपा प्रत्याशी का नामांकन कराने आए थे। पूर्व विधायक निर्मल चौधरी जरूर साथ खड़ी है। पूर्व जिला प्रधान तीरथ राणा भी कभी कभार प्रचार को आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली 1700 की बढ़त लोकसभा चुनाव की बात करें तो सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली ने गन्नौर हलके से करीब 1700 वोटों से बढ़त ली थी। बड़ौली ने तत्कालीन विधायक निर्मल चौधरी पर खिलाफत के आरोप लगाए थे। निर्मल के पति के नाम से कई ऑडियो भी वायरल हुए थे। उस समय बागी देवेंद्र कादियान भी भाजपा के साथ थे। वोटों का ये अंतर अब भाजपा को विधानसभा चुनाव में चिंतित किए हुए है। गन्नौर में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला, निर्दलीय भी जीते गन्नौर में वर्ष 1967 से अब तक विधानसभा के 13 चुनाव हो चुके हैं। गन्नौर विधानसभा सीट 2005 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले इसे कैलाना हलके के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर हर बार प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा व आमने सामने का रहा है। 6 चुनाव में तो प्रत्याशी की जीत का अंतर 2000 वोटों से नीचे रहा है। यहां पर 1972 व 1982 के चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी जीते हैं। 1987 में लोकदल के वेद सिंह ने निर्दलीय राजिंद्र सिंह को 17,614 वोटों से हराया और यह गन्नौर के इतिहास में आज तक की सबसे बड़ी जीत है। वर्ष 2009 व 2019 के चुनाव में जीत की अंतर 10 हजार से थोड़ा उपर रहा। 2000 के चुनाव में कांग्रेस के जितेंद्र मलिक इनेलो से मात्र 740 वोटों से जीते थे। गन्नौर (2005 तक कैलाना) सीट का इतिहास… हरियाणा के सोनीपत में गन्नौर विधानसभा सीट पर भाजपा-कांग्रेस तिकोने मुकाबले में फंस गई है। इस सीट पर भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे देवेंद्र कादियान ने जाट वोट बैंक और पिछड़े वर्ग में सेंध लगा कर BJP के देवेंद्र कौशिक और कांग्रेस के कुलदीप शर्मा को कड़ी चुनौती दी है। गन्नौर सीट पर हर चुनाव में प्रत्याशियों में कड़ा मुकाबला रहा है। 13 चुनाव में से 6 चुनाव में प्रत्याशी 2 हजार वोटों से कम के अंतर में जीते हैं। कुलदीप व देवेंद्र के लिए एक समस्या यह भी है कि दोनों ही ब्राह्मण समाज से हैं और अपने समाज को अपने पक्ष में करने के लिए दोनों का पूरा जोर लगा है। इन सबके बीच हलके में या तो भीड़ कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सभाओं में देखने को मिल रही है या फिर निर्दलीय देवेंद्र कादियान की सभा में। भीड़ को वोट मे कौन बदल पाता है, ये यहां देखने वाली बात होगी। गन्नौर विधानसभा चुनाव में इस बार भाजपा ने निर्वतमान विधायक निर्मल चौधरी की टिकट काट कर नए चेहरे देवेंद्र कौशिक को मैदान में उतारा है। देवेंद्र कौशिक के भाई रमेश कौशिक सांसद एवं विधायक रहे हैं। वहीं कांग्रेस ने यहां से विधायक व स्पीकर रह चुके कुलदीप शर्मा पर ही दांव खेला है। भाजपा सरकार में युवा आयोग के चेयरमैन रहे देवेंद्र कौशिक टिकट कटने के बाद भाजपा से बागी होकर चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा पर टिकट 100 करोड़ में बेचने के सनसनीखेज आरोप तक लगा चुके हैं। गन्नौर विधानसभा में कुल 1 लाख 95 हजार के करीब वोटर हैं। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो यहां पर जाट वोटरों की संख्या 60 हजार से ज्यादा है। मुस्लिम समाज भी यहां करीब 17-18 हजार वोटों के साथ निर्णायक की भूमिका में है। वहीं ब्राह्मण समाज के वोटों की संख्या 22 हजार से ज्यादा मानी जा रही है। पट्टी ब्राह्मण, खेड़ी तगा, सनपेड़ा जैसे कई गांव में ब्राह्मण बाहुल्य हैं। अन्य वोट एससी-बीसी समाज के हैं। हुड्डा पर बाजी पलटने का दारोमदार गन्नौर हलके में जाट समाज को कांग्रेस अपना सबसे मजबूत कैडर मान कर चली रही है। इसका सबसे बड़ा कारण भूपेंद्र सिंह हुड्डा को माना जा रहा है। कभी दीपेंद्र हुड्डा के खास रहे देवेंद्र कादियान ही अब कांग्रेस को इस वर्ग में चुनौती दे रहे हैं। करनाल में रहने वाले पूर्व विधायक कुलदीप शर्मा पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कांग्रेस के परम्परागत वोट बैंक के साथ अपने समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में मान रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा यहां लगातार दौरे कर कुलदीप के लिए वोट की अपील कर रहे हैं। भाजपा वरिष्ठ नेता प्रचार से दूर भाजपा गन्नौर में तिकोने मुकाबले में तो खड़ी है, लेकिन फिलहाल इसकी स्थिति चुनाव जीतने जैसी नहीं है। भाजपा के वरिष्ठ नेता फिलहाल गन्नौर में वोट की अपील के लिए नहीं पहुंचे हैं। देवेंद्र कौशिक व इनके भाई पूर्व सांसद रमेश कौशिक लोगों के बीच में है। भाजपा के सीएम चेहरे व कार्यकारी सीएम नायब सैनी यहां भाजपा प्रत्याशी का नामांकन कराने आए थे। पूर्व विधायक निर्मल चौधरी जरूर साथ खड़ी है। पूर्व जिला प्रधान तीरथ राणा भी कभी कभार प्रचार को आ रहे हैं। लोकसभा चुनाव में मिली 1700 की बढ़त लोकसभा चुनाव की बात करें तो सोनीपत लोकसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी मोहन लाल बड़ौली ने गन्नौर हलके से करीब 1700 वोटों से बढ़त ली थी। बड़ौली ने तत्कालीन विधायक निर्मल चौधरी पर खिलाफत के आरोप लगाए थे। निर्मल के पति के नाम से कई ऑडियो भी वायरल हुए थे। उस समय बागी देवेंद्र कादियान भी भाजपा के साथ थे। वोटों का ये अंतर अब भाजपा को विधानसभा चुनाव में चिंतित किए हुए है। गन्नौर में हर चुनाव में कड़ा मुकाबला, निर्दलीय भी जीते गन्नौर में वर्ष 1967 से अब तक विधानसभा के 13 चुनाव हो चुके हैं। गन्नौर विधानसभा सीट 2005 में अस्तित्व में आई है। इससे पहले इसे कैलाना हलके के नाम से जाना जाता था। इस सीट पर हर बार प्रत्याशियों में मुकाबला कड़ा व 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हरियाणा में बीजेपी-कांग्रेस का घोषणा पत्र तैयार:भाजपा का अमित शाह कल करेंगे जारी; कांग्रेस का 2 फेज में आएगा, पहला राहुल करेंगे जारी हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने अपने-अपने घोषणा पत्र तैयार कर लिए हैं। भाजपा अपने संकल्प पत्र को कल (बुधवार) जारी करेंगे। बहुत संभव है कि इसे रोहतक स्थित पार्टी के स्टेट ऑफिस से जारी किया जाए। बीजेपी की संकल्प पत्र निर्माण कमेटी का चेयरमैन पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश धनखड़ बनाया गया था। पिछले चुनावों में उन्हीं की अध्यक्षता में ही संकल्प पत्र तैयार किया गया था। वहीं कांग्रेस का भी घोषणा पत्र रेडी हो गया है। पार्टी ने इसे 2 फेज में तैयार किया है, पहले फेज की घोषणा राहुल गांधी और अन्य दिग्गज नेता नई दिल्ली से करेंगे। इस फेज में 15 गारंटियां शामिल की गई हैं। दूसरे चरण में चंडीगढ़ में बाकी चुनाव घोषणा पत्र जारी होगा। बीपीएल परिवारों के लिए होंगी बड़ी घोषणाएं भाजपा पिछले 10 साल से सत्ता में हैं, इसलिए वह कराए गए विकास और मेरिट पर नौकरियों के दम पर वोट मांग रही है। इनके अलावा, पार्टी युवा, महिलाओं, किसानों के साथ साथ व्यापारियों, मजदूरों और पिछड़ों को साधने की तैयारी में हैं। 1.80 लाख से कम आय वाले लोगों के लिए घोषणा पत्र में कई बड़े वादे हो सकते हैं। भाजपा हाईकमान खुद घोषणा पत्र तैयार कराने में जुटा है और संभावना है कि अगले सप्ताह इसे जनता के सामने पेश किया जाएगा। जारी नहीं हो सका सीएमपी 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जजपा ने अलग-अलग घोषणा पत्र जारी किए थे। गठबंधन के बाद दोनों दलों ने वादों को पूरा कराने के लिए एक कॉमन मीनिमम प्रोग्राम (CMP) बनने के लिए कमेटी गठित की। हालांकि साढ़े चार साल में गठबंधन टूट गया, पर सीएमपी जारी नहीं हो पाया। 2019 में बीजेपी ने संकल्प पत्र में ये किए थे वादे भाजपा के 2019 विधानसभा चुनाव के लिए पेश किए संकल्प पत्र में 15 प्रमुख एजेंडों पर आधारित था, इसमें हरियाणा के लोगों के साथ 258 वादे किए गए थे। भाजपा के पास 1.70 लाख सुझाव आए थे, जिनमें से यह संकल्प पत्र तैयार किया गया था। 258 वादों में हर वर्ग को छूने का प्रयास किया गया था। युवा, किसान, उद्योग, खेल, स्वास्थ्य, दलितों और पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया गया था। 3 नए मंत्रालय युवा विकास और रोजगार मंत्रालय, अंत्योदय व मानव संपदा मंत्रालय के गठन की कल्पना की गई थी। कांग्रेस इस बार देगी ये गारंटियां हरियाणा में कांग्रेस अपने घोषणा पत्र में कई गारंटियां देगी। सरकार बनने पर 2 लाख खाली सरकारी पदों पर पक्की भर्तियां की जाएंगी। कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम का लाभ मिलेगा और बुढ़ापा पेंशन 6 हजार रुपए होगी। किसानों को एमएसपी व सर्वाधिक भाव की गारंटी देने के साथ ही पिछड़ा वर्ग के क्रीमीलेयर की आय सीमा को बढ़ाकर 10 लाख कर सकती है। पहले यह 6 लाख थी, जिसे भाजपा सरकार ने बढ़ाकर 8 लाख कर दिया था। कांग्रेस की ओर से जिन 15 गारंटियों को हरियाणा में जारी किया जाएगा, उनमें 300 यूनिट मुफ्त बिजली, ऑनलाइन पोर्टल बंद करने की घोषणा शामिल है। सफाई कर्मचारियों, ग्रामीण चौकीदारों और मनरेगा मेट के कर्मचारियों को पक्का करने का वादा भी कांग्रेस कर सकती है।
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