गुरुग्राम में प्रदूषण और डेंगू का कहर:दूसरे दिन भी 500 पर पहुंचा AQI; हेल्थ इमरजेंसी को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की छुटि्टयां रद्द

गुरुग्राम में प्रदूषण और डेंगू का कहर:दूसरे दिन भी 500 पर पहुंचा AQI; हेल्थ इमरजेंसी को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों की छुटि्टयां रद्द

हरियाणा के गुरुग्राम में पॉल्यूशन आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा है। लगातार दूसरे दिन AQI 500 तक पहुंच गया है। यहां PM 2.5 और PM 10 दोनों का स्तर 500 है। शहरी इलाकों में जगह-जगह पर कचरे के ढेर जलाए जा रहे हैं। ग्रैप टू होने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नगर निगम की ओर से नहीं की जा रही है। सड़कों से उड़ती धूल को लेकर किसी तरह का छिड़काव और एंटी स्मॉग गन का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्ती करते हुए नगर निगम गुरुग्राम पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। वहीं दूसरी ओर प्रदूषण तो लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है, तो वहीं गुरुग्राम में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रहा है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 156 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग 10732 घरों का सर्वे कर चुका है। 156 घरों और 540 कंटेनर में लार्वा मिल चुका है। 141 लोगों को नोटिस भी किया जारी किया है यहां तक की 174 संदिग्धों के लिए सैंपल लिए गए हैं मगर बावजूद इसके डेंगू नहीं थम रहा है। दिवाली को लेकर CMO ने एडवाइजरी की जारी दिवाली को लेकर CMO गुरुग्राम ने एडवाइजरी जारी की है। CMO ने डेंगू और पॉल्यूशन की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों को बिना अनुमति के मुख्यालय न छोड़ने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा दिवाली पर आगजनी जैसी घटनाओं को लेकर 10 बेड का बर्न वार्ड और अस्थमा वार्ड बनाने के दिए निर्देश दिए हैं। डॉक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ऑन कॉल मौजूद रहेंगे। वह छुट्‌टी पर बाहर नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं सुचारु होंगी। एनसीआर में PM 10 बढ़ रहा दीवाली से पहले ही प्रदूषण से हवा की स्थिति बिगड़ गई है। गुरुग्राम में तो वायु की गुणवत्ता (AQI) 500 तक पहुंच गया है। जिससे सामान्य आदमी भी बीमार हो सकता है। प्रदेश में PM-10 बढ़ने लगा है। इससे गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी में ज्यादा दिक्कतें हो सकती है। हालात बिगड़ते देख दिल्ली NCR में ग्रैप टू लागू कर दिया गया है। हरियाणा के 14 जिले एनसीआर में आते हैं। जिसमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल शामिल हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण के बावजूद पराली जलने के मामले थम नहीं रहे हैं। प्रदेश में अब तक 726 जगहों पर पराली जलाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार भी कुछ एक्शन में नजर आ रही है।सरकार ने 26 कर्मचारी सस्पेंड कर दिए हैं। इन कर्मचारियों पर जल्द ही एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। PM 10 इतना खतरनाक, गले-फेफड़ों में जा सकते हैं कण, GRAP 4 लगना संभव PM10 में निर्माण स्थलों, लैंडफिल और कृषि, जंगल की आग और ब्रश,कचरा जलाने, औद्योगिक स्रोतों, खुली जमीन से हवा में उड़ने वाली धूल, पराग और बैक्टीरिया के टुकड़े भी शामिल होते हैं। पीएम 10 कण इतने छोटे होते हैं कि वे आपके गले और फेफड़ों में जा सकते हैं। पीएम 10 का उच्च स्तर आपको खांसी, नाक बहना और आंखों में जलन पैदा कर सकता है। पीएम 10 का स्तर अधिक होने पर हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में अधिक लक्षण हो सकते हैं। लक्षणों में घरघराहट, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है। ये हालात और बिगड़े तो फिर GRAP-4 लागू हो सकता है। जिसका मतलब है कि प्रदूषित हवा से हेल्थ इमरजेंसी के हालात बन सकते हैं। प्रदेश में पराली जलाने के 13 केस मिले प्रदेश में पराली जलाने के 13 नए केस मिले हैं। इनको मिलाकर कुल आंकड़ा 726 पर पहुंच गया है। कुरुक्षेत्र, कैथल, पलवल और अंबाला जिले में दो-दो तीन-तीन केस मिले हैं और सिरसा और करनाल में एक-एक केस मिला है। ऐसे में कृषि विभाग और प्रशासन ने अब पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती ज्यादा कर दी है। पराली जलाने पर सीधा केस दर्ज करने और फसल की पोर्टल पर रेड एंट्री करने के बाद काफी कमी आई है। WHO के मुताबिक वायु प्रदूषण से इन बीमारियों का खतरा 1. अस्थमा: सांस लेने में कठिनाई होती है, छाती में दबाव महसूस होता है और खांसी भी आती है। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की श्वसन नली में रुकावट आने लगती है। यह रुकावट एलर्जी (हवा या प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में यह भी देखा गया है कि सांस लेने की नली में सूजन भी आ जाती है। 2. फेफड़ों का कैंसर: स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) प्रदूषण और धूम्रपान से होने वाला कैंसर है। इसका पता तब चलता है जब SCLC शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुका होता है। साथ ही, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) तीन तरह के होते हैं। एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा। 3. हार्ट अटैक : वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के PM 2.5 के बारीक कण खून में चले जाते हैं। इससे धमनियों में सूजन आ जाती हैं। 4. बच्चों में सांस की दिक्कत: बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है, जो सांस लेने में मदद करने वाले अंग हैं। बच्चों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा मरते हैं। 5. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) : क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक सांस संबंधी बीमारी है जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह बहुत खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सबसे ज्यादा लोग सीओपीडी से मरते हैं। हरियाणा के गुरुग्राम में पॉल्यूशन आउट ऑफ कंट्रोल हो रहा है। लगातार दूसरे दिन AQI 500 तक पहुंच गया है। यहां PM 2.5 और PM 10 दोनों का स्तर 500 है। शहरी इलाकों में जगह-जगह पर कचरे के ढेर जलाए जा रहे हैं। ग्रैप टू होने के बावजूद किसी तरह की कार्रवाई नगर निगम की ओर से नहीं की जा रही है। सड़कों से उड़ती धूल को लेकर किसी तरह का छिड़काव और एंटी स्मॉग गन का भी इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर हरियाणा प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सख्ती करते हुए नगर निगम गुरुग्राम पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है। वहीं दूसरी ओर प्रदूषण तो लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है, तो वहीं गुरुग्राम में डेंगू के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रहा है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 156 तक पहुंच गई है। स्वास्थ्य विभाग 10732 घरों का सर्वे कर चुका है। 156 घरों और 540 कंटेनर में लार्वा मिल चुका है। 141 लोगों को नोटिस भी किया जारी किया है यहां तक की 174 संदिग्धों के लिए सैंपल लिए गए हैं मगर बावजूद इसके डेंगू नहीं थम रहा है। दिवाली को लेकर CMO ने एडवाइजरी की जारी दिवाली को लेकर CMO गुरुग्राम ने एडवाइजरी जारी की है। CMO ने डेंगू और पॉल्यूशन की स्थिति को देखते हुए स्वास्थ्य कर्मचारियों को बिना अनुमति के मुख्यालय न छोड़ने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा दिवाली पर आगजनी जैसी घटनाओं को लेकर 10 बेड का बर्न वार्ड और अस्थमा वार्ड बनाने के दिए निर्देश दिए हैं। डॉक्टर्स, नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ ऑन कॉल मौजूद रहेंगे। वह छुट्‌टी पर बाहर नहीं जा सकेंगे। इसके अलावा 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं सुचारु होंगी। एनसीआर में PM 10 बढ़ रहा दीवाली से पहले ही प्रदूषण से हवा की स्थिति बिगड़ गई है। गुरुग्राम में तो वायु की गुणवत्ता (AQI) 500 तक पहुंच गया है। जिससे सामान्य आदमी भी बीमार हो सकता है। प्रदेश में PM-10 बढ़ने लगा है। इससे गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी में ज्यादा दिक्कतें हो सकती है। हालात बिगड़ते देख दिल्ली NCR में ग्रैप टू लागू कर दिया गया है। हरियाणा के 14 जिले एनसीआर में आते हैं। जिसमें फरीदाबाद, गुरुग्राम, नूंह, रोहतक, सोनीपत, रेवाड़ी, झज्जर, पानीपत, पलवल, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़, जींद और करनाल शामिल हैं। लगातार बढ़ते प्रदूषण के बावजूद पराली जलने के मामले थम नहीं रहे हैं। प्रदेश में अब तक 726 जगहों पर पराली जलाई जा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा सरकार भी कुछ एक्शन में नजर आ रही है।सरकार ने 26 कर्मचारी सस्पेंड कर दिए हैं। इन कर्मचारियों पर जल्द ही एफआईआर भी दर्ज हो सकती है। PM 10 इतना खतरनाक, गले-फेफड़ों में जा सकते हैं कण, GRAP 4 लगना संभव PM10 में निर्माण स्थलों, लैंडफिल और कृषि, जंगल की आग और ब्रश,कचरा जलाने, औद्योगिक स्रोतों, खुली जमीन से हवा में उड़ने वाली धूल, पराग और बैक्टीरिया के टुकड़े भी शामिल होते हैं। पीएम 10 कण इतने छोटे होते हैं कि वे आपके गले और फेफड़ों में जा सकते हैं। पीएम 10 का उच्च स्तर आपको खांसी, नाक बहना और आंखों में जलन पैदा कर सकता है। पीएम 10 का स्तर अधिक होने पर हृदय या फेफड़ों की बीमारी वाले लोगों में अधिक लक्षण हो सकते हैं। लक्षणों में घरघराहट, सीने में जकड़न या सांस लेने में कठिनाई शामिल हो सकती है। ये हालात और बिगड़े तो फिर GRAP-4 लागू हो सकता है। जिसका मतलब है कि प्रदूषित हवा से हेल्थ इमरजेंसी के हालात बन सकते हैं। प्रदेश में पराली जलाने के 13 केस मिले प्रदेश में पराली जलाने के 13 नए केस मिले हैं। इनको मिलाकर कुल आंकड़ा 726 पर पहुंच गया है। कुरुक्षेत्र, कैथल, पलवल और अंबाला जिले में दो-दो तीन-तीन केस मिले हैं और सिरसा और करनाल में एक-एक केस मिला है। ऐसे में कृषि विभाग और प्रशासन ने अब पराली जलाने की घटनाओं पर सख्ती ज्यादा कर दी है। पराली जलाने पर सीधा केस दर्ज करने और फसल की पोर्टल पर रेड एंट्री करने के बाद काफी कमी आई है। WHO के मुताबिक वायु प्रदूषण से इन बीमारियों का खतरा 1. अस्थमा: सांस लेने में कठिनाई होती है, छाती में दबाव महसूस होता है और खांसी भी आती है। ऐसा तब होता है जब व्यक्ति की श्वसन नली में रुकावट आने लगती है। यह रुकावट एलर्जी (हवा या प्रदूषण) और कफ से आती है। कई रोगियों में यह भी देखा गया है कि सांस लेने की नली में सूजन भी आ जाती है। 2. फेफड़ों का कैंसर: स्मॉल सेल लंग कैंसर (SCLC) प्रदूषण और धूम्रपान से होने वाला कैंसर है। इसका पता तब चलता है जब SCLC शरीर के अलग-अलग हिस्सों में फैल चुका होता है। साथ ही, नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर (NSCLC) तीन तरह के होते हैं। एडेनोकार्सिनोमा, स्क्वैमस सेल कार्सिनोमा और लार्ज सेल कार्सिनोमा। 3. हार्ट अटैक : वायु प्रदूषण से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। जहरीली हवा के PM 2.5 के बारीक कण खून में चले जाते हैं। इससे धमनियों में सूजन आ जाती हैं। 4. बच्चों में सांस की दिक्कत: बच्चों को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह नाक, गले और फेफड़ों को संक्रमित करता है, जो सांस लेने में मदद करने वाले अंग हैं। बच्चों को इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। 5 साल से कम उम्र के बच्चे इस बीमारी से सबसे ज्यादा मरते हैं। 5. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) : क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) एक सांस संबंधी बीमारी है जिसमें मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है। यह बहुत खतरनाक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सबसे ज्यादा लोग सीओपीडी से मरते हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर