गुरुग्राम में सोहना सीट पर कई दिग्गजों की नजर:पूर्व MP जौनपुरिया तलाश रहे राजनीतिक जमीन; रिटायर्ड HCS नरेंद्र यादव दे रहे टक्कर

गुरुग्राम में सोहना सीट पर कई दिग्गजों की नजर:पूर्व MP जौनपुरिया तलाश रहे राजनीतिक जमीन; रिटायर्ड HCS नरेंद्र यादव दे रहे टक्कर

हरियाणा के गुरुग्राम में बढ़ रहे चुनावी पारे के बीच सोहना-तावडू विधानसभा सीट भी इस समय हॉट सीट बनी हुई है। यहां पर मौजूदा भाजपा विधायक एवं मंत्री संजय सिंह की टिकट पर तलवार लटकी हुई है। वहीं 2014 से राजस्थान में राजनीति कर रहे वाले सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर से इस एरिया में चुनावी रण में कूदने की रणनीति बना रहे हैं। हालांकि पूर्व सूचना आयुक्त एवं एचसीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह यादव कड़ी चुनौती दे रहे हैं। सोहना-तावडू विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से अधिकतर बाहरी प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए हैं। एक प्रकार से बाहरी नेताओं के लिए यह सीट सोने से कम नहीं है। यहां के वोटर्स स्थानीय नेताओं को अधिक तवोज्जों नहीं देते हैं। इसी के चलते दूसरे क्षेत्र के आयतित नेता यहां से चुनाव जीतते आए हैं। इस चुनाव में यहां पर राजनीतिक नेताओं व प्रशासनिक सेवा से राजनीति मैदान में कूद रहे नरेंद्र सिंह यादव के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। विधायक की कार्य प्रणाली से लोग नाराज मौजूदा विधायक संजय सिंह की कार्यप्रणाली से स्थानीय लोग खासे नाराज हैं और इसको लेकर कई बार सार्वजनिक तौर पर लोगों ने उनका विरोध भी हो चुका है। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के प्रति उनकी उदासीनता ने उनकी टिकट पर भी संशय पैदा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में 10 साल की राजनीतिक पारी खेलने के बाद सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर सोहना का रुख कर रहे हैं। हालांकि पहले वह अपने बेटे के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने कोई सकारात्मक संदेश नहीं दिए तो वह खुद ही चुनावी रण में उतरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बीजेपी भी हैट्रिक मारने के लिए नए चेहरे, अधिकारियों पर नजर गड़ाए हुए है। शायद बीजेपी से कोई संदेश मिलने के बाद ही नरेंद्र यादव क्षेत्र में लगातार सक्रिय होकर रैली, जनसभाएं कर रहे है। टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा से चुनाव हारे थे जौनापुरिया
2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में सुखबीर जौनपुरिया राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव जीते थे। हाल के चुनाव में वह 60 हजार से अधिक वोटों से रिटायर्ड आईपीएस कांग्रेस प्रत्याशी हरीश मीणा से परास्त हुए थे। अब वह अपनी सियासी जमीन एक बार फिर से सोहना में तलाशते नजर आ रहे हैं। नरेंद्र यादव को मिल रहा समर्थन
नरेंद्र यादव ने अपने 37 साल के प्रशासनिक कार्यकाल का अधिकतर समय इसी विधानसभा में व्यतित किया है। तहसीलदार, आरटीओ, एसडीएम के रूप में उन्होंने यहां पर आम लोगों के लिए बहुत काम किया। बाघनकी गांव के सरपंच राजबीर ने भास्कर को बताया कि वह सामाजिक कार्यों के साथ ही लोगों से पारिवारिक रिश्ते रखते थे। इसी के चलते हर वर्ग उनको अपना मानता था। प्रशासनिक समझ व अनुभव के चलते लोगों को भी लग रहा है कि नेता के बजाए इस बार प्रशासनिक अधिकारी रहे नरेंद्र यादव पर एतबार किया जाए। खुद नरेंद्र बताते हैं कि क्षेत्र में विकास के साथ ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाना और लोगों के काम अधिकारियों से करवाना उन्हें भलीभांति आता है। इसी के चलते आम लोग पूर्व सूचना आयुक्त नरेंद्र यादव की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखकर उनको चुनावी रण में उतारने को बेताब हैं। दो नेता ही लगातार दो चुनाव जीते
यहां पर दो बार ही 1968 व 1972 में कन्हैयालाल पोसवाल एवं 1987-1991 में राव धर्मपाल ही लगातार दो चुनाव जीते हैं। इस समीकरण के चलते भी मौजूदा विधायक संजय सिंह की सांसे ऊपर-नीचे हो रहीं हैं। हरियाणा के गुरुग्राम में बढ़ रहे चुनावी पारे के बीच सोहना-तावडू विधानसभा सीट भी इस समय हॉट सीट बनी हुई है। यहां पर मौजूदा भाजपा विधायक एवं मंत्री संजय सिंह की टिकट पर तलवार लटकी हुई है। वहीं 2014 से राजस्थान में राजनीति कर रहे वाले सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर से इस एरिया में चुनावी रण में कूदने की रणनीति बना रहे हैं। हालांकि पूर्व सूचना आयुक्त एवं एचसीएस अधिकारी नरेंद्र सिंह यादव कड़ी चुनौती दे रहे हैं। सोहना-तावडू विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यहां से अधिकतर बाहरी प्रत्याशी ही चुनाव जीतते आए हैं। एक प्रकार से बाहरी नेताओं के लिए यह सीट सोने से कम नहीं है। यहां के वोटर्स स्थानीय नेताओं को अधिक तवोज्जों नहीं देते हैं। इसी के चलते दूसरे क्षेत्र के आयतित नेता यहां से चुनाव जीतते आए हैं। इस चुनाव में यहां पर राजनीतिक नेताओं व प्रशासनिक सेवा से राजनीति मैदान में कूद रहे नरेंद्र सिंह यादव के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। विधायक की कार्य प्रणाली से लोग नाराज मौजूदा विधायक संजय सिंह की कार्यप्रणाली से स्थानीय लोग खासे नाराज हैं और इसको लेकर कई बार सार्वजनिक तौर पर लोगों ने उनका विरोध भी हो चुका है। चुनाव जीतने के बाद क्षेत्र के प्रति उनकी उदासीनता ने उनकी टिकट पर भी संशय पैदा कर दिया है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में 10 साल की राजनीतिक पारी खेलने के बाद सुखबीर जौनपुरिया एक बार फिर सोहना का रुख कर रहे हैं। हालांकि पहले वह अपने बेटे के लिए प्रयास कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने कोई सकारात्मक संदेश नहीं दिए तो वह खुद ही चुनावी रण में उतरने की कोशिश में जुटे हुए हैं। बीजेपी भी हैट्रिक मारने के लिए नए चेहरे, अधिकारियों पर नजर गड़ाए हुए है। शायद बीजेपी से कोई संदेश मिलने के बाद ही नरेंद्र यादव क्षेत्र में लगातार सक्रिय होकर रैली, जनसभाएं कर रहे है। टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा से चुनाव हारे थे जौनापुरिया
2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में सुखबीर जौनपुरिया राजस्थान की टोंक-सवाई माधोपुर सीट से चुनाव जीते थे। हाल के चुनाव में वह 60 हजार से अधिक वोटों से रिटायर्ड आईपीएस कांग्रेस प्रत्याशी हरीश मीणा से परास्त हुए थे। अब वह अपनी सियासी जमीन एक बार फिर से सोहना में तलाशते नजर आ रहे हैं। नरेंद्र यादव को मिल रहा समर्थन
नरेंद्र यादव ने अपने 37 साल के प्रशासनिक कार्यकाल का अधिकतर समय इसी विधानसभा में व्यतित किया है। तहसीलदार, आरटीओ, एसडीएम के रूप में उन्होंने यहां पर आम लोगों के लिए बहुत काम किया। बाघनकी गांव के सरपंच राजबीर ने भास्कर को बताया कि वह सामाजिक कार्यों के साथ ही लोगों से पारिवारिक रिश्ते रखते थे। इसी के चलते हर वर्ग उनको अपना मानता था। प्रशासनिक समझ व अनुभव के चलते लोगों को भी लग रहा है कि नेता के बजाए इस बार प्रशासनिक अधिकारी रहे नरेंद्र यादव पर एतबार किया जाए। खुद नरेंद्र बताते हैं कि क्षेत्र में विकास के साथ ही सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाना और लोगों के काम अधिकारियों से करवाना उन्हें भलीभांति आता है। इसी के चलते आम लोग पूर्व सूचना आयुक्त नरेंद्र यादव की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखकर उनको चुनावी रण में उतारने को बेताब हैं। दो नेता ही लगातार दो चुनाव जीते
यहां पर दो बार ही 1968 व 1972 में कन्हैयालाल पोसवाल एवं 1987-1991 में राव धर्मपाल ही लगातार दो चुनाव जीते हैं। इस समीकरण के चलते भी मौजूदा विधायक संजय सिंह की सांसे ऊपर-नीचे हो रहीं हैं।   हरियाणा | दैनिक भास्कर