हरियाणा के जींद में जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ विरोधियों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। चेयरपर्सन के खिलाफ वोटिंग में विरोधी गुट से एक भी पार्षद नहीं पहुंचा। करीब 30 मिनट तक इंतजार के बाद बैठक की अध्यक्षता कर रहे डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने प्रस्ताव को असफल घोषित कर दिया। नियमानुसार अब अगले एक साल तक विरोधी पक्ष अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाएंगे। हालांकि शनिवार को चेयरपर्सन के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अविश्वास प्रस्ताव गिर सकता है, क्योंकि विरोधी खेमे के पार्षद भी भाजपा समर्थित ही थे। ऐसे में मनीषा रंधावा ने भाजपा में शामिल होकर पासा पलट दिया। इससे पहले तीन बार चेयरपर्सन के खिलाफ वोटिंग के लिए निर्धारित बैठकें कैंसिल हो चुकी हैं। सोमवार को चौथी बार दोपहर बाद तीन बजे से साढ़े तीन बजे का समय अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तय किया गया था। डीसी मोहम्मद इमरान रजा बैठक में समय पर पहुंच गए। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा और सीईओ, डीडीपीओ संदीप भारद्वाज समेत दूसरे अधिकारी पहुंच गए थे। वोटिंग शुरू हुई लेकिन विरोधी खेमे से कोई भी पार्षद नहीं आया। प्रशासनिक अधिकारी द्वारा तीन बजकर 20 मिनट तक इंतजार के बाद जिला परिषद हाल के बाहर आकर अनाउंस किया। लेकिन कोई पार्षद नहीं पहुंचा तो साढ़े तीन बजे के बाद अविश्वास प्रस्ताव को असफल घोषित कर दिया गया। एक वोट से जीतकर चेयरपर्सन बनी थीं मनीषा रंधावा जनवरी 2022 में तत्कालीन डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और जेजेपी के समर्थन के साथ मनीषा रंधावा एक वोट से जीतकर जिला परिषद की चेयरपर्सन बनी थी। पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले मनीषा रंधावा के पति कुलदीप रंधावा जेजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और जुलाना से विनेश फोगाट के समर्थन में प्रचार किया। 2 दिसंबर 2024 को जिप वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला सहित 18 पार्षदों ने चेयरपर्सन को कुर्सी से हटाने के लिए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए डीसी मोहम्मद इमरान रजा को शपथ पत्र सौंपे थे। चेयरपर्सन को कुर्सी से हटाने के लिए पर्दे के पीछे एक भाजपा मुख्य भूमिका में था। 13 दिसंबर को पहली बार बुलाई बैठक डीसी के अवकाश पर जाने पर स्थगित हो गई। उसके बाद 22 जनवरी और 11 फरवरी को बुलाई बैठक भी डीसी के नहीं पहुंचने के कारण कैंसिल हो गई। लेकिन बैठक का बार-बार कैंसिल होने का असल कारण ये था कि विरोधियों के पास पूर्ण बहुमत नहीं हो पा रहा था। चेयरपर्सन को अपनी कुर्सी बचाने के लिए 25 पार्षदों में से नौ का ही समर्थन चाहिए था। जबकि वे 12 से 13 पार्षद उनके साथ होने का दावा कर रही थी। शनिवार को मनीषा रंधावा और उसके पति कुलदीप रंधावा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने रोहतक में उन्हें विधिवत रूप से भाजपा में शामिल करवा लिया। सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद अब अगले एक साल के लिए चेयरपर्सन की कुर्सी सेफ हो गई है। अपने ही बुने जाल में उलझ कर फजीहत करवा बैठे विरोधी
जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ जिला परिषद में बगावत का झंडा उठाने वाले उनके विरोधी अपने ही जाल में उलझ कर अपनी फजीहत करवा बैठे। इनमें जिला परिषद के वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला समेत एक दर्जन से ज्यादा पार्षद शामिल थे, जिन्होंने चेयरपर्सन के खिलाफ कोई कारगर और पुख्ता रणनीति बनाए बिना ही अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पिछले साल तैश में आकर दे दिया था। विरोधी खेमा कभी भी अपने साथ जिला परिषद के दो- तिहाई पार्षदों का समर्थन अढ़ाई महीने से भी ज्यादा के समय मिलने के बाद भी नहीं जुटा पाया। सोमवार को जिस तरह विरोधी गुट का अविश्वास प्रस्ताव गिरा, जिसमें विरोधी गुट बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया, उससे विरोधी गुट की खासी फजीहत हुई है। हरियाणा के जींद में जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ विरोधियों द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव गिर गया है। चेयरपर्सन के खिलाफ वोटिंग में विरोधी गुट से एक भी पार्षद नहीं पहुंचा। करीब 30 मिनट तक इंतजार के बाद बैठक की अध्यक्षता कर रहे डीसी मोहम्मद इमरान रजा ने प्रस्ताव को असफल घोषित कर दिया। नियमानुसार अब अगले एक साल तक विरोधी पक्ष अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाएंगे। हालांकि शनिवार को चेयरपर्सन के भाजपा ज्वाइन करने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि अविश्वास प्रस्ताव गिर सकता है, क्योंकि विरोधी खेमे के पार्षद भी भाजपा समर्थित ही थे। ऐसे में मनीषा रंधावा ने भाजपा में शामिल होकर पासा पलट दिया। इससे पहले तीन बार चेयरपर्सन के खिलाफ वोटिंग के लिए निर्धारित बैठकें कैंसिल हो चुकी हैं। सोमवार को चौथी बार दोपहर बाद तीन बजे से साढ़े तीन बजे का समय अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग के लिए तय किया गया था। डीसी मोहम्मद इमरान रजा बैठक में समय पर पहुंच गए। चेयरपर्सन मनीषा रंधावा और सीईओ, डीडीपीओ संदीप भारद्वाज समेत दूसरे अधिकारी पहुंच गए थे। वोटिंग शुरू हुई लेकिन विरोधी खेमे से कोई भी पार्षद नहीं आया। प्रशासनिक अधिकारी द्वारा तीन बजकर 20 मिनट तक इंतजार के बाद जिला परिषद हाल के बाहर आकर अनाउंस किया। लेकिन कोई पार्षद नहीं पहुंचा तो साढ़े तीन बजे के बाद अविश्वास प्रस्ताव को असफल घोषित कर दिया गया। एक वोट से जीतकर चेयरपर्सन बनी थीं मनीषा रंधावा जनवरी 2022 में तत्कालीन डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और जेजेपी के समर्थन के साथ मनीषा रंधावा एक वोट से जीतकर जिला परिषद की चेयरपर्सन बनी थी। पिछले साल विधानसभा चुनावों से पहले मनीषा रंधावा के पति कुलदीप रंधावा जेजेपी छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए और जुलाना से विनेश फोगाट के समर्थन में प्रचार किया। 2 दिसंबर 2024 को जिप वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला सहित 18 पार्षदों ने चेयरपर्सन को कुर्सी से हटाने के लिए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए डीसी मोहम्मद इमरान रजा को शपथ पत्र सौंपे थे। चेयरपर्सन को कुर्सी से हटाने के लिए पर्दे के पीछे एक भाजपा मुख्य भूमिका में था। 13 दिसंबर को पहली बार बुलाई बैठक डीसी के अवकाश पर जाने पर स्थगित हो गई। उसके बाद 22 जनवरी और 11 फरवरी को बुलाई बैठक भी डीसी के नहीं पहुंचने के कारण कैंसिल हो गई। लेकिन बैठक का बार-बार कैंसिल होने का असल कारण ये था कि विरोधियों के पास पूर्ण बहुमत नहीं हो पा रहा था। चेयरपर्सन को अपनी कुर्सी बचाने के लिए 25 पार्षदों में से नौ का ही समर्थन चाहिए था। जबकि वे 12 से 13 पार्षद उनके साथ होने का दावा कर रही थी। शनिवार को मनीषा रंधावा और उसके पति कुलदीप रंधावा को भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने रोहतक में उन्हें विधिवत रूप से भाजपा में शामिल करवा लिया। सोमवार को अविश्वास प्रस्ताव गिरने के बाद अब अगले एक साल के लिए चेयरपर्सन की कुर्सी सेफ हो गई है। अपने ही बुने जाल में उलझ कर फजीहत करवा बैठे विरोधी
जिला परिषद चेयरपर्सन मनीषा रंधावा के खिलाफ जिला परिषद में बगावत का झंडा उठाने वाले उनके विरोधी अपने ही जाल में उलझ कर अपनी फजीहत करवा बैठे। इनमें जिला परिषद के वाइस चेयरमैन सतीश हथवाला समेत एक दर्जन से ज्यादा पार्षद शामिल थे, जिन्होंने चेयरपर्सन के खिलाफ कोई कारगर और पुख्ता रणनीति बनाए बिना ही अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस पिछले साल तैश में आकर दे दिया था। विरोधी खेमा कभी भी अपने साथ जिला परिषद के दो- तिहाई पार्षदों का समर्थन अढ़ाई महीने से भी ज्यादा के समय मिलने के बाद भी नहीं जुटा पाया। सोमवार को जिस तरह विरोधी गुट का अविश्वास प्रस्ताव गिरा, जिसमें विरोधी गुट बैठक में भाग लेने के लिए पहुंचने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया, उससे विरोधी गुट की खासी फजीहत हुई है। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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