गुरुग्राम मेयर पति को सलाहकार पद से हटाया:निगम कमिश्नर ने वापस लिए नियुक्ति के आदेश, विपक्ष ने खड़े किए थे सवाल

गुरुग्राम मेयर पति को सलाहकार पद से हटाया:निगम कमिश्नर ने वापस लिए नियुक्ति के आदेश, विपक्ष ने खड़े किए थे सवाल

गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा ​​के पति तिलकराज मल्होत्रा को सलाहकार पद से हटा दिया गया है। एक सप्ताह पहले ही नगर निगम आयुक्त अशोक गर्ग ने मेयर के पति और पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष तिलकराज मल्होत्रा ​​की नियुक्ति के संबंध में पत्र जारी किया था, लेकिन विपक्ष द्वारा सवाल खड़ा किए जाने के बाद निगमायुक्त को अपना फैसला बदलना पड़ा। तिलकराज मल्होत्रा ​को ​मेयर द्वारा सौंपे गए कार्यों में सहयोग करना था। हालांकि उनका पद पूरी तरह अवैतनिक था और वे नगर निगम से किसी भी तरह का फायदा नहीं ले सकते थे। लेकिन इस नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया था। भाजपा की निर्वाचित मेयर राजरानी मल्होत्रा द्वारा अपने पति को निजी सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने इस कदम को संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ और महिला आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ बताया और यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की थी। विपक्ष ने कहा था कि यह नियुक्ति भाजपा द्वारा परिवारवाद के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों की पोल खोलती है। एक्ट के अनुसार ब्लड रिलेशन ऐसे पद का प्रावधान नहीं है। अगर पतियों को सदन चलाना है तो महिला आरक्षण का मतलब ही खत्म हो जाता है। फिर तो महिला पार्षद के पति भी सलाहकार बन सकते हैं। कुछ पार्षदों ने भी इस पर एतराज जताया है। उनका कहना था कि नगर निगम गुरुग्राम कमिश्नर ने मेयर पति को सलाहकार बनाकर म्युनिसिपल एक्ट का मजाक उड़ाया है। ऐसे में किरकिरी होने के बाद निगम कमिश्नर अशोक गर्ग ने अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। पूर्व में लड़ चुके हैं चुनाव तिलकराज मल्होत्रा दो दशक पूर्व बीजेपी जिला अध्यक्ष रहे हैं और वे पूर्व में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। गुरुग्राम में मेयर के लिए पीए तो लगाए जाते रहे हैं, लेकिन मेयर के पति को ही सलाहकार पहली बार बनाया गया था। गुरुग्राम की मेयर राजरानी मल्होत्रा ​​के पति तिलकराज मल्होत्रा को सलाहकार पद से हटा दिया गया है। एक सप्ताह पहले ही नगर निगम आयुक्त अशोक गर्ग ने मेयर के पति और पूर्व भाजपा जिला अध्यक्ष तिलकराज मल्होत्रा ​​की नियुक्ति के संबंध में पत्र जारी किया था, लेकिन विपक्ष द्वारा सवाल खड़ा किए जाने के बाद निगमायुक्त को अपना फैसला बदलना पड़ा। तिलकराज मल्होत्रा ​को ​मेयर द्वारा सौंपे गए कार्यों में सहयोग करना था। हालांकि उनका पद पूरी तरह अवैतनिक था और वे नगर निगम से किसी भी तरह का फायदा नहीं ले सकते थे। लेकिन इस नियुक्ति को लेकर सियासी घमासान शुरू हो गया था। भाजपा की निर्वाचित मेयर राजरानी मल्होत्रा द्वारा अपने पति को निजी सलाहकार के रूप में नियुक्त किए जाने पर कांग्रेस नेत्री पर्ल चौधरी ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी। उन्होंने इस कदम को संविधान की आत्मा के साथ खिलवाड़ और महिला आरक्षण के मूल उद्देश्य के खिलाफ बताया और यह नियुक्ति तत्काल प्रभाव से रद्द करने की मांग की थी। विपक्ष ने कहा था कि यह नियुक्ति भाजपा द्वारा परिवारवाद के खिलाफ दिए जाने वाले बयानों की पोल खोलती है। एक्ट के अनुसार ब्लड रिलेशन ऐसे पद का प्रावधान नहीं है। अगर पतियों को सदन चलाना है तो महिला आरक्षण का मतलब ही खत्म हो जाता है। फिर तो महिला पार्षद के पति भी सलाहकार बन सकते हैं। कुछ पार्षदों ने भी इस पर एतराज जताया है। उनका कहना था कि नगर निगम गुरुग्राम कमिश्नर ने मेयर पति को सलाहकार बनाकर म्युनिसिपल एक्ट का मजाक उड़ाया है। ऐसे में किरकिरी होने के बाद निगम कमिश्नर अशोक गर्ग ने अपना फैसला वापस लेना पड़ा है। पूर्व में लड़ चुके हैं चुनाव तिलकराज मल्होत्रा दो दशक पूर्व बीजेपी जिला अध्यक्ष रहे हैं और वे पूर्व में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। गुरुग्राम में मेयर के लिए पीए तो लगाए जाते रहे हैं, लेकिन मेयर के पति को ही सलाहकार पहली बार बनाया गया था।   हरियाणा | दैनिक भास्कर