किसी बच्चे का नाम तक न रखा गया हो और उसके सिर से पिता का साया उठ जाए तो मां पर क्या बीत रही होगी। कुछ ऐसा ही दर्द नीचे तस्वीर में दिख रही बेबस शानू का है। हाथ में डेढ़ महीने का बच्चा है। बच्चे का अभी नामकरण भी नहीं हुआ, लेकिन पिता की दर्दनाक मौत हो गई। मौत भी कैसे? बरेली में कार पुल से नीचे गिर गई। अधूरा पुल गूगल मैप पर बिल्कुल सही यानी कि पूरा दिखा रहा था। कोई बैरिकेड्स नहीं लगे थे। पति को खो चुकी शानू गुमसुम बैठी रहती हैं। शादी के 6 साल बाद घर में बच्चे की किलकारी तो गूंजी, लेकिन 45 दिन बाद ही सब तबाह हो गया। दैनिक भास्कर टीम बरेली में टूटे हुए पुल से गिरकर मरने वाले लोगों के घर पहुंची। मौत के बाद बेसहारा हो चुके लोगों से मिली। उन बच्चों को भी देखा, जिनके पिता अब दुनिया में नहीं रहे। उन परिजनों का दर्द महसूस किया, जिनको बुढ़ापे में कभी खत्म न होने वाले दुख मिल गया। इस पूरे केस को समझा। पढ़िए, परिवारों की बेबसी… शादी के एक दिन पहले सभी गुरुग्राम से निकले थे
फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव के विवेक चौहान उर्फ अजीत और कौशल चौहान उर्फ नितिन करीब 10 साल से गुरुग्राम में रहते थे। कौशल शुरुआत में दूसरे की कार चलाते थे, पैसा इकट्ठा करके वैगनआर कार खरीद ली और उसे ओला-उबर में चलाने लगे। विवेक गुरुग्राम की ही एक सिक्योरिटी कंपनी में नौकरी करते थे। विवेक और कौशल चचेरे भाई हैं। दोनों का परिवार इमादपुर गांव में ही रहता है। ये लोग जब भी मौका मिलता या फिर छुट्टी मिलती अपने घर आ जाते थे। 24 नवंबर को परिवार के ही भाई लगने वाले राजेश चौहान की बेटी सृष्टि की शादी थी। शादी बरेली में फरीदपुर के राम रहीम गेस्ट हाउस में होनी थी। परिवार से बात करने के बाद कौशल और विवेक ने तय किया कि हम लोग गुरुग्राम से ही शादी में चले जाएंगे। बाकी लोगों को आने की जरूरत नहीं है। विवेक और कौशल के ही साथ मैनपुरी के अमित भी रहते थे। दोनों की अमित से अच्छी दोस्ती थी, इसलिए उन्हें भी शादी में चलने के लिए राजी कर लिया। 23 नवंबर की रात 11 बजे तीनों गुरुग्राम से बरेली के लिए निकल लिए। मुरादाबाद-बरेली रूट पकड़ने के बजाय इन लोगों ने बदायूं के रास्ते फरीदपुर जाने का फैसला किया। गाड़ी कौशल चला रहे थे। रात में कोहरे के चलते मैप लगा रखा था। रात में रास्ते में रुककर तीनों लोगों ने आराम भी किया। 24 नवंबर की सुबह करीब 7 बजे तीनों फरीदपुर के खल्लपुर पहुंचे। यहीं बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज को जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर पुल बना हुआ है। बरेली की तरफ वाला हिस्सा पिछले साल जुलाई में बह गया था। बदायूं की तरफ से मैप के जरिए यह पुल पूरा दिख रहा था। गाड़ी तेजी से आगे बढ़ी, अचानक टूटा हुआ पुल दिखा। गाड़ी चला रहे कौशल ने 30 फीट पहले ब्रेक मारी, लेकिन गाड़ी इतनी तेज थी कि घिसटते हुए पुल से नीचे जा गिरी। गाड़ी चकनाचूर हो गई। आवाज सुनकर आसपास के लोग पहुंचे, लेकिन तब तक कौशल, विवेक और अमित की मौत हो चुकी थी। मैंने शादी में जाने से मना किया था, लेकिन वो चले गए
हम पीड़ित परिवार से मिलने फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव पहुंचे। सबसे पहले कौशल के घर गए। तीन कमरों का घर। अभी प्लास्टर नहीं हुआ। घर के अंदर जमीन पर ही पत्नी शानू लेटी हुई थीं। पास में कौशल की मां और बहन बैठी थीं। हमने शानू से बात की। वह बताती हैं, 20 अप्रैल, 2018 को हमारी शादी हुई थी। 10 अक्तूबर, 2024 को ऑपरेशन से बेटा पैदा हुआ। उसके बाद हम कुछ दिन के लिए अपने मायके चले गए। हमने पूछा कि आपकी कौशल से आखिरी बार बातचीत कब हुई। शानू कहती हैं, 23 नवंबर की रात करीब 9 बजे तीन मिनट बात की थी। हमने उन्हें शादी में आने से मना किया तो उन्होंने फोन काट दिया। इसके बाद अगले दिन 10 बजे पता चला कि पुल के नीचे गाड़ी गिर जाने से उनकी मौत हो गई। इतना कहने के बाद वह चुप हो जाती हैं। शानू का बेटा 50 दिन का हो गया। उसका कोई नाम नहीं रखा गया है। 10 अक्टूबर को ही उद्योगपति रतन टाटा का निधन हुआ था, इसलिए कौशल कहते थे कि अपने घर में रतन टाटा पैदा हुए हैं, कौशल अपने बेटे को रतन टाटा ही कहते थे। मां बोलीं- हम चाहते हैं कि बहू को मदद मिले
कौशल के घर में उनकी मां लता देवी और बहन शिवानी भी बैठी थीं। शिवानी कहती हैं, पहले कौशल भी सिक्योरिटी कंपनी में काम करते थे, बाद में छोटे भाई गुलशन के साथ मिलकर कार खरीदी और चलाने लगे थे। 8 अक्टूबर को आए थे, 10 तारीख को बेटा हुआ। इसी महीने 8 नवंबर को हम उनके ही साथ दिल्ली गए। वहां मामा के बेटी की शादी थी। उस शादी के बाद हम उनसे नहीं मिल पाए। मां लता देवी कहती हैं, हम चाहते हैं कि मदद मिले। बहू के पास छोटा सा बच्चा है। अभी तक कौशल के ही सहारे थे, अब बेचारी किसके सहारे रहेगी। हम सबका भी वही सहारा था। इतना कहने के बाद लता देवी रोने लगती हैं। अधूरा पुल छोड़ने वाले पति की मौत के जिम्मेदार कौशल के घर के बाद हम विवेक उर्फ अजीत के घर पहुंचे। दोनों ही घर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। घर के बाहर परिवार के बुजुर्ग बैठे थे। हम सबसे पहले विवेक की पत्नी पूजा के पास पहुंचे। गुमसुम बैठी पूजा बताती हैं, 23 नवंबर की रात उन्होंने फोन किया तो बड़े भइया से बात हुई थी। उन्होंने पूछा था कि आप भी शादी में चलेंगे क्या, तब भइया ने मना कर दिया था। हमने भी एक दिन पहले पूछा था तब उन्होंने कहा था कि हम जा तो रहे हैं। हमने पूजा से पूछा, आप इस घटना के पीछे किसे जिम्मेदार मानती हैं? पूजा कहती हैं, जिन्होंने अधूरा पुल छोड़ा वह मेरे पति की मौत के जिम्मेदार हैं। कोई क्लू तो देते, कुछ तो वहां होता जिसे वह देख लेते और और रुक जाते। विवेक की भाभी अल्का कहती हैं, घर में कोई दिक्कत होती और हम फोन कर देते थे तो 6 घंटे बाद वह घर पर ही दिखते थे। मायके से भी पूजा आर्थिक मजबूत नहीं है, यहां से भी हम लोग मजबूत नहीं हैं। हमारा जो कुछ भी था मेरा देवर था, हम लोग बर्बाद हो गए। घर के मुखिया थे विवेक। सरकार की वजह से यह सब हुआ, सरकार को ही मदद के लिए आगे आना चाहिए। इन बातों को बोलते वक्त उनकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। विवेक की 5 साल की बेटी अनवी स्कूल गई थी, खुश थी, उसे पता ही नहीं कि उसके पिता कहां हैं। 3 साल के बेटे से हमने पूछा तो वह कुछ बोल नहीं पाया। गूगल रास्ते की कमी बताता तो बेटा बच जाता घर के बाहर विवेक के पिता हरेंद्र सिंह बैठे थे। हमने पूछा कि क्या विवेक को उस रूट का रास्ता नहीं पता था? हरेंद्र कहते हैं, वह अलग रास्ता था। सुबह का वक्त था। कोहरा था इसलिए गूगल मैप के जरिए जा रहे थे। जैसे-जैसे गूगल रास्ता बताता गया वो लोग आगे बढ़ते चले गए। सड़क से पुल एकदम जुड़ा हुआ था। न कोई बैरिकेट लगा था न कोई अवरोधक था। आगे जब देखा कि रास्ता नहीं है तो ब्रेक लगाई, लेकिन गाड़ी नीचे चली गई। विवेक के भाई विजय कहते हैं, इस पूरे मामले में बदायूं प्रशासन पूरी तरह से ढीला है। पिछले साल जब पुल बह गया तो कुछ लगाया क्यों नहीं। ये कह रहे कि हमने वहां रोक के लिए बनाया है, जबकि हकीकत यह है कि वह मिट्टी एकदम ताजा थी, तुरंत बनाया हुआ था। सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी की गलती की वजह से यह हादसा हुआ। दूसरी गलती गूगल मैप की है, जो पुल पिछले साल बह गया आखिर उसे मैप में अपडेट क्यों नहीं किया। अगर रास्ता टूट चुका था तो उसे टूटा हुआ दिखाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया। घटना के तुरंत बाद उन्होंने इसे सही कर लिया। इस घटना में मरने वाले तीसरे व्यक्ति अमित सिंह थे। 38 साल के अमित मैनपुरी के बिछवां के रहने वाले थे। गुरुग्राम में ही सिक्योरिटी कंपनी में विवेक के सीनियर थे। उनकी मौत के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है। इस मामले में दातागंज के तहसीलदार छबिराम ने दादागंज थाने में पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता अभिषेक कुमार, सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ, अवर अभियंता अजय गंगवार, अवर अभियंता महाराज सिंह और गूगल मैप के लोकल प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। ————- हादसे से जुड़ी भास्कर की यह कवरेज भी पढ़ें… बाढ़ में बहे आधे पुल को गूगल पूरा दिखाता रहा:हादसे के बाद मैप सुधारा; बरेली में कार गिरने से हुई थी 3 की मौत टूटा पुल…गूगल मैप पर क्लियर रूट और प्रशासन की लापरवाही से 3 जिंदगियां खत्म हो गईं। बरेली में गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक और PWD के 4 अफसरों पर FIR दर्ज की गई। 24 नवंबर को गूगल मैप के सहारे फर्रुखाबाद के दो भाई और उनके दोस्त बदायूं में इस पुल पर पहुंचे। उन्हें बरेली में एक शादी फंक्शन में शामिल होना था। पुल बीच से टूटा हुआ था। कार 50 फीट नीचे रामगंगा नदी में गिर गई। पढ़ें पूरी खबर… किसी बच्चे का नाम तक न रखा गया हो और उसके सिर से पिता का साया उठ जाए तो मां पर क्या बीत रही होगी। कुछ ऐसा ही दर्द नीचे तस्वीर में दिख रही बेबस शानू का है। हाथ में डेढ़ महीने का बच्चा है। बच्चे का अभी नामकरण भी नहीं हुआ, लेकिन पिता की दर्दनाक मौत हो गई। मौत भी कैसे? बरेली में कार पुल से नीचे गिर गई। अधूरा पुल गूगल मैप पर बिल्कुल सही यानी कि पूरा दिखा रहा था। कोई बैरिकेड्स नहीं लगे थे। पति को खो चुकी शानू गुमसुम बैठी रहती हैं। शादी के 6 साल बाद घर में बच्चे की किलकारी तो गूंजी, लेकिन 45 दिन बाद ही सब तबाह हो गया। दैनिक भास्कर टीम बरेली में टूटे हुए पुल से गिरकर मरने वाले लोगों के घर पहुंची। मौत के बाद बेसहारा हो चुके लोगों से मिली। उन बच्चों को भी देखा, जिनके पिता अब दुनिया में नहीं रहे। उन परिजनों का दर्द महसूस किया, जिनको बुढ़ापे में कभी खत्म न होने वाले दुख मिल गया। इस पूरे केस को समझा। पढ़िए, परिवारों की बेबसी… शादी के एक दिन पहले सभी गुरुग्राम से निकले थे
फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव के विवेक चौहान उर्फ अजीत और कौशल चौहान उर्फ नितिन करीब 10 साल से गुरुग्राम में रहते थे। कौशल शुरुआत में दूसरे की कार चलाते थे, पैसा इकट्ठा करके वैगनआर कार खरीद ली और उसे ओला-उबर में चलाने लगे। विवेक गुरुग्राम की ही एक सिक्योरिटी कंपनी में नौकरी करते थे। विवेक और कौशल चचेरे भाई हैं। दोनों का परिवार इमादपुर गांव में ही रहता है। ये लोग जब भी मौका मिलता या फिर छुट्टी मिलती अपने घर आ जाते थे। 24 नवंबर को परिवार के ही भाई लगने वाले राजेश चौहान की बेटी सृष्टि की शादी थी। शादी बरेली में फरीदपुर के राम रहीम गेस्ट हाउस में होनी थी। परिवार से बात करने के बाद कौशल और विवेक ने तय किया कि हम लोग गुरुग्राम से ही शादी में चले जाएंगे। बाकी लोगों को आने की जरूरत नहीं है। विवेक और कौशल के ही साथ मैनपुरी के अमित भी रहते थे। दोनों की अमित से अच्छी दोस्ती थी, इसलिए उन्हें भी शादी में चलने के लिए राजी कर लिया। 23 नवंबर की रात 11 बजे तीनों गुरुग्राम से बरेली के लिए निकल लिए। मुरादाबाद-बरेली रूट पकड़ने के बजाय इन लोगों ने बदायूं के रास्ते फरीदपुर जाने का फैसला किया। गाड़ी कौशल चला रहे थे। रात में कोहरे के चलते मैप लगा रखा था। रात में रास्ते में रुककर तीनों लोगों ने आराम भी किया। 24 नवंबर की सुबह करीब 7 बजे तीनों फरीदपुर के खल्लपुर पहुंचे। यहीं बरेली के फरीदपुर और बदायूं के दातागंज को जोड़ने के लिए रामगंगा नदी पर पुल बना हुआ है। बरेली की तरफ वाला हिस्सा पिछले साल जुलाई में बह गया था। बदायूं की तरफ से मैप के जरिए यह पुल पूरा दिख रहा था। गाड़ी तेजी से आगे बढ़ी, अचानक टूटा हुआ पुल दिखा। गाड़ी चला रहे कौशल ने 30 फीट पहले ब्रेक मारी, लेकिन गाड़ी इतनी तेज थी कि घिसटते हुए पुल से नीचे जा गिरी। गाड़ी चकनाचूर हो गई। आवाज सुनकर आसपास के लोग पहुंचे, लेकिन तब तक कौशल, विवेक और अमित की मौत हो चुकी थी। मैंने शादी में जाने से मना किया था, लेकिन वो चले गए
हम पीड़ित परिवार से मिलने फर्रुखाबाद के इमादपुर गांव पहुंचे। सबसे पहले कौशल के घर गए। तीन कमरों का घर। अभी प्लास्टर नहीं हुआ। घर के अंदर जमीन पर ही पत्नी शानू लेटी हुई थीं। पास में कौशल की मां और बहन बैठी थीं। हमने शानू से बात की। वह बताती हैं, 20 अप्रैल, 2018 को हमारी शादी हुई थी। 10 अक्तूबर, 2024 को ऑपरेशन से बेटा पैदा हुआ। उसके बाद हम कुछ दिन के लिए अपने मायके चले गए। हमने पूछा कि आपकी कौशल से आखिरी बार बातचीत कब हुई। शानू कहती हैं, 23 नवंबर की रात करीब 9 बजे तीन मिनट बात की थी। हमने उन्हें शादी में आने से मना किया तो उन्होंने फोन काट दिया। इसके बाद अगले दिन 10 बजे पता चला कि पुल के नीचे गाड़ी गिर जाने से उनकी मौत हो गई। इतना कहने के बाद वह चुप हो जाती हैं। शानू का बेटा 50 दिन का हो गया। उसका कोई नाम नहीं रखा गया है। 10 अक्टूबर को ही उद्योगपति रतन टाटा का निधन हुआ था, इसलिए कौशल कहते थे कि अपने घर में रतन टाटा पैदा हुए हैं, कौशल अपने बेटे को रतन टाटा ही कहते थे। मां बोलीं- हम चाहते हैं कि बहू को मदद मिले
कौशल के घर में उनकी मां लता देवी और बहन शिवानी भी बैठी थीं। शिवानी कहती हैं, पहले कौशल भी सिक्योरिटी कंपनी में काम करते थे, बाद में छोटे भाई गुलशन के साथ मिलकर कार खरीदी और चलाने लगे थे। 8 अक्टूबर को आए थे, 10 तारीख को बेटा हुआ। इसी महीने 8 नवंबर को हम उनके ही साथ दिल्ली गए। वहां मामा के बेटी की शादी थी। उस शादी के बाद हम उनसे नहीं मिल पाए। मां लता देवी कहती हैं, हम चाहते हैं कि मदद मिले। बहू के पास छोटा सा बच्चा है। अभी तक कौशल के ही सहारे थे, अब बेचारी किसके सहारे रहेगी। हम सबका भी वही सहारा था। इतना कहने के बाद लता देवी रोने लगती हैं। अधूरा पुल छोड़ने वाले पति की मौत के जिम्मेदार कौशल के घर के बाद हम विवेक उर्फ अजीत के घर पहुंचे। दोनों ही घर एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। घर के बाहर परिवार के बुजुर्ग बैठे थे। हम सबसे पहले विवेक की पत्नी पूजा के पास पहुंचे। गुमसुम बैठी पूजा बताती हैं, 23 नवंबर की रात उन्होंने फोन किया तो बड़े भइया से बात हुई थी। उन्होंने पूछा था कि आप भी शादी में चलेंगे क्या, तब भइया ने मना कर दिया था। हमने भी एक दिन पहले पूछा था तब उन्होंने कहा था कि हम जा तो रहे हैं। हमने पूजा से पूछा, आप इस घटना के पीछे किसे जिम्मेदार मानती हैं? पूजा कहती हैं, जिन्होंने अधूरा पुल छोड़ा वह मेरे पति की मौत के जिम्मेदार हैं। कोई क्लू तो देते, कुछ तो वहां होता जिसे वह देख लेते और और रुक जाते। विवेक की भाभी अल्का कहती हैं, घर में कोई दिक्कत होती और हम फोन कर देते थे तो 6 घंटे बाद वह घर पर ही दिखते थे। मायके से भी पूजा आर्थिक मजबूत नहीं है, यहां से भी हम लोग मजबूत नहीं हैं। हमारा जो कुछ भी था मेरा देवर था, हम लोग बर्बाद हो गए। घर के मुखिया थे विवेक। सरकार की वजह से यह सब हुआ, सरकार को ही मदद के लिए आगे आना चाहिए। इन बातों को बोलते वक्त उनकी आंखों से लगातार आंसू गिर रहे थे। विवेक की 5 साल की बेटी अनवी स्कूल गई थी, खुश थी, उसे पता ही नहीं कि उसके पिता कहां हैं। 3 साल के बेटे से हमने पूछा तो वह कुछ बोल नहीं पाया। गूगल रास्ते की कमी बताता तो बेटा बच जाता घर के बाहर विवेक के पिता हरेंद्र सिंह बैठे थे। हमने पूछा कि क्या विवेक को उस रूट का रास्ता नहीं पता था? हरेंद्र कहते हैं, वह अलग रास्ता था। सुबह का वक्त था। कोहरा था इसलिए गूगल मैप के जरिए जा रहे थे। जैसे-जैसे गूगल रास्ता बताता गया वो लोग आगे बढ़ते चले गए। सड़क से पुल एकदम जुड़ा हुआ था। न कोई बैरिकेट लगा था न कोई अवरोधक था। आगे जब देखा कि रास्ता नहीं है तो ब्रेक लगाई, लेकिन गाड़ी नीचे चली गई। विवेक के भाई विजय कहते हैं, इस पूरे मामले में बदायूं प्रशासन पूरी तरह से ढीला है। पिछले साल जब पुल बह गया तो कुछ लगाया क्यों नहीं। ये कह रहे कि हमने वहां रोक के लिए बनाया है, जबकि हकीकत यह है कि वह मिट्टी एकदम ताजा थी, तुरंत बनाया हुआ था। सिंचाई विभाग और पीडब्ल्यूडी की गलती की वजह से यह हादसा हुआ। दूसरी गलती गूगल मैप की है, जो पुल पिछले साल बह गया आखिर उसे मैप में अपडेट क्यों नहीं किया। अगर रास्ता टूट चुका था तो उसे टूटा हुआ दिखाया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया। घटना के तुरंत बाद उन्होंने इसे सही कर लिया। इस घटना में मरने वाले तीसरे व्यक्ति अमित सिंह थे। 38 साल के अमित मैनपुरी के बिछवां के रहने वाले थे। गुरुग्राम में ही सिक्योरिटी कंपनी में विवेक के सीनियर थे। उनकी मौत के बाद परिवार में मातम छाया हुआ है। इस मामले में दातागंज के तहसीलदार छबिराम ने दादागंज थाने में पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता अभिषेक कुमार, सहायक अभियंता मोहम्मद आरिफ, अवर अभियंता अजय गंगवार, अवर अभियंता महाराज सिंह और गूगल मैप के लोकल प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। अब तक किसी की भी गिरफ्तारी नहीं हुई है। ————- हादसे से जुड़ी भास्कर की यह कवरेज भी पढ़ें… बाढ़ में बहे आधे पुल को गूगल पूरा दिखाता रहा:हादसे के बाद मैप सुधारा; बरेली में कार गिरने से हुई थी 3 की मौत टूटा पुल…गूगल मैप पर क्लियर रूट और प्रशासन की लापरवाही से 3 जिंदगियां खत्म हो गईं। बरेली में गूगल के क्षेत्रीय प्रबंधक और PWD के 4 अफसरों पर FIR दर्ज की गई। 24 नवंबर को गूगल मैप के सहारे फर्रुखाबाद के दो भाई और उनके दोस्त बदायूं में इस पुल पर पहुंचे। उन्हें बरेली में एक शादी फंक्शन में शामिल होना था। पुल बीच से टूटा हुआ था। कार 50 फीट नीचे रामगंगा नदी में गिर गई। पढ़ें पूरी खबर… उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर