गोहाना में अरविंद शर्मा पर ‘कमल’ खिलाने का दबाव:विरोध के बावजूद BJP ने दिया टिकट; यहां कभी मुकाबले में नहीं रही भाजपा

गोहाना में अरविंद शर्मा पर ‘कमल’ खिलाने का दबाव:विरोध के बावजूद BJP ने दिया टिकट; यहां कभी मुकाबले में नहीं रही भाजपा

हरियाणा के सोनीपत जिले की गोहाना विधानसभा सीट पर भाजपा ने विरोध के बावजूद रोहतक से लोकसभा चुनाव हारे पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने के पीछे भाजपा के चुनावी समीकरण क्या हैं, नेता व आमजन इसके जोड़तोड़ में जुट गए हैं। अरविंद शर्मा पर गोहाना हलके में ‘कमल खिलाने’ का दारोमदार है। इस हलके से भाजपा आज तक कोई विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। माना जा रहा है कि यहां पर भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था। हालांकि पहलवान योगेश्वर दत्त और 2019 में हारे तीर्थ राणा, वीरेंद्र आर्य भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन BJP ने तीनों को किनारे कर दिया। गोहाना हलके में ब्राह्मण समाज की वोट अन्य वर्गों की तुलना में काफी कम हैं। हलके का इतिहास देखें तो 1967 व 1968 के चुनाव में रामधारी गौड यहां से चुनाव जीते थे, इसके बाद से यहां ब्राह्मण समाज से कोई विधायक नहीं रहा है। अरविंद शर्मा का नाता भी हलके से केवल यही है कि वे सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। गोहाना एक जाट बहुल सीट है और 1967 से अब तक हुए विधानसभा के 13 चुनाव में से 10 बार जाट समाज से ही विधायक बना है। डा. अरविंद शर्मा ने वर्ष 1996 में सोनीपत लोकसभा से निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीतकर 2 लाख 71 हजार 552 वोट हासिल किए थे। भाजपा के स्थानीय नेता और पदाधिकारी बाहरी को टिकट देने का विरोध कर रहे थे। स्थानीय नेता सामूहिक तौर पर प्रदेशाध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं और दिल्ली में पहुंच कर विरोध भी जता चुके हैं। अब टिकट की घोषणा के बाद भाजपा के नेताओं का क्या रुख रहेगा इस पर सभी की नजर टिकी है। गोहाना से कभी नहीं जीती भाजपा
गोहाना विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। यहां हुए कुल 13 चुनावों में से 7 बार कांग्रेस जीती है। तीन चुनाव मे इनेलो-लोकदल के प्रत्याशी जीते। 1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के जगबीर सिंह मलिक जीते थे, वहीं 2 चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी। यहां भाजपा जीत के लिए तरस रही है। पिछड़ा वर्ग को लगा धक्का
गोहाना विधानसभा हलके में जातिय समीकरण की बात करें तो यहां 1 लाख 94 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब 92 हजार वोट जाट समुदाय और अन्य नॉन जाट समुदाय के शामिल हैं। पूरे हलके में एक भी ऐसा बड़ा गांव नहीं है, जहां ब्राह्मण समाज के 4-5 हजार वोट हों। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो गोहाना हलके में ब्राह्मण व इससे जुड़े अन्य वर्गों की वोट का आंकड़ा 10 हजार के करीब है। दूसरी तरफ एससी और बीसी समाज की वोटों की बात करें तो यह 65-70 हजार के करीब है। इसमें पिछड़ा वर्ग की वोट ज्यादा हैं। इसी को देखते हुए कुरुक्षेत्र के नेता राजकुमार सैनी भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। सैनी समाज से रामकुमार सैनी इनेलो की टिकट पर वर्ष 2000 में चुनाव भी जीत चुके हैं। 2014 में भाजपा की टिकट पर रामचंद्र जांगड़ा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार भी वे टिकट के दावेदार थे। अपने समाज की टिकट में अनदेखी से पिछड़ा वर्ग के लोगों में रोष है। देखें कब कौन किस पार्टी से बना विधायक हरियाणा के सोनीपत जिले की गोहाना विधानसभा सीट पर भाजपा ने विरोध के बावजूद रोहतक से लोकसभा चुनाव हारे पूर्व सांसद अरविंद शर्मा को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। बाहरी प्रत्याशी को टिकट देने के पीछे भाजपा के चुनावी समीकरण क्या हैं, नेता व आमजन इसके जोड़तोड़ में जुट गए हैं। अरविंद शर्मा पर गोहाना हलके में ‘कमल खिलाने’ का दारोमदार है। इस हलके से भाजपा आज तक कोई विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। माना जा रहा है कि यहां पर भाजपा के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था। हालांकि पहलवान योगेश्वर दत्त और 2019 में हारे तीर्थ राणा, वीरेंद्र आर्य भी टिकट मांग रहे थे, लेकिन BJP ने तीनों को किनारे कर दिया। गोहाना हलके में ब्राह्मण समाज की वोट अन्य वर्गों की तुलना में काफी कम हैं। हलके का इतिहास देखें तो 1967 व 1968 के चुनाव में रामधारी गौड यहां से चुनाव जीते थे, इसके बाद से यहां ब्राह्मण समाज से कोई विधायक नहीं रहा है। अरविंद शर्मा का नाता भी हलके से केवल यही है कि वे सोनीपत लोकसभा क्षेत्र से सांसद रह चुके हैं। गोहाना एक जाट बहुल सीट है और 1967 से अब तक हुए विधानसभा के 13 चुनाव में से 10 बार जाट समाज से ही विधायक बना है। डा. अरविंद शर्मा ने वर्ष 1996 में सोनीपत लोकसभा से निर्दलीय के तौर पर चुनाव जीतकर 2 लाख 71 हजार 552 वोट हासिल किए थे। भाजपा के स्थानीय नेता और पदाधिकारी बाहरी को टिकट देने का विरोध कर रहे थे। स्थानीय नेता सामूहिक तौर पर प्रदेशाध्यक्ष को पत्र लिख चुके हैं और दिल्ली में पहुंच कर विरोध भी जता चुके हैं। अब टिकट की घोषणा के बाद भाजपा के नेताओं का क्या रुख रहेगा इस पर सभी की नजर टिकी है। गोहाना से कभी नहीं जीती भाजपा
गोहाना विधानसभा क्षेत्र का इतिहास देखें तो यहां से भारतीय जनता पार्टी कभी भी विधानसभा चुनाव नहीं जीत सकी है। यहां हुए कुल 13 चुनावों में से 7 बार कांग्रेस जीती है। तीन चुनाव मे इनेलो-लोकदल के प्रत्याशी जीते। 1996 में बंसीलाल की हरियाणा विकास पार्टी के जगबीर सिंह मलिक जीते थे, वहीं 2 चुनावों में निर्दलीय प्रत्याशियों ने बाजी मारी। यहां भाजपा जीत के लिए तरस रही है। पिछड़ा वर्ग को लगा धक्का
गोहाना विधानसभा हलके में जातिय समीकरण की बात करें तो यहां 1 लाख 94 हजार मतदाता हैं। इनमें करीब 92 हजार वोट जाट समुदाय और अन्य नॉन जाट समुदाय के शामिल हैं। पूरे हलके में एक भी ऐसा बड़ा गांव नहीं है, जहां ब्राह्मण समाज के 4-5 हजार वोट हों। राजनीतिक दलों के नेताओं की मानें तो गोहाना हलके में ब्राह्मण व इससे जुड़े अन्य वर्गों की वोट का आंकड़ा 10 हजार के करीब है। दूसरी तरफ एससी और बीसी समाज की वोटों की बात करें तो यह 65-70 हजार के करीब है। इसमें पिछड़ा वर्ग की वोट ज्यादा हैं। इसी को देखते हुए कुरुक्षेत्र के नेता राजकुमार सैनी भी यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। सैनी समाज से रामकुमार सैनी इनेलो की टिकट पर वर्ष 2000 में चुनाव भी जीत चुके हैं। 2014 में भाजपा की टिकट पर रामचंद्र जांगड़ा ने चुनाव लड़ा था, लेकिन वे तीसरे नंबर पर रहे थे। इस बार भी वे टिकट के दावेदार थे। अपने समाज की टिकट में अनदेखी से पिछड़ा वर्ग के लोगों में रोष है। देखें कब कौन किस पार्टी से बना विधायक   हरियाणा | दैनिक भास्कर