चंडीगढ़ में बम ब्लास्ट, चौकी-थानों पर हमलों के कई आतंकी अब भी फरार हैं, जबकि इन मामलों में पुलिस अधिकारी और आईएएस तक शहीद हो गए। आरोपियों की पहचान होने के बावजूद भी पुलिस इन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। पुलिस के पास लगभग 17 आतंकियों की लिस्ट है, जिसमें बकायदा आरोपियों के नाम और पता है, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं सकी। सीएम समेत हुई थी 18 लोगों की हत्या 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास हुए बम ब्लास्ट में सीएम बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की हत्या हुई थी। अंबाला के थाना नग्गल के अंतर्गत रहने वाले पुरुषोत्तम और जम्मू स्थित कटरा के तलवारा कॉलोनी निवासी आतंकी जगरूप सिंह उर्फ निहंग को 1996 में भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ में हुए एक अन्य बम ब्लास्ट के मामले में गुरदासपुर के गांव सोलापुर निवासी दौलत सिंह उर्फ बिट्टा फरार है। उसे चंडीगढ़ पुलिस ने 16 जनवरी 1991 को पीओ घोषित किया था। पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले चंडीगढ़ के पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले के मामले में शामिल आरोपी संगरूर के गांव डुलमा निवासी प्रीतम सिंह अब तक फरार है। उसे 10 दिसंबर 1994 को भगोड़ा घोषित किया गया था। इसके अलावा चंडीगढ़ रोज गार्डन में पंजाब पुलिस पर हमला हुआ था। मामले में जालंधर गांव बिल्गो निवासी गुरचरण सिंह अब तक फरार है। पुलिस ने 27 अप्रैल 1993 को उसे भगोड़ा घोषित किया था। मनी माजरा थाने पर भी हमला हुआ था। उक्त मामले में 9 फरवरी 1993 को पंजाब के गांव धनौरी निवासी दिलबाग सिंह को भगौड़ा घोषित किया गया था। आईएसएस पर हमले के आरोपी का नहीं सुराग हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में पंजाब के आईएएस निरंजन सिंह पर हमले के मामले में कपूरथला के संडो चट्ठा निवासी वधावा सिंह को पीओ घोषित किया गया था। चंडीगढ़ पुलिस के सिपाही पर हमले के मामले में गुरदासपुर निवासी सिपाही सुखदेव सिंह शामिल था। जिसे 15 जनवरी 1993 को पीओ घोषित किया। इसके अलावा 1999 में सेक्टर-34 स्थित पुराने पासपोर्ट दफ्तर के पास पार्किंग में बम ब्लास्ट हुआ था। मामले में अमृतसर के गांव पंजवार निवासी परमजीत सिंह उर्फ पंजवार शामिल था, अब तक सुराग नहीं लगा। इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की हुई हत्या चंडीगढ़ में पुलिस के इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह की हत्या मामले में कपूरथला के गांव सफाबाद निवासी बहादुर सिंह अब तक फरार है। जिसे 17 नवंबर 1987 को भगौड़ा घोषित किया गया था। जबकि एसआई अमरजीत सिंह की हत्या मामले में पटियाला के राजपुरा के गांव मडौली निवासी जोरा सिंह को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। 12 मार्च 1993 को भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी और उनकी टीम पर हुए आतंकी हमले में कपूरथला निवासी डॉ. मंजीत सिंह, मोहाली के बलवंत सिंह और चंडीगढ़ निवासी मनमोहन सिंह उर्फ मिंटा अब तक फरार हैं। मंजीत और बलवंत को 07 अगस्त 1993 और 25 मई 1993 को मनमोहन सिंह को भगौड़ा घोषित किया था। अगस्त 1991 में हुए हमले में सैनी और चार चार अन्य पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। चंडीगढ़ में बम ब्लास्ट, चौकी-थानों पर हमलों के कई आतंकी अब भी फरार हैं, जबकि इन मामलों में पुलिस अधिकारी और आईएएस तक शहीद हो गए। आरोपियों की पहचान होने के बावजूद भी पुलिस इन आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। पुलिस के पास लगभग 17 आतंकियों की लिस्ट है, जिसमें बकायदा आरोपियों के नाम और पता है, लेकिन इसके बावजूद भी पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं सकी। सीएम समेत हुई थी 18 लोगों की हत्या 31 अगस्त 1995 को पंजाब सिविल सचिवालय के पास हुए बम ब्लास्ट में सीएम बेअंत सिंह समेत 18 लोगों की हत्या हुई थी। अंबाला के थाना नग्गल के अंतर्गत रहने वाले पुरुषोत्तम और जम्मू स्थित कटरा के तलवारा कॉलोनी निवासी आतंकी जगरूप सिंह उर्फ निहंग को 1996 में भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ में हुए एक अन्य बम ब्लास्ट के मामले में गुरदासपुर के गांव सोलापुर निवासी दौलत सिंह उर्फ बिट्टा फरार है। उसे चंडीगढ़ पुलिस ने 16 जनवरी 1991 को पीओ घोषित किया था। पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले चंडीगढ़ के पूर्व एसएसपी और पंजाब के फाइनेंस मिनिस्टर पर हमले के मामले में शामिल आरोपी संगरूर के गांव डुलमा निवासी प्रीतम सिंह अब तक फरार है। उसे 10 दिसंबर 1994 को भगोड़ा घोषित किया गया था। इसके अलावा चंडीगढ़ रोज गार्डन में पंजाब पुलिस पर हमला हुआ था। मामले में जालंधर गांव बिल्गो निवासी गुरचरण सिंह अब तक फरार है। पुलिस ने 27 अप्रैल 1993 को उसे भगोड़ा घोषित किया था। मनी माजरा थाने पर भी हमला हुआ था। उक्त मामले में 9 फरवरी 1993 को पंजाब के गांव धनौरी निवासी दिलबाग सिंह को भगौड़ा घोषित किया गया था। आईएसएस पर हमले के आरोपी का नहीं सुराग हरियाणा सिविल सचिवालय चंडीगढ़ में पंजाब के आईएएस निरंजन सिंह पर हमले के मामले में कपूरथला के संडो चट्ठा निवासी वधावा सिंह को पीओ घोषित किया गया था। चंडीगढ़ पुलिस के सिपाही पर हमले के मामले में गुरदासपुर निवासी सिपाही सुखदेव सिंह शामिल था। जिसे 15 जनवरी 1993 को पीओ घोषित किया। इसके अलावा 1999 में सेक्टर-34 स्थित पुराने पासपोर्ट दफ्तर के पास पार्किंग में बम ब्लास्ट हुआ था। मामले में अमृतसर के गांव पंजवार निवासी परमजीत सिंह उर्फ पंजवार शामिल था, अब तक सुराग नहीं लगा। इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की हुई हत्या चंडीगढ़ में पुलिस के इंस्पेक्टर कुलदीप सिंह की हत्या मामले में कपूरथला के गांव सफाबाद निवासी बहादुर सिंह अब तक फरार है। जिसे 17 नवंबर 1987 को भगौड़ा घोषित किया गया था। जबकि एसआई अमरजीत सिंह की हत्या मामले में पटियाला के राजपुरा के गांव मडौली निवासी जोरा सिंह को भी पुलिस गिरफ्तार नहीं कर सकी। 12 मार्च 1993 को भगौड़ा घोषित किया गया था। चंडीगढ़ के तत्कालीन एसएसपी सुमेध सिंह सैनी और उनकी टीम पर हुए आतंकी हमले में कपूरथला निवासी डॉ. मंजीत सिंह, मोहाली के बलवंत सिंह और चंडीगढ़ निवासी मनमोहन सिंह उर्फ मिंटा अब तक फरार हैं। मंजीत और बलवंत को 07 अगस्त 1993 और 25 मई 1993 को मनमोहन सिंह को भगौड़ा घोषित किया था। अगस्त 1991 में हुए हमले में सैनी और चार चार अन्य पुलिसकर्मी शहीद हुए थे। हरियाणा | दैनिक भास्कर
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