पता नहीं बस चलाते-चलाते कब जान चली जाए। 12 घंटे गर्मी झेलनी पड़ती है। 60 किलोमीटर की रफ्तार से जब गर्म हवा शरीर और चेहरे पर टकराती है, तो लगता है कि जान निकल जाएगी। आंखों में जलन होती रहती है। महसूस होता है कि पूरा चेहरा झुलस गया है। कई ड्राइवर साथी अपनी जान भी गवां चुके हैं। ऐसा लखनऊ रोडवेज में ड्राइवर प्रदीप सिंह का कहना है। वह कहते हैं कि हम लोग लखनऊ से हैदरगढ़, रायबरेली और प्रतापगढ़ जैसे रूट पर बस चलाते हैं। हर रोज करीब 4 चक्कर लगाना पड़ता है। भीषण गर्मी में हो रही मौतों की खबर सुनने के बाद माथे पर पसीना और चिंता की लकीरें दोनों हैं। इस कड़कती धूप और लू के थपेड़ों के बीच दैनिक भास्कर राजधानी लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर पहुंचा। यहां क्या व्यवस्था है? ड्राइवरों की सहूलियत के लिए क्या कुछ कदम उठाए गए हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढा, चलिए पढ़ते हैं ग्राउंड रिपोर्ट… ठंडे पेय जल के लिए लगी लंबी लाइन
चारबाग बस अड्डे पर गर्मी से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। यहां छांव के लिए टिन शेड तो लगाया गया है, लेकिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे यात्रियों के लिए लू के थपेड़े से बच पाना चुनौती है।बस स्टैंड पर एक दिन में लगभग 10 हजार से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है, यहां गर्मी से निजात दिलाने के लिए सिर्फ एक कूलर लगा है। ठंडे पेयजल के लिए अभी एक ही वाटर कूलर लगे होने के कारण धूप में लंबी लाइन लगी रहती है। एक दिन में 800 लीटर पानी की खपत
स्टेशन पर 2 रुपए प्रति लीटर के दाम पर पानी की व्यवस्था है। यहां दिनभर यात्रियों की लंबी लाइन लगी रहती है। पेयजल का संचालन कर रहे लोगों ने बताया कि गर्मी में पानी की मांग कई गुना बढ़ गई है। डिपो में अन्य जगहों पर फ्री में भी पानी की व्यवस्था है। लेकिन वह पानी गर्म होने के कारण कम ही लोग उपयोग करते हैं। दुकानों में जो ठंडा पानी मिलता है, उसकी कीमत 20 रुपए है। कुछ लोग तो मनमानी पैसा भी ले लेते हैं। लेकिन यहां पर ठंडे पानी का दाम 2 रुपए होने के कारण एक दिन में लगभग 800 लीटर से ज्यादा की खपत हो जाती है। कई बार रिफिलिंग भी करानी पड़ती है। कूलर की ठंडी हवा के लिए हो जाती है लड़ाई हमने टिन शेड के नीच बैठे लोगों से जब बात की तो उमस भरी गर्मी से परेशान यात्रियों में नाराजगी देखने को मिली। वह स्टेशन की अव्यवस्था से भी नाराज नजर आए। यात्रियों का कहना है एक कूलर से सिर्फ सामने वाले लोगों को हवा मिल पाती है। पीछे बैठे लोगों को तो पसीने में तरबतर रहना पड़ता है। कुछ लोग तो कूलर के सामने खड़े हो जाते हैं, इससे कुर्सी पर बैठे लोगों को हवा नहीं मिल पाती। कई बार लोगों को मना करने पर झड़प भी हो जाती है। सरकारी कूलर होने के कारण कोई किसी को कुछ कह भी नहीं पाता है। एसी में बैठने का प्रबंध नहीं सामने खड़ी होती हैं गाडियां इसी तरह चारबाग से कौशांबी मंझनपुर के लिए एसी बस चलती हैं। अन्य बसें आलमबाग से जाती हैं। स्टेशन पर एसी वेटिंग रूम तो है लेकिन बैठने के लिए खास इंतजाम नहीं हैं। कई साल पुरानी लोहे की टूटी कुर्सियां पड़ी हैं। अंदर का वाटर कूलर भी खराब है। इस वजह से टिन शेड के नीचे यात्री बैठने को मजबूर हैं। दुकान लगने से यात्रियों को बैठने के लिए कुछ ही जगह मिल पाती है। शरीर पर पानी डालकर गर्मी से बचने का प्रयास
बस स्टैंड पर पहुंचे लोग गर्मी से निजात पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते नजर आए। कुछ यात्री तो ठंडा पानी पीने के साथ-साथ अपने ऊपर भी डालते नजर आए। लखनऊ से फतेहपुर जा रहीं गुलाब कली कहती हैं कि हम यहां कई घंटे से बैठकर बस का इंतजार कर रहे हैं। तेज धूप होने के कारण टिन शेड के नीचे तपन ज्यादा होती है पर क्या करें, कूलर तो एक ही लगा है। जो लोग पहले आए वो कूलर के सामने बैठ गए। सामने 4 कुर्सियां लगी हैं, ऐसे में सिर्फ चार लोगों को ही ठंडी हवा मिल सकती है। टिन शेड में लू के थपेड़े से झुलस रहे यात्री स्टेशन पहुंचे गिरिराज मिश्रा कहते हैं कि जिस तरह से गर्मी पड़ रही है, ऐसे में टिन शेड से राहत नहीं हैं। रोडवेज की तरफ से कूलर की व्यवस्था भले की गई है, लेकिन यह कूलर यात्रियों की संख्या के हिसाब से नाकाफी साबित हो रहा है। जो पंखे लगे हैं, वह भी गर्म हवा फेंक रहे हैं। स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए इंतजाम बढ़ाना चाहिए। 10 हजार यात्रियों की आवाजाही धूप में खड़ी बसें
चारबाग स्टेशन पर दिन भर में 200 से अधिक बसों का संचालन रोडवेज की तरफ से किया जाता है। इसमें 10 हजार से अधिक यात्री बसों से यात्रा करते हैं। स्टेशन से चलने वाली बसें धूप में खड़ी रहती हैं। बस में जब तक सवारी नहीं भर जातीं, तब तक ड्राइवर और कंडक्टर बस नहीं आगे बढ़ाते हैं। कई यात्री तो सीट कैप्चर करने के लिए घंटों तक बस के भीतर बैठकर इंतजार करते रहते हैं। इन्हें छांव तो मिलती है, लेकिन उमस भरी गर्मी से राहत नहीं। यह खबरें भी पढ़ें.. सेक्स स्कैंडल केस- प्रज्वल रेवन्ना 35 दिन बाद भारत लौटे:बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ही SIT ने अरेस्ट में किया, कोर्ट में आज पेशी केरल से टकराया मानसून, एमपी-राजस्थान कब पहुंचेगा:ला-नीना क्या है, जो कराएगा जमकर बारिश; जून-जुलाई के मौसम का पूरा मिजाज पोर्न स्टार केस- ट्रम्प सभी 34 मामलों में दोषी करार:सजा पर 11 जुलाई को सुनवाई होगी; पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति दोषी पाए गए पता नहीं बस चलाते-चलाते कब जान चली जाए। 12 घंटे गर्मी झेलनी पड़ती है। 60 किलोमीटर की रफ्तार से जब गर्म हवा शरीर और चेहरे पर टकराती है, तो लगता है कि जान निकल जाएगी। आंखों में जलन होती रहती है। महसूस होता है कि पूरा चेहरा झुलस गया है। कई ड्राइवर साथी अपनी जान भी गवां चुके हैं। ऐसा लखनऊ रोडवेज में ड्राइवर प्रदीप सिंह का कहना है। वह कहते हैं कि हम लोग लखनऊ से हैदरगढ़, रायबरेली और प्रतापगढ़ जैसे रूट पर बस चलाते हैं। हर रोज करीब 4 चक्कर लगाना पड़ता है। भीषण गर्मी में हो रही मौतों की खबर सुनने के बाद माथे पर पसीना और चिंता की लकीरें दोनों हैं। इस कड़कती धूप और लू के थपेड़ों के बीच दैनिक भास्कर राजधानी लखनऊ के चारबाग बस स्टेशन पर पहुंचा। यहां क्या व्यवस्था है? ड्राइवरों की सहूलियत के लिए क्या कुछ कदम उठाए गए हैं? इन सवालों का जवाब ढूंढा, चलिए पढ़ते हैं ग्राउंड रिपोर्ट… ठंडे पेय जल के लिए लगी लंबी लाइन
चारबाग बस अड्डे पर गर्मी से लोगों की परेशानी बढ़ती जा रही है। यहां छांव के लिए टिन शेड तो लगाया गया है, लेकिन बड़ी संख्या में पहुंच रहे यात्रियों के लिए लू के थपेड़े से बच पाना चुनौती है।बस स्टैंड पर एक दिन में लगभग 10 हजार से अधिक यात्रियों की आवाजाही होती है, यहां गर्मी से निजात दिलाने के लिए सिर्फ एक कूलर लगा है। ठंडे पेयजल के लिए अभी एक ही वाटर कूलर लगे होने के कारण धूप में लंबी लाइन लगी रहती है। एक दिन में 800 लीटर पानी की खपत
स्टेशन पर 2 रुपए प्रति लीटर के दाम पर पानी की व्यवस्था है। यहां दिनभर यात्रियों की लंबी लाइन लगी रहती है। पेयजल का संचालन कर रहे लोगों ने बताया कि गर्मी में पानी की मांग कई गुना बढ़ गई है। डिपो में अन्य जगहों पर फ्री में भी पानी की व्यवस्था है। लेकिन वह पानी गर्म होने के कारण कम ही लोग उपयोग करते हैं। दुकानों में जो ठंडा पानी मिलता है, उसकी कीमत 20 रुपए है। कुछ लोग तो मनमानी पैसा भी ले लेते हैं। लेकिन यहां पर ठंडे पानी का दाम 2 रुपए होने के कारण एक दिन में लगभग 800 लीटर से ज्यादा की खपत हो जाती है। कई बार रिफिलिंग भी करानी पड़ती है। कूलर की ठंडी हवा के लिए हो जाती है लड़ाई हमने टिन शेड के नीच बैठे लोगों से जब बात की तो उमस भरी गर्मी से परेशान यात्रियों में नाराजगी देखने को मिली। वह स्टेशन की अव्यवस्था से भी नाराज नजर आए। यात्रियों का कहना है एक कूलर से सिर्फ सामने वाले लोगों को हवा मिल पाती है। पीछे बैठे लोगों को तो पसीने में तरबतर रहना पड़ता है। कुछ लोग तो कूलर के सामने खड़े हो जाते हैं, इससे कुर्सी पर बैठे लोगों को हवा नहीं मिल पाती। कई बार लोगों को मना करने पर झड़प भी हो जाती है। सरकारी कूलर होने के कारण कोई किसी को कुछ कह भी नहीं पाता है। एसी में बैठने का प्रबंध नहीं सामने खड़ी होती हैं गाडियां इसी तरह चारबाग से कौशांबी मंझनपुर के लिए एसी बस चलती हैं। अन्य बसें आलमबाग से जाती हैं। स्टेशन पर एसी वेटिंग रूम तो है लेकिन बैठने के लिए खास इंतजाम नहीं हैं। कई साल पुरानी लोहे की टूटी कुर्सियां पड़ी हैं। अंदर का वाटर कूलर भी खराब है। इस वजह से टिन शेड के नीचे यात्री बैठने को मजबूर हैं। दुकान लगने से यात्रियों को बैठने के लिए कुछ ही जगह मिल पाती है। शरीर पर पानी डालकर गर्मी से बचने का प्रयास
बस स्टैंड पर पहुंचे लोग गर्मी से निजात पाने के लिए तरह-तरह के उपाय करते नजर आए। कुछ यात्री तो ठंडा पानी पीने के साथ-साथ अपने ऊपर भी डालते नजर आए। लखनऊ से फतेहपुर जा रहीं गुलाब कली कहती हैं कि हम यहां कई घंटे से बैठकर बस का इंतजार कर रहे हैं। तेज धूप होने के कारण टिन शेड के नीचे तपन ज्यादा होती है पर क्या करें, कूलर तो एक ही लगा है। जो लोग पहले आए वो कूलर के सामने बैठ गए। सामने 4 कुर्सियां लगी हैं, ऐसे में सिर्फ चार लोगों को ही ठंडी हवा मिल सकती है। टिन शेड में लू के थपेड़े से झुलस रहे यात्री स्टेशन पहुंचे गिरिराज मिश्रा कहते हैं कि जिस तरह से गर्मी पड़ रही है, ऐसे में टिन शेड से राहत नहीं हैं। रोडवेज की तरफ से कूलर की व्यवस्था भले की गई है, लेकिन यह कूलर यात्रियों की संख्या के हिसाब से नाकाफी साबित हो रहा है। जो पंखे लगे हैं, वह भी गर्म हवा फेंक रहे हैं। स्टेशन पर यात्रियों के बैठने के लिए इंतजाम बढ़ाना चाहिए। 10 हजार यात्रियों की आवाजाही धूप में खड़ी बसें
चारबाग स्टेशन पर दिन भर में 200 से अधिक बसों का संचालन रोडवेज की तरफ से किया जाता है। इसमें 10 हजार से अधिक यात्री बसों से यात्रा करते हैं। स्टेशन से चलने वाली बसें धूप में खड़ी रहती हैं। बस में जब तक सवारी नहीं भर जातीं, तब तक ड्राइवर और कंडक्टर बस नहीं आगे बढ़ाते हैं। कई यात्री तो सीट कैप्चर करने के लिए घंटों तक बस के भीतर बैठकर इंतजार करते रहते हैं। इन्हें छांव तो मिलती है, लेकिन उमस भरी गर्मी से राहत नहीं। यह खबरें भी पढ़ें.. सेक्स स्कैंडल केस- प्रज्वल रेवन्ना 35 दिन बाद भारत लौटे:बेंगलुरु एयरपोर्ट पर ही SIT ने अरेस्ट में किया, कोर्ट में आज पेशी केरल से टकराया मानसून, एमपी-राजस्थान कब पहुंचेगा:ला-नीना क्या है, जो कराएगा जमकर बारिश; जून-जुलाई के मौसम का पूरा मिजाज पोर्न स्टार केस- ट्रम्प सभी 34 मामलों में दोषी करार:सजा पर 11 जुलाई को सुनवाई होगी; पहली बार कोई अमेरिकी राष्ट्रपति दोषी पाए गए उत्तरप्रदेश | दैनिक भास्कर